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बड़े दिनों के बाद विदेशी मुद्रा भंडार पर आई अच्छी खबर, कितना जरूरी है ऐसी खबरों का मिलना?
पिछले कुछ समय से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की खबरें आ रही थीं, लेकिन अब इसमें इजाफे की खबर आई है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्चे पर बड़े दिनों के बाद भारत के लिए अच्छी खबर आई है. लगातार पांच सप्ताह तक गिरावट के बाद अब इस भंडार में कुछ बढ़ोत्तरी हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छह अक्टूबर को हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में 2.17 अरब डॉलर की कमी आई थी. इसी तरह, 29 सितंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान इस भंडार में करीब चार अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी. उससे एक सप्ताह की बात करें, तो गिरावट का आंकड़ा 2.33 अरब डॉलर था. हालांकि, 13 अक्टूबर 2023 को समाप्त सप्ताह में हमारी स्थिति कुछ बेहतर हुई है.
अब कितना है भंडार?
मीडिया रिपोर्ट्स में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि 13 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 1.15 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है. इसी के साथ यह भंडार बढ़कर 585.89 अरब डॉलर हो गया है. हालांकि, यह अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से अभी काफी नीचे है. अक्टूबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर पहुंच गया था.
FCAs के क्या रहे हाल?
वहीं, भारत की फॉरेन करेंसी एसेट्स (Foreign Currency Asset - FCAs) में कमी आई है. 13 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान FCAs में 178 मिलियन डॉलर की कमी दर्ज हुई है. अब देश का एफसीए भंडार 519.351 अरब डॉलर का रह गया है. बता दें कि कुल विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा आस्तियां यानी फॉरेन करेंसी असेट (FCA) एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. उधर, के भारत के स्वर्ण भंडार में बढ़ोतरी हुई है. यह 1.268 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 43.575 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.
क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार का पर्याप्त संख्या में होना हर देश के लिए महत्वपूर्ण है. इसे देश की हेल्थ का मीटर कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इसमें विदेशी करेंसीज, गोल्ड रिजर्व, ट्रेजरी बिल्स आदि आते हैं और इन्हें केंद्रीय बैंक या अन्य मौद्रिक संस्थाएं संभालती हैं. इन संस्थाओं का काम पेमेंट बैलेंस की निगरानी करना, मुद्रा की विदेशी विनिमय दर पर नजर रखना और वित्तीय बाजार स्थिरता बनाए रखना है.
क्या है इसका उद्देश्य?
विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे पहला उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि रुपया तेजी से नीचे गिरता है या पूरी तरह से दिवालिया हो जाता है तो RBI के पास बैकअप फंड मौजूद हो. इसके साथ ही गिरते रुपए को संभालने के लिए आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर को बेच सकता है. जैसा कि पिछले साल जुलाई में RBI ने 39 अरब डॉलर की बिक्री की थी. हालांकि, इससे विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आई थी. यदि किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छी स्थिति में है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि भी निखरती है, क्योंकि उस स्थिति में व्यापारिक देश अपने भुगतान के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं.
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