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फिर से उड़ान की आस लगाए बैठी Jet Airways को मिली ये बड़ी खबर, यात्रियों को ऐसे मिलेगा फायदा
जेट एयरवेज पिछले काफी समय से आसमान में दोबारा उड़ान भरने की कोशिश कर रही है और अब लगता है उसकी कोशिश रंग लाने वाली है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 9 months ago
हवाई सफर करने वालों के लिए अच्छी खबर है. जल्द ही उन्हें जेट एयरवेज (Jet Airways) से यात्रा करने का अवसर भी मिल जाएगा. दरअसल, जेट एयरवेज का एयरपोर्ट ऑपरेटर सर्टिफिकेट (AOC) एविएशन रेगुलेटर DGCA ने रिन्यू कर दिया है, जिसका मतलब है कि एयरलाइन दोबारा अपनी सेवाएं शुरू कर सकेगी. पिछले कुछ समय से फ्लाइट से यात्रा काफी महंगी हो गई है. खासकर GoFirst के ऑपरेशन बंद होने के बाद से दूसरी एयरलाइन कंपनियों ने मुनाफा कमाने के फेर में यात्रियों से मोटा किराया वसूला है. ऐसे में उम्मीद है कि जेट एयरवेज के फिर से उड़ान भरने से मार्केट में प्रतियोगिता बढ़ेगी और किराए में कुछ कमी आएगी.
तैयार हो रही रणनीति
जेट एयरवेज के प्रमोटर जालान कालरॉक कंसोर्टियम (JKC) ने बताया कि कंपनी को इंडियन एयर ऑपरेटर से उड़ान भरने की अनुमति मिल गई है. JKC पूरी तरह से जेट एयरवेज को फिर से खड़ा करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए हम सभी अथॉरिटीज, इंडस्ट्रीज और पक्षकारों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं. हम एयरलाइन को सफल बनाने के लिए एक स्ट्रेटेजी तैयार कर रहे हैं. बता दें कि जेट एयरवेज के फिर से उड़ान भरने का इंतजार काफी समय से किया जा रहा है. पिछले कुछ समय से किसी न किसी वजह से बात अटक रही थी, लेकिन अब लगता है कि इस एयरलाइन के विमान जल्द टेक ऑफ कर पाएंगे.
2019 में हुई थी बंद
एक जमाने में जेट एयरवेज एविएशन सेक्टर की दिग्गज कंपनी हुआ करती थी. लगातार 25 साल से अधिक समय तक इसने लो-कॉस्ट एयरलाइन के तौर पर सफल उड़ान भरी थी, लेकिन कुछ गलत फैसलों के चलते कंपनी की वित्तीय स्थिति खराब होती गई और 17 अप्रैल, 2019 से उसके विमान जमीन पर खड़े हो गए. जून, 2019 में कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया और इसके बाद NCLT (National Company Law Tribunal) ने जालान-कलरॉक कंसोर्टियम को इस एयरलाइन को दोबारा से शुरू करने की जिम्मेदारी सौंपी. तभी से इसे दोबारा उड़ान के लिए तैयार करने की कोशिश हो रही है.
ऐसी जमीन पर आई थी कंपनी
नरेश गोयल ने 1992 में जेट एयरलाइन की शुरुआत की थी. यह हवाई यात्रियों के लिए एयर इंडिया के विकल्प के तौर पर सामने आई थी. एक वक्त कंपनी के पास कुल 120 विमान थे. जेट एयरवेज की टैग लाइन थी, 'द ज्वॉय ऑफ फ्लाइंग'. अपने पीक टाइम में कंपनी हर रोज करीब 650 फ्लाइट्स का ऑपरेशन करती थी. 2004 में बाजार के 40% हिस्से पर जेट का ही कब्जा था, तब लग रहा था कि कंपनी को कोई टक्कर नहीं दे सकता. लेकिन नए प्लेयर्स की एंट्री और गलत नीतियों ने जेट एयरवेज को जमीन पर पटक दिया. इंडिगो और स्पाइस जेट ने जेट एयरवेज के मार्केट को प्रभावित किया. इनसे टक्कर लेने के लिए नरेश गोयल सस्ते की जंग में फंस गए. इसके अलावा, 2006 में उन्होंने 3500 करोड़ रुपए कैश देकर एयर सहारा को खरीदा, लेकिन भारी निवेश की कीमत वसूलने में नाकाम रहे.
महंगे पड़े सस्ते टिकट
इंडिगो, स्पाइस जेट और गो एयरलाइंस जैसी बजट एयरलाइंस से अपना मार्केट बचाने के लिए जेट एयरवेज ने सही और कारगर रणनीति नहीं बनाई. इसके उलट, लागत से सस्ते टिकट बेचने की रणनीति तक खुद को सीमित कर लिया, इससे घाटे और मुनाफे के बीच का अंतर लगातार बढ़ता गया. मार्च 2019 तक कंपनी का घाटा 5,535.75 करोड़ रुपए का हो चुका था. हर तरफ से निराशा हाथ लगने के बाद नरेश गोयल ने कंपनी को बंद करने का फैसला लिया. अपने आखिरी वक्त में कंपनी के बेड़े में केवल 16 विमान ही बचे थे.
अब क्या है संभावना?
जेट एयरवेज ऐसे समय में एंट्री कर रही है जब इंडिगो टॉप पर पहुंच चुकी है और तमाम एयरलाइन्स बाजार में मौजूद हैं. दिवंगत निवेशक राकेश झुनझुनवाला की सस्ती एयरलाइन आकाश एयर भी उड़ान भर रही है. इसके अलावा, टाटा के साथ एयर इंडिया का परफॉरमेंस भी ट्रैक कर आ रहा है. इसलिए, उसके लिए अब खुद को पहले जैसी पोजीशन में पहुंचाना आसान नहीं होगा. कंपनी को बेहद सोच-समझकर रणनीति बनानी होगी. उसे एयर फेयर आकर्षक रखना होगा, लेकिन पिछले परिणामों को भी ध्यान में रखना होगा.
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