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GO FIRST इंसॉल्वेंसी: अब Air Flight Fare ने बढ़ाई टेंशन, कई गुना बढ़ गया किराया
जानकारों का मानना है विमानों के किराए में हुआ ये इजाफा सिर्फ कुछ दिनों का नहीं है बल्कि ये आगे भी जारी रहने वाला है. एक्सपर्ट बताते हैं इसके पीछे कई कारण हैं.
ललित नारायण कांडपाल 1 year ago
गो फर्स्ट कंपनी के अपनी उड़ानों को रोके जाने की घोषणा ने जैसे एविएशन यात्रियों के लिए परेशानी बढ़ा दी है. एयरलाइन सेक्टर की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी के ऑपरेशन बंद करते ही हालात ये हो गए हैं कि दिल्ली से लेकर मुंबई तक के किराए में 40 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया है जबकि कई रूटों पर किराया पांच गुना तक हो गया है. ऐसी परिस्थितियों ने हवाई जहाज से सफर करने वाले यात्रियों की परेशानी बढ़ा दी है.
कितने बड़ी है गो फर्स्ट कंपनी
मीडिया रिपोर्ट पर नजर डालें तो आंकड़े बताते हैं कि गो फर्स्ट के पास मौजूदा समय में 53 विमानों का बेड़ा था, जिसने 34 रूटों पर सेवाओ को देता था और प्रतिदिन औसतन 200 से अधिक उड़ानें भरता था. लेकिन 10 दिनों के लिए 200-विषम दैनिक उड़ानों के सस्पेंशन के कारण गो फर्स्ट के मार्गों पर हवाई किराए की कीमतों में तेज उछाल आ गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गो फर्स्ट द्वारा 12 मई तक सभी उड़ानों के निलंबन से एयरलाइनों के मार्गों में हवाई किराए में तेजी से वृद्धि हुई है. इस सेक्टर के विशेषज्ञों का मानना है कि एयरलाइनों द्वारा एनसीएलटी में दिवालियापन के लिए फाइल करने की अपील पर विचार करते हुए हवाई किराए में यह बढ़ोतरी काफी समय तक जारी रहेगी. भारतीय विमानन क्षेत्र में एयरलाइन की हिस्सेदारी 6.9 प्रतिशत थी, जो इंडिगो और टाटा समूह समर्थित एयरलाइंस एयर इंडिया, एयर एशिया और विस्तारा से पीछे थी.
विशेषज्ञों और उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि गो फर्स्ट इन्सॉल्वेंसी मामले में नवीनतम घटनाक्रम से भारतीय विमानन क्षेत्र एकाधिकार बन जाएगा, जो उपभोक्ताओं के लिए अनुकूल नहीं है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय विमानन क्षेत्र के एक जानकार बताते हैं कि पहले एयरलाइन के इस बाजार में अभी तक एकाधिकार नहीं था. लेकिन अब बाजार दो कंपनियों में विभाजित हो गया है. इसमें पहली कंपनी इंडिगो है और दूसरी कंपनी टाटा एयरलाइंस है. ऐसे में जाहिर है कि जब बाजार में एक प्रकार का एकाधिकार बन जाता है, तो वही होता है जो अभी हो रहा है. किराए पहले के मुकाबले ज्यादा ही होंगे.
कितनी हुई है किराए में बढ़ोतरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अलग-अलग ट्रैवल कंपनियों से मिले आंकड़ों के अनुसार 3 मई को दिल्ली से मुंबई रूट पर हवाई किराया 37 प्रतिशत से अधिक हो गया था. इसी दिन कई रूटों पर हवाई किराए में 4-6 गुना वृद्धि देखी गई. 5 मई से संबंधित आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली-लेह रूट पर जो सफर 4,772 रुपये में पूरा हो जाता था उसका किराया बढ़कर 26,819 रुपये हो गया है. इसी तरह, चंडीगढ़-श्रीनगर के यात्रियों ने नोट किया कि उनका किराया 4,047 से बढ़कर 24,418 रुपये हो गया, जो सामान्य कीमत से काफी अधिक है. इसके अलावा, श्रीनगर-चंडीगढ़ मार्ग पर उड़ान का किराया 6 मई के लिए 4,745 रुपये के मानक किराए की तुलना में 26,148 रुपये हो गया.
क्यों हो रही है ये बढ़ोतरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हवाई किराए में यह तेज बढ़ोतरी पूरी तरह से कृत्रिम नहीं है और अचानक से पैसेजरों की संख्या में बढ़ोतरी की मांग के बीच वृद्धि के कारण केवल एयरलाइन कंपनियां है. डेटा से पता चलता है कि हर उड़ान के लिए ज्यादा यात्रियों की संख्या ने सप्लायर कंपनी के सामने संकट ला दिया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एयर इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक जितेंद्र भार्गव ने कहा कि इस मूल्य वृद्धि के पीछे प्राथमिक कारण सभी एयरलाइनों पर अधिक भार है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया कि सभी एयरलाइंस 90 फीसदी ऑक्यूपेंसी के साथ उड़ान भर रही हैं. इसका मतलब है कि गो फ़र्स्ट के यात्रियों को समायोजित करने के लिए उनके पास मौजूदा उड़ानों में बहुत कम जगह है.
इसका मतलब यह है कि गो फर्स्ट यात्री एयरलाइन सीटों के एक बहुत छोटे हिस्से के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, जिससे कीमत ऊपर की ओर बढ़ रही है. लेकिन जानकारों का मानना है कि कीमतों में यह उछाल सिर्फ 12 मई तक ही सीमित नहीं रहेगा, उससे आगे भी जारी रह सकता है. जानकार ये भी कह रहे हैं कि एयरलाइन के लिए जल्द ही वापसी करना मुश्किल होगा, और प्रमुख खिलाड़ियों में अधिक व्यस्तता के साथ, कीमतें अधिक रहने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि हवाई किराए में , शायद अगले दो-तीन साल तक कमी आने वाली है.
क्या है इसकी वजह
ऐसा इसलिए है क्योंकि एयरलाइंस पहले से ही लगभग 90 प्रतिशत यात्रियों पर चल रही हैं. जानकार ये भी कह रहे हैं कि एयरलाइनों के लिए अधिक उड़ान भरने या अधिक यात्रियों को समान विमान उड़ाने के लिए यहां बहुत कम जगह है. उन्होंने कहा कि आपूर्ति-मांग कारकों के अलावा, ईंधन की कीमत भी बढ़ रही है, जो अंततः अंतिम उपयोगकर्ता की जेब से प्राप्त होगी. केवल आपूर्ति-मांग ही नहीं, इनपुट लागतों को देखें तो वे इस समय ऊंचे हैं. उनका निष्कर्ष है कि ईंधन को देखिए, यह आसमान छू रहा है, यह सब कीमतों को और बढ़ाएगा.
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