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चीन को साइडलाइन करने की Modi नीति, Foxconn देगी भारत का साथ
मोदी सरकार भारत को कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है. इसमें कंपनियों को फाइनेंशियल इनसेंटिव देना भी शामिल है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन (Foxconn) के चेयरमैन यंग लियू ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात की. यह कोई पहली मुलाकात नहीं थी, बीते 8 महीने में वह दूसरी बार PM मोदी से मिले. इसलिए इस मुलाकात के मायने काफी बढ़ जाते हैं. दरअसल, दुनिया में चीन के खिलाफ जो माहौल है, PM मोदी उसका फायदा उठाकर भारत को कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर विकसित करना चाहते हैं और इसमें फॉक्सकॉन अहम भूमिका निभा सकती है. यंग लियू को भी अच्छे से पता है कि भारत का साथ, उन्हें वो सबकुछ दिला सकता है, जो चीन में हासिल नहीं हुआ.
70 करोड़ डॉलर करेगी निवेश
भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, दुनिया के लिए संभावनाओं का एक बाजार है. इस समय भारत में निवेश करने वाली कंपनी, अपने भविष्य को सुरक्षित करने का काम करेगी और यही यंग लियू की फॉक्सकॉन करना चाहती है. फॉक्सकॉन कॉन्ट्रैक्ट पर इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है और अब खबर है कि वो भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए 70 करोड़ डॉलर का निवेश करने की तैयारी में है, जो भारत में कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा निवेश है. ये खबर PM मोदी और यंग लियू की मीटिंग के बाद सामने आई है. माना जा रहा है कि इस बैठक में फॉक्सकॉन की भारत में विस्तार योजना पर ही बातचीत हुई थी. आने वाले समय में फॉक्सकॉन भारत को लेकर कुछ और घोषणाएं कर सकती है.
यहां लगाएगी नया प्लांट
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि फॉक्सकॉन (Foxconn) भारत में उत्पादन बढ़ाने के लिए बेंगलुरु में एक नया प्लांट लगाएगी. करीब 300 एकड़ में बनने वाले इस प्लांट में आईफोन के पार्ट्स बनाए जाएंगे. अमेरिका और चीन के बीच पिछले कुछ समय से तनाव बढ़ा है. ताइवान मुद्दे को लेकर भी दोनों आमने-सामने आए हैं. इसके साथ ही चीन दुनिया के कई अन्य देशों की आंखों की भी किरकिरी बन गया है. साथ ही कोरोना वायरस के दोबारा सामने आने मामलों ने भी चीन की अर्थव्यवस्था और वहां मौजूद ग्लोबल कंपनियों के कामकाज को प्रभावित किया है. ऐसे में यूएस और अन्य देशों की कंपनियां चीन से अपनी मैन्यूफैक्चरिंग को शिफ्ट करने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं और भारत उनके लिए पसंदीदा विकल्प बनकर उभरा है.
अभी चीन है नंबर 1
दुनिया में कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन में होता है. माना जा रहा है कि फॉक्सकॉन के भारत पर ज्यादा फोकस करने और यहां अपनी मौजूदगी को बढ़ाने से चीन से यह तमगा छिन सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु में बनने वाले प्लांट में Apple के हैंडसेट असेंबल किए जा सकते हैं. इसके अलावा, Foxconn ने हाल ही में इलेक्ट्रिक व्हीकल बिजनेस में कदम रखा है, लिहाजा इस प्लांट में उसके लिए कुछ कलपुर्जे बनाए जा सकते हैं. कंपनी के भारत में 70 करोड़ डॉलर के निवेश से करीब एक लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है.
ऐसी है सरकार की तैयारी
मोदी सरकार भारत को कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है. इसमें कंपनियों को फाइनेंशियल इनसेंटिव देना भी शामिल है. बता दें कि फॉक्सकॉन ने पिछले साल तमिलनाडु में लेटेस्ट जनरेशन के आईफोन बनाने की शुरुआत की थी. Apple के दूसरे सप्लायर्स जैसे कि Wistron Corp और Pegatron Corp ने भी भारत में उत्पादन बढ़ा दिया है. वहीं, Jabil Inc ने AirPods के लिए भारत में पार्ट्स बनाने शुरू कर दिए हैं. यानी वैश्विक कंपनियों को अब चीन की तुलना में भारत ज्यादा बेहतर नजर आने लगा है. सरकार की पूरी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा विदेशी कंपनियां भारत पहुंचें, ताकि चीन का दबदबा कम करने के साथ ही देश को आर्थिक फायदा पहुंचाया जा सके.
क्या करती है फॉक्सकॉन?
फॉक्सकॉन ऐपल (Apple), श्याओमी (Xiaomi) सहित कई कंपनियों के लिए स्मार्टफोन बनाती है. तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में फॉक्सकॉन की तीन फैक्ट्रियां हैं. अब कंपनी की योजना इस संख्या को बढ़ाने की है. इन फैक्ट्रियां में स्मार्टफोन के अलावा, कई ब्रांडों के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट भी तैयार किए जाते हैं. फॉक्सकॉन की भारतीय इकाई भारत FIH अब आईपीओ लाने की भी तैयारी में है. इसके अलावा, यह ताइवानी कंपनी वेदांता के साथ मिलकर भारत में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के लिए डिस्प्ले पैनल और सेमीकंडक्टर चिप्स बनाने का ऐलान कर चुकी है. यानी फॉक्सकॉन भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.
चेयरमैन ने दिया था संकेत
कुछ वक्त पहले, फॉक्सकॉन के चेयरमैन यंग लिउ (Foxconn Chairman Young Liu) ने भारत को लेकर जो कुछ कहा था, उससे यह साफ संकेत मिला था कि कंपनी यहां अपना कारोबार बढ़ाना चाहती है. उन्होंने कहा था, भारत आने वाले समय में एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है. कुल मिलाकर मैं देखता हूं कि भारत में हमारा कारोबार सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. भारत में हमारे ग्रुप का डेवलपमेंट विस्तार पाने वाला है.
चीन से निकलने की तैयारी
चीन और ताइवान के बीच वैसे तो विवाद काफी पुराना है, लेकिन मौजूदा वक्त में यह चरम पर पहुंच गया है. इसलिए ताइवान की कंपनियां चीन में अपना बिज़नेस बढ़ाने के बजाए वहां से बाहर निकलने पर सोच रही हैं. एशिया में केवल भारत ही है, जो चीन को टक्कर दे सकता है. इसके अलावा, यहां विदेशी कंपनियों के लिए माहौल भी अनुकूल है. कई विदेशी कंपनियां भारत में अच्छी ग्रोथ कर रही हैं. इन सब कारणों के चलते आने वाले समय में कुछ और ताइवानी कंपनियों की भारत में एंट्री हो सकती है. जिससे चीन को बड़ा नुकसान उठाना होगा.
ऐसे हुई भारत में एंट्री
फॉक्सकॉन सबसे पहले 2006 में भारत आई थी, उसने चेन्नई से 50 किमी दूर Sriperumbudur में नोकिया के लिए हैंडसेट बनाने का काम शुरू किया था. लेकिन 2014 में जब माइक्रोसॉफ्ट ने नोकिया का अधिग्रहण किया, तब उसने भारत छोड़ दिया. 2015 में उसने महाराष्ट्र सरकार के साथ MoU साइन किया. पिछले साल चीनी मोबाइल कंपनी Xiaomi ने घोषणा की थी कि फॉक्सकॉन उसके लिए भारत में स्मार्टफोन बनाएगी.
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