2012 में स्थापित हुई एक्जिकॉन प्रदर्शनी, सम्मेलनों, डिजिटल मार्केटिंग, ऑडियो विजुअल प्रोडक्शंस और ब्रैंड संचार में विशेषज्ञता रखती है.
एक्जिकॉन इवेंट्स मीडिया सॉल्यूशंस लिमिटेड (कंपनी) ने मुंबई स्थित न्यूक्लियस इंटीग्रेटेड कम्युनिकेशन एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड का सफलतापूर्वक अधिग्रहण कर लिया है. एक्जिकॉन ने न्यूक्लियस इंटीग्रेटेड के 51 प्रतिशत शेयर हासिल करने के साथ बिजनेस अधिग्रहण समझौत पर हस्ताक्षर किए हैं. समीर शिंदे के द्वारा स्थापित ये कंपनी प्रदर्शनी और सम्मेलनों, डिजिटल मार्केटिंग, ऑडियो विजुअल प्रोडक्शंस और ब्रैंड संचार में विशेषज्ञता रखती है.
समझौते के बाद क्या बोले कंपनी के प्रमोटर
दोनों कंपनी के बीच हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद EXHICON के प्रमोटर पद्मा मिश्रा ने कहा, यह अधिग्रहण ऑडियो विजुअल प्रोडक्शंस, डिजिटल मार्केटिंग और ब्रैंड संचार सेवाओं को EXHICON की बढ़ती 360 डिग्री पेशकशों के जरिए उसकी रणनीतिक साझेदारी को और बढ़ा़ देगा. यह अधिग्रहण एशिया और मध्य पूर्व में अपने बढ़ते ग्राहकों को 360 डिग्री समाधान प्रदान करने के अनुभव के साथ शीर्ष नेतृत्व टीम स्थापित करने के EXHICON के दृष्टिकोण के अनुरूप है.
2012 में हुई थी कंपनी की स्थापना
समीर शिंदे द्वारा 2012 में स्थापित एक्जिकॉन अपनी अद्वितीय सेवाओं के माध्यम से बिजनेस को लेकर नरेटिव बदलने में सबसे आगे है. कंपनी प्रदर्शनी, सम्मेलनों, डिजिटल मार्केटिंग, ऑडियो विजुअल प्रोडक्शंस और ब्रैंड संचार में विशेषज्ञता रखती है. एनआईसीई क्रॉफ्ट सॉल्यूशंस में महारत रखने वाले सूरज भानुशाली, कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं. सूरज भानुशाली की क्रिसिल फाउंडेशन, प्रथम इन्फोटेक, लोढ़ा फाउंडेशन और बजाज इन्फोटेक जैसे प्रतिष्ठित ग्राहकों के लिए पसंदीदा भागीदार रहे हैं. वे कंपनी क्रिसिल फाउंडेशन, प्रथम इन्फोटेक, लोढ़ा फाउंडेशन और बजाज इन्फोटेक जैसे प्रतिष्ठित ग्राहकों के लिए पसंदीदा भागीदार रहे हैं.
ये भी पढ़ें: आप भी चाहते हैं बॉन्ड पर 7.5% का ब्याज, यह हाउसिंग बैंक दे रहा है मौका
कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर पिछले इसे बनाने वाली कंपनी पर कई गंभीर आरोप लगे थे. लोगों में साइड इफेक्ट के आरोपों के बीच कंपनी ने मार्केट से सभी वैक्सीन वापस मंगाने का फैसला लिया है.
एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन को लेकर उठ रही सुरक्षा चिंताओं के बीच कंपनी ने दुनिया भर से अपने टीकों को वापस लेने का फैसला कर लिया है. इसमें भारत में बनाई गई कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन भी है. कुछ दिनों पहले ही इस फार्मास्यूटिकल कंपनी ने एक कोर्ट में वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट्स की बात स्वीकार की थी. बता दें कि एस्ट्राजेनिका वैक्सीन को भारत में कोविशील्ड के नाम से इस्तेमाल किया गया था. हालांकि, कंपनी ने वैक्सीन को बाजार से हटाने के पीछे की कुछ और वजह बताई है.
वैक्सीन से हो रहे थे गंभीर साइड इफेक्ट्स
एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई कोरोना वैक्सीन भारत में कोविशील्ड के नाम से लगाई गई थी. अब कंपनी ने खुद से बनाई कोविड-19 वैक्सीन को वैश्विक स्तर पर वापस ले लिया है. इससे पहले कंपनी ने अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया था कि उसके द्वारा बनाई कोरोना वैक्सीन लगने से खून के थक्के जमना जैसे गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. हालांकि, फार्मा दिग्गज ने कहा कि वैक्सीन को व्यावसायिक कारणों से बाजारों से हटाया जा रहा है.
Ramdev की पतंजलि को घेरते-घेरते आखिर खुद कैसे फंस गए IMA के चीफ?
कंपनी ने क्या दी जानकारी?
एस्ट्राजेनेका ने मंगलवार को यह कहा था कि बाजार में जरूरत से ज्यादा मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध है इसलिए कंपनी ने बाजार से सभी टीके वापस लेने का फैसला किया है. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले कंपनी ने इस बात को भी स्वीकार किया था कि वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट भी हैं. जैसे वैक्सीन की वजह से खून का जम जाना और ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाना. बता दें कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, भारत में अब तक 220 करोड़ से ज्यादा खुराक दी जा चुकी है.
कैसे सामने आया था मामला
ये पूरा मामला तब सामने आया था, जब एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की हाईकोर्ट में माना था कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम से शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं या फिर शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं. बॉडी में ब्लड क्लॉट की वजह से ब्रेन स्ट्रोक की भी आशंका बढ़ जाती है. एस्ट्राज़ेनेका के ये स्वीकार करने के बाद कि उनकी वैक्सीन की वजह से कई लोगों की जान गई और कई बीमार हुए, यूके में उनको 100 मिलियन पाउंड के मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है.
भारत में कोवीशिल्ड के नाम से हुआ वैक्सीन का इस्तेमाल
वैक्सीन को बाजार से वापसी के लिए आवेदन 5 मार्च को किया गया था जो 7 मई तक प्रभावी हुआ. एस्ट्राजेनेका ने साल 2020 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन बनाई थी. भारत में इस AstraZeneca की इस वैक्सीन का प्रोडक्शन अदार पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया था. कंपनी ने इस वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से बाजार में लॉन्च किया था. भारत में ये वैक्सीन करोड़ों लोगों को लगाई गई थी.
मायावती ने आकाश को पिछले साल ही अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था और अब उन्होंने अपना फैसला पलट दिया है.
बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) कल तक अपने जिस भतीजे की तारीफ कर रही थीं, आज उन्होंने उसी के खिलाफ बड़ा एक्शन ले डाला है. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद (Akash Anand) को बहुजन समाज पार्टी (BSP) के नेशनल कोओर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी पद से हटा दिया है. उन्होंने पिछले साल ही आकाश को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. लोकसभा चुनाव के बीच लिए गए मायावती के इस फैसले के कई मतलब निकाले जा रहे हैं.
बसपा सुप्रीमो ने कही ये बात
मायावती का कहना है पूर्ण परिपक्वता आने तक आकाश आनंद को दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग रखा जाएगा. अब सवाल यह उठता है कि आखिर आकाश ने ऐसा क्या कर दिया कि बसपा सुप्रीमो को इतना बड़ा फैसला लेना पड़ गया? आकाश की लॉन्चिंग के समय मायावती काफी उत्साहित थीं. आकाश की सभाओं में उमड़ रही भीड़ उन्हें बसपा के अच्छे दिनों की याद दिलाने लगी थी. यह माना जाने लगा था कि मायावती ने युवा आकाश को आगे करके अच्छा किया है, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि भतीजे को लेकर माया का मूड बिगड़ गया.
इस वजह से नाराज हुईं माया
दरअसल, आकाश आनंद के कुछ बयानों ने मायावती को काफी असहज कर दिया था. यह आशंका भी जताई जा रही थी कि उनके बयानों का खामियाजा बसपा को भी भुगतना पड़ सकता है. आकाश ने कुछ दिनों पहले सीतापुर में BJP सरकार को आतंक की सरकार करार दिया था. इसके लिए उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गई थी. इतना ही नहीं, कुछ मौकों पर बयान देते वक्त वह इतने जोश में आ गए कि उनके मुंह से गाली जैसे शब्द निकल गए. उनके 'जूते मारने का मन करता है' जैसे बयानों की खूब आलोचना हुई थी. माना जा रहा है कि आकाश के इन बयानों ने मायावती को नाराज कर दिया और उन्हें समझ आ गया कि भतीजे में अभी राजनीति के लिए परिपक्वता नहीं आई है.
इतने अमीर हैं आकाश आनंद
आकाश आनंद मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं. 28 साल आनंद की शुरुआती शिक्षा नोएडा में हुई. इसके बाद वह एमबीए करने के लिए लंदन चले गए. पिछले साल मार्च में उनकी शादी बसपा के वरिष्ठ नेता अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा से हुई थी. आकाश पहली बार 2017 में सार्वजनिक मंच पर नजर आए थे. उन्हें मायावती के साथ सहारनपुर में आयोजित एक सभा में देखा गया था. आकाश आनंद की नेटवर्थ को लेकर वैसे तो कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन एक रिपोर्ट बताती है कि उनके पास 66 करोड़ रुपए की संपत्ति है. बता दें कि एक समय था जब मायवती उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अहम किरदार थीं. 2012 के चुनावी हलफनामे में मायावती ने बताया था कि उनके पास 111.64 करोड़ रुपए की संपत्ति है.
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में हुई ज्यादा वोटिंग से नेता खुश हैं. इस चरण में करीब 65% मतदान हुआ है.
शेयर बाजार (Stock Market) के लिए इस हफ्ते की शुरुआत अच्छी नहीं रही. सोमवार को जहां बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. वहीं, कल यानी मंगलवार को बाजार पूरी तरह बिखर गया. रिलायंस इंडस्ट्रीज, HDFC और ICICI बैंक में बिकवाली के चलते बाजार में गिरावट देखने को मिली. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 383.69 अंकों की नरमी के साथ 73511.85 पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान एक समय यह 636.28 अंक तक लुढ़क गया था, लेकिन बाद में कुछ रिकवरी करने में सफल रहा. इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी भी 140.20 अंक गिरकर 22,302.50 पर पहुंच गया.
MACD ने दिए ये संकेत
अब जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं. सबसे पहले बात करते हैं MACD के संकेतों की. मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज KPI Green Energy, Oil India, Siemens, Novartis India और Khadim India पर तेजी का रुख दर्शाया है. दूसरे शब्दों में कहें तो आज इन शेयरों की कीमतों में उछाल आ सकता है और आपके लिए मुनाफा कमाने की गुंजाइश बन सकती है. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि शेयर बाजार में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श जरूर कर लें, अन्यथा आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. वहीं, MACD ने MCX, Cochin Shipyard, Sundaram Finance और Venus Pipes & Tube में मंदी के संकेत दिए हैं.
इनमें मजबूत खरीदारी
कुछ शेयर ऐसे भी हैं जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. Godrej Consumer Products के साथ-साथ ABB India, CG Power, Finolex Industries, Colgate-Palmolive, Siemens और Supreme Industries पर निवेशकों का भरोसा कायम है. इनमें से कुछ ने अपना 52 वीक का हाई लेवल भी पार कर लिया है. गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के शेयर कल के गिरावट वाले बाजार में भी करीब छह प्रतिशत की बढ़त हासिल करने में कामयाब रहे. 1,320 रुपए के भाव पर मिल रहा ये शेयर इस साल अब तक 15.30% का रिटर्न दे चुका है. उधर, Zee Entertainment Enterprises, Syngene International, Dalmia Bharat और Ramco Cements उन शेयरों में शामिल हैं, जिनमें बिकवाली का दबाव देखने को मिल रहा है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
अभी दो दिन पहले ही कंपनी के सीओओ भावेश गुप्ता ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि भावेश का इस्तीफा 31 मई 2024 से प्रभावी होगा.
रिजर्व बैंक की कार्रवाई के बाद डिरेल हुई पेटीएम की गाड़ी पटरी पर लौटने का नाम नहीं ले रही है. कंपनी के सीओओ और प्रेसीडेंट भावेश गुप्ता के इस्तीफे के बाद अब कंपनी के CBO विक्रम सिंह और विक्रम कौल अपने पद छोड़ने जा रहे हैं. विक्रम सिंह कंपनी में जहां यूपीआई और यूजर ग्रोथ के चीफ बिजनेस ऑफिसर का काम देख रहे थे वहीं ऑनलाइन पेमेंट का काम CBO विपिन कॉल देख रहे थे. ये दोनों कंपनी के साथ लंबे समय से काम कर रहे हैं. पेटीएम पर आरबीआई की कार्रवाई के बाद लगातार इस्तीफों का दौर जारी है.
इन जिम्मेदारियों को देख रहे थे अजय कॉल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पेटीएम के चीफ बिजनेस ऑफिसर अजय कौल इस्तीफा देने से पहले यूपीआई और यूजर ग्रोथ का काम देख रहे थे. ये पेटीएम में उनका दूसरा कार्यकाल था. अजय कौल डिजिटल व्यापार और खुदरा कारोबार का नेतृत्व करने वाली कोर टीम के सदस्यों में से एक है. अजय कौल इससे पहले इंडसइंड बैंक, IDFC First Bank, ICICI Bank, में सीनियर पोजीशन पर काम कर चुके हैं. अजय कौल इससे पहले Xiomi में 2021 में काम कर चुके हैं. अजय को जनवरी 2024 में UPI और यूजर ग्रोथ को संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी. हालांकि पेटीएम की ओर से इन इस्तीफों को लेकर रिस्ट्रक्चरिंग की बात कही जा रही है.
ये भी पढ़ें; Indian Tourist की नाराजगी ने मालदीव को ये कहने पर क्यों कर दिया मजबूर, जानिए पूरी वजह
कंपनी में बड़े पैमाने पर हुई थी रिस्ट्रक्चरिंग
कुछ समय पहले ही पेटीएम में बड़े पैमाने पर रिस्ट्रक्चरिंग की गई थी. इस रिस्ट्रक्चरिंग में राकेश सिंह को पेटीएम मनी का सीईओ बनाया गया था जबकि वरुण श्रीधर को पेटीएम सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड का सीईओ बनाया गया था. पेटीएम मनी और पीएसपीएल दोनों ही कंपनियां पेटीएम की सब्सिडियरी कंपनियां हैं. राकेश सिंह इससे पहले फिक्स्ड में स्टॉक ब्रोकिंग बिजनेस के सीईओ रह चुके हैं. राकेश सिंह इस इंडस्ट्री में 20 सालों से काम कर रहे हैं. राकेश सिंह आईसीआईसीआई और स्टैंडर्ड चार्टड बैंक में भी काम कर चुके हैं.
भावेश गुप्ता ने इस्तीफे ने दिया था झटका
दो दिन पहले पेटीएम के सीओओ भावेश गुप्ता ने भी इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उनका इस्तीफा 31 मई 2024 से प्रभावी होने जा रहा है. भावेश गुप्ता ने इस्तीफे के पीछे व्यक्तिगत कारणों को जिम्मेदार बताया था. इससे पहले जब से आरबीआई ने पेटीएम के खिलाफ कार्रवाई की है तब से कंपनी के लिए संभल पाना बड़ी चुनौती बनी हुई है. एक ओर जहां कंपनी अपने कारोबार को फिर से स्थिर करने पर काम कर रही है वहीं दूसरी ओर लगातार हो रहे ये इस्तीफे उसके लिए परेशानी बने हुए हैं.
भारत से मालदीव जाने वाले लोगों की संख्या में बड़ा अंतर आया है. पिछले साल से जहां 70 हजार से ज्यादा लोग मालदीव गए थे वहीं इस साल इन तीन महीनों में सिर्फ 40 हजार लोग मालदीव गए.
मालदीव के साथ भारत के संबंधों का असर भले ही भारत पर कुछ खास न पड़ा हो लेकिन मालदीव पर इसका गहरा असर पड़ा है. हालत ये हैं कि मालदीव का पर्यटन कारोबार बुरी तरह से चरमरा गया है. हालात ऐसे हो गए हैं कि मालदीव के पर्यटन मंत्री को ये कहना पड़ा कि वो भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है. भारतीय पर्यटकों के विरोध के कारण असर ये हुआ पर्यटकों की संख्या 40 प्रतिशत तक गिर गई है. इतनी बड़ी संख्या में कमी होने के कारण वहां के पर्यटन मंत्री को अपील करने पर मजबूर कर दिया है.
आखिर क्या बोले पर्यटन मंत्री?
मालदीव के पर्यटन मंत्री इब्राहीम फैसल ने कहा कि हम भारत सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि हम भारतीयों का गर्मजोशी से स्वागत करेंगे. उन्होंने भारतीयों से अपील की कि आप लोग मालदीव आएं. उन्होंने ये भी कहा कि हमारी जो अर्थव्यवस्था है उसका मुख्य आधार पर्यटन ही है. दरअसल पिछले साल पीएम मोदी के लक्ष्यद्वीप दौरे के बाद जिस तरह से वहां के तीन मंत्रियों ने उनके खिलाफ बयानबाजी की थी उसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था. हालांकि बाद में वहां की सरकार ने तीनों मंत्रियों को हटा दिया था लेकिन तब तक उनके बयान बड़ा नुकसान कर चुके थे.
ये भी पढ़ें: Microsoft ने इस शहर में खरीदी हजारों एकड़ जमीन, ये करने जा रही है कंपनी
क्या कह रहे हैं पर्यटकों की संख्या के आंकड़े?
दरअसल मालदीव बीते एक दशक में ऐसे पर्यटक स्थल के रूप में उभर कर आया है जहां भारतीय सबसे ज्यादा जाना पसंद करते हैं. लेकिन उस विवाद के बाद से मालदीव जाने वाले पयर्टकों की संख्या में बड़ी कमी आई है. अगर आंकड़ों की तरह देंखें तो जनवरी से लेकर अप्रैल तक इस साल 42638 हजार लोग मालदीव जा चुके हैं. जबकि पिछले साल के इन्हीं महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो वो 73785 हजार लोग मालदीव गए थे. Sun.mv के आंकड़े बता रहे हैं कि इस साल मालदीव जाने वाले यात्रियों की संख्या में 42 प्रतिशत तक कमी आई है.
इस साल अप्रैल में मालदीव को मिली थी बड़ी राहत
इस साल अप्रैल में मालदीव को उस वक्त बड़ी राहत मिली थी जब भारत ने इस साल भी उसे जरूरी सामान की आपूर्ति निर्बाध तरीके से करने की बात कही थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मालदीव के हाईकमीशन की ओर से कहा गया था कि आने वाले दिनों में भारत 1981 से भी ज्यादा सामान मालदीव को देता रहेगा. सबसे बड़ी बात ये है कि मालदीव को भारत चावल, अंडे, आलू, आटा और दाल जैसे जरूरी सामान की सप्लाई करता है. इसमें भारत सरकार की ओर से इस बार 5 प्रतिशत का इजाफा भी किया गया है. भारत पूरी दुनिया में सबसे बड़ा चावल का एक्सपोर्टर है.
व्लादिमीर पुतिन 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बन गए हैं. शपथ लेने के बाद उन्होंने दुनिया से रिश्ते सुधारने की बात कही है.
रूस का राष्ट्रपति कौन है? लगता है इस सवाल का एक ही जवाब रहने वाला है. व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बन गए हैं. मॉस्को के ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस में पुतिन ने केवल 33 शब्दों में राष्ट्रपति पद की शपथ ली. इसके बाद उन्होंने कहा कि रूस दूसरे देशों से अपने रिश्ते मजबूत करेगा. पुतिन ने कहा कि हम उन देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करेंगे, जो हमें दुश्मन समझते हैं. बता दें कि रूस में 15-17 मार्च को हुए चुनाव में व्लादिमीर पुतिन को 88% वोट मिले थे. जबकि उनके विरोधी निकोले खारितोनोव के खाते में महज 4% वोट आए थे.
इन देशों ने बनाए रखी दूरी
व्लादिमीर पुतिन के शपथ ग्रहण समारोह का अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई यूरोपीय देशों ने बहिष्कार किया है. पुतिन वर्ष 2000 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे. इसके बाद वह 2004, 2012 और 2018 में भी राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठ चुके हैं. रूस में तो अब यह माना जाने लगा है कि प्रेसिडेंट की कुर्सी केवल पुतिन के लिए ही बनी है. रूस से सरकार से जुड़ी खबरें अक्सर कम ही बाहर आती हैं. 2012 में यह खबर सामने आई थी कि पुतिन के तीसरे शपथ ग्रहण समारोह पर करीब साढ़े 5 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.
दुनिया के सबसे अमीर राजनेता
रूसी संविधान के अनुसार, कोई भी व्यक्ति लगातार दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता. यही वजह थी कि 8 मई 2008 को पुतिन ने प्रधानमंत्री रह चुके दिमित्री मेदवेदेव को रूस का राष्ट्रपति बनवाया और खुद PM की कुर्सी संभाल ली. इसके बाद नवंबर 2008 में दिमित्री ने संविधान संशोधन कर राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 से बढ़ाकर 6 साल कर दिया. इस लिहाज से देखें, तो वह 2036 तक रूस के राष्ट्रपति रह सकते हैं. फोर्ब्स ने 2013 से लेकर 2016 तक लगातार 4 बार पुतिन को दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स घोषित किया गया था. वह आज भी दुनिया के सबसे अमीर राजनेता हैं.
वेतन केवल इतना, दौलत अकूत
व्लादिमीर पुतिन अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल और लव लाइफ को लेकर हमेशा से चर्चा में रहे हैं. पुतिन भले ही यह दावा करते हैं कि उन्हें 1,40,000 डॉलर का सालाना वेतन मिलता है, लेकिन उनके पास बेशुमार दौलत है. जिस तरह समुंदर की गहराई का सटीक अंदाजा मुश्किल है, वैसे ही उनकी संपत्ति की सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि उनके पास 200 अरब डॉलर से ज्यादा की निजी संपत्ति है. काला सागर के नजदीक उनकी एक हवेली है, जिसे ‘पुतिन का कंट्री कॉटेज’ कहा जाता है. हवेली में 500,000 डॉलर की कीमत वाला डाइनिंग रूम फर्नीचर, 54,000 डॉलर मूल्य की बार टेबल, 850 डॉलर मूल्य वाले इतालवी टॉयलेट ब्रश, 1,250 डॉलर का टॉयलेट पेपर होल्डर है. हवेली की देखरेख के लिए 40 लोगों का स्टाफ है, जिसकी सालाना सैलरी पर ही 20 लाख डॉलर खर्च होते हैं.
ये सब भी है पुतिन के पास
बताया जाता है कि हवेली के अलावा, पुतिन के पास 19 दूसरे घर हैं. वह 700 कारें, 58 प्लेन-हेलीकॉप्टर के साथ-साथ 71.6 करोड़ डॉलर की कीमत वाले एक विमान के भी मालिक हैं, जिसे ‘द फ्लाइंग क्रेमलिन’ नाम दिया गया है. पुतिन के पास एक मेगा यॉट भी है, जिसकी कीमत 70 करोड़ डॉलर है. पिछले साल राष्ट्रपति पुतिन को 22 कोच वाली एक आलीशान ट्रेन में सफर करते देखा गया था. यह ट्रेन पूरी तरह से बुलेटप्रूफ है. इस ट्रेन के अंदर एक शानदार अस्पताल भी मौजूद है. Train के कोच में मौजूद बाथरूम, जिम और सैलून के निर्माण पर ही 33 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. एडवेंचर पसंद पुतिन को महंगी घड़ियों का भी काफी शौक है. उनके पास 60,000 डॉलर से लेकर 5,00,000 डॉलर की कीमत वालीं कई घड़ियां हैं. कहा जाता है कि पुतिन की इन घड़ियों की कीमत ही उनके आधिकारिक सालाना वेतन से छह गुना अधिक है.
पुतिन की तुलना में Biden बेहद गरीब
वहीं, दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश यानी अमेरिका के राष्ट्रपति Joe Biden की संपत्ति पुतिन के मुकाबले कुछ नहीं है. फोर्ब्स के मुताबिक, जब जो बाइडेन ने अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला था, तब उनकी संपत्ति तकरीबन 8 मिलियन डॉलर थी. पिछले साल तक यह बढ़कर 10 मिलियन डॉलर यानी करीब 74 करोड़ रुपए हो गई थी. बाइडेन के पास डेलावेयर में दो घर हैं, जिनकी कुल अनुमानित कीमत 7 मिलियन डॉलर है. सरकारी पेंशन के तौर पर बाइडेन के पास करीब 1 मिलियन डॉलर हैं. उन्होंने बतौर प्रोफेसर 540,000 मिलियन डॉलर कमाए हैं.
डेटासेंटर वो क्षेत्र है जो तेजी से ग्रो कर रहा है. इससे पहले ग्रेटर नोएडा में यूपी सरकार और YOTTO के बीच इस क्षेत्र का सबसे बड़ा सेंटर शुरू हो चुका है.
भारत की तेजी से बढ़ती आर्थिक गतिविधियों के बीच सभी कंपनियां देश में अपना कारोबार बढ़ाने को लेकर काम कर रही हैं. इसी कड़ी में अब दक्षिण के राज्य तेलंगाना के महत्वपूर्ण शहर हैदराबाद में जानी मानी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने कई एकड़ जमीन खरीदी है. कंपनी इस जमीन के साथ वहां डेटा सेंटर की शुरुआत करने जा रही है. माना जा रहा है कि इस इलाके में माइक्रोसाफ्ट का सबसे बड़ा सेंटर होगा. कंपनी इससे पहले भी भारत के कई राज्यों में अपने डेटा सेंटर चला रही है.
कितनी है इस जमीन की कीमत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसाफ्ट ने हैदराबाद में 48 एकड़ जमीन खरीदी है. इस जमीन को कंपनी ने श्री बालाजी डेवलपर्स से खरीदा है. माइक्रोसॉफ्ट ने जमीन खरीदी है उसके लिए उसने 267 करोड़ रुपये चुकाए हैं. कंपनी आने वाले दिनो में यहां दक्षिण भारत का सबसे बड़ा डेटा सेंटर बनाने की तैयारी कर रही है. माइक्रोसॉफ्ट ने जिस जगह पर ये जमीन खरीदी है वो हैदराबाद से 40 किलोमीटर दूर है. कंपनी ने इसके लिए प्रीमियम भी चुकाया है. कंपनी इससे पहले चेन्नई पूणे और मुंबई में अपने डेटा सेंटर की शुरुआत कर चुकी है.
ये भी पढ़ें: NSE के डिविडेंड से मालामाल होने वाले हैं ये कारोबारी, इतने करोड़़ का होने जा रहा है फायदा
इससे पहले पुणे में कर चुकी है निवेश
कंपनी 2022 में इससे पहले पुणे में भी फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज से 328.84 करोड़ की समेकित राशि में 10.89 लाख वर्ग फुट का कमर्शियल प्लॉट खरीद चुकी है. माइक्रोसॉफ्ट ने जो जमीन खरीदी थी वो पुणे के पिंपरी वाघेरे में स्थित है. कंपनी ने इसके लिए 16 करोड़ रुपये से ज्यादा की स्टांप ड्यूटी अदा की थी. सिर्फ पुणे में ही नहीं बल्कि कंपनी 2021 में नोएडा में भी एक कमर्शियल प्लॉट खरीद चुकी है. कंपनी ने नोएडा के सेक्टर 145 में जो जमीन खरीदी थी उसके लिए उसने 103.66 करोड़ रुपये का प्रीमियम अदा किया था. कंपनी ने यहां जो प्लॉट खरीदा था उसका साइज 60 हजार वर्ग मीटर था.
कंपनी इससे पहले 2022 में भी हैदराबाद में खरीद चुकी है जमीन
माइक्रासॉफ्ट इससे पहले 2022 में हैदराबाद में जमीन के तीन सौदे कर चुकी है. इनमें कंपनी ने 40 करोड़ रुपये में 22 एकड़ जमीन खरी थी. ये जमीन कंपनी ने मेकागुड़ा में खरीदी थी. साथ ही 164 करोड़ रुपये में 41 एकड़ शादनगर में खरीद चुकी है. जबकि कंपनी चंदेनवेल्ली में 72 करोड़ रुपये में 52 एकड़ जमीन को हासिल कर चुकी है. कंपनी डेटा सेंटर कारोबार में तेजी से अपने पांव पसार रही है, जिससे इस क्षेत्र की सभी जरुरतों को पूरा कर सके और तेजी से इस क्षेत्र में आगे बढ़ सके.
शेयर बाजार में अब ट्रेडिंग समय को नहीं बढ़ाया जाएगा. NSE के MD & CEO आशीष चौहान ने इस बारे में जानकारी दी है. आगे पूरी डिटेल्स जानते हैं.
सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. कुछ समय पहले एनएसई ने स्टॉक ट्रेडिंग के समय को बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पेश किया था. यह प्रस्ताव के बाद शेयर मार्केट के निवेशक नजर बनाए हुए थे कि सेबी इस प्रस्ताव पर क्या फैसला लेगी. सेबी के फैसले के बारे में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने बताया कि सेबी ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. इसका मतलब है कि स्टॉक ट्रेडिंग का समय नहीं बढ़ाया गया है.
किस वजह से खारिज हुआ प्रस्ताव
एनालिस्ट कॉल के समय NSE के सीईओ ने बताया कि ट्रेडिंग समय को बढ़ाने पर ब्रोकर कम्यूनिटी से सहमति नहीं मिली है. इस वजह से SEBI ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. ट्रेडिंग के समय बढ़ाने के लिए एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंम्बर्स ऑफ इंडिया (ANMI) से मंजूरी मिल गई थी. ANMI पहले से ही ट्रेडिंग समय को बढ़ाना चाहता था. वहीं ब्रोकर्स इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स फोरम (ISF) भी इस प्रस्ताव के लिए सेबी को फॉर्मल लेटर लिखेगा.
क्या था एनएसई का प्रस्ताव?
पिछले साल सितंबर में सामने आया था कि कैश मार्केट में ट्रेडिंग ऑवर्स बढ़ाने के NSE के प्रस्ताव पर SEBI विचार कर रहा है. इस प्रस्ताव के तहत चरणबद्ध तरीके ट्रेडिंग के घंटे बढ़ाने की योजना थी. शुरुआती चरण में इंडेक्स F&O की एक्स्ट्रा टाइमिंग 6 बजे शाम से रात 9 बजे तक करने की थी और दूसरे चरण के तहत इसे आधी रात 11:30 तक ले जाने की थी. इसके बाद तीसरे यानी आखिरी चरण में कैश मार्केट ट्रेडिंग ऑवर्स को बढ़ाकर 5 बजे शाम तक करने की थी. अब इस प्रस्ताव को SEBI ने खारिज कर दिया है लेकिन NSE के सीईओ का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि स्टॉक ब्रोकर्स ने इसे लेकर सेबी को अपना फीडबैक नहीं भेजा था.
डेरिवेटिव ट्रेडर्स ने किया था विरोध
डेरिवेटिव व्यापारियों ने आशंका व्यक्त की थी कि उनके कामकाज का संतुलन खराब हो सकता है हालांकि कुछ ब्रोकरों ने ट्रेडिंग घंटों को बढ़ाने के लिए खुले तौर पर मंजूरी दे दी थी जबकि अन्य अपने कम बैंडविड्थ को लेकर चिंतित थे. हालांकि लंबे व्यापारिक घंटों का मतलब वॉल्यूम में वृद्धि के कारण एक्सचेंजों के लिए अधिक रेवेन्यू है.
NSE ने हाल ही में जारी किए नतीजे
बताते चलें कि NSE ने हाल ही में कारोबारी साल 2024 की मार्च तिमाही के नतीजे जारी किए थे. पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले NSE के मुनाफे में 55% की बढ़ोतर दिखी है. इस दौरान NSE का ऑपरेटिंग आय सालाना आधार पर 34% बढ़कर ₹4,625 करोड़ रही. एक्सचेंज हर शेयर के बदले 4 बोनस शेयर भी जारी करेगा. नतीजों के साथ ही एक्सचेंज ने ₹90 प्रति शेयर के भाव पर डिविडेंड देने का भी एलान किया है.
NSE के मुनाफे पर नजर डालें तो ऑपरेशनल कॉस्ट के बढ़ने के बावजूद एक्सचेंज ने बड़ा मुनाफा कमाया है. एक्सचेंज ने सरकार को भी बड़ी कमाई करके दी है.
जब कभी भी किसी बड़ी कंपनी के नतीजे आते हैं और वो डिविडेंड का ऐलान करती है तो उसमें बड़े पैमाने पर निवेश करने वालों की बल्ले बल्ले हो जाती है. इसी कड़ी में कुछ दिन पहले एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) ने नतीजे जारी करते हुए 90 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड देने का ऐलान किया था. इस खबर के आने के बाद देश के बड़े कारोबारियों में एक डीमार्ट कंपनी के मालिक राधाकृष्ण दमानी की बल्ले बल्ले हो गई है. दमानी ने इस कंपनी में बड़ी रकम लगाई है जिसके बाद उन्हें डिविडेंड से करोड़ों रुपये की रकम मिलने वाली है.
दमानी ने आखिर कितना किया है निवेश?
राधाकृष्ण दमानी ने एनएसई में बड़ा निवेश किया है. राधाकृष्ण दमानी ने डी मार्ट में 7816880 इक्विटी शेयर हैं. एन्एसई ने एक शेयर पर 90 रुपये का डिविडेंड देने का ऐलान किया है. साथ ही एक शेयर पर 4 बोनस शेयर देने की भी बात कही है. इस अनुसार, राधा कृष्ण दमानी का कुल मुनाफा 70 करोड़ रुपये से ज्यादा बन रहा है. साथ ही उनके शेयरों की संख्या 4 गुना तक बढ़ जाएगी.
ये भी पढ़ें: आखिर ऐसा क्या है ईशा अंबानी के इस साड़ी गाउन में जिसे बनाने में लग गए 10 हजार घंटे
इसे कहते हैं दोहरा फायदा
जैसे ही एनएसई ने ये ऐलान किया और दमानी को फायदा होने की बात सामने आई उसके बाद उनकी कंपनी के शेयरों में आज तेजी देखने को मिल रही है. डीमार्ट के शेयरों में आज 51 अंकों का उछाल देखने को मिल रहा है और कंपनी के शेयर 4652 रुपये पर कारोबार कर रहे हैं. अगर पिछले पांच दिनों में शेयर की स्थिति पर नजर डालें तो शेयर ने अच्छी तेजी देखी है. पांच दिन पहले शेयर 4586 रुपये पर ट्रेड कर रहा था. इस शेयर का 52 हफ्तों का हाई 4890 रुपये है तो वहीं 52 हफ्तों का लो 3352 रुपये है.
एनएसई को इतना हुआ है मुनाफा
क्या कह रहे हैं एक्सचेंज की आय के आंकड़े?
एनएसई की कुल ऑपरेशनल आय मार्च 2024 तिमाही में 34 प्रतिशत बढ़कर 4625 करोड़ रुपये रही है. वहीं एनएसई के स्टैंड अलोन मुनाफे पर नजर डालें तो वो 1856 करोड़ रुपये रहा है. वहीं स्टैंडअलोन ऑपरेशनल इनकम मार्च तिमाही में 25 प्रतिशत बढ़कर 4123 करोड़ रुपये रही. वहीं मार्च 2023 की तिमाही पर नजर डालें तो ये 3295 करोड़ रुपये थी. एनएसई ने वित्त वर्ष 2024 के दौरान अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस से सरकार को भी खूब कमाई करके दी है. एनएसई ने सरकार को कुल 43514 करोड़ रुपये कमाकर दिए हैं,
मॉरीशस (Mauritius) से पहले भारत ने तंजानिया, जिबूती और गिनी-बिसाऊ सहित कुछ अफ्रीकी देशों को चावल के निर्यात ( Export) की अनुमति दी है.
भारत में करीब 11 महीने से चावल के निर्यात (Export) पर प्रतिबंध लगा हुआ है. उसके बाद भी इस दौरान करीब आधा दर्ज से ज्यादा देशों को चावल भेजने की अनुमति दी गई है. वहीं, अब इस सूची में मॉरीशस (Mauritius) का नाम भी जुड़ गया है. भारत ने मॉरीशस को भी चावल निर्यात करने की मंजूरी दे दी है. ऐसे में ये किसानों के लिए भी एक बड़ी खुशखबरी है. तो चलिए जानते हैं भारत से मॉरीशस कितना और कौन-सा चावल जा रहा है?
14 हजार टन चावल होगा एक्सपोर्ट
सरकार की ओर से मॉरीशस को चावल निर्यात करने को लेकर एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक नोटिफिकेशन में कहा कि राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL) के माध्यम से मॉरीशस को 14,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात किए जाने की अनुमति दी गई है. आपको बता दें, एनसीईएल (NCEL) कई राज्यों में सक्रिय एक सहकारी समिति है. इसे देश की कुछ प्रमुख सहकारी समितियों अमूल (Amul), इफको (IFFCO), कृभको और नैफेड (NAFED) के जरिये संयुक्त रूप से बढ़ावा दिया जाता है.
क्यों लगा था प्रतिबंध?
सरकार ने घरेलू जरुरतों को पूरा करने के लिए जुलाई 2023 महीने से चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. वहीं, अब ये प्रतिबंध हटा दिया गया है. सरकार ने घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए 20 जुलाई, 2023 से ही गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. लेकिन कुछ देशों को अनुरोध पर उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतें पूरा करने के लिए सरकार निर्यात की अनुमति देती है. इस फैसले के बाद किसानों को भी काफी लाभ होगा, चावल निर्यात होने से उनकी भी खूब कमाई होगी.
इन देशों में भी गया गैर-बासमती सफेद चावल
भारत ने तंजानिया, जिबूती और गिनी-बिसाऊ सहित कुछ अफ्रीकी देशों को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दी है. इसके अलावा नेपाल, कैमरून, कोटे डि-आइवरी, गिनी, मलेशिया, फिलिपीन और सेशेल्स जैसे देशों को भी इस चावल के निर्यात की अनुमति दी गई थी.