नए साल में तकनीकी कंपनियों में छंटनी का रिकॉर्ड है, सभी की निगाहें अब तिमाही नतीजों पर

17,000 से अधिक तकनीकी कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया था.

Last Modified:
Saturday, 07 January, 2023
Lay Off BW

नई दिल्लीः तकनीकी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए नए साल की शुरुआत खराब रही क्योंकि ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी अमेजन और एंटरप्राइज-सॉफ्टवेयर कंपनी सेल्सफोर्स ने मिलकर 25,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी करने की घोषणा की. लेऑफ ट्रैकिंग वेबसाइट Layoffs.fyi के अनुसार टेक कंपनियों ने 1 जनवरी से 5 जनवरी की अवधि में वैश्विक स्तर पर 28,096 कर्मचारियों को बर्खास्त किया है.

पिछले साल दिसंबर में 17,000 से अधिक तकनीकी कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया था (छुट्टियों का मौसम कम संख्या के कारणों में से एक हो सकता है). इससे पता चलता है कि 2023 तकनीक जगत के इतिहास का सबसे खराब साल बन सकता है.

महामारी की शुरुआत के बाद से नौकरी के नुकसान पर नजर रखने वाले Layoffs.fyi के अनुसार, 2022 में कंपनियों के नेतृत्व में 153,110 श्रमिकों को जाने दिया गया. Meta, Twitter, Oracle, Nvidia, Snap, Uber, Spotify और Intel और Salesforce जैसी कंपनियां शामिल थीं.

छंटनी की संख्या नवंबर में अपने निचले स्तर पर पहुंच गई, जिसमें 51,489 तकनीकी कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी.

गूगल भी कर सकता है छंटनी

Google एक बड़ी टेक कंपनी है जिसने कर्मचारियों को डेट पर जाने से परहेज किया है. हालांकि, खोज दिग्गज को 2023 की शुरुआत में अपने हेडकाउंट को कम करने के लिए कठोर कदम उठाने की उम्मीद है. द इनफॉर्मेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, "पर्याप्त प्रभाव नहीं होने" के कारण लगभग 6 प्रतिशत Google कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा सकता है. 2023 में Google में11,000 से अधिक कर्मचारी अपनी नौकरी खो सकते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, "एक नई प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली अगले साल की शुरुआत में Google प्रबंधकों को खराब प्रदर्शन करने वाले हजारों कर्मचारियों को बाहर निकालने में मदद कर सकती है. प्रबंधक उन्हें बोनस और स्टॉक अनुदान देने से बचने के लिए रेटिंग का उपयोग भी कर सकते हैं।"

नई प्रणाली के तहत, प्रबंधकों को व्यवसाय के लिए उनके प्रभाव के संदर्भ में 6 प्रतिशत कर्मचारियों, या लगभग 11,000 लोगों को कम प्रदर्शन करने वालों के रूप में वर्गीकृत करने के लिए कहा गया है. अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का लक्ष्य नौकरी में कटौती की ओर इशारा करते हुए अल्फाबेट को 20 प्रतिशत अधिक कुशल बनाना है।

पिचाई ने कहा था कि कंपनी "अभी भी क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी लंबी अवधि की परियोजनाओं में निवेश कर रही है. लेकिन स्मार्ट होना, मितव्ययी होना और अधिक कुशल होना महत्वपूर्ण है".

माइक्रोसॉफ्ट निकालेगा 1100 कर्मचारी

पिछले साल अक्टूबर में सामने आई खबरों के मुताबिक, टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने कंपनी के कई डिवीजनों में लगभग 1,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. कटौती विभिन्न स्तरों, टीमों और दुनिया के कुछ हिस्सों में हुई. टेक दिग्गज ने यह कहने से इनकार कर दिया कि कितनी नौकरियों में कटौती की गई है, लेकिन रिपोर्ट्स में कहा गया है कि छंटनी 1,000 से कम थी।

नडेला ने सीएनबीसीटीवी18 से कहा, "अगले दो साल शायद सबसे चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं." रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया है, "दुनिया के बड़े हिस्से में वास्तविक मंदी है और इसलिए आगे बढ़ने और मंदी के संयोजन का मतलब है कि हमें समायोजित करना होगा."

ऐप्पल भी पीछे नहीं

इस बीच, 2021 की शुरुआत के बाद पहली बार, Apple का मार्केट कैप पिछले हफ्ते ट्रेडिंग के दौरान 2 ट्रिलियन डॉलर से नीचे गिर गया. गिरावट का मतलब था कि सिर्फ एक साल में, टेक जायंट ने बाजार पूंजीकरण में $1 ट्रिलियन खो दिए.

कई अन्य टेक कंपनियों की तरह, कोविड उथल-पुथल के बीच चीन में आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों पर ऐप्पल को झटका लगा है, जो झेंग्झौ के केंद्रीय शहर में इसके मुख्य आपूर्तिकर्ता फॉक्सकॉन की प्रमुख सुविधा पर परिचालन को प्रभावित करता है.

हालांकि, फॉक्सकॉन की सबसे बड़ी आईफोन निर्माण सुविधा धीरे-धीरे ठीक हो रही है और उत्पादन पिछले सप्ताह की रिपोर्ट के अनुसार अधिकतम क्षमता का लगभग 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है. Apple ने आज तक किसी भी नौकरी में कटौती की घोषणा या संकेत नहीं किया है.

सभी की निगाहें अब बिग टेक के तिमाही नतीजों पर टिकी हैं जो इस महीने के अंत में सामने आएंगे, जिससे यह साफ हो जाएगा कि मंदी के दौर में कौन सी कंपनी कर्मचारियों की संख्या कम करने वाली है.

VIDEO: जानिए किस Company की Car हुई Crash test में fail

 


आखिर क्‍या होती है जेंडर इलनेस और जेंडर फ्लूडिटी,क्‍यों इसे लेकर LinkedIn पर भड़के Ola CEO

दरअसल जेंडर आईडेंडिटी से जुड़े इस मामले को लेकर भाविश अग्रवाल ने कहा कि हमारी संस्‍कृति में सभी को सम्‍मान देने की परंपरा है इसलिए ये जहां से आई है वहीं वापस भेज दी जाए. 

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

ओला सीईओ के लिंक्‍डिन पर उनके एक पोस्‍ट को हटाए जाने को लेकर बुरी तरह से भड़क गए. दरअसल ये पूरा मामला क्‍या है ये तो हम आपको आगे बताएंगे लेकिन उनके एक पोस्‍ट ने जेंडर इलनेस और जेंडर फ्लूडिटी पर लोगों की दिलचस्‍पी बढ़ा दी है. आज अपनी इस स्‍टोरी में हम आपको यही बताने जा रहे हैं क‍ि आखिर ये किस चिडि़या का नाम है. 

सबसे पहले समझिए आखिर क्‍या है ये पूरा मामला 
दरअसल एआई पर जब भाविश अग्रवाल ने ये पूछा कि आखिर वो कौन हैं. इस पर एआई की ओर से जो जवाब दिया गया उसमें उनके लिए He, She का इस्‍तेमाल करने की बजाए They, Their और Them का इस्‍तेमाल किया गया था. इसी पर भाविश अग्रवाल बिगड़ गए और उन्‍होंने लिंक्डिन पर एक पोस्‍ट लिखा. भाविश अग्रवाल लिखते हैं कि ‘डियर लिंक्डइन मेरी यह पोस्ट आपके एआई द्वारा भारतीय उपयोगकर्ताओं पर एक राजनीतिक विचारधारा थोपने के बारे में थी जो असुरक्षित, भयावह है.’ आपमें से अमीर लोग मेरी पोस्ट को असुरक्षित कहते हैं! यही कारण है कि हमें भारत में अपनी तकनीक और एआई बनाने की जरूरत है. अन्यथा हम दूसरों के राजनीतिक उद्देश्यों के मोहरे मात्र बनकर रह जायेंगे. 

ये भी पढ़ें: 30 सीटों पर बड़ा असर दिखा पाएगी केजरीवाल की रिहाई? इन राज्‍यों में बदल सकता है समीकरण

लिंक्‍डिन ने इस पोस्‍ट को हटा दिया
ओला सीईओ के इस पोस्‍ट को करने के बाद लिंक्डिन ने इसे अपने नियमों के विपरीत बताकर हटा दिया, जिसके भाविश भड़क गए. आगे भाविश कहते हैं कि भारत में अभी ज्‍यादातर लोगों को प्रोनाउस इलनेस की पॉलिटिक्‍स के बारे में जानकारी नहीं है. लोग ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्‍योंकि मल्‍टीनेशनल कंपनियों में उनसे ऐसी उम्‍मीद की जा रही है. बेहतर है कि इस बीमारी को वहीं वापस भेज दिया जाए जहां से ये आई है. हमारी संस्‍कृति में हमेशा सभी के लिए सम्‍मान रहा है. हमें किसी नए प्रोनाउन की जरूरत नहीं है. 

अब जानिए क्‍या होता है जेंडर इलनेस और जेंडर फ्लूडिटी? 
जेंडर इलनेस एक शब्द है जो मनुष्य के लिंग (जेंडर) और उनकी सामाजिक और मानसिक भावनाओं (इलनेस) को दर्शाता है. यह एक प्रकार की सामाजिक और प्राथमिकताओं की रूपरेखा हो सकती है जो व्यक्ति की व्यक्तित्व, विशेषताएँ और उनके अनुभवों को दिखाती है. यह शब्द अक्सर लिंग, जैसे कि पुरुष, महिला, और तृतीय लिंग के बाहर उनकी लिंगीय भावनाओं, भौगोलिक और सामाजिक भूमिकाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

जेंडर फ्लूडिटी क्‍या होती है 
‘जेंडर फ्लूडिटी’ एक समाजशास्त्रिक और मनोविज्ञानिक शब्द है जो व्यक्ति की जेंडर भूमिकाओं और भावनाओं के बारे में बताता है. यह शब्द विभिन्न संदर्भों में प्रयोग किया जाता है, जैसे समाज में किसी की लिंग पहचान, व्यक्तित्व, और व्यवहार में विविधता और परिवर्तन को समझने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जाता है.  जेंडर फ्लूडिटी का अर्थ होता है कि व्यक्ति की जेंडर भूमिका या भावनाएँ न केवल एक ही स्थिति में स्थिर रहती हैं, बल्कि उनमें स्थिरता की बजाय परिवर्तन होता रहता है। यह व्यक्ति के अनुभवों, भावनाओं, और पहचान की विविधता को समझने का एक मानक हो सकता है.


 


आपकी सेहत से खिलवाड़ और नहीं! अब चिप्स में पाम ऑयल का इस्तेमाल होगा बंद

पेप्सिको अमेरिका में हार्ट हेल्दी ऑयल का इस्तेमाल स्नैक्स बनाने में काम करती है, लेकिन भारत में सस्ते पॉम ऑयल से प्रोडक्ट्स बनाती है.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

लेज चिप्स (Lay's Chips) बनाने वाली कंपनी पेप्सिको ने अपने चिप्स में पाम ऑयल का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया है. पेप्सिको ने भारत में बिकने वाले लेज चिप्स में पाम तेल एवं पामोलीन की जगह सूरजमुखी और पामोलीन के मिक्सचर का ट्रायल शुरू कर दिया है. कंपनी ने यह फैसला भारत में पैकेज्ड फूड में अनहेल्दी मानी जानी वाले सस्ती सामग्री के इस्तेमाल पर आलोचना के बाद लिया है. पेप्सिको फिलहाल भारत में लेज ब्रांड नाम से बिकने वाली चिप्स में पाम तेल और पामोलीन के मिक्सचर का इस्तेमाल करती है.

सूरजमुखी तेल का होगा इस्तेमाल

आलोचना के बाद पेप्सिको इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, हमने लेज चिप्स में पाम तेल और पामोलीन की जगह सूरजमुखी एवं पामोलीन के मिक्सचर के इस्तेमाल का ट्रायल एक साल पहले शुरू कर दिया है. आने वाले समय में भारत में भी सूरजमुखी एवं पामोलीन के मिक्सचर में पकाए चिप्स का ही इस्तेमाल होगा. साथ ही कहा, हम भारत में अपने स्नैक्स में नमक की मात्रा को 1.3 मिलीग्राम सोडियम प्रति कैलोरी से भी कम करने पर काम कर रहे हैं.

क्या Apple से विदा होने वाले हैं Tim Cook, कौन संभालेगा कंपनी की कमान?

अमेरिका में हार्ट हेल्दी ऑयल का इस्तेमाल

एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में प्रमुख स्नैक्स और पेय पदार्थ निर्माता पेप्सिको अपने लेज चिप्स के लिए सूरजमुखी, मक्का और कैनोला तेल जैसे तेलों का उपयोग करती है जो हार्ट के लिए नुकसानदेह नहीं होते. अपनी अमेरिकी वेबसाइट पर कंपनी कहती है कि हमारे चिप्स ऐसे तेलों में पकाए जाते हैं जिन्हें दिल के लिए स्वस्थ माना जा सकता है. 

भारत में धड़ल्ले से हो रहा है पॉम ऑयल का इस्तेमाल

भारत में तमाम फूड ब्रैंड्स, चाहे वे साल्टी स्नैक्स, बिस्किट, चॉकलेट, नूडल्स, ब्रेड्स या आइसक्रीम समेत अन्य खाद्य पदार्थों के हों, इनमें पॉम ऑयल का जबरदस्त इस्तेमाल होता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा पाम आयातक देश है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2022 में दुनिया का 23% पॉम ऑयल भारत ने आयात किया, जबकि दूसरे नंबर पर चीन (11.4%), तीसरे पर पाकिस्तान (7.47%) और चौथे पर अमेरिका (4.75%) है. भारत पाम ऑयल इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से आयात करता है.
 


क्या है शेयर मार्केट को डुबोने वाला इंडिया VIX, इससे क्यों डर रहे निवेशक?

वॉलिटिलिटी इंडेक्स (India VIX) के लगातार बढ़ने से निवेशकों में डर बैठ रहा है, क्योंकि छोटे निवेशक मार्केट का उतार चढ़ाव नहीं देखना चाहते.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

शेयर मार्केट में लगातार आ रही गिरावट से निवेशक कुछ परेशान हो गए हैं.  हालांकि यह गिरावट हाई लेवल से प्रॉफिट बुकिंग और फ्रेश बिक्री दोनों को मिलाकर हुई है और डाउन सपोर्ट लेवल पर बाजार में खरीदारी नहीं आई, इसीलिए निफ्टी ने गुरुवार को 22000 के लेवल से नीचे जाकर क्लोज़ किया. वहीं, शुक्रवार को निफ्टी 22,055.20 पर क्लोज हुआ. 

क्या है वॉलिटिलिटी इंडेक्स?
इंडिया VIX के लगातार बढ़ने से निवेशकों में डर बैठ रहा है, क्योंकि छोटे निवेशक मार्केट का उतार चढ़ाव नहीं देखना चाहते. हालांकि बढ़ी हुई वॉलिटिलिटी में कुछ स्टॉक अच्छे भाव पर कैच करने वाले निवेशक भी बाजार में हैं.  आपको बता दें, एनएसई (NSE) ने शॉर्ट-टर्म मार्केट अस्थिरता और स्विंग के बारे में इंवेस्टर की अपेक्षाओं को ट्रैक करने के लिए 2003 में इंडिया वोलेटिलिटी इंडिकेटर (VIX) डेवलप किया. अस्थिरता इंडेक्स का इस्तेमाल मार्केट की अस्थिरता की अपेक्षाओं को निर्धारित करने के लिए किया जाता है. अस्थिरता "कीमतों में उतार-चढ़ाव की दर और परिवर्तन" को मापती है, जिसे वित्तीय बाजारों में "जोखिम" भी कहा जाता है. एक बढ़ता अस्थिरता इंडेक्स दर्शाता है कि बाजार कितना अस्थिर है और यह कितनी बार ऊपर और नीचे चलता है. इसके अतिरिक्त जैसा कि बाजार की स्थिति स्थिर और कम अस्थिर हो जाती है, अस्थिरता सूचकांक कम हो जाता है. इस इंडेक्स के अनुसार इन्वेस्टर अगले 30 दिनों में मार्केट परफॉर्म करने की अपेक्षा करते हैं.

इसकी गणना कैसे होती है?
अस्थिरता सूचकांक के रूप में भी जाना जाने वाला इंडिया VIX की गणना इंडेक्स विकल्पों की ऑर्डर बुक्स को देखकर और इसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त करके की जाती है. दूसरी ओर, मूल्य सूचकांक, स्टॉक की कीमत के मूवमेंट पर विचार करता है. इंडिया VIX की गणना ब्लैक और स्कोल मॉडल का उपयोग करके की जाती है, जिसे ब्लैक और स्कोल मॉडल भी कहा जाता है. भारत VIX की गणना करने के लिए, एनएसई के भविष्य और विकल्पों (F&O) के बाजार से कोटेशन का उपयोग किया जाता है.

लॉन्ग टर्म इंवेस्टर के लिए खरीदी का मौका
मार्केट के बारे में कहा जाता है कि जब बाजार में दूसरे लोग डरने लगें तो आप खरीदिये और जब दूसरे मार्केट में लालच करने लगें तो आपको बेचना चाहिए. बाजार के एक्सपर्ट्स ने कहा कि बढ़ी हुई वॉलिटिलिटी की यह अवधि शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव वाली है, जो लॉन्ग टर्म इंवेस्टर को खरीदारी के मौके देती है.

इसे भी पढ़ें-दिव्यांगों को सशक्त कर रहा Amazon का ये प्रोग्राम, 700 लोकेशन पर मिल रही ट्रेनिंग

बाजार पर चुनाव का दबाव
एक्सपर्ट्स के अनुसार लोकसभा चुनाव नतीजों पर अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण बाजार दबाव में है. इंडिया VIX (वॉलिटिलिटी इंडेक्स) अप्रैल के न्यूनतम स्तर से लगभग 80 प्रतिशत उछल गया है.

9 महीने के निचले स्तर के बाद मारी उछाल
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंडिया VIX स्पाइक बताता है कि हाई वॉलिटिलिटी कुछ समय तक बनी रहेगी. स्पाइक ऑप्शन ट्रेड की बढ़ती मात्रा के कारण है. कई निवेशक चुनाव परिणाम को लेकर अप्रत्याशित स्थिति में अपने पोर्टफोलियो की सुरक्षा के लिए पुट ऑप्शन खरीद रहे हैं. इंडिया VIX 23 अप्रैल को नौ महीने के निचले स्तर 10.2 से शुक्रवार 10 मई को 18.47 पर पहुंच गया. अक्टूबर 2022 के बाद इंडिया VIX का यह हाईएस्ट नंबर है


क्या Apple से विदा होने वाले हैं Tim Cook, कौन संभालेगा कंपनी की कमान?

एपल आज सफलता की जिस ऊंचाई पर खड़ी है, उसमें कंपनी के सीईओ टिम कुक का अहम योगदान है.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

आईफोन (iPhone) बनाने वाली कंपनी एपल (Apple) की लीडरशिप में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. दरअसल, कंपनी के सीईओ टिम कुक (Tim Cook) इस साल 64 साल के हो जाएंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि वह जल्द ही रिटायरमेंट ले सकते हैं. यदि ऐसा होता है, तो टिम कुक की जगह कंपनी की कमान कौन संभालेगा, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है. लेकिन मीडिया में नए एपल सीईओ के तौर पर जॉन टर्नस (John Ternus) की चर्चा जरूर शुरू हो गई है.

सीधे कुक को रिपोर्ट करते हैं टर्नस 
वैसे, एपल के मौजूदा चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर जेफ विलियम्स का नाम भी अगले सीईओ की दौड़ में शामिल बताया जा रहा है, लेकिन चर्चा सबसे ज्यादा जॉन टर्नस की है. टर्नस एपल के हार्डवेयर इंजीनियरिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने आईफोन, आईपैड, एयरपॉड जैसे कंपनी के कई उत्पादों बनाने में अहम योगदान दिया है. टर्नस सीधे टिम कुक को रिपोर्ट करते हैं. वह साल 2001 में एपल का हिस्सा बने थे. 

अभी निभा रहे हैं ये जिम्मेदारी
जॉन टर्नस ने प्रोडक्ट डिजाइन टीम के सदस्य के रूप पर Apple में अपने करियर की शुरुआत की थी और 2013 से वह कंपनी की हार्डवेयर इंजीनियरिंग के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उनके नेतृत्व में ही आईपैड के विभिन्न मॉडल्स, मौजूदा आईफोन सीरीज और एयरपॉड का उत्पादन हुआ है. टर्नस एपल से जुड़ने से पहले वर्चुअल रिसर्च सिस्टम नामक कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर के तौर पर काम कर चुके हैं. उनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है. 

इसलिए टर्नस की दावेदारी है मजबूत
जॉन टर्नस के अलावा, जेफ विलियम्स, एपल के सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के उपाध्यक्ष क्रेग फेडरीगी, रिटेल उपाध्यक्ष डेरड्रे ओ ब्रायन, डैन रिकियो और फिल शीलर भी टिम कुक की कुर्सी पर बैठने की दौड़ में शामिल हैं. हालांकि, टर्नस का दावा इसलिए मजबूत माना जा रहा है, क्योंकि वह लंबे समय से एपल के साथ जुड़े हैं और उन्हें मौजूदा सीईओ टिम कुक का करीबी माना जाता है. बता दें कि टिम कुक Apple के लिए लकी रही हैं, उनकी लीडरशिप में कंपनी का मार्केट कैप 2.83 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया है. 

ऐसे सीईओ की कुर्सी तक पहुंचे थे कुक
टिम कुक ने 1998 में Apple ज्वाइन की थी. ये वो दौर था जब कंपनी मुश्किल आर्थिक हालातों का सामना कर रही थी. 2000 में कुक को Apple के सेल्स और मैनेजमेंट विभाग का वाइस प्रसिडेंट बनाया गया. 2004 में उन्होंने मैकिन्टोश डिवीजन के अंतरिम सीईओ की जिम्मेदारी संभाली और 2009 में जब स्टीव जॉब्स खराब सेहत के चलते छुट्टी पर गए, तो कुक को अंतरिम सीईओ बनाने की घोषणा की गई. अगस्त 2011 में स्टीव जॉब्स के निधन के बाद टिम को Apple का सीईओ बनाया गया और इस दौरान उन्होंने कंपनियों को सफलता के नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. 


दिव्यांगों को सशक्त कर रहा Amazon का ये प्रोग्राम, 700 लोकेशन पर मिल रही ट्रेनिंग

भारत में दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon) दिव्यांग लोगों को ट्रेनिंग देकर, उन्हें रोजगार दिलाने की दिशा में काम कर रही है.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

अब बड़ी बड़ी कंपनियां दिव्यांग (People With Disabilies) उम्मीदवारों की डिमांड कर रही हैं. वहीं, कंपनियां जितनी डिमांड कर रही हैं, उसकी तुलना में कैंडिडेट्स नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन भारत में दिव्यांग लोगों को ट्रेनिंग देकर, उन्हें नौकरी दिलाने के लिए तेजी से काम कर रहा है. 

700 लोकेशन पर चल रहा प्रोग्राम
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेजन देशभर में 700 से अधिक लोकेशन पर ये ग्लोबल रिसोर्स सेंटर (GRC) के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रहा है, जिनमें से 500 लोकेशन गांव में है. गुरुग्राम स्थित ग्लोबल रिसोर्स सेंटर (GRC) में देश के 20 अलग-अलग राज्यों के बच्चों को ट्रेंड किया जा रहा है. 

रोजगारार्थी ऐप के जरिए रोजगार का मौका
जीआरसी मूक-बधिर, नेत्रहीन और लोकोमोटर विकलांगता वाले छात्रों की सेवा करता है. वहां अमेजन की टेक टीम छात्रों को इस तरीके से ट्रेंड करती है, जिससे उन्हें नौकरी करने का अवसर मिल सके. प्रतिभागियों को अंग्रेजी भाषा से लैस करती है, मोबाइल डिवाइस प्रदान करती है और 20,000 रुपये तक का मासिक वेतन भी प्रदान करती है और साथ में यात्रा और आवास में मदद करती है. रोजगारार्थी ऐप इस कार्यक्रम का एक प्रमुख हिस्सा है और पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों को अमेजन और अन्य संगठनों में रोजगार के अवसरों से जोड़ता है. 

एक बच्चे को तैयार करने में कितना आता है खर्च?
एक बच्चे की ट्रेंनिंग में करीब 16,500 रुपये का खर्च आता है. अभी तक 70 हजार से अधिक बच्चों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. अमेजन का लक्ष्य हर साल 7 हजार नए बच्चों को ट्रेंड करना है.

सरकार भी कर रही मदद
अमेजन ने कहा है कि अब कंपनियां पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों की डिमांड कर रही हैं, लेकिन उस संख्या में ट्रेंड बच्चे अभी नहीं हैं. यानी अगर बच्चे ट्रेंड हो जाते हैं, तो उन्हें रोजगार से जुड़े मौकों की कमी नहीं होती है. इसमें सरकार योजनाओं से भी आर्थिक मदद मिलती है, जिससे बच्चों को अलग-अलग डिवाइस खरीद कर दिया जाता है.

इसे भी पढ़ें-इन दो राज्यों में 3 दिन बंद रहेंगे स्कूल, छात्रों को गर्मी के कहर से मिलेगी राहत


ऐसा क्या हुआ कि Asian Paints में घट गई ब्रोकरेज की दिलचस्पी, आपके लिए क्या हैं संकेत? 

एशियन पेंट्स के शेयर आज उछाल के साथ कारोबार कर रहे है. इस साल अब तक स्टॉक 18% से ज्यादा लुढ़क चुका है.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

एशियन पेंट्स (Asian Paints) ने हाल ही में अपने मार्च 2024 तिमाही के वित्तीय परिणाम घोषित किए हैं. ये परिणाम वैसे नहीं रहे, जैसी उम्मीद की जा रही थी. लिहाजा, ब्रोकरेज फर्म्स में एशियन पेंट्स के शेयरों को लेकर कोई खास दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने इस शेयर के लिए 'सेल' और 'न्यूट्रल' रेटिंग को बरकरार रखा है. हालांकि, यह बात अलग है कि एशियन पेंट्स का मुनाफा बढ़ा है. मार्च 2024 तिमाही में कंपनी का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 1,275.3 करोड़ रुपए रहा, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 1258.41 करोड़ था. जबकि तिमाही के दौरान ऑपरेशंस से कंसोलिडेटेड रिवेन्यु सालाना आधार पर 0.64 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 8,730.76 करोड़ रुपये रहा है.

इस वजह से बिगड़ेगा खेल
इसी तरह, कंपनी का EBITDA मार्जिन सालाना आधार पर 170BPS 21.1% रह गया है. हालांकि, कंपनी को ग्रामीण बाजारों में तेजी दिखाई दे रही है और उसे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (Q1FY25) उसके लिए अच्छी जाएगी. एक रिपोर्ट में ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर के हवाले से बताया गया है कि पेंट्स कारोबार में ग्रासिम इंडस्ट्रीज की एंट्री से एशियन पेंट्स के लिए निकट अवधि में संभावनाएं कमजोर बनी हुई हैं. वहीं, मोतीलाल ओसवाल का मानना है पेंट्स कैटेगरी में ग्राहकों की वफादारी बड़ी भूमिका निभाती है. एशियन पेंट्स के पास चैनल और उपभोक्ता दोनों स्तरों पर एक मजबूत ब्रैंड रिकॉल है.

ये भी पढ़ें - आईपीओ से पहले ही इस कंपनी ने कोहली को दिया 'विराट' रिटर्न, अनुष्का भी झूमीं

इतना है Target Price
अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज कंपनी Citi ने एशियन पेंट्स के शेयर के लिए 2600 रुपए के Target Price के साथ 'सेल' कॉल बरकरार रखी है. इसी तरह, CLSA ने भी 'सेल' कॉल बरकरार रखते हुए इसके Target Price को 2,410 रुपए से घटाकर 2,337 रुपए प्रति शेयर कर दिया है. वहीं, मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि वह वित्तवर्ष 25/26 में मूल्य वृद्धि और मार्जिन दोनों को लेकर सतर्क है. प्रतिस्पर्धी दबाव का जोखिम अभी भी कंपनी की कमाई पर मंडरा रहा है. लिहाजा, ब्रोकरेज फर्म ने 3000 रुपए के टार्गेट प्राइज के साथ 'न्यूट्रल' रेटिंग बरकरार रखी है. आज कंपनी के शेयर के प्रदर्शन की बात करें, तो खबर लिखे जाने तक यह करीब 3 प्रतिशत के उछाल के साथ 2,781 रुपए पर कारोबार कर रहा था. हालांकि, इस साल ये अब तक 18.11% लुढ़क चुका है.


AI को लेकर इन दो कंपनियों के सीईओ के बीच शुरू हुई जुबानी जंग, जानते हैं किसने क्‍या कहा?

दरअसल एआई को लेकर पिछले कुछ समय में माइक्रोसॉफ्ट और गूगल में एक तरह से कोल्‍ड वॉर और कड़ी प्रतिस्‍पर्धा चल रही है. दोनों कंपनियां एक दूसरे से मुकाबला कर रही हैं.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

एआई को लेकर एक ओर जहां पूरी दुनिया में इनोवेशन पर जोर दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर सरकारें भविष्‍य में इसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. लेकिन इसी इनोवेशन को लेकर दुनिया की दो नामी कंपनियों गूगल(Google) और माइक्रोसॉफ्ट(Microsoft) के सीईओ के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है.  माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ के बयान पर अब गूगल के सीईओ ने अपना जवाब देते हुए कहा है कि वो किसी और की धुन पर नहीं नाचते हैं. 

आखिर गूगल के सीईओ ने क्‍या जवाब दिया
 दरअसल माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ की प्रतिक्रिया पर पूछे गए सवाल के जवाब में गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने कहा कि वो अपने काम पर फोकस कर रहे हैं, हम किसी और की धुन पर नहीं नाचते हैं. उन्‍होंने एक मीडिया हाउस को दिए अपने इंटरव्‍यू में आगे कहा कि मुझे लगता है कि जिन तरीकों से आप गलत काम कर सकते हैं उनमें सबसे अहम है बाहर के शोर को सुनना और किसी और इशारों पर नाचना. उन्‍होंने कहा कि मैं हमेशा ही इस बात को लेकर स्‍पष्‍ट हूं कि हमें क्‍या करने की जरूरत है.  इसके आगे जब उनसे पूछा गया तो क्‍या आप अपनी धुन पर चल रहे हैं?  इसके जवाब में पिचई ने कहा कि जी आप बिल्‍कुल सही कह रहे हैं. 

ये भी पढ़ें: अंबानी की कंपनी में सबसे ज्‍यादा सैलेरी लेने वाले इस शख्‍स के बारे में कितना जानते हैं आप, जानिए सबकुछ

आखिर विवाद की शुरुआत कहां से हुई? 
दरअसल सुंदर पिचई ने जो आज माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ की ओर से की गई एक टिप्‍पड़ी के बाद ये जवाब दिया है. सत्‍य नडेला ने एआई सर्च के मामले में खुद की कंपनी के गुगल से आगे होने की बात कही थी. उनकी इसी बात को लेकर जब पिचई से सवाल पूछा गया तो उन्‍होंने कहा कि वो खुद की धुन पर नाचना पसंद करते हैं. सत्‍य नडेला ने ये भी कहा था कि एआई सभी टेक कंपनियों के लिए नया युद्धक्षेत्र बन चुका है. सत्‍य नडेला ने कहा कि हमने आज प्रतिस्‍पर्धा की है, उन्‍होंने गूगल को लेकर कहा था जहां तक सर्च बिजनेस की बात आती है तो गूगल अभी भी 800 पाऊंड गोरिल्‍ला है. उन्‍होंने गूगल को चुनौती देते हुए ये भी कहा था कि हमारे इनोवेशन के बाद वो निश्चित तौर से आगे आना चाहेंगे और दिखाना चाहेंगे कि वो भी कुछ कर सकते हैं. साथ ही लोगों को ये पता चले कि हमने उन्‍हें नचाया है. वो एक बड़ा दिन होगा. 

AI पर माइक्रोसॉफ्ट ने किया है निवेश 
हाल ही में आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि एआई में गूगल से पिछड़ने के डर से कंपनी ने बड़ा निवेश किया है. इसे लेकर जब पिचई से सवाल पूछा गया तो उन्‍होंने कहा कि टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में हमेशा ही बहुत मुकाबला रहा है. उन्‍होंने कहा कि इनोवेशन आगे रहने का सबसे बेहतर तरीका है. आज ये हर समय जरूरी हो गया है और आज रफ्तार भी बहुत तेज हो गई है. उन्‍होंने कहा कि आज तकनीक पहले से कई तेजी से बदल रही है. उन्‍होंने कहा कि ये मेरे लिए कोई आश्‍चर्य की बात नहीं है.
 


CFO किसी भी संस्थान के Chief future officer होते हैं- डॉ अनुराग बत्रा

Businessworld समूह के चेयरमैन व एडिटर इन चीफ और Exchange4Media समूह के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा ने BW CFO उद्घाटन सत्र को संबोधित किया.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

BW Business World के वेंचर BW CFO के द्वारा BEST CFO & Finance strategy अवॉर्ड का आयोजन नई दिल्ली में किया गया. इस मौके पर Businessworld समूह के चेयरमैन व एडिटर इन चीफ और Exchange4Media समूह के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. डॉ बत्रा ने कहा कि कि CFO किसी संस्थान का भविष्य तय करते हैं.  

डॉ अनुराग बत्रा ने आगे कहा कि CFO किसी भी संस्थान के लिए चीफ फ्यूचर ऑफिसर होते हैं. CFO की भूमिका किसी भी संस्थान के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है कि क्योंकि वो संस्थान का भविष्य तय करते हैं और किसी संस्थान के सिर्फ आर्थिक पहलू ही नहीं बल्कि संस्थान को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए जिम्मेदारी CFO की ही होती है. उन्होंने कहा कि कोई भी बिजनेस घराना सफलतापूर्वक तभी चल सकता है जब वो फायदे में हो और इस स्थिति को मजबूत बनाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी CFO की ही है. 

BW Hindi के व्हाट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें.

डॉ अनुराग बत्रा ने CFO की भूमिका को औऱ स्पष्ट करते हुए कहा कि CFO वो है जो काम तो आज के लिए करता है, लेकिन सोचता भविष्य के बारे में हैं. यानी कोई भी कंपनी आज जिस स्थिति में है आगे चलकर उसका बड़ा और आर्थिक तौर पर मजूबत आकार कैसा होगा ये सीएफओ ही तय करता है. उन्होंने कहा कि आज ये मंच एक प्लेटफॉर्म है जिस पर एक साथ कई कंपनियों के CFO इकट्ठा है और चर्चा कर रहे हैं कि किन आधार औऱ आइडिया से किसी भी बिजनेस घराने को आर्थिक तौर पर मजबूत किया जा सकता है.   

Businessworld समूह के चेयरमैन व एडिटर इन चीफ ने कहा कि BW CFO अवार्ड के जरिए उन सभी अवार्ड के काम को पहचान देने की कोशिश है जिन्होंने अपने क्षेत्र में सबसे बेहतर काम किया है. उन्होंने कहा कि इस अवॉर्ड के लिए विजेताओं का चयन एक प्रतिष्ठित ज्यूरी ने किया है. BW CFO अवॉर्ड मैं सभी विजेताओ को मैं अपनी शुभकामनाएं देता हूं.  

BF BEST CFO & Finance strategy अवॉर्ड से पहले पैनल डिस्कशन में कई प्रतिष्ठित बिजनेस घरानों ने हिस्सा लिया, जिसमें इस बात पर चर्चा हुई कि किसी संस्थान की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए संसाधनों और टेक्नॉलिजी का इस्तेमाल कैसे किया जाए
 


आईपीओ से पहले ही इस कंपनी ने कोहली को दिया 'विराट' रिटर्न, अनुष्का भी झूमीं  

विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ने करीब चार साल पहले गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस में निवेश किया था.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

विराट कोहली (Virat Kohli) एक शानदार क्रिकेटर के साथ-साथ समझदार इन्वेस्टर भी हैं. उन्होंने कई ऐसी कंपनियों में पैसा लगाया है, जो उनके भविष्य को और बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. कोहली के निवेश वाली बेंगलुरु स्थित कंपनी गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस का इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO आने वाला है. इसका आईपीओ 15 मई को खुलेगा और रिटेल निवेशक इसमें 17 मई तक बोली लगा सकेंगे. खास बात यह है कि इस कंपनी में निवेश विराट को मल्टीबैगर रिटर्न दे रहा है.

ये है कंपनी की योजना
कंपनी द्वारा सेबी में दाखिल दस्तावेज के अनुसार, आईपीओ के जरिए कंपनी 2,614.65 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है. इसके लिए 1,125 करोड़ के नए शेयर जारी किए जाएंगे और 1,489.65 करोड़ रुपए के शेयर को कंपनी के मौजूदा निवेशक ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए बेचेंगे. Go Digit के मौजूदा निवेशकों में विराट कोहली के साथ-साथ उनकी वाइफ अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) भी शामिल हैं. दोनों ने करीब 4 साल पहले इसमें पैसा लगाया था और कंपनी द्वारा आईपीओ के लिउए निर्धारित प्राइज बैंड के आधार पर उन्हें अपने शुरुआती निवेश पर 200% से ज्यादा का रिटर्न हासिल हो रहा है.

कुल इतना किया निवेश 
क्रिकेटर विराट कोहली ने 2020 में Go Digit में 2 करोड़ रुपए निवेश किए थे. इसके बदले उन्हें 266,667 शेयर मिले थे. वहीं, उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने कंपनी में 50 लाख का निवेश किया था. इस सेलेब्रिटी कपल ने कुल मिलाकर 2.5 करोड़ मूल्य के शेयर 75 रुपए के भाव पर लिए थे. कंपनी ने अपने आईपीओ के लिए 258-272 रुपए का प्राइज बैंड फिक्स किया है. अब इस बैंड के ऊपरी स्तरों के आधार पर देखें तो कपल को अपने निवेश पर 262.7 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है और उनके निवेश की रकम 2.5 करोड़ से बढ़कर 9 करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है. यानी स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने से पहले ही Go Digit ने विराट और अनुष्का को शानदार रिटर्न दे दिया है.

आर्थिक सेहत है दुरुस्त 
गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस के IPO के लिए रिटेल निवेशक को न्यूनतम एक लॉट यानी 55 शेयर के लिए आवेदन करना होगा. कंपनी ने इश्यू का 75% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए आरक्षित रखा गया है. करीब 10% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स और बाकी करीब 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए आरक्षित रखा गया है. कंपनी की आर्थिक सेहत दुरुस्त है, लिहाजा माना जा रहा है कि उसके आईपीओ को अच्छा -खासा रिस्पांस मिल सकता है. 
 


अंबानी की कंपनी में सबसे ज्‍यादा सैलेरी लेने वाले इस शख्‍स के बारे में कितना जानते हैं आप, जानिए सबकुछ

मुकेश अंबानी की कंपनी में जिस शख्‍स को सबसे ज्‍यादा सैलरी मिलती है वो आज से नहीं बल्कि कंपनी से 1986 से जुड़ा हुआ है. उनके पिता मुकेश अंबानी के मेंटर रह चुके हैं. 

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

मुकेश अंबानी देश के सबसे रईस कारोबारियों में शामिल हैं. उनकी कंपनी मौजूदा समय में कई तरह के कारोबार कर रही है. उसमें रिटेल, पेट्रोकैमिकल, एनर्जी, टेलीकम्‍यूनिकेशन से लेकर कई अन्‍य क्षेत्रों में ये कंपनी काम कर रही है. मुकेश अंबानी की नेटवर्थ 11080 करोड़ डॉलर है. वैसे तो अंबानी परिवार से जुड़ी कई बातों को लोग जानते हैं लेकिन क्‍या आप जानते हैं मुकेश अंबानी की कंपनी में वो कौन शख्‍स है जो सबसे ज्‍यादा सैलरी लेता है. जी हां आज अपनी इस स्‍टोरी में हम आपको यही बताने वाले हैं. 

आखिर कौन है ये शख्‍स? 
मुकेश अंबानी की कंपनी में सबसे ज्‍यादा सैलरी लेने वाले इस शख्‍स का नाम है निखिल मेसवानी. रिलायंस इंडस्‍ट्रीज में निखिल मेसवानी वो शख्‍स हैं जो जिन्‍हें सबसे ज्‍यादा सैलरी मिलती है. उन्‍हें रिलायंस इंडस्‍ट्री 24 करोड़ रुपये सालाना बतौर वेतन देती है. दरअसल निखिल मेसवानी का रिश्‍ता अंबानी परिवार में उनसे नहीं जुड़ा है बल्कि उनके पिता के जमाने से जुड़ा है. उनके पिता रसिकलाल मेसवानी धीरूभाई अंबानी के बेहद खास थे. वो जहां धीरूभाई अंबानी के प्रिय थे वहीं रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के बोर्ड में भी शामिल थे. निखिल की सैलरी मुकेश अंबानी के परिवार के किसी भी सदस्‍य से काफी ज्‍यादा है. निखिल के पिता रसिकलाल मुकेश अंबानी के भी मेंटर रहे हैं. 

ये भी पढ़ें: Tata समूह ने बढ़ाई अपनी रॉयल्‍टी फीस, दोगुना तक कर दिया इजाफा

निखिल के नाम दर्ज हैं ये उपलब्धियां 
निखिल मेसवानी ने रिलायंस इंडस्‍ट्रीज 1986 में ज्‍वॉइन की थी. ज्‍वॉइन करने के अगले 2 सालों बाद 1 जुलाई 1988 में निखिल को रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के बोर्ड में एक्सिक्‍यूटिव डॉयरेक्‍टर बनने के साथ फुल टाइम डॉयरेक्‍टर का पद दिया गया था. वैसे तो निखिल मेसवानी के नाम रिलायंस में कई उपलब्धियां शामिल हैं लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रिलायंस को पेट्रोकैमिकल इंडस्‍ट्री की दिग्‍गज बनाना रही है. निखिल मेसवानी आईपीएल क्रिकेट मुंबई इंडियंस से जुड़े मामलों को भी देखते रहे हैं. 

 यहां से हुई है निखिल की पढ़ाई 
निखिल मेसवानी ने मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, अमेरिका के मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय से केमिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की है. उन्‍होंने कई और प्रोजेक्‍ट को भी सफलता पूर्वक आगे बढ़ाया है. मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक है. वहीं देखा जाए तो मुकेश अंबानी ने पिछले कुछ सालों में रिलायंस इंडस्‍ट्रीज से कोई सैलरी नहीं ली है. कोविड के बाद से मुकेश अंबानी ने कंपनी के हित में कोई सैलरी नहीं ली है. कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में अंबानी ने कोई सैलरी नहीं ली. वो उससे पहले कोविड से कोई सैलरी नहीं ले रहे हैं. जबकि पहले उनकी सैलरी 15 करोड़ रुपये सालाना थी.