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Hindenburg की तबाही के बावजूद EPFO ने किया अडानी ग्रुप में इन्वेस्ट, विपक्ष ने पूछे सवाल
EPFO लगभग 27.73 करोड़ औपचारिक कर्मचारियों की वृद्धावस्था सेविंग्स को मैनेज करता है और 15% ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स) में इन्वेस्ट करता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
हिंडनबर्ग रिपोर्ट द्वारा मचाई गयी तबाही के बावजूद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अभी भी अडानी ग्रुप के दो स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट करना जारी रखा है. अगर इस हफ्ते होने वाली अपनी बैठक में भी EPFO अपनी इन्वेस्टमेंट के तरीकों में बदलाव नहीं करता है तो सितम्बर 2023 तक इस संस्था को अडानी पोर्ट्स और अडानी एंटरप्राइजेज में अपनी इन्वेस्टमेंट को जारी रखना पड़ेगा.
ETF में इतनी इन्वेस्टमेंट करता है EPFO
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो EPFO लगभग 27.73 करोड़ औपचारिक कर्मचारियों की वृद्धावस्था सेविंग्स को मैनेज करता है और अपने फंड में से 15% का इस्तेमाल NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) के निफ्टी 50 और BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) के सेंसेक्स से जुड़े ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स) में इन्वेस्ट करने के लिए करता है. मार्च 2022 तक EPFO, ETF में 1.57 लाख करोड़ रुपये इन्वेस्ट कर चुका है और वित्त वर्ष 23 में अतिरिक्त 8000 करोड़ रुपयों को इन्वेस्ट करेगा.
ट्रस्टीयों को भी नहीं पता थी ये इन्वेस्टमेंट
यह रिपोर्ट EPFO की 2 दिन की बैठक शुरू होने से पहले जारी की गयी है. दो दिनों तक चलने वाली इस बैठक में EPFO, ज्यादा सैलरी से जुड़ी पेंशन, वित्त वर्ष 23 के लिए इंटरेस्ट रेट्स और वार्षिक फाइनेंशियल अनुमानों के बारे में मुख्य रुप से बातचीत करता है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद अडानी ग्रुप में मची तबाही के बाद से एक्सपर्ट्स की मांग थी की EPFO अधिक पारदर्शिता के साथ काम करे. लेकिन EPFO के ट्रस्टीयों ने मीडिया को बताया कि उन्हें EPFO द्वारा अडानी ग्रुप में इन्वेस्टमेंट के बारे में नहीं पता था लेकिन डो दिनों तक चलने वाली इस अहम बैठक में इस मुद्दे पर भी बातचीत की जा सकती है.
विपक्षियों ने सरकार से किये सवाल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, जिनकी लोकसभा सदस्यता पिछले हफ्ते रद्द कर दी गयी थी, ने हिंदी में ट्विटर पर लिखा – LIC की पूंजी अडानी को, SBI की पूंजी अडानी को, EPFO की पूंजी भी अडानी को, ‘मोडानी’ के खुलासे के बाद भी जनता के रिटायरमेंट का पैसा अडानी की कंपनियों में निवेश क्यों किया जा रहा है? प्रधानमंत्री जी, न जांच, न जवाब! आखिर इतना डर क्यों? दूसरी तरफ शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मुद्दे पर सवाल खड़े करते हुए एक ट्वीट किया और ट्वीट में लिखा - लगता है अडानी ग्रुप में मची तबाही के बाद जो प्रमुख इन्वेस्टर्स रह गए हैं वह राष्ट्रिय बैंक हैं, रिटायरमेंट फंड्स हैं, इंश्योरेंस फंड्स हैं, लोगों की मेहनत की कमाई है और मॉरिशस आधारित अविश्वसनीय कंपनियां हैं.
LIC की पूंजी, अडानी को!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 27, 2023
SBI की पूंजी, अडानी को!
EPFO की पूंजी भी, अडानी को!
‘मोडानी’ के खुलासे के बाद भी, जनता के रिटायरमेंट का पैसा अडानी की कंपनियों में निवेश क्यों किया जा रहा है?
प्रधानमंत्री जी, न जांच, न जवाब! आख़िर इतना डर क्यों?
दो दिनों की बैठक है बहुत जरूरी
27 और 28 मार्च 2023 को होने वाली अपनी बैठक में EPFO, 2022-2023 के लिए कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड पर इंटरेस्ट रेट का खुलासा कर सकता है, वार्षिक अकाउंट्स के बारे में बातचीत कर सकता है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा कर्मचारी पेंशन स्कीम 1995 के सब्सक्राइबरों को अधिक पेंशन का विकल्प चुनने के लिए 4 महीनों का अतिरिक्त समय देने के ऑर्डर के जवाब के बारे में विशेष रूप से बातचीत कर सकता है.
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