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इन कारणों के चलते देश में कम हुई नौकरियां, पिछले साल से काफी कम है आंकड़ा
अगर देखा जाए तो इस साल कई तरह के बदलाव देखने में मिले हैं, पिछले साल जहां नौकरी देने में महाराष्ट्र आगे था वहीं इस साल कर्नाटक इसमें आगे निकल गया.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
पिछले साल के मुकाबले अगर इस साल में अब तक पैदा हुई नौकरियों की स्थिति पर नजर डालें तो ये 2022 से काफी कम हैं. 2022 में जहां 8 मिलियन लोगों को रोजगार मिला वहीं दूसरी ओर इस साल में अभी तक मात्र 6.6 मिलियन लोगों को ही रोजगार मिल पाया है. बेटरप्लेस फ्रंटलाइन इंडेक्स की रिपोर्ट कहती है कि नौकरी में सबसे बड़ी कमी ई-कॉमर्स सेक्टर में हुई है.
रोजगार में कमी की क्या है वजह?
बेटरप्लेस फ्रंटलाइन इंडेक्स रिपोर्ट कहती है कि 2022 में 8 मिलियन लोगों को मिले रोजगार के मुकाबले इस साल अब तक मात्र 6.6 मिलियन लोगों को रोजगार मिला है, ये 17.5 प्रतिशत की कमी है. बेटरप्लेस फ्रंटलाइन इंडेक्स ने अप्रैल 2022 से लेकर मार्च 2023 के बीच अपने प्लेटफॉर्म पर इस सर्वे को लेकर डाटा इक्ट्ठा किया है. रिपोर्ट ये भी कहती ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक और मोबिलिटी ऐसे क्षेत्र हैं जहां सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि रिपोर्ट ये भी कहती है कि महामारी के बाद अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों की मांग में इजाफा नहीं हो पाया है. यही नहीं और भी कई कारण हैं जिनके कारण अमेरिकी मंदी की आशंका ने आईटी सेक्टर को प्रभावित किया है.
ई-कॉमर्स में आई है सबसे ज्यादा गिरावट
बेटरप्लेस फ्रंटलाइन इंडेक्स की रिपोर्ट बताती है कि सबसे ज्यादा गिरावट ई-कॉमर्स में आई है. इसमें कोई 52 प्रतिशत की कमी आई है. सबसे अहम बात ये है कि ई-कॉमर्स कुल नौकरियों में 33 प्रतिशत का योगदान देता है. वर्ष 2023 में देखें तो लॉजिस्टिक एंड मोबिलिटी ऐसा सेक्टर बनकर सामने आया है जिसने सबसे ज्यादा श्रमिकों को रोजगार देने का काम किया है. इसने ई-कॉमर्स को पीछे कर दिया है. इसमें 111 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. अगर फ्रंटलाइन नौकरियों की बात करें तो IFM&IT 22-23 में 139 प्रतिशत की भारी ग्रोथ देखने को मिली थी.
क्या बोले बेटरप्लेस फ्रंटलाइन इंडेक्स के सीईओ?
बेटरप्लेस फ्रंटलाइन इंडेक्स के सीईओ प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि हाल ही पैदा हुई आर्थिक परिस्थितियों ने भारत और साउथ ईस्ट क्षेत्रों में नौकरी की भर्ती को लेकर विचार करने के बारे में सोचने पर मजबूर किया है. श्रमिकों की मांग में कमी की सबसे बड़ी वजह यही है. उन्होंने ये भी कहा कि इंडस्ट्री इस वक्त अपनी ऑपरेशनल कॉस्ट को मैनेज करने को लेकर विचार कर रही है. ये नौकरियों में कमी आने की सबसे बड़ी वजह रही है उन्होंने कहा कि वर्कफोर्स की बढ़ती संख्या के कारण महिलाओं की भागीदारी के अनुपात में बड़ा सुधार हुआ है. मांग में कमी का नतीजा है कि वेतन 21700 रुपये तक आ गया है. 2022 की तुलना में ये कमी 17 प्रतिशत की है. हमारे देश में 250 बिलियन कुल कार्यसमूह में महिलाओं केवल 6 प्रतिशत हैं.
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