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2003 में सताया, नए साल में और भी ज्यादा तड़पाएगी महंगाई? इस वजह से बढ़ रही आशंका
यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा कमर्शियल जहाजों को निशाना बनाए जाने का असर भारत पर भी देखने को मिल सकता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
महंगाई ने इस साल यानी 2023 में आम आदमी को खूब सताया है. पेट्रोल-डीजल के दामों से लेकर खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतें आसमान पर पहुंच चुकी हैं. कमाई और खर्चे के बीच का फासला लगातार चौड़ा हुआ है. ऐसे में आम आदमी उम्मीद लगाए बैठा है कि नया साल शायद उसके लिए कुछ राहत लेकर आई, लेकिन भारत से 4,201 किमी दूर कुछ ऐसा हो रहा है, जो इस उम्मीद के लिए ग्रहण का काम कर सकता है. दरअसल, यमन के हूती विद्रोही लाल सागर में कमर्शियल जहाजों को लगातार निशाना बना रहे हैं. इससे दुनिया की कई बड़ी शिपिंग कंपनियां रूट बदलने को विवश हैं, इससे माल भाड़ा और महंगाई भी बढ़ जाएगी.
तेल आयात का मुख्य मार्ग
लाल सागर यूरोप और एशिया के बीच व्यापार का मुख्य समुद्री मार्ग है. इससे स्वेज नहर के रास्ते होने वाला कारोबार भी खतरे में पड़ गया है. भारत बड़ी संख्या में इस रूट से इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट करता है. यदि यहां हालात ठीक नहीं हुए, तो उसका कारोबार प्रभावित होना लाजमी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हूती विद्रोहियों ने हल ही में भारत के क्रूड कैरियर एमवी साई बाबा पर दक्षिणी लाल सागर में ड्रोन से हमला किया था. इतना ही नहीं, भारत के लिए कच्चा तेल लेकर आ रहे एक जहाज को भी निशाना बनाया गया. भारत का 65% कच्चा तेल स्वेज नहर के रास्ते आता है. साथ ही भारत का करीब 50% एक्सपोर्ट भी इसी रूट से होता है. स्वेज नहर ही लाल सागर और भूमध्यसागर को कनेक्ट करती है.
एंटी-शिप मिसाइलों से लैस हैं विद्रोही
हूती विद्रोहियों के हमले के चलते दुनिया की कई बड़ी कंपनियों ने इस रूट पर अपना ऑपरेशन रोक दिया है. 193 किमी लंबी स्वेज नहर का ग्लोबल ट्रेड में करीब 12 प्रतिशत योगदान है. दुनिया का लगभग 30% कंटेनर मूवमेंट इसी मार्ग से होता है. हूती विद्रोहियों के पास ड्रोन और एंटी-शिप मिसाइलें हैं और वो इन्हीं से अब तक 13 से ज्यादा जहाजों को निशाना बना चुके हैं. दुनिया की 4 बड़ी शिपिंग कंपनियों ने लाल सागर के रास्ते अपने ऑपरेशन को फिलहाल रोक दिया है. MSC, CMA CGM, Maersk और Hapag Lloyd ली ग्लोबल मेरिटाइम ट्रेड में करीब 53 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इससे समझा जा सकता है कि आने वाला समय कैसा होगा.
दोहरी मार की आशंका
स्वेज नहर में 2021 में जब एक बड़ा जहाज कुछ दिनों तक अटका रहा था, जिसके चलते ग्लोबल सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई थी. इस नहर को एशिया और यूरोप की लाइफलाइन कहा जाता है. भारत भी इस घटना से प्रभावित हुआ था. उस दौर में भारत का लगभग 200 अरब डॉलर का समुद्री व्यापार इसी रूट होता था, लेकिन अब ये आंकड़ा काफी ज्यादा बड़ा हो गया है. Bharat स्वेज नहर के रास्ते यूरोप को खाद्य पदार्थ, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स भेजता है. साथ ही इसी मार्ग से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल आयात करता है. यदि हालात जल्द नहीं सुधरे, तो भारत को रूस से मिलने वाले सस्ते कच्चे तेल की शिपमेंट पर असर पड़ सकता है. इसी तरह, भारत का एक्सपोर्ट भी प्रभावित हो सकता है. ऐसे में उसे दोहरे नुकसान का सामना करना होगा. बता दें कि नवंबर में भारत का रूस से कच्चे तेल का इम्पोर्ट बढ़कर 17.3 लाख बैरल प्रतिदिन पहुंच गया था. रूस से कच्चा तेल स्वेज नहर के रास्ते ही भारत पहुंचता है.
आखिर क्यों हो रहे हैं हमले?
जानकर मानते हैं कि संघर्ष यदि जल्द खत्म नहीं होता, तो भारत को वैकल्पिक मार्ग इस्तेमाल करना होगा, जो बेहद मुश्किल और खर्चीला होगा. ऐसे में देश में महंगाई बढ़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर हूती विद्रोही ऐसा क्यों कर रहे हैं. CBC की एक रिपोर्ट बताती है कि हूती विद्रोही इजरायल को चोट पहुंचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे केवल उन्हीं जहाजों पर हमले कर रहे हैं, जिनका इजरायल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई न कोई जुड़ाव है. विद्रोही इजरायल द्वारा फिलिस्तीन पर किए जा रहे हमलों से नाराज हैं. हालांकि, यह भी सामने आया है कि हूती विद्रोहियों ने ऐसे जहाजों को भी निशाना बनाया, जिनका इजरायल से कोई कनेक्शन नहीं है. यही वजह है कि बड़ी शिपिंग कंपनियों ने इस रूट से गुजरना फिलहाल बंद कर दिया है. माना जा रहा है कि अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो कच्चे तेल के दाम तेजी से बढ़ सकते हैं.
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