महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट से दूर होने के बाद अब करोबार की दुनिया में एक्टिव नजर आ रहे हैं. हाल में उन्होंने ड्रोन बनाने वाली एक कंपनी में निवेश किया है.
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने इस बार क्रिकेट के मैदान में नहीं बल्कि कारोबार के मैदान में एक बड़ा दांव खेला है. जी हां, दरअधोनी ने ड्रोन बनाने वाली कंपनी गरुड़ एयरोस्पेस (Garuda Aerospace) में एक बड़ी रकम निवेश की है. उन्होंने यह रकम ऐसे समय में निवेश की है, जब ये कंपनी अपना इंनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) लाने की तैयारी कर रही है. बता दें, महेंद्र सिंह धोनी इससे पहले भी कई बड़ी कंपनियों में बड़ी रकम निवेश कर चुके हैं. तो चलिए जानते हैं धोनी ने इस कंपनी में कितने रुपये निवेश किए हैं?
कंपनी में 4 करोड़ रुपये किए निवेश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महेंद्र सिंह धोनी ने गरुड़ एयरोस्पेस में करीब 4 करोड़ रुपये निवेश किए हैं. इस निवेश के बाद धोनी की इस कंपनी में 1.1 प्रतिशत धोनी हो गई है. महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि उन्हें गरुड़ की यात्रा का हिस्सा बनकर गर्व है क्योंकि वे वैश्विक स्तर पर विस्तार कर रहे हैं. साथ ही एग्रीकल्चर, डिफेंस, इंडस्ट्री और कंज्यूमर ड्रोन सेक्टर पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं.
कंपनी की ड्रोन मार्केट में है इतनी हिस्सेदारी
गरुड़ एयरोस्पेस ऐसा पहला ड्रोन स्टार्टअप है, जिसे ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेनिंग दोनों के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से सर्टिफिकेट मिला है. ड्रोन मार्केट में कंपनी की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कंपनी एग्रीकल्चर और कंज्यूमर ड्रोन सेक्टर में काफी आगे है. कंपनी अब दुनिया भर में अपना विस्तार करने की योजना बना रही है. कंपनी 30 विभिन्न प्रकार के ड्रोन बनाती है और 50 अलग-अलग सेवाएं देती है. बता दें, ड्रोन मार्केट इस समय तेजी से बढ़ रहा है. लगभग हर सेक्टर में इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है. क्विक कॉमर्स सेक्टर में भी ड्रोन के इस्तेमाल पर फोकस किया जा रहा है, ताकि लोगों को जल्द सामान डिलीवर हो सके. आने वाले समय में दवाई से लेकर दूसरी चीजें भी ड्रोन के जरिए जल्दी पहुंचाने की तैयारी हो रही है, ऐसे में कहा जा सकता है कि इस सेक्टर में निवेश के अच्छे मौके हैं.
धोनी ने यहां भी किया है निवेश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महेंद्र सिंह धोनी की नेटवर्थ 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. वह अभी आईपीएल भी खेलते हैं. ऐसे में उनकी कमाई क्रिकेट के साथ बिजनेस से भी होती है. धोनी ने कई कंपनियों में निवेश किया है. धोनी कपड़ों के जाने-माने ब्रांड Seven के भी फाउंडर हैं. साथ ही वह कई विज्ञापनों से भी कमाई करते हैं. धोनी का रांची में माही रेजीडेंसी नाम से एक मिड-रेंज होटल और बेंगलुरु में एमएस धोनी ग्लोबल स्कूल भी है. धोनी की ‘धोनी स्पोर्ट्सफिट’ नाम से जिम की चेन भी है.
पीरामल एंटरप्राइजेज की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी PCHL ने 90,000 करोड़ रुपये का DHFL लोन पोर्टफोलियो अधिग्रहित किया था.
पलक शाह
बाजार नियामक SEBI पीरामल समूह (Piramal Group) से जुड़े पूर्व DHFL (दीवान हाउसिंग फाइनेंस) लोन पोर्टफोलियो को लेकर व्हिसलब्लोअर (Whistleblower) द्वारा उठाए गए आरोपों की जांच कर रहा है. सूत्रों ने BW बिजनेसवर्ल्ड को बताया है कि DHFL को दिवालियापन प्रक्रिया में दाखिल किया गया था, जिसके बाद इसे पीरामल समूह ने अधिग्रहित किया. व्हिसलब्लोअर ने पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (PCHFL) के खिलाफ ये आरोप लगाए हैं कि इसने DHFL से अधिग्रहित लोन को भारी छूट पर कुछ संस्थाओं को ट्रांसफर किया और इन संस्थाओं ने बाद में DHFL के मूल उधारकर्ता के साथ लोन को एक उच्च कीमत पर निपटा लिया, जिससे PCHFL और पीरामल एंटरप्राइजेज के सार्वजनिक शेयरधारकों को नुकसान हुआ है.
PCHFL ने 34,250 करोड़ रुपये में किया DHFL का अधिग्रहण
सितंबर 2021 में PCHFL DHFL के साथ मर्ज हो गई और लगभग 90,000 करोड़ रुपये के डेट पोर्टफोलियो का नियंत्रण प्राप्त किया. PCHFL द्वारा DHFL का अधिग्रहण 34,250 करोड़ रुपये में हुआ, जिसमें करीब 14,700 करोड़ रुपये की नकद अग्रिम भुगतान और लगभग 19,550 करोड़ रुपये के कर्ज उपकरणों (10 वर्षीय NCDs, 6.75 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर) का जारी किया गया. PCHFL, जो कि PEL (पीरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड) की 100% सहायक कंपनी है, के लाखों सार्वजनिक शेयरधारक हैं, जिनमें खुदरा निवेशक, म्यूचुअल फंड, LIC, अन्य वित्तीय संस्थान और विदेशी निवेशक शामिल हैं, इसलिए, PCHFL को होने वाला कोई भी नुकसान सीधे PEL के सार्वजनिक शेयरधारकों को प्रभावित करता है.
व्हिसलब्लोअर के आरोप
व्हिसलब्लोअर ने आरोप लगाया है कि PCHFL ने DHFL से अधिग्रहित लोन को कुछ संस्थाओं को भारी छूट पर ट्रांसफर किया और ये संस्थाएं पीरामल समूह के प्रमोटरों से जुड़ी हुई थीं. BW के पास व्हिसलब्लोअर के पत्र की एक प्रति है. 7 नवंबर को सेबी और पीरामल समूह को भेजे गए एक ईमेल का अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. व्हिसलब्लोअर पत्र की प्रति दोनों ईमेल के साथ संलग्न की गई थी. SEBI और पीरामल समूह से उत्तर प्राप्त होने पर इस कहानी में जोड़े जाएंगे. यह आरोप लगाया गया है कि Encore Natural Polymers Pvt. Ltd. और APRN Enterprises Pvt. Ltd. पीरामल समूह के प्रमोटरों से जुड़ी हो सकती हैं और इन कंपनियों को कर्ज का एक हिस्सा भारी छूट पर ट्रांसफर किया गया. पहले कर्ज PCHFL से Encore को भारी छूट पर ट्रांसफर किया गया और फिर Encore ने इसे APRN को बेचा. DHFL का मूल उधारकर्ता बाद में APRN के साथ कर्ज का निपटारा 650 करोड़ रुपये (अधिक) की कीमत पर किया, जो PCHFL द्वारा बेचे गए कर्ज से कहीं अधिक था, इस प्रकार PEL के शेयरधारकों को नुकसान हुआ.
इन संस्थाओं को ट्रांसफर किया लोन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार PCHFL ने DHFL से विरासत में मिले 5,546 करोड़ रुपये के खराब लोन पोर्टफोलियो की बिक्री शुरू की थी, जिसमें 46 प्रतिशत रिकवरी थ्रेशोल्ड के साथ 2,550 करोड़ रुपये का बाइंडिंग बिड मूल्य निर्धारित किया गया था. व्हिसलब्लोअर पत्र में कहा गया है कि 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के लोन लेन-देन, जिसमें सुधाकर शेट्टी (DHFL के मूल उधारकर्ता) के तीन साहना समूह की संस्थाओं के साथ संबंधित लेन-देन थे, इन्हें Encore Natural Polymers Pvt. Ltd. को महज 250 करोड़ रुपये में बेचा गया था. फिर, Encore ने इन कर्जों को APRN Enterprises Pvt. Ltd. को 450 करोड़ रुपये में बेचा, जिसने सुधाकर शेट्टी के साहना समूह के साथ कर्ज को 900 करोड़ रुपये में निपटा लिया. व्हिसलब्लोअर के अनुसार Encore Natural Polymers को पीरामल समूह के प्रमोटरों से जोड़ा जाता है. अजय पीरामल और मर्चेंट फैमिली (Encore के प्रमोटर) के बीच रिश्ते और उनके बीच वित्तीय लेन-देन की जांच की जा रही है. सार्वजनिक डेटा के अनुसार सुधीर अजितकुमार मर्चेंट, जो Encore Natural Polymers Pvt. Ltd. के अध्यक्ष हैं, पहले पीरामल रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष और पीरामल एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक रह चुके हैं. वहीं, सुधीर मर्चेंट APRN Enterprises में अपने कंपनी Encore के माध्यम से 65% का नियंत्रित हिस्सेदारी रखते हैं, यह आरोप व्हिसलब्लोअर ने लगाया है.
APRN के प्रमोटर्स और निदेशक अरविंद अग्रवाल, गौतम अग्रवाल और आदित्य अग्रवाल हैं. इसके अलावा, एक और संस्था Emblem Holdings APRN में 64.96 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है, Gaiety Holdings की APRN में 7.09% हिस्सेदारी है और Nifty Holdings की APRN में 8.74% हिस्सेदारी है. दिलचस्प बात यह है कि Emblem Holdings Pvt. Ltd., Gaiety Holdings Private Limited और Nifty Holdings Private Limited के रजिस्टर्ड ऑफिस पते बिल्कुल वही हैं जो APRN के हैं, जहां मर्चेंट फैमिली की बहुमत हिस्सेदारी है, यह बस परिपत्र स्वामित्व है. जब शेट्टी के साहना समूह की संस्थाओं ने APRN Enterprise Pvt. Ltd. से कर्ज का निपटारा 900 करोड़ रुपये से अधिक में किया, तो APRN Enterprise Pvt. Ltd. ने बहुत ही कम समय में 100 प्रतिशत का मुनाफा 450 करोड़ रुपये का कमाया. जब Encore, जिसने PCHFL से कर्ज 200 करोड़ रुपये में खरीदी थी, इसे APRN को बेचा, तो उसने भी 200 करोड़ रुपये का त्वरित मुनाफा कमाया," व्हिसलब्लोअर ने कहा.
शेट्टी के साहना समूह ने कैसे उत्पन्न की नकदी?
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि DHFL ने कथित तौर पर 14,683 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को नौ रियल एस्टेट कंपनियों के माध्यम से डायवर्ट किया, जिन पर उस समय के अध्यक्ष-कम-मैनेजिंग डायरेक्टर कपिल वधावन, निदेशक धीरज वधावन और व्यवसायी सुधाकर शेट्टी का नियंत्रण था, जिनके पास वित्तीय हित थे. इन रियल एस्टेट कंपनियों का - जिनमें से पांच शेट्टी के साहना समूह की हैं और अन्य चार- सीबीआई की जांच में सामने आया कि इन कंपनियों को DHFL द्वारा कर्ज वितरित किए गए थे, जो कपिल वधावन और धीरज वधावन के निर्देश पर हुआ था. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सीबीआई से संपर्क किया और ये आरोप लगाया है कि अमारिलिस रियल्टर्स, गुलमर्ग रियल्टर्स और स्काईलार्क बिल्डकॉन पर DHFL के प्रति 98.33 करोड़ रुपये बकाया हैं और दर्शन डेवलपर्स और सिग्टिया कंस्ट्रक्शंस पर 3,970 करोड़ रुपये बकाया हैं ये सभी कंपनियां साहना समूह से संबंधित हैं.
रियल एस्टेट विशेषज्ञों ने क्या कहा?
व्हिसलब्लोअर के अनुसार, 6 फरवरी 2023 को प्रकाशित हिंदुस्तान टाइम्स के एक समाचार रिपोर्ट, जिसका शीर्षक था "वर्ली 'डिस्टेस सेल': दामानी की बेटियां 28 खरीदारों में शामिल," से यह स्पष्ट होता है कि साहना समूह ने APRN Enterprises के साथ कर्ज निपटाने के लिए धन कैसे जुटाया. समाचार रिपोर्ट में कहा गया था, "D-Mart के मालिक राधाकिशन दामानी, उनका परिवार और करीबी सहयोगियों ने वर्ली में 28 यूनिट्स को एक बड़ी डील में डिस्काउंट रेट्स पर कुल 1,238 करोड़ रुपये में खरीदी. उद्योग सूत्रों का कहना है कि यह bulk deal सुधाकर शेट्टी को बचाने के लिए हो सकती है, जिनकी कंपनी SkyLark Buildcon Pvt. Ltd. इस प्रोजेक्ट में साझेदार है. कंपनी ने 2019 में DHFL (अब पीरामल फाइनेंस) से 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, और यूनिट्स को कोलैटरल के रूप में रखा गया था. रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि पुनर्भुगतान के लिए ऋणदाताओं के दबाव के कारण ही फ्लैट रियायती दरों पर बेचे गए होंगे.
दिल्ली के भारत मंडपम (पूर्व में प्रगति मैदान) में 14 से लेकर 27 नवंबर 2024 तक India International Trade Fair का आयोजन होगा. दिल्ली के 55 मेट्रो स्टेशनों पर ट्रेड फेयर के टिकट उपलब्ध हैं.
दिल्ली के भारत मंडपम (पूर्व में प्रगति मैदान) में आयोजित 43वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (India International Trade Fair) का आगाज हुआ. गुरुवार यानी 14 नवंबर 2024 को मेले का उद्घाटन केंद्रीय वाणिज्य उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मुंबई से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया. इस मेले में दूर दूर लोग लोग शामिल होने आते हैं. अगर आप भी ट्रेड फेयर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो ये खबर आपके काम की है. दरअसल, डीएमआरसी और आईटीपीओ के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके तहत दिल्ली मेट्रो 55 स्टेशनों पर आईआईटीएफ ट्रेड फेयर की टिकट बेचेगी. तो चलिए जानते हैं आपको ये टिकट किन मेट्रो स्टेशन पर मिलेगी और टिकट की कीमत क्या होगी?
27 नवंबर तक लगेगा भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला
इस बार व्यापार मेले की थीम 'विकसित भारत' पर रखी गई है. इससे हमारी सरकार की जो विकसित भारत 2047 की संकल्पना है उसको साकार करने में मदद मिलेगी. 14 से लेकर 18 नवंबर तक मेला विशेष रूप से व्यापारियों के लिए खुलेगा. इसके बाद आम जनता के लिए 19 नवंबर से शुरू होगा और 27 नवंबर तक चलेगा. इस बार में देश के सभी राज्यों के स्टॉल लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा चीन सहित 11 देश इसमें हिस्सा ले रहे हैं.
यहां मिलेगा ट्रेड फेयर का टिकट
दिल्ली के 55 मेट्रो स्टेशनों पर ट्रेड फेयर के टिकट मिलने शुरू हो चुके हैं. ऑनलाइन क्यूआर कोड आधारित टिकट दिल्ली मेट्रो ऐप पर पहले से ही उपलब्ध हैं. इसके अलावा टिकट भारत मंडपम ऐप से भी खरीदे जा सकते हैं. ऑनलाइन टिकट के लिए प्रति व्यक्ति अधिकतम 10 टिकट की सीमा निर्धारित की गई है. ऑफलाइन एक व्यक्ति 10 से ज्यादा भी टिकट खरीद सकता है.
इन स्टेशनों पर बिक्री की जाएगी टिकट
जिन स्टेशनों पर टिकट की बिक्री की जाएगी, उनमें रेड लाइन पर शहीद स्थल, दिलशाद गार्डन और रिठाला शामिल हैं. इनके अलावा येलो लाइन के समयपुर बादली, आजादपुर और मिलेनियम सिटी सेंटर गुरुग्राम स्टेशन पर और ब्लू लाइन पर नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी, इंद्रप्रस्थ, मंडी हाउस और बाराखंबा रोड स्टेशन पर भी व्यापार मेले के टिकट मिलेंगे.
ट्रेड फेयर के टिकट की कीमत
बयान के अनुसार, 14 से 18 नवंबर तक व्यापारिक आगंतुकों के लिए टिकट की कीमत वयस्कों के लिए 500 रुपये होगी. इसके बाद 15 से 17 नवंबर तक बच्चों के लिए टिकट की कीमत 200 रुपये रहेगी. बच्चों की टिकट 14 और 18 नवंबर को 150 रुपये होगी. बयान में कहा गया है कि सामान्य सार्वजनिक आगंतुक दिवसों पर टिकट की कीमत वयस्क के लिए 80 रुपये और और बच्चे के लिए 40 रुपये होगी. सप्ताहांत या सार्वजनिक अवकाश के दिन मेले का टिकट वयस्क के लिए 150 रुपये और और बच्चे के लिए 60 रुपये होगी.
Agro Tech Foods के शेयरों की बात करें, तो आज यह गिरावट के साथ बंद हुए हैं. 966.10 रुपए के भाव पर मिल रहा इस शेयर ने इस साल अब तक महज 11.48% का ही रिटर्न दिया है.
एग्रो टेक फूड्स (Agro Tech Foods) एक बड़ा अधिग्रहण करने जा रही है. सनड्रॉप और ACT II ब्रैंड के स्वामित्व वाली यह कंपनी डेल मोंटे फूड्स प्राइवेट लिमिटेड की मालिक बनने वाली है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह सौदा 1300 करोड़ रुपए से अधिक में पूरा होगा. डेल मोंटे फूड्स, भारती एंटरप्राइजेज और डेल मोंटे पैसिफिक का जॉइंट वेंचर है. डील के तहत एग्रो टेक फूड्स, डेल मोंटे फूड्स के मौजूदा शेयरधारकों यानी भारती एंटरप्राइजेज और डेल मोंटे पैसिफिक को 975.5 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 1.33 करोड़ इक्विटी शेयर जारी करेगी. डेल मोंटे फूड्स की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी एग्रो टेक फूड्स के पास आ जाएगी.
इस वजह से लिया फैसला
एग्रो टेक फूड्स में प्राइवेट इक्विटी फर्म समारा कैपिटल का पैसा लगा है. एग्रो टेक फूड्स, सनड्रॉप और Act II जैसे ब्रैंड के लिए मशहूर है. इस अधिग्रहण के साथ ही भारती एंटरप्राइजेज, डेल मोंटे फूड्स से बाहर निकल आएगी. दरअसल, यह जॉइंट वेंचर पैकेज्ड फूड मार्केट में कड़ी प्रतियोगिता का सामना कर रहा है. इसलिए भारती एंटरप्राइजेज ने एयरटेल के तहत अपने प्राइमरी टेलिकॉम और ब्रॉडबैंड बिजनेस पर फोकस करने का फैसला लिया है. इस कंपनी की फूड सेक्टर में यात्रा 2004 में फील्डफ्रेश फूड्स के साथ शुरू हुई थी. 2007 में सिंगापुर स्थित डेल मोंटे पैसिफिक लिमिटेड ने 2.08 करोड़ डॉलर में फील्डफ्रेश में करीब 40.1 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली थी.
इस तरह मिलेगा फायदा
इस डील से एग्रो टेक फूड्स को अपना कारोबार फैलाने में मदद मिलेगी. कंपनी का लक्ष्य डेल मोंटे की पहले से स्थापित प्रोडक्ट लाइन का फायदा उठाना है, ताकि रिटेल और इंस्टीट्यूशनल दोनों तरह के ग्राहकों को सेवा प्रदान की जा सके. इनमें क्विक सर्विस वाले रेस्टोरेंट और एयरलाइंस भी शामिल हैं. इस डील को अभी शेयरहोल्डर्स और नियामक की मंजूरी मिलना बाकी है. माना जा रहा है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से मंजूरी मिलने के बाद डील के 9 महीने के अंदर पूरी हो जाएगी. Agro Tech Foods के शेयरों की बात करें, तो आज यह गिरावट के साथ बंद हुए हैं. 966.10 रुपए के भाव पर मिल रहा इस शेयर ने इस साल अब तक महज 11.48% का ही रिटर्न दिया है.
कंपनी ने साल-दर-साल (YoY) आधार पर 33.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 104.26 करोड़ रुपये की टोटल इनकम दर्ज की है.
इंटीग्रेटिड फाइनेंशियल सर्विसेज प्रदान करने वाले मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल लिमिटेड (Monarch Networth Capital Ltd) ने वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमही और छमाही के वित्तीय परिणामों की घोषणा की. दूसरी तिमाही में मोनार्क ने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए 104.26 करोड़ रुपये की कुल इनकम दर्ज की है. इसमें साल दर साल 33.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं, कंपनी का नेट प्रॉफिट यानी प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) 44 करोड़ रुपये रहा, जिसमें साल दर साल 18.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह वृद्धि कंपनी की मजबूत संचालनात्मक फोकस और रणनीतिक निष्पादन का परिणाम है. कंपनी ने प्रति शेयर इनकम (EPS) 6.13 रुपये दर्ज की, जोकि पिछले वर्ष समान तिमाही में 5.47 रुपये थी.
कंपनी का छमाही प्रदर्शन
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही के लिए MNCL ने कुल आय में 56.9 प्रतिशत साल दर साल वृद्धि की, जोकि 189.21 करोड़ रुपये तक पहुंची. छमाही के लिए PAT 84.03 करोड़ रुपये रहा, जो साल दर साल 55.5 प्रतिशत की वृद्धि है. रिकॉर्ड तिमाही PAT और 30.1 प्रतिशत की वार्षिकीकृत रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) के साथ, कंपनी अपनी मजबूत वित्तीय स्थिति को प्रदर्शित करती है. छमाही के लिए ईपीएस 12.05 रुपये था, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 7.98 रुपये था.
दूसरी तिमाही में जुटाई 300 करोड़ रुपये की इक्विटी कैपिटल
वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी ने अपने प्रमुख निवेशकों से 300 करोड़ रुपये की इक्विटी कैपिटल जुटाई, जिसमें प्रमोटर और CEO द्वारा भी निवेश किया गया था. इसी के साथ कंपनी ने अपने शेयरधारकों को 1:1 के अनुपात में पहले बोनस शेयरों का घोषणा भी की. कंपनी के प्रदर्शन पर खुशी व्यक्त करते हुए MNCL के CEO गौरव भंडारी ने कहा है कि अपने प्रमोटरों, ग्राहकों, MNCL की टीम और निवेशकों का आभार प्रकट करते हैं. इन सभी के समर्थन और विश्वास से कारण ही कंपनी निरंतर आगे बढ़ रही है.
क्रिप्टो मार्केट अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से खासा उत्साहित है. पिछले कुछ दिनों में ही यह मार्केट काफी तेजी हासिल कर चुका है.
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से क्रिप्टो बाजार बेहद उत्साहित नज़र आ रहा है. चुनाव परिणाम वाले दिन बाजार में दिखी रौनक अब तक बरकरार है. खासकर, बिटकॉइन को तो जैसे पंख लग गए हैं. गुरुवार यानी आज बिटकॉइन $93,000 का आंकड़ा पार कर गया. हालांकि, बाद में इसमें कुछ गिरावट भी देखने को मिली. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद से भी बिटकॉइन को मजबूती मिली है.
आज इस तरह रही चाल
आज बाजार की शुरुआत में बिटकॉइन 93,000 डॉलर का आंकड़ा पार करके अपने नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया. अमेरिकी बाजार में इसने लगभग 6% की वृद्धि हासिल की. वहीं, सिंगापुर में फिसलकर 89,826.62 डॉलर पर आने से पहले 93,462 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था. आज सुबह 9:25 बजे तक यह लगभग 90,077 डॉलर पर कारोबार करता दिखाई दिया.
Dogecoin ने भी लुभाया
केवल बिटकॉइन ही नहीं, दूसरी क्रिप्टोकरेंसी भी तेजी के साथ आगे बढ़ रही हैं. TRX का मूल्य 15.17 रुपए चल रहा है, इसमें आज भी तेजी देखने को मिली है. बीते पांच दिनों में यह कॉइन 9.19% चढ़ चुका है. जबकि इस साल अब तक इसने 69.71% का रिटर्न दिया है. Dogecoin भी पिछले पांच दिनों में 35.11% के बढ़त हासिल कर चुका है. हालांकि, आज इसमें कुछ गिरावट आई है. 32.96 रुपए के भाव पर मिल रहे इस कॉइन ने इस साल अब तक 330.85% का शानदार रिटर्न दिया है.
इसलिए उत्साहित है बाजार
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के साथ ही क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में उत्साह इसलिए दिखाई दे रहा है, क्योंकि ट्रंप खुद क्रिप्टो समर्थक हैं. उन्होंने डिजिटल परिसंपत्तियों के लिए एक अनुकूल विनियामक वातावरण बनाने का संकेत दिया है. इसके मद्देनजर कई जानकारों का मानना है कि यह बाजारअधिक आकर्षक बन सकता है और संभावित रूप से बिटकॉइन को 100,000 डॉलर के आंकड़े को छू सकता है. रिपोर्ट बताती हैं कि 30% से 40% अमेरिकियों के पास अब किसी न किसी रूप में क्रिप्टोकरेंसी है.
मुकेश अंबानी की Reliance Industries और Disney Star India के बीच की डील पूरी हो चुकी है. इसी के साथ अंबानी ने स्टार इंडिया में हजारों करोड़ के निवेश की प्लानिंग भी कर ली है.
एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) और डिज्नी स्टार इंडिया (Disney Star India) की 70,352 करोड़ रुपये की डील पूरी हो चुकी है. इसी के साथ अब वॉयकॉम 18 और स्टार इंडिया को मिलाकर जल्द ही एक नई कंपनी की घोषणा भी होने वाली है. इस बीच मुकेश अंबानी ने स्टार इंडिया में हजारों करोड़ रुपये के निवेश की प्लानिंग भी कर ली है. तो आइए जानते हैं क्या है अंबानी की पूरी प्लानिंग?
मुकेश अंबानी का 11,500 करोड़ का प्लान
रिलायंस इंडस्ट्रीज, वॉयकॉम 18 और स्टार इंडिया तीनों कंपनियों के बीच जो मर्जर डील हुई है, उसके हिसाब से स्टार इंडिया की वैल्यू 26,000 करोड़ रुपये आंकी गई है. जबकि वॉयकॉम 18 की वैल्यू 33,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इनके मर्जर के बाद नई बनने वाली कंपनी में रिलायंस इंडस्ट्रीज 11,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. इस निवेश का फायदा स्टार इंडिया और वॉयकॉम 18 के सभी टीवी चैनलों और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स को होगा. मौजूदा समय में स्टार इंडिया 77 टीवी चैनल ऑपरेट करती है. इसी के साथ उसके पास एक डिज्नी+हॉटस्टार नाम का ओटीटी प्लेटफॉर्म भी है. इसी तरह वॉयकॉम 18 दुनिया की 8 अलग-अलग लैंग्वेज में करीब 100 चैनल चलाती है. इसी के साथ उसके पास जियो सिनेमा जैसा ओटीटी प्लेटफॉर्म है. दोनों का मर्जर होने के बाद ये देश की सबसे बड़ी मीडिया और एंटरटेनमेंट कंपनी होगी.
नई कंपनी में किसकी, कितनी हिस्सेदारी?
मर्जर के बाद बनने वाली नई कंपनी में रिलायंस की हिस्सेदारी 56 प्रतिशत होगी. जबकि स्टार इंडिया में डिज्नी की अब भी 37 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी. वहीं, उदय शंकर और जेम्स मर्डोक के बोधी ट्री सिस्टम्स के पास 7 प्रतिशत होगी. इसके अलावा नई कंपनी की चेयरपर्सन नीता अंबानी होंगी, जबकि उदय शंकर इसके वाइस चेयरमैन होंगे. बता दें, रिलायंस-डिज्नी डील को पूरा होने में काफी लंबा वक्त लगा. इस डील को लेकर कॉम्प्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने कई चिंताएं व्यक्त की थीं. सीसीआई की शिकायतों को दूर करने के बाद इस डील पर इसी साल अंतिम मुहर लग चुकी है. हालांकि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से मंजूरी मिलना बाकी है.
एक परिवर्तनकारी युग में प्रवेश कर रहा भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग
इस डील को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी ने कहा है कि 'इस संयुक्त उद्यम के गठन के साथ भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग एक परिवर्तनकारी युग में प्रवेश कर रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी गहरी रचनात्मक विशेषज्ञता और डिज्नी के साथ संबंध और भारतीय उपभोक्ताओं की हमारी बेजोड़ समझ भारतीय दर्शकों के लिए किफायती कीमत पर बेजोड़ सामग्री विकल्प सुनिश्चित करेगी. मैं संयुक्त उद्यम के भविष्य को लेकर बहुत उत्साहित हूं और इसकी सफलता की कामना करता हूं.
पिछले कुछ समय में कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स तेजी से फले-फूले हैं. ब्लिंकिट आदि की शुरुआत से किराना दुकानों का कारोबार प्रभावित हुआ है.
ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, जेप्टो, स्विगी जैसे क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को CAIT ने रिटेल इकॉनमी के लिए खतरनाक बताया है. व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी CAIT का कहना है कि ये प्लेटफ़ॉर्म भारत की खुदरा अर्थव्यवस्था की नींव को कमजोर कर रहे हैं. साथ ही एफडीआई का दुरुपयोग कर रहे हैं. ऐसे प्लेटफ़ॉर्म के चलते 3 करोड़ किराना स्टोर्स का भविष्य में अंधकारमय हो गया है.
FDI के दुरुपयोग का आरोप
CAIT इस संबंध में एक श्वेत पत्र जारी करते हुए ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, जेप्टो, स्विगी जैसे क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. एक रिपोर्ट के अनुसार, कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एवं भाजपा सांसद प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि ऐसे प्लेटफ़ॉर्म आपूर्तिकर्ताओं पर नियंत्रण, इन्वेंटरी पर प्रभुत्व और अनुचित मूल्य निर्धारण के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का दुरुपयोग कर रहे हैं. यह रणनीति एक असमान बाजार बनाती है, जहां 3 करोड़ किराना दुकानों का टिक पाना लगभग असंभव हो गया है. ये कंपनियां छोटे खुदरा विक्रेताओं को बाजार से बाहर धकेलने का काम कर रहे हैं.
सरकार से हस्तक्षेप का अनुरोध
श्वेत पत्र में यह दावा किया गया है कि क्विक कॉमर्स कंपनियां एफडीआई नीति और भारत के प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन कर रही हैं. उनकी कार्यप्रणाली न केवल छोटे व्यवसायों को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि संपूर्ण खुदरा ईकोसिस्टम के लिए भी नुकसानदायक है. CAIT कैट ने नियामक संस्थाओं से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है, ताकि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को निष्पक्ष प्रथाओं का पालन करने के लिए मजबूर किया जा सके और छोटे व्यापारियों के हितों की रक्षा हो सके.
इस तरह से बना रहे रणनीति
कैट का आरोप है कि इन कंपनियों में 54,000 करोड़ से अधिक का FDI है, जिसका इस्तेमाल न तो बुनियादी ढांचा निर्माण में किया गया और न ही दीर्घकालिक परिसंपत्तियों में. इसके बजाए कंपनियां निवेश का उपयोग संचालन में होने वाले घाटों को कवर करने, आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण रखने और कुछ चुनिंदा विक्रेताओं के माध्यम से अनुचित छूट की पेशकश पर कर रही हैं. इस रणनीति ने इन प्लेटफॉर्म्स को वह बाजार हिस्सा हासिल करने में मदद की है, जो पहले किराना दुकानों के पास था. इससे छोटे खुदरा विक्रेताओं के लिए अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है.
शेयर बाजार के निवेशकों का बस यही सवाल है कि अच्छे दिन कब आएंगे? मार्केट में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. कल यानी बुधवार को भी बाजार लाल निशान पर बंद हुआ.
शेयर बाजार के 'अच्छे दिन' नहीं चल रहे. कल भी मार्केट गिरावट के साथ बंद हुआ. यह लगातार पांचवां दिन था जब बाजार में लाली छाई रही. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 984.23 अंकों की भारी गिरावट के साथ 77,690.95 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 324.40 अंकों के नुकसान के साथ 23,559.05 के लेवल पर बंद हुआ. सेंसेक्स बीते दो दिनों में 1,805.2 अंक टूटा है, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी में 13 लाख करोड़ रुपए की कमी आई है. जबकि बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण घटकर 4,29,46,189.52 करोड़ रुपए पहुंच गया है.
ये हैं MACD के संकेत
चलिए जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं. सबसे पहले बात करते हैं मोमेंटम इंडिकेटर MACD के संकेतों की. मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) की मानें तो Heubach Colorants और Aditya Vision Ltd के शेयरों में आज उछाल देखने को मिल सकता है. इसका मतलब है कि इन शेयरों के भाव चढ़ सकते हैं. ऐसे में यदि आप दांव लगाते हैं तो मुनाफा कमाने की गुंजाइश भी बन सकती है. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि शेयर बाजार में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श ज़रूर कर लें, अन्यथा आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसी तरह, MACD ने Anup Engineering, Dixon Technologies (India), Crisil, BSE, BEML, 3M India Trading Corporation और Gillette India में मंदी का रुख दर्शाया है. यानी इनमें आज गिरावट देखने को मिल सकती है. लिहाजा इनमें निवेश को लेकर सावधान रहें.
इन पर भी रखें नज़र
आज टाटा कम्युनिकेशंस और स्विगी के शेयर भी फोकस में रह सकते हैं. दरअसल, खबर है कि ट्रांजेक्शन सॉल्यूशंस इंटरनेशनल इंडिया (TSI India) लगभग 330 करोड़ रुपए में टाटा कम्युनिकेशंस की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी टाटा कम्युनिकेशंस पेमेंट सॉल्यूशंस लिमिटेड (TCPSL) में 100% हिस्सेदारी खरीदेगी. इसके लिए दोनों कंपनियों के बीच शेयर खरीद समझौता हुआ है. जबकि स्विगी कल शेयर बाजार में लिस्ट हुई है. मार्केट में आई गिरावट के बावजूद कंपनी के शेयर कल बढ़त हासिल करने में कामयाब रहे. कंपनी के शेयर अपने इश्यू प्राइज 390 रुपए से करीब 17 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुए. लिहाजा, आज इन दोनों स्टॉक्स पर भी नज़र बनाए रखें.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
सीमेंट, मीडिया और फिर रिन्युएबल एनर्जी के बाद गौतम अडानी एक और सेक्टर में कदम एंट्री करने जा रहे हैं. उन्होंने अगले 5 साल में 42 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की पूरी प्लानिंग भी कर ली है.
एशिया के दूसरे सबसे अमीर बिजनेसमैन व अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी एक नए सेक्टर में एंट्री करने जा रहे हैं. बता दें, बीते कुछ सालों में गौतम अडानी ने अपने कारोबार को काफी आगे बढ़ा लिया है. गौतम अडानी सीमेंट, रिन्यूएबल एनर्जी से लेकर मीडिया जगत तक अलग-अलग सेक्टर में अपना लोहा मनवा चुके हैं. उन्हें हर जगह काफी सफलता हासिल हुई है, ऐसे में अब इस नए सेक्टर में उनकी आने से कई दिग्गज खिलाड़ियों की परेशानी भी बढ़ सकती है. तो आइए जानते हैं आखिर अडानी अब किस सेक्टर में एंट्री करने जा रहे हैं?
यहां निवेश करेंगे अडानी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गौतम अडानी आने वाले तीन से पांच सालों में 5 अरब डॉलर यानी 42 हजार करोड़ रुपये के निवेश के साथ भारतीय मेटल इंडस्ट्री में प्रवेश करने जा रहे हैं. ग्रुप का प्राकृतिक संसाधन प्रभाग तांबे, लोहा और इस्पात और एल्यूमीनियम की माइनिंग, रिफाइंड और प्रोडक्शन में निवेश करेगा. समूह द्वारा तांबे के उत्पादन में 2 बिलियन डॉलर और दूसरे मेटल्स में 3 मेटल इंडस्ट्री में अडानी के प्रवेश से नवीकरणीय ऊर्जा, ट्रांसमिशन, बंदरगाह और बुनियादी ढांचे सहित समूह के अन्य व्यवसायों को भी लाभ होगा. ग्रुप के ग्रीन एनर्जी बिजनेस के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि उसके पास स्वयं की एल्यूमीनियम है, जो ग्रुप के एनर्जी प्रोडक्शन कॉस्ट और दूसरों की तुलना में बेहतर बिक्री मार्जिन प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
इन दिग्गज खिलाड़ियों को देंगे टक्कर
अडानी को अब बाजार में मेटल इंडस्ट्री के मौजूदा खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, जिसमें अनिल अग्रवाल प्रमोटिड वेदांता, आदित्य बिड़ला ग्रुप की हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और टाटा ग्रुप शामिल हैं. टाटा स्टील दुनिया के सबसे बड़ी स्टील मेकर्स में से एक है.एक रिपोर्ट के अनुसार टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू स्टील 2,04,292 करोड़ रुपये और 2,11,648 करोड़ रुपये के मार्केट कैप के साथ इस सेक्टर के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं. जबकि मौजूदा कंपनियों के पास एक मजबूत मार्केट बेस है, संसाधनों की कोई कमी ना होने के कारण अदानी ग्रुप इस इंडस्ट्री के पुराने खिलाड़ियों को चुनौती दे सकता है.
इसलिए मेटल में एंड्री कर रहे अडानी
भारत की आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण देश में सामाजिक और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता बढ़ रही है. इसके अतिरिक्त, भारत की जनसंख्या वृद्धि ने रियल एस्टेट, विशेषकर आवासीय की मांग में वृद्धि की है. रियल एस्टेट सलाहकार क्रेडाई और कोलियर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रियल एस्टेट सेक्टर के 2021 में 0.2 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है. बता दें, सीमेंट, बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए आवश्यक एक प्रमुख सामग्री, एक अन्य प्रमुख सेक्टर है जहां अडानी ने दो साल पहले एंट्री की थी. 2022 में, समूह ने 6.6 बिलियन डॉलर में अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी का अधिग्रहण करके सीमेंट इंडस्ट्री में एंट्री की.
Havas के 18 प्रमुख Havas Villages के नेटवर्क में लंदन, पेरिस, न्यू यॉर्क और मुंबई जैसे हब शामिल हैं.
Havas के ग्लोबल कस्टमर एक्सपीरियंस नेटवर्क Havas CX ने सिंगापुर में अपने विस्तार की घोषणा की है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया में उनकी उपस्थिति को और मजबूत करेगा. Havas के 18 प्रमुख Havas Villages के नेटवर्क में लंदन, पेरिस, न्यू यॉर्क और मुंबई जैसे हब शामिल हैं. इस रणनीतिक विस्तार के तहत Think Design की UI/UX और एक्सपीरियंस डिजाइन विशेषज्ञता को Ekino की क्षमताओं के साथ जोड़ा जाएगा, जो 2017 से सिंगापुर में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान कर रहा है.
दक्षिण-पूर्व एशिया में पेश होंगी Havas CX Network की और सेवाएं
Havas इंडिया, दक्षिण-पूर्व और उत्तर-एशिया (जापान और दक्षिण कोरिया) के समूह सीईओ राणा बरुआ ने कहा है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में अपने CX क्षमताओं का विस्तार करना, जिसमें सिंगापुर को एक रणनीतिक केंद्र के रूप में स्थापित करना, हमारे व्यापक Converged विकास रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जहां हम Think Design के माध्यम से मजबूत UI/UX डिजाइन क्षमताएं स्थापित कर रहे हैं. वहीं, आने वाले महीनों में हम Havas CX Network की और सेवाएं दक्षिण-पूर्व एशिया में पेश करेंगे—जो दुनिया की सबसे गतिशील डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में से एक में परिवर्तनकारी कस्टमर एक्सपीरियंस देने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा.
दर्शकों के साथ बेहतर संवाद करने के लिए मिलकर करेंगे काम
Havas CX Network के ग्लोबल CEO डेविड शुलमैन ने कहा है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में सिंगापुर से शुरुआत करते हुए अपने CX क्षमताओं का विस्तार करके पूरे क्षेत्र में कस्टमर-सेंट्रिक इनोवेशन में अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत कर रहे हैं, जो हर कदम पर डिजिटल यात्रा में दर्शकों से जुड़ने वाले समाधान प्रदान करता है. रचनात्मकता, डिजाइन और तकनीकी के संयोजन से एक निर्बाध ब्रैंड अनुभव बनाने के लिए Think Design BLKJ Havas के साथ मिलकर काम करेगा और Ekino की मजबूत तकनीकी क्षमताओं के समर्थन से ब्रैंड्स को उनके दर्शकों के साथ बेहतर संवाद करने के लिए नवाचारी, प्रभावी समाधान प्रदान करेगा. इसे संयुक्त रूप से Think Design की सीईओ दीपाली सैनी और BLKJ Havas के सीईओ रोवेना भगचंदानी लीड करेंगे. ये दोनों राणा बरुआ को रिपोर्ट करेंगे.
डिजिटल इनोवेशन का केंद्र बनेगा सिंगापुर
लॉन्च पर दीपाली सैनी और रोवेना भगचंदानी ने कहा है हम इस क्षेत्र में अपनी सीएक्स क्षमताओं को एकीकृत करने के लिए उत्साहित हैं, जिससे सिंगापुर पूरे क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल इनोवेशन के लिए एक अग्रणी केंद्र बन जाएगा.
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