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25 देश, 350 कंपनियों और 10 हजार होल सेलर्स के साथ लगेगा टॉय एक्सपो, ये है इसका मकसद
भारतीय खिलौने (Indian Toys) पूरी दुनिया की पसंद बनते जा रहे हैं. हाल के वर्षों में देश से खिलौनों के एक्सपोर्ट में काफी तेजी आई है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
देसी खिलौना निर्माताओं को वैश्विक मंच मुहैया कराने के उद्देश्य से द टॉयज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (TTAI) प्रगति मैदान में बड़ा मेला लगाने की तैयारी में जुट गया है. इसमें दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर के टॉयज मैन्युफैक्चर्स हिस्सा लेंगे. आपको बता दें, 6 से 9 जुलाई के बीच प्रगति मैदान के हॉल नंबर 3 से 5 तक ग्राउंड फ्लोर पर टॉयज फेयर लगेगा. इस बार टॉयज फेयर में खिलौना निर्माताओं की कोशिश निर्यात (Export) पर जोर देने की रहेगी.
10 हजार से अधिक सेलर लेंगे भाग
बिजनेस टू बिजनेस एग्जीबिशन में देशभर से 10 हजार होलसेलर्स, कॉरपोरेट्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स और ऑनलाइन सेलर्स और 25 देशों से 100 से अधिक विदेशी ग्राहकों को बुलाने का टारगेट रखा गया है. एसोसिएशन की ओर से विदेशी ग्राहकों के लिए 5 स्टार होटल में 3 रातों का कॉम्प्लिमेंट्री स्टे ऑफर भी है. इसमें सऊदी अरब और दुबई से प्रतिनिधिमंडल आएगा, जिसमें कम से कम 15 लोग होंगे. प्रदर्शनी में डिजाइनर्स, टीचर्स, प्रिंसिपल्स, इंडस्ट्री से जुड़े सरकारी विभागों के अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है. ये पहली बार होगा कि एग्जीबिशन में 350 कंपनियां हिस्सा लेंगी. 2023 में भी जुलाई में फेयर लगा था, उसमें करीब 250 एग्जीबिटर्स ने हिस्सा लिया था. वहीं, 65 विदेशी ग्राहक और 7000 से ज्यादा घरेलू खरीदार पहुंचे थे.
चीन से आयात में आई भारी गिरावट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में अब अच्छी क्वालिटी के खिलौने बन रहे हैं. इससे एक्सपोर्ट में तेजी आई है. वहीं, चीन से आयात में भारी गिरावट आई है. इस एग्जीबिशन का उद्देश्य निर्यात को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना औरे देश को टॉयज मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है. फिलहाल देश में दिल्ली-एनसीआर में खिलौना मैन्युफैक्चरिंग का हब है. एक्सपर्ट्स के अनुसार देसी बाजार में कार्ड बोर्ड, सॉफ्ट टॉय और वुडन टॉय का चलन बढ़ा है. फिलहाल भारत में इलेक्ट्रॉनिक खिलौने का सेक्टर थोड़ा कमजोर है, जिसे जल्द ठीक कर लिया जाएगा. फिर सरप्लस टॉयज को एक्सपोर्ट कर सकेंगे.
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सरकार के सहयोग से बढ़ रहा एग्जीबिशन का क्रेज
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक समय था, जब वह जबरदस्ती निर्माताओं को बुलाते थे और एक हॉल तक नहीं भर पाते थे. अब सरकार के सपोर्ट और बीआईएस आने से निर्माता खड़े हुए हैं. इस साल 3 हॉल लिए गए हैं. दो साल में एक्सपोर्ट बढ़ा है और 10-12 देशों की कंपनियां फेयर में आने को इच्छुक हैं. कई बड़ी विदेशी कंपनियां बाहर से माल बनवाती थीं, जो अब देसी निर्माताओं को ऑर्डर दे रही हैं. इससे भारतीय उद्यमियों के साथ व्यापारियों और कर्मचारियों को भी रोजगार मिल रहा है.
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