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कच्चा तेल $90 के नीचे, क्या कम होंगे पेट्रोल-डीजल के दाम, पेट्रोलियम मंत्री ने दिया जवाब
भारत ने कच्चे तेल और गैस की कीमतों में भारी उतार चढ़ाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए. विकसित देशों में कीमतें जिस तेजी से बढ़ी हैं, भारत में दाम कम बढ़े हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: कच्चा तेल 110 डॉलर से 90 डॉलर आ चुका है, इतनी बड़ी गिरावट के बाद ये उम्मीद की जा रही है कि तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती करेंगी, लेकिन क्या ऐसा होगा, इसका जवाब पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिया है. आपको बता दें कि बुधवार को कच्चा तेल 7 महीने के निचले स्तर पर चला गया जब ब्रेंट क्रूड 88 डॉलर प्रति बैरल तक फिसल गया. गुरुवार को भी ये 90 डॉलर प्रति बैरल के नीचे ही रहा
'तेल कंपनियों को घाटा रिकवर करना है'
एक इवेंट के दौरान जब हरदीप सिंह पुरी से ये सवाल पूछा गया कि क्या भारत की तेल मार्केटिंग कंपनियां कच्चे तेल में गिरावट का फायदा उपभोक्ताओं को देंगी, क्या पेट्रोल और डीजल के भाव कम होंगे, तो उन्होंने कहा कि तेल मार्केटिंग कंपनियों को अपने घाटे से रिकवर होने के लिए थोड़ा और वक्त चाहिए. उन्होने कहा कि तेल और गैस का संकट यूरोप और दुनिया के दूसरे विकसित देशों में कहीं ज्यादा बदतर है.
'भारत में दाम घटे, जबकि दुनिया में बढ़े'
हरदीप सिंह पुरी ने इस दौरान बताया कि भारत ने कच्चे तेल और गैस की कीमतों में भारी उतार चढ़ाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. विकसित देशों में ईंधन की कीमतें जिस तेजी से बढ़ी हैं, उसके मुकाबले भारत में दाम कम बढ़े हैं. ज्यादातर विकसित देशों ने जुलाई 2021 से अगस्त 2022 के दौरान गैसोलीन की कीमतों में लगभग 40 परसेंट की बड़ी बढ़ोतरी देखी है, जबकि भारत में तेल की कीमतों में 2.12 परसेंट की कमी दर्ज हुई है. उन्होंने ये भी जोर देकर कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमतों का बढ़ना जारी रहता है तो दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी में चली जाएगी.
'रूस से इंपोर्ट काफी कम'
रूस से तेल इंपोर्ट पर सीमा लगाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत रूस से बहुत कम मात्रा में तेल का इंपोर्ट करता है. उन्होंने बताया कि 31 मार्च, 2022 को खत्म वित्त वर्ष में भारत का रूस से तेल इंपोर्ट कुल इंपोर्ट का 0.2 परसेंट था. भारत का तेल इंपोर्ट ज्यादातर सउदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात, इराक और कुवैत से है.
'तेल कंपनियां को नुकसान'
तेल मार्केटिंग कंपनियों ने कच्चे तेल की कीमतों में भारी तेजी के बावजूद पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाए थे, जबकि आमतौर पर कंपनियां हर रोज तेल की कीमतें रिवाइज करती हैं. आखिरी बार 22 मई को तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के भाव में बदलाव किया था, जब वित्त मंत्री ने 21 मई को एक्साइज ड्यूटी में कटौती का ऐलान किया था. पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 8 रुपये और डीजल पर 9 रुपये ड्यूटी घटाई गई थी. हालांकि बल्क उपभोक्ताओं के लिए ईंधन की कीमतों में इजाफा जरूर किया गया था लेकिन रिटेल में दाम नहीं बढ़ाए गए. एक अनुमान के मुताबिक तेल मार्केटिंग कंपनियों को प्रति लीटर 5 से 6 रुपये का नुकसान हो रहा है.
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