नोएडा की एक हाउसिंग सोसाइटी में काम करने वाले कार क्लीनर ने नौकरी से निकाले जाने के बाद बदला लेने के लिए दर्जन भर कारों पर तेजाब गेरकर उन्हें खराब कर दिया.
बीतते समय के लोगों की मानसिकता में भी बड़े अजीबो गरीब बदलाव आते जा रहे हैं, और ये एक किस्म के अपराध में बदल रहे हैं. सामान्यतौर पर आपके घर में काम करने वाले या किसी दूसरी तरह की सर्विस देने वाले आदमी का काम पसंद न आए तो आप क्या करेंगें उसे काम से निकाल देंगे. लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि जिसे आप काम से निकाल रहे हैं वो आपसे इसका बदला भी ले सकता है. आप इसके जवाब में शायद ना ही कहेंगे लेकिन नोएडा में कुछ ऐसा ही हुआ है. काम करने वाले ने बदला ऐसा लिया कि हजारों रुपये का नुकसान कर दिया.
नोएडा पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि, नोएडा की एक हाउसिंग सोसाइटी में काम करने वाले कार क्लीनर ने नौकरी से निकाले जाने के बाद बदला लेने के लिए दर्जन भर कारों पर तेजाब गेरकर उन्हें खराब कर दिया. कार मालिकों द्वारा कम्प्लेंट करने के बाद इस मामले में एक FIR (फर्स्ट इन्फोर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज करके 25 साल के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. कार मालिकों ने यह भी बताया है कि आरोपी 2016 से ही सोसाइटी में काम कर रहा है.
सोसाइटी में कार क्लीनर के रूप में करता था काम
पुलिस कि मानें तो मामला नोएडा सेक्टर 75 की ‘Maxblis White House Society’ का है और यह घटना बुधवार को हुई है. यह मामला नोएडा सेक्टर 113 के पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है. नोएडा सेक्टर 113 के पुलिस स्टेशन के SHO जीतेन्द्र सिंह ने मीडिया को बताया कि, आरोपी का नाम रामराज सोसाइटी में एक कार क्लीनर के रूप में काम करता था. सोसाइटी के कुछ लोग उसके काम को लेकर खुश नहीं थे तो उन्होंने तय किया कि वह आरोपी को काम से निकाल देंगे लेकिन बुधवार को वह सोसाइटी पहुंचा और लगभग दर्जन भर कारों पर तेजाब गेरकर उन्हें खराब कर दिया. खराब हुई कारों के मालिकों ने CCTV कैमरा की मदद से पता किया कि उनकी कारें खराब करने वाला कोई और नहीं बल्कि रामराज है. लेकिन वह घटना के बाद सोसाइटी से भाग गया था.
कुछ साफ नहीं बता रहा आरोपी
SHO जीतेन्द्र सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान आगे बताया कि, बाद में सोसाइटी के सिक्योरिटी अधिकारी ने आरोपी को ढूंढा और उसे पकड़कर वापस ले आया तब तक सोसाइटी के अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों की एसोसिएशन को भी इस मामले के बारे में पता चल चुका था और उन्होंने पुलिस कंप्लेंट दायर कर दी थी. जब आरोपी से सवाल पूछा गया तो उसने पुलिस को बताया कि किसी ने उसे तेज़ाब पकड़ा दिया. आरोपी स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं बता रहा है और बयानों में कुछ छुपाते हुए वह अस्पष्ट क्लेम्स कर रहा है. आरोपी को IPC (इंडियन पीनल कोड) की धारा 427 के तहत गिरफ्तार किया गया है और बाद में उसे एक लोकल कोर्ट में पेश किया जाएगा जो उसे जेल भेज देगी.
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Jane Street के मुकदमे को लेकर अमेरिकी अदालत का ड्रामा इस बात का प्रमाण है कि कैसे भारत के खुदरा निवेशकों को डेरिवेटिव बाजारों में नुकसान हो रहा है और देश का धन बर्बाद हो रहा है.
पलक शाह
भारत के शेयर बाजार की कमजोरियों का फायदा उठाकर विदेशी व्यापारी किस तरह भारत के खुदरा निवेशकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसका प्रमाण मैनहट्टन में अमेरिकी जिला न्यायालय की कार्यवाही में सामने आया है. 60 अरब डॉलर से अधिक की पूंजी के साथ दुनिया के सबसे बड़े हेज फंडों में से एक Jane Street ने कहा कि उसने भारत के स्टॉक एक्सचेंजों पर ऑप्शन सेगमेंट में कारोबार करके 2023 में सिर्फ एक साल में 1 अरब डॉलर कमाए थे.
लूपहोल्स का फायदा उठा रही थी Jane Street
Jane Street ने मात्र एक वर्ष में भारी मुनाफा कमाया जिसे Jane Street के वकीलों द्वारा अनजाने में उजागर कर दिया है. इतना ही नहीं, Jane Street ने कार्यवाही में कहा है कि वह अपना मुनाफा कमाने के लिए देश के शेयर बाजारों में लूपहोल्स का फायदा उठा रही थी. यह 1990 के दशक में अरबपति गेरोगे सोरोस द्वारा अपने मुद्रा व्यापार से कुछ एशियाई देशों को आर्थिक निराशा की चपेट में धकेलने जैसा है.
दो पूर्व कर्मचारियों पर किया मुकदमा
जेन स्ट्रीट ने प्रतिद्वंद्वी मिलेनियम मैनेजमेंट और उसके दो पूर्व कर्मचारियों डगलस शैडवाल्ड और डैनियल स्पॉटिसवुड के खिलाफ ट्रेडिंग रणनीति की चोरी करने के लिए मुकदमा दायर किया है. जेन स्ट्रीट ने कहा है कि दो व्यापारियों के इसे छोड़ने और मिलेनियम मैनेजमेंट में शामिल होने के बाद, मार्च 2024 में इसका अपना मुनाफा 50 प्रतिशत कम हो गया. ब्लूमबर्ग द्वारा रिपोर्ट किए गए बॉन्ड जारी करने वाले दस्तावेजों के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने पिछले साल नेट ट्रेडिंग रिवेन्यू में 10.6 बिलियन डॉलर और 2024 की पहली तिमाही में $4.4 बिलियन कमाए. अदालत में वकीलों और न्यायाधीश के बयानों के अनुसार, यह इसकी सबसे सफल रणनीति बन गई, जिसने 2023 में 1 बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया.
यह मामला भारत के लिए चेतावनी
अमेरिका में कोर्टरूम ड्रामा वास्तव में भारत के शेयर बाजार नियामकों और सरकार के लिए एक चेतावनी है. 90 प्रतिशत से अधिक खुदरा निवेशक भारत के डेरिवेटिव बाजार में पैसा खो देते हैं, जहां औसत दैनिक ट्रेडिंग वॉल्यूम केवल एक वर्ष में लगभग दो गुना बढ़कर 440 ट्रिलियन रुपये हो गया है. जबकि भारत अब अधिकांश सोफिस्टिकेटेड ट्रेडर के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, उनकी व्यापारिक रणनीतियाँ भारत के खुदरा निवेशकों के धन को नष्ट कर देती हैं, जो सेबी और सरकार पर खराब प्रभाव डालता है.
निवेशकों को हुआ 5.4 बिलियन डॉलर का नुकसान
जेन स्ट्रीट और मिलेनियम मैनेजमेंट अकेले नहीं हैं क्योंकि ग्रेविटॉन, जंप ट्रेडिंग, अल्फाग्रेप, टॉवर कैपिटल और सिटाडेल सिक्योरिटीज जैसे हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने भारत में अपनी एल्गोरिदम-आधारित रणनीतियों के लिए प्रतिष्ठा हासिल की है. सेबी के एक हालिया अध्ययन ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि 90 प्रतिशत सक्रिय खुदरा व्यापारी मनी ट्रेडिंग विकल्प और अन्य डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट खो देते हैं. सेबी के अध्ययन से पता चला है कि मार्च 2022 को समाप्त वर्ष में निवेशकों को 5.4 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. वित्तीय वर्ष 2021-22 में एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि औसतन एक खुदरा निवेशक को 125,000 रुपये का नुकसान हुआ. इसके अलावा, इन 90 प्रतिशत व्यक्तियों की एवरेज नेट लॉस, लाभ कमाने वाले 10 प्रतिशत की कमाई से 15 गुना से अधिक थी. सेबी के पूर्व चेयरमैन डीआर मेहता की नजर में भारत का डेरिवेटिव बाजार सबसे बड़े कैसीनो में से एक है.
भारत में हुआ 8,500 करोड़ ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार
वित्तीय वर्ष 2024 के ग्यारह महीनों के लिए, यानी अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 तक, इंडेक्स ऑप्शन ग्रॉस प्रीमियम टर्नओवर में मालिकाना व्यापारियों की हिस्सेदारी 48.9 प्रतिशत पर सबसे अधिक थी, इसके बाद व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी 35.1 प्रतिशत थी. ब्लूमबर्ग न्यूज की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय निवेशकों ने 2023 में 8,500 करोड़ ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार किया, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. भारत में खुदरा निवेशक 35 प्रतिशत ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं, जबकि संस्थान जो अपनी कंपनियों के खातों के लिए अपने जोखिम या लाभ की हेजिंग करना चाहते हैं, बाकी को संभालते हैं.
भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग में आया बड़ा उछाल
मिलेनियम का प्रतिनिधित्व करने वाले डेचर्ट वकील एंड्रयू लेवेंडर ने कहा कि यह दुनिया के सबसे बड़े ऑप्शन ट्रेडिंग बाजारों में से एक है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की मार्च की एक समाचार रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग में बड़ा उछाल आया है, 2023 में सभी वैश्विक इक्विटी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में से 78 प्रतिशत भारत से जुड़े हैं. पिछले साल भारत में 84 बिलियन से अधिक स्टॉक इंडेक्स ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार हुआ था. वकील ने फरवरी की एक समाचार रिपोर्ट का भी हवाला दिया जिसमें पाया गया कि बाजार का 35 प्रतिशत ऑप्शन ट्रेडिंग खुदरा, या शौकिया निवेशकों द्वारा संचालित किया जाता है, जबकि बाकी संस्थागत निवेशकों - जेन स्ट्रीट और मिलेनियम जैसे पेशेवरों द्वारा नियंत्रित किया जाता है.
सरकार और SEBI को करनी चाहिए कार्रवाई
ब्राउन ने कहा कि जेन स्ट्रीट व्यापारियों पर कंप्यूटर कोड या डेटा चुराने का आरोप नहीं लगा रही है. यह कोई फॉर्मूला या सॉफ्टवेयर नहीं है, बल्कि ट्रेडिंग सिग्नल और तकनीकें हैं जिन्हें आपके दिमाग में याद किया जा सकता है. मिलेनियम के वकीलों और व्यापारियों का कहना है कि उन्होंने कोई व्यापार रहस्य नहीं तोड़ा. बेकर ने कहा कि पिछले महीनों की तुलना में अस्थिरता में गिरावट - ऑप्शन ट्रेडिंग में एक प्रमुख कारक आंशिक रूप से इसके लिए जिम्मेदार है. उन्होंने यह भी कहा कि मिलेनियम जेन स्ट्रीट के पैमाने के एक अंश पर कारोबार कर रहा था. 50 गुना कम एक्सपोज़र को देखते हुए कि जेन स्ट्रीट ने उस समय के दौरान 185 मिलियन डॉलर कमाए और मिलेनियम ने 4 मिलियन डॉलर कमाए. 185 मिलियन डॉलर का आंकड़ा, यदि सटीक है, तो पता चलता है कि जेन स्ट्रीट की भारतीय विकल्प रणनीति 2024 में कई अरब उत्पन्न करने की गति पर थी. जेन स्ट्रीट के मुकदमे का जो भी हो, सेबी और सरकार को देश की संपत्ति बचाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए.
टेलीकॉम कंपनी Vodafone-Idea लिमिटेड का FPO आज लिस्ट हो गया है. एफपीओ को जहां जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला था. फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर 10 प्रतिशत के डिस्काउंट पर लिस्ट हुआ है.
वित्तीय दिक्कतों से जूझ रही Voda-Idea मार्केट में टिके रहने के लिए देश का सबसे बड़ा FPO लेकर आई थी. आज इसके शेयरों की लिस्टिंग हुई है. FPO के तहत कंपनी ने 11 रुपये के भाव पर 16,36,36,36,363 शेयर जारी किए हैं. कमजोर मार्केट सेंटिमेंट में इसके शेयर फिलहाल 13.02 रुपये के भाव पर हैं यानी कि FPO में पैसे लगाने वाले निवेशकों को 18 फीसदी का फायदा मिला है. जिसने एक हजार शेयर खरीदे थे उनको पहले दिन लगभग 2000 रुपये का फायदा हुआ. आज इसके 12 रुपये के भाव पर खुले थे और इंट्रा-डे में 13.49 रुपये तक पहुंचे थे. इसके एफपीओ को खुदरा निवेशकों का कुछ खास रिस्पांस नहीं मिला था और उनके लिए आरक्षित हिस्सा महज पूरा ही भर पाया था.
चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने जताई खुशी
आज वोडाफोन-आइडिया के FPO की लिस्टिंग के समय आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला भी मौजूद थे और उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि Voda-Idea के शेयरों के लिए आगे इससे मदद मिलेगी. उन्होंने समर्थन के लिए सरकार का भी धन्यवाद दिया और कहा कि Voda-Idea राष्ट्रीय संपत्ति है. FPO के बाद नेटवर्क एक्सपेंशन और टेक्नोलॉजी पर पूंजी का इस्तेमाल होगा जबकि Voda-Idea 2.0 की शुरुआत की जाएगी. VI के FPO के लिए घरेलू और विदेशी निवेशकों ने अच्छा उत्साह दिखाया था जिसे कंपनी के लिए अच्छा संकेत मानते हैं.
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देश का सबसे बड़ा FPO है Voda-Idea
Vodafone-Idea का FPO 18 अप्रैल को खुला था और 22 अप्रैल 2024 आवेदन की आखिरी तारीख थी. कंपनी ने 10 -11 रुपये प्रति शेयर प्राइस बैंड फिक्स किया था जिसके बाद संस्थागत निवेशकों ने इसमें जमकर सब्सक्राइब कराया था. देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी Vodafone-Idea देश सबसे बड़ा 18000 करोड़ रुपये का FPO लेकर आई थी. FPO से पहले VI के 5012 करोड़ शेयर बाजार में लिस्टेड थे जबकि आज FPO के बाद 1636 करोड़ शेयर नए लिस्ट हो गए हैं.
Voda-Idea जुटाए फंड का क्या करेगी
Voda-Idea इस FPO के जरिए जुटाई गई रकम से 12,750 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नए साइटें लगाने और मौजूदा 4G सेवा का विस्तार करने में करेगी. इसके अलावा 5जी सर्विसेज को शुरू करने के लिए भी रकम का यूज किया जाएगा. FPO के जरिए मिली रकम में से 2175 करोड़ का इस्तेमाल टेलीकॉम डिपार्टमेंट और जीएसटी डिपार्टमेंट की बकाया राशि को चुकाने के लिए किया जाएगा.
घरेलू दवा उद्योग का कारोबार 2030 तक बढ़कर 130 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है. बाजार अवसरों के विस्तार और विदेश में बढ़ती मांग के दम पर यह लक्ष्य हासिल हो पाएगा.
भारत दुनिया का सस्ता दवाखाना बनने जा रहा है और इसका सीधा फायदा देश के फार्मा निर्यात को हो रहा है. देश का औषधि निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में सालाना आधार पर 9.67 प्रतिशत बढ़कर 27.9 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया. इससे पूर्व वित्त वर्ष 2022-23 में निर्यात 25.4 अरब डॉलर था. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च माह में दवा निर्यात 12.73 प्रतिशत बढ़कर 2.8 अरब डॉलर हो गया. वित्त वर्ष 2023-24 में इस क्षेत्र के लिए शीर्ष पांच निर्यात बाजार अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील थे. भारत के कुल औषधि निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत से अधिक रही.
130 अरब डॉलर का होगा कारोबार
घरेलू दवा उद्योग का कारोबार 2030 तक बढ़कर 130 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है. बाजार अवसरों के विस्तार और विदेश में बढ़ती मांग के दम पर यह लक्ष्य हासिल हो पाएगा. भारत ने 2023-24 के दौरान पांच देशों अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में सबसे ज्यादा दवाओं का निर्यात किया. इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 31 फीसदी से अधिक रही. कुल दवा निर्यात में ब्रिटेन और नीदरलैंड का करीब तीन फीसदी योगदान रहा. भारत को पिछले वित्त वर्ष के दौरान कई नए बाजारों में कदम रखने का अवसर मिला. इन बाजारों में मोंटेनेग्रो, दक्षिण सूडान, चाड, कोमोरोस, ब्रुनेई, लात्विया, आयरलैंड, स्वीडन, हैती और इथियोपिया शामिल हैं.
206 से ज्यादा देशों में सप्लाई होती है दवाई
फार्मा निर्यातकों के मुताबिक भारत पहले से ही वैश्विक दवाखाना है क्योंकि दुनिया के 206 से अधिक देशों में किसी न किसी रूप में भारतीय दवा की सप्लाई होती है. लेकिन अब उन देशों में भी भारत की सस्ती दवाएं सप्लाई हो रही है जिन्हें भारत की सस्ती दवा पर बहुत भरोसा नहीं था. भारत हेपेटाइटिस बी से लेकर एचआईवी व कैंसर जैसी घातक बीमारियों के लिए दुनिया की दवा के मुकाबले काफी सस्ती दवा बनाता है.
क्या सस्ती होगी दवाईयां?
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका जैसे देशों में बढ़ते बाजार अवसरों और मांग से निर्यात को मासिक आधार पर वृद्धि दर्ज करने में मदद मिल रही है. लेकिन भारत से दवा निर्यात में बढ़ोतरी की वजह से दवाएं ज़रूरी तौर पर सस्ती नहीं होंगी. भारत, जेनेरिक दवाओं का दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक है. भारत में दवाओं का निर्माण बढ़ रहा है और घरेलू स्तर पर भी दवा के कारोबार में पिछले साल के मुकाबले 8-9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिख रही है. भारत दुनिया के लिए फ़ार्मेसी के रूप में काम करता है क्योंकि यह सस्ती चिकित्सीय दवाओं का एक महत्वपूर्ण वैश्विक आपूर्तिकर्ता है.
आरबीआई को कोटक बैंक के आईटी सिस्टम में गंभीर खामियां मिली थीं, जिसे दूर करने के लिए बैंक ने कुछ खास नहीं किया.
कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) मुश्किलों में घिर गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की कार्रवाई के बाद आने वाले दिन उसके लिए अच्छे नहीं रहने वाले. RBI ने इस प्राइवेट बैंक पर डिजिटल चैनलों के जरिए नए ग्राहक बनाने पर रोक लगा दी गई है. साथ ही उसे नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से भी रोक दिया है. ऐसे में अब सबकी निगाहें कोटक महिंद्रा बैंक के नए मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO अशोक वासवानी (Ashok Vaswani) पर टिक गई हैं. वासवानी ने कुछ वक्त पहले ही उदय कोटक (Uday Kotak) की जगह बैंक के CEO की जिम्मेदारी संभाली है. यह देखने वाली बात होगी कि वो बैंक को इस मुश्किल से कैसे बाहर निकालेंगे.
ऑडिट से तय होगा भविष्य
कोटक महिंद्रा बैंक के नए मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO के रूप में अशोक वासवानी की पहली चुनौती खामियों को दूर करके RBI को संतुष्ट करने की है. पेटीएम पेमेंट्स बैंक का हाल उनके सामने है, ऐसे में उन्हें सबकुछ जल्दी और सावधानी के साथ करना होगा. बैंक की तरफ से कहा गया है कि वह बैंकिंग नियामक के साथ मिलकर तकनीकी दिक्कतों को जल्द से जल्द दूर करने की कोशिश करेगा. इस कार्रवाई के बाद अब बैंक को RBI की निगरानी में व्यापक ऑडिट करवाना होगा. इस ऑडिट के आधार पर ही रिजर्व बैंक कोटक महिंद्रा बैंक के भविष्य पर फैसला लेगा.
कब तक हटेंगी पाबंदियां?
वासवानी के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि RBI की चिंताओं को दूर कर जल्द से जल्द पाबंदियों को हटवाया जाए, ताकि बैंक के बिजनेस को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचे. हालांकि, सवाल यह है कि ये काम कब तक पूरा होगा. जितने लंबे समय तक पाबंदियां कायम रहेंगी, बैंक को नुकसान होता रहेगा. दिसंबर 2020 में HDFC बैंक पर भी इसी तरह की कार्रवाई हुई और बैंक को आंशिक तौर पर पाबंदियां हटवाने में करीब 8 महीने लग गए थे. रिजर्व बैंक ने अगस्त 2021 में HDFC को आंशिक राहत दी थी. इसके बाद मार्च 2022 में बैंक ने बताया था कि आरबीआई ने उसके डिजिटल प्रोडक्ट लॉन्च पर लगाई रोक को हटा लिया है.
लगातार 2 साल बैंक ने नहीं सुनी
आरबीआई को कोटक बैंक के आईटी सिस्टम में गंभीर खामियां मिली थीं. इस पर बैंक से जवाब भी मांगा गया, लेकिन लगातार दो सालों तक बैंक RBI के दिशा-निर्देशों की अनदेखी करता रहा. इस वजह से केंद्रीय बैंक को सख्त कदम उठाना पड़ा है. RBI के अनुसार, कोटक महिंद्रा बैंक जिस तरीके से अपने IT सिस्टम का प्रबंधन करता है, उसमें कई गंभीर खामियां पाई गई थीं. इस मामले में 2022 और 2023 में बैंक का IT ऑडिट भी किया गया था. इसके बाद बैंक को निर्देश दिया गया था कि इन खामियों को सही ढंग से समय पर दुरुस्त किया जाए, लेकिन बैंक ने लगातार दो सालों तक कुछ नहीं किया. इसके मद्देनजर RBI ने बैंकिंग नियामक अधिनियम 1949 के सेक्शन 35A के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए कोटक महिंद्रा बैंक के खिलाफ कार्रवाई की.
बिगड़ जाएगी आर्थिक सेहत
कोटक डिजिटल बिजनेस में आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक से तगड़ी चुनौती मिल रही है. ऐसे में RBI की पाबंदियों का लंबा खिंचना उसकी आर्थिक सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा. यदि सबकुछ जल्दी ठीक नहीं होता, तो व्यक्तिगत तौर पर अशोक वासवानी के लिए भी अच्छा नहीं होगा. यह सवाल उठेंगे कि वह उदय कोटक से मिली जिम्मेदारी को सही से निभाने में सफल नहीं हुए. देशभर में बैंक की 1780 से ज्यादा ब्रांच हैं और 2023 तक इसके पास कुल 4.12 करोड़ ग्राहक थे. बैंक के पास भारत के क्रेडिट कार्ड मार्केट में करीब 4% की हिस्सेदारी है, बैंक के 49 लाख से ज्यादा क्रेडिट कार्ड और 28 लाख से ज्यादा डेबिट कार्ड इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
भाजपा ने पीलीभीत सीट से वरुण गांधी का पत्ता काट दिया था, लेकिन अब उसने बहन-भाई को लड़ाने की योजना बनाई है.
क्या वरुण गांधी (Varun Gandhi) अपनी चचेरी बहन प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को चुनावी मैदान में टक्कर देंगे? इस सवाल का जवाब खुद वरुण गांधी को देना है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो BJP ने वरुण से रायबरेली से लोकसभा चुनाव (Raebareli Loksabha Seat) लड़ने को कहा है. पीलीभीत सीट से टिकट कटने के बाद वरुण के पास यह आखिरी मौका है. लेकिन उनके सामने धर्मसंकट यह है कि कांग्रेस इस बार रायबरेली से प्रियंका को उतारने की तैयारी कर रही है. ऐसे में उन्हें अपनी बहन के खिलाफ सियासी जंग लड़नी होगी. इसलिए उन्होंने इस पर फैसला लेने के लिए उन्होंने कुछ समय मांगा है. बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा केवल रायबरेली और कैसरगंज से प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर पाई है.
इसलिए वरुण को मिलेगा मौका
वरुण गांधी बीते कुछ समय से काफी मुखर रहे हैं. उनके कुछ बयानों से आलाकमान भी नाराज बताया जाता है. यही वजह रही कि उन्हें पीलीभीत सीट से नहीं उतारा गया. जबकि वह पिछली बार इसी सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे. हालांकि, अब भाजपा चाहती है कि वो रायबरेली से प्रियंका के खिलाफ चुनाव लड़ें. बताया जाता है कि रायबरेली लोकसभा सीट पर BJP ने एक सर्वे करवाया था, जिसमें प्रत्याशी के तौर पर वरुण गांधी का नाम सबसे आगे आया. इसलिए पार्टी उन्हें मौका देना चाहती है. बता दें कि रायबरेली कांग्रेस का गढ़ रहा है. सोनिया गांधी यहां से सांसद चुनी जाती रही हैं. हालांकि, इस बार वह राजस्थान के कोटे से राज्यसभा चली गई हैं.
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इतने करोड़ के मालिक हैं Varun
अब जब वरुण गांधी की बात निकली है, तो उनकी आर्थिक सेहत के बारे में भी जान लेते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए वरुण गांधी द्वारा दायर हलफनामे में उनकी संपत्ति का विवरण दिया गया था. उस वक्त वरुण ने बताया था कि उनके पास 60 करोड़ रुपए ज्यादा की संपत्ति है. वरुण और उनकी पत्नी के बैंक खाते में उस समय 21 करोड़ रुपए थे. करोड़ों की दौलत के बावजूद मेनका गांधी के बेटे के नाम पर महज एक कार है. इसके अलावा, वरुण के पास 98.57 लाख की ज्वेलरी और 32.55 करोड़ की कमर्शियल बिल्डिंग है. जबकि उनकी पत्नी के पास भी 1 करोड़ मूल्य की रेजिडेंशियल बिल्डिंग है.
संपत्ति में कई गुना हुआ इजाफा
हलफनामे में वरुण गांधी ने बताया था कि उनके पास 40,500 और पत्नी के पास 3000 रुपए कैश है. उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम यानी LIC के साथ-साथ अन्य इंश्योरेंस पॉलिसी में 54 लाख रुपए इन्वेस्ट किए हुए हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने 35 करोड़ की संपत्ति होने की बात कही थी. यानी 2014 से 2019 के बीच इसमें काफी इजाफा हुआ. इस लिहाज से देखें तो आज के समय में वरुण गांधी 60 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति के मालिक होंगे. 2014 के चुनावी हलफनामे में उन्होंने कहा था कि उनके अलग-अलग बैंक अकाउंट में 11 करोड़ रुपए हैं.
शेयर बाजार में पिछले कुछ सत्रों से तेजी का माहौल है. आज भी मार्केट में उछाल देखने को मिल सकता है.
शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने वालों के चेहरे पर कल भी मुस्कान खिली रही. यह लगातार चौथा सत्र था जब मार्केट उछाल के साथ बंद हुआ. मेटल और कमोडिटी शेयरों में हुई अच्छी-खासी खरीदारी से बाजार को मजबूती मिली. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 114.49 अंक चढ़कर 73852.94 पर पहुंच गया. कारोबार के दौरान एक समय इसने 383.16 अंकों की बढ़त हासिल कर ली थी, लेकिन बाद में कुछ नरमी देखने को मिली. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 34.40 अंकों के इजाफे के साथ 22402.40 पर पहुंच गया.
इनमें मिले हैं तेजी के संकेत
चलिए जानते हैं कि MACD ने आज के लिए क्या संकेत दिए हैं. मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) की मानें, तो Bajaj Finance, Dixon Technologies, Inox India, Craftsman Automation और Cummins India में तेजी देखने को मिल सकती है. यानी इन शेयरों कीमतों में उछाल आने की संभावना है. जाहिर है ऐसे में निवेश कर मुनाफा कमाया जा सकता है. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि स्टॉक बाजार में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श जरूर कर लें, अन्यथा आपको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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इनमें आ सकती है गिरावट
इसी तरह, MACD ने Thermax, Nuvama Wealth Management, M&M और Bharat Bijlee में मंदी का रुख दर्शाया है. जिसका अर्थ है कि इन शेयरों में आज गिरावट आ सकती है. लिहाजा निवेश को लेकर सावधानी बरतें. अब जरा यह भी देख लेते हैं कि इन स्टॉक्स का पिछला रिकॉर्ड कैसा रहा है. 4,456.80 रुपए की कीमत पर उपलब्ध थर्मेक्स का शेयर बीते 5 कारोबारी सत्रों से लाल निशान पर बंद हो रहा है. हालांकि, इस साल अब तक इसने 44.17% का रिटर्न दिया है. Nuvama Wealth Management भी महंगे शेयरों में शुमार है. 5,395 रुपए के भाव पर उपलब्ध इस शेयर के लिए यह साल अब तक अच्छा गया है. इस दौरान इसने 49% से ज्यादा का रिटर्न दिया है. Mahindra And Mahindra कल गिरावट के साथ 2,059.95 रुपए पर बंद हुआ था. Bharat Bijlee के लिए भी बीते 5 सत्र अच्छे नहीं रहे हैं. इसका भाव 3,300 रुपए है.
इन पर भी बनाए रखें नजर
वहीं, कुछ शेयर से भी हैं, जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में Eicher Motors, Maruti Suzuki, Hindalco, Grasim Industries और Bharti Airtel शामिल हैं. मारुति सुजुकी के शेयर कल नुकसान में रहे. 12,905 रुपए के भाव वाला यह शेयर पिछले पांच सत्रों में ग्रीन लाइन पर ही रहा है और इस साल अब तक इसने 25.49% का रिटर्न दिया है. भारती एयरटेल की बात करें, तो इसका शेयर भी बुधवार को गिरावट के साथ 1,338.05 रुपए पर बंद हुआ. हालांकि, इस साल अब तक ये 32.08% ऊपर चढ़ चुका है. लिहाजा इन शेयरों पर भी आज नजर बनाए रखें.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
इस अधिग्रहण के साथ, Exhicon का लक्ष्य पीएसयू, निजी क्षेत्र की कंपनियों समेत विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हुए अपने ग्राहकों के लिए सेवाओं और अनुभवों को बढ़ाना है.
बीएसई पर लिस्टेड Exhicon इवेंट्स मीडिया सॉल्यूशंस लिमिटेड ने दोहा, कतर राज्य में स्थित कतर जनरल पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की गल्फ हेलीकॉप्टर्स कंपनी Q.S.C से United Helicharters प्राइवेट लिमिटेड के 89.99 प्रतिशत इक्विटी शेयरों का अधिग्रहण किया है.
17.66 करोड़ में हुआ अधिग्रहण
बीएसई पर कंपनी की घोषणा के अनुसार, अधिग्रहण की लागत 17.66 करोड़ रुपये है. UHPL भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट यात्रा, चिकित्सा निकासी, हवाई सर्वेक्षण, रखरखाव अनुसंधान और ओवरहाल (एमआरओ) सेवाओं, विमानन प्रशिक्षण और हेलीकॉप्टर पार्किंग सेवाओं के लिए हेलीकॉप्टर चार्टर सेवाएं प्रदान करने में माहिर है. UHPL के पास भारत के पश्चिम और पूर्वी तटों पर स्थित अपने ठिकानों के अलावा, पवन हंस, जुहू हवाई अड्डे, मुंबई में 15,000 वर्ग मीटर से अधिक सुविधाएं हैं.
अधिग्रहण से कंपनी का होगा विस्तार
Exhicon ग्रुप के चेयरमैन एमक्यू सैयद ने बताया कि पिछले साल कंपनी के बीएसई पर सूचीबद्ध होने के बाद यह Exhicon द्वारा किए गए सबसे महत्वपूर्ण अधिग्रहणों में से एक है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि यह अधिग्रहण अपने पोर्टफोलियो और भौगोलिक पहुंच का विस्तार करके विमानन, धार्मिक पर्यटन और MICE बिजनेस में Exhicon की स्थिति को मजबूत करने के लिए तैयार है.
भारतीय द्वारा अधिग्रहण करना गर्व की बात
Exhicon के प्रमोटर पद्मा मिश्रा ने इस मौके पर कहा कि यह गर्व की बात है कि एक भारतीय SME कतर की सरकारी कंपनी की सहायक कंपनी का अधिग्रहण करने में सक्षम हुई है. UHPL भारत की एकमात्र विमानन कंपनी है जिसने देश के बाहर संचालन के लिए एग्जीक्यूट फॉरेन कॉन्ट्रैक्ट किया है. इस अधिग्रहण के साथ, Exhicon का लक्ष्य पीएसयू, निजी क्षेत्र की कंपनियों, धार्मिक तीर्थयात्रियों और व्यावसायिक यात्रियों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हुए अपने ग्राहकों के लिए सेवाओं और अनुभवों को बढ़ाना है. यह अधिग्रहण पिछले साल Exhicon के लिए लगातार छठा अधिग्रहण है, उनमें से एक भारत के बाहर है और उनमें से एक कतर पेट्रोलियम और गल्फ हेलीकॉप्टर, दोहा, कतर से है.
टेक स्टार्टअप कंपनी जिलिंगो (Zilingo) की पूर्व को -फाउंडर (Co-Founder) व सीईओ (CEO) अंकिती बोस (Ankiti Bose) ने अपने कंपनी के 2 एग्जिक्यूटिव्स के खिलाफ मुंबई में दो एफआईआर दर्ज कराई है.
टेक स्टार्टअप कंपनी जिलिंगो (Zilingo) की एक्स को-फाउंडर (Co-Founder) अंकिती बोस (Ankiti Bose) ने अपने सहकर्मि कंपनी के 2 एग्जिक्यूटिव्स के खिलाफ मुंबई में एफआईआर (FIR) कराई है. बोस ने एफआईआर में कंपनी के को-फाउंडर और पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) ने उनके साथ ठगी, धोखाधड़ी, डराने-धमकाने सहित यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है. आपको बता दें, अपने वेतन में 10 गुना की बढ़ाने सहित इस तरह की बड़ी वित्तीय गड़बड़ियों के चलते मई 2022 में जिलिंगो बोर्ड ने अंकिती बोस को निलंबित कर दिया था.
1 साल बाद फिर सुर्खियों में आई अंकिती बोस
वेंचर कैपिटल इन्वेस्टर महेश मूर्ति के खिलाफ 820 करोड़ रुपये का मानहानि का दावा ठोकने वाली अंकिती बोस एक बार फिर सुर्खियों में आ गई हैं. यह केस 20 अप्रैल 2023 को फाइल किया गया था और अब फिर से टेक्नोलॉजी स्टार्टअप जिलिंगो (Zilingo) की पूर्व को फाउंडर (Co-Founder) व सीईओ (CEO) अंकिती बोस (Ankiti Bose) सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं. इसका कारण अंकिती द्वारा जिलिंगो (Zilingo) के को-फाउंडर ध्रुव कपूर और पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) आदि वैद्य के खिलाफ मुंबई में दर्ज कराई एफआईआर का मामला है.
छह पन्नों की शिकायत में लगे ये आरोप
अंकिति बोस ने अपने छह पन्नों की शिकायत में ठगी, धोखाधड़ी, डराने-धमकाने के साथ-साथ यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अंकिती ने आरोप लगाया है कि कपूर और वैद्य ने वित्तीय लाभ के लिए उन्हें और कंपनी के निवेशकों को गुमराह किया और झूठे आरोपों के तहत उन्हें अपने शेयर और व्यवसाय छोड़ने के लिए मजबूर किया. अंकिती बोस ने शिकायत में कहा कि वैद्य ने उन्हें गलत तरीके से फसाया है और कई पार्टी को उनके नाम पर उधारी दी है. कपूर और वैद्य इन दोनों ने उन्हें किसी दूसरे नंबर से अश्लील और गंदे मैसेज भी भेजे.
2015 में स्थापित हुआ था स्टार्टअप
आपको बता दें, साल 2015 में ध्रुव कपूर के साथ मिलकर अंकिती बोस ने स्टार्ट-अप जिलिंगो (Zilingo) की स्थापना की थी, जो कि फैशन रिटेल सेलर्स का काम करती है, इसने यूनिकॉर्न क्लब में भी जगह बनाई थी. जिलिंगो के फाउंडर्स के बीच हुए विवाद के कारण ही अंकिती बोस को कंपनी के सीईओ पद से हटना पड़ा था. वहीं, साल 2022 में अकाउंट्स में हेरफेर के मामले में दोषी करार देते हुए अंकिती को कंपनी ने बाहर का रास्ता दिखाया था. कंपनी की ओर से कहा गया था कि उन्होंने बिना किसी अप्रूवल और मैनेजमेंट के परमिशन के अपनी सैलरी में 10 गुना इजाफा किया था.
RBI ने प्राइवेट सेक्टर के बड़े बैंक पर कार्रवाई की है. आरबीआई ने बैंक पर एक्शन लेते हुए उसे नए ग्राहक जोड़ने और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोक दिया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कोटक महिंद्रा बैंक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. प्राइवेट बैंक पर ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग के जरिये नए क्रेडिट कार्ड जारी करने पर पाबंदी लगाई गई है. इसके अलावा नए ग्राहकों को जोड़ने पर भी रोक लगा दी गई है. हालांकि, RBI ने यह भी निर्देश दिए हैं कि कोटक महिंद्रा बैंक अपने क्रेडिट कार्ड ग्राहकों सहित अपने मौजूदा ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करना जारी रखे.
बैंक पर क्यों लिया एक्शन?
RBI ने आईटी रिस्क मैनेजमेंट, इनफार्मेशन सिक्योरिटी ऑपरेशन में कमी को लेकर यह कार्रवाई की है. RBI के मुताबिक, कोटक बैंक अपने ग्रोथ के साथ आईटी सिस्टम्स को बेहतर करने में विफल रहा है. आरबीआई ने कहा कि ये कार्रवाई साल 2022 और 2023 के लिए रिजर्व बैंक की बैंक की आईटी जांच से उपजी चिंताओं के बाद की है. इनपर समय रहते काम नहीं किया गया. ऐसे में बैंक पर यह एक्शन लिया गया है.
कार्रवाई के बाद RBI ने क्या कहा?
आरबीआई ने कहा कि आईटी इन्वेंट्री मैनेजमेंइ, यूजर्स पहुंच मैनेजमेंट, विक्रेता जोखिम प्रबंधन, आंकड़ों की सुरक्षा और आंकड़ा लीक रोकथाम रणनीति, व्यापार निरंतरता तथा संकट के बाद पटरी पर लौटने की कवायद आदि क्षेत्रों में गंभीर कमियां और गैर-अनुपालन देखे गए. RBI ने कहा कि लगातार दो सालों तक, रेगुलेटरी दिशानिर्देशों के तहत आवश्यकताओं के विपरीत बैंक में आईटी जोखिम और सूचना सुरक्षा संचालन में कमी पाई गई.
अब नहीं निकाल पाएंगे इस बैंक से पैसा, RBI ने लगाए कई प्रतिबंध, आपका तो नहीं है अकाउंट?
अब तक 49 लाख क्रेडिट कार्ड जारी कर चुका है बैंक
1. कोटक महिंद्रा बैंक की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, देशभर में 49 लाख से ज्यादा क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
2. बैंक के 28 लाख से ज्यादा डेबिट कार्ड एक्टिव हैं.
3. बैंक की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, देशभर में 1780 से ज्यादा ब्रांच हैं और 2023 तक कुल 4.12 करोड़ ग्राहक हैं.
4. कोटक महिंद्रा बैंक में कुल 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं.
5. बात करें रकम की तो बैंक में कुल 3.61 लाख करोड़ रुपये फिलहाल जमा हैं.
क्या ग्राहकों पर पड़ेगा असर?
कोटक महिंद्रा बैंक को तत्काल प्रभाव से अपने ऑनलाइन तथा मोबाइल बैंकिंग के जरिए नए ग्राहकों को जोड़ने और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोकने का निर्देश दिया गया है. हालांकि, बैंक अपने मौजूदा क्रेडिट कार्ड धारकों सहित अपने ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करना जारी रखेगा.
सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में फिलहाल ताइवान का दबदबा है. TSMC दुनिया की सबसे बड़ी चिपमेकर कंपनी है.
कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया ने सेमीकंडक्टर चिप (Semiconductor Chips) की कमी महसूस की, तब कहीं जाकर इसकी अहमियत समझ गई. साथ ही यह भी समझ आया कि इसके लिए किसी एक पर निर्भरता ठीक नहीं है. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सेमीकंडक्टर चिप के मामले में भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम आगे बढ़ा चुका है. पिछले महीने ही सरकार ने 1.26 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाले सेमीकंडक्टर प्लांट्स (Semiconductor Plants) के तीन प्रस्तावों को मंजूरी दे दी थी. इनमें से 2 गुजरात और एक असम में लगना है.
भारत बनेगा सेमीकंडक्टर हब
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और ताइवान की PSMC द्वारा गुजरात के धोलेरा में 91,000 करोड़ रुपए के निवेश से भारत का पहला सेमीकंडक्टर फैब (Semiconductor Fab) शुरू किया जाएगा. तीनों प्लांट के अस्तित्व में आने और उत्पादन शुरू होने से भारत को सेमीकंडक्टर हब बनने में मदद मिलेगी. जाहिर है, जब घर में ही बड़े पैमाने पर चिप बनेंगी, तो उनके लिए इंजीनियरों की भी जरूरत होगी. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि विदेशों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे भारतीय इंजीनियर्स जल्द देश वापस लौटेंगे.
इस आधार पर लगाया अनुमान
एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को उम्मीद है कि दक्षिण पूर्व एशिया और अमेरिका में काम कर रहे भारतीय सेमीकंडक्टर इंजीनियर बड़ी तादाद में भारत लौट आएंगे. सरकार ने यह अनुमान सेमीकंडक्टर कंपनियों से मिली जानकारी के आधार पर लगाया है. ये इंजीनियर स्वदेश लौटकर नई हाईटेक मैन्युफैक्चरिंग क्रांति का हिस्सा बनेंगे. IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव का कहना है कि दुनिया भर में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री उद्योग में कार्यरत वरिष्ठ प्रतिभाओं में करीब 20-25 प्रतिशत भारतीय ही हैं और हमें उम्मीद है कि उनमें से कई देश वापस आएंगे.
यहां से घर लौटेंगे भारतीय
अमेरिका में काम कर रहे ऐसे भारतीय इंजीनियर देश लौटना चाहते हैं, उनमें से अधिकांश युवा हैं. वहीं, ताइवान, सिंगापुर और मलेशिया से वापसी करने के इच्छुक इंजीनियरों की उम्र 45 साल से अधिक है. सेमीकंडक्टर चिप के बढ़ते बाजार में नौकरियों की भरमार है. इस सेक्टर से जुड़ीं कंपनियों को हजारों इंजीनियरों और टेक्नीशियनों की जरूरत है. वैसे, दुनिया में सबसे ज्यादा इंजीनियर भारत से ही निकलते हैं, लेकिन उनके पास सेमीकंडक्टर बनाने का खास अनुभव नहीं है. यही कारण है कि कंपनियां इन प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने के लिए बहुआयामी रणनीति पर काम कर रही हैं. अमेरिकी कंपनी माइक्रॉन गुजरात के साणंद में प्लांट लगा रही है और इस साल दिसंबर तक वहां चिप उत्पादन शुरू हो जाएगा. कंपनी भारत में भर्ती की गई प्रतिभाओं को शुरुआत में मलेशिया, जापान और दक्षिण कोरिया के अपने कारखानों में ट्रेनिंग देगी. इसके बाद उन्हें वापस भारत लाया जाएगा.
फिलहाल ताइवान का दबदबा
गुजरात में बनने वाली सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हिकल इंडस्ट्रीज, टेलीकॉम, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर में होगा. इसके साथ ही भारत ग्लोबल चेन का भी हिस्सा बनेगा. यानी एक तरह से भारत दुनिया की चिप संबंधी जरूरतों को भी पूरा करने की स्थिति में आ जाएगा. सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में फिलहाल ताइवान का दबदबा है. 2020 में इस इंडस्ट्री के वैश्विक रिवेन्यु में ताइवान की कंपनियों की हिस्सेदारी 60% से अधिक थी. Taiwan Semiconductor Manufacturing Co. (TSMC) दुनिया की सबसे बड़ी चिपमेकर कंपनी है. कोरोना महामारी से पहले तक TSMC ग्लोबल मार्केट की 92 फीसदी डिमांड को पूरा कर रही थी. TSMC के क्लाइंट में Apple, Qualcomm, Nvidia, Microsoft, Sony, Asus, Yamaha, Panasonic जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं. ताइवान की UMC भी इस सेक्टर की लीडर है.
Bharat को मिलेंगे कई लाभ
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट शुरू होने से कई लाभ होंगे. पहला, हमारी प्रतिभाओं में इस इंडस्ट्री की अच्छी समझ विकसित होगी. उन्हें अवसरों की तलाश में बाहर नहीं जाना होगा. इसके साथ ही विदेशों में से भारतीय इंजीनियर घर वापसी का मौका तलाश रहे हैं, उनकी तलाश भी पूरी होगी. इसके अलावा, भारत दूसरे देशों की चिप जरूरतों को पूरा करने की स्थिति में भी आ जाएगी. सरल शब्दों में कहें तो भारत अपनों के हाथ मजबूत करने के साथ ही दूसरों की जरूरतों को भी पूरा कर पाएगा. बता दें कि यह बाजार लगातार बड़ा होता जा रहा है. 2027 तक सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के 726.73 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.