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SBI को लेकर CAG की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, सरकार पर भी सवाल
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विभाग ने पूंजी डाले जाने से पहले अपने मानकों के तहत पूंजी जरूरत का आकलन नहीं किया.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
देश की सबसे बड़ी सरकारी बैंक 'स्टेट बैंक ऑफ इंडिया' (SBI) को लेकर कैग ने अपनी रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा किया है. कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र सरकार ने बिना मांगे ही SBI को 8800 करोड़ रुपए दिए थे. डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विस (DFC) की तरफ से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को ये रकम बिना मांगे ही दी गई थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंक की ओर से वित्त वर्ष 2018 में मांग किए बिना ही उसे 8800 करोड़ रुपए कैपिटलाइजेशन एक्सरसाइज के रूप में दिए गए थे.
संसद में पेश हुई रिपोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि DFC ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डाले जाने की पहल के तहत वित्त वर्ष 2017-18 में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को 8,800 करोड़ रुपए दिये थे. जबकि SBI ने इस राशि की मांग नहीं की थी. कैग की यह रिपोर्ट संसद में पेश की गई है. कैग ने मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए अनुपालन ऑडिट रिपोर्ट में कहा कि वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विभाग ने पूंजी डाले जाने से पहले अपने मानकों के तहत पूंजी जरूरत का आकलन नहीं किया.
नहीं किया गया आकलन
कैग ने केंद्र सरकार (आर्थिक और सेवा मंत्रालयों) पर 2023 की रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय सेवा विभाग (DFC) ने 2017-18 में 8,800 करोड़ की पूंजी एसबीआई में डाली. यह राशि देश के सबसे बड़े बैंक में कर्ज वृद्धि के मकसद से डाली गई थी, हालांकि इसकी कोई मांग नहीं की गई थी. विभाग ने पूंजी डालने से पहले अपने मानदंडों के तहत पूंजी जरूरतों का आकलन नहीं किया.
RBI के मानदंड नहीं माने
रिपोर्ट के अनुसार, विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में पूंजी डालते समय भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्धारित मानदंडों से भी आगे बढ़कर राशि जारी की. आरबीआई ने पहले ही देश में बैंकों को लेकर एक प्रतिशत की अतिरिक्त पूंजी आवश्यकता निर्धारित की थी. इसके परिणामस्वरूप 7,785.81 करोड़ रुपए का अतिरिक्त पूंजी प्रवाह हुआ था.
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