BW MarketWorld: मार्केटिंग की दुनिया के दिग्गजों ने साझा किया अपनी सफलता का मंत्र

BW बिजनेसवर्ल्ड द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मार्केटिंग की दुनिया के दिग्गजों ने बताया कि वह सफलता के लिए क्या करते हैं.

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Saturday, 19 August, 2023
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BW Businessworld द्वारा दिल्ली में आयोजित मार्केटिंग इवेंट में सेक्टर की दिग्गज हस्तियां शिरकत कर रही हैं. आयोजन के दूसरे दिन विभिन्न कंपनियों के मार्केटिंग लीडर्स ने अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने अपनी सफलता का मंत्र साझा करते हुए यह भी बताया कि मार्केटिंग में करियर बनाने वाले युवाओं को सक्सेसफुल बनने के लिए क्या करना चाहिए. इस दौरान बिजनेस वर्ल्‍ड समूह के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा भी उपस्थित रहे.  

पैनल डिस्कशन में ये रहे मौजूद
कार्यक्रम के दौरान पैनल डिस्कशन भी आयोजित किया गया, जिसमें NEC Corporation India के सीनियर GM एवं हेड - मार्केटिंग एंड कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन अरविंद सक्सेना, Metro Brands की मार्केटिंग हेड दीपिका दीप्ति, Spencer's Retail & Nature's Basket के VP, चीफ मार्केटिंग एवं ओमनीचैनल ऑफिसर हर्षवर्धन चौहान, LensKart के VP ईकॉमर्स मधुर आचार्य, MakeMyTrip के चीफ मार्केटिंग एवं बिजनेस ऑफिसर राज ऋषि सिंह, Bajaj Allianz General Insurance के मार्केटिंग हेड विक्रमजीत भयाना शामिल हुए. जबकि सेशन चेयर के रूप में BW Businessworld के रूहेल अमीन मौजूद रहे. 

लीडरशिप पर कही ये बात
रूहेल अमीन के इस सवाल के जवाब में कि मार्केटियर के तौर पर आप अपना लीडरशिप स्टाइल कैसे परिभाषित करेंगे? आपके लिए प्रभावी लीडरशिप क्या है? NEC Corporation India के सीनियर GM एवं हेड - मार्केटिंग एंड कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन अरविंद सक्सेना ने कहा कि इसे केवल एक शब्द में परिभाषित किया जा सकता है और वो है - पीपल. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि बाय द पीपल, फॉर द पीपल. मार्केटिंग से जुड़े किसी भी शख्स को संगठन के भीतर और बाहर के लोगों के बारे में सोचना चाहिए. संगठन के भीतर के लोगों में कर्मचारी आते हैं और बाहर के लोगों में 
ग्राहक, पार्टनर, थर्ड पार्टी आदि. जब हम सभी के बारे में सोचते हैं और उसके अनुरूप रणनीति तैयार करते हैं, तो सफलता सुनिश्चित है.  

लोगों से जुड़ाव सबसे महत्वपूर्ण
Metro Brands की मार्केटिंग हेड दीपिका दीप्ति ने अरविंद सक्सेना से सहमति जताते हुए कहा कि सबकुछ इस पर निर्भर करता है कि आप लोगों से कैसा जुड़ाव रखते हैं, कैसे टीम निर्मित करते हैं. इसलिए जब मैं किसी को काम पर रखती हूं तो उसकी अलग-अलग क्वालिटी पर भी ध्यान देती हूं. जिसमें सॉफ्ट स्किल भी शामिल हैं और ये मार्केटिंग के लिए बेहद जरूरी है. वहीं, Spencer's Retail & Nature's Basket के VP, चीफ मार्केटिंग एवं ओमनीचैनल ऑफिसर हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि मेरे लिए हर कोई लीडर है. परिस्थितियां, अवसर, जोखिम लीडर का निर्माण करते हैं. यदि आप ऐसे शख्स हैं जो दूसरों को छोड़ खुद रिस्क लेते हैं तो आप लीडर हैं. ऐसा हर दिन होता है. मेरे लिए यह महत्वपूर्व है कि आप खुद से जुड़ाव रखने वाले लोगों में क्वालिटी कैसे जोड़ते हैं. 

प्रोडक्ट का एसेंस पता होना जरूरी
LensKart के VP ईकॉमर्स मधुर आचार्य ने कहा कि मार्केटियर का मतलब है एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास वजन हो. जो सबकी सुने, सबसे फीडबैक ले और सुनिश्चित करें कि सभी उसके साथ हैं. वहीं, MakeMyTrip के चीफ मार्केटिंग एवं बिजनेस ऑफिसर राज ऋषि सिंह ने कहा कि आजकल मार्केटिंग बहुत व्यापक हो गई है और हमें बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. Bajaj Allianz General Insurance के मार्केटिंग हेड विक्रमजीत भयाना ने अपने लीडरशिप मंत्र पर बोलते हुए कहा कि मार्केटियर के तौर पर हमें अपनी कंपनी के प्रोडक्ट का एसेंस पता होना चाहिए. दूसरी फील्ड से इतर हमारी फील्ड में प्रोडक्ट का मतलब है क्लेम. क्लेम की स्थिति तब आती है जब किसी के साथ कुछ बुरा होता है. उस समय आपको वहां उनके साथ होना होता है. इसलिए यदि आप अपनी कंपनी के प्रोडक्ट के एसेंस को समझते हैं और अपनी टीम को भी इसका अहसास दिलाते हैं तो आपकी सफलता निश्चित है. हमारा 14 करोड़ का कस्टमर बेस है, हम कर्मचारियों के लिए एक ऐसा वातावरण बनाते हैं कि उन्हें ये अहसास हो कि वो हजारों-लाखों लोगों की मदद कर रहे हैं.

सभी को प्रोएक्टिव रहना चाहिए
इनोवेशन के लिए समय निकालने से जुड़े सवाल पर अरविंद सक्सेना ने कहा कि हम सभी को प्रोएक्टिव रहना चाहिए, खासतौर पर फिजिकली. स्टाफ के पहुंचने से 15 मिनट पहले ऑफिस पहुंचें, क्योंकि इससे आपको सामान्य दिनचर्या शुरू होने से पहले सोचने के लिए कुछ समय मिल जाएगा. अरविंद ने आगे कहा- मेरे दिन की शुरुआत ब्रह्म काल यानी सुबह के 3.40 बजे होती है. इसलिए मेरे पास अपने लिए काफी समय होता है. मैं बहुत कुछ सोच सकता हूं. दीपिका दीप्ति ने कहा कि मैं आर्टिस्ट बैकग्राउंड से हूं इसलिए कल्चरल शिफ्ट पर ध्यान देती हूं. टीम के युवाओं से बात करती हूं, क्योंकि उनके पास अपेक्षाकृत ज्यादा आईडिया होते हैं. हर्षवर्धन चौहान के मुताबिक, वह सामान्य लोगों की तरह ही उठते हैं. वह कुछ भी प्लान नहीं करते. उन्हें वर्तमान में जीना पसंद है और वह मानते हैं कि प्लान न होने से आप हर चीज के लिए खुले रहते हैं. गलतियों से सीखते हैं. 

एक दिन एडवांस रहना अच्छा
मधुर आचार्य ने कहा - मैं 3.40 बजे सोता हूं. मैं अपने अगले दिन की तैयारी पहले ही कर लेता हूं. मेरा व्हट्सऐप ग्रुप है, जो कुछ मुझे पसंद आता है मैं उसमें डाल देता हूं और जब भी सही समय मिलता है, मैं उस पर विचार करता हूं. टीम को एडवांस में टास्क देता हूं. इनोवेशन पर सोचने का कोई समय नहीं होता, ये कभी हो सकता है. राज ऋषि सिंह का मानना है कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कब सोते हैं, जब जागते हैं. समय सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति है. समय के महत्व को पहचानना महत्वपूर्ण है. मैं आयरन मैन की तैयारी कर रहा हूं, उस दौरान अपने बिजनेस के बारे में सोचता हूं.

इनसे मिलती है इनोवेशन
विक्रमजीत भयाना ने बताया कि उन्हें इनोवेशन के लिए सोचने का समय ट्रेवलिंग के दौरान मिलता है. उन्होंने कहा - मैं महीने में 15 दिन ट्रेवल करता हूं. मुझे ट्रेवलिंग से प्रेरणा मिलती है. मैं इस दौरान कई लोगों से मिलता हूं, उनसे बात करना पसंद है. मेरा मानना है कि असली इनोवेशन आपको कैब ड्राइवर, पान टपरी वाले या होटल में आपका लगेज उठाने वाले से मिलती है. यदि आप उनसे 5 मिनट ही बात कर लें, तो आपको शहर, वहां के लोगों के बारे में इतना कुछ पता चल जाएगा जो आपको किसी न्यूजपेपर में नहीं मिल सकता. मैंने कुछ समय में ही 10 कैब ड्राइवर्स को इंश्योरेंस एडवाइजर बनाया है. जितनी ज्यादा आप लोगों से बात करेंगे, उनकी जरूरत जानेंगे और उसके अनुसार समाधान प्रदान करेंगे, उतने ही ज्यादा वे आपके साथ जुड़ाव महसूस कर पाएंगे.
 


बांग्लादेश में श्रमिकों का बुरा हाल, एक दशक से न्याय का कर रहे हैं इंतजार

बांग्लादेश में गारमेंट वर्कर का बुरा हाल है. श्रमिकों पिछले एक दशक से न्याय की मांग कर रहे हैं लेकिन श्रमिकों को डरा-धमकाकर चुप कराने के लिए उनके खिलाफ मनमाने मामले दर्ज किए गए है.

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Wednesday, 01 May, 2024
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अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर AMNESTY INTERNATIONAL ने कहा कि बांग्लादेश में गारमेंट वर्कर को भय और दमन के माहौल का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि श्रमिकों के अधिकारों पर राज्य द्वारा स्वीकृत कार्रवाई के बीच बिजनेस से संबंधित मानवाधिकारों के हनन के लिए कॉर्पोरेट को दी गई छूट नियंत्रण में नहीं है.

श्रमिकों का है बुरा हाल

पिछले महीने राणा प्लाजा के ढहने की 11वीं बरसी थी, जिसमें 1,100 से अधिक कपड़ा श्रमिक मारे गए और हजारों घायल हो गए थे. पांच महीने पहले ही ताज़रीन फ़ैशन फ़ैक्टरी में घातक आग लगने से यह ढह गई थी, जिसमें फ़ैक्टरी परिसर में फंसे कम से कम 112 श्रमिकों की मौत हो गई थी. ढाका क्षेत्र में पूरी तरह से लापरवाही के चलते हुई ये दोनों घटनाएं बिजनेस से संबंधित मानवाधिकारों के दुरुपयोग के चौंकाने वाले उदाहरण हैं. ये घटनाएं बांग्लादेश में सभी श्रमिकों के लिए व्यापार और मानवाधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बेहतर व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा की सख्त आवश्यकता को उजागर करते हैं.

पिछले 11 साल से नहीं मिला है न्याय

राणा प्लाजा ढहने और तज़रीन फैशन के संबंध में बांग्लादेश लीगल एड एंड सर्विसेज ट्रस्ट (BLAST) और अन्य गैर सरकारी संगठनों द्वारा संबंधित राज्य अधिकारियों, साथ ही स्थानीय भवन और कारखाने के मालिकों के खिलाफ दायर मुआवजे के मामलों को पिछले ग्यारह साल में हल नहीं किया गया है. इसके साथ ही इस निंदनीय लापरवाही के लिए उचित मुआवजे की मांग की गई जिसके कारण हजारों श्रमिकों की मौत हुई और कुछ घायल हुए थे.

मुआवजे के लिए तरस रहे हैं श्रमिक

साउथ एशिया AMNESTY INTERNATIONAL के डिप्टी रिजनल डायरेक्टर नादिया रहमान ने कहा कि एक दशक से अधिक समय हो गया है, लेकिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राणा प्लाजा के ढहने और ताज़रीन फैशन की घटना के लिए कॉर्पोरेट जवाबदेही स्थापित करने के प्रयास काफी हद तक असफल रहे हैं, जो बांग्लादेश में कपड़ा श्रमिकों की हालिया स्थितियों को उजागर करता है. श्रम कानून में मनमानी सीमाओं और अनुपालन की कमी के कारण मुआवजा एक दूर का सपना बना हुआ है, इन दोनों में बदलाव होना चाहिए. न्याय की कमी के अलावा, अधिकांश श्रमिक आज भी ऐसे उद्योग में उचित वेतन के लिए लड़ रहे हैं. 

कपड़ा श्रमिकों के खिलाफ मनमाने मामले

2023 में विरोध प्रदर्शन के बाद से कपड़ा श्रमिकों के खिलाफ कम से कम 35 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें FIR में लगभग 161 नामदर्ज श्रमिक और लगभग 35,900 से 44,450 अज्ञात श्रमिकों पर विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का आरोप लगाया गया है. हाल के 35 में से 25 मामले उन फ़ैक्टरियों द्वारा दायर किए गए हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वे प्रमुख ग्बोबल फैशन ब्रैंड और खुदरा विक्रेताओं को बेचते हैं. AMNESTY INTERNATIONAL से बात करते हुए बांग्लादेश के श्रमिक कार्यकर्ता आमीन हक ने कहा कि साल-दर-साल, विरोध करने वाले श्रमिकों को अदालतों में उपस्थिति देनी होती है. क्योंकि ऐसा नहीं करने पर उनकी जमानत रद्द हो सकती है. इसके परिणामस्वरूप वेतन की कटौती के साथ-साथ उनकी नौकरियां भी खतरे में पड़ गई हैं.

प्रदर्शन कर रहे श्रमिकों के खिलाफ गैरकानूनी बल का प्रयोग

AMNESTY INTERNATIONAL से बात करते हुए बांग्लादेश में एक श्रमिक NGO कार्यकर्ता तौफीक ने कहा कि जब श्रमिक अपनी आवाज उठाते हैं, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है; जब वे संगठित होने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें धमकाया जाता है और बर्खास्त कर दिया जाता है; और अंत में, जब कार्यकर्ता विरोध करते हैं, तो उन्हें पीटा जाता है, गोली मारी जाती है और गिरफ्तार कर लिया जाता है. अक्टूबर 2023 में कपड़ा श्रमिकों के विरोध प्रदर्शन को शुरू हुए छह महीने हो गए हैं, लेकिन आज तक किसी भी पुलिस अधिकारी को गैरकानूनी बल प्रयोग और प्रदर्शनकारियों की मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है.

अपराधी घूम रहे हैं खुलेआम

2012 में तज़रीन फैशन की आग से बची सोकिना ने AMNESTY INTERNATIONAL को बताया कि ग्यारह साल से अधिक समय हो गया है और हमें अभी भी अपना उचित मुआवजा नहीं मिला है. फैक्ट्री का मालिक खुलेआम घूम रहा है और सत्तारूढ़ दल के साथ मजबूत संबंध स्थापित करके नए व्यवसाय चला रहा है, जबकि हम गरीबी का जीवन जी रहे हैं. 
 


अडानी समूह की इस कंपनी के PAT में हुआ 100 फीसदी इजाफा, Wilmar ने भी मारी बाजी 

अडानी समूह की इन दो कंपनियों के नतीजे आज जारी होने के बाद उम्‍मीद की जा रही है इसका असर गुरुवार को इनके शेयरों पर देखने को मिलेगा. 

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Wednesday, 01 May, 2024
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बुधवार को शेयर बाजार बंद होने के बीच अडानी समूह की दो बड़ी कंपनियों के नतीजे जारी हो गए. अडानी समूह के स्‍वामित्‍व वाली कंपनी अंबुजा सीमेंट के टैक्‍स के बाद मुनाफे में 100 फीसदी का इजाफा हुआ है. साल दर साल के आधार पर तुलना करें तो पिछले साल ये जहां 763 करोड़ रुपये था वहीं इस साल इसमें 100 फीसदी से ज्‍यादा के इजाफे के बाद ये 1525 करोड़ से ज्‍यादा हो गया है. वहीं अडानी विल्‍मर के आंकड़े भी बता रहे हैं कि कंपनी की ग्रोथ में 59 प्रतिशत से ज्‍यादा का इजाफा हुआ है. 

आखिर कितना हुआ है अंबुजा सीमेंट को फायदा? 
अंबुजा सीमेंट की चौथी तिमाही के नतीजे बता रहे हैं कि उसके ऑपरेशन से होने वाले मुनाफे में 11.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 8894 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है. जबकि पिछले साल ये इसी तरह 7966 करोड़ था. वहीं अगर कंपनी के EBITDA पर नजर डालें तो उसमें 37 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 1699 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है. कंपनी के EBITDA मार्जिन में 19.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वहीं कंपनी के नेट प्रॉफिट पर नजर डालें तो उसमें 119 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और वो 4738 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है. जबकि पिछले साल इसी तिमाही में ये 2168 करोड़ रुपये था. इसी तरह से ऑपरेटिंग रेवेन्‍यू में भी सिंगल डिजिट का इजाफा हुआ है. कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्‍यू इस तिमाही में 33160 करोड़ रुपये रहा है जबकि पिछली बार ये 31037 करोड़ रुपये रहा था. इसमें 7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. 

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कंपनी के सीईओ ने कही ये बात 
अडानी समूह के मालिकाना हक वाली इस कंपनी के सीईओ अजय कपूर ने तिमाही नतीजों पर कहा कि हम लॉन्‍ग टर्म वैल्‍यू एडिशन और लगातार विकास करने में सतत बने हुए हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्‍योंक‍ि हम ऊर्जा, तेल आपूर्ति, क्षमता में सुधार, कच्‍चे माल और ईंधन की सुनिश्चित आपूर्ति की ओर बढ़ रहे हैं. हम देश की विकास यात्रा में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे, सस्‍टेनेबिलिटी को लेकर कंपनी की ओर से उठाए गए कदम लगातार रंग ला रहे हैं. कॉस्‍ट इफेक्‍टिवनेस अभी भी हमारी सबसे बड़ी रणनीति बनी हुई है. 

कैसे रहे हैं अडानी विल्‍मर के नतीजे? 
अडानी विल्‍मर के नेट प्रॉफिट पर नजर डालें तो वो 67 फीसदी के इजाफे के साथ 156.75 करोड़ रुपये रहा. जबकि साल दर साल के हिसाब से अगर पिछले साल की स्थिति पर नजर डालें तो ये 93.61 करोड़ रुपये रहा था. वहीं अगर कंपनी की आमदनी पर नजर डालें तो वो इस बार मार्च तिमाही में गिरकर 13342.26 करोड़ रुपये रही जबकि पिछले साल ये इसी तिमाही में 14185. 68 करोड़ रुपये रही थी. आमदनी में कमी के कारण कंपनी के शुद्ध मुनाफे में भी कमी देखने को मिली है. 147.99 करोड़ रुपये रहा है, जो वित्‍त पिछले वित्‍त वर्ष में 582.12 करोड़ थी. 

क्‍या बोले कंपनी के सीईओ? 
अडानी विल्‍मर के सीईओ और एमडी अंगशु मलिक ने कहा कि रिटेल सेगमेंट में इजाफा होने के कारण हमने अपने फूड सेगमेंट के तेल और फूड बिजनेस में बढ़ोतरी देखी है. अडानी विल्‍मर अडानी समूह की वो कंपनी है जो खाने के तेल फॉर्च्‍यून और दूसरे एफएमसीजी प्रोजेक्‍ट बाजार में मुहैया कराती है. कंपनी की 11.3 करोड़ घरों तक पहुंच है. कंपनी के 5700 डिसट्रीब्‍यूटर और 23 मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्‍लांट हैं. 
 


SEBI ने 1.3 करोड़ निवेशकों को दिया झटका, अकाउंट किया होल्ड, नहीं कर पाएंगे ट्रांजैक्शन

SEBI ने म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए खोले गए खातों में से करीब 1.30 करोड़ खातों को ‘on hold’ पर डाल दिया गया है.

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Wednesday, 01 May, 2024
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अगर आप भी शेयर बाजार, म्‍युचुअल फंड या कमोड‍िटी मार्केट में न‍िवेश करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. SEBI ने करीब 1.3 करोड़ डीमैट अकाउंट को होल्‍ड पर रखा गया है. इसका सीधा मतलब यह हुआ क‍ि ज‍िनका भी अकाउंट होल्‍ड पर है, वे इसके जर‍िये क‍िसी प्रकार का ट्रांजेक्‍शन नहीं कर सकते. KYC रज‍िस्‍ट्रेशन करने वाली संस्‍था केआरए (KRA) ने इस बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि KYC पूरा नहीं होने की वजह से इन अकाउंट को होल्ड कर दिया गया है.

KYC नियमों के उल्लंघन के चलते की गई कार्रवाई 

यह कार्रवाई KYC के विभिन्न नियमों के उल्लंघन के चलते की गई है. कई सारे कस्टमर्स लगातार शिकायत कर रहे थे कि वह KYC के बावजूद निवेश नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए सभी KRA ने संयुक्त बयान जारी किया है. KRA के अनुसार, पैन कार्ड और आधार कार्ड होने के बावजूद कई लोगों की KYC पूरी नहीं है. उनके पैन कार्ड और आधार कार्ड आपस में लिंक नहीं हैं. इनमें से कई लोगों ने KYC के लिए बिजली और टेलीफोन के बिल एवं बैंक अकाउंट का स्टेटमेंट दिया था. अब सेबी ने स्पष्ट कर दिया है कि इन्हें वैध दस्तावेज नहीं माना जाएगा.

7.9 करोड़ खाताधारकों के वैल‍िड KYC

KRA की र‍िलीज के अनुसार 11 करोड़ निवेशकों में से करीब 7.9 करोड़ (73%) के वैल‍िड KYC हैं. इसके अलावा करीब 1.6 करोड़ निवेशकों के KYC रजिस्टर्ड कैटेगरी में हैं, इनके पास निवेश करने का ल‍िम‍िटेड एक्‍सेस है. वहीं कुल निवेशकों में से 12% अपने डीमैट अकाउंट और एमएफ फोलियो को ऑपरेट नहीं कर सकते.

निवेशकों को तीन कैटेगरी में बांटा

एक अप्रैल से नए नियमों के तहत सभी KRA ने निवेशकों को तीन कैटेगरी में बांटा है. इन्हें वैलिडेटिड, रजिस्टर्ड और होल्ड में बांट दिया गया है. एक केआरए अधिकारी ने बताया कि निवेशकों को उनके पैन कार्ड, आधार कार्ड, ईमेल और मोबाइल नंबर के आधार पर अलग-अलग श्रेणी में रखा गया है. जिन निवेशकों की KYC वैलिडेटिड है, वह आराम से इनवेस्टमेंट जारी रख सकते हैं. रजिस्टर्ड KYC के दायरे में आने वाले निवेशक दोबारा से KYC करवाकर निवेश जारी रख सकते हैं. हालांकि, बैंक स्टेटमेंट और यूटिलिटी बिल जैसे दस्तावेज देने वालों को होल्ड कैटेगरी में डाला गया है. यह सभी किसी भी तरह का निवेश नहीं कर पाएंगे. साथ ही KYC डाक्यूमेंट्स को अपलोड किए बिना यह लोग अपने पैसे को भी निकाल पाएंगे.

कैसे करें KYC?

किसी भी केवाईसी रजिस्ट्रेशन एजेंसी (KRA) की वेबसाइट पर जाकर 'KYC इंक्‍वायरी' में अपनी KYC की स्थिति देख सकते हैं. इसके अलावा आप जरूरी कार्रवाई भी कर सकते हैं. इसके अलावा आप अपने ब्रोकर या म्यूचुअल फंड हाउस की वेबसाइट के जरिए भी KYC अपडेट कर सकते हैं. अगर आप एक बार अपना KYC अपडेट कर देते हैं तो यह आपके शेयरों, म्यूचुअल फंड और कमोडिटीज सहित सभी निवेशों पर लागू हो जाएगा. आपको हर उस ब्रोकर और फंड हाउस के लिए अलग से KYC अपडेट कराने की जरूरत नहीं होगी.
 


कितनी बढ़ने वाली है केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी? 8वें वेतन आयोग पर सामने आया ये बड़ा अपडेट

माना जा रहा है कि चुनाव बाद 8वें वेतन आयोग को लेकर कोई खबर सुनने को मिल सकती है.

Last Modified:
Wednesday, 01 May, 2024
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यदि आप केंद्र सरकार के लिए काम करते हैं, तो आने वाला समय सैलरी के लिहाज से आपके लिए शानदार रह सकता है. भले ही 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ हो, लेकिन माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव बाद इस पर कोई सकारात्मक खबर सुनने को मिल सकती है. साथ ही 8वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की सैलरी में बड़ा इजाफा किया जा सकता है और यह छठे वेतन आयोग में हुई वृद्धि से भी अधिक रह सकता है.  

अभी नहीं आया है सही वक्त  
8वां वेतन आयोग को लेकर फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है. हालांकि, सूत्र बताते हैं कि इस दिशा में काम आगे बढ़ रहा है. उनका कहना है कि अभी इस पर चर्चा इसलिए भी सही नहीं है, क्योंकि वेतन आयोग के गठन का वक्त अभी नहीं आया है. वहीं, कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद जब नई सरकार का गठन होगा, तो इस पर फैसला लिया जाएगा. यह लगभग तय है कि अगर 8वें वेतन आयोग का गठन होता है, तो केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में जबरदस्त उछाल आएगा.

इस बार होंगे कई बदलाव
8वें वेतन आयोग के गठन के लिए कर्मचारियों को अभी इंतजार करना होगा. इस पर कोई खबर चुनाव खत्म होने के बाद 2025 या 2026 तक मिल सकती है. सूत्रों का कहना है कि 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के मुताबले 8वें वेतन आयोग में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं. उदाहरण के तौर पर, इसमें फिटमेंट फैक्टर के फॉर्मूले पर सैलरी नहीं बढ़ेगी. बल्कि किसी दूसरे फॉर्मूले के आधार पर सैलरी इंक्रीमेंट दिया जा सकता है. इसके अलावा, 10 साल में एक बार वेतन आयोग के गठन की व्यवस्था को बदलकर सालाना किया जा सकता है.

इतनी बढ़ जाएगी सैलरी 
एक रिपोर्ट बताती है कि 7वें वेतन आयोग के गठन के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी में सबसे कम इजाफा हुआ था. दरअसल, फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) के हिसाब से सैलरी बढ़ाई गई थी और इसमें इसे 2.57 गुना रखा गया. इससे बेसिक सैलरी 18000 रुपए हो गई. यदि 8वें वेतन आयोग में भी इसी फ़ॉर्मूले को अपनाया जाता है, तो फिटमेंट को 3.68 गुना किया जा सकता है. इस आधार पर कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में 44.44% की वृद्धि हो सकती है और यह 26000 रुपए हो सकता है. निचले स्तर के कर्मचारियों का सैलरी रिविजन सालाना परफॉर्मेंस के आधार पर किया जा सकता है. जबकि अधिकतम सैलरी वाले कर्मचारियों का रिविजन 3 साल के अंतराल पर निर्धारित किया जा सकता है.

किस आयोग में कितनी वृद्धि?
Pay Commission के हिसाब से देखें, तो चौथे वेतन आयोग में केंद्रीय कर्मचारियों की वेतन वृद्धि 27.6% की गई. पांचवें आयोग में उनकी सैलरी में 31 फीसदी का बड़ा इजाफा हुआ. इसके बाद छठे वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को लागू किया गया. इस उस केन्द्रीय कर्मचारियों को सैलरी में 1.86 गुना मिला. साल 2014 में 7वें वेतन आयोग का गठन हुआ. इसमें भी फिटमेंट फैक्टर को आधार मानते 14.29% वेतन वृद्धि की गई, जिसका कर्मचारियों ने विरोध भी किया. बता दें कि 8वां वेतन आयोग के गठन को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हैं. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भी लोकसभा में इससे इंकार भी किया था, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि चुनाव बाद इस पर फैसला हो सकता है.

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ओवैसी को टक्‍कर देने वाली माध्‍वी लता के साथ ऐसा क्‍या हुआ कि इतनी घट गई इनकम

माध्‍वी लता का इससे पहले कोई पॉलिटिकल इतिहास नहीं रहा है. वो मुस्लिम इलाकों में सशक्तिकरण से लेकर समाज के कई तपकों के लिए काम करने के लिए जानी जाती हैं.

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Wednesday, 01 May, 2024
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देश भर में हो रहे लोकसभा चुनाव में कुछ ऐसी हॉट सीट हैं जिन पर सभी की नजरें लगी हुई हैं. उन्‍हीं सीटों में से एक है हैदराबाद. क्‍योंकि यहां से मौजूदा सांसद ओवेसी हैं तो उनके खिलाफ बीजेपी ने इस बार महिला उम्‍मीदवार माध्‍वी लता को उतारा है. करोड़ों की संपत्ति की मालकिन माधवी लता लगातार वहां से चर्चा में बनी हुई है. लेकिन माधवी लता ने जो शपथ पत्र में चुनाव आयोग में दायर किया है वो बता रहा है कि उन्‍हें 22-23 में बड़ा नुकसान हुआ है जिसके बाद उनकी आय 1 करोड़ से घटकर मात्र 3 लाख रुपये पर आ गई है. 

इतनी है माधवी लता की आय? 
बीजेपी उम्‍मीदवार माधवी लता लगातार अपने बयानों को लेकर बड़ी चर्चा में हैं. माधवी लता ने जो शपथपत्र में अपनी आय की जानकारी दी है उसके अनुसार 2018-19 से लेकर 2022-23 तक उनकी आय का ब्‍यौरा देखें तो समझ में आता है कि उन्‍हें पिछले साल काफी नुकसान हुआ है. 2020-21 में उनकी आय 62,16,250 रुपये थी जबकि 2021-22 में उनकी आय 1,22,59,146 रुपये थी. लेकिन 2022-23 में उन्‍होंने जो आय दी है उसके अनुसार उनकी आय सिर्फ 3,76,950 रुपये रही है. ये जानकारी बता रही है कि उनकी आय 1 करोड़ रुपये से सीधे 3 लाख रुपये पर आ गई.इसी तरह उनके पति की आय में भी काफी कमी देखने को मिली है. 2021-22 में उनकी आय 6,86,55,509 रुपये थी. जबकि 2022-23 में उनकी आय 28262737 रुपये रही है. 

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कितनी है माधवी लता की चल अचल संपत्ति? 
अगर माधवी लता की चल अचल संपत्ति की बात करें तो उनके पास 20000 रुपये कैश, जबकि उनके पति के पास 20 हजार रुपये और उनके डिपेंडेंट के पास कुछ भी नहीं है. इसी तरह से अगर उनके बैंक में जमा राशि पर नजर डालें तो उनके पास 834201 रुपये, उनके पति के पास 3333614 रुपये हैं. इसी तरह से उन्‍होंने बड़े पैमाने पर निवेश भी किया है. उन्‍होंने अलग-अलग शेयर, बॉन्‍ड्स, डिबेन्‍चर में 25,20,,51858 रुपये का निवेश किया है जबकि उनके पति ने 85, 76,01,173 रुपये का निवेश किया है.उनके बच्‍चों के खाते में भी निवेश के करोड़ों रुपये हैं.  

इतनी ज्‍वैलरी की हैं मालकिन
वहीं चुनावी शपथपत्र के अनुसार देखें तो, उनके पास 3.9 किलो सोना है जिसकी कीमत 3,78,62,415 रुपये है.  इसी तरह से उनके पति के पास 1.1 किलो सोना है जिसकी कीमत 7223450 रुपये है. माधवी लता के निवेश से लेकर उनके पास मौजूद कुल ज्‍वैलरी जिसे चल संपत्ति भी कहा जाता है उसकी कीमत 31 करोड़ रुपये से ज्‍यादा है. इसी तरह से 6 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी है. उनके पति पर 26,13 40,639 करोड़ रुपये है.  

1984 से ओवेसी परिवार के पास है ये सीट 
हैदराबाद की सीट 1984 से ही ओवेसी परिवार के पास रही है. इस सीट से सबसे पहले ओवेसी के पिता सुल्‍तान सलाउद्दीन ओवैसी 1984 में सांसद थे. वो इस सीट पर 2004 तक सांसद रहे उसके बाद इस सीट पर असदुद्दीन ओवैसी सांसद हैं. वो लगातार इस सीट पर जीत रहे हैं. वहीं उन्‍हें चुनौती देने वाली डॉ. माधवी लता विरंची हॉस्पिटल की चेयरपर्सन हैं. वो हिंदुत्‍व के लिए मुखर रहने वाली महिला के तौर पर जानी जाती हैं. माध्‍वी लता विरंची हॉस्पिटल की चेयरपर्सन होने के साथ साथ भरतनाट्यम भी माहिर हैं. हैदराबाद से पहली बार कोई महिला उम्‍मीदवार ओवैसी को टक्‍कर दे रही हैं. 


भारतीयों की नाराजगी से Maldives के छूटे पसीने, 'हमें' मनाने की कोशिश में जुटी मुइज्जू सरकार 

मालदीव की इकॉनमी में भारतीय पर्यटकों का 11% योगदान बताया जाता है. ऐसे में उनका लंबे समय तक नाराज रहना मालदीव की आर्थिक सेहत बिगाड़ सकता है.

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Wednesday, 01 May, 2024
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चीन के दम पर भारत से बैर लेने वाले मालदीव (Maldives) के होश ठिकाने आ गए हैं. कल तक अकड़ दिखा रही मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार को समझ आ गया है कि भारतीयों को नाराज करके मुल्क की आर्थिक सेहत को दुरुस्त नहीं रखा जा सकता. दरअसल, मालदीव की इकॉनमी पर्यटन पर आधारित है और उसमें भारतीय पर्यटकों का काफी योगदान रहा है. अब जब भारतीयों ने मालदीव से मुंह मोड़ लिया है, तो उसे भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. 

बहुत बदल गए हैं हालात
मालदीव सरकार रूठे भारतीय पर्यटकों को मनाने के प्रयासों में जुटी है. मालदीव मार्केटिंग एंड पब्लिक रिलेशंस कॉरपोरेशन (MMPRC) के प्रबंध निदेशक फातिमथ तौफीक का कहना है कि मालदीव में भारतीय यात्रियों की संख्या फिर से बढ़ाने के लिए प्रयास तेज किए गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि जैसे ही पर्यटन मंत्रालय ने 2024 में पर्यटकों की आगमन संख्या में उल्लेखनीय गिरावट देखी, उसने भारतीय बाजार को आकर्षित करने के प्रयास शुरू कर दिए. भारत ने 2021 से 2023 तक मालदीव के पर्यटन बाजार में अपनी टॉप रैंक बनाए रखी, लेकिन इस साल वह सीधे छठे स्थान पर आ गया है.  

प्रमोशन एक्टिविटीज शुरू
'सन' को दिए एक इंटरव्यू में, MMPRC के एमडी ने बताया कि पर्यटन बोर्ड ने इंडियन टूरिस्ट को लुभाने के लिए स्पेशल प्रमोशन एक्टिविटीज शुरू की हैं. हम भारत से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या को बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. हम प्रमोशन के लिए अतिरिक्त प्रयास करेंगे, क्योंकि पर्यटकों की संख्या कम हो रही है. उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय बाजार में मालदीव पर्यटन ब्रैंड को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न एयरलाइनों के साथ मिलकर कैंपेन भी चलाया जा रहा है. बता दें कि मालदीव के मंत्रियों की शर्मनाक टिप्पणियों के चलते भारतीय मालदीव का बहिष्कार कर रहे हैं. 

रोड शो की भी है तैयारी
पिछले महीने मालदीव एसोसिएशन ऑफ ट्रेवल एजेंट्स एंड टूर ऑपरेटर्स (MATATO) ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मालदीव में भारतीय उच्चायुक्त मुनु महावर से मुलाकात की थी. मालदीव एसोसिएशन ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय उच्चायोग से सहयोग की इच्छा जताई थी. यह भी सामने आया था कि एसोसिएशन मालदीव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रमुख शहरों में एक व्यापक रोड शो शुरू करने की भी तैयारी कर रही है. दरअसल, MATATO की कोशिश है कि भारतीय पर्यटकों को मालदीव के बारे में ज्यादा से ज्यादा बताया जाए, उन्हें देश की खूबसूरती से परिचित कराया जाए, ताकि मालदीव आने वाले भारतीयों की संख्या में इजाफा हो सके.  

ये है मालदीव की चिंता की वजह
विवाद से पहले तक मालदीव पहुंचने वाले पर्यटकों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की रही है. यहां तक कि कोरोना के बाद जब मालदीव को पर्यटकों के लिए खोला गया, तो भारतीय ही सबसे ज्यादा वहां पहुंचे थे. हालांकि, विवाद के बाद से इसमें लगातार कमी आ रही है. मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय पर्यटकों की संख्या में 33 प्रतिशत की गिरावट आई है. पिछले साल यानी 2023 में 4 मार्च तक 41,054 भारतीय पर्यटकों ने मालदीव की यात्रा की थी. जबकि इस साल 2 मार्च तक मालदीव जाने वाले भारतीयों की संख्या केवल 27,224 रही. मालदीव की इकॉनमी में भारतीय पर्यटकों का 11% योगदान बताया जाता है. ऐसे में उनका लंबे समय तक नाराज रहना मालदीव की आर्थिक सेहत बिगाड़ सकता है.

तब किया था इतना खर्चा
करीब 4 लाख की आबादी वाले मालदीव में धिवेही और इंग्लिश भाषा बोली जाती है. मालदीव जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहा है. इसका कोई भी द्वीप समुद्र तल से छह फुट से अधिक ऊंचा नहीं है. इस देश की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी हुई है. 2023 में बड़ी संख्या में भारतीय मालदीप गए थे और उन्होंने 38 करोड़ डॉलर यानी करीब 3,152 करोड़ रुपए खर्च किए थे. भारत से विवाद के बीच पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मालदीव ने हाल ही में अपने यहां घूमने का खर्चा भी आधा कर दिया था, लेकिन इसका खास फायदा नहीं मिला.   

ऐसे शुरू हुईं मालदीव की मुश्किलें
अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर मालदीव भारत और भारतीयों को नाराज करने की स्थिति में कैसे पहुंचा. भारत और मालदीव के बीच तनाव की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद हुई. सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की मालदीव से तुलना मालदीव के तीन मंत्रियों को रास नहीं आई. उन्होंने भारत को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की और भारतीयों की दुश्मनी मोल ले बैठे. भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद भले ही इन तीनों मंत्रियों को हटा दिया गया हो, लेकिन मालदीव के प्रति लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ. सोशल मीडिया पर #BoycottMaldives ट्रेंड करने लगा. कई भारतीयों ने मालदीव की बुकिंग कैंसल कराकर उसका स्क्रीन शॉट सोशल माडिया पर शेयर किया. यहां से मालदीव की मुश्किलें शुरू हो गईं  


GST कलेक्शन ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, सरकारी खजाने में आया इतना पैसा

जीएसटी के इतिहास में पहली बार अप्रैल, 2024 में अभी तक का सबसे अधिक जीएसटी कलेक्शन हुआ है, जो अभी तक का सबसे बड़ा नंबर है.

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Wednesday, 01 May, 2024
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देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कलेक्शन के आंकड़े ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और यह अब तक के सर्वाधिक उच्च स्तर पर आ गया है. सरकार ने अप्रैल के जीएसटी कलेक्शन का डेटा सार्वजनिक कर करते हुए बताया कि अप्रैल के महीने में जीएसटी कलेक्शन में 12.4% का इजाफा देखने को मिला है. इस इजाफे के बाद अप्रैल का जीएसटी कलेक्शन 2.10 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है. डेटा के मुताबिक रिफंड के बाद नेट रेवेन्यू में भी इजाफा हुआ है. ये इजाफा करीब 17.1% का है. नेट रेवेन्यू का डेटा 1.92 लाख करोड़ रुपये हुआ.

अप्रैल 2024 के जीएसटी कलेक्शन की डिटेल

केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST): ₹43,846 करोड़
राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST): ₹53,538 करोड़
एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST): ₹99,623 करोड़
सेस: ₹13,260 करोड़

वित्तीय वर्ष 2023-24 का कलेक्शन

इससे पहले जीएसटी कलेक्शन ने वित्त वर्ष 2023-24 को रिकॉर्ड अंदाज में बंद हुआ था. मार्च के महीने में जीएसटी कलेक्शन बढ़त के साथ 1.78 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. ये किसी भी महीने के लिए कलेक्शन का अब तक का तीसरा सबसे ऊंचा आंकड़ा रहा था. खास बात है कि अब तक का सबसे ऊंचा कलेक्शन बीते वित्त वर्ष के पहले महीने यानि अप्रैल में दर्ज किया गया था. इस रिकॉर्ड रफ्तार के साथ ही बीते पूरे वित्त वर्ष के लिए ग्रॉस रेवेन्यू का आंकड़ा 20 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया था.

रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन से खुश हुई सरकार

रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन से सरकार को बेहद खुशी हुई है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस आंकड़े को अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करके खुशी जाहिर की है. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कलेक्शन में ये बढ़ोतरी घरेलू ट्रांजेक्शन में 13.4 फीसदी की शानदार ग्रोथ के बाद देखी गई है और इंपोर्ट में 8.3 फीसदी की बढ़त का भी इसमें साथ है.

2017 में लागू हुआ था GST

गौरतलब है कि जीएसटी (GST) को 01 जुलाई 2017 को लागू किया गया था. इसने अप्रत्यक्ष कर की कई जटिलताओं को दूर किया. इस नई प्रणाली से वैट (VAT), एक्साइज ड्यूटी (कई चीजों पर) और सर्विस टैक्स (Service Tax) जैसे 17 टैक्स खत्म हो गए. छोटे उद्योग- धंधों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 40 लाख रुपये के सालाना टर्नओवर वाले बिजनेस को जीएसटी के दायरे से मुक्त कर दिया था. माल एवं सेवा कर (GST) को लागू करते हुए कहा गया था कि इससे न सिर्फ केंद्र सरकार को बल्कि राज्य सरकारों को भी राजस्व के मोर्चे पर लाभ होगा.
 


अब चीन पर अमेरिका ने ऐसे कसा शिकंजा, इतने बढ़ा दिए इस जरूरी प्रोडक्‍ट के दाम 

चीन जिन क्षेत्रों में सबसे ज्‍यादा स्‍टील निर्यात करता है उनमें एशिया शामिल है. चीन एशियाई देशों को 65 प्रतिशत से ज्‍यादा स्‍टील निर्यात करता है. यही नहीं चीन अमेरिका से केवल 5 प्रतिशत सटील मंगाता है. 

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Wednesday, 01 May, 2024
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अमेरिका और चीन के बीच चल रही कोल्‍ड वॉर में कभी चीन ऐसे कदम उठाता है जो अमेरिका के लिए परेशानी बन जाते हैं तो अब अमेरिका, मैक्सिको और ब्राजील ने एक कदम ऐसा उठा दिया है जिसने चीन की परेशानी बढ़ गई है. चीन को ये तीनों देश हर जरुरी सामान में इस्‍तेमाल होने वाले स्‍टील की सप्‍लाई करते हैं. लेकिन अब इन्‍होंने स्‍टील पर 25 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ा दिया है जिसने चीन की परेशानी को बढ़ा दिया है. अब स्‍टील महंगा होने के बाद सीधा वहां उसके प्रोडक्‍ट के दामों में इजाफा होना स्‍वाभाविक है. चीन पहले ही कई फ्रंट पर परेशानी का सामना कर रहा है. 

किस देश ने कितना बढ़ाया है टैरिफ? 
अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको की ओर से स्‍टील के प्रोडक्‍ट पर 25 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ा दिया गया है. वहीं अगर इस कड़ी में दूसरे देशों की ओर से की गई घोषणा पर नजर डालें तो ब्राजील के कॉमर्स एंड विदेश व्‍यापार एग्‍जीक्‍यूटिव कमेटी ने एक साल के लिए 15 तरह के स्‍टील प्रोडक्‍ट पर इंपोर्ट टैरिफ फीस को 25 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. इसके अलावा 11 तरह के स्‍टील प्रोडक्‍ट के लिए इंपोर्ट कोटा को भी तय करने का फैसला किया है. इसी तरह मैक्सिको ने स्‍टील और एल्‍यूमिनियम सहित 544 तरह की कमोडिटी पर 5 से 50 प्रतिशत तक टेम्‍प्रेरी इंपोर्ट टैरिफ लगाने का फैसला किया है. हालांकि चीन में इन तीनों देशों से 5 प्रतिशत स्‍टील ही इंपोर्ट होता है. 

ये भी पढ़ें; Everest, MDH में मिलावट को लेकर पूरी हुई जांच, सरकार ले सकती है ये फैसला 

क्‍या चीन पर पड़ेगा इस बढ़ी ड्यूटी का असर? 
अब जबकि चीन इन तीन देशों से सिर्फ पांच प्रतिशत स्‍टील का इंपोर्ट करता है ऐसे में उस पर इस बढ़ी हुई दर का कितना असर पड़ेगा. पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो चीन ने 2023 में 9 करोड़ टन स्‍टील का एक्‍सपोर्ट किया है. इसमें से 69 प्रतिशत स्‍टील को उसने अकेले एशिया के बाजार में एक्‍सपोर्ट किया है. अब जबकि उसकी इन तीन देशों पर निर्भरता ही कम है तो ऐसे इसका कोई बड़ा असर पड़ने की भी उम्‍मीद नहीं है. वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्‍त वर्ष 24 की अप्रैल से लेकर जुलाई तक की अवधि में भारत ने चीन से 5 लाख 70 हजार टन स्‍टील का आयात किया है. इसकी अगर पिछले साल के मुकाबले तुलना करें तो ये 65 प्रतिशत ज्‍यादा है. 

भारत चीन के लिए एक बड़ा बाजार 
चीन हमेशा से ही भारत में बड़े पैमाने पर स्‍टील का निर्यात करता रहा है. वहीं अगर पिछले साल चीन में स्‍टील उत्‍पादन के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये 2.5 प्रतिशत बढ़कर 62.7 करोड़ टन तक जा पहुंचा था. क्‍योंकि पिछले साल चीन से स्‍टील आयात करने को लेकर बाजार में तेजी बनी हुई थी तो ऐसे में इस्‍पात निर्यात में 28 प्रतिशत बढ़कर 5.1 करोड़ टन हो गया. 
 


Everest, MDH में मिलावट को लेकर पूरी हुई जांच, सरकार ले सकती है ये फैसला

इससे पहले इन मसालों के खिलाफ जांच में दोषी पाए जाने पर सिंगापुर से लेकर हांगकांग इन्‍हें प्रतिबंधित कर चुके हैं जबकि अमेरिका में भी इसे लेकर जांच हो रही है. 

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Wednesday, 01 May, 2024
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सिंगापुर और हांगकांग में एवरेस्‍ट और एमडीएच मसालों में मिले पेस्‍टीसाइड के इस्‍तेमाल की जांच के बाद इन ब्रैंडस को वहां तो प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन अब खबर आ रही है कि भारत सरकार की जो समिति इस मामले में जांच कर रही थी उसने भी जांच पूरी कर ली है. समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. माना जा रहा है कि सरकार सिंगापुर और हांगकांग से इन दोनों मसाला कंपनियों के उस लॉट को वापस मंगा सकती है और इनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकती है. 

समिति इस मामले की कर रही थी जांच 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार की ओर से बनाई गई समिति एवरेस्‍ट और एमडीएच के मसालों में मिले एक विशेष प्रकार के एसिड की जांच कर रही थी. इसी एसिड को लेकर सिंगापुर और हांगकांग की ओर से आरोप लगाए गए थे. लेकिन अब इस मामले को लेकर समिति की जांच पूरी हो चुकी है और उसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. अब सरकार इस मामले में आने वाले कुछ दिनों में रिपोर्ट के अध्‍ययन के बाद कार्रवाई कर सकती है. खबर है कि सरकार मसालों के उन लॉट को वापस मंगाए जाने के साथ इन कंपनियों पर सख्‍त कार्रवाई भी कर सकती है. अब सरकार क्‍या कदम उठाती है ये सरकार के एक्‍शन के बाद ही पता चलेगा. 

ये भी पढ़ें: Mutual Fund कंपनियों में धोखाधड़ी को लेकर SEBI सख्त, नियमों में किया बड़ा बदलाव

सिंगापुर और हांगकांग में मसालों में मिला था ये रसायन 
सिंगापुर और हांगकांग की सरकार ने जब इन दो मसालों की जांच की थी तो पता चला था कि इनमें अत्‍यधिक मात्रा में एथिलीन ऑक्‍साइड पाया गया था. इस एसिड के इस्‍तेमाल से कैंसर से लेकर दूसरी कई बीमारियों के होने की संभावना है. इन मसालों में इसकी मात्रा ज्‍यादा पाई गई थी, जिसके कारण इन्‍हें सिंगापुर और हांगकांग में प्रतिबंधित कर दिया गया. सबसे खास बात ये भी है कि इन दो देशों के बाद अमेरिका में भी इसे लेकर जांच चल रही है. 

भारत से बड़े पैमाने पर सप्‍लाई होते हैं मसाले
भारत से दुनिया के कई देशों को बड़ी मात्रा में मसाले सप्‍लाई होते हैं. भारत मसाला और मसाले से जुड़ी वस्‍तुओं का बड़े पैमाने पर निर्यात करता है. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2022-23 के दौरान भारत से 3.73 बिलियन डॉलर के मसालों का निर्यात कई देशों को किया गया. वर्ष 2017-18 से 2021-22 से भारत से कुल निर्यात 10.47 सीएजीआर से बढ़ा है. पूरी दुनिया में मसालों का निर्यात 30 फीसदी बढ़ गया है. मसालों के वैश्विक कारोबार में देश की हिस्‍सेदारी 43 फीसदी से ज्यादा हो चुकी है. भारत ने 2021-22 के दौरान लगभग 4.1 अरब डॉलर के 15 लाख टन मसालों का निर्यात किया. इस अवधि में उत्पादन की क्षमता 1.63 प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2.5 टन प्रति हेक्टेयर हो गया. साल 2021-22 में 43.8 लाख हेक्टेयर इलाके में 111.2 लाख टन मसालों का उत्पादन किया गया.
 


Mutual Fund कंपनियों में धोखाधड़ी को लेकर SEBI सख्त, नियमों में किया बड़ा बदलाव

SEBI ने म्यूचुअल फंड को संचालित करने वाले नियमों में बदलाव किया. इसके तहत AMCs को संभावित बाजार दुरुपयोग रोकने के लिए एक Regulatory Framework स्थापित करना जरूरी बनाने का फैसला किया है.

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Wednesday, 01 May, 2024
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सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) के डायरेक्टर बोर्ड ने म्यूचुअल फंड को संचालित करने वाले नियमों में बड़ा बदलाव किया. इसके तहत एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को संभावित बाजार दुरुपयोग रोकने के लिए एक ‘संस्थागत व्यवस्था’ (Regulatory Framework) स्थापित करना जरूरी बनाने का फैसला किया गया है. यह संस्थागत व्यवस्था पहचान और संभावित बाजार दुरुपयोग की रोकथाम के अलावा सिक्योरिटीज में ‘फ्रंट-रनिंग’ और धोखाधड़ी वाले लेनदेन पर नजर रखेगी. यहां फ्रंट-रनिंग का मतलब कीमत को प्रभावित करने वाली संवेदनशील जानकारी के आधार पर ब्रोकर का कारोबार करना है.

धोखाधड़ी पर नकेल कसने की तैयारी

सेबी ने डायरेक्टर बोर्ड की बैठक के बाद जारी एक बयान के मुताबिक, नियामक चाहता है कि AMC गलतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले ‘व्हिसिल ब्लोअर’ तंत्र बनाकर पारदर्शिता को बढ़ावा दे. सेबी के डायरेक्टर बोर्ड की पिछले डेढ़ महीने में यह पहली बैठक है. इसके पहले 15 मार्च को बैठक हुई थी. AMC से संबंधित गड़बड़ी में फ्रंट रनिंग, भेदिया कारोबार और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग शामिल हैं. जब कोई ब्रोकर या निवेशक गोपनीय जानकारी के आधार पर किसी कारोबार में शामिल होता है, उसे ‘फ्रंट रनिंग’ कहते हैं. यह ऐसी संवेदनशील जानकारी होती है, जिससे परिसंपत्ति की कीमत प्रभावित होती है.

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इन दो मामलों के बाद आया फैसला 

यह निर्णय SEBI द्वारा Axis AMC और LIC से संबंधित दो ‘फ्रंट-रनिंग’ मामलों में जारी आदेश के बीच आया है. Axis AMC मामले में ब्रोकर-डीलरों, कुछ कर्मचारियों और संबंधित संस्थाओं को AMC के कारोबारों को ‘फ्रंट-रनिंग’ में लिप्त पाया गया था. वहीं LIC मामले में, बीमा कंपनी के एक कर्मचारी को सौदों की ‘फ्रंट-रनिंग’ करते हुए पाया गया था. SEBI ने बयान में कहा कि हाल में सामने आए मामलों को ध्यान में रखते हुए निदेशक मंडल ने संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और निवारण के लिए AMC को एक व्यवस्थित संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए SEBI (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996 में संशोधन को मंजूरी दी.

AMFI रोडमैप तैयार करेगा

म्यूचुअल फंड निकाय 'एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया' (AMFI) सेबी के परामर्श से ऐसे Regulatory Framework के लिए विस्तृत मानकों को तय करेगा. इसके अतिरिक्त, SEBI ने म्यूचुअल फंड के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रायोजक की समूह कंपनियों की प्रतिभूतियों के संबंध में निष्क्रिय योजनाओं के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों को सुव्यवस्थित किया है. वर्तमान में, म्यूचुअल फंड योजनाओं को प्रायोजक की समूह कंपनियों में अपने नेट एसेट वैल्यू (NAV) का 25 प्रतिशत से अधिक निवेश करने की अनुमति नहीं है.

 

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