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मजबूत रिश्तों का प्रमाण है ये Selfie, तभी तो Italy से आई Bharat को राहत देने वाली खबर
इटली ने भारत के दुश्मन चीन को करारा झटका देते हुए खुद को BRI परियोजना से अलग कर लिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ एक सेल्फी शेयर (PM Modi and Giorgia Meloni Selfie) की थी. यह सेल्फी महज एक तस्वीर ही नहीं है, बल्कि प्रमाण है कि वैश्विक स्तर पर भारत के रुतबे में कितना निखार आया है. यह इस बात का भी प्रमाण है कि PM मोदी दूसरे देशों से रिश्तों की डोर को मजबूत करने में कितने कामयाब हुए हैं. इस सेल्फी की चर्चा के बीच इटली से जो खबर सामने आई है, उसने रिश्तों की मजबूती पर मुहर लगा दी है. इटली ने चीन के उस महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से बाहर निकलने का ऐलान किया है, जिसका भारत हमेशा से विरोध करता रहा है. लिहाजा, इसे एक तरह से भारत की जीत के तौर पर भी देखा जा सकता है.
पिछली सरकार की गलती सुधारी
इटली 2019 में चीन के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर करने वाला एकमात्र प्रमुख पश्चिमी राष्ट्र था. उस समय अमेरिका और अन्य देशों ने इटली के कदम की कड़ी आलोचना की थी. 2018 में इटली की वित्त मंत्री जियोवानी ट्रिया ने चीन का दौरा किया था. इसके एक साल बाद इटली के तत्कालीन प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे बीआरआई समझौते में शामिल होने की घोषणा की थी. इस प्रोजेक्ट के तहत चीन ने इटली के अंदर 20 अरब यूरो का एक प्रोजेक्ट शुरू किया था, लेकिन उस प्रोजेक्ट का एक छोटा सा हिस्सा ही अभी पूरा हुआ है. इटली के BRI प्रोजेक्ट में शामिल होने के फैसले को वर्तमान प्रधानमंत्री मेलोनी ने पिछली सरकार की एक गंभीर गलती बताया था और अब उन्होंने इस गलती को सुधारने का काम किया है.
भारत को इसलिए है BRI पर आपत्ति
चीन के इस प्रोजेक्ट में भारत को छोड़कर दक्षिण एशिया के कई देश शामिल हैं. पाकिस्तान भी इसका हिस्सा है. चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बीआरआई का ही भाग है. सीपीईसी के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी कई निर्माण हुए हैं, जिसका भारत ने पुरजोर विरोध किया है. ऐसे में इटली का BRI से अलग होना भारत के लिए राहत भरी खबर माना जा रहा है. बता दें कि BRI के जवाब में भारत-मध्य पूर्व- यूरोप कॉरिडोर के निर्माण पर G-20 समिट में शामिल कई देशों ने सहमति जताई है. इसमें भारत, इजरायल, सऊदी अरब, UAE और जॉर्डन शामिल हैं. हालांकि इजरायल-हमास संघर्ष के चलते इस कॉरिडोर को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
कर्ज के जाल में फंसाने की कूटनीति
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग में 2013 में BRI की शुरुआत की थी. इसके तहत रेलवे लाइनों और बंदरगाहों का निर्माण कर चीन को यूरोप और एशिया के अन्य हिस्सों से जोड़ना है. एक रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में BRI की लगभग 2600 परियोजनाएं चल रही हैं. इस परियोजना के तहत जिन देशों ने चीन से करार किया है, उनमें यह 770 अरब डॉलर से अधिक निवेश कर चुका है. हालांकि, चीन के इस प्रोजेक्ट को 'कर्ज के जाल में फंसाने वाली कूटनीति' के तौर पर देखा जाता है. अमेरिका शुरुआत से ही इसका विरोध करता रहा है और भारत भी इसके खिलाफ है. इटली का BRI से बाहर निकलना चीन के मंसूबों को कुछ हद तक कमजोर करेगा.
मजबूत होती दोस्ती भी है वजह
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने भले ही अपने नफे-नुकसान का अंदाजा लगाने के बाद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से बाहर निकलने का फैसला लिया हो, लेकिन इसमें भारत के साथ इटली की मजबूत होती दोस्ती भी एक वजह है. PM मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक स्तर पर एक ऐसी पहचान बनाई है, जो सभी को आकर्षित करती है. दुनिया के अधिकांश देश Bharat के साथ अच्छे संबंधों के पक्षधर हैं. भारत पड़ोसी चीन के मंसूबों से दूसरे देशों को अवगत कराने में सफल रहा है. भारत को समझने वाले अब जानने लगे हैं कि चीन को लेकर उसकी चिंताएं बेवजह नहीं हैं.
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