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क्या टूट जाएगा भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने का Anil Agrawal का सपना?
2022 में मोदी सरकार ने भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया था. सरकार ने इसके लिए 10 अरब डॉलर का इनसेंटिव भी देने की घोषणा की थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago
कोरोना काल में एक छोटी सी चिप ने कई कंपनियों की नाक में दम कर रखा था. इस सेमीकंडक्टर चिप की वजह से कारों की वोटिंग बढ़ गई थी और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के प्रोडक्शन पर भी असर पड़ा था. दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान चिप बनाने वालीं कंपनियों का कामकाज प्रभावित हुआ था. जिससे डिमांड और सप्लाई का फासला काफी बढ़ गया था. ऐसे में जब पिछले साल भारत में चिप मेकिंग या सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने की घोषणा हुई, तो लगा कि चिप से जुड़ी समस्याएं अब खत्म हो जाएंगी. लेकिन ये प्रोजेक्ट अधर में लटकता दिखाई दे रहा है.
9 महीने पहले हुई थी घोषणा
माइनिंग किंग के नाम से मशहूर अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) ने ताइवान की दिग्गज कंपनी के साथ मिलकर भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने का ऐलान किया था. वेदांता रिसोर्स लिमिटेड (Vedanta Resources Ltd.) और ताइवान की हॉग हाई प्रेसिजन कंपनी (Hon Hai Precision Industry Co) यानी फॉक्सकॉन (Foxconn) ने आज से करीब 9 महीने पहले एक डील साइन की थी. इसके तहत दोनों कंपनियां मिलकर भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाएंगी. अनिल अग्रवाल इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी उत्साहित थे और उन्होंने इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया था. लेकिन अब उनका ये ड्रीम प्रोजेक्ट अधर में लटकता दिख रहा है.
मुश्किल होगा ऐसे आगे बढ़ना
ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार इस जॉइंट प्रोजेक्ट के लिए फंड जुटाने में लगी कंपनियों को अपनी परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम का लाभ शायद न उठाने दे. यदि ऐसा होता है, तो इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ना अनिल अग्रवाल के लिए मुश्किल हो जाएगा. रिपोर्ट बताती है कि भारत सरकार अनिल अग्रवाल की वेदांता और iPhone बनाने वाली ताइवान की कंपनी होन हाई के वेंचर को 28-नैनोमीटर चिप्स बनाने के लिए इनसेंटिव्स देने से मना कर सकती है. जानकारों के मुताबिक, Vedanta को यह मदद अरबों डॉलर की हो सकती थी. ऐसे में इसके अभाव में इतने बड़े प्रोजेक्ट पर अमल मुश्किल हो सकता है.
इस वजह से लग सकता है झटका
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 2022 में मोदी सरकार ने भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया था. सरकार ने इसके लिए 10 अरब डॉलर का इनसेंटिव भी देने की घोषणा की थी. वेदांता और होन हाई की जॉइंट वेंचर के तहत इसके लिए अप्लाई किया था. हालांकि, अब सरकार इससे इनकार कर सकती है. दरअसल, सरकार ने जांच में पाया कि दोनों की कंपनियां निधारित मानदंडों पर खरी नहीं उतर रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अनिल अग्रवाल अब तक 28-नैनोमीटर चिप्स के लिए कोई टेक्नोलॉजी पार्टनर या फिर लाइसेंस मैन्युफैक्चरिंग ग्रेड टेक्नोलॉजी भी हासिल नहीं कर पाए हैं. इसके अलावा, वेदांता और होन हाई दोनों के पास ही चिपमेकिंग का कोई अनुभव भी नहीं है.
आसान नहीं है ये प्लांट लगाना
ताइवान की होन हाई दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन (iPhone) असेंबल करने वाली कंपनी है. जब वेदांता रिसोर्स लिमिटेड ने इस कंपनी से हाथ मिलाया था, तो माना जा रहा था कि दोनों जल्द ही सेमीकंडक्टर प्लांट के लिए निर्धारित सभी मानदंडों को पूरा कर लेंगे. लेकिन इतने समय बाद भी दोनों कोई टेक्नोलॉजी पार्टनर या फिर लाइसेंस मैन्युफैक्चरिंग ग्रेड टेक्नोलॉजी हासिल नहीं कर पाई हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सेमीकंडक्टर प्लांट लगाना कितना मुश्किल काम है.
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