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Go First के खिलाफ किसने दायर की याचिकाएं, अब SpiceJet क्यों मुश्किल में आई?
स्पाइसजेट को कर्ज देने वाली कंपनी एयरक्राफ्ट लेसर एयरकॉसल लिमिटेड ने दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए NCLT में अर्जी लगाई है,
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
गो फर्स्ट (Go First) के बाद एक और एयरलाइन मुश्किलों में घिर गई है. स्पाइसजेट (SpiceJet) के खिलाफ भी दिवाला प्रक्रिया की सुनवाई होने वाली है. दरअसल, स्पाइसजेट के एक कर्जदाता ने कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी लगाई है, जिस पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) सप्ताह सुनवाई करेगा. हालांकि, कंपनी का कहना है कि इस घटनाक्रम से एयरलाइन के ऑपरेशन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला.
दो याचिकाएं लंबित
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि स्पाइसजेट को कर्ज देने वाली कंपनी एयरक्राफ्ट लेसर एयरकॉसल (आयरलैंड) लिमिटेड ने दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए NCLT में अर्जी लगाई है, जिस पर 8 मई को सुनवाई हो सकती है. स्पाइसजेट के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने से संबंधित दो अन्य याचिकाएं भी लंबित हैं. इस बीच, स्पाइसजेट ने अपने 25 विमानों को फिर से शुरू करने की योजना बनाई है, ताकि गो फर्स्ट की उड़ान बंद होने से मिले मौके को भुनाया जा सके. कंपनी के ये विमान आउट ऑफ सर्विस हैं. स्पाइसजेट इन्हें दुरुस्त करने के लिए सरकार की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) का लाभ लेने की तैयारी में है.
12 तक फ्लाइट कैंसिल
उधर, गो फर्स्ट (Go First) की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. कंपनी ने अब 12 मई तक अपनी सभी फ्लाइट्स कैंसल कर दी हैं. कंपनी ने यात्रियों से असुविधा के लिए माफी मांगते हुए कहा है कि यात्रियों को उनकी टिकट का पूरा पैसा जल्द वापस किया जाएगा. बता दें कि वाडिया ग्रुप की इस एयरलाइन ने पहले अपनी उड़ानें तीन मई से तीन दिन के लिए रद्द की थीं. बाद में इसे बढ़ाकर नौ मई और अब 12 मई कर दिया गया है. एविएशन रेगुलेटर DGCA के अनुसार, कंपनी ने 15 मई तक टिकट बिक्री पर रोक लगा दी है.
इन्होंने दायर की याचिकाएं
गो फर्स्ट के खिलाफ दो दिवाला समाधान याचिकाएं दायर हुई हैं. वहीं, गो फर्स्ट ने वॉलेंटरी इनसॉलवेंसी प्रॉसीडिंग के साथ-साथ वित्तीय दायित्वों पर अंतरिम रोक लगाने का भी आग्रह किया है. GO First के खिलाफ एक याचिका विमानन कंपनी के लिए परिवहन सेवाएं प्रदान करने वाली SS एसोसिएट्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने दायर की है, जिसमें उसने लगभग 3 करोड़ रुपए का दावा किया है. जबकि दूसरी याचिका एक पायलट की तरफ से दायर हुई है. पायलट का दावा है कि उसे अपनी सेवाओं के एवज में कंपनी से एक करोड़ रुपए से अधिक लेना है.
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