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आखिर क्यों क्लाइमेट चेंज और सस्टेनेबेल ग्रोथ को लेकर UN चीफ ने उठायी आवाज?
क्लाइमेट चेंज और सस्टेनेबल ग्रोथ दो ऐसे मामले है जिन पर दुनिया के हर प्रमुख संगठन में चर्चा होती है. लेकिन कार्बन उत्सर्जन कम करने को लेकर विकसित देशों का रवैया हमेशा से सवालों के घेरे में रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago
भारत में हो रहे जी-20 समिट में एक के बाद एक कई मुददों पर चर्चा का सेशन आगे बढ़ रहा है. लेकिन इस बीच जी-20 की बैठक को यूएन के महासचिव ने संबोधित करते हुए क्लाइमेट चेंज और सस्टेनेबल ग्रोथ जैसे मामलों को लेकर अपनी बात कही. उन्होंने इन समस्याओं के समाधान के लिए 500 बिलियन डॉलर के प्रोत्साहन राशि को मांग करते हुए कार्बन उत्सर्जन में कमी जैसे मामलों को उठाया. उन्होंने कहा कि दुनिया इन परेशानियों का सामना करना कर रही है.
क्या बोले यूएन सेक्रेट्री?
G-20 सम्मेलन को लेकर अपनी बात कहते हुए UN के सेक्रेट्री एंटोनियो गुटरेस ने कहा कि दुनिया मौजूदा समय में इन चुनौतियों से जूझ रही है. इन चुनौतियों में लगातार खराब होता मौसम, कई तरह का विवाद, तकनीकों के विकास की कम रफ्तार और लगातार बढ़ती असमानता और गरीबी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज और सस्टेनेबल ग्रोथ जैसे मामलों को लेकर जी 20 नेताओं को गंभीरता दिखानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जी-20 देश दुनिया के 80 प्रतिशत ग्लोबल एमीशन के लिए जिम्मेदार हैं तो ऐसे में उन्हें कार्बन उत्सर्जन को लेकर काम करना चाहिए.
500 बिलियन डॉलर का बनाया जाए कोश
UN के सेक्रेट्री एंटोनियो गुटरेस ने कहा कि क्लाइमेट चेंज से निपटने के प्रयासों में तेजी लाते हुए जल्द से जल्द जलवायु एकजुटता संधि और एक एजेंडा बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए जल्द से जल्द 500 बिलियन डॉलर की प्रोत्साहन राशि जारी की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में विकासशील देशों के लिए उचित कोश की व्यवस्था करने के लिए बैंकों के बिजनेस मॉडल में बदलाव और परिवर्तन करने की भी जरूरत है. उन्होंने चुनौतीपूर्ण वैश्विक संदर्भ को स्वीकार करते हुए जी-20 देशों से अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार करने की अपील की.
UN सेक्रेट्री ने की भारत की तारीफ
भारत को इस साल मिली अध्यक्षता में विकास के मसलों को लेकर ध्यान केन्द्रित करने के लिए यूएन सेक्रेट्री ने तारीफ की. यूएन सेक्रेट्री ने ग्लोबल नॉर्थ और साउथ के बीच अंतर को पाटने के महत्व को पहचानते हुए इसे कम करने का प्रयास किया है. उन्होंने दुनिया में भारत की स्थिति को स्वीकार करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच तत्काल समाधान की स्थितियों की बजाए मध्यस्तता के प्रयासों पर जोर दिया.
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