Adani Group की मौजूदगी बिहार में पहले से ही है और ग्रुप द्वारा अभी तक बिहार में 850 करोड़ रुपयों की इन्वेस्टमेंट भी की जा चुकी है.
अडानी ग्रुप (Adani Group) को लेकर इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. हाल ही में अडानी ग्रुप द्वारा घोषणा कर जानकारी दी गई है कि कारोबारी समूह बिहार में 8700 करोड़ रुपयों की अतिरिक्त इन्वेस्टमेंट करेगा. ग्रुप द्वारा यह इन्वेस्टमेंट बिहार में की जायेगी और यह इन्वेस्टमेंट किसी एक क्षेत्र में नहीं बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में की जायेगी जिनमें लॉजिस्टिक्स, सीमेंट मैन्युफैक्चरिंग, और एग्रो-इंडस्ट्री जैसे क्षेत्र शामिल हैं.
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि अडानी ग्रुप (Adani Group) की मौजूदगी बिहार में पहले से ही है और ग्रुप द्वारा अभी तक बिहार में 850 करोड़ रुपयों की इन्वेस्टमेंट भी की जा चुकी है. यह जानकारी अडानी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर प्रणव अडानी द्वारा मीडिया के साथ साझा की गई है. प्रणव बिहार कारोबार कनेक्ट 2023 के मंच पर सभा को संबोधित कर रहे थे. बिहार कारोबार कनेक्ट एक दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स सम्मलेन है और इसका समापन आज हो चुका है.
10,000 लोगों को मिलेगी नौकरी
बिहार कारोबार कनेक्ट 2023 के मंच पर बोलते हुए प्रणव अडानी ने कहा कि अडानी ग्रुप द्वारा बिहार में 8700 करोड़ रुपयों की अतिरिक्त इन्वेस्टमेंट करने का विचार किया जा रहा है और इस इन्वेस्टमेंट की बदौलत राज्य के लगभग 10,000 लोगों को नौकरी मिलेगी. बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा इस मौके पर बिहार लॉजिस्टिक्स नीति 2023 का अनावरण भी किया गया और इसके साथ-साथ उन्होंने एक कॉफी टेबल बुक का अनावरण भी किया है. बिहार लॉजिस्टिक्स नीति का प्रमुख उद्देश्य राज्य में इंडस्ट्री एवं कारोबारों को वैश्विक स्तर का लॉजिस्टिक सिस्टम प्रदान करवाना है.
10 गुना ज्यादा इन्वेस्टमेंट
हालांकि नितीश कुमार द्वारा इस सम्मलेन के दौरान मौजूद सभा को संबोधित नहीं किया गया. इसके साथ ही प्रणव ने यह भी कहा कि बिहार भारत में अब इन्वेस्टमेंट के लिए एक आकर्षक जगह बन चुका है और वर्तमान में हम लॉजिस्टिक्स, गैस डिस्ट्रीब्यूशन और एग्रो- लॉजिस्टिक्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद हैं, जिनके लिए ग्रुप द्वारा 850 करोड़ रुपयों की इन्वेस्टमेंट की गई थी. इन सभी क्षेत्रों में हमारी मौजूदगी की वजह से राज्य के लगभग 3000 लोगों को स्पष्ट या अस्पष्ट रूप से रोजगार मिला है और अब हम अपनी इन्वेस्टमेंट को 10 गुना बढ़ाने जा रहे हैं.
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एनएसई(NSE) के मुनाफे में बढ़ोतरी तब हुई है जब उसकी ऑपरेशनल कॉस्ट में 90 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. 2023-24 में ये 5000 करोड़ से ज्यादा रही जबकि उससे पहले 2022 में ये 2812 करोड़ थी.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की आय में वो अध्याय जुड़ गया है जिसे हर एक्सचेंज पाना चाहता है. NSE का वर्ष 2023-24 में शुद्ध मुनाफा बढ़कर 1 अरब डॉलर को पार कर गया है. अगर भारतीय रुपयों में समझें तो एनएसई का शुद्ध मुनाफा 8300 करोड़ रुपये रहा है. सबसे विशेष बात ये है कि मुनाफे में ये इजाफा तब हुआ है जब एनएसई के सालाना खर्च में 90 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 5350 करोड़ रुपये तक जा पहुंचे हैं.
क्या कह रहे हैं एक्सचेंज की आय के आंकड़े?
एनएसई के आंकड़े बता रहे हैं कि उसकी कुल ऑपरेशनल आय मार्च 2024 तिमाही में 34 प्रतिशत बढ़कर 4625 करोड़ रुपये रही है. वहीं एनएसई के स्टैंड अलोन मुनाफे पर नजर डालें तो वो 1856 करोड़ रुपये रहा है. वहीं स्टैंडअलोन ऑपरेशनल इनकम मार्च तिमाही में 25 प्रतिशत बढ़कर 4123 करोड़ रुपये रही. वहीं मार्च 2023 की तिमाही पर नजर डालें तो ये 3295 करोड़ रुपये थी.
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इतना देने जा रही है डिविडेंड
एनएसई की ओर से अपनी इस परफॉर्मेंस पर अपने निवेशकों को 90 रुपये प्रति शेयर (प्री बोनस) का डिविडेंड देने का ऐलान किया गया है. इसके अलावा शेयरधारकों को मौजूदा एक शेयर पर 4 शेयर बोनस के तौर पर देने का ऐलान किया है. 31 मार्च 2024 तक एनएसई की नेटवर्थ 23974 करोड़ रुपये थी, मार्च 2024 तिमाही में कुल खर्च 1926 करोड़ रुपये थी.
सरकार को एनएसई ने कमाकर दिए इतने करोड़ रुपये
एनएसई ने वित्त वर्ष 2024 के दौरान अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस से सरकार को भी खूब कमाई करके दी है. एनएसई ने सरकार को कुल 43514 करोड़ रुपये कमाकर दिए हैं, जिसमें 34381 करोड़ रुपये का सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स, 3275 करोड़ का आयकर, 2833 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी, 1868 करोड़ का जीएसटी, 1157 करोड़ का सेबी की फीस शामिल है. 34381 करोड़ रुपये में 60 प्रतिशत कैश मार्केट से था बाकी 40 प्रतिशत इक्विटी डेरिवेटिव से था.
ये पूरा मामले गेमिंग कंपनियों पर लगाए गए 28 प्रतिशत जीएसटी टैक्स के बाद भेजे गए करोड़ों रुपये के नोटिस के खिलाफ है. अब कोर्ट गर्मियों की छुटिटयों के बाद इसमें सुनवाई करेगी.
केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा पिछले साल सितंबर में गेमिंग इंडस्ट्री पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस पर जुलाई में सुनवाई कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता गेमिंग कंपनियों की वकील से कहा कि वो ईमेल के जरिए गर्मियों की छुट्टीयों के बाद तारीख मांग सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की बेंच ने इस मामले में याचिकाकर्ता बाजी नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड जोकि बाजी गेम्स की ओनर कंपनी है पर सुनवाई कर रही थी. इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा कि हालांकि सरकार की ओर से उनकी याचिका पर जवाब देने से मना कर दिया गया है लेकिन फिर भी कई मामलों में इसमें ऑर्डर पास हुए हैं. इस मामले में सरकार की ओर से पेश हुए एएसजी वेंकटरमन ने याचिकाकर्ता को कहा कि वो सुनवाई के बाद इसे सुलझाने के लिए उनसे मिल सकते हैं. कोर्ट ने इस मामले में गेमिंग कंपनियों के वकील चरन्या लक्ष्मीकुमार से कहा कि वो इस मामले में ईमेल के जरिए तारीखों के लिए आवेदन कर सकते हैं.
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कई गेमिंग कंपनियों ने दायर की है याचिका
केन्द्र सरकार के द्वारा लगाए गए 28 प्रतिशत जीएसटी के अनुसार डिमांड किए गए करोड़ों रुपये के नोटिस को इन कंपनियों ने अदालत में चुनौती दी हैं. दिसंबर में इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन नोटिस पर स्टे लगाने से मना कर दिया था. इस मामले में कई राज्यों की हाईकोर्ट में याचिकाएं आई थी जिन्हें बाद में क्लब करके सुप्रीम कोर्ट भेज दिया गया था.
दिसंबर में कंपनियों को मिला था करोड़ों रुपये का नोटिस
दिसंबर में इन कंपनियों को करोड़ों रुपये का नोटिस सरकार की ओर से मिला था. सरकार की ओर से इन गेमिंग कंपनियों को 71 शो कॉज नोटिस जारी किए गए थे जिसमें उन पर 2022-23 और 2023-24 के सात महीनों के लिए उनसे 1.12 लाख करोड़ रुपये की मांग की गई थी. क्योंकि ये नोटिस सेक्शन 74 के तहत जारी किया गया है, इसलिए ये सेक्शन सरकार को 100 प्रतिशत टैक्स के लिए इम्पावर करता है. 1 अक्टूबर 2023 को जीएसटी काउंसिल ने गेमिंग इंडसट्री पर 28 प्रतिशत टैक्स लगा दिया था.
पिछले कुछ सालों में इस देश में शेयर बॉयबैक में कमी देखने को मिली है. 2022 के मुकाबले 2023 में इसमें काफी कमी देखने को मिली है. लेकिन इस बार इसके ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है.
शेयर बॉयबैक तो कई कंपनियां करती हैं लेकिन जब बाजार की कई कंपनियां एक साथ शेयर बॉयबैक करें तो ये कोई सामान्य घटना तो नहीं हो सकती है. कुछ ऐसा ही होने जा रहा है अमेरिका में, वहां की 3 बड़ी कंपनियां एक साथ शेयर बॉयबैक करने जा रही हैं. इन तीन कंपनियों में मेटा(Meta), Apple और गूगल जैसी कंपनियां शामिल हैं. ये तीनों कंपनियां 110 अरब डॉलर का शेयर बॉयबैक करने जा रही हैं. अमेरिका में इससे पहले इतना बड़ा शेयर बॉयबैक कभी नहीं हुआ है.
कौन सी कंपनी कितने का ला रही है शेयर बॉयबैक?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये तीनों कंपनियां अपना शेयर बॉयबैक ला रही हैं उनमें एप्पल (Apple) 110 अरब डॉलर का, मेटा(Meta) 50 अरब डॉलर का और गूगल 70 अरब डॉलर का शेयर बॉयबैक ला रही है. ये तीनों कंपनियां वो हैं जो मार्केट कैप के अनुसार दुनिया की टॉप 10 कंपनियों में शामिल हैं. एप्पल दुनिया की दूसरी, गूगल चौथी और मेटा सांतवी मूल्यवान कंपनी है. एक्सपर्ट एजेंसिंयों का मानना है कि इस साल अमेरिका में 500 कंपनियां शेयर बॉयबैक ला सकती हैं जिसकी कीमत 925 अरब डॉलर रह सकती है और अगले साल ये एक ट्रिलियन के पार जा सकती है.
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पिछले सालों में शेयर बॉयबैक का कैसा रहा है रूझान?
पिछले सालों में शेयर बॉयबैक की स्थिति पर नजर डालें तो 2023 में शेयर बॉयबैक 815 अरब डॉलर का रहा था, जबकि 2022 में ये 950 अरब डॉलर का रहा था. सबसे खास बात ये है कि 2023 में 2022 के मुकाबले शेयर बॉयबैक 14 प्रतिशत कम था. वहीं अगर एक नजर भारत में शेयर बॉयबैक की स्थिति पर नजर डालें तो 2023 में इतनी कंपनियों ने शेयर बॉयबैक किया कि उससे 6 साल का रिकॉर्ड ही टूट गया. 2023 में 48 कंपनियों ने शेयर बॉयबैक किया जिसकी कीमत 47810 करोड़ रुपये रही. ये साल 2017 के बाद सबसे ज्यादा रहा है.
अब जानिए क्या होता है शेयर बॉयबैक
शेयर बॉयबैक कोई भी कंपनी उस स्थिति में करती है जब उसके पास पर्याप्त मात्रा में लिक्विडिटी होती है. इस स्थिति को किसी भी कंपनी के लिए बेहतर स्थिति माना जाता है. ऐसे में कंपनी अपने मार्केट में मौजूद शेयरों को फिर से खरीदती है. कंपनी इसे मार्केट से ज्यादा प्राइस पर खरीदती है. शेयर बॉयबैक करने से निवेशक और कंपनी दोनों को फायदा होता है. निवेशक को जहां अपने स्टॉक्स के लिए ज्यादा पैसे मिलते हैं वहीं कंपनी की शेयर होल्डरों पर निर्भरता कम होती है. साथ ही कंपनी की शेयरहोल्डिंग भी बढ़ जाती है.
Carlyle Group) ने Yes Bank में करीब 2 प्रतिशत हिस्सेदारी खुले बाजार में लेनदेन के जरिये बेच दी है. पिछले हफ्ते ही बैंक के तिमाही के नतीजे जारी हुए, जिसमें बैंक को काफी मुनाफा हुआ.
शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से यस बैंक (Yes Bank) के शेयर काफी चर्चा में हैं. बीते सप्ताह ही बैंक के तिमाही नतीजे जारी हुए थे, जिसमें उसे काफी मुनाफा हुआ था. इसके चलते सोमवार को बैंक के शेयरों में तेज उछाल भी दिखने को मिली थी. वहीं, अब अमेरिका की एक कंपनी ने यस बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेची है. इससे बैंक फिर से चर्चा में आ गया है.
केवल 2 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर कमाए करोड़ों
अमेरिका स्थित कार्लाइल ग्रुप (Carlyle Group) ने अपनी सहयोगी इकाई सीए बास्क इंवेस्टमेंट्स के जरिये यस बैंक (Yes Bank) में अपनी करीब 2 प्रतिशत हिस्सेदारी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर थोक सौदे के जरिये 1,441 करोड़ रुपये में बेच दी. एनएसई के आंकड़ों के अनुसार सीए बास्क इंवेस्टमेंट्स ने यस बैंक में 59.40 करोड़ शेयरों की बिक्री की, जो 1.98 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इन शेयरों को 24.27 रुपये प्रति शेयर के औसत भाव पर बेचा गया.
अब इतनी रह गई हिस्सेदारी
इस बिक्री के बाद यस बैंक में कार्लाइल ग्रुप की हिस्सेदारी 9.11 प्रतिशत से घटकर 7.13 प्रतिशत रह गई है. इस बीच गोल्डमैन शैक्स सिंगापुर पीटीई ने यस बैंक के 36.92 करोड़ से अधिक शेयरों को खरीदा है. इसके अलावा कुछ अन्य ने भी इसके शेयर खरीदे हैं.
तगड़े मुनाफे के बाद अब गिर गए बैंक के शेयर
सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को यस बैंक के शेयर की कीमत में करीब 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई और शेयर 24.96 रुपये पर बंद हुआ. बता दें, यस बैंक के शेयर बीते कुछ दिनों से काफी दबाव में हैं. 2024 वित्त वर्ष की मार्च तिमाही में यस बैंक का प्रॉफिट दोगुना से अधिक होकर 452 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. बैंक ने बताया कि फंसे कर्ज के लिए प्रावधान में कमी के चलते उसका लाभ बढ़ा है. वित्त वर्ष 2022-23 की इसी तिमाही में बैंक ने 202.43 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था. वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 में 1,251 करोड़ रुपये का प्रॉफिट दर्ज किया, जो सालाना आधार पर 74 प्रतिशत अधिक है.
मीडिया में इस बात को लेकर रिपोर्ट्स आ रही थीं कि लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद नई सरकार इनकम टैक्स सिस्टम में व्यापक बदलाव किया जा सकता है.
आयकर नियमों में बदलाव से जुड़ी खबरों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने इसे अफवाह करार देते हुए कहा कि यह पूरी तरह अटकलों पर आधारित है. दरअसल, मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद आयकर विभाग कुछ नियमों में बदलाव की योजना बना रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र की नई सरकार बनते ही ये बदलाव लागू हो जाएंगे.
क्या कहा वित्त मंत्री ने
निर्मला सीतारमण ने एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लिखा कि मैं आश्चर्यचकित हूं कि यह बातें कहां से आ रही हैं. इन्हें चेक क्यों नहीं किया जाता. यह कोरी अफवाह के सिवाय कुछ नहीं है. चैनल ने ट्वीट कर दावा किया था कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नए नियम लाने की तैयारी में जुटा हुआ है. फिलहाल शेयर और इक्विटी आधारित म्युचुअल फंड से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) के 1 लाख रुपये से ज्यादा होने पर 10 फीसदी के रेट से टैक्स लगता है. उधर, एफडी से होने वाली आय पूरी तरह टैक्स के दायरे में आती है.
Wonder where this is come from. Was not even double checked with @FinMinIndia . Pure speculation.
— Nirmala Sitharaman (Modi Ka Parivar) (@nsitharaman) May 3, 2024
Sorry, @CNBCTV18Live speculation, particularly during #LokSabhaElection2024 https://t.co/Qk0socShVU
क्या कहा गया था रिपोर्ट में
रिपोर्ट में दावा किया गया था कि नई सरकार के कार्यभार संभालने के बाद आयकर विभाग टैक्स बेस में कमी को रोक सकता है. इसके साथ ही आयकर के दंड से जुड़े कानूनों में सुधार किया जा सकता है. इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि नई सरकार सभी एसेट पर यूनिफॉर्म टैक्स लागू करने की योजना बना रही है. वर्तमान में एसेट पर अलग-अलग टैक्स प्रावधान है.
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नियम बदले तो इक्विटी निवेशकों को होगा नुकसान
इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, डेट म्यूचुअल फंड निवेशकों को 36 महीने के भीतर होल्डिंग अवधि के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स का भुगतान करना पड़ता है. दूसरी ओर डेट फंड पर एलटीसीजी इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20 फीसदी है. यदि इन नियमों में कोई बदलाव किया जाता है तो इक्विटी निवेशकों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा. नए नियम डेट इनवेस्टर्स के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होंगे.
4 जून को आएंगे लोकसभा चुनाव के नतीजे
गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों के नतीजे 4 जून को आएंगे. जिसके बाद सत्ता में आने वाली नई सरकार जुलाई 2024 में मुख्य बजट सत्र आयोजित करेगी. इस साल फरवरी में अंतरिम बजट 2024 पेश किए जाने के बाद, वित्त मंत्री ने कहा था कि यह उनके लिए आय पर फैसला लेने का समय नहीं है. टैक्स रीबेट छूट या टैक्स स्लैब में संशोधन. सीतारमण ने कहा था कि कई क्षेत्रों की तरह, टैक्स स्लैब्स में संशोधन अंतरिम बजट के लिए नहीं है.
सुचारिता कांग्रेस पार्टी की युवा नेता हैं और संबित पात्रा के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं. लेकिन अब उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए पैसे की कमी के कारण चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है.
इन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के सामने चुनौती सिर्फ बीजेपी को टक्कर देने की नहीं आ रही है बल्कि उसके कैंडीडेट जिस तरह से अपना नाम वापस ले रहे हैं उसका सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है. इस कड़ी में अब कांग्रेस की पुरी लोकसभा सीट से संबित पात्रा के खिलाफ चुनाव लड़ रही कांग्रेस उम्मीदवार ने अपना टिकट लौटा दिया है. उन्होंने टिकट वापस करने की वजह पैसे की कमी को बताया है. आज हम आपको सुचारिता मोहंती की संपत्ति का पूरा ब्यौरा देंगे.
पहले समझिए क्या है पूरा मामला
दरअसल पुरी से जहां बीजेपी की ओर से संबित पात्रा चुनाव लड़ रहे हैं वहीं कांग्रेस ने यहां से महिला उम्मीदवार पर दांव लगाते हुए सुचारिता मोहंती पर दांव लगाया है. लेकिन सुचारिता मोहंती ने कांग्रेस पार्टी का टिकट लौटा दिया है. उनका कहना है कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं हैं जिसके कारण वो प्रचार नहीं कर पा रही हैं.
सुचारिता ने फंड के लिए की थी अपील
उन्होंने 29 अप्रैल को ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने फंड की दरख्वासत की थी. सुचारिता अपने ट्वीट में कहा है, मेरे प्रिय साथी नागरिकों, जैसा कि आप जानते हैं, भाजपा सरकार ने विपक्ष को दबाने और चुनाव जीतने के लिए सबसे अलोकतांत्रिक डिजाइन में इन चुनावों के दौरान मुख्य विपक्षी कांग्रेस का गला घोंटने की कोशिश की है. संसाधनों की कमी और बैंक खातों पर प्रतिबंध का सामना करते हुए, कांग्रेस पार्टी पुरी संसदीय क्षेत्र में हमारे चुनाव अभियान को चलाने के लिए शून्य फंडिंग प्रदान कर रही है.हम पुरी में मनी बैग और चुनावी बांड घोटालेबाजों, सत्तारूढ़ भाजपा और बीजद के खिलाफ गंभीर लड़ाई लड़ रहे हैं. पुरी में हमारा अभियान इन भ्रष्ट सत्तारूढ़ दलों को हराने और आगामी सत्ता बनाम जनता चुनावों में लोगों के जीवन और आजीविका में सुधार लाने के लिए है. सुचारिता ने आगे भी बहुत बातें कही हैं.
Jai Jagannath!
— Sucharita Mohanty (@Sucharita4Puri) April 29, 2024
SAVE OUR CAMPAIGN IN PURI!
MAKE A DONATION!
TOGETHER, WE CAN!
My Dear Fellow Citizens,
As you are aware, the BJP government has sought to choke the main Opposition Congress of its own funds during these elections in the most undemocratic design to suppress the… pic.twitter.com/GkdbjSuaj8
कांग्रेस महासचिव को लिखा है पत्र
सुचारिता मोहंती ने कांग्रेस महासचिव को लिखे पत्र में कई अहम मामलों को उठाया है. उन्होंने कहा कि पुरी क्षेत्र में हमारा चुनाव अभियान बुरी तरह से प्रभावित हुआ है क्योंकि पार्टी ने मुझे फंड देने से इनकार कर दिया है. पार्टी के ओडिशा के प्रभारी अजॉय कुमार ने स्पष्ट रूप से मुझसे बचाव करने के लिए कहा है. मैं एक वेतनभोगी पत्रकार थी और 10 साल पहले चुनाव में आई थी. मैंने पुरी में अपने कैंपेन में सबकुछ झोंक दिया. मैने फंड के इंतजाम के लिए पब्लिक डोनेशन कैंप चलाने की भी घोषणा की लेकिन वो सफल नहीं हो सकी.
फंड के बिना असंभव है चुनाव लड़ना
सुचारिता आगे अपने पत्र में लिखती हैं कि क्योंकि मैं अपने से फंड नहीं जुटा पाई इसलिए मैंने पार्टी का दरवाजा खटखटाया और पुरी सीट के लिए फंड देने की मांग की. उन्होंने लिखा कि पुरी में फंड के बिना चुनावी अभियान को आगे बढ़ाना बेहद मुश्किल हो जाएगा. इसलिए पुरी क्षेत्र से मैं कांग्रेस का टिकट वापस कर रही हूं. ऐसे में जबकि सत्तारूढ़ सरकार भद्दा प्रदर्शन कर रही है मैं बिना फंड के चुनाव नहीं लड़ सकती हूं.
बाजार में आने वाले तीनों आईपीओ को लेकर ग्रे मार्केट का प्रीडिक्शन बेहतर नजर आ रहा है. तीनों आईपीओ में हेल्थकेयर,बैंकिंग और टेक सॉल्यूशन प्रोवाइड कराने वाली कंपिनयां शामिल हैं.
शेयर बाजार में सिर्फ इक्विटी या म्यूचुवल फंड का बाजार ही तेजी से आगे नहीं बढ़ रहा है बल्कि आईपीओ बाजार भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. शायद कोई हफ्ता ऐसा बीतता है जिसमें कोई आईपीओ न आता हो. इसी कड़ी में इस हफ्ते बाजार में तीन आईपीओ आने जा रहे हैं. आने वाले हफ्ते में बाजार में 3 आईपीओ आने वाले हैं जिसके जरिए बाजार से 6300 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने की तैयारी हो रही है. जिन कंपनियों के आईपीओ आने जा रहे हैं उनमें आधार हाउसिंग फाइनेंस,फाइनेंस, टीबीओ टेक(TBO Tech) और इंजीडीन का आईपीओ आ रहा है.
आधार हाउसिंग का इस तारीख को खुलेगा आईपीओ
एनबीएफसी सेक्टर की तीन बड़ी कंपनियों में शामिल आधार हाउसिंग फाइनेंस 3000 करोड़ रुपये जुटाने को लेकर अपना आईपीओ लेकर आ रही है. कंपनी का आईपीओ 8 मई को खुलेगा जबकि 10 मई तक निवेशक इसमें पैसा लगा सकते हैं. अगर आप इस आईपीओ में पैसा लगाना चाहते हैं कि इसका प्राइस बैंड प्रति शेयर 300-315 रुपये तय किया गया है. एक लॉट में 47 शेयरों को शामिल किया गया है. अगर आपको एक लॉट के लिए बोली लगानी है तो उसके लिए आपको 14805 रुपये देने होंगे. ग्रे मार्केट में इसका प्राइस 50 से 65 रुपये का दिखा रहा है जिसे देखकर जानकार मान रहे हैं कि 15 प्रतिशत फायदा हो सकता है.
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इंडिजीन के आईपीओ की ये है डिटेल
हेल्थ टेक सेक्टर की कंपनी इंडिजीन का आईपीओ 6 मई को खुलेगा जबकि निवेशक इसमें 8 मई तक आवेदन कर सकते हैं. कंपनी अपने इस आईपीओ के जरिए 1841.76 रुपये जुटाने की योजना बना रही है. हेल्थकेयर सेक्टर को डिजिटल सॉल्यूशन मुहैया कराने के साथ साथ ये कंपनी और भी कई तरह की असिस्टेंस मुहैया कराती है. ये कंपनी पेटेंट से लेकर क्लीनिकल ट्रायल में भी सेवाएं देने का काम करती है. कंपनी ने अपने इस आईपीओ में शेयरों का प्राइस बैंड 430-452 रुपये तय किया है. एक लॉट का इश्यू साइज 33 शेयर का है. एक लॉट की कीमत 14190 रुपये तय की गई है. कंपनी के आईपीओ को ग्रे मार्केट में भी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है और वो 51 प्रतिशत के अपसाइड के साथ 230 रुपये के प्रीमियम का रेट मिल रहा है.
जानिए कब आ रहा है TBO Tech का आईपीओ
ट्रैवल डिस्ट्रीब्यूशन के क्षेत्र में काम करने वाली TBO Tech कंपनी का आईपीओ 8 मई से लेकर 10 मई के बीच आने जा रहा है. कंपनी अपने इस आईपीओ के जरिए 1550 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने की तैयारी कर रही है. कंपनी ने आईपीओ के लिए प्रति शेयर 875-920 रुपये का रेट तय किया है. कंपनी के इस आईपीओ का अगर एक लॉट आपको खरीदना है तो आपको उसके लिए 16 शेयर खरीदने होंगे जिसके लिए आपको 14000 रुपये चुकाने होंगे. ग्रे मार्केट का प्रीमियम रेट वो रेट जो बाजार के बाहर गैर आधिकारिक तरीके से चल रहा है. ये किसी के द्वारा रेग्यूलेट नहीं होता है और ये बताता है कि आईपीओ कितने प्रतिशत ज्यादा पर लिस्ट हो सकता है.
लोकसभा चुनाव 2024 के बीच देश में प्याज की कीमतें ना बढ़ें, इसके लिए सरकार ने एक नया नोटिफिकेशन जारी किया है.
भारत जैसे देश में प्याज की बढ़ती कीमतें तक सरकार की जीत या हार तय करती हैं. महंगाई से लोग वैसे ही परेशान हैं. वहीं, प्याज की बढ़ती कीमतें भी लोगों को बहुत रुला रही हैं. ऐसे में चुनाव के बीच सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. प्लाज का निर्यात अब 40 प्रतिशत तक महंगा हो गया है. इस फैसले के बाद चुनाव के दौरान प्याज की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी और ये आम आदमी के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है.
नहीं होगी प्याज की कमी
देश में प्याज पर्याप्त मात्रा उपलब्ध रहे. साथ ही गर्मियों में बढ़ती डिमांड के कारण सप्लाई में कमी ना आए और कीमतें भी नियंत्रित रहे. इसके लिए देश से प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन लगा हुआ है. सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे कुछ मित्र देशों को ही निश्चित मात्रा में प्याज निर्यात करने की छूट है.
4 मई से प्याज के एक्सपोर्ट पर शुल्क
अब वित्त मंत्रालय ने एक नया नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसके अनुसार देश से प्याज के एक्सपोर्ट पर 40 प्रतिशत शुल्क देना होगा. ये अधिसूचना 4 मई से लागू हो चुकी है. प्याज के निर्यात पर सरकार ने पिछले साल अगस्त में भी 40 प्रतिशत की एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई थी, जो 31 दिसंबर 2023 तक के लिए मान्य थी. अब इसे बढ़ा दिया गया है.
इन सामानों पर भी राहत
सरकार ने जहां एक तरफ प्याज के निर्यात पर शुल्क लगाया है. वहीं, देश में चना दाल की कमी को पूरा करने के लिए देसी चने के आयात पर शुल्क छूट देने का फैसला किया है. इंपोर्ट ड्यूटी से ये छूट 31 मार्च 2025 तक मिलेगी. वहीं, 31 अक्टूबर 2024 से पहले जारी होने वाले ‘बिल ऑफ एंट्री’ के तहत विदेशों से मंगाई जाने वाली ‘पीली मटर’ पर भी सरकार कोई शुल्क नहीं लेगी. देसी चना और पीली मटर का उपयोग देश में बेसन की आपूर्ति करने के लिए होता है.
क्या होता है बिल ऑफ एंट्री
‘बिल ऑफ एंट्री’ एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसे इंपोर्टर्स या सीमा शुल्क निकासी एजेंट्स के इंपोर्टेड माल के लैंड होने से पहले दाखिल किया जाता है. प्याज पर निर्यात शुल्क बढ़ाए जाने के अलावा किए गए सभी अन्य बदलाव भी 4 मई से ही लागू माने जाएंगे.
पिछले कुछ सालों में कई इंफ्रा प्रोजेक्ट के डूबने से देश के बैंकों को भारी नुकसान हुआ है, इसलिए अब आरबीआई इनकी फाइनेंसिंग के कड़े नियम लाने की तैयारी कर रहा है.
बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर लोन डूबने के कारण आज कई बैंक मुसीबत में फंसे हुए हैं. इससे देश के बैंकिंग सिस्टम पर बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग को लेकर सख्त हो गया है. आरबीआई जल्द ही इंफ्रा प्रोजेक्ट को लोन देने के लिए नए नियम लेकर आने वाला है. तो चलिए आपको बताते हैं ये लोन क्या होता है और इसके लिए नए नियम कब लागू होंगे?
प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग करेंगे बैंक
आरबीआई द्वारा नए नियमों का ढांचा तैयार हो चुका है. इस पर सुझाव देने के लिए आरबीआई ने बैंको को 15 जून तक का समय दिया है. आरबीआई के प्रस्ताव में कहा गया है कि अंडर कंस्ट्रक्शन इंफ्रा प्रोजेक्ट को लोन देने से पहले बैंक सोच समझकर फैसला लें. साथ ही बैंक लगातार प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग करेंगे ताकि कोई छोटी समस्या बड़ी न हो सके. इंफ्रा प्रोजेक्ट में बड़े डिफॉल्ट हुए हैं. इसके चलते बैंकों की स्थिति बिगड़ी है. अब देश में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट तेजी से आ रहे हैं. सरकार भी इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए इन प्रोजेक्ट को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में बैंकों को भी सख्त होना पड़ेगा.
लोन का 5 प्रतिशत हिस्सा रखना होगा रिजर्व
आरबीआई के ड्राफ्ट के अनुसार बैंकों को प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन के दौरान लोन अमाउंट का 5 प्रतिशत हिस्सा अलग से रिजर्व रखना होगा. इसे प्रोजेक्ट के चालू हो जाने पर 2.5 प्रतिशत और रीपेमेंट की स्थिति में आ जाने के बाद 1 प्रतिशत पर भी लाया जा सकेगा. आरबीआई की वेबसाइट के अनुसार, 2021 के सर्कुलर में इस रकम को फिलहाल 0.4 प्रतिशत रखा जाता है. आरबीआई ने कहा अगर कई बैंक मिलकर कंसोर्टियम बनाकर 15 अरब रुपये तक के प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग कर रहे हैं, तो उन्हें 10 प्रतिशत लोन अमाउंट रिजर्व रखना होगा.
देरी होने पर बदलनी होगी लोन की कैटेगरी
बैंकों को जानकारी रखनी होगी कि इंफ्रा प्रोजेक्ट कब पूरा हो रहा है. अगर किसी प्रोजेक्ट में 3 साल से भी अधिक देरी की आशंका है तो उसे स्टैंडर्ड लोन से स्ट्रेस लोन की कैटेगरी में डालना पड़ेगा. बैंकों को प्रोजेक्ट में आ रही किसी भी समस्या पर गंभीरता से ध्यान देना होगा. साथ ही समाधान के विकल्प भी तैयार रखने होंगे.
अमेरिकी ट्रेड रेप्रेजेंटेटिव्स (USTR) ने बदनाम बाजारों की लिस्ट जारी की है. इनमें भारत के 3 ऑनलाइन मार्केट प्लेस और 3 ऑफलाइन बाजार भी शामिल हैं.
एक ओर भारत के कुछ बाजार दुनियाभर में मशहूर हैं, जहां देश-विदेश से लोग खरीदारी करने आते हैं. वहीं, यहां कुछ ऐसे बाजार भी हैं, जो दुनियाभर के बदनाम बाजारों की लिस्ट में आते हैं. दरअसल, अमेरिका में हर साल कुछ बदनाम बाजारों की लिस्ट तैयार की जाती है, जिसमें भारत के कुछ ऑनलाइन और कुछ ऑफलाइन बाजार शामिल हैं. वहीं, चीन बदनाम बाजारों की लिस्ट में नबर 1 पर है, तो चलिए जानते हैं भारत के ये कौन से बाजार हैं और इन्हें बदनाम बाजार क्यों कहा जाता है?
क्यों कहते हैं बदनाम बाजार
इन मार्केट्स को बदनाम इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहां पर नकली और कॉपी किए हुए प्रोडक्ट्स की भरमार होती है. इसके साथ ही यहां कॉपीराइट्स कानून का उल्लंघन भी होता है. इन बाजारों में नकली जींस विदेशी ब्रैंड के स्टीकर लगाकर बेची जाती है.
भारत के कौन से बाजार इसमें शामिल
अमेरिकी ट्रेड रेप्रेजेंटेटिव्स (USTR) की ओर से जारी बदनाम बाजारों की लिस्ट में भारत के 3 ऑनलाइन मार्केट प्लेस और 3 ऑफलाइन बाजार भी शामिल हैं, जिसमें मुंबई का हीरा पन्ना बाजार, नई दिल्ली के करोल बाग का टैंक रोड और बेंगलुरू के सदर पटरप्पा रोड मार्केट शामिल है. वहीं, ऑनलाइन मार्केट प्लेस में इंडियामार्ट, वेगामूवीज और डब्ल्यूएचएमसीएस स्मार्ट्स शामिल हैं.
एशिया का सबसे बड़ा जींस का बाजार, फिर भी बदनाम
आपको बता दें, करोल बाग स्थित टैंक रोड बाजार 35 साल पुराना बाजार है. दिल्ली के इस बाजार को एशिया का सबसे बड़ा जींस का बाजार कहा जाता है. यहां पर आपको छोटे से लेकर बड़े तक हर ब्रांड की जींस सस्ते में मिल जाएगी. हालांकि, अमेरिका के अनुसार उनमें में कई जींस नकली होती हैं यानी कि उन जींस को बनाया तो यहां जाता है, लेकिन उनपर विदेशी कंपनी के स्टीकर लगे होते हैं. यहां 450 से लेकर 1200 रुपये कर की जींस मिलती है. हालांकि आपको यहां पर कम से कम 5 जींस खरीदनी पड़ेगी. यहां पर दिल्ली ही नहीं जम्मू से लेकर कन्याकुमारी तक से व्यापारी खरीदारी करने के लिए आते हैं. इसके साथ ही ये एक टूरिस्ट बाजार भी बन गया है.
चीन से निकलता है सबसे ज्यादा नकली सामान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका के ट्रेड डेलीगेट्स की बदनाम बजारों (Notorious Markets) की लिस्ट में चीन अब भी नंबर 1 की पॉजीशन पर है. अमेरिका द्वारा तैयार सूची में दुनियाभर के 33 फीजिकल ऑफलाइन और 39 ऑनलाइन मार्केट प्लेस हैं. इसमें चीन सबसे आगे है, जिसमें चीन के ई-कॉमर्स एवं सोशल कॉमर्स मार्केट ताओबाओ (Taobao), वीचैट (WeChat), डीएच गेट (DHGate) और पिनडुओडुओ (Pinduoduo) के अलावा क्लाउड स्टोरेज सर्विस बाइडू वांगपान (Baidu Wangpan) शामिल हैं. इसके साथ ही चीन के 7 ऑफलाइन बाजारों को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया है. ये सभी चाइनीज बाजार नकली सामानों की मैन्युफैक्चरिंग, डिस्ट्रीब्यूशन एवं सेल्स करते हैं.
क्यों जरूरी है बदनाम बाजारों की लिस्ट?
यूएसटीआर ने बताया कि चीन कई सालों से लगातार इस लिस्ट में पहले स्थान पर बना हुआ है. अमेरिकी कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन ने 2022 में जितना सामान जब्त किया उसमें चीन और हांगकांग से निकले नकली सामानों का हिस्सा लगभग 60 प्रतिशत है. ये सभी बाजार ट्रेडमार्क काउंटरफिटिंग और कॉपीराइट पायरेसी के लिए जाने जाते हैं और इससे कर्मचारियों, उपभोक्ताओं, छोटे बिजनेस और इकोनॉमी को भारी नुकसान होता है, इसलिए बदनाम बाजारों की यह लिस्ट बेहद जरूरी हो जाती है. इससे हमें नकली सामानों से लड़ने में मदद मिलती है. इकोनॉमी को बचाने के लिए इन सभी बाजारों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.