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BW Class: कंपनियों के लिए ESG क्या होता है, CSR से कैसे अलग है, समझिए आसान भाषा में
कंपनियां अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों निभाएं इसके लिए वो कानूनी रूप से बाध्य हैं, लेकिन नैतिक रूप से कैसे अपनी जिम्मेदारियों को समझें, जो उनकी पर्यावरण और समाज के प्रति बनती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: पूंजीवाद के इस दौर में हर कंपनी अपना मुनाफा देखती हैं, उसका ग्राफ बढ़ाने के लिए हर तह के प्रयास करती है. हालांकि इसमें कोई बुराई नहीं है, बात तब बिगड़ जाती है जब कंपनियां सिर्फ अपने मुनाफे के लिए समाज, पर्यवारण और मानवता सभी को ताक पर रख देती है. तो ऐसा क्या किया जाए कि कंपनियां मुनाफा तो कमाएं लेकिन नैतिकता के दायरे में रहकर, इसलिए कंपनियों के लिए ESG पैरामीटर्स की शुरुआत की गई.
ESG क्या है
ESG का मतलब है Environmental, Social और Governance. इसको एक-एक करके समझते हैं.
Environmental Empathy: कोई कंपनी जब किसी चीज को बनाती है तो पर्यावरण को कुछ न कुछ नुकसान जरूर होता है. जैसे अगर कोई कंपनी कार बनाती है तो इससे वातावरण में कार्बन, विषैला पानी और तमाम तरह के केमिकल घुलते हैं, फैक्ट्रियों और प्लांट की वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा भी रहता है. आजकल ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर चर्चा भी जोरों पर है. कहीं नदियां सूख रही हैं और दूषित हो रही हैं, तो कहीं ग्लेशियर पिघल रहे हैं. धरती का तापमान भी हर साल बढ़ रहा है. जंगल खत्म हो रहे हैं. ऐसे में कंपनियों की ये जिम्मेदारी होती है कि वो ऐसे कदम उठाएं जिससे पर्यावरण को होने वाला नुकसान कम किया जा सके. जैसे कंपनियां रीन्यूएबल एनर्जी की तरफ रुख करें, वेस्ट मैनेजमेंट को बेहतर कर सकें और ग्रीन कवर को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं.
Social Responsibility: जब समाज से आप बहुत कुछ हासिल करते हैं तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप समाज को उसका कुछ हिस्सा लौटाएं. अगर आपको समाज धन, संपत्ति और सफलता देता है तो आप समाज के प्रति कितने जिम्मेदार हैं, ये इससे पता चलता है कि आपने समाज के लिए क्या किया. अजीम प्रेमजी या वॉरेन बफे और बिल गेट्स जैसे दुनिया के बड़े बड़े बिजनेसमैन करोड़ों रुपये समाज की भलाई के लिए दान में देते हैं, क्योंकि वो इस बात को मानते हैं कि समाज को वापस लौटाना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है. वैसे भी कंपनीज एक्ट 2013 के मुताबिक कंपनियों को अपने कुल मुनाफे का 2 परसेंट हिस्सा सामाजिक कामों पर खर्च करना जरूरी है.
Governance: कोई कंपनी अच्छी है या बुरी, काम करने लायक है या नहीं, ये इससे पता चलता है कि उस कंपनी का कॉर्पोरेट गवर्नेंस कैसा है. कोई भी कंपनी या संस्था उसके कर्मचारियों, स्टाफ, सप्लायर्स, ग्राहकों से बनती होती है. उस कंपनी का मैनेजमेंट अपने स्टाफ, ग्राहकों के साथ कैसा बर्ताव करता है, उनके हितों को सुरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठाता है, ये कॉर्पोरेट गवर्नेंस कहलाता है. किसी कंपनी का मैनेजमेंट सही से काम कर रहा है या नहीं, यानी किसी कंपनी का कॉर्पोरेट गवर्नेंस ठीक है या नहीं इसके लिए सेबी के सख्त नियम भी हैं.
ESG और CSR में क्या फर्क है?
अब आपको ESG का मतलब समझ आ गया होगा. अब ये जानते हैं कि ESG की जरूरत क्या है, और जब देश में पहले से कंपनियों के लिए CSR है तो ESG की क्या जरूरत है. BW ESG,BW Businessworld की संपादकीय उर्वी श्रीवास्तव ने इसी मुद्दे पर ECube Advisory Pvt Ltd के चेयरपर्सन डॉ. मुकुंद राजन से बात की. डॉ. राजन ने बताया कि भारत ESG को लेकर अभी बहुत शुरुआती दौर में है, कुछ कंपनियां ही हैं जो अभी ESG को अपना रही हैं. एक गलत धारणा बन रही है कि ESG और CSR (Corporate Social Responsibility) एक ही हैं. जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है, क्योंक कि CSR, ESG का एक हिस्सा मात्र है, ESG में 'S' ही CSR है. दूसरी बात ये कि ESG एक बहुत बड़ा डोमेन है. ये उन सभी चीजों को कवर करता है जो वातावरण, समाज और गुड गवर्नेंस पर असर डालते हैं.
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