सोशल मीडिया पर एक डिबेट का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक नेता ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के वजूद पर ही सवाल उठाया है.
आपने कोई बीमा पॉलिसी ली हो या नहीं, लेकिन आपने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस (SBI Life Insurance) का नाम जरूर सुना होगा. ये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की बीमा कंपनी है. हालांकि, ये बात अलग है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी (Sudhanshu Trivedi) इसे कंपनी नहीं मानते. उनका कहना है कि एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस महज एक स्कीम है. डॉ त्रिवेदी के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ है. लोग अपने-अपने अंदाज में उनकी चुटकी ले रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
चलिए समझते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है. दरअसल, सुधांशु त्रिवेदी एक TV डिबेट में शामिल हुआ थे, जहां कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinate) भी मौजूद थीं. सुप्रिया ने देश की अर्थव्यवस्था पर अपने विचार रखते हुए SBI की एक रिपोर्ट का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने वाले देश के 47% लोगों ने या तो प्रीमियम नहीं भरा या पॉलिसी सरेंडर कर दी. ये आर्थिक तंगी के नतीजे हैं. श्रीनेत ने कहा कि एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की फाइनेंशियल इम्यूनिटी रिपोर्ट के अनुसार 47 प्रतिशत लोगों ने पिछले 5 साल में या तो अपनी जीवन बीमा पॉलिसी बंद कर दी है या प्रीमियम नहीं भरा है.
क्या SBI की कंपनी है?
कांग्रेस प्रवक्ता श्रीनेत की बात का जवाब देते हुए सुधांशु त्रिवेदी एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के वजूद पर ही सवाल उठा गए. उन्होंने कहा - आपने कहा SBI लाइफ इंश्योरेंस. थोड़ा पढ़-लिखकर बात करें. एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी नहीं है, एक स्कीम है. यह SBI बैंक की इंश्योरेंस स्कीम है. स्कीम एक्सपायर हो जाती है, तो लोग उससे पैसा निकालते हैं और दूसरी स्कीम में लगा लेते हैं. यह सुनते ही सुप्रिया श्रीनेत ने पहले तो अपना सिर पकड़ लिया, फिर उन्होंने बीजेपी प्रवक्ता को जमकर सुनाया. इस दौरान, सुधांशु त्रिवेदी यह पूछते नजर आए कि क्या यह एसबीआई की कंपनी है? सुप्रिया ने इस डिबेट का वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया है.
शेयर बाजार में है लिस्टेड
अब जब सुधांशु त्रिवेदी ने कंपनी के वजूद पर सवाल उठा दिया है, तो चलिए उसके बारे में भी जान ही लेते हैं. SBI लाइफ इंश्योरेंस लिमिटेड भारतीय जीवन बीमा कंपनी है और शेयर बाजार में लिस्टेड है. इसकी शुरुआत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और फ्रांस की वित्तीय संस्था BNP Paribas Cardif के जॉइंट वेंचर के रूप में हुई थी. अपनी इस बीमा कंपनी में SBI की 55.50% और BNP की 0.22% हिस्सेदारी है. इसके 12% शेयर पब्लिक इन्वेस्टर्स के पास हैं. खबर लिखे जाने तक SBI लाइफ इंश्योरेंस लिमिटेड के शेयर उछाल के साथ 1,374.10 रुपए पर ट्रेड कर रहे थे.
27 सितंबर को बैंगलोर के बाहरी रिंग रोड (Outer Ring Road) पर ऐसा जाम लगा कि लोग 4 घंटों तक जाम में फंसे रह गए थे.
बैंगलोर का टेक कॉरिडोर कहे जाने वाले बाहरी रिंग रोड (ORR) पर कल यानी 27 सितंबर को काफी भयानक ट्रैफिक जाम (Traffic Bangalore) देखने को मिला. जाम इतना ज्यादा भीषण था कि ट्रैफिक पुलिस को एडवाइजरी जारी करते हुए सभी IT कंपनियों से अनुरोध करना पड़ा कि लॉगआउट में थोड़ी देरी कर दें जिससे की सड़क पर और वाहन इकट्ठा न हों. अब सोचिये इतने भीषण जाम में अगर आप पिज्जा करें तो क्या लगता है, पिज्जा आप तक पहुंच पाएगा? ज्यादातर लोग यही सोचेंगे कि जाम में पिज्जा कैसे आएगा, लेकिन जानी-मानी पिज्जा कंपनी डोमिनोज (Dominos) ने यह कारनामा कर दिखाया है.
कल भीषण जाम हुआ था बैंगलोर
27 सितंबर को बैंगलोर के बाहरी रिंग रोड (Outer Ring Road) पर ऐसा जाम लगा कि लोग 4 घंटों तक जाम में फंसे रह गए थे. ट्रैफिक पुलिस की मानें तो 26 सितंबर को बेंगलुरु बंद की घोषणा की गई थी और इसी की वजह से अगले दिन सड़कों पर वाहनों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई जिसकी वजह से इतना भीषण ट्रैफिक जाम लग गया और लोगों को लगभग 4 घंटों तक सड़क पर अपनी अपनी कारों में ही बंद रहना पड़ा. लेकिन इस भीषण ट्रैफिक जाम के बीच फ्लिप्कार्ट में सीनियर डिजाईन मैनेजर के पद पर काम करने वाले ऋषि वत्स (Rishi Vaths) का मन पिज्जा खाने का हुआ और उन्होंने फैसला किया कि वह डोमिनोज से पिज्जा ऑर्डर करेंगे.
भीषण जाम में पहुंचा डोमिनोज
इसके बाद जो हुआ वह काफी चौंकाने वाला था. जैसा की हमने आपको ऊपर बताया कि सड़क पर दोगुने वाहन मौजूद थे और जाम इतना भीषण था कि लोग 4 घंटों तक इस जाम में ही फंसे हुए थे. इतने भीषण ट्रैफिक के बीच में एक कार को खोजकर उस तक पिज्जा पहुंचाने का करिश्मा जानी-मानी कंपनी डोमिनोज (Dominos) ने करके दिखाया है. ऋषि वत्स और उनके कुछ दोस्त भी इस जाम में फंसे हुए थे और उन्होंने फैसला किया कि पिज्जा मंगाया जाए और अपनी लाइव लोकेशन का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने पिज्जा ऑर्डर कर दिया. ऋषि ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X, जिसे पूर्व में ट्विटर के नाम से जाना जाता है, पर एक विडियो भी साझा किया है.
सोशल मीडिया पर वायरल हुई विडियो
इस विडियो में देखा जा सकता है कि कार के सामने आकर एक स्कूटी रूकती है जिसपर डोमिनोज के दो कर्मचारी सवार हैं और फिर वह कार में पिज्जा डिलीवर कर देते हैं. विडियो शेयर करते हुए ऋषि ने लिखा है कि जब हमने निर्णय लिया कि बैंगलोर के जाम में डोमिनोज से ऑर्डर करते हैं. उन्होंने (डोमिनोज ने) हमारी लाइव लोकेशन से हमें ढूंढा और ट्रैफिक जाम में भी डिलीवर किया. ऋषि की यह विडियो फिलहाल सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रही है और विडियो को अब तक 4 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है.
https://x.com/rishivaths/status/1707102839141748740?t=ehx3PwZQ0fJk4-tS53BOKA&s=09
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यहां कई हजार लोगों के अकाउंटों में हजारों और लाखों की संख्या में एक साथ रूपए पहुंच गए हैं.
अगर आपके बैंक अकाउंट में अचानक लाखों या हजारों रुपये आ जाएं तो आप क्या करेंगे? जवाब बहुत ही आसान है, कुछ लोग बैंक से पैसे निकालने भागेंगे, कुछ लोग बैंक में पूछताछ करेंगे और कुछ लोगों को इस बात का शायद विश्वास ही न हो. हाल ही में उड़ीसा में कुछ ऐसा ही हुआ है और यहां बैंक के बाहर लोगों की काफी लंबी कतारें देखने को मिली हैं.
हजारों अकाउंट लाखों रूपए
तकनीकी रूप से दुनिया काफी तेजी से आगे बढ़ रही है और साथ ही तकनीक का गलत इस्तेमाल या फिर तकनीक के नुक्सान भी हमें आए दिन देखने को मिलते ही हैं. ऐसा ही कभी कभी हमारे बैंक अकाउंटों के साथ भी होता है. अगर आप ध्यान दें तो पाएंगे कि पिछले कुछ समय के दौरान भारत में गलत अकाउंटों में पैसे पहुंचने या फिर अनजान आदमी के अकाउंट में लाखों रूपए पहुंचने जैसी घटनाएं काफी तेजी से बढ़ी हैं. अब हाल ही में ऐसा ही कुछ उड़ीसा में भी हुआ है, लेकिन यहां कई हजार लोगों के अकाउंटों में हजारों और लाखों की संख्या में एक साथ रूपए पहुंच गए हैं.
बैंक के बाहर लगी भीड़
ये मामला उड़ीसा ग्राम्य बैंक (Odisha Gramya Bank) का है जो कि एक सरकारी बैंक है. कल सुबह जब बैंक को खोला गया तो बैंक के बाहर मौजूदा भीड़ को देखकर बैंक के मेनेजर हैरान रह गए. इस भीड़ में मौजूद ज्यादातर लोग पैसे निकालने आए थे. किसी के अकाउंट में 30,000 रूपए आ गए, किसी के अकाउंट में 40,000 तो किसी के अकाउंट में 50,000 रूपए भी आ गए. इतना ही नहीं, हैरान करने वाली बात ये है कि कुछ लोगों के अकाउंट में तो 1 या फिर 2 लाख रूपए भी जमा हुए हैं. आपको बता दें, यह बैंक उड़ीसा के केंद्रपाड़ा नामक स्थान पर स्थित है.
300 अकाउंट हुए चेक
फिलहाल इस खबर ने तेजी पकड़ ली है और यह खूब वायरल भी हो रही है. बैंक के सभी कस्टमर्स बहुत खुश हैं और अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि आखिर ये पैसे आए कहां से हैं और इनके पीछे कौन है? बैंक के मैनेजर ने इस बारे में मीडिया से बात की और बताया कि उन्होंने लगभग 300 से ज्यादा बैंक अकाउंट चेक किए हैं, लेकिन यह पता नहीं चल पाया है कि ये पैसे किसने और क्यों इन खातों में भेजे हैं? साथ ही मैनेजर ने यह भी बताया कि अचानक पैसे आ जाने की वजह से लोग बहुत ही जल्दी-जल्दी बैंक से पैसे निकाल रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि बैंक के खातों में 30,000 रुपयों से लेकर 2 लाख रूपए तक की राशि आई है.
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चेन्नई में रहने वाले P Dillibabu ने आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए ITC Sunfeast Marie लाइट बिस्कुट का एक पैकेट लिया था.
हाल ही में एक काफी दिलचस्प मामला सामने आ रहा है. दरअसल हुआ कुछ यूं है कि एक कस्टमर को Sunfeast Marie Light पैकेट में एक बिस्कुट कम मिला और अब जानी मानी कंपनी ITC को इस एक कम पड़े बिस्कुट के लिए कस्टमर को 1 लाख रुपए का भुगतान करना होगा.
क्या है पूरा मामला?
मामला चेन्नई का है, चेन्नई में रहने वाले P Dillibabu ने आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए ITC Sunfeast Marie लाइट बिस्कुट का एक पैकेट लिया था. पैकेट लेने के बाद कस्टमर ने ध्यान दिया कि हालांकि, बिस्कुट के पैकेट पर 16 बिस्कुट लिखे हुए हैं लेकिन पैकेट में केवल 15 बिस्कुट ही निकले. Dillibabu ने पहले अपने क्षेत्रीय स्टोर का रुख किया, जहां से उन्होंने वह बिस्कुट का पैकेट लिया था. उसके बाद उन्होंने ITC से भी जवाब मांगा लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिला और इसके बाद उन्होंने कंज्यूमर कोर्ट में अपनी याचिका दर्ज करवाई. अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि ITC प्रतिदिन बिस्कुट के 50 लाख पैकेट बनाती है और अगर इस संख्या पर गौर फरमाएं तो प्रतिदिन कंपनी लगभग 29 लाख कस्टमर्स के साथ धोखाधड़ी कर रही है.
कैसे सुलझा मामला?
इस याचिका के खिलाफ गुहार लगाते हुए ITC ने दलील दी कि बिस्कुटों को वजन के आधार पर बेचा जाता है न कि संख्या के आधार पर और Sunfeast Marie लाइट बिस्कुट के प्रत्येक पैकेट पर 76 ग्राम वजन का उल्लेख किया गया होता है. लेकिन बाद में कोर्ट को पता चला कि बिस्कुट के प्रत्येक पैकेट का वजन केवल 74 ग्राम ही है. इसके बाद ITC ने दलील देते हुए कहा कि कानूनी नियमों के अनुसार पैकेज्ड चीजों के पैकेट में 4.5 ग्राम तक के वजन का फर्क पाया जा सकता है. लेकिन कोर्ट ने इस दलील को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसे सिर्फ कुछ एक गिने चुने प्रोडक्ट्स के साथ हो सकता है और यह कानून बिस्कुटों पर लागू नहीं होता है. इसके बाद 29 अगस्त को कोर्ट ने FMCG कंपनी को आदेश दिया था कि वह P Dillibabu को 1 लाख रुपयों का भुगतान करे.
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एक चोर बैंक में चोरी करने के लिए घुसा, लाख कोशिशों के बाद भी चोरी नहीं कर पाया और हार मानते हुए उसने फीडबैक छोड़ दिया.
कभी-कभी हमारे सामने कुछ ऐसी रोचक विडियो और कहानियां आती हैं जिन्हें पढ़कर हमें यकीन नहीं होता कि क्या ऐसा सच में हुआ होगा और हम खुद से ये सवाल पूछते हैं कि ऐसा भी होता है? अब सोचिए कि एक चोर बैंक में चोरी करने के लिए घुसे और चोरी करने कि बजाय फीडबैक छोड़कर चला जाए, तो यकीन नहीं होगा न? ऐसा हमने फिल्मों में या फिर सोशल मीडिया पर वायरल हुई कई विडियोज में देखा ही होगा लेकिन हाल ही में ऐसा सच में हुआ है.
चोर ने छोड़ा फीडबैक
मामला तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद का है. दरअसल हुआ यूं कि यहां स्थित नेन्नल मंडल में एक चोर चोरी करने के लिए घुसा, लाख कोशिशों के बाद भी वह चोरी नहीं कर पाया और हार मानते हुए उसने एक फीडबैक छोड़ दिया जिसमें उसने बैंक के लॉकर की मजबूती की तारीफ की है. बैंक की तारीफ करने के साथ-साथ चोर ने पुलिस से कुछ आग्रह भी किया है. चोर ने पुलिस से आग्रह किया है कि वह उसे न पकड़ें. तेलंगाना के इस बैंक का जब ताला खोला गया तो बैंक के अंदर सब कुछ इधर-उधर फैला पड़ा हुआ था और यह नजारा देखकर बैंक के सभी कर्मचारी घबरा गए. लेकिन कर्मचारियों को हैरानी तब हुई जब उन्होंने सब कुछ सुरक्षित पाया. बैंक में मौजूद कीमती सामान, लॉकर और यहाँ तक की पैसे भी सुरक्षित थे, जिसका मतलब ये था कि बैंक में चोरी तो नहीं हुई थी.
नहीं मिलेंगे फिंगरप्रिंट
इसके बाद बैंक के कर्मचारियों द्वारा पुलिस को सूचना दी गई और पुलिस ने जानकारी के अनुसार बैंक में जांच के लिए अपनी दो टीमें रवाना कीं. पुलिस की टीमें अभी जांच कर ही रही थीं कि उन्हें एक अखबार मिला जिसमें एक नोट लिखा हुआ था. इस नोट में चोर ने लिखा था कि मेरे फिंगरप्रिंट आपको वहां नहीं मिलेंगे, बैंक काफी अच्छा और सुरक्षित है, एक रूपया भी नहीं मिला, इसलिए मुझे मत पकड़ना. बैंक प्रंबधन ने यह नोट पुलिस को दिखाया और इस वक्त सोशल मीडिया पर यह नोट जमकर वायरल हो रहा है.
CCTV में दर्ज हुई हरकत
इसके बाद बैंक के अधिकारियों और पुलिस ने मिलकर सुनिश्चित किया कि लॉकर सुरक्षित हैं या नहीं और उधर चोर CCTV कैमरा में कैद हो गया. पुलिस ने जब CCTV फुटेज चेक की तो उन्हें चोर के अन्दर अआने और बैंक के अन्दर की उसकी हरकतें विडियो फॉर्मेट में मिल गईं लेकिन चोर के चेहरे पर नकाब था और चोर दीवार तोड़कर बैंक के अन्दर घुसा था. चोर ने हर संभव प्रयास किया लेकिन उसे एक रुपया भी प्राप्त न हो सका.
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चीन के करोड़पति कारोबारी लियांग शी का कहना है कि लगातार मिली असफलता के चलते अब वह टूट गए हैं, लेकिन एक अंतिम प्रयास जरूर करेंगे.
लिखने-पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती. चीन के करोड़पति कारोबारी (Chinese Businessman) लियांग शी (Liang Shi) पर ये बात बिल्कुल सटीक बैठती है. हालांकि, ये बात अलग है कि 56 साल के लियांग विश्वविद्यालय के एडमिशन टेस्ट में अब तक पास नहीं हो पाए हैं. हाल ही में उन्हें 27वीं बार असफलता का सामना करना पड़ा है. लियांग अपने खराब रिजल्ट से नाराज जरूर हैं, लेकिन अगले साल फिर वो इस एग्जाम में बैठेंगे.
750 में से 424 नंबर
बीते शुक्रवार को जारी हुए परीक्षा परिणाम में लियांग शी को 750 में से 424 नंबर मिले. जबकि चीन के किसी भी विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए कम से कम 458 नंबर चाहिए होते हैं. इस साल यूनिवर्सिटी एग्जाम में करीब 1.3 करोड़ छात्र बैठे थे, लेकिन लियांग एकमात्र ऐसे थे जो 56 साल की उम्र में भी एडमिशन का प्रयास कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में यूनिवर्सिटी में दाखिले की परीक्षा को 'गाओकाओ' कहा जाता है. ये बेहद मुश्किल परीक्षा मानी जाती है. आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में केवल 41.6% उम्मीदवारों को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश मिल पाया था.
16 की उम्र में की थी शुरुआत
लियांग का कहना है कि उन्होंने एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने का सपना देखा था, लेकिन अब लगता है कि मेरा सपना कभी पूरा नहीं होगा. हालांकि, इसके बावजूद मैं अगले साल होने वाली परीक्षा में फिर से अपनी किस्मत आजमाऊंगा. लियांग ने पहली बार 1983 में 16 साल की उम्र में ये परीक्षा दी थी. 1992 तक उन्होंने अलग-अलग नौकरी करते हुए हर साल इसके लिए आवेदन किया. छात्र से कारोबारी बनने की शुरुआत लियांग शी के लिए 1990 के दौर में हुई, जब उन्होंने लकड़ी का होलसेल बिजनेस शुरू किया. एक साल के भीतर ही उन्होंने 10 लाख युआन कमा लिए और इसके बाद निर्माण सामग्री का बिजनेस में कदम रखा.
कॉलेज जाना लियांग का सपना
'गाओकाओ' के लिए पहले उम्र सीमा निर्धारित थी. 1992 में अपने आखिरी प्रयास के साथ ही लियांग उस सीमा को पार कर चुके थे, लेकिन चीनी सरकार ने 2001 में इस परीक्षा के लिए उम्र सीमा हटा दी, इसके बाद उन्होंने फिर से परीक्षाएं देनी शुरू कर दीं. लियांग शी की इच्छा शुरू से ही किसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ने की थी. 2014 उन्होंने एक स्थानीय अखबार से कहा था कि यदि आप कॉलेज नहीं जाते, तो यह बहुत ही शर्मिंदगी वाली बात है. बिना उच्च शिक्षा के जीवन पूर्ण नहीं हो सकता. लियांग अगले साल एक बार फिर इस एग्जाम में शामिल होंगे, लेकिन ये शायद उनका अंतिम प्रयास होगा. उनका कहना है कि लगातार फेल होने के चलते अब वह खुद को हारा हुआ महसूस करने लगे हैं.
जैक मा की कंपनी में किसी जमाने में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करने वालीं टोंग वेनहोंग अब कंपनी की वाइस प्रेसिडेंट बन गई हैं.
ये कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी - इंतजार का फल मीठा होता है. चीन की दिग्गज कंपनी Alibaba की एक रिसेप्शनिस्ट ने इस कहावत पर अमल किया और आज वह करोड़ों की मालकिन बन गई है. अलीबाबा इंक के मुखिया जैक मा (Jack Ma) ने अपनी रिसेप्शनिस्ट टोंग वेनहोंग को अलीबाबा के कुछ शेयर देकर इंतजार करने को कहा था. वेनहोंग ने बिल्कुल वही किया. हालांकि, कुछ मौकों पर उनका धैर्य टूटने की कगार पर भी पहुंचा, लेकिन उन्होंने ऐसा होने नहीं दिया और आज वह इंतजार के मीठे फल का स्वाद चख रही हैं.
स्टाफ को बांटे थे शेयर
एक रिपोर्ट के अनुसार, टोंग वेनहोंग ने करीब 20 साल पहले बतौर रिसेप्शनिस्ट जैक मा की कंपनी अलीबाबा जॉइन की थी. उस दौर में जैक मा ने alibaba.com के स्टाफ को कंपनी के शेयर अलॉट किए थे. टोंग वेनहोंग के हिस्से में 0.2 फीसदी शेयर आए थे. तब जैक ने टोंग से कहा कि जब अलीबाबा शेयर बाजार में लिस्ट होगी, तो वह 100 मिलियन की मालकिन बन सकती हैं. जैक ने टोंग से यह भी कहा कि वो किसी दूसरी कंपनी में नौकरी न तलाशें और यहीं काम करती रहें. क्योंकि अलीबाबा के शेयर बाजार में लिस्ट होते ही शेयर उन्हें करोड़ों की मालकिन बना देंगे.
हर बार मिलता एक ही जवाब
टोंग काफी समय तक अलीबाबा में काम करती रहीं. लेकिन बार-बार टलती अलीबाबा की लिस्टिंग से वह थोड़ी मायूस हो गईं. एक दिन उन्होंने Jack Ma से पूछ लिया कि अलीबाबा स्टॉक मार्केट में कब लिस्ट होगी. जवाब मिला - बहुत जल्द. 2006 में फिर उन्होंने जैक मा से यही सवाल किया और जवाब वही मिला, जो पहले मिला था. यानी बहुत जल्द. समय बीतता गया और टोंग की करोड़पति बनने की उम्मीद भी कम होती चली गई. उन्हें लगा कि अलीबाबा के शेयर बाजार में लिस्ट होने की कोई संभावना नहीं है. हालांकि, 2014 में उनका इंतजार खत्म हुआ.
इस तरह बदली किस्मत
सितंबर 2014 में जब अलीबाबा न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हुई, तो टोंग के शेयरों की वैल्यू 245.7 मिलियन डॉलर पहुंच गई. इस तरह, जैक मा ने अपनी रिसेप्शनिस्ट को करोड़ों की मालकिन बना दिया. आज टोंग वेनहोंग अलीबाबा की वाइस प्रेसिडेंट हैं और उनके शेयरों की वैल्यू 320 मिलियन हो चुकी है. गौरतलब है कि जैक मा के लिए पिछला कुछ समय अच्छा नहीं रहा है. उनके एक बयान से चीनी राष्ट्रपति इस कदर नाराज हो गए हैं कि जैक के कारोबार पर सरकारी कैंची कई बार चला चुकी है. बीच में जैक अचानक गायब भी हो गए थे.
ज्यादातर देशों के क्रिकेटर्स सन्यास लेने के बाद इस खेल से जुड़े किसी क्षेत्र में ही आगे बढ़ते हैं, लेकिन वो कहते हैं न कि पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं?
ज्यादातर क्रिकेटर्स सन्यास लेने के बाद क्रिकेट से जुड़े किसी क्षेत्र को ही चुनते हैं, फिर चाहे वो कमेंट्री हो, कोचिंग हो या फिर एडमिनिस्ट्रेशन ही क्यों न हो. लेकिन पूर्व स्टार क्रिकेटर की जिंदगी में एक आकस्मिक मोड़ आया और अब वह कुछ ऐसा कर रहे हैं जिसका क्रिकेट से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है.
एक जैसे नहीं होते सबके हालात
दुनिया भर में क्रिकेट को लोगों द्वारा काफी ज्यादा पसंद किया जाता है और साथ ही क्रिकेटर्स को भी काफी पसंद किया जाता है. ज्यादातर देशों के क्रिकेटर्स सन्यास लेने के बाद इस खेल से जुड़े किसी क्षेत्र में ही आगे बढ़ते हैं. लेकिन वो कहते हैं न कि पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं? ठीक उसी तरह हर किसी की जिंदगी भी एक जैसी नहीं होती. आज हम एक ऐसे क्रिकेटर की कहानी सुनने वाले हैं जिसने अपने देश की तरफ से वर्ल्ड कप भी खेला और दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग IPL (भारतीय प्रीमियर लीग) का भी वह हिस्सा थे, लेकिन अब वह एक बस चालक के रूप में काम कर रहे हैं.
कौन है यह स्टार क्रिकेटर?
दरअसल हम Suraj Randiv की बात कर रहे हैं जो पूर्व भारतीय कप्तान और महान क्रिकेटर MS Dhoni के साथ IPL (भारतीय प्रीमियर लीग) में खेल चुके हैं. इतना ही नहीं, 2011 के वर्ल्ड कप में उन्होंने अपनी टीम के लिए काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी. लेकिन Suraj के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से उन्हें ऑस्ट्रेलिया में एक बस चालक की नौकरी करनी पड़ रही है. Suraj Randiv ने 2009 में श्रीलंका के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया था और उन्हें महान स्पिन गेंदबाज Muttiah Muralitharan की जगह टीम में लिया गया था.
कौन हैं Suraj Randiv?
Suraj Randiv ने श्रीलंका के लिए 7 सालों तक यानी साल 2016 तक क्रिकेट खेला था. 2011 में Suraj Randiv ने भारत के खिलाफ श्रीलंका की तरफ से मैच खेला था और यह वही मैच था जिसमें भारत ने श्रीलंका को हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी. क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद Suraj Randiv ऑस्ट्रेलिया चले गए थे. फिलहाल वह ऑस्ट्रेलिया के Melbourne में एक बस चालक के रूप में कार्यरत हैं और वह जिस कंपनी की बस चलाते हैं उसका नाम Transdev है. Suraj Randiv के अलावा दो अन्य लोग भी इस कंपनी में डो अन्य क्रिकेटर्स, बस चालक के रूप में काम करते हैं जिनमें से एक जिम्बाब्वे के Waddington Mwayenga और दूसरे श्रीलंका के ही Chinthaka Jayasinghe हैं.
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Zara ने सफेद रंग की एक शर्ट बनाई है और इस शर्ट पर जो लिखा है उस वजह से शर्ट और कंपनी दोनों सोशल मीडिया पर ठहाकों की वजह बन गए हैं.
सोशल मीडिया पर अक्सर अजीबोगरीब चीजें आपको देखने को मिल ही जाती हैं. कभी-कभी बड़े और काफी मशहूर ब्रैंड्स भी कुछ ऐसा करते हैं जिसकी बदौलत वह सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा मशहूर हो जाते हैं. हाल ही में कपड़े बनाने वाली कंपनी Zara ने कुछ ऐसा कर दिया है जिसकी वजह से वह सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल हो रही है.
Zara ने लिखी गलत हिंदी
दरअसल Zara ने सफेद रंग की एक शर्ट बनाई है और इस शर्ट पर जो लिखा है उसकी वजह से यह शर्ट और कंपनी दोनों ही सोशल मीडिया पर ठहाकों की वजह बन गए हैं. सफेद रंग की इस शर्ट पर जहां एक तरफ हिंदी में लिखा है ‘दिल्ली की धुप’ वहीं दूसरी तरफ ‘चावल’ लिखा है. न ही ये एक वाक्य है और न ही इसका कोई अर्थ है और लोगों को भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर Zara ने बिना मतलब वाले हिंदी के कुछ शब्द अपनी शर्ट पर ऐसे ही क्यों लिख दिए हैं? वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि शायद कंपनी को भी नहीं पता कि शर्ट पर क्या लिखा है.
कहां से हुई शुरुआत?
इस कन्फ्यूजन को सबसे पहले ट्विटर पर शिल्पा कनन नाम की एक यूजर ने अपने ट्वीट के माध्यम से साझा किया था. उन्होंने सफ़ेद रंग की इस शर्ट की एक तस्वीर साझा की और कैप्शन में लिखा ‘LOL! Zara एक ऐसी शर्ट बेच रही है जिसपर हिंदी ममें कुछ लिखा हुआ है और इन शब्दों का कोई मतलब नहीं है. शर्ट की एक तरफ चावल लिखा हुआ है, जो एक प्रकार का खाद्य पदार्थ है और शर्ट की दूसरी तरफ दिल्ली की धुप या दिल्ली की गर्मी लिखा हुआ है. इस तस्वीर को शिल्पा ने ‘Lost In Translation’ हैशटैग के साथ साझा किया था.
lol! Zara is selling a shirt that has Hindi words that make no sense: One side says 'Chawal — elements of voyage' which is rice and the other says 'Delhi's sun/ heat Delhi.' ? #lostintranslation pic.twitter.com/jLxAR0uUOV
— Shilpa (@shilpakannan) June 14, 2023
ट्विटर पर जमकर उड़ा शर्ट का मजाक
धीरे-धीरे यह ट्वीट ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने लगा और ट्विटर पर ही इसे 1 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है. जहां एक तरफ बहुत से यूजर्स को लगा कि शायद कंपनी को हिंदी में क्या लिखा है वह समझ नहीं आया, वहीं बहुत से यूजर्स का मानना है कि कंपनी ‘Rise’ लिखना चाहती थी लेकिन गलती से यह ‘Rice’ हो गया और टाइपो में गलती के बावजूद भी उसे बस ट्रांसलेट करके शर्ट पर प्रिंट कर दिया गया. कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि कंपनी शायद ‘छांव’ लिखना चाहती थी लेकिन वो गलती से ‘चावल’ हो गया.
किसके लिए बनी है ये शर्ट?
एक यूजर ने तो मॉडल को ही ट्रोल कर दिया और कमेंट कर लिखा ‘वैसे देखा जाए तो मॉडल भी चावल के एक लंबे दाने जैसा ही है’. अब बासमती है या नहीं, ये तो उसी व्यक्ति से पता चलेगा जो इसे पहनेगा. कुछ ट्विटर यूजर्स की मानें तो लोग इस सबके बावजूद भी ये शर्ट खरीदेंगे और उसके लिए बहुत से अन्य कारण भी हो सकते हैं. एक यूजर ने लिखा भारतीय लोग सबसे पहले इस शर्ट को खरीदेंगे तो वहीं एक यूजर ने कमेंट कर कहा कि कम से कम ये शर्ट दिल्ली के पालिका बाजार में देखने को नहीं मिलेगी और भारतीयों से ज्यादा ये शर्ट पश्चिमी देशों के निवासियों के लिए मालूम होती है क्योंकि डिजाईन अच्छा है और शब्दों का मतलब उन्हें समझ नहीं आएगा. या फिर साउथ दिल्ली का कोई व्यक्ति भी इसे पहन सकता है.
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ईशा अंबानी और आनंद पिरामल की बेटी आदिया को हाल ही में स्पेशल गिफ्ट मिला है और इसकी तस्वीरें और विडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.
सोशल मीडिया हमारी जिंदगियों का अभिन्न हिस्सा बन गया है. दुनिया में कुछ भी चल रहा हो या फिर कोई ताजा खबर हो या फिर किसी ने कुछ कहा अहो और वह काफी नया या अनोखा ही क्यों न हो, सोशल मीडिया पर आपको सबकुछ मिल जाता है. लोगों द्वारा शेयर किये जाने वाले विशेष पल, विडियो और फोटोज भी हमें सोशल मीडिया पर देखने को मिल ही जाती हैं. फिलहाल, ईशा अंबानी और आनंद पिरामल की बेटी आदिया को दिया गया एक गिफ्ट भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.
क्या होता है 'आदिया' का मतलब?
ईशा अंबानी और आनंद पिरामल नवंबर 2022 में जुड़वा बच्चों के पेरेंट्स बने थे. रिलायंस रिटेल की डायरेक्टर ईशा अंबानी और पिरामल ग्रुप के आनंद पिरामल की बेटी आदिया को हाल ही में एक स्पेशल गिफ्ट मिला है और इस स्पेशल गिफ्ट की तस्वीरें और विडियोज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं. एक गिफ्टिंग कंपनी ‘Gifts Tell All’ ने अपने इन्स्टाग्राम पर इस गिफ्ट की एक विडियो साझा की है. आदिया का मतलब होता है ‘आदि-शक्ति’ या फिर ‘शक्ति’ और यह हिन्दू धर्म की देवी मां दुर्गा के कई नामों में से भी एक है.
आखिर क्या है गिफ्ट?
गिफ्ट के उपरी भाग पर देवनागरी लिपि में ‘आदिया शक्ति’ लिखा हुआ है. इस गिफ्ट डिजाईन करने वाले व्यक्ति का कहना है कि ‘आदिया के पीछे की थीम ईशा की बेटी के सुंदर और पवित्र नाम से आता है.’ इस गिफ्ट में नौ अलग-अलग स्टेप्स मौजूद हैं और यह गिफ्ट देवी शक्ति के नाम के अर्थ के बारे में बताता है. इन नौ स्टेप्स में से पहला स्टेप शैलपुत्री (पर्वत की बेटी), दूसरा ब्रह्मचारिणी (श्रद्धा की माता), तीसरा चंद्रघंटा (शैतानों को नष्ट करने वाली), चौथा कुष्मांडा (चमत्कारी माता), पांचवां स्कंदमाता (मातृत्व एवं बच्चों की देखभाल करने वाली देवी), छठा कात्यायिनी (शक्ति की देवी), सातवां कालरात्रि (हिम्मत की देवी), आठवां महागौरी (सुन्दरता की देवी), और आखिरी स्टेप सिद्धिदात्री (सिद्धि की देवी) को समर्पित किया गया है.
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सोने की घंटियां भी हैं मौजूद
इसके साथ ही इस तोहफे में 108 सोने की घंटियां लगी हुई हैं जो इस तोहफे को और खुबसूरत बना देती हैं. ये 108 घंटियां 108 मन्त्रों, देवों और देवियों को प्रदर्शित करती हैं. इस गिफ्ट को लाल और संतरी सिन्दूर के इस्तेमाल से रंगा गया है और इसकी सजावट में गेंदे के फूलों का इस्तेमाल किया गया है. इसके साथ ही इस तोहफे में नीचे की तरफ स्टोरेज के लिए जगह भी दी गई है. हालांकि यह गिफ्ट किसके द्वारा तैयार करवाया गया है इस बात की जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है.
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जापान में सरकार कामकाजी लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए लगातार प्रयास करती रहती है.
ऑफिस पहुंचने का तो टाइम होता है और देरी पर सैलरी भी कटती है, लेकिन वापसी का कोई टाइम नहीं होता. दरअसल, अधिकांश बॉस चाहते हैं कि उनके कर्मचारी देर तक बैठकर काम करें. ये कल्चर केवल प्राइवेट ही नहीं, सरकारी दफ्तरों और बैंकों में भी मौजूद है. इस वजह से कर्मचारी मानसिक तौर पर परेशान रहते हैं और इस परेशानी का असर उनके कामकाज पर भी नजर आता है. इसी को ध्यान में रखते ही जापान में कुछ ऐसा हो रहा है, जिसे जानकर आप भी कहेंगे - हमारे एम्प्लॉयर इतने समझदार कब बनेंगे?
प्रेरित कर रही सरकार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जापान (Japan) में कर्मचारियों को जल्द घर जाने के लिए बोनस दिया जाता है. जापान में सरकारी कर्मचारियों को काम जल्द खत्म कर घर जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. ऐसा इसलिए ताकि कर्मचारी निजी जिंदगी और ऑफिस के कामकाज में संतुलन बना सकें. जापान की सरकार का मानना है कि यदि कर्मचारी परिवार और दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताएंगे, तो मेंटली फिट रहेंगे. सरकार चाहती है कि कर्मचारी अपना समय और पैसा जिंदगी को बेहतर बनाने पर खर्च करें.
फिर लागू हुई ये योजना
जापान की सरकार ने पिछले साल जुलाई में युकाईसू नाम की यह योजना लागू की थी. अब इस साल के गर्मी के मौसम के लिए सोमवार से फिर से इसे लागू कर दिया गया है. इस योजना के तहत 7:30 से 8:30 बजे के बीच ऑफिस का कामकाज शुरू होगा. वहीं शाम 5 बजे ऑफिस बंद कर दिए जाएंगे. इससे ऑफिस में बिजली की भी बचत होगी. सरकार चाहती है कि कर्मचारी ऑफिस में देर तक बैठकर काम न करें, उन्हें जल्दी घर जाने के लिए बोनस भी दिया जाता है.
अपने यहां ऐसे हैं हाल
इसके उलट भारत में ऑफिस टाइमिंग अघोषित तौर पर लगातार लंबा होता जा रहा है. लंबे समय से मांग उठ रही है कि दफ्तरों के कामकाज को कर्मचारियों के अनुकूल बनाया जाए. सरकारी बैंक भी 5 डेज वर्किंग कल्चर की मांग कर रहे हैं. अभी बैंक महीने के दूसरे और आखिरी शनिवार को बंद रहते हैं. हालांकि, बैंक यूनियन की मांग है कि यह व्यवस्था हर शनिवार को लागू की जाए, भले ही इसके एवज में बैंक के खुलने का समय कुछ पहले कर लिया जाए. बता दें कि मोदी सरकार के कार्यकाल में बैंकों का कामकाज काफी ज्यादा बढ़ गया है. क्योंकि अनगिनत योजनाओं का क्रियान्वयन बैंकों के माध्यम से ही किया जा रहा है.