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Budget Trivia: क्या आप जानते हैं आखिर कितने करोड़ का था देश का पहला बजट
भारत का पहला बजट अपने आप में उस वक्त की परिस्थितियों का उल्लेख करता है. इस बजट में आजादी के बाद उत्पन्न हुए हालात पर विशेष ध्यान दिया गया, जिसमें रक्षा, खाद्यान्न, और सिविल खर्चे शामिल थे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को एक बार फिर देश का और मौजूदा सरकार का आखरी पूर्ण बजट पेश करने जा रही है. लेकिन आज अपनी इस बजट सीरीज में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आजाद होने के बाद पहली बार देश का बजट किस शख्स ने पेश किया. उस बजट में क्या खास बातें थी. किन क्षेत्रों का ध्यान रखा गया और कौन थे वह शक्स जिन्होंने भारत का पहला बजट पेश किया.
26 नवंबर 1947 को पेश हुआ पहला बजट
14 अगस्त 1947 को मध्य रात्रि में देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त को भारत में आजादी का जश्न धूमधाम से मनाया गया. लेकिन ठीक इस आजादी के जश्न के बाद सभी कांग्रेस के नेताओं के बीच इस बात को लेकर चर्चा शुरू होने लगी कि आखिर देश में जब तक संविधान की स्थापना नहीं होती तब तक कैसे काम काज चलेगा. इसके लिए आने वाले दिनों में मंथन करने के बाद तय हुआ कि 26 नवंबर 1947 को देश का पहला बजट पेश किया जाएगा और तय तारीख के अनुसार 26 नवंबर 1947 को देश का पहला बजट पेश किया गया.
किन बातों पर रहा पहले बजट में जोर
देश के इस पहले बजट को 15 अगस्त 1947 से लेकर 31 मार्च 1948 तक के लिए पेश किया गया. इस बजट में आजादी के बाद पैदा हुई अस्थिरता को लेकर विशेष तौर पर ध्यान दिया गया. इसमें खाद्यान्न रक्षा और सिविल व्यय जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया. देश के पहले बजट में 171 करोड़़ रुपये के राजस्व की आय का लक्ष्य रखा गया. जबकि बजट के अनुसार खर्च का अनुमान 197 करोड़ रुपये था, जिसमें से 92 करोड़ रुपये सेना को दिए गए. ये बजट सिर्फ आठ महीने का था.
आखिर किसने पेश किया देश का पहला बजट
26 नवंबर 1947 को भारत का पहला बजट पेश करने वाले शख्स थे आरके शनमुखम चेट्टी. चेटटी एक राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक वकील और अर्थशास्त्री भी थे. मद्रास लॉ कॉलेज और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से शिक्षा हासिल करने के बाद चेट्टी 1917 में पहली बार कोयंबटूर नगर से पार्षद बने थे. इसके बाद वह जल्द ही नगरपालिका के उपाध्यक्ष भी चुन लिए गए.
कैसा रहा उनका करियर
शनमुखम चेट्टी 1923-31 तक केन्द्रीय विधान सभा के सदस्य भी रहे रहे. शनमुखम ने 1931-33 तक बतौर उपराष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया और 1933-34 के दौरान भारत की केंद्रीय विधान सभा के अध्यक्ष भी निर्वाचित किए गए. वो 1935 से 1941 तक कोचीन के दीवान के रूप में भी नियुक्त किए गए. उन्होंने कोचीन बंदरगाह के सुधार के लिए योजनाएं भी शुरू कीं. 1947-48 के दौरान, वे स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री, संविधान सभा के सदस्य थे.
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