दोनों कारोबारियों के बीच इससे पहले भी केज वॉर को लेकर सोशल मीडिया वॉर चल चुकी है. इस वॉर को अभी होना बाकी है. इस वॉर की खबर जैसे ही आई थी वैसे ही इंटरेनट पर तूफान आ गया था.
क्या आप सोच सकते हैं कि एक कंपनी का मालिक किसी दूसरी कंपनी के मालिक को ये ऑफर कर सकता है अगर आपने नाम बदला तो मैं आपको 1 बिलियन डॉलर दे सकता हूं. अभी तक शायद नहीं लेकिन अब ऐसा हो रहा है. दुनिया के रईस कारोबारियों में एक ईलॉन मस्क ने मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को फेसबुक का नाम बदलने का ऑफर दिया है. उन्होंने ये भी कहा है कि अगर वो नाम बदल देते हैं तो वो उन्हें 1 बिलियन डॉलर तक की रकम देने को तैयार हैं.
आखिर क्या है ये पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अरबपति कारोबारी एलन मस्क बेबीलोनबी की एक पोस्ट का जवाब दे रहे थे, जिसमें मस्क ने जुकरबर्ग को नाम बदलने के लिए 1 बिलियन डॉलर की पेशकश कर दी. ऐसा नहीं दोनों टेक प्रमुखों के बीच ये पहली बार इस तरह की नोकझोंक हुई हो. इससे पहले दोनों के बीच केज वॉर की खबर ने इंटरनेट पर तूफान ला दिया था. हालांकि अभी तक वो वॉर हुई नहीं है और अभी वो वॉर होनी बाकी है.
क्या बाले मस्क ?
इस शो के दौरान बात करते हुए ईलॉन मस्क ने कहा कि जुकरबर्ग ने मेरे बारे में कहा था कि मैं गंभीर नहीं हूं. उसके जवाब मैं मैने उनसे कहा कि मैं तुमसे फाइट करूंगा. अब वो भले ही कोई भी जगह हो और कोई भी नियम हो. उन्होंने कहा कि इटली चाहता था कि हम कोलेजियम में लड़ाई लड़े. उन्होंने ये भी कहा कि अगर ये कोलेजियम मैं होने जा रहा है तो मुझे यूएफसी भी पसंद है. लेकिन हमारे पास यूएफसी कोलेजियम में बहुत सारे स्पोंसर नहीं हैं.
विकिपीडिया को भी मस्क दे चुके हैं ये ऑफर
एलन मस्क 1 बिलियन डॉलर देने का ये ऑफर विकीपीडिया को भी दे चुके हैं. लेकिन उन्होंने इसके साथ भी ये शर्त लगाई थी कि उसे अपना नाम विकीपीडिया की जगह डिकीपीडिया रख लें. उन्होंने इसके साथ ये भी शर्त लगाई थी कि नाम बदलाव की ये प्रक्रिया 1 साल तक चलनी चाहिए.
दक्षिण कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज Samsung ने बेंगलुरु के सैमसंग ओपेरा हाउस में आयोजित 'अनबॉक्स एंड डिस्कवर' इवेंट में AI-ऑपरेट टेलिवीजन लॉन्च किये है.
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी Samsung ने भारत में अपना अल्ट्रा-प्रीमियम नियो QLED 8K, नियो QLED 4K और OLED टीवी को लॉन्च करते हुए AI टीवी के लिए एक नए युग की घोषणा की है. नियो QLED 8K, नियो QLED 4K और OLED टीवी की 2024 सीरीज पावरफुल, AI आधारित सोल्यूशन के साथ आपके घरेलू एंटरटेनमेंट को और बेहतर बनाएगी. कंपनी ने 55, 65, 75 और 98 इंच साइज में इन्हें पेश किया है. गेमिंग को बेहतर बनाने के लिए भी ये टीवी बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकते हैं.
कितनी है कीमत?
सेमसंग नियो QLED 8K की कीमत 3,19,990 रुपये से शुरू होती है. वहीं नियो QLED 4K सीरीज की कीमत 1,39,990 रुपये से शुरू होती है. सेमसंग OLED टीवी सीरीज की कीमत 1,64,990 रुपये से शुरू होती है. सैमसंग ने इनके साथ कुछ स्पेशल ऑफर्स का भी ऐलान किया है. सैमसंग का कहना है कि ब्रैंड के लेटेस्ट स्मार्ट टीवी के साथ कंपनी 79,990 रुपये की कीमत वाला साउंडबार फ्री दे रही है. इसके अलावा म्यूजिक फ्रेम भी अवील कर सकते हैं, जिसकी कीमत 29,990 रुपये है.
शानदार ऑडियो और स्मार्ट एक्सपीरिएंस
सैमसंग का फ्लैगशिप टीवी नियो QLED 8K में एडवांस NQ8 AI GEN3 प्रोसेसर दिया गया है. ये AI टीवी तकनीक में एक महत्वपूर्ण छलांग है. NQ8 AI GEN3 प्रोसेसर में एक न्यूरल प्रोसेसिंग यूनिट (NPU) दी गई है जो अपने पिछले वर्जन की तुलना में दोगुनी गति प्रदान करता है, साथ ही न्यूरल नेटवर्क में 64 से 512 तक आठ गुना बढ़त करता है. इससे इनपुट स्रोत की परवाह किए बिना स्पष्ट विवरण के साथ एक शानदार पिक्चर देखने को मिलती है.
मिलेगा खास AI एक्सीरियंस
2024 नियो QLED 8K सीरीज में बड़े स्क्रीन के अनुभव को फिर से परिभाषित करने के लिए कई AI फीचर्स एक साथ मिलते हैं. AI पिक्चर टेक्नोलॉजी चेहरे के भाव और अन्य सूक्ष्म बारीकियों सहित एकदम स्पष्ट और स्वाभाविक डिटेल के साथ टीवी देखने का अनुभव शानदार बनाती है. AI अपस्केलिंग प्रो 8K डिस्प्ले से निकटता से मेल खाने के लिए कंटेंट को बदल देता है. मैच के दौरान, यह बिना किसी रूकावट के गेंद को ट्रैक करने में मदद करता है, जिससे यूजर को लगता है कि वे स्टेडियम में लाइव मैच देख रहे हैं. रियल डेप्थ एन्हैंसर प्रो तस्वीर में जीवंतता और गहराई लाता है और दर्शकों को अलग ही एक्सीरियंस मिलता है.
बैकग्राउंड शोर करता है कम
AI साउंड टेक्नोलॉजी एक्टिव वॉयस एम्प्लीफायर प्रो के साथ सटीक ऑडियो देने में मदद करती है. ये बैकग्राउंड शोर का पता लगाता है और टीवी के वॉल्यूम को अपने आप एडजस्ट करता है. ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग साउंड प्रो ऑन-स्क्रीन एक्शन के साथ ऑडियो को सिंक करके, ज्यादा डायनैमिक और आकर्षक ऑडियो-विजुअल इफेक्ट जेनरेट करता है. एडेप्टिव साउंड प्रो वास्तव में स्पष्ट और जीवंत साउंड के लिए कंटेंट और कमरे की जरूरत के मुताबिक ऑडियो को एडजस्ट करके ऑडियो अनुभव को और शानदार बनाता है.
Gemini की इस गलती के सामने आने के बाद Google ने उसे फिलहाल वापस ले लिया. गूगल ने बताया था कि टूल टेस्टिंग में है, लेकिन अब वो उसे वापस ले रही है.
दुनिया की नामी टेक कंपनी Google ने भारत सरकार ने माफी मांगी है. कंपनी ने ये माफी उसके Gemini App के द्वारा पीएम मोदी को लेकर दिए गए जवाब को लेकर मांगी है. भारत सरकार ने इसे लेकर कंपनी को नोटिस जारी किया था. इसी नोटिस का जवाब देते हुए कंपनी ने माफी मांगी है और Gemini को भरोसा न करने लायक (Unreliable) बताया है.
Google और OpenAI को जारी किया था नोटिस
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार की ओर से इस तरह के जनरेटिव एआई को लेकर काम करने वाली दोनों कंपनियों को नोटिस जारी किया गया था. इस नोटिस में उनसे कहा गया था कि उनके प्लेटफॉर्म ऐसी किसी जानकारी को नहीं दे सकते हैं जो भारतीय कानून के खिलाफ हों. केन्द्र की ओर से कहा गया था कि जो भी कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म का परीक्षण करना चाह रही हों उन्हें पहले इसके लिए केन्द्र से अनुमति लेनी चाहिए. सरकार ये भी चाहती है कि कंपनियां जब कभी भी इस तरह के प्लेटफॉर्म को लॉन्च करें तो उसके साथ इन पर वीडियो या कंटेट जनरेट करने वाले के लिए ट्रेसेबल सिस्टम को भी लॉन्च करें. इससे अगर वो गलत कंटेट लॉन्च करता है तो उस पर कार्रवाई हो सके.
आखिर Gemini ने किया क्या था?
Google के ऐप Gemini ने पीएम मोदी को लेकर सर्च करने पर जो जवाब दिया था उसे लेकर सरकार ने आपत्ति जता दी थी. ज्यादा विवाद इस बात को लेकर जब वही सवाल जेलेंस्की और बाइडेन को लेकर पूछा गया तो ऐप ने सवाल को ही गलत बता दिया था. इसी को लेकर भारत सरकार ने सख्त रवैया अपनाते हुए गूगल से इस मामले को लेकर सवाल जवाब किया था. ये पूरा मामला एक यूजर के माध्यम से सामने आया था जिसने एक्स पर तीनों नेताओं को लेकर पूछे गए सवाल और जवाब के स्क्रीन शॉट को साझा किया था और केन्द्रीय आईटी राज्य मंत्री से इस पर कार्रवाई करने की मांग की थी.
केन्द्र सरकार जारी कर चुकी है एडवाइजरी
इस मामले के सामने आने के बाद गूगल ने सफाई देते हुए कहा था कि उसका ऐप टेस्टिंग में है और अब उसने उसे फिलहाल वापस ले लिया है. गूगल के इस बयान के बाद शनिवार को बकायदा सरकार की ओर से एआई को लेकर एक जनरल एडवाइजरी भी जारी कर दी है जिसमें उसकी ओर से कहा गया है कि ऐसा कोई भी टूल जारी करने से पहले सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है.
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ओपन एआई के इस नए टूल की जांच फिलहाल रेड टीम कर रही है. ये टीम यूजर के पास आने से पहले नए टूल की बारीकी से जांच कर रही है.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की दुनिया में तेजी से बदलाव आ रहे हैं. आलम ये है कि हर एआई कंपनी इस सोच में है कि वो कैसे आदमी के काम को आसान बनाए. अब ओपनएआई ने एक ऐसा टूल डेवलप किया है कि आप बस बोलेंगे और आपके सामने वीडियो बन जाएगा. ओपन एआई ने अपने इस नए टूल को Sora नाम दिया है. ये टूल चुटकियों में टेक्स्ट को वीडियो में बदल देता है.
कैसे काम करता OPEN AI का नया टूल SORA?
SORA एक ओपन एआई टूल है इसकी मदद से आप वाक्य बोलकर आसानी से वीडियो बना सकते हैं. इस ऐप की जानकारी खुद ओपन एआई के प्रमुख सैम आल्टमैन ने दी है. सैम ने ट्वीट करते हुए करते हुए लिखा ये सोरा है हमारा वीडियो जनरेशन टूल. उन्होंने इसका लिंक साझा करते हुए जानकारी दी कि आज से हम इसकी रेड-टीमिंग शुरु कर रहे हैं. हम फिलहाल सीमित लोगों तक इसकी पहुंच प्रदान कर कर रहे हैं.
here is sora, our video generation model:https://t.co/CDr4DdCrh1
— Sam Altman (@sama) February 15, 2024
today we are starting red-teaming and offering access to a limited number of creators.@_tim_brooks @billpeeb @model_mechanic are really incredible; amazing work by them and the team.
remarkable moment.
लोगों ने क्या दी प्रतिक्रिया
ओपन एआई प्रमुख सैम आल्टमैन ने जब इसे ट्वीट किया तो दुनिया के कई लोगों इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी तो कई लोगों ने कहा कि हमसे काम मत छीनिए. इस पर सैम ने कहा कि मैं आप लोगों के लिए एक वीडियो बनाउंगा. SORA को फिलहाल आम यूजर के लिए ओपन नहीं किया गया है. इसे अभी रेड टीम चेक कर रही है. ओपन एआई में रेड टीम वो है जो किसी ऐप को आम यूजर तक पहुंचने से पहले उसकी सभी पहलुओं से जांच करती है.
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विवेक बिंद्रा के इस एमबीए प्रोग्राम को लेकर दूसरे मोटीवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी ने खुलासा किया था, जिसके बाद विवेक बिंद्रा ने भी इस पर अपनी सफाई दी थी.
एमबीए क्रैश कोर्स ऑफर करने वाले विवेक बिंद्रा की परेशानियां और बढ़ गई है. अब इस दिशा में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की ओर से पत्र जारी करते हुए लिखा गया है कि ऐसा कोई भी कोर्स कानूनी नहीं है. एआईसीटीई ने अपने पत्र में साफ कर दिया है कि एमबीए एक पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम है जिसे इस तरह से ऑपरेट नहीं किया जा सकता है. एआईसीटीई ने अपने पत्र में मोटिवेशनल स्पीकर द्वारा एमबीए प्रोग्राम चलाए जाने का भी जिक्र किया है.
क्या कहता है AICTE का पत्र
AICTE का पत्र कहता है कि जैसा कि एआईसीटीई के संज्ञान में आया है कि कुछ मोटिवेशनल स्पीकर देश में 10 दिन का एमबीए क्रैश कोर्स की पेशकश कर रहे हैं. AICTE अपने पत्र में ये भी कहता है कि इस तरह के कोर्स युवाओं को गुमराह करने का प्रयास हैं. माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, कोई भी संस्थान या विश्वविद्यालय एआईसीटीई की मंजूरी के बिना एमबीए/प्रबंधन पाठ्रयूक्रम (MBA Degree) तक नहीं चला सकता है. एमबीए दो साल का पाठ्यक्रम है जिसे व्यक्तियों को व्यवसाय और प्रबंधन के विभिनन पहलुओं में उन्नत कौशल और ज्ञान से लैस करने के लिए डिजाइन किया गया है. जैसा कि दावा किया गया है एमबीए प्रोग्राम 10 दिनों में पूरा नहीं किया जा सकता है. इसलिए ऐसे दावे पूरी तरह से भ्रामक हैं. सभी छात्र सतर्क रहें और ऐसी पेशकश का हिस्सा न बनें.
'बिग स्कैम एक्सपोज्ड'
मोटिवेशनल स्पीकर और यूट्यूबर संदीप माहेश्वरी ने हाल ही में 'बिग स्कैम एक्सपोज्ड' टाइटल के साथ एक वीडियो शेयर किया था. इस वीडियो में उन्होंने बिंद्रा पर मल्टी-लेवल मार्केटिंग जैसा कोर्स चलाने का आरोप लगाया था. उन्होंने इसे घोटाला बताते हुए कहा था कि छात्रों से 'बिजनेस' सिखाने के नाम बड़ी रकम हासिल की जाती है. कोर्स में कुछ भी खास नहीं होता, जो लोग कोर्स में शामिल होने वालों से दूसरों को कोर्स बेचने को कहा जाता है. संदीप माहेश्वरी के इस वीडियो के बाद बवाल मच गया और बिंद्रा को भी सफाई देनी पड़ी. बिंद्रा ने माहेश्वरी को चुनौती देते हुए कहा था कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है. इसके बाद इस मामले में महेश्वर पेरी की एंट्री हुई.
Thread: The Bada Claims of Vivek Bindra:
— Maheshwer Peri (@maheshperi) December 20, 2023
1. This man started off as a motivational speaker, uses a concoction of religion, nationalism and appeals to the inane need to make easy money. Like all charlatans, he has the gift of the gab. He was exposed by @SandeepSeminars too.
IIPM पर किया था खुलासा
पेरी ने विवेक बिंद्रा के 10 दिन में MBA कोर्स पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने हाल ही में इस विषय पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं. उन्होंने बिंद्रा की डॉक्टर की उपाधि को भी कठघरे में खड़ा किया है. पेरी ने अपने एक ट्वीट में लिखा है - विवेक बिंद्रा ने श्री लंका की Open International University for Complementary Medicine’ से डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की मानद उपाधि. इस यूनिवर्सिटी का वेबपेज ओपन नहीं हो रहा है. हालांकि, इसका उद्देश्य पूरा हो गया और बिंद्रा डॉ बिंद्रा बन गए. पेरी का यह भी दावा है कि विवेक बिंद्रा ने सैकड़ों बच्चों के साथ चीटिंग की है. वैसे ये पहली बार नहीं है जब महेश्वर पेरी का नाम एकदम से सुर्खियों में आ गया है. इससे पहले, आईआईपीएम और अरिंदम चौधरी से जुड़े मामले को लेकर भी उन्होंने सुर्खियां बटोरीं थीं.
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अगर आने वाले समय में एआई के प्रयोग को पूरी तरह से सफलता मिल जाती है तो इतना कहा जा सकता है कि मौसम के कारण होने वाले नुकसान को और कम किया जा सकता है.
हमारे देश में हर साल मौसमी बदलावों के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कहीं गर्मी तो कहीं सर्दी, बारिश, बाढ़ या तूफान जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन उन सभी परिस्थितियों के बीच अब मौसम विभाग अपनी भविष्यवाणी को और सटीक बनाने के लिए एआई का प्रयोग करने को लेकर एक उद्यम करने की तैयारी कर रहा है.
क्या हो रहा है मौसम विभाग में
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मौसम विभाग जलवायु अनुसंधान प्रमुख केएस होलिसकर ने पुर्वानुमानों को और बेहतर बनाने में एआई की भूमिका पर जोर दिया है. आईएमडी हीट वेव और मलेरिया जैसी बीमारियों के बारे में सार्वजनिक अलर्ट के लिए पहले ही एआई प्रोजेक्ट को तैनात कर चुका है. लेकिन उनका मानना है कि एआई के सटीक आंकड़ों के लिए उसे हाई रेज्योल्यूशन डेटा की जरूरत होती है. यही नहीं आईआईटी के असिस्टेंड प्रोफेसर सौरभ राठौड़ कहते हैं कि एआई के सुपरकंप्यूटर चलाने के लिए कोई उच्च लागत संसाधनों की जरूरत नहीं है. वो कहते हैं कि इसे एक अच्छी गुणवत्ता वाले डेस्कटॉप से भी चला सकते हैं.
यूके में भी चल रहा है इस पर काम
ऐसा नहीं है अकेले भारत ही इसे लेकर काम कर रहा है, बल्कि यूके में तो वहां की सरकार ने गूगल से सपोर्टिव एक मौसम पुर्वानुमान प्रोजेक्ट की काफी सराहना की है. माना जा रहा है कि ये मौसम विभाग के क्षेत्र में एक बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है. लगातार बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में बदलावों की अवधि और भी तेज हो गई है. ऐसे में अगर एआई इसमें मददगार साबित होता है तो सभी को काफी मदद मिल सकती है.
मौसम पर निर्भर है भारत की कृषि अर्थव्यवस्था
भारत अकेला ऐसा देश है जहां कई तरह के मौसम महसूस किए जा सकते हैं. कई मामलों में ये मौसम बदलाव जहां हमारे लिए फायदेमंद है तो कृषि जैसे मामलों में ये हमारे लिए संकट पैदा कर देते हैं. ज्यादा गर्मी, ज्यादा सर्दी, बारिश तूफान जैसे बदलावों का अगर सही अनुमान ना लगे तो किसानों का इस पर बुरा असर पड़ता है. मौजूदा समय में भारत में सुपर कंप्यूटर की मदद से गणितीय मॉडल के आधार पर मौसम का पुर्वानुमान लगाया जाता है.
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उन्होंने कहा कि अगले साल भारत एआई पर वैश्विक सम्मेलन आयोजित करेगा, इसमें एआई से जुड़ी ग्लोबल प्रतिभाएं भाग लेंगी.
केन्द्रीय आईटी मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने भारत की एआई जरूरतों को लेकर साफतौर पर कहा कि हमें न तो ओपन एआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन की बराबरी करनी है और न ही हमें एलन मस्क की. उन्होंने कहा कि हमें अपने देश की बुनियादी समस्याओं के हल तलाशने और एआई के नुकसान को कम करने की कोशिश करना है. राजीव चंद्रशेखर ये बात विदेश मंत्रालय और कार्नेगी इंडिया द्वारा आयोजित किए गए ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में कही.
मकसद किसी से मुकाबला करना नही
केन्द्रीय मंत्री ने अपनी बात कहते हुए कहा कि सरकार का प्राथमिक उद्देश्य न तो टेस्ला के मालिक एलन मस्क से प्रतिस्पर्धा करना है और न ही ऑल्टमैन की बराबरी करने का है. उन्होंने कहा कि हमारा मकसद इस क्षेत्र में नोबल पुरस्कार जैसी प्रशंसा पाने का नहीं है. उन्होंने कहा सरकार का मकसद अपने नागरिकों की समस्याओं को तकनीक से हल करने का है, जिससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आ सके. उन्होंने कहा हम हेल्थकेयर, सिक्योरिटी, भाषा अनुवाद, जैसे विषयों को बढ़ावा देते हुए एआई का इस्तेमाल करना है.
दुनिया में बढ़ रही है भारत की स्वीकार्यता
राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि आज दुनिया भर में भारत की स्वीकार्यता बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि अगले साल 2024 में भारत एआई पर एक वैश्विक सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है, इस ग्लोबल समिट में प्रतिभा, कंप्यूटिंग, चिप्स, बड़े भाषा मॉडल और मूलभूत मॉडल पर खास तौर पर ध्यान दिया जाएगा.
एआई को लेकर काम कर रही हैं सभी कंपनियां
एआई का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. हर कंपनी इस क्षेत्र में अपने निवेश को बढा रही है जिससे आने वाले समय में जब सभी उस तकनीक पर शिफ्ट हों तो उस समय वो इस दौड़ में पीछे न हो जाए. अब सभी टेक कंपनियां इसीलिए इसमें अपना निवेश बढ़ा रही हैं.
आने वाले समय में यूट्यूब अपने यूजर को एक नई सुविधा देने जा रहा है जिसमें वो उसे इनेबल करते हुए इस तरह के वीडियो से बच सकेंगे. हालांकि इसमें सभी तरह के वीडियो शामिल नहीं होगे.
रश्मिका मंदाना के Deepfake video को लेकर जिस तरह की प्रतिक्रिया बॉलीवुड से आई और उसके बाद सरकार ने इस मामले में कार्रवाई की उसका असर दिखाई देने लगा है. मेटा के बाद अब Youtube ने भी इसे लेकर एडवाइजरी जारी की है. You tube ने सभी वीडियो बनाने वालों को सूचित किया है कि उन्हें एडिट वीडियो से लेकर दूसरे तरह के बनाए गए कंटेट की जानकारी देनी होगी. इसमें एआई टूल का इस्तेमाल करके बनाया गया कंटेट भी शामिल है.
किएटरों को आखिर क्या करना होगा?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, Youtube ने इस सूचना को विस्तार से समझाते हुए बताया है कि आखिर किस तरह के वीडियो को लेकर ये नियम लागू होगा. You tube ने कहा है कि अगर आप अपने वीडियो के माध्यम से किसी ऐसी घटना के बारे में बता रहे हैं, जो कभी हुई ही न हो या उस वीडियो में वो ऐसी बात कह रहा हो जो कभी कही या हुई ना हो तो, उसे इसकी जानकारी देनी होगी. यूट्यूब ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर कोई कंटेट क्रिएटर बार-बार ऐसे वीडियो अपलोड करता है और उसकी जानकारी नहीं देता है तो उसे यूट्यूब के पार्टनर प्रोग्राम से हटाया जा सकता है.
कैसे देनी होगी इसकी जानकारी?
यूट्यूब की ओर से ये भी बताया गया है कि आखिर कैसे अगर प्लेटफॉर्म पर डाला गए कंटेट में सिंथेटिक या अल्टर्ड जानकारी मौजूद है तो आपको डिस्क्रिप्शन पर लेबल लगाकर इसकी जानकारी देनी होगी. इसी तरह से अगर आपके कंटेट में कोई सेंसिटिव जानकारी है तो उसके लिए आपको वीडियो प्लेयर पर लेबल लगाना होगा. कंपनी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर इन दिशा निर्देशों का उल्लंघन होता है तो कंटेट को हटाया भी जा सकता है.
जल्द यूजर को मिलेगी ये सुविधा
यूट्यूब की ओर से ये भी कहा गया है कि वो जल्द ही यूजर को एक और सुविधा मुहैया कराएगा जिसके जरिए वो सिंथेटिक, अल्टर्ड और सेंसिटिव कंटेट को अपनी स्क्रीन से हटा सकेगा. हालांकि Youtube ने कहा कि इसमें जैसे सटायर या दूसरी कैटेगिरी के वीडियो शामिल नहीं होंगे. Youtube ने कहा है कि आने वाले दिनों में यूजर्स को ये सुविधा मिल सकेगी.
आरबीआई के इन उपायों का मकसद बैंकों/एनबीएफसी में आईटी से जुड़े सभी पहलुओं की सुरक्षा करवाना है. आरबीआई ने डेटा ट्रांसफर को लेकर भी सख्त नियम लागू किए हैं.
आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने बैंकों/एनबीएफसी को लेकर नए आईटी नियम जारी किए हैं. इन नियमों को जारी करने का मकसद बैंकों में प्रशासन, जोखिम, नियंत्रण और आश्वासन से संबंधित विभागों को पूरी तरह से आईटी सुविधाओं से लैस करना है. ये नियम अगले साल अप्रैल 2024 से लागू हो जाएंगे.
क्या कहते हैं आरबीआई के ये नए नियम?
आरबीआई की ओर से कहा गया है कि इन नियमों को भारतीय रिजर्व बैंक(सूचना प्रौद्योगिकी शासन, जोखिम नियंत्रण और आश्वासन प्रथाओं) निर्देश 2023 कहा जाएगा. इन निर्देशों में प्रमुख तौर पर कहा गया है कि आरई (विनियमित संस्थाएं) अपने समूचे आईटी वातावरण को सुनिश्चित करने के लिए अपनी सूचना प्रणाली और बुनियादी ढ़ाचे को और मजबूत करने के लिए आईटी सेवा प्रबंधन ढ़ाचा स्थापित करेंगे. इसमें ये भी कहा गया है कि आरई के पास लिखित डेटा माइग्रेशन नीति होगी जिसमें डेटा माइग्रेशन के लिए एक प्रलेखित व्यवस्था के बारे में बताया गया होगा. ये दिशा निर्देश डेटा की सुरक्षा और पूर्णता को सुनिश्चित करेगी. इस नीति में उपयोगकर्ताओं और एप्लिकेशन मालिकों से साइनऑफ ऑडिट ट्रेल्स के रखरखाव आदि से संबंधित प्रावधान होंगे.
संवेदनशील दस्तावेज के लिए ये होनी चाहिए सुरक्षा
आरबीआई की ओर से कहा गया है कि अगर कोई भी आईटी आवेदन जो महत्वपूर्ण या संवेदनशील जानकारी तक पहुंच सकता है या प्रभावित कर सकता है उसमें आवश्यक ऑडिट और सिस्टम लॉगिन क्षमता होनी चाहिए और ऑडिट ट्रेल्स प्रदान करना चाहिए. आरबीआई का मानना है कि इन निर्देशों से ट्रांसमिशन चैनल, डेटा के प्रसंस्करण और प्रमाणीकरण उद्देश्य में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख एल्गोरिदम, सिफर सूट और लागू प्रोटोकॉल मजबूत होंगे. आरबीआई ने ये भी कहा है कि आरई इसके लिए इंटरनेशनल लेवल पर अप्रूव मानकों को अपनाएंगे.
डेटा प्रोटेक्शन के लिए उठाना होगा ये कदम
आरबीआई ने कहा है कि डेटा प्रोटेक्शन के लिए किसी भी डेटा को एक जगह से दूसरी जगह या एक एप्लिकेशन से दूसरे एप्लिकेशन तक ट्रांसफर करते समय इसमें कोई मैनुअल हस्तक्षेप या मैनुअल संशोधन न हो. इसमें ये भी कहा गया है कि आरई के जोखिम प्रबंधन नीति में साइबर सुरक्षा से संबंधित जोखिम शामिल होंगे. इसका सालाना आधार पर रिव्यू किया जाएगा.
डीपफेक वीडियो तकनीक की एक नई समस्या बनकर सामने आए हैं. लेकिन इस बार रश्मिका के इस वीडियो को लेकर विवाद ज्यादा बढ़ गया है.
पिछले कुछ समय से लगातार सामने आ रहे डीप फेक वीडियो हर जगह चर्चा का विषय बने हुए हैं. इस मामले में सामने आए पुष्पा फिल्म की अभिनेत्री रश्मिका मंदाना के डीप फेक वीडियो को लेकर केन्द्रीय मंत्री ने अहम बात कही है. केन्द्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस मामले में अपनी बात कहते हुए कहा है कि इस तरह के वीडियो को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार नियमों के अनुसार अगर कोई ऐसा वीडियो पोस्ट करता है तो शिकायत के बाद उसे 36 घंटों के अंदर हटाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि सरकार सभी डिजिटल नागरिकों की प्राइवेसी की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से संकल्पित है.
क्या बोले राजीव चंद्रशेखर?
राजीव चंद्रशेखर ने इस मामले में ट्विटर पर किए गए एक ट्ववीट पर अपनी बात कहते हुए कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार सभी डिजिटलनागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए संकल्पित है. आईटी नियम अप्रैल 2023 के अनुसार किसी भी प्लेटफॉर्म के लिए ये सुनिश्चत करना जरूरी है कि कोई यूजर गलत जानकारी साझा न करे. अगर कोई ऐसा करता है तो उसे 36 घंटे के अंदर प्लेटफॉर्म से हटाना होगा. अगर प्लेटफॉर्म ऐसा नहीं करता है तो नियम 7 के तहत उस पर आईपीसी की धाराओं के तहत कोर्ट में कार्रवाई की जा सकती है. उन्होंने ये भी कहा कि डीप फेक वीडिया नया और उससे भी अधिक खतरनाक स्वरूप है और प्लेटफॉर्म को उस पर कार्रवाई करने की जरूरत है.
PM @narendramodi ji's Govt is committed to ensuring Safety and Trust of all DigitalNagriks using Internet
— Rajeev Chandrasekhar ?? (@Rajeev_GoI) November 6, 2023
Under the IT rules notified in April, 2023 - it is a legal obligation for platforms to
➡️ensure no misinformation is posted by any user AND
➡️ensure that when reported by… https://t.co/IlLlKEOjtd
आखिर क्या है मंदाना के इस वीडियो में?
सुपरहिट फिल्म पुष्पा की अभिनेत्री रही रश्मिका मंडाना का एक डीप फेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वो ब्लैक कलर के आउटस्कर्ट में एलीवेटर में आती हुई दिखाई दे रही हैं. इस वीडियो को एक पत्रकार और शोधकर्ता अभिषेक कुमार ने ट्वीट किया था. उनके इस ट्वीट पर कोट लिखते हुए केन्द्रीय मंत्री ने ये बात कही.
? There is an urgent need for a legal and regulatory framework to deal with deepfake in India.
— Abhishek (@AbhishekSay) November 5, 2023
You might have seen this viral video of actress Rashmika Mandanna on Instagram. But wait, this is a deepfake video of Zara Patel.
This thread contains the actual video. (1/3) pic.twitter.com/SidP1Xa4sT
वीडियो पर रश्मिका ने कही अहम बात
इस पूरे मसले पर कुछ देर पहले अभिनेत्री रश्मिका ने भी ट्वीट करते हुए अहम बात कही है. उन्होंने ट्वीट में लिखा-
इसे साझा करते हुए मुझे बहुत दुख हो रहा है और मुझे, ऑनलाइन फैलाए जा रहे मेरे डीपफेक वीडियो के बारे में बात करनी पड़ रही है.
ईमानदारी से कहूं तो ऐसा कुछ न केवल मेरे लिए, बल्कि हममें से हर एक के लिए बेहद डरावना है, जो आज तकनीक के दुरुपयोग के कारण बहुत अधिक नुकसान का सामना कर रहे हैं.
आज, एक महिला और एक अभिनेत्री के रूप में, मैं अपने परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों की आभारी हूं जो मेरी सुरक्षा और सहायता के लिए मेरे साथ हैं. लेकिन अगर मेरे साथ ऐसा तब होता जब मैं स्कूल या कॉलेज में था, तो मैं सचमुच सोच भी नहीं सकता कि मैं इससे कैसे निपट सकता था.
इससे पहले कि हममें से अधिक लोग इस तरह की पहचान की चोरी से प्रभावित हों, हमें एक समुदाय के रूप में और तत्परता से इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
I feel really hurt to share this and have to talk about the deepfake video of me being spread online.
— Rashmika Mandanna (@iamRashmika) November 6, 2023
Something like this is honestly, extremely scary not only for me, but also for each one of us who today is vulnerable to so much harm because of how technology is being misused.…
आरबीआई के इस फैसले से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की सेहत में बड़ा बदलाव आने की संभावना है. लिमिट बढ़ने से उनके पास लिक्विडिटी की कमी भी नहीं होगी.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए थोक जमा लिमिट में बड़ा इजाफा कर दिया है. एक अधिसूचना के जरिए दी गई जानकारी के अनुसार, इसे अब 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया है. आरबीआई के इस बदलाव के साथ ही आरआरबी के लिए थोक जमा की सीमा अब 1 करोड़ रुपये तक हो गई है.
अनुसूचित कमर्शियल बैंकों के लिए अब ये होगी सीमा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई के संशोधन के बाद अब अनुसूचित कमर्शियल बैंक की सीमा (इसमें ग्रामीण बैंक शामिल नहीं है) अब 2 करोड़ रुपये तक है. साथ ही आरबीआई ने स्मॉल फाइनेंस बैंकों के लिए भी ये सीमा में कोई बदलाव न करते हुए 2 करोड़ रुपये में बदलाव नहीं किया है.
कौन बैंक देता है कितनी ब्याज दर?
थोक जमा पर हर बैंक अलग ब्याज दर देता है. ICICI और HDFC बैंक 2 करोड़ रुपये से कम जमा करने पर 3% से 7.20% के बीच ब्याज प्रदान करता है. जबकि थोक जमा पर एचडीएफसी 4.75% से 7.25% तक चार्ज कर रहा है.
वहीं थोक जमा पर आईसीआईसीआई 2 करोड़ रुपये से नीचे 3 से 7.10 प्रतिशत और 2 करोड़ रुपये से ज्यादा पर 4.75%- 7.25% तक ब्याज देता है. इसी तरह बैंक ऑफ बड़ौदा 2 करोड़ रुपये से नीचे पर 3% से 7.25% तक ब्याज ऑफर करता है. जबकि 2 करोड़ से ऊपर तक 4% से 7.25% तक ब्याज ऑफर करता है.
इससे आरआरबी को नहीं होगी फंड की कमी
आरबीआई के इस फैसले से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक जैसी संस्थाओं को फंड की कमी नहीं होगी. लिमिट बढ़ाए जाने से वो ज्यादा पैसा जुटा सकेंगे. इससे उनकी कर्ज देने की क्षमता में भी इजाफा होगा. कर्ज ज्यादा देने से उनकी आय में भी इजाफा होगा