यही नहीं हेल्थकेयर, मेडिसिन और वैलनेस जैसे क्षेत्रों में भी आने वाले समय में बहुत ही स्मार्ट डिवाइसेज आने जा रही हैं, जिसमें रोबोटिक AR/VR जैसी तकनीकी शामिल हैं.
लगभग 10 से 12 साल तक बिना रुके ग्रोथ के बावजूद टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को इकोनॉ मिक स्लोडाउन ने बुरी तरह प्रभावित किया है. 2022 में सामने आई महंगाई, लगातार कम होते रेवेन्यू और नए कोविड नियमों के कारण पैदा हुई परिस्थितियों के चलते पिछले 2 साल में कई इंडस्ट्री के फाइनेंशियल आउटपुट पर बुरी तरह दबाव पड़ा है, जिसमें टेक्नोलॉजी सेक्टर भी शामिल है. जो कि देश के नए इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन 4 की बैकबोन है. लेकिन ये एक बहुत अच्छा संकेत है कि इसने कई देशों को कुछ क्षेत्रों में भारी निवेश करने से कभी नहीं रोका. इसमें भारत के साथ- साथ खाड़ी देशों के कुछ विकसित देशों ने इस सेक्टर में बहुत पैसा लगाया है क्योंकि वो इसके चलते अपने देश की अर्थव्यवस्थाओं को और मजबूत करना चाहते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी ही तकनीकों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आने वाले वर्ष में भी बेहतर तरीके से ट्रेंड करने वाली हैं. वो तकनीकें हैं-
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस
उपभोक्ता के व्यवहार से लेकर, उपभोक्ता अनुभव का अध्ययन, प्लानिंग, खरीद, स्वास्थ्य विज्ञान, खेती से लेकर अंतरिक्ष शोध तक आज हर चीज के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की तकनीक का व्यापक प्रयोग तेजी से हमारी दुनिया को सकारात्मक तरीकों से बदल रहा है, जिसे हम लोग अभी नोटिस नहीं कर पा रहे हैं. एआई शायद सबसे महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी ट्रेंड है जो लगभग सभी तरह के बिजनेस को बदल रही है. इस एआई तकनीक के इस्तेमाल के बाद कहीं न कहीं सभी बिजनेस को मैनपावर के इस्तेमाल को लेकर भी फिर से सोचना होगा वो भी तब जबकि पूरी दुनिया में लगातार आबादी बढ़ रही है और सभी को रोजगार की जरूरत है. ये साफ है कि एआई का फायदा बड़ा है और ये साफ दिखाई देता है. इसे बहुत गंभीरता से सोचना होगा ताकि ग्लोबल समस्याओं को ठीक से देखा जा सके.
द मेटावर्स
द मेटावर्स भौतिक, डिजिटल और जैविक दुनिया का एक मिश्रण है. ये वास्तविकता का नया कॉन्सेप्ट है, और हमें इस वास्तविकता को अपने पांचों सेंस को खोलकर स्वीकार करना होगा. आने वाले सालों में मेटावर्स हमारी शिक्षा, स्वास्थ्य, रियल स्टेट टूरिज्म, सरकारी सेवाओं, निर्माण और हमारी इंडस्ट्री में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है. 2023 में निश्चित रूप से इस क्षेत्र में और प्रगति होगी, लेकिन इसे जमीनी स्तर पर देखने में भले ही अधिक समय लगेगा.
स्मार्ट डिवाइसेज
आने वाले समय में हम स्मार्ट क्लासेस और लैंसेज बड़ा बदलाव देखने जा रहे हैं जिसकी वजह बनने जा रही है मेटावर्स. इसके चलते हमें गेमिंग प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए अब अपने लैपटॉप या फोन की जरूरत नहीं होगी इसे हम स्मार्ट लेंस और स्मार्ट ग्लास के जरिए देख पाएंगें. इसका हार्डवेयर धीरे-धीरे पहुंच रहा है और इस हार्डवेयर सेगमेंट में सफलता प्राप्त करने के लिए एप्पल जैसी बड़ी कंपनी को एप्पल स्मार्ट क्लास लॉन्च करने पढ़ेंगे, जिससे वह इस क्षेत्र में महारत हासिल कर सके.
ड्रोन डिलीवरी
मौजूदा समय में हमें अगर कोई चीज मंगानी हो तो उसके लिए हमारे पास अलग-अलग तरह के पेमेंट ऑप्शन है जिनके जरिए हम होम डिलीवरी करवा सकते हैं. लेकिन आने वाले पांच से 10 सालों में हम इस क्षेत्र में भी बहुत सारे बदलाव देखने जा रहे हैं.
विभाग इस बात की भी योजना बना रहा है कि दूरसंचार कंपनियों के लिए DCA प्लेटफॉर्म को लागू करना अनिवार्य बनाया जाए.
क्या आप भी वक्त–बेवक्त आने वाले स्पैम कॉल्स और मैसेज्स से परेशान है तो हम, आपके लिए राहत भरी खबर लेकर आए हैं. अब इस पर अंकुश के लिए दूरसंचार विभाग (DOT) नई सरकार गठन के बाद पहले 100 दिन के एजेंडे में शामिल करने की तैयारी कर रहा है. टेलीकॉम डिपार्टमेंट देशभर में स्पैम कॉल और SMS पर अंकुश लगाने के लिए ठोस योजना तैयार करने में लगा है. इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) आधारित डिजिटल सहमति मंच (DCA) से दूरसंचार कंपनियों को अनिवार्य रूप से जोड़ा जाएगा. साथ ही चक्षु पोर्टल को भी अपडेट किया जाएगा.
उभोक्ता को मिलेगा अधिकार
गौरतलब है कि ट्राई ने स्पैम और बड़ी मात्रा में होने वाले टेली कॉलिंग पर अंकुश के लिए इस डीसीए मंच को लागू करने का निर्देश दिया था. DCA किसी कंपनी या कारोबार से कॉमर्शियल कॉल या SMS प्राप्त करने के लिए ग्राहकों द्वारा दी गई सहमति प्राप्त करने, उसे बनाए रखने और रद्द करने के लिए एक एकीकृत मंच है. इसे इसलिए लाया गया है ताकि उपभोक्ता के पास यह नियंत्रण रहे कि कौन उसे संदेश भेज सकता है और कौन नहीं. हालांकि, उपभोक्ताओं को अब तक इसका फायदा नहीं मिल पाया है. वहीं, ट्राई ने इस मामले में दूरसंचार कंपनियों द्वारा इस मंच से जुड़ने की धीमी चाल पर सवाल उठाया है.
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नई समिति बनेगी
अब इस मामले में दूरंसचार विभाग द्वारा एक नई समिति बनाए जाने की उम्मीद है ताकि बेहतर समन्वय हो सके. इस समिति में दूरसंचार विभाग, उपभोक्ता के मंत्रालय और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को शामिल किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि यह समिति इंटरनेट से होने वाले फोन कॉल और व्हाट्सऐप के लिए प्रारूप दिशा निर्देश तैयार करने पर काम करेगी. इसमें दूरसंचार ऑपरेटरों को भी शामिल किया जा सकता है.
चक्षु पोर्टल को भी किया जाएगा अपडेट
विभाग इस बात की भी योजना बना रहा है कि उसके चक्षु पोर्टल को लगातार अपडेट किया जाए. इस पोर्टल के जरिए लोगों को यह सुविधा मिलती है कि वे फर्जी संचार की आशंका वाले फोन कॉल या SMS के मोबाइल नंबर या व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया से मिले ऐसे संचार के बारे में शिकायत दर्ज करा सकें. वैसे तो यह प्लेटफॉर्म किसी तरह की चूक से परे है, लेकिन कुछ लोगों ने सवाल उठाए हैं कि क्या अवांछिततत्व इसका भी दुरुपयोग कर सकते हैं? इसलिए आगे चलकर पोर्टल को अपडेट किया जाएगा ताकि न सिर्फ जालसाजी पर बल्कि कुछ नंबरों से आने वाले बड़े मात्रा के स्पैम पर भी निगरानी सख्त की जा सके.
TRAI ने कंपनियों पर उठाया सवाल
ट्राई ने इस मामले में रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल द्वारा अपने सिस्टम में निजी व्यवसायों को जोड़ने को लेकर धीमी चाल पर सवाल उठाया है, लेकिन ऑपरेटरों का कहना है कि उन्हें इस मामले में उद्योग से ही सुस्त प्रतिक्रिया मिल रही है. अभी तक ग्राहकों को कोई ऐसी एकीकृत प्रणाली नहीं मिल पाई है जिसके जरिए वे सहमति दे या उसे निरस्त कर सकें. पहले व्यवस्था यह थी कि ग्राहक की मंजूरी को हासिल करने या बनाए रखने की जिम्मेदारी व्यवसायों की ही है.
Apple की ओर से 'Let Loose' इवेंट में दो नए टैबलेट लॉन्च किए गए हैं. इन्हें कंपनी पावरफुल परफॉर्मेंस के साथ लेकर आई है और ये कंपनी के अब तक के सबसे पतले प्रोडक्ट हैं.
Apple ने अपने लूट इंवेट में दो नए iPads लॉन्च किए हैं. ये हैं iPad Air, iPad Pro. ये कंपनी का लेटेस्ट मिड रेंड iPad मॉडल है, जो दो साइज के साथ उतारा गया है, 11 इंच और 13 इंच. टिम कुक ने इवेंट शुरू होते ही बताया कि Porsche विज़न प्रो के साथ एक बेहतरीन एक्सपीरियंस देने की तैयारी कर रहा है. iPad के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि यह स्टूडेंट्स से लेकर टीचर्स और आर्किटेक्ट्स से लेकर डिजाइनर्स तक की पूरी मदद करता है. इसी के साथ कंपनी ने Apple Pencil, Magic Keyboard, M4 Chipset लॉन्च किया है.
सबसे पतला डिवाइस है Apple iPad Pro
Apple iPad Pro का नया जेनरेशन नए M4 चिप और OLED डिस्पले के साथ लॉन्च हो गया है. एप्पल का यह अब तक लॉन्च हुआ सबसे पतला डिवाइस है, जिसकी मोटाई महज 5.1mm है. iPad Air (2024) की तरह ही इस नए iPad Pro को भी दो स्क्रीन साइज 11 इंच और 13 इंच में पेश किया गया है. एप्पल का यह नया iPad Pro भी AI फीचर से लैस है. कंपनी ने इसकी प्री-बुकिंग शुरू कर दी है. भारत समेत 29 देशों में यह 15 मई से सेल के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
iPad Pro (2024) के फीचर्स
एप्पल के इस स्पेशल Let Loose इवेंट में पेश हुआ यह नया iPad Pro OLED डिस्प्ले पैनल के साथ आता है. इसका डिस्प्ले 1600 निट्स की पीक ब्राइटनेस को सपोर्ट करता है. इसके 11 इंच वाले मॉडल की मोटाई 5.3mm है, जबकि 13 इंच वाला मॉडल 5.1 इंच पतला है. एप्पल के इस नए iPad Pro (2024) में अल्ट्रा रेटिना XDR डिस्प्ले दिया गया है. Apple ने इसके अलावा इस नए iPad Pro (2024) के ओवरऑल डिजाइन को भी अपग्रेड किया है. इसमें एंटी-ग्लेयर नैनो टेक्स्चर डिजाइन मिलता है, जिसे पहली बार किसी iPad में इस्तेमाल किया गया है.
नए लॉन्च हुए M4 चिप की बात करें तो यह OLED डिस्प्ले को बेहतर तरीके से कंट्रोल करता है. इसके ओवरऑल CPU और GPU को इंप्रूव किया गया है. यह चिप सेकेंड जेनरेशन के 3 नैनोमीटर फेब्रिकेशन प्रोसेस पर काम करता है. इसके अलावा इसमें नया न्यूरल इंजन मिलता है, जो इसे एक पावरफुल AI चिप बनाता है. यह भी एप्पल के लेटेस्ट iPadOS 17 पर काम करता है.
तीन स्टोरेज वेरिएंट में हुए लॉन्च
iPad Pro (2024) को 256GB, 512GB, 1TB और 2TB स्टोरेज वेरिएंट में लॉन्च किया गया है. इस नए iPad Pro के कैमरा को भी इंप्रूव किया गया है. इसमें अडैप्टिव फ्लैश का इस्तेमाल किया गया है. यही नहीं, इसके भी फ्रंट फेसिंग कैमरा को लैंडस्केप एज पर फिट किया गया है ताकि यूजर्स को FaceTime कॉल करने में दिक्कत न आए.
iPad Pro (2024) की कीमत
iPad Pro (2024) के 11 इंच वाले Wi-Fi मॉडल की शुरुआती कीमत 99,900 रुपये है. वहीं, इसका Wi-Fi + 5G वाला मॉडल 1,19,900 रुपये से शुरू होता है. वहीं, इसके 13 इंच वाले Wi-Fi मॉडल की कीमत 1,29,900 रुपये से शुरू होती है. वहीं, इसका Wi-Fi + 5G मॉडल 1,49,900 रुपये की शुरुआती कीमत में उपलब्ध है. स्टूडेंट्स के लिए iPad Pro (2024) की कीमत 10,000 रुपये कम रखी गई है. इसे 15 मई से ऑनलाइन और ऑफलाइन चैनल के माध्यम से खरीद सकेंगे.
पेंसिल प्रो और मैजिक बोर्ड भी लॉन्च
एप्पल के इस लूट इंवेट में इसके साथ ही Apple Pencil Pro, Magic Keyboard भी लॉन्च हुए. Apple Pencil Pro में कई सेंसर को शामिल किया है. इसको दबाने (स्क्वीज) पर यूजर्स नए टूल्स को एक्सेस कर सकते है, जो एक टाइम सेविंग टूल है. साथ ही इसमें कई नए एडिटिंग टूल्स और शॉर्टकट को शामिल किया है. इसकी कीमत 11,900 रुपये है, वहीं एप्पल का Magic Keyboard का डिजाइन काफी स्लीक और स्लिम है. इस कीबोर्ड को दो कलर वेरिएंट में पेश किया गया है. इसके फीचर्स भी काफी अपडेटेड है. नया 11-इंच मैजिक कीबोर्ड 29900 रुपये में और नया 13-इंच मैजिक कीबोर्ड 33900 रुपये में उपलब्ध है.
व्हाट्सऐप ने 8 करोड़ अकाउंट्स के खिलाफ की कार्रवाई करते हुए उन्हें बैन कर दिया है. WhatsApp ने यह कार्रवाई पॉलिसी के उल्लंघन को लेकर की है जोकि पिछले साल के आंकड़ों से ज्यादा हैं.
यदि आप भी WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए बड़ी खबर है. आपको जानकर हैरानी होगी कि महज तीन महीने में ही WhatsApp ने भारत में करीब 8 करोड़ अकाउंट बैन किए हैं. WhatsApp ने यह कार्रवाई पॉलिसी के उल्लंघन को लेकर की है. इसी अवधि में पिछले साल के मुकाबले यह आंकड़ा दोगुना है. ये आंकड़े साइबर स्कैम के बढ़ते मामले की ओर भी इशारा कर रहे हैं.
WhatsApp ने की बड़ी कार्रवाई
व्हाट्सऐप (WhatsApp) ने बड़ी जानकारी देते हुए बाताया कि कंपनी ने +91 से शुरू होने वाले 7 करोड़ से ज्यादा मोबाइल नंबर को व्हाट्सऐप से बैन कर दिया गया है. यह डेटा जनवरी से लेकर नवंबर 2023 तक का है. कंपनी ने एक और पोस्ट में बताया कि उसने 1 जनवरी से लेकर 31 मार्च 2024 के बीच 7,954,000 अकाउंट को बैन कर दिया है. इनमें से 1,43,000 अकाउंट को यूजर्स की तरफ से कोई रिपोर्ट मिलने से पहले ही सक्रिय रूप से बैन कर दिया गया.
किस महीने कितने अकाउंट पर प्रतिबंध
WhatsApp ने बताया कि जनवरी 2023 में उसने 29 लाख अकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद यह सिलसिला बढ़ता ही गया. फरवरी में कंपनी ने 45 लाख अकाउंट, मार्च में 47 लाख, अप्रैल में 74 लाख, मई में 65 लाख, जून में 66 लाख, जुलाई में 72 लाख, अगस्त में 74 लाख, सितंबर में 71 लाख, अक्टूबर में 75 लाख और नवंबर में 71 लाख अकाउंट प्रतिबंधित कर दिए, इसके अलावा, व्हाट्सएप ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यूजर्स से कोई भी रिपोर्ट मिलने से पहले ही इनमें से 2 करोड़ से ज्यादा अकाउंट्स को सक्रिय रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया था.
2024 में कितने अकाउंट पर लगाया बैन
WhatsApp की तरफ से जारी मंथली रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से लेकर मार्च 2024 यानी इस साल के पहले तीन महीनों में 22,310,000 (करीब 2.23 करोड़) अकाउंट बैन किए गए. फरवरी 2024 में कंपनी ने 7,628,000 अकाउंट्स को बैन किया, जिनमें से 1,424,000 अकाउंट यूजर्स की तरफ से रिपोर्ट करने के पहले ही कंपनी के नियमों का उल्लंघन करते हुए पहचान लिए गए और सक्रिय रूप से प्रतिबंधित कर दिए गए. इसी तरह मार्च 2024 में 7,954,000 अकाउंट बैन किए गए, जिसमें से 1,430,000 अकाउंट सक्रिय रूप से बैन किए गए.
इस वजह से लगाया बैन
कंपनी ने कहा कि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर वह सूचना प्रौद्योगिकी (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) नियम, 2021 के नियम 4(1)(d) (IT नियम, 2021) का पालन करने के लिए धोखाधड़ी और अवैध टेलीमार्केटिंग की सभी रिपोर्टों की ‘सक्रिय रूप से जांच’ कर रहा है. इसके अलावा व्हाट्सएप ने शिकायतों के आधार पर कई अकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाया जो किसी न किसी रूप में कानूनी उल्लंघन कर रहे थे, या व्हाट्सऐप के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे. कंपनी ने कहा कि उसे भारत सरकार की शिकायत अपीलीय समिति (GAC) से भी कई अकाउंट्स को बैन करने का आदेश मिला, जिसके बाद कंपनी ने उन्हें बैन कर दिया.
बैन से कैसे बच सकते हैं आप?
अगर आपको भी इस बात का डर सता रहा है कि कहीं आपका अकाउंट न बैन कर दिया जाए तो डरने की कोई जरूरत नहीं है. अगर आप व्हाट्सऐप और भारत के आईटी नियमों को फॉलो करते हैं तो आपको इससे कोई समस्या नहीं होने वाली है. आपको नीचे बताई गई कुछ बातों का ध्यान देना होगा.
संदेहास्पद मैसेज से बचें- यानी आप जिसे पहले से जानते हैं उनसे ही बातचीत करें. कभी भी आपको कोई ऐसा मैसेज आता है जो संदेहास्पद है तो बिलकुल जवाब न दें. इसके अलावा, अगर आपको किसी अनजाने नंबर से फर्जी वीडियो या वाइस कॉल आती है तो रिसीव करने से बचें.
संदेह होने पर तुरंत रिपोर्ट करें- अगर आपको ऐसे कोई मैसेज आते हैं तो व्हाट्सऐप पर ब्लॉक करने और रिपोर्ट करने का ऑप्शन होता है. तुरंत उसपर क्लिक करें और रिपोर्ट कर जानकारी दें. रिपोर्ट करते समय कई तरह की विकल्प के जरिये जानकारी मांगी जाती है, आपको जिस तरह का संदेह लगे, उसे रिपोर्ट में जरूर बताएं.
कोई फर्जी मैसेज फॉरवर्ड न करें- आप किसी को मैसेज सेंड करने से पहले उसे वेरिफाई कर लें कि क्या वह सही है, उसमें कितनी सच्चाई है. बहकावे या आवेश में आकर बिलकुल मैसेज सेंड या फॉरवर्ड न करें.
सरकार ने कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन का ट्रायल शुरू करने के निर्देश दिए हैं. इससे पहले टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई ने इसकी सिफारिश की थी. ट्राई ने प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट शुरू करने के लिए कहा था.
अगर आपके स्मार्टफोन में किसी का नंबर सेव नहीं है और आपके पास कोई अनजान नंबर से कॉल आती है, तो आपके दिमाग में पहला सवाल यही आता है कि कॉल करने वाला कौन हो सकता है. अगर अक्सर आपके साथ ऐसा होता है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने देशभर में टेलीकॉम कंपनियों को कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन लागू करने का आदेश दिया है, जिसके बाद अगर आपके फोन पर कोई अनजान व्यक्ति कॉल करेगा तो उसका नाम आपको अपने फोन की स्क्रीन पर दिखाई देगा.
कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन का ट्रायल शुरू
ट्राई ने देशभर में मौजूद सभी दूरसंचार कंपनियों को कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन फीचर रोलआउट करने का निर्देश दिया है. जिसके बाद देश में मौजूद मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों ने इसका ट्रायल शुरू कर दिया है. ट्राई के अनुसार, अगर ये ट्रायल सफल होता है तो कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन फीचर देशभर में लागू किया जाएगा. जिसके बाद आपको अननॉन नंबर के बारे में जानकारी करने के लिए किसी भी थर्ड पार्टी ऐप की जरूरत नहीं होगी.
इस राज्य में शुरू हुआ ट्रायल
ट्राई ने कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन फीचर को टेस्ट करने के लिए देश के सबसे छोटे सर्कल का चुनाव किया है. जिसके बाद मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों ने कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन फीचर की टेस्टिंग हरियाणा में शुरू करने जा रही हैं. जानकारी के अनुसार ट्राई के निर्देश के बाद कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन फीचर की टेस्टिंग हरियाणा में इसी महीने शुरू हो जाएगी.
यूजर्स थर्ड पार्टी ऐप्स का करते हैं इस्तेमाल
स्मार्टफोन यूजर्स अपने फोन में अनजान कॉल के बारे में जानकारी लेने के लिए थर्ड पार्टी ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें बहुत सारे यूजर्स ट्रू कॉलर का इस्तेमाल करते हैं. थर्ड पार्टी ऐप्स अपनी सुविधाएं देने के लिए इस्टॉल होने के टाइम पर बहुत सारी परमिशन मांगते हैं, जिसमें कॉन्टैक्ट डिटेल, फोन गैलरी, स्पीकर, कैमरा और कॉल हिस्ट्री की जानकारी शामिल होती है. अगर आप इन सभी की परमिशन नहीं देते हैं तो ये थर्ड पार्टी ऐप काम नहीं करते और अगर आप परमिशन दे देते हैं तो आपकी पर्सनल डिटेल लीक होने का डर बना रहता है.
दक्षिण कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज Samsung ने बेंगलुरु के सैमसंग ओपेरा हाउस में आयोजित 'अनबॉक्स एंड डिस्कवर' इवेंट में AI-ऑपरेट टेलिवीजन लॉन्च किये है.
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी Samsung ने भारत में अपना अल्ट्रा-प्रीमियम नियो QLED 8K, नियो QLED 4K और OLED टीवी को लॉन्च करते हुए AI टीवी के लिए एक नए युग की घोषणा की है. नियो QLED 8K, नियो QLED 4K और OLED टीवी की 2024 सीरीज पावरफुल, AI आधारित सोल्यूशन के साथ आपके घरेलू एंटरटेनमेंट को और बेहतर बनाएगी. कंपनी ने 55, 65, 75 और 98 इंच साइज में इन्हें पेश किया है. गेमिंग को बेहतर बनाने के लिए भी ये टीवी बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकते हैं.
कितनी है कीमत?
सेमसंग नियो QLED 8K की कीमत 3,19,990 रुपये से शुरू होती है. वहीं नियो QLED 4K सीरीज की कीमत 1,39,990 रुपये से शुरू होती है. सेमसंग OLED टीवी सीरीज की कीमत 1,64,990 रुपये से शुरू होती है. सैमसंग ने इनके साथ कुछ स्पेशल ऑफर्स का भी ऐलान किया है. सैमसंग का कहना है कि ब्रैंड के लेटेस्ट स्मार्ट टीवी के साथ कंपनी 79,990 रुपये की कीमत वाला साउंडबार फ्री दे रही है. इसके अलावा म्यूजिक फ्रेम भी अवील कर सकते हैं, जिसकी कीमत 29,990 रुपये है.
शानदार ऑडियो और स्मार्ट एक्सपीरिएंस
सैमसंग का फ्लैगशिप टीवी नियो QLED 8K में एडवांस NQ8 AI GEN3 प्रोसेसर दिया गया है. ये AI टीवी तकनीक में एक महत्वपूर्ण छलांग है. NQ8 AI GEN3 प्रोसेसर में एक न्यूरल प्रोसेसिंग यूनिट (NPU) दी गई है जो अपने पिछले वर्जन की तुलना में दोगुनी गति प्रदान करता है, साथ ही न्यूरल नेटवर्क में 64 से 512 तक आठ गुना बढ़त करता है. इससे इनपुट स्रोत की परवाह किए बिना स्पष्ट विवरण के साथ एक शानदार पिक्चर देखने को मिलती है.
मिलेगा खास AI एक्सीरियंस
2024 नियो QLED 8K सीरीज में बड़े स्क्रीन के अनुभव को फिर से परिभाषित करने के लिए कई AI फीचर्स एक साथ मिलते हैं. AI पिक्चर टेक्नोलॉजी चेहरे के भाव और अन्य सूक्ष्म बारीकियों सहित एकदम स्पष्ट और स्वाभाविक डिटेल के साथ टीवी देखने का अनुभव शानदार बनाती है. AI अपस्केलिंग प्रो 8K डिस्प्ले से निकटता से मेल खाने के लिए कंटेंट को बदल देता है. मैच के दौरान, यह बिना किसी रूकावट के गेंद को ट्रैक करने में मदद करता है, जिससे यूजर को लगता है कि वे स्टेडियम में लाइव मैच देख रहे हैं. रियल डेप्थ एन्हैंसर प्रो तस्वीर में जीवंतता और गहराई लाता है और दर्शकों को अलग ही एक्सीरियंस मिलता है.
बैकग्राउंड शोर करता है कम
AI साउंड टेक्नोलॉजी एक्टिव वॉयस एम्प्लीफायर प्रो के साथ सटीक ऑडियो देने में मदद करती है. ये बैकग्राउंड शोर का पता लगाता है और टीवी के वॉल्यूम को अपने आप एडजस्ट करता है. ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग साउंड प्रो ऑन-स्क्रीन एक्शन के साथ ऑडियो को सिंक करके, ज्यादा डायनैमिक और आकर्षक ऑडियो-विजुअल इफेक्ट जेनरेट करता है. एडेप्टिव साउंड प्रो वास्तव में स्पष्ट और जीवंत साउंड के लिए कंटेंट और कमरे की जरूरत के मुताबिक ऑडियो को एडजस्ट करके ऑडियो अनुभव को और शानदार बनाता है.
Gemini की इस गलती के सामने आने के बाद Google ने उसे फिलहाल वापस ले लिया. गूगल ने बताया था कि टूल टेस्टिंग में है, लेकिन अब वो उसे वापस ले रही है.
दुनिया की नामी टेक कंपनी Google ने भारत सरकार ने माफी मांगी है. कंपनी ने ये माफी उसके Gemini App के द्वारा पीएम मोदी को लेकर दिए गए जवाब को लेकर मांगी है. भारत सरकार ने इसे लेकर कंपनी को नोटिस जारी किया था. इसी नोटिस का जवाब देते हुए कंपनी ने माफी मांगी है और Gemini को भरोसा न करने लायक (Unreliable) बताया है.
Google और OpenAI को जारी किया था नोटिस
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार की ओर से इस तरह के जनरेटिव एआई को लेकर काम करने वाली दोनों कंपनियों को नोटिस जारी किया गया था. इस नोटिस में उनसे कहा गया था कि उनके प्लेटफॉर्म ऐसी किसी जानकारी को नहीं दे सकते हैं जो भारतीय कानून के खिलाफ हों. केन्द्र की ओर से कहा गया था कि जो भी कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म का परीक्षण करना चाह रही हों उन्हें पहले इसके लिए केन्द्र से अनुमति लेनी चाहिए. सरकार ये भी चाहती है कि कंपनियां जब कभी भी इस तरह के प्लेटफॉर्म को लॉन्च करें तो उसके साथ इन पर वीडियो या कंटेट जनरेट करने वाले के लिए ट्रेसेबल सिस्टम को भी लॉन्च करें. इससे अगर वो गलत कंटेट लॉन्च करता है तो उस पर कार्रवाई हो सके.
आखिर Gemini ने किया क्या था?
Google के ऐप Gemini ने पीएम मोदी को लेकर सर्च करने पर जो जवाब दिया था उसे लेकर सरकार ने आपत्ति जता दी थी. ज्यादा विवाद इस बात को लेकर जब वही सवाल जेलेंस्की और बाइडेन को लेकर पूछा गया तो ऐप ने सवाल को ही गलत बता दिया था. इसी को लेकर भारत सरकार ने सख्त रवैया अपनाते हुए गूगल से इस मामले को लेकर सवाल जवाब किया था. ये पूरा मामला एक यूजर के माध्यम से सामने आया था जिसने एक्स पर तीनों नेताओं को लेकर पूछे गए सवाल और जवाब के स्क्रीन शॉट को साझा किया था और केन्द्रीय आईटी राज्य मंत्री से इस पर कार्रवाई करने की मांग की थी.
केन्द्र सरकार जारी कर चुकी है एडवाइजरी
इस मामले के सामने आने के बाद गूगल ने सफाई देते हुए कहा था कि उसका ऐप टेस्टिंग में है और अब उसने उसे फिलहाल वापस ले लिया है. गूगल के इस बयान के बाद शनिवार को बकायदा सरकार की ओर से एआई को लेकर एक जनरल एडवाइजरी भी जारी कर दी है जिसमें उसकी ओर से कहा गया है कि ऐसा कोई भी टूल जारी करने से पहले सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है.
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ओपन एआई के इस नए टूल की जांच फिलहाल रेड टीम कर रही है. ये टीम यूजर के पास आने से पहले नए टूल की बारीकी से जांच कर रही है.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की दुनिया में तेजी से बदलाव आ रहे हैं. आलम ये है कि हर एआई कंपनी इस सोच में है कि वो कैसे आदमी के काम को आसान बनाए. अब ओपनएआई ने एक ऐसा टूल डेवलप किया है कि आप बस बोलेंगे और आपके सामने वीडियो बन जाएगा. ओपन एआई ने अपने इस नए टूल को Sora नाम दिया है. ये टूल चुटकियों में टेक्स्ट को वीडियो में बदल देता है.
कैसे काम करता OPEN AI का नया टूल SORA?
SORA एक ओपन एआई टूल है इसकी मदद से आप वाक्य बोलकर आसानी से वीडियो बना सकते हैं. इस ऐप की जानकारी खुद ओपन एआई के प्रमुख सैम आल्टमैन ने दी है. सैम ने ट्वीट करते हुए करते हुए लिखा ये सोरा है हमारा वीडियो जनरेशन टूल. उन्होंने इसका लिंक साझा करते हुए जानकारी दी कि आज से हम इसकी रेड-टीमिंग शुरु कर रहे हैं. हम फिलहाल सीमित लोगों तक इसकी पहुंच प्रदान कर कर रहे हैं.
here is sora, our video generation model:https://t.co/CDr4DdCrh1
— Sam Altman (@sama) February 15, 2024
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लोगों ने क्या दी प्रतिक्रिया
ओपन एआई प्रमुख सैम आल्टमैन ने जब इसे ट्वीट किया तो दुनिया के कई लोगों इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी तो कई लोगों ने कहा कि हमसे काम मत छीनिए. इस पर सैम ने कहा कि मैं आप लोगों के लिए एक वीडियो बनाउंगा. SORA को फिलहाल आम यूजर के लिए ओपन नहीं किया गया है. इसे अभी रेड टीम चेक कर रही है. ओपन एआई में रेड टीम वो है जो किसी ऐप को आम यूजर तक पहुंचने से पहले उसकी सभी पहलुओं से जांच करती है.
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विवेक बिंद्रा के इस एमबीए प्रोग्राम को लेकर दूसरे मोटीवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी ने खुलासा किया था, जिसके बाद विवेक बिंद्रा ने भी इस पर अपनी सफाई दी थी.
एमबीए क्रैश कोर्स ऑफर करने वाले विवेक बिंद्रा की परेशानियां और बढ़ गई है. अब इस दिशा में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की ओर से पत्र जारी करते हुए लिखा गया है कि ऐसा कोई भी कोर्स कानूनी नहीं है. एआईसीटीई ने अपने पत्र में साफ कर दिया है कि एमबीए एक पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम है जिसे इस तरह से ऑपरेट नहीं किया जा सकता है. एआईसीटीई ने अपने पत्र में मोटिवेशनल स्पीकर द्वारा एमबीए प्रोग्राम चलाए जाने का भी जिक्र किया है.
क्या कहता है AICTE का पत्र
AICTE का पत्र कहता है कि जैसा कि एआईसीटीई के संज्ञान में आया है कि कुछ मोटिवेशनल स्पीकर देश में 10 दिन का एमबीए क्रैश कोर्स की पेशकश कर रहे हैं. AICTE अपने पत्र में ये भी कहता है कि इस तरह के कोर्स युवाओं को गुमराह करने का प्रयास हैं. माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, कोई भी संस्थान या विश्वविद्यालय एआईसीटीई की मंजूरी के बिना एमबीए/प्रबंधन पाठ्रयूक्रम (MBA Degree) तक नहीं चला सकता है. एमबीए दो साल का पाठ्यक्रम है जिसे व्यक्तियों को व्यवसाय और प्रबंधन के विभिनन पहलुओं में उन्नत कौशल और ज्ञान से लैस करने के लिए डिजाइन किया गया है. जैसा कि दावा किया गया है एमबीए प्रोग्राम 10 दिनों में पूरा नहीं किया जा सकता है. इसलिए ऐसे दावे पूरी तरह से भ्रामक हैं. सभी छात्र सतर्क रहें और ऐसी पेशकश का हिस्सा न बनें.
'बिग स्कैम एक्सपोज्ड'
मोटिवेशनल स्पीकर और यूट्यूबर संदीप माहेश्वरी ने हाल ही में 'बिग स्कैम एक्सपोज्ड' टाइटल के साथ एक वीडियो शेयर किया था. इस वीडियो में उन्होंने बिंद्रा पर मल्टी-लेवल मार्केटिंग जैसा कोर्स चलाने का आरोप लगाया था. उन्होंने इसे घोटाला बताते हुए कहा था कि छात्रों से 'बिजनेस' सिखाने के नाम बड़ी रकम हासिल की जाती है. कोर्स में कुछ भी खास नहीं होता, जो लोग कोर्स में शामिल होने वालों से दूसरों को कोर्स बेचने को कहा जाता है. संदीप माहेश्वरी के इस वीडियो के बाद बवाल मच गया और बिंद्रा को भी सफाई देनी पड़ी. बिंद्रा ने माहेश्वरी को चुनौती देते हुए कहा था कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है. इसके बाद इस मामले में महेश्वर पेरी की एंट्री हुई.
Thread: The Bada Claims of Vivek Bindra:
— Maheshwer Peri (@maheshperi) December 20, 2023
1. This man started off as a motivational speaker, uses a concoction of religion, nationalism and appeals to the inane need to make easy money. Like all charlatans, he has the gift of the gab. He was exposed by @SandeepSeminars too.
IIPM पर किया था खुलासा
पेरी ने विवेक बिंद्रा के 10 दिन में MBA कोर्स पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने हाल ही में इस विषय पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं. उन्होंने बिंद्रा की डॉक्टर की उपाधि को भी कठघरे में खड़ा किया है. पेरी ने अपने एक ट्वीट में लिखा है - विवेक बिंद्रा ने श्री लंका की Open International University for Complementary Medicine’ से डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की मानद उपाधि. इस यूनिवर्सिटी का वेबपेज ओपन नहीं हो रहा है. हालांकि, इसका उद्देश्य पूरा हो गया और बिंद्रा डॉ बिंद्रा बन गए. पेरी का यह भी दावा है कि विवेक बिंद्रा ने सैकड़ों बच्चों के साथ चीटिंग की है. वैसे ये पहली बार नहीं है जब महेश्वर पेरी का नाम एकदम से सुर्खियों में आ गया है. इससे पहले, आईआईपीएम और अरिंदम चौधरी से जुड़े मामले को लेकर भी उन्होंने सुर्खियां बटोरीं थीं.
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अगर आने वाले समय में एआई के प्रयोग को पूरी तरह से सफलता मिल जाती है तो इतना कहा जा सकता है कि मौसम के कारण होने वाले नुकसान को और कम किया जा सकता है.
हमारे देश में हर साल मौसमी बदलावों के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कहीं गर्मी तो कहीं सर्दी, बारिश, बाढ़ या तूफान जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन उन सभी परिस्थितियों के बीच अब मौसम विभाग अपनी भविष्यवाणी को और सटीक बनाने के लिए एआई का प्रयोग करने को लेकर एक उद्यम करने की तैयारी कर रहा है.
क्या हो रहा है मौसम विभाग में
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मौसम विभाग जलवायु अनुसंधान प्रमुख केएस होलिसकर ने पुर्वानुमानों को और बेहतर बनाने में एआई की भूमिका पर जोर दिया है. आईएमडी हीट वेव और मलेरिया जैसी बीमारियों के बारे में सार्वजनिक अलर्ट के लिए पहले ही एआई प्रोजेक्ट को तैनात कर चुका है. लेकिन उनका मानना है कि एआई के सटीक आंकड़ों के लिए उसे हाई रेज्योल्यूशन डेटा की जरूरत होती है. यही नहीं आईआईटी के असिस्टेंड प्रोफेसर सौरभ राठौड़ कहते हैं कि एआई के सुपरकंप्यूटर चलाने के लिए कोई उच्च लागत संसाधनों की जरूरत नहीं है. वो कहते हैं कि इसे एक अच्छी गुणवत्ता वाले डेस्कटॉप से भी चला सकते हैं.
यूके में भी चल रहा है इस पर काम
ऐसा नहीं है अकेले भारत ही इसे लेकर काम कर रहा है, बल्कि यूके में तो वहां की सरकार ने गूगल से सपोर्टिव एक मौसम पुर्वानुमान प्रोजेक्ट की काफी सराहना की है. माना जा रहा है कि ये मौसम विभाग के क्षेत्र में एक बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है. लगातार बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में बदलावों की अवधि और भी तेज हो गई है. ऐसे में अगर एआई इसमें मददगार साबित होता है तो सभी को काफी मदद मिल सकती है.
मौसम पर निर्भर है भारत की कृषि अर्थव्यवस्था
भारत अकेला ऐसा देश है जहां कई तरह के मौसम महसूस किए जा सकते हैं. कई मामलों में ये मौसम बदलाव जहां हमारे लिए फायदेमंद है तो कृषि जैसे मामलों में ये हमारे लिए संकट पैदा कर देते हैं. ज्यादा गर्मी, ज्यादा सर्दी, बारिश तूफान जैसे बदलावों का अगर सही अनुमान ना लगे तो किसानों का इस पर बुरा असर पड़ता है. मौजूदा समय में भारत में सुपर कंप्यूटर की मदद से गणितीय मॉडल के आधार पर मौसम का पुर्वानुमान लगाया जाता है.
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उन्होंने कहा कि अगले साल भारत एआई पर वैश्विक सम्मेलन आयोजित करेगा, इसमें एआई से जुड़ी ग्लोबल प्रतिभाएं भाग लेंगी.
केन्द्रीय आईटी मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने भारत की एआई जरूरतों को लेकर साफतौर पर कहा कि हमें न तो ओपन एआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन की बराबरी करनी है और न ही हमें एलन मस्क की. उन्होंने कहा कि हमें अपने देश की बुनियादी समस्याओं के हल तलाशने और एआई के नुकसान को कम करने की कोशिश करना है. राजीव चंद्रशेखर ये बात विदेश मंत्रालय और कार्नेगी इंडिया द्वारा आयोजित किए गए ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में कही.
मकसद किसी से मुकाबला करना नही
केन्द्रीय मंत्री ने अपनी बात कहते हुए कहा कि सरकार का प्राथमिक उद्देश्य न तो टेस्ला के मालिक एलन मस्क से प्रतिस्पर्धा करना है और न ही ऑल्टमैन की बराबरी करने का है. उन्होंने कहा कि हमारा मकसद इस क्षेत्र में नोबल पुरस्कार जैसी प्रशंसा पाने का नहीं है. उन्होंने कहा सरकार का मकसद अपने नागरिकों की समस्याओं को तकनीक से हल करने का है, जिससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आ सके. उन्होंने कहा हम हेल्थकेयर, सिक्योरिटी, भाषा अनुवाद, जैसे विषयों को बढ़ावा देते हुए एआई का इस्तेमाल करना है.
दुनिया में बढ़ रही है भारत की स्वीकार्यता
राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि आज दुनिया भर में भारत की स्वीकार्यता बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि अगले साल 2024 में भारत एआई पर एक वैश्विक सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है, इस ग्लोबल समिट में प्रतिभा, कंप्यूटिंग, चिप्स, बड़े भाषा मॉडल और मूलभूत मॉडल पर खास तौर पर ध्यान दिया जाएगा.
एआई को लेकर काम कर रही हैं सभी कंपनियां
एआई का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. हर कंपनी इस क्षेत्र में अपने निवेश को बढा रही है जिससे आने वाले समय में जब सभी उस तकनीक पर शिफ्ट हों तो उस समय वो इस दौड़ में पीछे न हो जाए. अब सभी टेक कंपनियां इसीलिए इसमें अपना निवेश बढ़ा रही हैं.