जानकार लोग रिपोर्ट करते हैं कि आईएमसी के दौरान पीएम मोदी द्वारा लॉन्च किए जाने वाले सबसे पहले Jio और Airtel होंगे.
नई दिल्लीः मुकेश अंबानी सहित दूरसंचार उद्योग के दिग्गज ,सुनील मित्तल और कुमार मंगलम बिड़ला 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2022 (IMC) के लिए तैयार हैं. भारत 5G के रोलआउट के लिए इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी देश में पहली बार वाणिज्यिक 5G सेवाओं को लॉन्च करने के लिए IMC कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे.
सबसे आगे होंगे जियो और एयरटेल
जानकार लोग रिपोर्ट करते हैं कि आईएमसी के दौरान पीएम मोदी द्वारा लॉन्च किए जाने वाले सबसे पहले Jio और Airtel होंगे. स्पेक्ट्रम आवंटन को ध्यान में रखते हुए, भारत में 5G को जनता तक पहुंचाने के लिए लड़ाई निश्चित रूप से Jio और Airtel के बीच है. वास्तव में यह उन्हें अपने ग्राहक आधार को मजबूत करने और विकसित करने का अवसर भी प्रदान करता है.
Jio के पीछे-पीछे है Airtel
जबकि Jio हाल ही में संपन्न स्पेक्ट्रम आवंटन के दौरान पांच बैंडों में 24,740 मेगाहर्ट्ज एयरवेव के लिए शीर्ष बोली लगाने वाला था, एयरटेल बहुत पीछे नहीं है. सुनील मित्तल के नेतृत्व वाली टेलीकॉम कंपनी ने 26 गीगाहर्ट्ज और 3.5 गीगाहर्ट्ज फ्रिक्वेंसी के माध्यम से पैन इंडिया फुटप्रिंट सुनिश्चित करके 19,867.8 मेगाहर्ट्ज फ्रिक्वेंसी को खरीदा था.
जैसे ही हम 5G रोलआउट के करीब आते हैं, 5G की अप्रोच के कारण एयरटेल स्पष्ट रूप से आगे है. इसका कारण टेल्को के मौजूदा बुनियादी ढांचे और क्षमताओं या गैर-स्टैंडअलोन (एनएसए) ऑपरेशन का उपयोग.
NSA बनाम SA
जैसा कि नाम से पता चलता है नॉन-स्टैंड-अलोन (NSA) एक 5G सेवा होगी जो 'अकेले' नहीं है, बल्कि मौजूदा 4G नेटवर्क पर बनाई जाएगी जबकि स्टैंडअलोन (एसए) 5जी कोर नेटवर्क पर काम करेगा और उसे मौजूदा 4जी से किसी मदद की जरूरत नहीं होगी. लेकिन एसए इकोसिस्टम को शुरू से विकसित करने की जरूरत है. एयरटेल ने पूरे भारत में अपने 5G को रोल आउट करने के लिए NSA ऑपरेशन के साथ जाने का विकल्प चुना है. यह निर्विवाद रूप से कंपनी को Jio पर बढ़त देगा, जो SA मार्ग लेने का इरादा रखता है.
4G पर 5G शुरू करना ज्यादा बढ़िया तरीका
5G सेवाओं को तेजी से वितरित करने के लिए मौजूदा 4G बुनियादी ढांचे पर भरोसा करना एक अच्छा कदम प्रतीत होता है क्योंकि यह भारत में दूसरे सबसे बड़े टेल्को को अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी Jio की तुलना में बहुत तेजी से रोल आउट करने की अनुमति देता है. बेशक, NSA सभी 5G वाले फोन्स पर काम करेगा, जबकि SA नेटवर्क ज्यादातर नए और फ्लैगशिप स्मार्टफोन पर ही आएगा.
Jio के जरिए लोगों को मिलेगी बढ़िया नेट स्पीड
लेकिन दूसरी तरफ, SA 5G देने के लिए Jio के दृष्टिकोण से बहुत बड़ा फर्क पड़ सकता है क्योंकि यह NSA 5G की तुलना में कहीं बेहतर इंटरनेट स्पीड और आवाज की गुणवत्ता प्रदान करता है.
विश्लेषकों के साथ निवेशकों की कॉल के दौरान, एयरटेल के एमडी और सीईओ गोपाल विट्टल ने स्पष्ट किया कि एनएसए को 5G सर्विस को लॉन्च करने और इसका उपयोग करने के और भी फायदे हैं. अमेरिका और दक्षिण कोरिया का उदाहरण देते हुए जहां एनएसए और एसए दोनों को लॉन्च किया गया है, उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि एसए 5जी का ट्रैफिक 5जी ट्रैफिक के 10 फीसदी से भी कम है.
इसके अलावा, विट्टल का मानना है कि एनएसए 5G के माध्यम से 3.5 गीगाहर्ट्ज तक के सिग्नल्स को कैरी कर सकता है जो 4G शहरी क्षेत्रों में अपलिंक का ख्याल रख सकता है. एयरटेल का मानना है कि अगर आगे कवरेज की आवश्यकता है तो सब-गीगाहर्ट्ज की 850 या 900 लेयर इसको बढ़ा सकती है.
विट्टल ने कहा कि एनएसए का अनुभव बहुत मायने रखता है क्योंकि यह वॉयस पर तेज कॉल कनेक्ट समय की अनुमति देगा और एयरटेल के प्रतिस्पर्धियों की तुलना में तेज अपलिंक प्रदान करेगा. मिड-बैंड में एयरटेल को महंगे 700 मेगाहर्ट्ज की जरूरत नहीं है जिसे जियो ने हासिल किया है.
700 मेगाहर्ट्ज की लड़ाई
पिछली दो नीलामियों (2016 और 2021) में, 700 मेगाहर्ट्ज बैंड ने किसी भी ग्राहक को आकर्षित नहीं किया. लेकिन यह सब 2022 में 5G के आने के साथ बदल गया. महंगे बैंड पर सभी की नजर थी, लेकिन अंततः Jio ने हासिल कर लिया, जिसने 700 मेगाहर्ट्ज बैंड पैन-इंडिया (मीडिया रिपोर्टों के अनुसार) का अधिग्रहण करने के लिए 39,270 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
अपनी झोली में कम आवृत्ति वाले बैंड के साथ, Jio ने कुछ अमूल्य - बेहतर इनडोर नेटवर्क कवरेज सुनिश्चित किया है क्योंकि यह दीवारों के बीच भी अच्छी तरह से चलता है. 700 मेगाहर्ट्ज वायरलेस ऐप्लीकेशन के लिए अत्यधिक अनुकूल है और लंबी दूरी (7-10 किमी) को कवर करता है और टेस्टिंग में 300 एमबीपीएस तक की गति दर्ज की है. यह बैंड कम शक्ति पर काम करता है जो मुंबई, कोलकाता और दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहरों के लिए आदर्श है.
जबकि 26 गीगाहर्ट्ज जैसे उच्च बैंड 1 जीबीपीएस तक की गति देने का वादा करते हैं, उनका कवरेज संदिग्ध है और यहां तक कि बड़े भवनों के रास्ते में आने पर भी व्यवधान का खतरा है। ऐसे परिदृश्य में Jio का 700 MHz दांव मुनाफे के मामले में भी सबसे अच्छा विकल्प है।
गांवों में तुरुप का इक्का साबित होगा 700 मेगाहर्ट्ज बैंड
लेकिन 700 मेगाहर्ट्ज बैंड सिर्फ टियर-1 शहरों के बारे में नहीं है. यह ग्रामीण इलाकों में भी जियो के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकता है। क्यों? यह आसान है, कम फ़्रीक्वेंसी बैंड की लंबी दूरी पर कम कीमत पर 5G स्पीड के साथ कवरेज इसे उन लोगों के बीच पसंदीदा बना सकता है जो शहरों की हलचल से दूर हैं. उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि Jio अपने 700 मेगाहर्ट्ज प्रभुत्व के आधार पर ग्राहक बाजार हिस्सेदारी में 3-5 फीसदी की बढ़त हासिल कर सकता है.
एयरटेल और वीआई के लिए भविष्य की नीलामी में 700 मेगाहर्ट्ज का इस्तेमाल करना समझदारी होगी, लेकिन एयरटेल ने बार-बार कहा है कि वह कम फ्रीक्वेंसी वाले बैंड को टारगेट नहीं करेगा.
जियो की बढ़ जाएगी पहुंच
SA 5G (जो निश्चित रूप से भविष्य है) पर Jio का आग्रह लंबे समय में कंपनी को 5G में एक समग्र बढ़त देने के लिए बाध्य है. एयरटेल को अंततः अपने एसए इकोसिस्टम के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ना होगा क्योंकि अधिक गति और कम विलंबता अनिवार्य रूप से मांग में होगी.
आरआईएल एजीएम 2022 के दौरान, मुकेश अंबानी ने कहा, "Jio 5G के साथ, हम हर एक, हर जगह और हर चीज को उच्चतम गुणवत्ता और सबसे किफायती डेटा से जोड़ेंगे. भारत की जरूरतों को पूरा करने के अलावा, हम वैश्विक बाजारों के लिए डिजिटल समाधान पेशकश करने के लिए आश्वस्त हैं.”
5जी स्मार्टफोन
GSMA इंटेलिजेंस की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 5G स्मार्टफोन की संख्या लगातार बढ़ रही है. जून 2022 में लगभग 50 मिलियन 5G स्मार्टफोन थे और वर्ष के अंत तक अन्य 20-30 मिलियन की उम्मीद है. 5G के उपभोक्ता की पसंद बनने के साथ यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है.
जबकि 5G का समर्थन करने वाले स्मार्टफोन अपनी वर्तमान क्षमता में NSA में टैप कर सकते हैं, SA 5G को बहुत कम स्मार्टफोन द्वारा समर्थित किया जाएगा। लेकिन इस अंतर को फोन निर्माता के एक सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए दूर किया जा सकता है. SA के समर्थन के बिना 5G स्मार्टफोन OTA अपडेट प्राप्त करने पर ऐसा करने में सक्षम होंगे.
अखिल भारतीय 5G नेटवर्क के लिए Jio की 2 लाख करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता और इस सेगमेंट में एयरटेल की अगुवाई करने की महत्वाकांक्षा एक दिलचस्प हलचल पैदा करेगी. दोनों कंपनियां 2023 के अंत तक भारत के हर कोने में 5G पहुंचाने की होड़ में हैं.
VIDEO: आ गई देश की सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार
मेटा (Meta) ने अपने यूजर्स के लिए एडवांस जनरेटिव एआई (AI) फीचर्स पेश किए हैं. इससे सोशल मीडिया पर एडवाइजमेंट देने वाले यूजर्स का काम बहुत आसान हो जाएगा.
मेटा (Meta) ने अपने यूजर्स के लिए एडवांस जनरेटिव एआई (AI) फीचर्स पेश किए हैं. ये नए फीचर्स विज्ञापनदाताओं (Advertisers) के लिए आए हैं. जानकारी के अनुसार जनरेटिव एआई फीचर्स के साथ एडवर्टाइजर क्रिएटिव वेरिएशन के साथ अपनी परफोर्मेंस को बेहतर बना सकते हैं. वहीं, मेटा वेरिफाइ्ड के साथ यूजर्स एड क्रिएशन प्रॉसेस को बहुत हद तक ऑटोमैटिक बना सकते हैं. तो चलिए जानते हैं इन नए फीचर्स क्या हैं और इनमें क्या खास है?
एडवर्टाइर्स का काम होगा आसान
मेटा ने अपने यूजर्स के लिए एडवांस जनरेटिव एआई फीचर्स पेश किए हैं. इनमें यूजर्स को इमेज (Image) और टेक्स्ट जनरेशन (Text Generation) की सुविधा दी गई है. ये फीचर्स एडवर्टाइजर्स के लिए पेश किए गए हैं, ताकि वे अपने काम को बेहतर बना कर अपना बिजनेस ग्रो कर सकें. कंपनी का कहना है कि जनरेटिव एआई फीचर्स के साथ एडवर्टाइजर क्रिएटिव वेरिएशन के साथ अपनी परफोर्मेंस को बेहतर बना सकते हैं. मेटा वेरिफाइ्ड के साथ यूजर्स एड क्रिएशन प्रॉसेस को बहुत हद तक ऑटोमैटिक बना सकते हैं.
एड बनाने के लिए ऐसे होगा फीचर्स का इस्तेमाल
यूजर्स मेटा के जनरेटिव एआई टूल्स का इस्तेमाल कर इमेज की कई वेरिएशन क्रिएट कर सकते हैं. इसके अलावा, इन इमेज के ऊपर यूजर टेक्स्ट को भी ऐड कर सकते हैं. यूजर को इसके साथ अलग-अलग बैकग्राउंट की सुविधा भी मिल रही है. अलग-अलग सेटिंग को सूट करने के लिए यूजर इमेज एलिमेंट को एडजस्ट कर सकता है. उदाहरण के लिए एक टी ब्रैंड अपने प्रोडक्ट को अलग-अलग एनवायरमेंट के साथ शोकेस कर सकता है. ब्रैंड के पास बैकग्राउंड के लिए खेतों से लेकर वाइब्रेंट रेस्तरां का ऑप्शन होगा.
टेक्स्ट प्रॉम्प्ट जोड़ने की भी तैयारी
इस इमेज के साथ यूजर पॉपुलर फॉन्ट्स के साथ खुद का टेक्स्ट लिख सकता है और इन इमेज को इंस्टाग्राम और फेसबुक प्लेटफॉर्म के लिए एक खास साइज में तैयार कर सकता है. बता दें, इमेज जनेरेशन फीचर को फिलहाल रोलआउट किया जा रहा है. बहुत जल्द इसमें बेहतर कस्टमाइजेशन के लिए टेक्स्ट प्रॉम्प्ट को जोड़ा जाएगा.
Google Play Store ने सरकारी ऐप्स की पहचान के लिए गवर्मेंट बैज लॉन्च किया है.
सरकारी ऐप्स के जरिए अब हमारे बहुत से काम आसान हो गए हैं. ऐसी कई सुविधाएं हैं, जो हमें घर बैठे ही ऑनलाइन ऐप्स के जरिये मिल जाती हैं, लेकिन कई बार गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store) से हम फर्जी ऐप भी डाउनलोड कर लेते हैं, जिनके चक्कर में कई बार नुकसान भी उठाना पड़ जाता है. ऐसे में अब सरकारी ऐप्स की पहचान के लिए गूगल ने एक पहल करते हुए बैज लॉन्च किया है.
फर्जी ऐप्स के जरिए हो रहे ऑनलाइन फ्रॉड
गूगल ऐप्स के जरिए होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए समय-समय पर कदम उठाता रहता है. जिसमें गूगल अपने प्ले स्टोर से फर्जी ऐप्स को भी डिलीट कर देता है. वहीं, ऑनलाइन फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कई ऑनलाइन फ्रॉड ऐप्स के जरिए भी हो रहे हैं. भारत में इन फर्जी ऐप्स पर रोक लगाने के लिए गूगल ने अब सरकारी ऐप्स के लिए एक बैज लॉन्च किया है, जिनसे सरकारी ऐप्स की पहचान होगी.
इन ऐप्स पर होगा गर्वमेंट बैज
अब गूगल प्ले स्टोर पर सरकारी एप्स के सामने गवर्नमेंट नामक बैज दिखाई देगा, जिससे यूजर्स ऐप की पहचान कर सकें. कंपनी के अनुसार इस नए गर्वमेंट बैज के तहत भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, इंडोनेशिया, मैक्सिको जैसे देशों के 2000 ऐप्स शामिल किए गए हैं. भारत में भी वोटर हेल्पलाइन, डिजिलॉकर, एम आधार, एपरिवहन जैसे ऐप इन बैज के तहत दिखाई देंगे.
कैसा दिख रहा बैज
अगर आप गूगल प्ले स्टोर से कोई सरकारी ऐप इंस्टॉल करते हैं, तो आपके सामने प्ले वेरिफाइड दैट दिस ऐप इज एफिलियेटेड विद अ गवर्मेंट एनटिटी (Play verified that this app is affiliated with a government entity) यानी ये ऐप सरकारी है और इसे आप इंस्टॉल कर सकते हैं. अगर ऐसा मार्क नहीं आ रहा है तो समझ लें कि ऐप फर्जी है.
स्कैम और फ्रॉड पर लगेगी लगाम
ऐसा करने के पीछे गूगल का मकसद स्कैम और फ्रॉड पर लगाम लगाना है. गूगल का मानना है कि इससे यूजर्स फर्जी ऐप्स को सरकारी ऐप्स के नाम पर इंस्टॉल नहीं कर पाएंगे. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि गूगल ने ये सुविधा कई अन्य देशों में भी शुरू की है. करीब 2000 से अधिक सरकारी ऐप्स पर ऐसा मार्क दिखाया जाएगा.
आरबीआई (RBI) ने साल 2022 में ई-रुपी (e-RUPEE) जारी की थी. अब आरबीआई पायलट प्रोजेक्ट चलाकर इसके ‘ऑफलाइन’ लेन-देन को बढ़ावा दे रहा है.
देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी आगे बढ़कर काम रह रहा है. इसी कड़ी में आरबीआई ने साल 2022 में ई-रुपी (e-RUPEE) जारी की थी. ई-रुपी के जारी होने के बाद से ही देश में उसकी सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर लोगों की चिंता बढ़ी हुई है. ऐसे में अब आरबीआई ई-रुपी के ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड को गोपनीय बनाने के लिए काम कर रहा है.
क्या है e-RUPI?
ई-रुपी एक तरह की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) है. इसे सॉवरेन बैंक करेंसी भी कहते हैं. साल 2022 में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) का इस्तेमाल करके ई-रुपी (e-RUPI) को लॉन्च किया गया था. यह करेंसी आरबीआई (RBI) के बैलेंस शीट में लायबिलिटी के तौर पर शो होती है. जिस तरह नकदी के जरिये पेमेंट किया जाता है, ठीक उसी प्रकार हम ई-रुपी के जरिये ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं. यहां तक कि हम सैलरी भी ई-रुपी में ले सकते हैं. इसके अलावा ई-वॉलेट में ई-रुपी भी रख सकते हैं.
आरबीआई चला रहा पायलट प्रोजेक्ट
ई-रुपी (e-Rupee) या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई पायलट प्रोग्राम भी चला रहा है. ई-रुपी की पहुंच में विस्तार लाने के लिए आरबीआई ने हाल ही में पायलट प्रोग्राम में गैर-बैंकों की भागीदारी की घोषणा की. आरबीआई ने डिजिटल भुगतान लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए एक नया ढांचा लाने और आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अतिरिक्त मानदंड तैयार करने का फैसला किया है.
इसे लेकर बढ़ी हुई है चिंता
ई-रुपी के लॉन्च के समय से ही इसकी गोपनीयता सबसे बड़ी चिंता बनी हुई थी. कुछ लोगों का कहना था कि ई-रुपी के जरिये जो लेनदेन होता है, उसका रिकॉर्ड तैयार हो जाता है. ऐसे में रिकॉर्ड के चोरी होने का खतरा बना रहता है. कागजी मुद्रा में इस तरह का खतरा नहीं होता है क्योंकि इसमें लेनदेन की जानकारी पूरी तरह से गोपनीय होती है. उधर, आरबीआई देश में कागजी मुद्रा की तरह ही ई-रुपी को लेन-देन का जरिया बनाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है.
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ऐसा दूर होगी ई-रुपी से जुड़ी चिंता
1. आरबीआई के अधिकारी ई-रुपी के ऑफलाइन ट्रांजेक्शन की समस्या के समाधान पर काम कर रहे हैं. आरबीआई का कहना है ई रुपी से जुड़ी हर समस्या को तकनीक के माध्यम से दूर किया जा सकता है.
2. सीबीडीसी को ऑफलाइन ट्रांसफर के लिए प्रोग्रामेबिलिटी फीचर लाने पर काम किया जा रहा है. प्रोग्रामेबिलिटी फीचर का उद्देश्य खराब इंटरनेट या फिर सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी क्षेत्र में भी पूर्ण रूप से ई-रुपी के जरिये ट्रांजेक्शन करना है.
3. आरबीआई यूपीआई के साथ सीबीडीसी की इंटरऑपरेबिलिटी को भी सक्षम करने के लिए काम कर रही है.
4. भारत ने सीबीडीसी को गैर-लाभकारी बना दिया है. इसके लिए बैंक मध्यस्थता के किसी भी संभावित जोखिम को कम करने के लिए इसे ब्याज रहित बनाते हैं. आरबीआई सीबीडीसी बनाता है और बैंक इसे लोगों को वितरित करते हैं.
5. आरबीआई ई-रुपी के ट्रांजेक्शन डेटा चोरी ना हो इस पर भी तेजी से काम कर रहा है.
गूगल ओपिनियन रिवॉर्ड्स (Google Opinion Rewards) ऐप आपको ऑनलाइन शॉपिंग के लिए रिवॉर्ड देता है.
अगर आप भी गूगल से पैसे कमाना चाहते हैं और फ्री ऑनलाइन शॉपिंग का आनंद लेना चाहते हैं, तो ये खबर आपके बहुत काम आएगी. दरअसल ‘गूगल ओपिनियन रिवॉर्ड्स’ (Google Opinion Rewards) गूगल का एक ऐसा ऐप है, जिसमें आप कुछ आसान से सवालों का जवाब देकर पैसे कमा सकते हैं. तो चलिए जानते हैं कैसे?
गूगल पूछेगा सवाल
वैसे तो आजकल किसी को भी राय देना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है, लेकिन गूगल आपकी राय को अहमियत भी देगा और उसके बदले आपको रिवॉर्ड भी मिलेगा. गूगल ओपिनियन रिवॉर्ड सर्वे में आप से कुछ सवाल पूछे जाते हैं. इसमें आपको 4 ऑप्शन भी मिलते हैं, जिसमें से आपको एक ऑप्शन सलेक्ट करना होगा. सर्वे पूरा होने के बाद आपको गूगल रिवॉर्ड देता है.
ऐसे मिलेगा रिवॉर्ड
1. रिवॉर्ड लेने के लिए सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर या एपल ऐप स्टोर पर जाएं.
2. अब GOOGLE OPINION REWARDS ऐप डाउनलोड करें और फिर इसे इंस्टॉल कर लें.
3. अब यहां पर साइन अप करें, इसके बाद अपनी बेसिक डिटेल्स भरें जैसे अपना नाम, उम्र, कंट्री आपकी और जेंडर आदि जानकारी दें.
4. पूछी गई सभी डिटेल्स देकर सबमिट कर दें. इसके बाद यहां पर आपको सर्वे पेज शो होगा. इसमें आपसे सवाल पूछे जाएंगे, जैसे आपको कौन-सी आईस्क्रीम पसंद हैं, इसके जवाब के लिए आपको 4 ऑप्शन में से एक सलेक्ट करना होगा. इस सर्वे को आप जब भी पूरा करेंगे आपको कुछ ना कुछ रिवॉर्ड जरूर मिलेगा.
यहां खर्च कर सकते हैं रिवॉर्ड मनी
गूगल के ये सर्वे 5-6 दिन में आते रहते हैं. इन रिवॉर्ड्स का इस्तेमाल आप किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स- अमेजन (Amazon), नेटफ्लिक्स (Netflix) और हॉटस्टार (Hotstar) आदि का सब्सक्रिप्शन लेने के लिए सकते हैं. इसके अलावा आप ऑनलाइन किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से शॉपिंग भी कर सकते हैं.
नोट- हम इस ऐप को कमाई का जरिया बनाने की सलाह नहीं दे रहे हैं. आप इसे फन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. वैसे तो सर्वे पूरा होने पर हर बार रिवॉर्ड मिलता है. लेकिन कई बार नहीं भी मिलता है जिसके बहुत कम चांस होते हैं. अगर आपको रिवॉर्ड नहीं मिला तो आप सर्वे में दोबारा ट्राई कर सकते हैं और पैसे कमा सकते हैं.
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इस साल अगस्त में BSNL अपनी 4ंG सर्विस शुरू करने जा रहा है. इसी के साथ बीएसएनएल पूरे भारत में 4जी और 5जी सेवाओं के लिए 1.12 लाख टावर भी इंस्टॉल करेगी.
भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के यूजर्स के लिए एक अच्छी खबर आई है. इस साल अगस्त तक देशभर में BSNL अपनी 4G सर्विस को शुरू करने जा रहा है. बीएसएनएल की 4G सर्विस का इंतजार यूजर्स काफी समय से रहे हैं, क्योंकि देश में 5जी सर्विस तक आ चुकी है, ऐसे में अब उनका इंतजार खत्म होने जा रहा है. हालांकि अभी बीएसएनएल ने अभी अधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की है.
स्वदेश होगी तकनीक
सूत्रों से पता चला है कि बीएसएनएल ने 4जी सर्विस के लिए आत्मनिर्भर नीति के अनुरूप पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया है. 4जी नेटवर्क पर 40-45 मेगाबिट की स्पीड मिलेगी. वहीं, बीएसएनएल की 4जी सर्विस 700 मेगाहर्ट्ज (मेगाहर्ट्ज) के प्रीमियम स्पेक्ट्रम बैंड लॉन्च होगी जिसे पायलट प्रोजेक्ट के दौरान इसे 2,100 मेगाहर्ट्ज बैंड तक ले जाया जाएगा.
पिछले साल पंजाब में शुरू हुई थी 4G Service
पिछले साल कंपनी ने आईटी कंपनी टीसीएस (TCS) और राज्य संचालित दूरसंचार अनुसंधान संगठन C-DoT-led वाले कंसोर्टियम की मदद से पंजाब में 4जी सेवाएं शुरू की हैं और लगभग 8 लाख ग्राहकों को अपने साथ जोड़ा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सी-डॉट के जरिये शुरू हुई बीएसएनएल नेटवर्क 4जी सर्विस पूरे पंजाब में सुचारू रूप से काम कर रही है. इसे पिछले साल साल जुलाई में स्थापित किया गया था. अब ये सर्विस पूरे देश में शुरू होगी.
10 महीने में स्थिर हुई 4जी सर्विस
एक्सपर्ट्स के अनुसार इस जटिल तकनीक की सफलता साबित करने में 12 महीने लगते हैं लेकिन सी-डॉट कोर 10 महीने के भीतर स्थिर हो गया है. इस साल अगस्त तक बीएसएनएल पूरे देश में आत्मनिर्भर 4जी तकनीक लॉन्च करेगा. यह पूरा कोर नेटवर्क हार्डवेयर, डिवाइस और सॉफ्टवेयर का एक संग्रह है जो दूरसंचार नेटवर्क में मौलिक सर्विस देता है.
19 करोड़ रुपये का ऑर्डर
टीसीएस, तेजस नेटवर्क और सरकारी स्वामित्व वाली आईटीआई को 4जी नेटवर्क तैनात करने के लिए बीएसएनएल से लगभग 19,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है. इस नेटवर्क को आगे चलकर 5जी सर्विस में अपग्रेड किया जा सकता है.
नेटवर्क किए जा रहे स्थापित
बीएसएनएल का मोबाइल नेटवर्क विभिन्न क्षेत्रों में तैनात किया जा रहा है. जहां भी बीएसएनएल नेटवर्क पर सी-डॉट कोर उपलब्ध नहीं है, वहां उपकरण को मौजूदा कोर में एकीकृत किया जा रहा है. जब सी-डॉट कोर उन सर्किलों में तैनात हो जाता है, तो उन क्षेत्रों में वे सी-डॉट कोर यानी तेजस नेटवर्क लिमिटेड से भी जुड़ जाएंगे.
1.12 लाख टावर होंगे इंस्टाल
बीएसएनएल पूरे भारत में 4जी और 5जी सेवाओं के लिए 1.12 लाख टावर इंस्टॉल करेगी. कंपनी ने देश भर में 4जी सेवा के लिए 9,000 से अधिक टावर इंस्टॉल किए हैं, जिनमें से 6,000 से अधिक पंजाब, हिमाचल प्रदेश, यूपी पश्चिम और हरियाणा सर्कल में सक्रिय हैं. बीएसएनएल पिछले 4-5 वर्षों से केवल 4जी सक्षम सिम बेच रहा है. ऐसे में अब केवल उन्हीं ग्राहकों को सेवा का अनुभव लेने के लिए नई सिम लेनी होगी जिनके पास इससे पुराना सिम है
एक्स (x) के सीईओ एलन मस्क एलन मस्क (Elon Musk) ने एक्स पर फर्जी फोटो की पहचान करने वाले एक एक नया अपडेट की जानकारी शेयर की है. ये अपडेट जल्द ही लॉन्च किया जाएगा.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के आने के बाद सोशल मीडिया पर लगातार डीपफेक के मामले बढ़ते जा रहे हैं. कभी किसी सेलिब्रिटी, तो कभी किसी नेता की डीपफेक फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. ऐसे में अब एक्स (x) के सीईओ एलन मस्क एलन मस्क ने इस डीपफेक से बचने के लिए एक्स (X) पर नए अपडेट को लॉन्च करने की घोषणा की है. तो चलिए जानते हैं क्या है ये नया अपडेट और इससे डीपफेक पर कैसे रोक लगेगी.
फर्जी फोटो की होगी पहचान
टेस्ला और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (x) के सीईओ एलन मस्क एलन मस्क (Elon Musk) ने शनिवार को एक्स (X) पर Community Notes की एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें ‘इम्प्रूव्ड इमेज मैचिंग’ को लेकर एक नया अपडेट लॉन्च करने की घोषणा की है. ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डीपफेक (DeepFake) के साथ-साथ शैलोफेक (shallow fake) की भी निगरानी करेगा. एलन मस्क ने एक पोस्ट में कहा, हमने अभी अपडेट जारी किया है, जो किसी भी फर्जी फोटो की पहचान करेगा.
This should make a big difference in defeating deepfakes (and shallowfakes) https://t.co/rQ8mtBB9qr
— Elon Musk (@elonmusk) May 3, 2024
डीपफेक को हराने में मिलेगी मदद
मस्क ने कहा कि इस कदम से डीपफेक और शैलोफेक को हराने में मदद मिलेगी. शैलोफेक्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद के बिना तैयार की गई फोटोज, वीडियो और वॉयस क्लिप हैं और व्यापक रूप से उपलब्ध एडिटिंग और सॉफ्टवेयर टूल का इस्तेमाल करते हैं. इमेज पर एक्स नोट्स ऑटोमैटिक तरीके से उन पोस्ट्स पर दिखाई देते हैं, जिनमें इमेज मिलती है. कंपनी ने कहा, ‘इन नोट्स का दर्जनों, सैकड़ों और कभी-कभी हजारों पोस्ट पर मैच होना आम बात है. अब आप सीधे नोट डिटेल्स में देख सकते हैं कि इमेज नोट कितने पोस्ट से मिलते है.
डार्क वेब (Dark Web) इंटरनेट की एक ऐसी काली दुनिया है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है.
हम अक्सर सुनते हैं कि यूजर्स का डेटा लीक हो गया है या फिर बेचा जा रहा है. आपके पास भी जब कोई फर्जी कॉल आता होगा, तो आप ये जरूर सोचते होंगे, कि आपका नंबर और पर्सनल जानकारी किसी दूसरे के पास कैसे पहुंची? आपको बता दें, इसका एक कारण डार्क वेब (Dark Web) है, क्योंकि इसमें आपकी संवेदनशील जानकारी होती है. क्या आप जानते हैं कि डार्क वेब पर ये डेटा लीक कैसे होता है और किस तरह आप अपनी पर्सनल जानकारी लीक होने से बचा सकते है? अगर नहीं, तो चलिए आपको इसके बारे में पूरी जानकारे देते हैं.
डार्क वेब के जरिए बनते हैं ठगी का शिकार
आजकल साइबर जालसाज डार्क वेब पर उपलब्ध डाटा का उपयोग करके लोगों से ठगी करने लगे हैं. डार्क वेब इंटरनेट की एक ऐसी काली दुनिया है जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है. डीप वेब को एक्सेस करने के लिए हमें ई-मेल, नेट बैंकिंग आदि पर्सनल जानकारी देनी होती है. वहीं, डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर (Tor Browser) का इस्तेमाल किया जाता है. डार्क वेब पर ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाईल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें मिलती हैं. इंटरनेट का 96 प्रतिशत हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है. हम इंटरनेट कंटेंट के केवल 4 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल करते है जिसे सरफेस वेब कहा जाता है. डार्क वेब को सर्च इंजन से सीधे नहीं एक्सेस किया जा सकता. इसे एक्सेस करने के लिए किसी विशेष सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है.
ऐसे जानें डार्क वेब पर आपका डेटा है या नहीं?
1. आपको सबसे पहले आपको गूगल वन (Google One) ऐप इंस्टॉल करना है. कुछ स्मार्टफोन्स में ये ऐप पहले से ही प्री-इंस्टॉल्ड भी होता है.
2. दूसरे स्टेप में ऐप को ओपन करें और होम पेज पर दिख रहे डार्क वेब रिपोर्ट पर क्लिक करें.
3. अब 'रन स्कैन' पर टैप करें और स्कैन पूरा होने तक प्रतीक्षा करें. इसमें आमतौर पर लगभग 30 सेकंड लगते हैं.
4. एक बार स्कैनिंग पूरी हो जाए तो व्यू ऑल रिजल्ट्स पर टैप करना है.
5. यहां आप पता कर पाएंगे कि इंटरनेट की काली दुनिया यानी डार्क वेब पर आपका डेटा लीक हुआ है या नहीं.
डेटा लीक होने के संकेत
हम इंटरनेट पर मौजूद अधिकतर चीजों के एक्सेस के लिए अपनी ईमेल और मोबाइल नंबर जैसी जानकारी साइट्स पर डालते हैं और कुछ ऐसी साइट्स होती हैं, जो डेटा को स्कैमर्स को बेच देती हैं, स्कैमर्स इसको डार्क वेब पर पेज देते हैं, जिसके बाद आपके फर्जी कॉल आना शुरू हो जाते हैं. यही संकेत है कि आपका डेटा भी लीक हो गया है.
डेटा लीक होने से कैसे बचाएं?
अपना डेटा लीक होने से बचाने के लिए अपने सभी ऑनलाइन अकाउंट का पासवर्ड मजबूत सेट करें और समय-समय पर पासवर्ड को बदलते रहें. वहीं, सुरक्षा से लिए अपने अकाउंट पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन एक्टिव रखें. किसी अनजान और संदिग्ध सोर्स से आए लिंक पर क्लिक न करें और किसी फाइल को भी डाउनलोड ना करें. अपने डिवाइस को मालवेयर और हैकर्स से बचाने के लिए विश्वसनीय एंटीवायरस का उपयोग करें.
माइक्रोसॉफ्ट की कंपनी OpenAI मई में होने वाले अपने एक इवेंट में एक बड़ी घोषणा कर सकती है. इससे गूगल को खतरा हो सकता है.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के आने से तकनीकी जगत में लगातार नए बदलाव हो रहे हैं. ऐसे में अब ChatGPT बनाने वाली कंपनी ओपनआई OpenAI भी एक नई घोषणा करने वाली है. जानकारी के अनुसरा कंपनी अब सीधे Google को टक्कर देने की तैयारी कर रही है. तो चलिए जानते हैं ओपनएआई क्या नई घोषणा करने जा रहा है और ये गूगल को कैसे टक्कर देगा?
गूगल सर्च इंजन को मिलेगी टक्कर
जानकारी के अनुसार माइक्रोसॉफ्ट की कंपनी OpenAI अपने नया सर्च इंजन लॉन्च कर सकती है. ये नया सर्च इंजन Google के सर्च इंजन को टक्कर दे सकता है. एक रिपोर्ट में जानकारी सामने आई है कि कंपनी इस महीने यानी मई में ही एक इवेंट की योजना बना रही है, जिसमें कुछ नई घोषणाएं की जा सकती है. सूत्रों के अनुसार ये इवेंट 9 मई को हो सकता है, जिसमें ओपनएआई अपने नए सर्च इंजन की घोषणा कर सकता है. आपको बता दें, सर्च इंजन के मामले में अब तक दुनियाभर में गूगल का वर्चस्व है लेकिन अब इसका तगड़ा कम्पीटिटर आने वाला है.
इवेंट से पहले हुई कई भर्तियां
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ओपनएआई द्वारा जनवरी में इन-हाउस इवेंट स्टाफ और इवेंट मार्केटिंग के लिए जोर शोर से भर्तियां की गई और पिछले महीने ही कंपनी ने एक इवेंट मैनेजर को भी नियुक्त किया है. ऐसे में इस इवेंट में ओपनएआई अपने अगले बड़े प्रोजेक्ट का अनावरण कर सकता है. वहीं, अटकलें ये लगाई जा रही हैं कि इस इवेंट में ओपनएआई अपने नए सर्च इंजन की घोषणा कर सकता है. ओपनएआई का संभावित सर्च ऐप माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला की पिछले साल ओपनएआई के GPT मॉडल को बिंग में इंटीग्रेट करके मेक गूगल डांस की घोषणा का रिजल्ट हो सकता है.
माइक्रोसॉफ्ट बिंग पर काम कर सकता है OpenAI Search
जानकारी के अनुसार OpenAI एक वेब सर्च प्रोडक्ट डेवलप कर रहा है, जो संभावित रूप से Google के साथ अपनी प्रतिस्पर्धा को बढ़ा रहा है. यह सर्विस कुछ हद तक माइक्रोसॉफ्ट बिंग (microsoft bing) के बुनियादी ढांचे का लाभ उठा सकती है. लेक्स फ्रिडमैन के साथ हाल ही में पॉडकास्ट में, ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने सर्च में लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) की क्षमता को स्वीकार किया. उन्होंने कहा था कि एलएलएम और सर्च का सही मेल अभी तक हासिल नहीं हुआ है और उन्हें इस चुनौती से निपटना अच्छा लगेगा, यह रोमांचक होगा. हालांकि, ऑल्टमैन ने केवल गूगल सर्च की नकल करने से बचने की OpenAI की इच्छा पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि उन्हें वर्तमान मॉडल उबाऊ लगता है. सवाल ‘बेहतर’ गूगल सर्च को बनाने के बारे में नहीं होना चाहिए.
RBI की हालिया रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में भारत में 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बैंक धोखाधड़ी दर्ज की गई है. इसमें लोगों को लाखों, करोड़ों रुपये का चूना लग चुका है.
इस डिजिटल युग में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ता जा रहा है. साथ ही साइबर क्राइम के नए नए तरीके भी सामने आ रहे हैं. आपको बता दें, अब साइबर अपराधियों ने लोगों के साथ ठगी करने का एक और नया तरीका निकाल लिया है. इस नए तरीको को डिजिटल हाउस अरेस्ट कहते हैं. इसमें ठग पुलिस, सीबीआई, कस्टम अधिकारी बनकर लोगों को डराते हैं और उनका बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं. हाल ही में ऐसे कुछ मामले सामने भी आए हैं, तो चलिए आपको कुछ उदाहरण के साथ समझाचे हैं ये डिजिटल हाउस अरेस्ट क्या है और आप इसका शिकार होने से कैसे बच सकते हैं?
ऐसे किया जाता है डिजिटल हाउस अरेस्ट
डिजिटल हाउस अरेस्ट में स्कैमर्स पीड़ित को कॉल या वीडियो कॉल करते हैं और बंधक बना लेते हैं. स्कैमर्स एक ऐसा सेटअप बना लेते हैं, जिसमें लगता है कि वे पुलिस स्टेशन से बात कर रहे हैं. साइबर अपराधी पीड़ित को कॉल करके कहते हैं कि आपके फोन नंबर, आधार, बैंक अकाउंट से गलत काम हुए हैं. वे गिरफ्तारी का डर दिखाकर पीड़ित को घर पर ही कैद कर लते हैं और उन्हें पैसे देने के लिए मजबूर कर देते हैं.
प्रयागराज में महिला को ठगा
उहादरण मामले को उदाहरण के साथ समझें, हाल ही में प्रयागराज में डिजिटल हाउस अरेस्ट का मामला सामने आया था, जिसमें स्कैमर्स ने एक महिला को घर पर ही बंधक बनाकर 1 करोड़ 48 लाख रुपये ठग लिए. जानकारी के अनुसार प्रयागराज की एक महिला को ठग ने इंटरनेशनल कोरियर कंपनी का कर्मचारी बनकर कॉल किया. उसने महिला को बताया कि उनके नाम से ड्रग्स, लैपटॉप और क्रेडिट कार्ड वाला एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा है. महिला ने जब इस तरह के किसी भी पार्सल की जनकारी न होने की बात कही तो उन्होंने बताया कि वे इसकी शिकायत दर्ज करवा रहे हैं. इसके बाद महिला के पास एक वीडियो कॉल आता है, जिसका बैकग्राउंड किसी पुलिस स्टेशन का था. पुलिस की यूनिफॉर्म में एक व्यक्ति ने वीडियो कॉल पर महिला को करीब 3 दिन तक बंधक बनाकर रखा और डरा-धमकाकर 1 करोड़ 48 लाख रुपये अलग-अलग खातों में जमा करवा लिए.
ये शिकार होने से बचे
30 दिसंबर 2023 में दिल्ली में भी एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था, तभी उसे एक फोन आया और फोन करने वाले ने अपना नाम लिया और कहा कि वह साइबर क्राइम मुंबई शाखा से बोल रहा है. उसने पीड़ित को बताया कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल कुछ कोरियर पैकेजों में ड्रग्स के परिवहन के लिए किया गया था, जिसे अपराध शाखा ने जब्त कर लिया था. आरोपी ने उससे पूछताछ शुरू कर दी, जिससे पीड़िता के मन में डर बैठ गया. उन्होंने पीड़ित को पूछताछ के दौरान लगभग 8 घंटे तकघर में कैद रखा और उससे एक स्काइप एप्लिकेशन डाउनलोड करने और डेस्कटॉप तक रिमोट एक्सेस करने के लिए कहा. लेकिन पीड़ित ठगों को शिकार नहीं हुआ और उसने पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज कराई. इस तरह आप भी सावधानी बरतेंगे तो इस, अपराध का शिकार होने से बच सकते हैं.
पिछले साल 30 हजार करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी हुई दर्ज
आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में वित्त वर्ष 2023 में 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बैंक धोखाधड़ी दर्ज की गई है. पिछले दशक में भारतीय बैंकों में 65,017 धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए हैं, जिस कारण लोगों को 4.69 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. साइबर अपराधीलोगों को धोखा देने के लिए यूपीआई, क्रेडिट कार्ड, ओटीपी और नौकरी और डिलीवरी स्कैम जैसे अलग अलग घोटालों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनके अलावा डिजिटल हाउस अरेस्ट घोटालेबाजों के लिए नए नया तरीका बनता जा रहा है.
इन बातों का रखें ध्यान
1. किसी भी तरह के साइबर फ्रॉड से बचने के लिए आपको हमेशा सावधान और सतर्क रहना चाहिए. कभी भी अगर आप इस तरह के कॉल रिसीव करते हैं तो सबसे पहले आपको सावधान रहने की जरूरत है. इसके साथ ही ऑनलाइन स्कैम और फ्रॉड के तरीकों की जानकारी रखें. आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार, बैंक या फिर कोई भी जांच एजेंसी कॉल पर आपको डरा या धमका नहीं सकती है. आप कॉल काट कर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा लें.
2. किसी को भी कॉल पर पर्सनल या फाइनेंशियल डिटेल जैसी जानकारी बिलकुल भी शेयर न करें. अगर इस तरह की जानकारी आपको भेजनी भी पड़ी तो पहले उस कॉलर की पहचान जरूरी तौर पर वेरिफाई कर लें.
3. अगर आपको किसी भी तरह से स्कैमर्स की कॉल या मैसेज आते हैं तो इन्हें रिपोर्ट करें. इसके साथ ही अगर आपके बैंक अकाउंट में कुछ भी संदिग्ध अगर आपको लगता हैं तो इसकी भी शिकायत करें. स्कैम कॉल या मैसेज को रिपोर्ट करने के लिए आप सरकारी पोर्टल चक्षु का इस्तेमाल कर सकते हैं.
4. ऑनलाइन स्कैम या डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के लिए आपको अपने सभी अकाउंट (बैंक से लेकर सोशल मीडिया और ईमेल) को सेफ रखना आवश्यक है. अपने सभी पासवर्ड और पिन समय-समय पर अपडेट करते रहें और उन्हें मजूबत बनाने की कोशिश करें. इसके साथ अकाउंट की सेफ्टी के लिए 2-फैक्टर ऑथन्टिकेशन जरूर से इनेबल रखें. अपने सभी डिवाइस को लेटेस्ट सॉफ्टवेयर के साथ अपडेट रखें
YouTube आपके लिए एक नया फीचर लेकर आया है, जिसकी मदद से आप अपना काफी समय बचा सकते हैं.
अगर आप भी घंटो यूट्यूब पर एक्विट रहते हैं, तो ये जानकारी आपके काम की हो सकती है. आपको बता दें, यूट्यूब (YouTube) का लंबे समय तक इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के लिए प्लेटफॉर्म पर एक खास फीचर की सुविधा मिलती है. अगर आपको यूट्यूब पर वीडियो देखते हुए समय का पता ही नहीं चलता, तो परेशान न हों. अगर आप अपना समय बचाना चाहते हैं तो यूट्यूब पर आपके लिए Remind me to take a break, नाम का एक फीचर है. क्या आप जानते हैं ये फीचर आपके कैसे काम आ सकता है? अगर नहीं, तो चलिए आज आपको इसकी पूरी जानकारी देते हैं.
क्या है YouTube Remind me to take a break feature?
यूट्यूब के रिमाइंड मी टू टेक अ ब्रेक फीचर (YouTube Remind me to take a break feature) के साथ वे यूजर जो अपना ज्यादातर समय प्लेटफॉर्म पर बिताते हैं, उन्हें लाइफ और टेक के बीच बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है.
क्यों जरूरी है इस फीचर का इस्तेमाल?
बहुत देर तक स्क्रीन पर एक्टिव रहने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है. यूट्यूब पर घंटों बिताना आपके माइंड को बिजी रखता है. ऐसे में दिनभर के दूसरे कामों के बाद थकान मिटाने के लिए कुछ समय के लिए तो यह ऐप काम का है, लेकिन ज्यादा समय बिताना आंखों को थका सकता है. आपके सिर में दर्द की समस्या भी पैदा हो सकती है. यही वजह है कि इस तरह के फीचर के साथ यूजर को स्क्रीन से हटने यानी ब्रेक लेने का रिमांडर मिलता है.
कैसे काम करता है ये फीचर?
इस फीचर में आप अपनी सुविधा के अनुसार एक टाइमर सेट कर सकते हैं. इसमें 5 मिनट से लेकर 23 घंटों तक का टाइम सेट किया जा सकता है. टाइम सेट करने के बाद यह सेट टाइम के अनुसार ये यूजर को ब्रेक लेने के लिए रिमांडर भेजता है.
ऐसे करें इस्तेमाल
1.सबसे पहले फोन में यूट्यूब ऐप ओपन करना होगा.
2. अब टॉप राइट कॉर्नर पर प्रोफाइल आइकन पर टैप करना होगा.
3. अब टॉप राइट कॉर्नर पर सेटिंग आइकन पर टैप करना होगा.
4. अब लिस्ट से General पर टैप करना होगा.
5. अब Remind me to take a break feature पर टैप करना होगा.
6. टाइमर सेट कर रिमाइंडर अपने आप ऑन हो जाता है.