Twitter के वीडियो भी कर सकेंगे डाउनलोड, यह हैं स्टेप-बाई-स्टेप प्रोसेस

ट्विटर के नए वीडियो फीचर ने हाल ही में काफी ध्यान खींचा है. यूजर्स इन वीडियो को खूब शेयर करना चाहेंगे.

Last Modified:
Monday, 31 October, 2022
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नई दिल्लीः ट्विटर के नए वीडियो फीचर ने हाल ही में काफी ध्यान खींचा है. यूजर्स इन वीडियो को खूब शेयर करना चाहेंगे. हालांकि पहले यह फीचर मौजूद नहीं था. लेकिन अब थर्ड पार्टी ऐप्स की मदद से ऐसा Andriod और iOS प्लेटफॉर्म पर किया जा सकता है.

इसमें आप सोशल मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर वीडियो को भी अपने फोन में डाउनलोड कर सकेंगे. कोई भी ट्विटर ऐप या यहां तक ​​कि डेस्कटॉप साइट पर वीडियो डाउनलोड नहीं किए जा सकते हैं लेकिन जैसा कि हर चीज में होता है, इसके उपाय भी हैं. थर्ड-पार्टी ऐप्स के इस्तेमाल से यूजर्स ट्विटर वीडियो को अपने डिवाइस में सेव कर सकते हैं. 

एंड्रॉइड डिवाइस पर ट्विटर वीडियो कैसे डाउनलोड करें:

  • स्टेप 1. ट्वीलोड ऐप डाउनलोड करें.
  • स्टेप 2. जिस वीडियो को आप शेयर करना चाहते हैं, उस ट्वीट को ढूंढें, शेयर आइकन दबाएं और 'लिंक कॉपी करें' पर टैप करें.
  • स्टेप 3. लिंक को कॉपी करने के बाद, Tweeload खोलें और URL को स्क्रीन के शीर्ष पर टेक्स्ट फील्ड में पेस्ट करें. इसके लिए बस नीले क्लिपबोर्ड आइकन का उपयोग करें.
  • स्टेप 4. एक बार यह हो जाने के बाद, नीचे दिए गए डाउनलोड बटन को हिट करें.
  • स्टेप 5. यह वीडियो अपने आप से आपकी गैलरी में सेव हो जाएगा जहां से आप इसे आसानी से साझा कर सकते हैं. वैकल्पिक रूप से, आप डाउनलोड वीडियो खोजने के लिए शीर्ष दाएं कोने में डाउनलोड आइकन भी दबा सकते हैं.

आईओएस डिवाइस पर ट्विटर वीडियो कैसे डाउनलोड करें:

  • स्टेप 1. शॉर्टकट ऐप डाउनलोड करें.
  • स्टेप 2. अपने iOS उपकरणों पर सेटिंग ऐप खोलें और सूची में शॉर्टकट ऐप मिलने तक नीचे स्क्रॉल करें.
  • स्टेप 3. इस पर टैप करें और 'Allow Untrusted Shortcuts' को अपने डिवाइस पर Open this link पर टॉगल करके अनुमति दें और Get Shortcut पर क्लिक करें.
  • स्टेप 4. शॉर्टकट ऐप में ट्विटर वीडियो डाउनलोडर के लिए डाउनलोड किया गया शॉर्टकट खुल जाएगा. स्टेप 5. नीचे स्क्रॉल करें और 'अविश्वसनीय शॉर्टकट जोड़ें' पर टैप करें.
  • स्टेप 5. इसके बाद, ट्विटर खोलें और उस ट्वीट को ढूंढें जिसमें वह वीडियो है जिसे आप साझा करना चाहते हैं.
  • स्टेप 6. ट्विटर वीडियो डाउनलोडर के लिए एक नया विकल्प प्रकट करने के लिए शेयर आइकन पर टैप करें.
  • स्टेप 7. शॉर्टकट लॉन्च होगा और आपसे पूछा जाएगा कि क्या आप चाहते हैं कि आपका डाउनलोड किया गया वीडियो उच्च, मध्यम या निम्न गुणवत्ता वाला हो.
  • स्टेप 8. एक बार जब आप अपना चयन डाउनलोड कर लेते हैं, तो आप अपनी गैलरी में वीडियो पा सकते हैं.

VIDEO: Day Light Saving Time को अपनाएगा USA

 


Google Chrome और Apple यूजर्स के लिए चेतावनी, हैकिंग से बचने के लिए तुरंत करें ये काम

भारत सरकार की साइबर सिक्योरिटी एजेंसी CERT-In ने Google Chrome और Apple यूजर्स के लिए एक चेतावनी जारी है. एजेंसी को इन दोनों ऐप्स में खतरा मिला है. 

Last Modified:
Monday, 13 May, 2024
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अगर आप गूगल क्रोम (Google Chrome) का इस्तेमाल करते हैं या फिर ऐप्पल (Apple) यूजर हैं तो ये खबर आपके लिए बहुत जरूरी है. दरअसल, भारत सरकार की साइबर सिक्योरिटी एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) ने दोनों कंपनी के यूजर्स के लिए चेतावनी जारी की है. गूगल क्रोम और Apple iTunes में कुछ गड़बड़ी मिली है. यूजर्स अगर सरकार की इस चेतावनी पर ध्यान नहीं देंगे, तो उनका डिवाइस हैक हो सकता है. तो चलिए जानते हैं कैसे आप अपने डिवाइस सुरक्षित रख सकते हैं?
 
हैकर्स ऐसे कर सकते हैं आपकी डिवाइस पर कंट्रोल
CERT-In को गूगल क्रोम और एपल आईट्यून्स डेस्कटॉप एप्लिकेशन में खतरे मिले हैं. इन खामियों की वजह से साइबर हैकर्स आपके डिवाइस पर अटैक करके कंट्रोल अपने हाथ में ले सकते हैं. इससे हैकर्स डिवाइस के आर्बिटरेरी कोड पर कंट्रोल हासिल कर सकते हैं. मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के तहत काम करने वाली सरकारी एजेंसी ने इससे बचने का तरीका बताया है.

गूगल क्रोम में मिली ये गड़बड़ी
एजेंसी के अनुसार गूगल क्रोम में कई गड़बड़ियां मिली हैं. Visuals और ANGLE कंपोनेंट जिन्हें यूज-आफ्टर-फ्री कहा जाता है. इनमें एक बग मिला है. इसके जरिए हैकर्स खास तौर पर तैयार किए HTML पेज से अटैक करते हैं, जो हीप करप्शन की वजह बन सकता है. ये खामियां विंडोज और मैक के लिए 124.0.6367.201/.202 वर्जन और लिनक्स के लिए 124.0.6367.201 वर्जन से पहले डेस्कटॉप पर गूगल क्रोम यूजर्स को प्रभावित करती हैं. यूजर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपने ब्राउजर को तुरंत अपडेट करें.

Apple iTunes यूजर्स को सॉफ्टफेयर अपडेट करने की सलाह
CERT-In ने कहा है कि Apple iTunes में CoreMedia कंपोनेंट में गलत जांच की वजह से खतरा आया है. एक दूर बैठा हमलावर खास तौर पर तैयार रिक्वेस्ट भेजकर इसका फायदा उठा सकता है. अगर हैकर अटैक करने में सफल होता है तो डिवाइस पर मनमाने कोड डाल सकता है. यह दिक्कत 12.13.2 वर्जन से पहले विंडोज पर ऐप्पल आईट्यून्स के यूजर्स को प्रभावित करती है. CERT-In यूजर्स को एहतियातन सुरक्षा के लिए अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट करने की सलाह देती है.

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WhatsApp पर ऐसे करें सिक्योरिटी मजबूत, अनचाहे कॉल, मैसेज होंगे मैनेज

व्हाट्सऐप (WhatsApp) पर यूजर्स की सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए कई फीचर दिए जाते हैं. इनके इस्तेमाल से आप अपनी प्राइवेसी को सिक्योरकर सकते हैं.

Last Modified:
Saturday, 11 May, 2024
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व्हाट्सऐप (WhatsApp) का इस्तेमाल दुनियाभर में करोड़ों यूजर्स करते हैं. यूजर्स की सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए कंपनी की ओर से कई फीचर दिए जाते हैं. अगर आप इनका इस्तेमाल करेंगे, तो पहले की तुलना में आपकी व्हाट्सऐप सिक्योरिटी काफी हद तक टाइट हो जाती है. तो चलिए हम आपको इन्हीं फीचर्स और इन्हें इनेबल करने का तरीका बताते हैं.

ऐसे करें प्राइवेसी फीचर का इस्तेमाल
वॉट्सऐप की ओर से यूजर्स की सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए एक प्राइवेसी चेकअप फीचर दिया जाता है. लेकिन,  अधिकतर यूजर्स को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है. इस फीचर को इनेबल करने के लिए आपको कुछ स्टेप फॉलो करने होंगे.

1. सबसे पहले वॉट्सऐप की सेटिंग में जाएं और फिर प्राइवेसी वाले ऑप्शन पर क्लिक करें.

2. स्टार्ट चेकअप पर टैप करें.

3. यहां यूजर्स के सामने अपनी प्राइवेसी सेटिंग को कस्टमाइज करने का ऑप्शन मिलता है.

4. इस फीचर के इस्तेमाल के बाद आप तय कर पाते हैं कि आपके वॉट्सऐप कौन जुड़ सकता है और कौन आपको मैसेज या कॉल कर सकता है.

5. यहां यूजर्स को अनचाहे मैसेज और कॉल्स को मैनेज करने की सुविधा मिलती है. इसके अलावा बिना आपकी परमिशन कोई ग्रुप में भी एड नहीं कर पाएगा.

सिक्योरिटी हो जाएगी मजबूत
इस फीचर को इनेबल करने के बाद आपकी चैट प्राइवेसी पहले की तुलना में और भी बेहतर हो जाती है. यहां यूजर्स को एंड-टू-एंड एंक्रिप्टिड बैकअप लेने की सुविधा भी मिलती है. सिक्योरिटी को अधिक मजबूत करने के लिए यूजर्स फिंगरप्रिंट व पिन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा चैट लॉक की सुविधा भी वॉट्सऐप पर दी जाती है.

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अनचाहे ग्रुप्स, काल्स और चैट्स से मिलेगी मुक्ति

अक्सर देखा जाता है कि लोगों को उनके दोस्त या फिर कोई भी अनजान व्यक्ति उनकी अनुमित के बिना ही किसी भी ग्रुप में जोड़ देते हैं. इससे उनका नंबर भी दूसरे लोगों के साथ शेयर हो जाता है और उनमें से कुछ लोग फिर उन्हें मैसेज या कॉल करके परेशान भी करते है, ऐसे में ये फीचर बहुत काम का है. इसमें आप ऐसी सेटिंग भी कर सकते हैं, जिससे कोई भी हमें आपकी अनुमति के बिना किसी भी ग्रुप में नहीं जोड़ पाएगा.


ChatGPT की बादशाहत को चुनौती देने आ गया है हमारा Hanooman, दूसरों से कितना है अलग?

हमारे पहले जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस चैटबॉट हनुमान को बनाने वालों में रिलायंस भी शामिल है.

Last Modified:
Saturday, 11 May, 2024
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ChatGPT की बादशाहत को खत्म करने के लिए भारत ने अपना पहला जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस चैटबॉट लॉन्च कर दिया है. Hanooman AI 12 भारतीय भाषाओं सहित 98 वैश्विक भाषाओं में उपलब्ध है. इसे खासतौर पर उन लोगों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, जिनका हाथ अंग्रेजी में तंग है. हनुमान AI हिंदी, मराठी, गुजराती, बंगाली, कन्नड़, ओडिया, पंजाबी, असमिया, तमिल, तेलुगु, मलयालम और सिंधी में आपके सवालों का जवाब देगा. इस स्वदेशी AI चैटबॉट को रिलायंस, 7 आईआईटी, SML इंडिया और अबू धाबी की 3AI होल्डिंग ने मिलकर तैयार किया है.

हनुमान पर मिलेगी ये सर्विस
हनुमान AI चैटबॉट अंग्रेजी नहीं जानने वाले यूजर्स के हिसाब से विकसित किया गया है. एंड्रॉयड यूजर्स इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. जबकि आईओएस यूजर्स के लिए यह जल्द ही प्ले स्टोर पर उपलब्ध होगा. Hanooman AI स्पीच टू टेक्स्ट जैसी यूजर फ्रेंडली सर्विस ऑफर करेगा. यानी आप बोलकर या फिर टाइप करके भी अपने सवाल इससे पूछ सकेंगे. इसे LLM मेथड कहा जाता है, इसके तहत चैट बड़ी मात्रा में डेटा से सीखता है  और नेचुरल साउंड रिस्पांस जनरेट करता है. हनुमान AI एक नए तरह की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बेस्ड है और आने वाले दिनों में OpenAI के ChatGPT और Google Gemini AI को टक्कर देगा.

इन सेक्टर्स को मिलेगा फायदा
हनुमान चैटबॉट और BharatGPT के अलावा कई दूसरे AI मॉडल भी डेवलप किए जा रहे हैं. Sarvam और Krutrim जैसी कंपनियां भी AI मॉडल विकसित करने में लगी हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि ये सभी AI मॉडल जल्द लॉन्च हो जाते हैं, तो भारतीय यूजर्स की Open AI और Gemini AI पर निर्भरता काफी हद तक कम हो सकेगी. इसके जरिये गवर्नेंस, मॉडल हेल्थ, एजुकेशन और फाइनेंस सेक्टर को काफी मदद मिलेगी. एसएमएल इंडिया के को-फाउंडर विष्णु वर्धन ने कहा कि ‘हनुमान’ भारत में AI इनोवेशन के एक नए युग का प्रतिनिधित्व करता है. हमारा लक्ष्य एक साल में 20 लाख उपयोगकर्ताओं को इससे फायदा पहुंचाना है. 80 प्रतिशत भारतीयों को अंग्रेजी ठीक से समझ नहीं आती. इसी को ध्यान में रखते हुए ‘हनुमान’ भारतीय भाषाओं का भी समर्थन करता है. 

ChatGPT से ऐसे अलग है हनुमान
चलिए अब यह भी जान लेते हैं कि हमारा हनुमान AI, ChatGPT जैसी दूसरे AI चैटबॉट से कितना अलग है. हनुमान और चैटजीपीटी का उद्देश्य भले ही समान हो, लेकिन उनमें बहुत अंतर है. हनुमान भाषाई विविधता और मल्टीमॉडल क्षमता पर जोर देता है, जो इसे दूसरों से अलग बनाता है. वैसे, ChatGPT 50 भाषाओं का समर्थन करता है, जिसमें अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, जर्मन, चीनी, जापानी, अरबी आदि शामिल हैं. लेकिन हनुमान भारत की 12 भाषाओं में जवाब देने की क्षमता रखता है. इसलिए भारत के लोगों के लिए यह बेस्ट चॉइस हो सकता है. इसके अलावा, दोनों में बड़ा अंतर है फीस का. ChatGPT अब प्रीमियम सर्विस है, यानी इसके लिए आपको पैसे देने होते हैं. जबकि हनुमान पूरी तरह फ्री. यदि आने वाले दिनों में इसे प्रीमियम सर्विस बनाया भी जाता है, तो भी फीस ChatGPT से कम हो रहेगी. ChatGPT प्रीमियम सर्विस के लिए हर महीने 20 डॉलर (करीब 1,671 रुपए) देने होते हैं.     
 


Meta लेकर आया AI Image और Text generation टूल्स, इन यूजर्स को होगा फायदा

मेटा (Meta) ने अपने यूजर्स के लिए एडवांस जनरेटिव एआई (AI) फीचर्स पेश किए हैं. इससे सोशल मीडिया पर एडवाइजमेंट देने वाले यूजर्स का काम बहुत आसान हो जाएगा.

Last Modified:
Wednesday, 08 May, 2024
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मेटा (Meta) ने अपने यूजर्स के लिए एडवांस जनरेटिव एआई (AI) फीचर्स पेश किए हैं. ये नए फीचर्स विज्ञापनदाताओं (Advertisers) के लिए आए हैं. जानकारी के अनुसार जनरेटिव एआई फीचर्स के साथ एडवर्टाइजर क्रिएटिव वेरिएशन के साथ अपनी परफोर्मेंस को बेहतर बना सकते हैं. वहीं, मेटा वेरिफाइ्ड के साथ यूजर्स एड क्रिएशन प्रॉसेस को बहुत हद तक ऑटोमैटिक बना सकते हैं. तो चलिए जानते हैं इन नए फीचर्स क्या हैं और इनमें क्या खास है? 

एडवर्टाइर्स का काम होगा आसान
मेटा ने अपने यूजर्स के लिए एडवांस जनरेटिव एआई फीचर्स पेश किए हैं. इनमें यूजर्स को इमेज (Image) और टेक्स्ट जनरेशन (Text Generation) की सुविधा दी गई है. ये फीचर्स एडवर्टाइजर्स के लिए पेश किए गए हैं, ताकि वे अपने काम को बेहतर बना कर अपना बिजनेस ग्रो कर सकें. कंपनी का कहना है कि जनरेटिव एआई फीचर्स के साथ एडवर्टाइजर क्रिएटिव वेरिएशन के साथ अपनी परफोर्मेंस को बेहतर बना सकते हैं.  मेटा वेरिफाइ्ड के साथ यूजर्स एड क्रिएशन प्रॉसेस को बहुत हद तक ऑटोमैटिक बना सकते हैं.

एड बनाने के लिए ऐसे होगा फीचर्स का इस्तेमाल
यूजर्स मेटा के जनरेटिव एआई टूल्स का इस्तेमाल कर इमेज की कई वेरिएशन क्रिएट कर सकते हैं. इसके अलावा, इन इमेज के ऊपर यूजर टेक्स्ट को भी ऐड कर सकते हैं. यूजर को इसके साथ अलग-अलग बैकग्राउंट की सुविधा भी मिल रही है. अलग-अलग सेटिंग को सूट करने के लिए यूजर इमेज एलिमेंट को एडजस्ट कर सकता है. उदाहरण के लिए एक टी ब्रैंड अपने प्रोडक्ट को अलग-अलग एनवायरमेंट के साथ शोकेस कर सकता है. ब्रैंड के पास बैकग्राउंड के लिए खेतों से लेकर वाइब्रेंट रेस्तरां का ऑप्शन होगा. 

टेक्स्ट प्रॉम्प्ट जोड़ने की भी तैयारी
इस इमेज के साथ यूजर पॉपुलर फॉन्ट्स के साथ खुद का टेक्स्ट लिख सकता है और इन इमेज को इंस्टाग्राम और फेसबुक प्लेटफॉर्म के लिए एक खास साइज में तैयार कर सकता है. बता दें, इमेज जनेरेशन फीचर को फिलहाल रोलआउट किया जा रहा है. बहुत जल्द इसमें बेहतर कस्टमाइजेशन के लिए टेक्स्ट प्रॉम्प्ट को जोड़ा जाएगा.
 

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सरकारी Apps पर लगेगा ‘गर्वमेंट बैज’, फर्जी Apps पर लगेगी लगाम

Google Play Store ने सरकारी ऐप्स की पहचान के लिए गवर्मेंट बैज लॉन्च किया है.

Last Modified:
Wednesday, 08 May, 2024
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सरकारी ऐप्स के जरिए अब हमारे  बहुत से काम आसान हो गए हैं. ऐसी कई सुविधाएं हैं, जो हमें घर बैठे ही ऑनलाइन ऐप्स के जरिये मिल जाती हैं, लेकिन कई बार गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store) से हम फर्जी ऐप भी डाउनलोड कर लेते हैं, जिनके चक्कर में कई बार नुकसान भी उठाना पड़ जाता है. ऐसे में अब सरकारी ऐप्स की पहचान के लिए गूगल ने एक पहल करते हुए बैज लॉन्च किया है. 

फर्जी ऐप्स के जरिए हो रहे ऑनलाइन फ्रॉड
गूगल ऐप्स के जरिए होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए समय-समय पर कदम उठाता रहता है. जिसमें गूगल अपने प्ले स्टोर से फर्जी ऐप्स को भी डिलीट कर देता है. वहीं, ऑनलाइन फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कई ऑनलाइन फ्रॉड ऐप्स के जरिए भी हो रहे हैं. भारत में इन फर्जी ऐप्स पर रोक लगाने के लिए गूगल ने अब सरकारी ऐप्स के लिए एक बैज लॉन्च किया है, जिनसे सरकारी ऐप्स की पहचान होगी.

इन ऐप्स पर होगा गर्वमेंट बैज
अब गूगल प्ले स्टोर पर सरकारी एप्स के सामने गवर्नमेंट नामक बैज दिखाई देगा, जिससे यूजर्स ऐप की पहचान कर सकें. कंपनी के अनुसार इस नए गर्वमेंट बैज के तहत भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, इंडोनेशिया, मैक्सिको जैसे देशों के 2000 ऐप्स शामिल किए गए हैं. भारत में भी वोटर हेल्पलाइन, डिजिलॉकर, एम आधार, एपरिवहन जैसे ऐप इन बैज के तहत दिखाई देंगे. 

कैसा दिख रहा बैज
अगर आप गूगल प्ले स्टोर से कोई सरकारी ऐप इंस्टॉल करते हैं, तो आपके सामने प्ले वेरिफाइड दैट दिस ऐप इज एफिलियेटेड विद अ गवर्मेंट एनटिटी (Play verified that this app is affiliated with a government entity) यानी ये ऐप सरकारी है और इसे आप इंस्टॉल कर सकते हैं. अगर ऐसा मार्क नहीं आ रहा है तो समझ लें कि ऐप फर्जी है.

स्कैम और फ्रॉड पर लगेगी लगाम
ऐसा करने के पीछे गूगल का मकसद स्कैम और फ्रॉड पर लगाम लगाना है. गूगल का मानना है कि इससे यूजर्स फर्जी ऐप्स को सरकारी ऐप्स के नाम पर इंस्टॉल नहीं कर पाएंगे. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि गूगल ने ये सुविधा कई अन्य देशों में भी शुरू की है. करीब 2000 से अधिक सरकारी ऐप्स पर ऐसा मार्क दिखाया जाएगा.

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e-RUPEE से जुड़ी चिंता होगी दूर, RBI ने निकाला ये हल

आरबीआई (RBI) ने साल 2022 में ई-रुपी (e-RUPEE) जारी की थी. अब आरबीआई पायलट प्रोजेक्ट चलाकर इसके ‘ऑफलाइन’ लेन-देन को बढ़ावा दे रहा है. 

Last Modified:
Tuesday, 07 May, 2024
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देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी आगे बढ़कर काम रह रहा है. इसी कड़ी में आरबीआई ने साल 2022 में ई-रुपी (e-RUPEE) जारी की थी. ई-रुपी के जारी होने के बाद से ही देश में उसकी सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर लोगों की चिंता बढ़ी हुई है. ऐसे में अब आरबीआई ई-रुपी के ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड को गोपनीय बनाने के लिए काम कर रहा है. 

क्या है e-RUPI?
ई-रुपी एक तरह की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) है. इसे सॉवरेन बैंक करेंसी भी कहते हैं. साल 2022 में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) का इस्तेमाल करके ई-रुपी (e-RUPI) को लॉन्च किया गया था. यह करेंसी आरबीआई (RBI) के बैलेंस शीट में लायबिलिटी के तौर पर शो होती है. जिस तरह नकदी के जरिये पेमेंट किया जाता है,  ठीक उसी प्रकार हम ई-रुपी के जरिये ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं. यहां तक कि हम सैलरी भी ई-रुपी में ले सकते हैं. इसके अलावा ई-वॉलेट में ई-रुपी भी रख सकते हैं.

आरबीआई चला रहा पायलट प्रोजेक्ट 
ई-रुपी (e-Rupee) या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई पायलट प्रोग्राम भी चला रहा है. ई-रुपी की पहुंच में विस्तार लाने के लिए आरबीआई ने हाल ही में पायलट प्रोग्राम में गैर-बैंकों की भागीदारी की घोषणा की. आरबीआई ने डिजिटल भुगतान लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए एक नया ढांचा लाने और आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अतिरिक्त मानदंड तैयार करने का फैसला किया है. 

इसे लेकर बढ़ी हुई है चिंता
ई-रुपी के लॉन्च के समय से ही इसकी गोपनीयता सबसे बड़ी चिंता बनी हुई थी. कुछ लोगों का कहना था कि ई-रुपी के जरिये जो लेनदेन होता है, उसका रिकॉर्ड तैयार हो जाता है. ऐसे में रिकॉर्ड के चोरी होने का खतरा बना रहता है. कागजी मुद्रा में इस तरह का खतरा नहीं होता है क्योंकि इसमें लेनदेन की जानकारी पूरी तरह से गोपनीय होती है. उधर, आरबीआई देश में कागजी मुद्रा की तरह ही ई-रुपी को लेन-देन का जरिया बनाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है.
 
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ऐसा दूर होगी ई-रुपी से जुड़ी चिंता
1. आरबीआई के अधिकारी ई-रुपी के ऑफलाइन ट्रांजेक्शन की समस्या के समाधान पर काम कर रहे हैं.  आरबीआई का कहना है ई रुपी से जुड़ी हर समस्या को तकनीक के माध्यम से दूर किया जा सकता है.
2. सीबीडीसी को ऑफलाइन ट्रांसफर के लिए प्रोग्रामेबिलिटी फीचर लाने पर काम किया जा रहा है. प्रोग्रामेबिलिटी फीचर का उद्देश्य खराब इंटरनेट या फिर सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी क्षेत्र में भी पूर्ण रूप से ई-रुपी के जरिये ट्रांजेक्शन करना है. 
3. आरबीआई यूपीआई के साथ सीबीडीसी की इंटरऑपरेबिलिटी को भी सक्षम करने के लिए काम कर रही है.
4. भारत ने सीबीडीसी को गैर-लाभकारी बना दिया है. इसके लिए बैंक मध्यस्थता के किसी भी संभावित जोखिम को कम करने के लिए इसे ब्याज रहित बनाते हैं. आरबीआई सीबीडीसी बनाता है और बैंक इसे लोगों को वितरित करते हैं.
5. आरबीआई ई-रुपी के ट्रांजेक्शन डेटा चोरी ना हो इस पर भी तेजी से काम कर रहा है.

 


गूगल सर्वे में दें अपनी राय और पैसे कमाएं, जानना चाहेंगे कैसे?

गूगल ओपिनियन रिवॉर्ड्स (Google Opinion Rewards) ऐप आपको ऑनलाइन शॉपिंग के लिए रिवॉर्ड देता है. 

Last Modified:
Tuesday, 07 May, 2024
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अगर आप भी गूगल से पैसे कमाना चाहते हैं और फ्री ऑनलाइन शॉपिंग का आनंद लेना चाहते हैं, तो ये खबर आपके बहुत काम आएगी. दरअसल ‘गूगल ओपिनियन रिवॉर्ड्स’ (Google Opinion Rewards) गूगल का एक ऐसा ऐप है, जिसमें आप कुछ आसान से सवालों का जवाब देकर पैसे कमा सकते हैं. तो चलिए जानते हैं कैसे?

गूगल पूछेगा सवाल
वैसे तो आजकल किसी को भी राय देना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है, लेकिन गूगल आपकी राय को अहमियत भी देगा और उसके बदले आपको रिवॉर्ड भी मिलेगा. गूगल ओपिनियन रिवॉर्ड सर्वे में आप से कुछ सवाल पूछे जाते हैं. इसमें आपको 4 ऑप्शन भी मिलते हैं, जिसमें से आपको एक ऑप्शन सलेक्ट करना होगा. सर्वे पूरा होने के बाद आपको गूगल रिवॉर्ड देता है. 

ऐसे मिलेगा रिवॉर्ड 
1. रिवॉर्ड लेने के लिए सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर या एपल ऐप स्टोर पर जाएं. 
2. अब GOOGLE OPINION REWARDS ऐप डाउनलोड करें और फिर इसे इंस्टॉल कर लें. 
3. अब यहां पर साइन अप करें, इसके बाद अपनी बेसिक डिटेल्स भरें जैसे अपना नाम, उम्र, कंट्री आपकी और जेंडर आदि जानकारी दें.
4. पूछी गई सभी डिटेल्स देकर सबमिट कर दें. इसके बाद यहां पर आपको सर्वे पेज शो होगा. इसमें आपसे सवाल पूछे जाएंगे, जैसे आपको कौन-सी आईस्क्रीम पसंद हैं, इसके जवाब के लिए आपको 4 ऑप्शन में से एक सलेक्ट करना होगा. इस सर्वे को आप जब भी पूरा करेंगे आपको कुछ ना कुछ रिवॉर्ड जरूर मिलेगा.

यहां खर्च कर सकते हैं रिवॉर्ड मनी
गूगल के ये सर्वे 5-6 दिन में आते रहते हैं. इन रिवॉर्ड्स का इस्तेमाल आप किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स- अमेजन (Amazon), नेटफ्लिक्स (Netflix) और हॉटस्टार (Hotstar) आदि का सब्सक्रिप्शन लेने के लिए सकते हैं. इसके अलावा आप ऑनलाइन किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से शॉपिंग भी कर सकते हैं.

नोट- हम इस ऐप को कमाई का जरिया बनाने की सलाह नहीं दे रहे हैं. आप इसे फन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. वैसे तो सर्वे पूरा होने पर हर बार रिवॉर्ड मिलता है. लेकिन कई बार नहीं भी मिलता है जिसके बहुत कम चांस होते हैं. अगर आपको रिवॉर्ड नहीं मिला तो आप सर्वे में दोबारा ट्राई कर सकते हैं और पैसे कमा सकते हैं.

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BSNL अगस्त में लॉन्च करेगा 4G सर्विस, स्वदेशी होगी तकनीक

इस साल अगस्त में BSNL अपनी 4ंG सर्विस शुरू करने जा रहा है. इसी के साथ बीएसएनएल पूरे भारत में 4जी और 5जी सेवाओं के लिए 1.12 लाख टावर भी इंस्टॉल करेगी.

Last Modified:
Monday, 06 May, 2024
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भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के यूजर्स के लिए एक अच्छी खबर आई है. इस साल अगस्त तक देशभर में BSNL अपनी 4G सर्विस को शुरू करने जा रहा है. बीएसएनएल की 4G सर्विस का इंतजार यूजर्स काफी समय से रहे हैं, क्योंकि देश में 5जी सर्विस तक आ चुकी है, ऐसे में अब उनका इंतजार खत्म होने जा रहा है. हालांकि अभी बीएसएनएल ने अभी अधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की है. 

स्वदेश होगी तकनीक
सूत्रों से पता चला है कि बीएसएनएल ने 4जी सर्विस के लिए आत्मनिर्भर नीति के अनुरूप पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया है. 4जी नेटवर्क पर 40-45 मेगाबिट की स्पीड मिलेगी. वहीं, बीएसएनएल की 4जी सर्विस 700 मेगाहर्ट्ज (मेगाहर्ट्ज) के प्रीमियम स्पेक्ट्रम बैंड लॉन्च होगी जिसे पायलट प्रोजेक्ट के दौरान इसे 2,100 मेगाहर्ट्ज बैंड तक ले जाया जाएगा.

पिछले साल पंजाब में शुरू हुई थी 4G Service
पिछले साल कंपनी ने आईटी कंपनी टीसीएस (TCS) और राज्य संचालित दूरसंचार अनुसंधान संगठन C-DoT-led वाले कंसोर्टियम की मदद से पंजाब में 4जी सेवाएं शुरू की हैं और लगभग 8 लाख ग्राहकों को अपने साथ जोड़ा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सी-डॉट के जरिये शुरू हुई बीएसएनएल नेटवर्क 4जी सर्विस पूरे पंजाब में सुचारू रूप से काम कर रही है. इसे पिछले साल साल जुलाई में स्थापित किया गया था. अब ये सर्विस पूरे देश में शुरू होगी.

10 महीने में स्थिर हुई 4जी सर्विस
एक्सपर्ट्स के अनुसार इस जटिल तकनीक की सफलता साबित करने में 12 महीने लगते हैं लेकिन सी-डॉट कोर 10 महीने के भीतर स्थिर हो गया है. इस साल अगस्त तक बीएसएनएल पूरे देश में आत्मनिर्भर 4जी तकनीक लॉन्च करेगा. यह पूरा कोर नेटवर्क हार्डवेयर, डिवाइस और सॉफ्टवेयर का एक संग्रह है जो दूरसंचार नेटवर्क में मौलिक सर्विस देता है.

19 करोड़ रुपये का ऑर्डर
टीसीएस, तेजस नेटवर्क और सरकारी स्वामित्व वाली आईटीआई को 4जी नेटवर्क तैनात करने के लिए बीएसएनएल से लगभग 19,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है. इस नेटवर्क को आगे चलकर 5जी सर्विस में अपग्रेड किया जा सकता है.

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नेटवर्क किए जा रहे स्थापित
बीएसएनएल का मोबाइल नेटवर्क विभिन्न क्षेत्रों में तैनात किया जा रहा है. जहां भी बीएसएनएल नेटवर्क पर सी-डॉट कोर उपलब्ध नहीं है, वहां उपकरण को मौजूदा कोर में एकीकृत किया जा रहा है. जब सी-डॉट कोर उन सर्किलों में तैनात हो जाता है, तो उन क्षेत्रों में वे सी-डॉट कोर यानी तेजस नेटवर्क लिमिटेड से भी जुड़ जाएंगे. 

1.12 लाख टावर होंगे इंस्टाल
बीएसएनएल पूरे भारत में 4जी और 5जी सेवाओं के लिए 1.12 लाख टावर इंस्टॉल करेगी. कंपनी ने देश भर में 4जी सेवा के लिए 9,000 से अधिक टावर इंस्टॉल किए हैं, जिनमें से 6,000 से अधिक पंजाब, हिमाचल प्रदेश, यूपी पश्चिम और हरियाणा सर्कल में सक्रिय हैं. बीएसएनएल पिछले 4-5 वर्षों से केवल 4जी सक्षम सिम बेच रहा है. ऐसे में अब केवल उन्हीं ग्राहकों को सेवा का अनुभव लेने के लिए नई सिम लेनी होगी जिनके पास इससे पुराना सिम है


फर्जीवाड़ा करने वालों की खैर नहीं, Musk ने X पर इस नए अपडेट को लेकर दी जानकारी

एक्स (x) के सीईओ एलन मस्क एलन मस्क (Elon Musk) ने एक्स पर फर्जी फोटो की पहचान करने वाले एक एक नया अपडेट की जानकारी शेयर की है. ये अपडेट जल्द ही लॉन्च किया जाएगा.

Last Modified:
Saturday, 04 May, 2024
BWHindia

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के आने के बाद सोशल मीडिया पर लगातार डीपफेक के मामले बढ़ते जा रहे हैं. कभी किसी सेलिब्रिटी, तो कभी किसी नेता की डीपफेक फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. ऐसे में अब एक्स (x) के सीईओ एलन मस्क एलन मस्क ने इस डीपफेक से बचने के लिए एक्स (X) पर नए अपडेट को लॉन्च करने की घोषणा की है. तो चलिए जानते हैं क्या है ये नया अपडेट और इससे डीपफेक पर कैसे रोक लगेगी.

फर्जी फोटो की होगी पहचान
टेस्ला और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (x) के सीईओ एलन मस्क एलन मस्क (Elon Musk) ने शनिवार को एक्स (X) पर Community Notes की एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें ‘इम्प्रूव्ड इमेज मैचिंग’ को लेकर एक नया अपडेट लॉन्च करने की घोषणा की है. ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डीपफेक (DeepFake) के साथ-साथ शैलोफेक (shallow fake) की भी निगरानी करेगा. एलन मस्क ने एक पोस्ट में कहा, हमने अभी अपडेट जारी किया है, जो किसी भी फर्जी फोटो की पहचान करेगा.

डीपफेक को हराने में मिलेगी मदद
मस्क ने कहा कि इस कदम से डीपफेक और शैलोफेक को हराने में मदद मिलेगी. शैलोफेक्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद के बिना तैयार की गई फोटोज, वीडियो और वॉयस क्लिप हैं और व्यापक रूप से उपलब्ध एडिटिंग और सॉफ्टवेयर टूल का इस्तेमाल करते हैं. इमेज पर एक्स नोट्स ऑटोमैटिक तरीके से उन पोस्ट्स पर दिखाई देते हैं, जिनमें इमेज मिलती है. कंपनी ने कहा, ‘इन नोट्स का दर्जनों, सैकड़ों और कभी-कभी हजारों पोस्ट पर मैच होना आम बात है. अब आप सीधे नोट डिटेल्स में देख सकते हैं कि इमेज नोट कितने पोस्ट से मिलते है.

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इंटरनेट की काली दुनिया ‘Dark Web’ में कहीं लीक तो नहीं हुआ आपका पर्सनल डेटा, ऐसे करें चेक

डार्क वेब (Dark Web) इंटरनेट की एक ऐसी काली दुनिया है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है.

Last Modified:
Saturday, 04 May, 2024
BWHindia

हम अक्सर सुनते हैं कि यूजर्स का डेटा लीक हो गया है या फिर बेचा जा रहा है. आपके पास भी जब कोई फर्जी कॉल आता होगा, तो आप ये जरूर सोचते होंगे, कि आपका नंबर और पर्सनल जानकारी किसी दूसरे के पास कैसे पहुंची? आपको बता दें, इसका एक कारण डार्क वेब (Dark Web) है, क्योंकि इसमें आपकी संवेदनशील जानकारी होती है. क्या आप जानते हैं कि डार्क वेब पर ये डेटा लीक कैसे होता है और किस तरह आप अपनी पर्सनल जानकारी लीक होने से बचा सकते है? अगर नहीं, तो चलिए आपको इसके बारे में पूरी जानकारे देते हैं. 

डार्क वेब के जरिए बनते हैं ठगी का शिकार
आजकल साइबर जालसाज डार्क वेब  पर उपलब्ध डाटा का उपयोग करके लोगों से ठगी करने लगे हैं. डार्क वेब इंटरनेट की एक ऐसी काली दुनिया है जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है. डीप वेब को एक्सेस करने के लिए हमें ई-मेल, नेट बैंकिंग आदि पर्सनल जानकारी देनी होती है. वहीं, डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर (Tor Browser) का इस्तेमाल किया जाता है. डार्क वेब पर ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाईल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें मिलती हैं. इंटरनेट का 96 प्रतिशत हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है. हम इंटरनेट कंटेंट के केवल 4 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल करते है जिसे सरफेस वेब कहा जाता है. डार्क वेब को सर्च इंजन से सीधे नहीं एक्सेस किया जा सकता. इसे एक्सेस करने के लिए किसी विशेष सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है. 

ऐसे जानें डार्क वेब पर आपका डेटा है या नहीं?
1. आपको सबसे पहले आपको गूगल वन (Google One) ऐप इंस्टॉल करना है. कुछ स्मार्टफोन्स में ये ऐप पहले से ही प्री-इंस्टॉल्ड भी होता है.
2. दूसरे स्टेप में ऐप को ओपन करें और होम पेज पर दिख रहे डार्क वेब रिपोर्ट पर क्लिक करें.
3. अब 'रन स्कैन' पर टैप करें और स्कैन पूरा होने तक प्रतीक्षा करें. इसमें आमतौर पर लगभग 30 सेकंड लगते हैं. 
4. एक बार स्कैनिंग पूरी हो जाए तो व्यू ऑल रिजल्ट्स पर टैप करना है.
5. यहां आप पता कर पाएंगे कि इंटरनेट की काली दुनिया यानी डार्क वेब पर आपका डेटा लीक हुआ है या नहीं.

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डेटा लीक होने के संकेत
हम इंटरनेट पर मौजूद अधिकतर चीजों के एक्सेस के लिए अपनी ईमेल और मोबाइल नंबर जैसी जानकारी साइट्स पर डालते हैं और कुछ ऐसी साइट्स होती हैं, जो डेटा को स्कैमर्स को बेच देती हैं, स्कैमर्स इसको डार्क वेब पर पेज देते हैं, जिसके बाद आपके फर्जी कॉल आना शुरू हो जाते हैं. यही संकेत है कि आपका डेटा भी लीक हो गया है.

डेटा लीक होने से कैसे बचाएं?
अपना डेटा लीक होने से बचाने के लिए अपने सभी ऑनलाइन अकाउंट का पासवर्ड मजबूत सेट करें और समय-समय पर पासवर्ड को बदलते रहें. वहीं, सुरक्षा से लिए अपने अकाउंट पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन एक्टिव रखें. किसी अनजान और संदिग्ध सोर्स से आए लिंक पर क्लिक न करें और किसी फाइल को भी डाउनलोड ना करें. अपने डिवाइस को मालवेयर और हैकर्स से बचाने के लिए विश्वसनीय एंटीवायरस का उपयोग करें.

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