प्रत्येक साल 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं: गडकरी, Intel इस टेक्नोलॉजी से इसे करेगा कंट्रोल

Intel Road Safety Technology: एक आधुनिक परिवहन समाधान इंटेल ऑनबोर्ड फ्लीट सर्विसेज सॉल्यूशंस पेश किया गया, जो भारत के कमर्शियल फ्लीट के लिए कस्टम डिज़ाईन किए गए हैं.

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Tuesday, 28 June, 2022
Nitin Gadkari on Road Safety Technology

नई दिल्ली: इंटेल ने भारत में सड़क सुरक्षा बढ़ाने का अपना लक्ष्य मजबूत करने के लिए टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल करने के अपने लक्ष्य को मजबूत किया है. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, श्री नितिन गडकरी द्वारा नई दिल्ली में उद्घाटित सेफ्टी पायोनियर्स कॉन्फ्रेंस में इंटेल ने अग्रणी संगठन, जेसे टेक्नॉलॉजी एवं ट्रांसपोर्ट प्रदाता, वाहन निर्माता, शिक्षा जगत, और सरकारी संगठनों को एक साथ लाकर सहयोग करने और सड़क सुरक्षा की समस्याओं का समाधान करने का अवसर दिया.

इस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा, 'प्रत्येक साल 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिसके कारण भारत की GDP को 3.14% का नुकसान होता है. रोड सेफ्टी हमारी टॉप प्रायोरिटी है. हमारा टारगेट है कि एक्सीडेंट से होने वाली मौतों का आंकड़ा 2024 तक 50 प्रतिशत कम हो जाए. हम इस लक्ष्य को यहां मौजूद आप जैसे लोगों की मदद से आसानी से पा सकते हैं.' उन्होंने कहा कि हमें भारत में रोड सेफ्टी बढ़ाने पर फोकस करने के लिए सेफ्टी पायोनियर्स कॉन्फ्रेंस में तकनीक और वाहन निर्माताओं, शिक्षाविदों और सरकार जैसे प्रमुख संगठनों को एक साथ लाने पर गर्व है.

 

 

अपने अद्वितीय अनुभवों और क्षमताओं के साथ यह सहयोग न केवल सड़क पर जिंदगियां बचाने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा, बल्कि स्थानीय इनोवेशन को भी बढ़ावा देगा. सेफ्टी पायोनियर्स कॉन्फ्रेंस अग्रणी सड़क सुरक्षा समाधानों और टेक्नोलॉजी, जैसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), एडैस, एवं विस्तृत प्रभाव उत्पन्न करने की क्षमता वाली अन्य विकसित होती टेक्नॉलॉजी प्रस्तुत करने के लिए एक मंच का काम करेगी.

सड़क सुरक्षा पर अपने फोकस को मजबूत करते हुए कंपनी ने इंटेल ऑनबोर्ड फ्लीट सर्विसेज़ (‘‘सॉल्यूशन’’) का प्रदर्शन किया, जो कमर्शियल वाहनों के लिए एक एआई-पॉवर्ड फ्लीट सेफ्टी समाधान है. अपनी तरह के पहले अभियान के रूप में यह विस्तृत समाधान विश्वस्तरीय एवं रोड टेस्टेड टेक्नोलॉजी प्रस्तुत करता है, जो खास भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप विकसित की गई है. यह कोलिज़न एवॉयडैंस सिस्टम (कैस), ड्राईवर मॉनिटरिंग सिस्टम, फ्लीट टेलीमेटिक्स, फ्लीट हैल्थ, एवं फ्यूल एफिशियंसी फीचर्स प्रस्तुत करता है. यह समाधान 16 ग्राहक जैसे श्योर ग्रुप लॉजिस्टिक्स, संक्यू इंडिया लॉजिस्टिक्स, एलेनासंस विभिन्न सेक्टर्स जैसे हज़मत, गोल्ड चेन, थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक्स (3पीएल) और एम्प्लॉई ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल कर रहे हैं. देखने में आया है कि यह टेक्नॉलॉजी दुर्घटनाओं की संभावना में 40 से 60 प्रतिशत की कमी ला सकती है और एफिशियंसी के नुकसान में 50 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है.

इस कॉन्फ्रेंस और सड़क सुरक्षा के अभियानों के बारे में निवृति राय, कंट्री हेड, इंटेल इंडिया और वाईस प्रेसिडेंट, इंटेल फाउंड्री सर्विसेज़ ने कहा, ‘‘हमारे देश में सड़क सुरक्षा एक गंभीर समस्या रही है. यहां पर दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं की दर सबसे ज्यादा है. आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकें वाहनों को स्मार्ट व सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिससे सड़कें, परिवहन व्यवस्था और ड्राईवर्स सुरक्षित बनते हैं. सरकार, उद्योग एवं शिक्षा जगत से परिवेश के साझेदारों के साथ इंटेल टेक्नॉलॉजी की मदद से भारत को सड़क सुरक्षा के उद्देश्य प्राप्त करने में मदद करने के लिए काम कर रहा है. यह कॉन्फ्रेंस महत्वपूर्ण लोगों को सहयोग करने, इनोवेट करने और भारत में सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक साथ लाने की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ा रही है.’’

यह कैसे काम करता है
इंटेल ऑनबोर्ड फ्लीट सर्विसेज़ इन-केबिन डिवाईसेज़ के एक पोर्टफोलियो द्वारा पॉवर्ड है. इसमें एक अत्याधुनिक क्लाउड पोर्टल भी है, जिसमें एक्शनयोग्य जानकारी, एनालिटिक्स, और फ्लीट मैनेजर्स की रिपोर्ट शामिल हैं. इस समाधान में एआई बेस्ड कोलिज़न अवॉयडैंस सिस्टम्स में विश्व की अग्रणी कंपनी, मोबाईलआई की ओर से सर्वश्रेष्ठ एडवांस्ड ड्राईवर असिस्टैंस सिस्टम (एडैस) शामिल है. अपनी इंटीग्रेटेड प्रस्तुति के साथ इंटेल ऑनबोर्ड फ्लीट सर्विसेज़ क्लाउड पोर्टल द्वारा एफिशियंसी बढ़ाने, प्रिवेंटिव मेंटेनेंस संभव बनाने, और संचालन की लागत कम करने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा पब्लिक सेक्टर के परिवहन संगठनों को यह समाधान अपनाकर दुर्घटना के मुआवजे के भुगतान में कमी लाकर काफी आर्थिक लाभ मिल सकता है. 

इंटेल के समाधानों में एडवांस्ड टेलीमेटिक्स भी है, जिसमें वाहन के स्वास्थ्य एवं फ्यूल एनालिटिक्स के साथ अद्वितीय ड्राईवर स्कोरिंग और रेटिंग मॉड्यूल भी शामिल है. इससे फ्लीट मालिकों को दुर्घटनाओं और डाउनटाईम का जोखिम कम करने में काफी मदद मिल सकती है, और लक्षित इन्सेंटिवाईज़ेशन एवं रिवार्ड्स प्रोग्राम द्वारा ड्राईविंग की अच्छी विधियों को प्रोत्साहन मिल सकता है. इस समाधान का एक केंद्रीय पहलू ड्राईवर की कोचिंग है, जो कमर्शियल फ्लीट के लिए व्यक्तिगत कोचिंग प्रदान करने के लिए 15 अलग-अलग इनपुट एक्टिवेट करती है. इस कमर्शियल फ्लीट को हर बार दुर्घटना होने पर 25 दिनों तक के कार्यदिवस का नुकसान होता है.

यह जरूरी क्यों है
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है. यहां पर दुनिया के 1 प्रतिशत वाहन हैं, लेकिन सड़क पर होने वाली मौतें 11 प्रतिशत हैं. भारतीय सड़कों पर हर एक मिनट में एक दुर्घटना होती है और हर घंटे 17 मौतें हो जाती हैं. 10 दुर्घटनाओं में से छः दुर्घटनाओं में कमर्शियल फ्लीट शामिल होती है, जिसे ड्राईवर द्वारा समय पर कदम उठाकर रोका जा सकता है. कमर्शियल फ्लीट उद्योग को दुर्घटनाओं और फ्लीट खराब होने के कारण हर साल 48,000 करोड़ रु. तक का एफिशियंसी नुकसान होता है.

इसलिए आज टेक्नॉलॉजी एवं ट्रांसपोर्टेशन प्रदाताओं, वाहन निर्माताओं, शिक्षा जगत, और सरकार को गठबंधन कर तालमेल में काम करना बहुत जरूरी हो गया है, ताकि सड़क सुरक्षा की समस्या का मूल कारण पहचानकर उसका समाधान किया जा सके. सेफ्टी फर्स्ट का सिद्धांत अपनाकर साल 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं और सड़क पर होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत की कमी लाने का मॉर्थ का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है, साथ ही कमर्शियल फ्लीट ऑपरेटर्स को एफिशियंसी प्रदान कर एक व्यवसायिक उत्कृष्टता प्रदान की जा सकती है. एडवांस्ड टेक्नॉलॉजी जैसे एडैस, आईओटी आदि की क्षमताओं का इस्तेमाल कर ऑपरेशनल एफिशियंसी हासिल की जा सकती है और भारतीय फ्लीट बाजार के लिए इनोवेशन प्रस्तुत कर सड़क पर जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.


Meta लेकर आया AI Image और Text generation टूल्स, इन यूजर्स को होगा फायदा

मेटा (Meta) ने अपने यूजर्स के लिए एडवांस जनरेटिव एआई (AI) फीचर्स पेश किए हैं. इससे सोशल मीडिया पर एडवाइजमेंट देने वाले यूजर्स का काम बहुत आसान हो जाएगा.

Last Modified:
Wednesday, 08 May, 2024
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मेटा (Meta) ने अपने यूजर्स के लिए एडवांस जनरेटिव एआई (AI) फीचर्स पेश किए हैं. ये नए फीचर्स विज्ञापनदाताओं (Advertisers) के लिए आए हैं. जानकारी के अनुसार जनरेटिव एआई फीचर्स के साथ एडवर्टाइजर क्रिएटिव वेरिएशन के साथ अपनी परफोर्मेंस को बेहतर बना सकते हैं. वहीं, मेटा वेरिफाइ्ड के साथ यूजर्स एड क्रिएशन प्रॉसेस को बहुत हद तक ऑटोमैटिक बना सकते हैं. तो चलिए जानते हैं इन नए फीचर्स क्या हैं और इनमें क्या खास है? 

एडवर्टाइर्स का काम होगा आसान
मेटा ने अपने यूजर्स के लिए एडवांस जनरेटिव एआई फीचर्स पेश किए हैं. इनमें यूजर्स को इमेज (Image) और टेक्स्ट जनरेशन (Text Generation) की सुविधा दी गई है. ये फीचर्स एडवर्टाइजर्स के लिए पेश किए गए हैं, ताकि वे अपने काम को बेहतर बना कर अपना बिजनेस ग्रो कर सकें. कंपनी का कहना है कि जनरेटिव एआई फीचर्स के साथ एडवर्टाइजर क्रिएटिव वेरिएशन के साथ अपनी परफोर्मेंस को बेहतर बना सकते हैं.  मेटा वेरिफाइ्ड के साथ यूजर्स एड क्रिएशन प्रॉसेस को बहुत हद तक ऑटोमैटिक बना सकते हैं.

एड बनाने के लिए ऐसे होगा फीचर्स का इस्तेमाल
यूजर्स मेटा के जनरेटिव एआई टूल्स का इस्तेमाल कर इमेज की कई वेरिएशन क्रिएट कर सकते हैं. इसके अलावा, इन इमेज के ऊपर यूजर टेक्स्ट को भी ऐड कर सकते हैं. यूजर को इसके साथ अलग-अलग बैकग्राउंट की सुविधा भी मिल रही है. अलग-अलग सेटिंग को सूट करने के लिए यूजर इमेज एलिमेंट को एडजस्ट कर सकता है. उदाहरण के लिए एक टी ब्रैंड अपने प्रोडक्ट को अलग-अलग एनवायरमेंट के साथ शोकेस कर सकता है. ब्रैंड के पास बैकग्राउंड के लिए खेतों से लेकर वाइब्रेंट रेस्तरां का ऑप्शन होगा. 

टेक्स्ट प्रॉम्प्ट जोड़ने की भी तैयारी
इस इमेज के साथ यूजर पॉपुलर फॉन्ट्स के साथ खुद का टेक्स्ट लिख सकता है और इन इमेज को इंस्टाग्राम और फेसबुक प्लेटफॉर्म के लिए एक खास साइज में तैयार कर सकता है. बता दें, इमेज जनेरेशन फीचर को फिलहाल रोलआउट किया जा रहा है. बहुत जल्द इसमें बेहतर कस्टमाइजेशन के लिए टेक्स्ट प्रॉम्प्ट को जोड़ा जाएगा.
 

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सरकारी Apps पर लगेगा ‘गर्वमेंट बैज’, फर्जी Apps पर लगेगी लगाम

Google Play Store ने सरकारी ऐप्स की पहचान के लिए गवर्मेंट बैज लॉन्च किया है.

Last Modified:
Wednesday, 08 May, 2024
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सरकारी ऐप्स के जरिए अब हमारे  बहुत से काम आसान हो गए हैं. ऐसी कई सुविधाएं हैं, जो हमें घर बैठे ही ऑनलाइन ऐप्स के जरिये मिल जाती हैं, लेकिन कई बार गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store) से हम फर्जी ऐप भी डाउनलोड कर लेते हैं, जिनके चक्कर में कई बार नुकसान भी उठाना पड़ जाता है. ऐसे में अब सरकारी ऐप्स की पहचान के लिए गूगल ने एक पहल करते हुए बैज लॉन्च किया है. 

फर्जी ऐप्स के जरिए हो रहे ऑनलाइन फ्रॉड
गूगल ऐप्स के जरिए होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए समय-समय पर कदम उठाता रहता है. जिसमें गूगल अपने प्ले स्टोर से फर्जी ऐप्स को भी डिलीट कर देता है. वहीं, ऑनलाइन फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कई ऑनलाइन फ्रॉड ऐप्स के जरिए भी हो रहे हैं. भारत में इन फर्जी ऐप्स पर रोक लगाने के लिए गूगल ने अब सरकारी ऐप्स के लिए एक बैज लॉन्च किया है, जिनसे सरकारी ऐप्स की पहचान होगी.

इन ऐप्स पर होगा गर्वमेंट बैज
अब गूगल प्ले स्टोर पर सरकारी एप्स के सामने गवर्नमेंट नामक बैज दिखाई देगा, जिससे यूजर्स ऐप की पहचान कर सकें. कंपनी के अनुसार इस नए गर्वमेंट बैज के तहत भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, इंडोनेशिया, मैक्सिको जैसे देशों के 2000 ऐप्स शामिल किए गए हैं. भारत में भी वोटर हेल्पलाइन, डिजिलॉकर, एम आधार, एपरिवहन जैसे ऐप इन बैज के तहत दिखाई देंगे. 

कैसा दिख रहा बैज
अगर आप गूगल प्ले स्टोर से कोई सरकारी ऐप इंस्टॉल करते हैं, तो आपके सामने प्ले वेरिफाइड दैट दिस ऐप इज एफिलियेटेड विद अ गवर्मेंट एनटिटी (Play verified that this app is affiliated with a government entity) यानी ये ऐप सरकारी है और इसे आप इंस्टॉल कर सकते हैं. अगर ऐसा मार्क नहीं आ रहा है तो समझ लें कि ऐप फर्जी है.

स्कैम और फ्रॉड पर लगेगी लगाम
ऐसा करने के पीछे गूगल का मकसद स्कैम और फ्रॉड पर लगाम लगाना है. गूगल का मानना है कि इससे यूजर्स फर्जी ऐप्स को सरकारी ऐप्स के नाम पर इंस्टॉल नहीं कर पाएंगे. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि गूगल ने ये सुविधा कई अन्य देशों में भी शुरू की है. करीब 2000 से अधिक सरकारी ऐप्स पर ऐसा मार्क दिखाया जाएगा.

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e-RUPEE से जुड़ी चिंता होगी दूर, RBI ने निकाला ये हल

आरबीआई (RBI) ने साल 2022 में ई-रुपी (e-RUPEE) जारी की थी. अब आरबीआई पायलट प्रोजेक्ट चलाकर इसके ‘ऑफलाइन’ लेन-देन को बढ़ावा दे रहा है. 

Last Modified:
Tuesday, 07 May, 2024
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देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी आगे बढ़कर काम रह रहा है. इसी कड़ी में आरबीआई ने साल 2022 में ई-रुपी (e-RUPEE) जारी की थी. ई-रुपी के जारी होने के बाद से ही देश में उसकी सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर लोगों की चिंता बढ़ी हुई है. ऐसे में अब आरबीआई ई-रुपी के ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड को गोपनीय बनाने के लिए काम कर रहा है. 

क्या है e-RUPI?
ई-रुपी एक तरह की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) है. इसे सॉवरेन बैंक करेंसी भी कहते हैं. साल 2022 में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) का इस्तेमाल करके ई-रुपी (e-RUPI) को लॉन्च किया गया था. यह करेंसी आरबीआई (RBI) के बैलेंस शीट में लायबिलिटी के तौर पर शो होती है. जिस तरह नकदी के जरिये पेमेंट किया जाता है,  ठीक उसी प्रकार हम ई-रुपी के जरिये ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं. यहां तक कि हम सैलरी भी ई-रुपी में ले सकते हैं. इसके अलावा ई-वॉलेट में ई-रुपी भी रख सकते हैं.

आरबीआई चला रहा पायलट प्रोजेक्ट 
ई-रुपी (e-Rupee) या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई पायलट प्रोग्राम भी चला रहा है. ई-रुपी की पहुंच में विस्तार लाने के लिए आरबीआई ने हाल ही में पायलट प्रोग्राम में गैर-बैंकों की भागीदारी की घोषणा की. आरबीआई ने डिजिटल भुगतान लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए एक नया ढांचा लाने और आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अतिरिक्त मानदंड तैयार करने का फैसला किया है. 

इसे लेकर बढ़ी हुई है चिंता
ई-रुपी के लॉन्च के समय से ही इसकी गोपनीयता सबसे बड़ी चिंता बनी हुई थी. कुछ लोगों का कहना था कि ई-रुपी के जरिये जो लेनदेन होता है, उसका रिकॉर्ड तैयार हो जाता है. ऐसे में रिकॉर्ड के चोरी होने का खतरा बना रहता है. कागजी मुद्रा में इस तरह का खतरा नहीं होता है क्योंकि इसमें लेनदेन की जानकारी पूरी तरह से गोपनीय होती है. उधर, आरबीआई देश में कागजी मुद्रा की तरह ही ई-रुपी को लेन-देन का जरिया बनाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है.
 
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ऐसा दूर होगी ई-रुपी से जुड़ी चिंता
1. आरबीआई के अधिकारी ई-रुपी के ऑफलाइन ट्रांजेक्शन की समस्या के समाधान पर काम कर रहे हैं.  आरबीआई का कहना है ई रुपी से जुड़ी हर समस्या को तकनीक के माध्यम से दूर किया जा सकता है.
2. सीबीडीसी को ऑफलाइन ट्रांसफर के लिए प्रोग्रामेबिलिटी फीचर लाने पर काम किया जा रहा है. प्रोग्रामेबिलिटी फीचर का उद्देश्य खराब इंटरनेट या फिर सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी क्षेत्र में भी पूर्ण रूप से ई-रुपी के जरिये ट्रांजेक्शन करना है. 
3. आरबीआई यूपीआई के साथ सीबीडीसी की इंटरऑपरेबिलिटी को भी सक्षम करने के लिए काम कर रही है.
4. भारत ने सीबीडीसी को गैर-लाभकारी बना दिया है. इसके लिए बैंक मध्यस्थता के किसी भी संभावित जोखिम को कम करने के लिए इसे ब्याज रहित बनाते हैं. आरबीआई सीबीडीसी बनाता है और बैंक इसे लोगों को वितरित करते हैं.
5. आरबीआई ई-रुपी के ट्रांजेक्शन डेटा चोरी ना हो इस पर भी तेजी से काम कर रहा है.

 


गूगल सर्वे में दें अपनी राय और पैसे कमाएं, जानना चाहेंगे कैसे?

गूगल ओपिनियन रिवॉर्ड्स (Google Opinion Rewards) ऐप आपको ऑनलाइन शॉपिंग के लिए रिवॉर्ड देता है. 

Last Modified:
Tuesday, 07 May, 2024
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अगर आप भी गूगल से पैसे कमाना चाहते हैं और फ्री ऑनलाइन शॉपिंग का आनंद लेना चाहते हैं, तो ये खबर आपके बहुत काम आएगी. दरअसल ‘गूगल ओपिनियन रिवॉर्ड्स’ (Google Opinion Rewards) गूगल का एक ऐसा ऐप है, जिसमें आप कुछ आसान से सवालों का जवाब देकर पैसे कमा सकते हैं. तो चलिए जानते हैं कैसे?

गूगल पूछेगा सवाल
वैसे तो आजकल किसी को भी राय देना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है, लेकिन गूगल आपकी राय को अहमियत भी देगा और उसके बदले आपको रिवॉर्ड भी मिलेगा. गूगल ओपिनियन रिवॉर्ड सर्वे में आप से कुछ सवाल पूछे जाते हैं. इसमें आपको 4 ऑप्शन भी मिलते हैं, जिसमें से आपको एक ऑप्शन सलेक्ट करना होगा. सर्वे पूरा होने के बाद आपको गूगल रिवॉर्ड देता है. 

ऐसे मिलेगा रिवॉर्ड 
1. रिवॉर्ड लेने के लिए सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर या एपल ऐप स्टोर पर जाएं. 
2. अब GOOGLE OPINION REWARDS ऐप डाउनलोड करें और फिर इसे इंस्टॉल कर लें. 
3. अब यहां पर साइन अप करें, इसके बाद अपनी बेसिक डिटेल्स भरें जैसे अपना नाम, उम्र, कंट्री आपकी और जेंडर आदि जानकारी दें.
4. पूछी गई सभी डिटेल्स देकर सबमिट कर दें. इसके बाद यहां पर आपको सर्वे पेज शो होगा. इसमें आपसे सवाल पूछे जाएंगे, जैसे आपको कौन-सी आईस्क्रीम पसंद हैं, इसके जवाब के लिए आपको 4 ऑप्शन में से एक सलेक्ट करना होगा. इस सर्वे को आप जब भी पूरा करेंगे आपको कुछ ना कुछ रिवॉर्ड जरूर मिलेगा.

यहां खर्च कर सकते हैं रिवॉर्ड मनी
गूगल के ये सर्वे 5-6 दिन में आते रहते हैं. इन रिवॉर्ड्स का इस्तेमाल आप किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स- अमेजन (Amazon), नेटफ्लिक्स (Netflix) और हॉटस्टार (Hotstar) आदि का सब्सक्रिप्शन लेने के लिए सकते हैं. इसके अलावा आप ऑनलाइन किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से शॉपिंग भी कर सकते हैं.

नोट- हम इस ऐप को कमाई का जरिया बनाने की सलाह नहीं दे रहे हैं. आप इसे फन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. वैसे तो सर्वे पूरा होने पर हर बार रिवॉर्ड मिलता है. लेकिन कई बार नहीं भी मिलता है जिसके बहुत कम चांस होते हैं. अगर आपको रिवॉर्ड नहीं मिला तो आप सर्वे में दोबारा ट्राई कर सकते हैं और पैसे कमा सकते हैं.

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BSNL अगस्त में लॉन्च करेगा 4G सर्विस, स्वदेशी होगी तकनीक

इस साल अगस्त में BSNL अपनी 4ंG सर्विस शुरू करने जा रहा है. इसी के साथ बीएसएनएल पूरे भारत में 4जी और 5जी सेवाओं के लिए 1.12 लाख टावर भी इंस्टॉल करेगी.

Last Modified:
Monday, 06 May, 2024
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भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के यूजर्स के लिए एक अच्छी खबर आई है. इस साल अगस्त तक देशभर में BSNL अपनी 4G सर्विस को शुरू करने जा रहा है. बीएसएनएल की 4G सर्विस का इंतजार यूजर्स काफी समय से रहे हैं, क्योंकि देश में 5जी सर्विस तक आ चुकी है, ऐसे में अब उनका इंतजार खत्म होने जा रहा है. हालांकि अभी बीएसएनएल ने अभी अधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की है. 

स्वदेश होगी तकनीक
सूत्रों से पता चला है कि बीएसएनएल ने 4जी सर्विस के लिए आत्मनिर्भर नीति के अनुरूप पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया है. 4जी नेटवर्क पर 40-45 मेगाबिट की स्पीड मिलेगी. वहीं, बीएसएनएल की 4जी सर्विस 700 मेगाहर्ट्ज (मेगाहर्ट्ज) के प्रीमियम स्पेक्ट्रम बैंड लॉन्च होगी जिसे पायलट प्रोजेक्ट के दौरान इसे 2,100 मेगाहर्ट्ज बैंड तक ले जाया जाएगा.

पिछले साल पंजाब में शुरू हुई थी 4G Service
पिछले साल कंपनी ने आईटी कंपनी टीसीएस (TCS) और राज्य संचालित दूरसंचार अनुसंधान संगठन C-DoT-led वाले कंसोर्टियम की मदद से पंजाब में 4जी सेवाएं शुरू की हैं और लगभग 8 लाख ग्राहकों को अपने साथ जोड़ा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सी-डॉट के जरिये शुरू हुई बीएसएनएल नेटवर्क 4जी सर्विस पूरे पंजाब में सुचारू रूप से काम कर रही है. इसे पिछले साल साल जुलाई में स्थापित किया गया था. अब ये सर्विस पूरे देश में शुरू होगी.

10 महीने में स्थिर हुई 4जी सर्विस
एक्सपर्ट्स के अनुसार इस जटिल तकनीक की सफलता साबित करने में 12 महीने लगते हैं लेकिन सी-डॉट कोर 10 महीने के भीतर स्थिर हो गया है. इस साल अगस्त तक बीएसएनएल पूरे देश में आत्मनिर्भर 4जी तकनीक लॉन्च करेगा. यह पूरा कोर नेटवर्क हार्डवेयर, डिवाइस और सॉफ्टवेयर का एक संग्रह है जो दूरसंचार नेटवर्क में मौलिक सर्विस देता है.

19 करोड़ रुपये का ऑर्डर
टीसीएस, तेजस नेटवर्क और सरकारी स्वामित्व वाली आईटीआई को 4जी नेटवर्क तैनात करने के लिए बीएसएनएल से लगभग 19,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है. इस नेटवर्क को आगे चलकर 5जी सर्विस में अपग्रेड किया जा सकता है.

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नेटवर्क किए जा रहे स्थापित
बीएसएनएल का मोबाइल नेटवर्क विभिन्न क्षेत्रों में तैनात किया जा रहा है. जहां भी बीएसएनएल नेटवर्क पर सी-डॉट कोर उपलब्ध नहीं है, वहां उपकरण को मौजूदा कोर में एकीकृत किया जा रहा है. जब सी-डॉट कोर उन सर्किलों में तैनात हो जाता है, तो उन क्षेत्रों में वे सी-डॉट कोर यानी तेजस नेटवर्क लिमिटेड से भी जुड़ जाएंगे. 

1.12 लाख टावर होंगे इंस्टाल
बीएसएनएल पूरे भारत में 4जी और 5जी सेवाओं के लिए 1.12 लाख टावर इंस्टॉल करेगी. कंपनी ने देश भर में 4जी सेवा के लिए 9,000 से अधिक टावर इंस्टॉल किए हैं, जिनमें से 6,000 से अधिक पंजाब, हिमाचल प्रदेश, यूपी पश्चिम और हरियाणा सर्कल में सक्रिय हैं. बीएसएनएल पिछले 4-5 वर्षों से केवल 4जी सक्षम सिम बेच रहा है. ऐसे में अब केवल उन्हीं ग्राहकों को सेवा का अनुभव लेने के लिए नई सिम लेनी होगी जिनके पास इससे पुराना सिम है


फर्जीवाड़ा करने वालों की खैर नहीं, Musk ने X पर इस नए अपडेट को लेकर दी जानकारी

एक्स (x) के सीईओ एलन मस्क एलन मस्क (Elon Musk) ने एक्स पर फर्जी फोटो की पहचान करने वाले एक एक नया अपडेट की जानकारी शेयर की है. ये अपडेट जल्द ही लॉन्च किया जाएगा.

Last Modified:
Saturday, 04 May, 2024
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आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के आने के बाद सोशल मीडिया पर लगातार डीपफेक के मामले बढ़ते जा रहे हैं. कभी किसी सेलिब्रिटी, तो कभी किसी नेता की डीपफेक फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. ऐसे में अब एक्स (x) के सीईओ एलन मस्क एलन मस्क ने इस डीपफेक से बचने के लिए एक्स (X) पर नए अपडेट को लॉन्च करने की घोषणा की है. तो चलिए जानते हैं क्या है ये नया अपडेट और इससे डीपफेक पर कैसे रोक लगेगी.

फर्जी फोटो की होगी पहचान
टेस्ला और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (x) के सीईओ एलन मस्क एलन मस्क (Elon Musk) ने शनिवार को एक्स (X) पर Community Notes की एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें ‘इम्प्रूव्ड इमेज मैचिंग’ को लेकर एक नया अपडेट लॉन्च करने की घोषणा की है. ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डीपफेक (DeepFake) के साथ-साथ शैलोफेक (shallow fake) की भी निगरानी करेगा. एलन मस्क ने एक पोस्ट में कहा, हमने अभी अपडेट जारी किया है, जो किसी भी फर्जी फोटो की पहचान करेगा.

डीपफेक को हराने में मिलेगी मदद
मस्क ने कहा कि इस कदम से डीपफेक और शैलोफेक को हराने में मदद मिलेगी. शैलोफेक्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद के बिना तैयार की गई फोटोज, वीडियो और वॉयस क्लिप हैं और व्यापक रूप से उपलब्ध एडिटिंग और सॉफ्टवेयर टूल का इस्तेमाल करते हैं. इमेज पर एक्स नोट्स ऑटोमैटिक तरीके से उन पोस्ट्स पर दिखाई देते हैं, जिनमें इमेज मिलती है. कंपनी ने कहा, ‘इन नोट्स का दर्जनों, सैकड़ों और कभी-कभी हजारों पोस्ट पर मैच होना आम बात है. अब आप सीधे नोट डिटेल्स में देख सकते हैं कि इमेज नोट कितने पोस्ट से मिलते है.

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इंटरनेट की काली दुनिया ‘Dark Web’ में कहीं लीक तो नहीं हुआ आपका पर्सनल डेटा, ऐसे करें चेक

डार्क वेब (Dark Web) इंटरनेट की एक ऐसी काली दुनिया है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है.

Last Modified:
Saturday, 04 May, 2024
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हम अक्सर सुनते हैं कि यूजर्स का डेटा लीक हो गया है या फिर बेचा जा रहा है. आपके पास भी जब कोई फर्जी कॉल आता होगा, तो आप ये जरूर सोचते होंगे, कि आपका नंबर और पर्सनल जानकारी किसी दूसरे के पास कैसे पहुंची? आपको बता दें, इसका एक कारण डार्क वेब (Dark Web) है, क्योंकि इसमें आपकी संवेदनशील जानकारी होती है. क्या आप जानते हैं कि डार्क वेब पर ये डेटा लीक कैसे होता है और किस तरह आप अपनी पर्सनल जानकारी लीक होने से बचा सकते है? अगर नहीं, तो चलिए आपको इसके बारे में पूरी जानकारे देते हैं. 

डार्क वेब के जरिए बनते हैं ठगी का शिकार
आजकल साइबर जालसाज डार्क वेब  पर उपलब्ध डाटा का उपयोग करके लोगों से ठगी करने लगे हैं. डार्क वेब इंटरनेट की एक ऐसी काली दुनिया है जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है. डीप वेब को एक्सेस करने के लिए हमें ई-मेल, नेट बैंकिंग आदि पर्सनल जानकारी देनी होती है. वहीं, डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर (Tor Browser) का इस्तेमाल किया जाता है. डार्क वेब पर ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाईल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें मिलती हैं. इंटरनेट का 96 प्रतिशत हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है. हम इंटरनेट कंटेंट के केवल 4 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल करते है जिसे सरफेस वेब कहा जाता है. डार्क वेब को सर्च इंजन से सीधे नहीं एक्सेस किया जा सकता. इसे एक्सेस करने के लिए किसी विशेष सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है. 

ऐसे जानें डार्क वेब पर आपका डेटा है या नहीं?
1. आपको सबसे पहले आपको गूगल वन (Google One) ऐप इंस्टॉल करना है. कुछ स्मार्टफोन्स में ये ऐप पहले से ही प्री-इंस्टॉल्ड भी होता है.
2. दूसरे स्टेप में ऐप को ओपन करें और होम पेज पर दिख रहे डार्क वेब रिपोर्ट पर क्लिक करें.
3. अब 'रन स्कैन' पर टैप करें और स्कैन पूरा होने तक प्रतीक्षा करें. इसमें आमतौर पर लगभग 30 सेकंड लगते हैं. 
4. एक बार स्कैनिंग पूरी हो जाए तो व्यू ऑल रिजल्ट्स पर टैप करना है.
5. यहां आप पता कर पाएंगे कि इंटरनेट की काली दुनिया यानी डार्क वेब पर आपका डेटा लीक हुआ है या नहीं.

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डेटा लीक होने के संकेत
हम इंटरनेट पर मौजूद अधिकतर चीजों के एक्सेस के लिए अपनी ईमेल और मोबाइल नंबर जैसी जानकारी साइट्स पर डालते हैं और कुछ ऐसी साइट्स होती हैं, जो डेटा को स्कैमर्स को बेच देती हैं, स्कैमर्स इसको डार्क वेब पर पेज देते हैं, जिसके बाद आपके फर्जी कॉल आना शुरू हो जाते हैं. यही संकेत है कि आपका डेटा भी लीक हो गया है.

डेटा लीक होने से कैसे बचाएं?
अपना डेटा लीक होने से बचाने के लिए अपने सभी ऑनलाइन अकाउंट का पासवर्ड मजबूत सेट करें और समय-समय पर पासवर्ड को बदलते रहें. वहीं, सुरक्षा से लिए अपने अकाउंट पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन एक्टिव रखें. किसी अनजान और संदिग्ध सोर्स से आए लिंक पर क्लिक न करें और किसी फाइल को भी डाउनलोड ना करें. अपने डिवाइस को मालवेयर और हैकर्स से बचाने के लिए विश्वसनीय एंटीवायरस का उपयोग करें.

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ऐसा क्या बड़ा करने जा रहा है OpenAI, Google को मिलेगी जोरदार टक्कर!

माइक्रोसॉफ्ट की कंपनी OpenAI मई में होने वाले अपने एक इवेंट में एक बड़ी घोषणा कर सकती है. इससे गूगल को खतरा हो सकता है.

Last Modified:
Friday, 03 May, 2024
BWHindia


आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के आने से तकनीकी जगत में लगातार नए बदलाव हो रहे हैं. ऐसे में अब ChatGPT बनाने वाली कंपनी ओपनआई OpenAI भी एक नई घोषणा करने वाली है. जानकारी के अनुसरा कंपनी अब सीधे Google को टक्कर देने की तैयारी कर रही है. तो चलिए जानते हैं ओपनएआई क्या नई घोषणा करने जा रहा है और ये गूगल को कैसे टक्कर देगा? 

गूगल सर्च इंजन को मिलेगी टक्कर
जानकारी के अनुसार माइक्रोसॉफ्ट की कंपनी OpenAI अपने नया सर्च इंजन लॉन्च कर सकती है. ये नया सर्च इंजन Google के सर्च इंजन को टक्कर दे सकता है. एक रिपोर्ट में जानकारी सामने आई है कि कंपनी इस महीने यानी मई में ही एक इवेंट की योजना बना रही है, जिसमें कुछ नई घोषणाएं की जा सकती है. सूत्रों के अनुसार ये इवेंट 9 मई को हो सकता है, जिसमें ओपनएआई अपने नए सर्च इंजन की घोषणा कर सकता है.  आपको बता दें, सर्च इंजन के मामले में अब तक दुनियाभर में गूगल का वर्चस्व है लेकिन अब इसका तगड़ा कम्पीटिटर आने वाला है. 

इवेंट से पहले हुई कई भर्तियां
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ओपनएआई द्वारा जनवरी में इन-हाउस इवेंट स्टाफ और इवेंट मार्केटिंग के लिए जोर शोर से भर्तियां की गई और पिछले महीने ही कंपनी ने एक इवेंट मैनेजर को भी नियुक्त किया है. ऐसे में इस इवेंट में ओपनएआई अपने अगले बड़े प्रोजेक्ट का अनावरण कर सकता है. वहीं, अटकलें ये लगाई जा रही हैं कि इस इवेंट में ओपनएआई अपने नए सर्च इंजन की घोषणा कर सकता है. ओपनएआई का संभावित सर्च ऐप माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला की पिछले साल ओपनएआई के GPT मॉडल को बिंग में इंटीग्रेट करके मेक गूगल डांस की घोषणा का रिजल्ट हो सकता है.

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माइक्रोसॉफ्ट बिंग पर काम कर सकता है OpenAI Search
जानकारी के अनुसार OpenAI एक वेब सर्च प्रोडक्ट डेवलप कर रहा है, जो संभावित रूप से Google के साथ अपनी प्रतिस्पर्धा को बढ़ा रहा है. यह सर्विस कुछ हद तक माइक्रोसॉफ्ट बिंग (microsoft bing) के बुनियादी ढांचे का लाभ उठा सकती है. लेक्स फ्रिडमैन के साथ हाल ही में पॉडकास्ट में, ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने सर्च में लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) की क्षमता को स्वीकार किया. उन्होंने कहा था कि एलएलएम और सर्च का सही मेल अभी तक हासिल नहीं हुआ है और उन्हें इस चुनौती से निपटना अच्छा लगेगा, यह रोमांचक होगा. हालांकि, ऑल्टमैन ने केवल गूगल सर्च की नकल करने से बचने की OpenAI की इच्छा पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि उन्हें वर्तमान मॉडल उबाऊ लगता है. सवाल ‘बेहतर’ गूगल सर्च को बनाने के बारे में नहीं होना चाहिए.

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क्या है Digital House Arrest? इस ट्रैप में फंसे तो खाली हो जाएगा अकाउंट

RBI की हालिया रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में भारत में 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बैंक धोखाधड़ी दर्ज की गई है. इसमें लोगों को लाखों, करोड़ों रुपये का चूना लग चुका है. 

Last Modified:
Friday, 03 May, 2024
BWHindia

इस डिजिटल युग में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ता जा रहा है. साथ ही साइबर क्राइम के नए नए तरीके भी सामने आ रहे हैं. आपको बता दें, अब साइबर अपराधियों ने लोगों के साथ ठगी करने का एक और नया तरीका निकाल लिया है. इस नए तरीको को डिजिटल हाउस अरेस्ट कहते हैं. इसमें ठग पुलिस, सीबीआई, कस्टम अधिकारी बनकर लोगों को डराते हैं और उनका बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं. हाल ही में ऐसे कुछ मामले सामने भी आए हैं, तो चलिए आपको कुछ उदाहरण के साथ समझाचे हैं ये डिजिटल हाउस अरेस्ट क्या है और आप इसका शिकार होने से कैसे बच सकते हैं?

ऐसे किया जाता है डिजिटल हाउस अरेस्ट 
डिजिटल हाउस अरेस्ट में स्कैमर्स पीड़ित को कॉल या वीडियो कॉल करते हैं और बंधक बना लेते हैं. स्कैमर्स एक ऐसा सेटअप बना लेते हैं, जिसमें लगता है कि वे पुलिस स्टेशन से बात कर रहे हैं. साइबर अपराधी पीड़ित को कॉल करके कहते हैं कि आपके फोन नंबर, आधार, बैंक अकाउंट से गलत काम हुए हैं. वे गिरफ्तारी का डर दिखाकर पीड़ित को घर पर ही कैद कर लते हैं और उन्हें पैसे देने के लिए मजबूर कर देते हैं. 

प्रयागराज में महिला को ठगा
उहादरण मामले को उदाहरण के साथ समझें, हाल ही में प्रयागराज में डिजिटल हाउस अरेस्ट का मामला सामने आया था, जिसमें स्कैमर्स ने एक महिला को घर पर ही बंधक बनाकर 1 करोड़ 48 लाख रुपये ठग लिए. जानकारी के अनुसार प्रयागराज की एक महिला को ठग ने इंटरनेशनल कोरियर कंपनी का कर्मचारी बनकर कॉल किया. उसने महिला को बताया कि उनके नाम से ड्रग्स, लैपटॉप और क्रेडिट कार्ड वाला एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा है. महिला ने जब इस तरह के किसी भी पार्सल की जनकारी न होने की बात कही तो उन्होंने बताया कि वे इसकी शिकायत दर्ज करवा रहे हैं. इसके बाद महिला के पास एक वीडियो कॉल आता है, जिसका बैकग्राउंड किसी पुलिस स्टेशन का था. पुलिस की यूनिफॉर्म में एक व्यक्ति ने वीडियो कॉल पर महिला को करीब 3 दिन तक बंधक बनाकर रखा और डरा-धमकाकर 1 करोड़ 48 लाख रुपये अलग-अलग खातों में जमा करवा लिए. 

ये शिकार होने से बचे
30 दिसंबर 2023 में दिल्ली में भी एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था, तभी उसे एक फोन आया और फोन करने वाले ने अपना नाम लिया और कहा कि वह साइबर क्राइम मुंबई शाखा से बोल रहा है. उसने पीड़ित को बताया कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल कुछ कोरियर पैकेजों में ड्रग्स के परिवहन के लिए किया गया था, जिसे अपराध शाखा ने जब्त कर लिया था. आरोपी ने उससे पूछताछ शुरू कर दी, जिससे पीड़िता के मन में डर बैठ गया. उन्होंने पीड़ित को पूछताछ के दौरान लगभग 8 घंटे तकघर में कैद रखा और उससे एक स्काइप एप्लिकेशन डाउनलोड करने और डेस्कटॉप तक रिमोट एक्सेस करने के लिए कहा. लेकिन पीड़ित ठगों को शिकार नहीं हुआ और उसने पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज कराई. इस तरह आप भी सावधानी बरतेंगे तो इस, अपराध का शिकार होने से बच सकते हैं.

पिछले साल 30 हजार करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी हुई दर्ज 
आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में वित्त वर्ष 2023 में 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बैंक धोखाधड़ी दर्ज की गई है. पिछले दशक में भारतीय बैंकों में 65,017 धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए हैं, जिस कारण लोगों को 4.69 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. साइबर अपराधीलोगों को धोखा देने के लिए यूपीआई, क्रेडिट कार्ड, ओटीपी और नौकरी और डिलीवरी स्कैम जैसे अलग अलग घोटालों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनके अलावा डिजिटल हाउस अरेस्ट घोटालेबाजों के लिए नए नया तरीका बनता जा रहा है.

इन बातों का रखें ध्यान
1. किसी भी तरह के साइबर फ्रॉड से बचने के लिए आपको हमेशा सावधान और सतर्क रहना चाहिए. कभी भी अगर आप इस तरह के कॉल रिसीव करते हैं तो सबसे पहले आपको सावधान रहने की जरूरत है. इसके साथ ही ऑनलाइन स्कैम और फ्रॉड के तरीकों की जानकारी रखें. आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार, बैंक या फिर कोई भी जांच एजेंसी कॉल पर आपको डरा या धमका नहीं सकती है. आप कॉल काट कर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा लें. 
2. किसी को भी कॉल पर पर्सनल या फाइनेंशियल डिटेल जैसी जानकारी बिलकुल भी शेयर न करें. अगर इस तरह की जानकारी आपको भेजनी भी पड़ी तो पहले उस कॉलर की पहचान जरूरी तौर पर वेरिफाई कर लें.
3. अगर आपको किसी भी तरह से स्कैमर्स की कॉल या मैसेज आते हैं तो इन्हें रिपोर्ट करें. इसके साथ ही अगर आपके बैंक अकाउंट में कुछ भी संदिग्ध अगर आपको लगता हैं तो इसकी भी शिकायत करें. स्कैम कॉल या मैसेज को रिपोर्ट करने के लिए आप सरकारी पोर्टल चक्षु का इस्तेमाल कर सकते हैं.
4. ऑनलाइन स्कैम या डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के लिए आपको अपने सभी अकाउंट (बैंक से लेकर सोशल मीडिया और ईमेल) को सेफ रखना आवश्यक है. अपने सभी पासवर्ड और पिन समय-समय पर अपडेट करते रहें और उन्हें मजूबत बनाने की कोशिश करें. इसके साथ अकाउंट की सेफ्टी के लिए 2-फैक्टर ऑथन्टिकेशन जरूर से इनेबल रखें. अपने सभी डिवाइस को लेटेस्ट सॉफ्टवेयर के साथ अपडेट रखें


YouTube पर आया कमाल का फीचर बचाएगा आपका टाइम

YouTube आपके लिए एक नया फीचर लेकर आया है, जिसकी मदद से आप अपना काफी समय बचा सकते हैं.

Last Modified:
Thursday, 02 May, 2024
BWHindia

अगर आप भी घंटो यूट्यूब पर एक्विट रहते हैं, तो ये जानकारी आपके काम की हो सकती है. आपको बता दें, यूट्यूब (YouTube) का लंबे समय तक इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के लिए प्लेटफॉर्म पर एक खास फीचर की सुविधा मिलती है. अगर आपको यूट्यूब पर वीडियो देखते हुए समय का पता ही नहीं चलता, तो परेशान न हों. अगर आप अपना समय बचाना चाहते हैं तो यूट्यूब पर आपके लिए Remind me to take a break, नाम का एक फीचर है. क्या आप जानते हैं ये फीचर आपके कैसे काम आ सकता है? अगर नहीं, तो चलिए आज आपको इसकी पूरी जानकारी देते हैं. 

क्या है YouTube Remind me to take a break feature?
यूट्यूब के रिमाइंड मी टू टेक अ ब्रेक फीचर (YouTube Remind me to take a break feature) के साथ वे यूजर जो अपना ज्यादातर समय प्लेटफॉर्म पर बिताते हैं, उन्हें लाइफ और टेक के बीच बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है. 
 
क्यों जरूरी है इस फीचर का इस्तेमाल?
बहुत देर तक स्क्रीन पर एक्टिव रहने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है. यूट्यूब पर घंटों बिताना आपके माइंड को बिजी रखता है. ऐसे में दिनभर के दूसरे कामों के बाद थकान मिटाने के लिए कुछ समय के लिए तो यह ऐप काम का है, लेकिन ज्यादा समय बिताना आंखों को थका सकता है. आपके सिर में दर्द की समस्या भी पैदा हो सकती है. यही वजह है कि इस तरह के फीचर के साथ यूजर को स्क्रीन से हटने यानी ब्रेक लेने का रिमांडर मिलता है.

कैसे काम करता है ये फीचर?
इस फीचर में आप अपनी सुविधा के अनुसार एक टाइमर सेट कर सकते हैं. इसमें 5 मिनट से लेकर 23 घंटों तक का टाइम सेट किया जा सकता है. टाइम सेट करने के बाद यह सेट टाइम के अनुसार ये यूजर को ब्रेक लेने के लिए रिमांडर भेजता है.

ऐसे करें इस्तेमाल
1.सबसे पहले फोन में यूट्यूब ऐप ओपन करना होगा.
2. अब टॉप राइट कॉर्नर पर प्रोफाइल आइकन पर टैप करना होगा.
3. अब टॉप राइट कॉर्नर पर सेटिंग आइकन पर टैप करना होगा.
4. अब लिस्ट से General पर टैप करना होगा.
5. अब Remind me to take a break feature पर टैप करना होगा.
6. टाइमर सेट कर रिमाइंडर अपने आप ऑन हो जाता है.