Sharad Pawar ने NCP प्रेसिडेंट की कुर्सी छोड़ी, कारोबारी दुनिया में भी रहा है दबदबा 

शरद पवार सियासत के साथ-साथ कारोबारी दुनिया में भी दखल रखते हैं. हाल ही में उन्होंने हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर विपक्ष के आरोपों से उलट बयान देकर सबको चौंका दिया था.

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Tuesday, 02 May, 2023
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राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार (Sharad Pawar) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का अध्यक्ष पद छोड़ दिया है. यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे शरद पवार का सियासी कद इतना बड़ा है कि हर पार्टी में उनका सम्मान होता है और उनकी बातों को गंभीरता से सुना जाता है. पवार के इस कदम से महाराष्ट्र की राजनीति में किसी बड़ी उथल-पुथल के संकेत मिलते हैं. क्योंकि हाल ही में खबर आई थी कि उनके डिप्टी यानी अजित पवार कई विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम सकते हैं. 

अडानी से पुरानी दोस्ती
शरद पवार सियासत के साथ-साथ कारोबारी दुनिया में भी दखल रखते हैं. गौतम अडानी सहित तमाम कारोबारियों से उनके नजदीकी संबंध है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर विपक्ष द्वारा गौतम अडानी पर किए गए हमलों का उन्होंने विरोध किया था. दरअसल, पवार और अडानी का रिश्ता काफी पुराना है. पवार ने साल 2015 में मराठी भाषा में प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती’ में अडानी की जमकर तारीफ की थी. उन्होंने अडानी को एक मेहनती, साधारण, जमीन से जुड़ा व्यक्ति बताया था. बड़े-बड़े बिजनेसमैन आज भी पवार से सलाह लेते हैं. 

32.73 करोड़ की संपत्ति
NCP लीडर की संपत्ति की बात करें, तो उनके इन्वेस्टमेंट को लेकर खास जानकारी उपलब्ध नहीं है. हालांकि, पूर्व के चुनावी हलकनामे में उन्होंने बताया था कि उनके पास करीब 32.73 करोड़ रुपए की संपत्ति है. पवार के पास 25,21,33,329 रुपए की चल संपत्ति और 7,52,33,941 रुपए की अचल इस तरह कुल 32.73 करोड़ रुपए की संपत्ति. वहीं, शरद पवार पर करीब 1 करोड़ की देनदारी भी है. यानी उन्हें इतना अकाउंट चुकाना है. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पवार की फैमिली ने शेयर्स, बॉन्ड और डिबेंचर्स में भी पैसे लगाए हैं. 

घूमते हैं लग्जरी कारों में
हलफनामे के मुताबिक, शरद पवार के पास 1 लाख रुपए की LIC पॉलिसी है. उन्होंने प्रॉपर्टी में भी इन्वेस्ट किया हुआ है. उनके पास 3 करोड़ से अधिक कीमत वाली कमर्शियल बिल्डिंग है. साथ ही वह एक करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की कृषि भूमि के भी मालिक हैं. पवार ने हलफनामे में कहा था कि उनके नाम पर कोई भी काम रजिस्टर्ड नहीं है. हालांकि, उन्हें अक्सर Luxus LX 570 और Toyota Land Cruiser जैसी लग्जरी कारों में देखा जा सकता है. Toyota Land Cruiser की कीमत जहां एक करोड़ से ज्यादा है. वहीं, Luxus LX 570 की कीमत लगभग 2.40 करोड़ रुपए है. गौरतलब है कि शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर NCP बनाई थी. उसके बाद से ही वे पार्टी के अध्यक्ष थे. वह 2005 से 2008 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (BCCI) के अध्यक्ष भी रहे. इसके अलावा, 2010 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के प्रेसिडेंट की जिम्मेदारी भी संभाली. 
 


राम मंदिर को 'बेकार का' कहने वाले Ram Gopal Yadav को कितना जानते हैं आप?

समाजवादी पार्टी लीडर रामगोपाल यादव राज्यसभा सांसद हैं. उनका बेटा अक्षय यादव लोकसभा के चुनावी मैदान में है.

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Tuesday, 07 May, 2024
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लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण के मतदान के बीच समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इन मुश्किलों की वजह अखिलेश खुद नहीं बल्कि उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव (Ram Gopal Yadav) हैं. रामगोपाल ने अयोध्या के राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) को लेकर कुछ ऐसा कह दिया है, जो मतदाताओं को शायद ही पसंद आए. उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर जारी वोटिंग के बीच सपा नेता का विवादित बयान पार्टी का गणित बिगाड़ सकता है. उधर, बीजेपी ने रामगोपाल के बयान को लेकर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. 

क्या कहा रामगोपाल ने?
रामगोपाल यादव ने एक निजी TV चैनल से बातचीत में अयोध्या राम मंदिर के दर्शन के लिए नहीं जाने से जुड़े सवाल पर विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा कि हम तो रोज राम के दर्शन करते हैं. वो बेकार का है. मंदिर ऐसे बनाए जाते हैं? पुराने मंदिर देख लीजिए कैसे बने हैं. इसका नक्शा ठीक से नहीं बना है. वास्तु के लिहाज से ठीक नहीं बनाया गया है वो मंदिर. अब रामगोपाल के बयान का जमकर विरोध शुरू हो गया है. बीजेपी लीडर आचार्य प्रमोद कृष्‍णन ने समाजवादी पार्टी राम और राष्‍ट्रविरोधी करार दिया है. वहीं, राजनीतिक पंडितों का भी मानना है कि यादव के बयान ने भाजपा को सपा पर निशाना साधने का मौका दे दिया है.  

कितने अमीर हैं सपा नेता?
फिरोजाबाद के रामगोपाल यादव राजनीति में आने से पहले प्रोफेसर थे. अपने सियासी सफर में उन्होंने शौहरत के साथ-साथ खूब दौलत भी कमाई है. 2020 में समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते समय अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया था. उसके अनुसार, रामगोपाल यादव 14 करोड़ 19 लाख रुपए की संपत्ति के मालिक हैं. जबकि 2014 में उनकी कुल संपत्ति 10 करोड़ 49 लाख 3 हजार 998 रुपए  थी. यानी 2014 से 2020 के बीच उनकी संपत्ति में करीब पौने चार करोड़ का इजाफा हुआ था. राम गोपाल यादव के पास दो कार और तीन विदेशी हथियार हैं. उनके पास उस समय 30 लाख रुपए के सोने के आभूषण थे. रामगोपाल ने बताया था कि उन पर 89 लाख 16 हजार रुपए का कर्ज है.

बेटे के पास भी है खूब दौलत 
अब यह भी जान लेते हैं कि लोकसभा चुनाव लड़ रहे उनके बेटे अक्षय यादव के पास कितनी दौलत है. अक्षय फिरोजाबाद सीट से मैदान में हैं और उनकी किस्मत का फैसला आज जनता कर देगी. अक्षय यादव के पास 15.42 लाख रुपए कैश और विभिन्न बैंक खातों में 19.52 लाख रुपए हैं. जबकि उनकी पत्नी रिचा यादव के पास 91,822 रुपए नकद हैं. अक्षय यादव ने कई अलग-अलग कंपनियों में 6.09 करोड़ रुपए का निवेश किया हुआ है. अक्षय के पास 24.31 करोड़ की अचल संपत्ति है. इसके अलावा, सपा प्रत्याशी के पास 52.36 करोड़ रुपए की कृषि योग्य भूमि और 27.88 करोड़ की कमर्शियल बिल्डिंग है. वह सांई गोपाल एग्रोटेक के नाम से नोएडा में एक कंपनी भी चलाते हैं. 


दिल्ली के रण में सबसे अमीर हैं मनोज तिवारी, जानिए अन्य उम्मीदवारों की कितनी है संपत्ति

लोकसभा चुनाव 2024 के तहत विभिन्न दलों के प्रत्याशियों ने अपने-अपने नामांकन दाखिल किए हैं. इसी क्रम में दिल्ली में उम्मीदवारों ने भी अपने नामांकन दाखिल किए हैं और संपत्ति की घोषणा की है.

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Tuesday, 07 May, 2024
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भारत में लोकसभा चुनाव 2024 के तहत तीसरे चरण का मतदान आज हो रहा है. वहीं राजधानी दिल्ली की सभी सीटों पर पांचवें चरण में 25 मई को मतदान होगा. इसके लिए नामांकम प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. प्रत्याशियों की ओर से भरे गए हलफनामे के अनुसार मनोज तिवारी दिल्ली के सबसे अमीर प्रत्याशी हैं. जानिए उनके पास कितनी है कुल संपत्ति और सालाना कमाई. साथ ही जानिए अन्य प्रत्याशियों की संपत्ति.

मनोज तिवारी की कुल संपत्ति

उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे मनोज तिवारी भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के प्रमुख उम्मीदवारों के मुकाबले सबसे अमीर प्रत्याशी हैं. भोजपुरी गायक/अभिनेता से नेता बने 53 वर्षीय मनोज तिवारी ने अपनी संपत्ति घोषित की है. उन्होंने बताया है कि उनकी कुल संपत्ति 28.05 करोड़ रुपये है. मनोज तिवारी ने 2022-23 के लिए दाखिल आयकर विवरण में बताया कि उनकी आय 46.25 लाख रुपये है. मनोज तिवारी ने बताया है कि वह गायन, अभिनय और एक सांसद के तौर पर ये कमाई करते हैं.

दूसरे नंबर पर कौन सबसे ज्यादा अमीर?

दिल्ली के सबसे अमीर प्रत्याशियों की लिस्ट में दूसरा नाम दक्षिण दिल्ली से भाजपा उम्मीदवार रामवीर सिंह बिधूड़ी का है. 71 साल के बिधूड़ी के पास में 21.08 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति है. 2022-23 के आयकर विवरण के अनुसार, बिधूड़ी की आय 14.93 लाख रुपये थी.

अन्य उम्मीदवार कितने अमीर?

•    पश्चिमी दिल्ली से आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार महाबल मिश्रा तीसरे सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. उनके पास 19.93 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति है.
•    नई दिल्ली संसदीय सीट से बीजेपी उम्मीदवार बांसुरी स्वराज (40) चौथी सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. बांसुरी के पास कुल 19 करोड़ रुपये की संपत्ति है. 2022-23 के लिए दाखिल ITR में स्वराज ने अपना इनकम 68.28 लाख रुपये बताया है.
•    AAP को छोड़कर BSP ज्वाइन करने वाले राजकुमार आनंद के पास कुल 17.87 करोड़ रुपये की संपत्ति है. राजकुमार ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
•    उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार JNU छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के पास कुल 10.65 लाख रुपये की संपत्ति है. इसमें 8 लाख रुपये की चल और 2.65 लाख रुपये की अचल संपत्ति है.
•    चांदनी चौक से बीजेपी उम्मीदवार प्रवीण खंडेवाल की कुल संपत्ति 6.62 करोड़ रुपये है. 2022-23 के लिए दाखिल आईटीआर में उन्होंने अपनी आय 4.56 लाख रुपये बताया है.
•    पश्चिम दिल्ली सीट से बीजेपी उम्मीदवार कमलजीत सेहरावत के पास कुल 1.30 करोड़ की चल और 27.60 लाख रुपये की अचल संपत्ति है.
•    नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज ने अपने 2022-23 के आयकर रिटर्न में लगभग 1 करोड़ रुपये की आय दिखाई है. उनके पास 5.54 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है.
•    पूर्वी दिल्ली से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार के पास 21.41 लाख रुपये की चल संपत्ति है. उनके पास कोई अचल संपत्ति नहीं है.
•    वहीं, चांदनी चौक से कांग्रेस उम्मीदवार जेपी अग्रवाल के पास कुल चल संपत्ति 76.98 रुपये की है. इसके अलावा उनके पास 1.78 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है.
•    पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष मल्होत्रा के पास कुल 3.75 करोड़ रुपये की संपत्ति है.

दिल्ली में 25 मई को मतदान

दिल्ली की सभी सातों सीटों पर छठे चरण में 25 मई को मतदान है. कांग्रेस इस बार दिल्ली की तीन सीटों पर जबकि आम आदमी पार्टी राजधानी की चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इन सभी सीटों के लिए चुनाव परिणाम आयोग द्वारा एक साथ 4 जून को जारी किए जाएंगे. 2019 में बीजेपी ने दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत हासिल की थी.
 


कम Voting प्रतिशत: BW हिंदी के 'गणित' पर SBI रिसर्च ने भी लगाई मुहर!  

BW हिंदी ने अपनी पिछले महीने की रिपोर्ट में ही स्पष्ट कर दिया था कि पहले 2 चरणों की वोटिंग को कम नहीं कहा जा सकता.

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Tuesday, 07 May, 2024
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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के तीसरे चरण की वोटिंग आज यानी 7 मई को चल रही है. 19 अप्रैल को पहले चरण में 102 सीटों पर मतदान हुआ था. वहीं, 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 88 सीटों पर वोटिंग हुई थी. दोनों ही चरण के वोटिंग प्रतिशत को 2019 के मुकाबले कम बताया गया है. पहले चरण में औसत मतदान 65.5% रहा, जबकि 2019 में इन्हीं सीटों के 70% से अधिक मतदान हुआ था. इसी तरह, दूसरे चरण में 62% वोटिंग हुई, जो 2019 के मुकाबले करीब 7% कम है. इन आंकड़ों को लेकर कयासों का दौर भी शुरू हो गया. किसी ने कम वोटिंग प्रतिशत को बीजेपी के पक्ष में बताया, तो किसी ने इसे BJP की चिंता करार दिया. लेकिन BW Hindi ने अपने 30 अप्रैल के आकलन में स्पष्ट कर दिया था कि 2 चरणों के वोटिंग परसेंटेज को 2019 के मतदान प्रतिशत से कम नहीं कहा जा सकता.

पहले से अधिक वोटर्स ने डाले मत
BW हिंदी ने पूरा गणित समझाया था कि क्यों इस बार के 2 चरणों के लोकसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत की तुलना पिछले लोकसभा चुनाव से नहीं की जा सकती. अब हमारे 'गणित' पर एसबीआई रिसर्च ने भी मुहर लगा दी है. भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही प्रतिशत के लिहाज से 2019 की तुलना में 2024 में मतदान अनुपात में कमी की बात कही जा रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि 2019 की तुलना में अब तक हुए चुनावों में अधिक मतदाताओं ने वोट डाले हैं.  

हमने लगाया था ये गणित
2019 में देश में कुल मतदाता थे 89.6 करोड़ और 2024 में यह संख्या है 97 करोड़. यानी पिछली बार के मुकाबले रजिस्टर्ड वोटर्स की संख्या इस बार ज्यादा है. अब सवाल ये उठता है कि जब इस बार मतदाताओं की कुल संख्या 2019 से ज्यादा है, तो दोनों चुनावों के आंकड़ों की तुलना के आधार पर कम वोटिंग % की बात कहना क्या जायज है? इसे एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं. मान लीजिए की पिछले चुनाव में 1 लाख पंजीकृत मतदाता थे और 50 प्रतिशत मतदान हुआ. इस बार 2 लाख मतदाता हैं और 48 प्रतिशत मतदान हुआ, तो क्या उसे पहले से कम वोटिंग प्रतिशत कहा जा सकता है? कुल मतदाताओं के हिसाब से मतदान का प्रतिशत कम या ज्यादा हो सकता है, लेकिन इसे 2019 की तुलना में कम नहीं कहा जा सकता.

ये है SBI रिसर्च का कहना
इस बार के लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में 2019 के पहले दो चरणों में हुए चुनाव के कुल वोटरों से 8.7 लाख अधिक मतदाताओं ने वोट डाले हैं. एसबीआई रिसर्च की 'व्हाइट नॉइज़: ए जे-शेप्ड वोटिंग ऑन द एनविल' शीर्षक वाली रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि लोकसभा चुनाव 2024 के पहले दो चरणों में कम मतदान की बात मिथक थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि मतदान के स्पष्ट और बेहतर पैमाने का आकलन मतदाताओं की पूर्ण संख्या से किया जा सकता है न कि डाले गए मतों के प्रतिशत पर. यानी एक तरह से SBI की इस रिपोर्ट ने BW हिंदी के 'गणित' पर मुहर लगा दी है.  


पीएम मोदी ने डाला वोट, रिकॉर्ड मतदान की अपील, चुनाव आयोग को इस बात के लिए दी बधाई

देश में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत आज 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 93 सीट के लिए मतदान जारी.

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Tuesday, 07 May, 2024
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देश के 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 93 सीटों पर आज तीसरे चरण का मतदान हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज अहमदाबाद के निशान विद्यालय पोलिंग बूथ पर जाकर वोट डाला. इस दौरान पोलिंग बूथ पर गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहें. लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत देश के 11 राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों की 93 सीटों पर मतदान चल रहा है. पीएम मोदी ने तीसरे चरण के तहत मतदान वाली सीटों के मतदाताओं से अधिक से अधिक संख्या में मतदान कर वोटिंग का नया रिकॉर्ड बनाने की अपील की है.

रिकॉर्ड मतदान की अपील

पीएम मोदी ने वोट डालने के बाद कहा कि आज तीसरे चरण का मतदान है मैं देशवासियों से विशेष रूप से आग्रह करूंगा कि लोकतंत्र में मतदान एक सामान्य दान नहीं है. हमारे देश में दान का एक महत्व है, उसी भाव से देशवासी ज़्यादा से ज़्यादा मतदान करें. आज तीसरे चरण का मतदान है अभी चार दौर आगे भी है. मैं यहीं पर हमेशा मतदान करता हूं और अमित भाई यहां से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. मैं गुजरात के मतादाताओं को और देश के मतदाताओं का भी ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं.

पीएम मोदी ने चुनाव आयोग को दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लोकसभा चुनाव के पहले दो चरण में लगभग हिंसा मुक्त माहौल में मतदान कराने के लिए मंगलवार को चुनाव आयोग को बधाई दी और लोगों से ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की अपील की, उन्होंने कहा कि मैं चुनाव के पहले दो चरण लगभग हिंसा मुक्त तरीके से संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग को बधाई देता हूं. मैं मतदाता-हितैषी तरीके से मतदान कराने के लिए भी निर्वाचन आयोग को बधाई देता हूं.

अमित शाह ने भी किया मतदान

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात के अहमदाबाद में एक मतदान केंद्र पर परिवार के साथ जाकर अपना वोट डाला. अमित शाह गांधीनगर लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार हैं. कांग्रेस ने अपनी पार्टी सचिव सोनल पटेल को गांधीनगर से मैदान में उतारा है. गुजरात के अहमदाबाद में अपना वोट डालने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज लोकतंत्र के इस त्योहार के अवसर पर मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं और देशवासियों से अपील करता हूं कि वे लोकतंत्र के इस उत्सव में भाग लें.

अमित शाह समेत कई दिग्गजों की साख दांव पर

11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 93 सीटों पर 1300 से अधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. आज के चुनाव में जिन नेताओं की किस्मत दांव पर लगी है, उसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ-साथ 4 पूर्व मुख्यमंत्री हैं. इनके अलावा अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और असम में AIUDF के नेता बदरुद्दीन अजमल भी बड़े चेहरे हैं, जिनकी किस्मत आज ईवीएम में बंद हो जाएगी. बंगाल में भी 4 सीटों पर चुनाव कराया जा रहा है, जहां कड़े मुकाबले के आसार हैं.
 


पार्टी के पास मिला था करोड़ों का चंदा, चुनावी मैदान में उतरे, तो रडार पर आए प्रत्याशी 

सरदार वल्लभभाई पटेल पार्टी ने भी मुंबई की तीन लोकसभा सीटों पर अपने तीन प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. ये पार्टी आयकर विभाग (Income Tax Department) के रडार पर है.

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Monday, 06 May, 2024
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लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के बीच मुंबई एक ऐसी करोड़पति पार्टी चर्चा में आई है, जिसका पार्टी कार्यालय एक फोटोकॉपी की दुकान से चलता है. इस पार्टी ने अपने तीन उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पार्टी के उम्मीदवारों की कोई इनकम नहीं है और दो उम्मीदवार तो ऐसे हैं, जिनके पास अपना घर तक नहीं है. वहीं, पार्टी ने जैसे ही अपने उम्मीदवारों को  चुनावी मैदान में उतारा, वैसे ही  ये आयकर विभाग (Income Tax Department) की रडार पर आ गए हैं.  तो चलिए आपको बताते हैं इस पार्टी के उम्मीदवार कौन हैं और  ये कहां से चुनाव लड़ रहे हैं?

आयकर विभाग की रडार में पार्टी और उम्मीदवार
मुंबई में इन दिनों एक पार्टी खूब चर्चा में है. इस पार्टी का नाम सरदार वल्लभभाई पटेल पार्टी (एसवीपीपी) है. ये एक रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टी है. दो साल पहले आयकर विभाग ने एसपीवीपी समेत 200 पार्टियों की जांच की थी. टैक्स चोरी के मामले में आयकर विभाग ने इनके ठिकानों पर भी छापा मारा था. दरअसल, ये पार्टियां बैंकिंग के माध्यम से अपने क्लाइंट से डोनेशन लेती हैं और फिर अपना कमीशन काटकर कैश में वापस कर देती हैं. एसवीपीपी कभी सक्रिय नहीं दिखाई दी, लेकिन इनके पास भी 55.5 करोड़ रुपये का चंदा पाया गया था. सूत्रों के अनुसार इस तरह तकी पार्टी हवाला कारोबार के लिए बनाई जाती है. पार्टी नेताओं को 0.01 प्रतिशत का कमीशन मिलता है. वहीं, पार्टियों को चंदा देने वालों का टैक्स भी बचता है. ऐसे में अब ये पार्टी और इसके उम्मीदवार आयकर विभाग की नजरों में आ गए हैं. इनसे पूछताछ भी चल रही है. 

उम्मीदवारों की इनकम Nill
इस पार्टी ने 2022 में अपनी इनकम की जानकारी चुनाव आयोग को दी थी, वहीं, अब इस पार्टी से लड़ने वाले उम्मीदवारों ने हलफनामे में अपनी इनकम भी निल (NILL) दिखाई है. उनके पास कोई वाहन भी नहीं है. तीन में से दो ने जानकारी में बताया है कि उनके पास घर भी नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 60 साल के प्रत्याशी कमलेश व्याज बोरिवली में एक सोसायटी में रहते हैं. वह उत्तर मुंबई से चुनाव लड़ रहे हैं आइटी विभाग का कहना है कि वह आईटी के केस के बारे में बात करने में समर्थ नहीं है. इसके अलावा 38 साल के महेश सावंत ने मुंबई साउथ सेंट्रल से पर्चा भरा है. वहीं 45 साल के भवान चौधरी ने मुंबई नॉर्थ ईस्ट से नामांकन दाखिल किया है.

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एक चॉल में स्थित फोटोकॉपी की दुकान में कार्यालय
इस पार्टी का कार्यालय मुंबई बोरिवली ईस्ट के चॉल स्थित एक फोटोकॉपी की दुकान से चलता है. इसके फाउंडर दशरथ पारिख हैं. पार्टी ने जानकारी दी थी कि उन्हें 55.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, जिसमें से 10 करोड़ शिक्षा, 5 करोड़ भोजन पर खर्च किए. इसके अलावा 16 करोड़ रुपये सर्दी में जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े बांटने में लगाए. वहीं 11 करोड़ रुपये से गरीबों की मदद की. पार्टी के अनुसार गुजरात में उनके 4 पार्षद भी हैं. 

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चुनाव के बीच ED की ताबड़तोड़ कार्रवाई, मंत्री के सचिव के नौकर के घर मिला नोटों का अंबार

ED ने रांची में कई ठिकानों पर छापेमारी की है. वीरेंद्र राम मामले में झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल के घरेलू सहायक से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई है.

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Monday, 06 May, 2024
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लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक तरफ जहां 7 मई को तीसरे चरण के लिए मतदान किया जाना है. वहीं दूसरी तरफ झारखंड में ED ने बड़ी कार्रवाई की है. ED ने झारखंड के रांची में कई ठिकानों पर छापेमारी कर बड़े पैमाने पर कैश बरामद किया है. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के नौकर के घर ईडी ने भारी नकदी जब्त की है. सूत्रों के मुताबिक, नकदी 20 से 30 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है. फिलहाल नोट गिनने वाली मशीनें मंगाई जा रही हैं. ईडी ने कुछ योजनाओं के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फरवरी 2023 में झारखंड ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र के. राम को गिरफ्तार किया था.

सचिव के नौकर के घर से मिला नोटों का ढेर

ईडी का मानना है कि यह काली कमाई का हिस्सा है. दरअसल ईडी 10 हजार रुपये रिश्वत के मामले की जांच चल रही थी और उसी दौरान ईडी को कुछ ऐसी कड़ियां मिली जिसके तार मंत्री तक जुड़ते नजर आए. ईडी को जानकारी मिली थी कि आलमगीर आलम के मंत्रालय में भ्रष्टाचार चल रहा था और ये पैसा नौकरों के घर पर जा रहा था. इसके बाद ईडी ने आलमगीर के निजी सचिव के नौकर के घर पर छापेमारी की गई और वहां इतना कैश देखकर ईडी भी हैरान रह गई.

 

पीएम मोदी ने उठाया था मुद्दा

कुछ दिन पहले ही पीएम मोदी जब झारखंड में चुनाव प्रचार कर रहे थे तो उन्होंने करप्शन का मुद्दा उठाया था और उनकी रैली के कुछ दिन बाद यह कार्रवाई हुई है जिसमें बड़ी मात्रा में यह कैश मिला है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इसे लेकर कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि काउंटिंग होने दीजिए ये गिनती 50 करोड़ तक जाएगी. पूरी झारखंड सरकार गले तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है.

वीरेंद्र के राम मामले में हुई छापेमारी

ED ने ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र के राम से जुड़े मामले में छापेमारी की है. बता दें कि चीफ इंजीनियर वीरेंद्र के राम को फरवरी 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था. दरअसल उनपर कुछ योजनाओं में उनके क्रियान्वयन में कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग तथा अनियमितता का आरोप था. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय की टीम वीरेंद्र के राम तक पहुंची और उन्हें गिरफ्तार किया गया। बता दें कि ईडी की छापेमारी में भारी मात्रा में मिले कैश के बाद कई लोग गिरफ्तार किए जा सकते हैं.

कांग्रेस MP के यहां बरामद हुआ था 350 करोड़ कैश  

आपको बता दें कि पिछले साल दिसंबर में भी झारखंड में बड़ी संख्या में कैश बरामदगी हुई थी. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और कारोबारी धीरज साहू के ठिकानों से IT ने 350 करोड़ से ज्यादा कैश बरामद किया था. इस पर उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि छापेमारी में जो कैश बरामद किया गया है, वो मेरी शराब की कंपनियों का है. शराब का कारोबार नकदी में ही होता है और इसका कांग्रेस पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है.
 


कांग्रेस छोड़कर एक बार फिर बीजेपी में शामिल हुए लवली, जानिए कितनी है इनके पास संपत्ति?

कांग्रेस के कद्दावर नेता अरविंदर सिंह लवली बीजेपी में शामिल हो गए हैं. लोकसभा चुनाव के बीच ये कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है.

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Saturday, 04 May, 2024
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इस लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. वहीं, अब कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री अरविंद सिंह लवली ने बीजेपी में शामिल होकर कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया है. लवली कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक हैं. हाल में ही इन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है. शनिवार को उनके साथ ही कांग्रेस के कुछ और नेताओं ने भी बीजेपी की सदस्याता ले ली है. आपको बता दें, लवली बीजेपी में दूसरी बार शामिल हुए हैं. इससे पहले भी वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए थे. तो चलिए आपको बताते हैं इस नेता के पास कितनी संपत्ति है?

लवली के पास 6 करोड़ की संपत्ति
दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने कुछ दिनपहले ही कांगेस से इस्तीफा दिया है. उनके साथ में नसीब सिंह, नीरज बसोया और राजकुमार चौहान ने भी बीजेपी की सदस्याता ली. अरविंदर सिंह लवली के पास करोड़ों की संपत्ति है. 2019 में अरविंदर सिंह लवली द्वारा दायर चुनावी हलफनामे के अनुसार उनके पास कुल 5 करोड़ रुपये की संपत्ति है. उन्होंने 50-50 हजार के दो अलग अलग शेयरों में कुल 1 लाख रुपये निवेश किए हैं. उनके पास 61 लाख रुपये के सोने और चांदी के जेवर भी हैं. इसके अलावा गुरुग्राम में 1 करोड़ रुपये की कीमत का एक फ्लैट भी है और दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में 50 लाख रुपये की प्रॉपर्टी भी शामिल है. 

बीजेपी ज्वाइन करने के बाद लवली ने क्या कहा?
बीजेपी में शामिल होने के बाद अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि  वह पीएम मोदी, नड्डा और अमित शाह का धन्यवाद करते हैं. जब हम खोए-खोए घूम रहे थे, उस समय इन्होंने उन्हें मौका दिया है. हम आज हम लोग आए हैं, लेकिन बहुत लोग हैं जो चाहते हैं कि देश को सशक्त सरकार मिले. देश के विकास में पीएम के हाथ को मजबूत करना चाहते हैं. 

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राहुल गांधी ने अमेठी छोड़ रायबरेली ही क्यों चुना,पूरा समीकरण समझिए

राहुल गांधी ने रायबरेली से पर्चा भरने के लिए आखिरी दिन तक सस्पेंस बनाए रखा. क्या ये दांव कांग्रेस के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित होगा या 2019 का ही दौर दोहराया जाएगा

Last Modified:
Friday, 03 May, 2024
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नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है. अमेठी में कांग्रेस की तरफ से के एल शर्मा के आने और राहुल गांधी के रायबरेली जाने के बाद ये शेर अमेठी और रायबरेली की राजनीतिक सच्चाई के लिए सच साबित हो रहा है. इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय के एक बयान से हुई थी. अगस्त 3023 में उन्होंने दावा किया था कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे और प्रियंका गांधी की अगर इच्छा हुई तो वो वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी. तभी ये बहस शुरू हुई कि राहुल गांधी एक बार अमेठी से चुनाव लड़ेगे. लेकिन इस बहस से अलग हटकर राहुल गांधी ने रायबरेली को चुना.  

दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव का माहौल बनने के साथ ही ये दावा किया जा रहा था कि अब अमेठी का हाल वैसा है ही जैसा 1977 में रायबरेली में था. तब लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी की हार के बाद तमाम घरों में चूल्हे नहीं जले थे। यानी अमेठी राहुल गांधी की हार का पश्चाताप कर रहा है और इसका प्रायश्चित वो जीत के तोहफे से करना चाहता है. लेकिन जिन लोगों ने ये गुब्बारा भरा उसमें कील खुद राहुल गांधी ने लगाई. आखिर क्यों. इसे समझने के लिए रायबरेली और अमेठी के सियासी सफर पर चलना होगा.

अमेठी से राहुल गांधी आश्वस्त नहीं?

अमेठी लोकसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई. तब से ही अमेठी और कांग्रेस को एक दूसरे का पर्याय माना जाता रहा. लेकिन 2019 में ये मिथ टूट गया. बीजेपी की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी से राहुल गांधी हार गए. राहुल गांधी दो सीटों पर चुनाव लड़े थे और अमेठी हारकर वो केरल के वायनाड से सांसद बने. तब से ही ये नैरेटिव सेट हो गया कि राहुल गांधी अमेठी से भाग गए. लेकिन इसी वर्ष 20 फरवरी 2024 को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अमेठी पहुंची और जिस तरह से उनका स्वागत हुआ, तब से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि अमेठी राहुल गांधी को वापस बुलाना चाहता है. इन कयासों को कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल के दावों ने और हवा दी. ये दावा किया गया था कि राहुल गांधी ही अमेठी से चुनाव लड़ेंगे और और अंतिम दिन पर्चा दाखिल करेंगे. लेकिन इस आखिरी दिन राहुल गांधी अमेठी नहीं रायबरेली को चुना. इसका मतलब अमेठी में भारत जोड़ो यात्रा का जनसमर्थन भी राहुल गांधी को अमेठी से निश्चित विजय के लिए आश्वस्त नहीं कर पाया. ऐसे में सवाल ये कि रायबरेली से राहुल गांधी आश्वस्त कैसे?

य़ूपी में कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट रायबरेली

2019 में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश से सिर्फ एक सीट जीती थी. रायबरेली. रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद बनीं. रायबरेली से ही सोनिया गांधी के ससुर फिरोज गांधी, उनकी सास इंदिरा गांधी सांसद रहे. इसलिए रायबरेली के लोगों का कांग्रेस से भावनात्मक लगाव है. इस लगाव को सोनिया गांधी ने और मजबूत किया. आपको याद होगा. इसी साल फरवरी महीने में सोनिया गांधी ने तय किया था कि 
स्वास्थ्यगत कारणों से वो अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी.तब उन्होंने रायबरेली की जनता के नाम एक पत्र लिखा था, जिसमें सोनिया गांधी ने कहा कि रायबरेली के बिना उनका परिवार अधूरा है वो रायबरेली आकर और यहां के लोगों से मिलकर पूरा होता है। यह नेह-नाता बहुत पुराना है. राहुल गांधी इस भावनात्मक लगाव का फायदा हो सकता है इसलिए शायद एक सुरक्षित सीट के लिए अमेठी पर रायबरेली को प्राथमिकता दी

वायनाड से आस अमेठी से उदास?

राहुल गांधी 2019 की तरह ही इस बार भी दो सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली. वायनाड में 26 अप्रैल को चुनाव हो चुके हैं. राहुल गांधी वहां अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. 2009 से कांग्रेस यहां लगातर जीत रही है. इसी सीट से 2019 में राहुल गांधी सांसद बने. मोदी सरनेम मामले में इसी सीट पर उनकी सदस्यता गई और बहाल हुई. इस पूरे दौर में राहुल गांधी को वायनाड से भारी समर्थन मिला.इसीलिए राहुल नहीं चाहते थे कि ऐसा संदेश जाए कि उन्होंने उन वोटर्स को छोड़ दिया, जिन्होंने उनकी राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई में उनका साथ दिया. इस बीच अमेठी के साथ राहुल गांधी का वो जुड़ाव नहीं दिखा जो वायनाड को मिला. दूसरी तरफ स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपना घर बना लिया. गृहप्रवेश किया. इस तरह अमेठी में घर बनवाने वाली वह पहली सांसद बन गई.गांधी परिवार की परंपरागत सीट होने के बावजूद इस परिवार के किसी सदस्य का यहां पर घर नहीं है. अमेठी लोकसभा क्षेत्र से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी,राहुल गांधी सांसद बने लेकिन किसी का घर अमेठी में नहीं है. 2019 में हार के बाद राहुल गांधी 5 बार गए जरूर, लेकिन स्मृति ईरानी ने यहां स्थाई ठिकाना बना लिया.

रायबरेली से भाजपा के पास बड़ा चेहरा नहीं 
अमेठी में भाजपा की तरफ से स्मृति ईरानी एक लोकप्रिया और मजबूत चेहरा हैं. जबकि रायबरेली से बीजेपी के प्रत्याशी दिनेश सिंह बिल्कुल इसके उलट. 2018 में बीजेपी में शामिल होने से पहले जब तक वो कांग्रेस में थे चुनाव जीतते रहे. 2019 में वो रायबरेली से लोकसभा चुनाव हारे. 2022 के विधानसभा चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह के भाई को रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था वो भी चुनाव हारे. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि कांग्रेस में रहते हुए भी दिनेश प्रताप सिंह की पार्टी पर अच्छी पकड़ थी, लेकिन बीजेपी में वो प्रभाव नहीं है. इसी कमजोर प्रभाव का फायदा राहुल गांधी को रायबरेली में मिल सकता है


यानी रायबरेली में राहुल गांधी के लिए वही सारे समीकरण फिट हो रहे हैं जो वायनाड में पहले से हैं. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कि अब अमेठी में कांग्रेस के प्रत्याशी के एल शर्मा के लिए प्रियंका गांधी कमान संभालेंगी, इस तरह आस-पास की दो सीटों पर कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के रहने से पूर्वांचल की दूसरी सीटों पर भी कांग्रेस को माइलेज मिल सकता है. बहरहाल ये सभी समीकरण सियायी कयासों और किस्से सेट हो रहे हैं. सच्चाई 4 जून के नतीजों से साबित होगी


Raebareli कैसे बनी गांधी परिवार का गढ़, जानें इस हॉट लोकसभा सीट की पूरी कहानी

उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट का इतिहास कांग्रेस के पक्ष में जाता है. यहां से 16 बार कांग्रेस को जीत मिली है.

Last Modified:
Friday, 03 May, 2024
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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) केरल के वायनाड के साथ ही उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट (Raebareli Lok Sabha Seat) से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है और आंकड़े इसकी गवाही भी देते हैं. किसी जमाने में यूपी में कांग्रेस का 'हाथ' मजबूत था, लेकिन पिछले चुनाव में एकमात्र रायबरेली में ही पार्टी को जीत नसीब हुई थी. ऐसे में रायबरेली यूपी में कांग्रेस का अंतिम किला है, जिसे बचाने की चुनौती अब राहुल गांधी पर होगी. 

इन्हें मिली थी पहली जीत 
राहुल गांधी का मुकाबला यहां BJP के दिनेश प्रताप सिंह से है. दिनेश 2019 में भी भाजपा की टिकट पर रायबरेली से चुनाव लड़े थे, लेकिन सोनिया गांधी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इस बार उनके सामने सोनिया के बेटे राहुल गांधी हैं. रायबरेली लोकसभा सीट के इतिहास बेहद रोचक रहा है. 1951-52 के आम चुनाव में रायबरेली और प्रतापगढ़ दोनों को मिलाकर एक लोकसभा सीट हुआ करती थी. तब यहां से सबसे पहले फिरोज गांधी ने चुनाव जीता था. बाद में जब रायबरेली सीट अस्तित्व में आई, तब भी 1958 में फिरोज गांधी को ही जीत मिली. उनके निधन के बाद 1967 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने इस सीट से मैदान में उतरकर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की.

इंदिरा ने 4 बार लड़ा चुनाव 
इंदिरा गांधी ने इस सीट से 4 बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था. एक रिपोर्ट के अनुसार, 1971 के चुनाव में रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी के सामने सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण थे. जब चुनावी नतीजों में इंदिरा को विजयी घोषित किया गया, तो राजनारायण ने सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. राजनारायण की याचिका पर हाईकोर्ट ने इंदिरा के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट गईं. कहा जाता है कि इसी घटना के चलते इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू करने फैसला लिया था. इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में इंदिरा गांधी का सामना फिर राजनारायण से हुआ. भारतीय लोक दल (बीएलडी) की टिकट पर राजनारायण ने यहां से जीत हासिल की और वह रायबरेली सीट से जीत हासिल करने वाले पहले गैर कांग्रेसी सांसद बने.   

3 बार गैर-कांग्रेसी जीते
अस्तित्व में आने के बाद से यह सीट कांग्रेस की विरासत बनी हुई है. 2004 में इंदिरा गांधी की बहू यानी सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ा और पांच बार सांसद चुनी गईं. अब सोनिया के बेटे राहुल गांधी अपने परिवार की विरासत संभालने के लिए मैदान में उतरे हैं. इस सीट से चुनाव-उपचुनाव मिलाकर कुल 16 बार कांग्रेस नी जीत हासिल की है. गैर-कांग्रेसी उम्मीदवारों को यहां से महज तीन बार ही विजय नसीब हुई है. 2019 में दिनेश प्रताप सिंह ने सोनिया गांधी के सामने चुनाव लड़ा था. सोनिया गांधी को चुनाव में 5,31,918 वोट मिले थे. जबकि भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को 3,67,740 मत मिले. इस तरह, दिनेश 1,64,178 मतों से चुनाव हार गए थे. बता दें कि 2018 में दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे.

रायबरेली से कब, कौन जीता? 
1952- फिरोज गांधी (कांग्रेस), 1958- फिरोज गांधी (कांग्रेस), 1962- ब्रजलाल (कांग्रेस), 1967- इंदिरा गांधी (कांग्रेस), 1971- इंदिरा गांधी (कांग्रेस), 1977- राजनारायण (बीकेडी), 1980- इंदिरा गांधी (कांग्रेस), 1981- अरुण नेहरू (कांग्रेस) उपचुनाव, 1984- अरुण नेहरू (कांग्रेस), 1989- शीला कौल (कांग्रेस), 1991- शीला कौल (कांग्रेस), 1996- अशोक सिंह (भाजपा), 1998- अशोक सिंह (भाजपा), 1999- कैप्टन सतीश शर्मा (कांग्रेस), 2004- सोनिया गांधी (कांग्रेस), 2006-सोनिया गांधी (कांग्रेस) उपचुनाव, 2009- सोनिया गांधी (कांग्रेस), 2014-सोनिया गांधी (कांग्रेस), 2019-सोनिया गांधी (कांग्रेस).


सीएम योगी आदित्यनाथ भी हुए डीप फेक का शिकार, आरोपी हुआ गिरफ्तार, जानें क्या है मामला

एक शख्स ने सीएम योगी आदित्यनाथ की डीपफेक वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया था. नोएडा पुलिस ने अब कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की कार्रवाई जारी है.

Last Modified:
Thursday, 02 May, 2024
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लोकसभा चुनाव के बीच दिग्गज नेताओं के फेक वीडियो बनाने के मामले सामने आ रहे हैं. गृहमंत्री अमित शाह के फेक वीडियो के बाद अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का डीप फेक वीडियो बनाने का मामला सामने आया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक डीप फेक वीडियो सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट एक्स (X) पर अपलोड किया गया था. इस मामले में नोएडा एसटीएफ ने साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया और पोस्ट करने वाले आरोपी श्याम किशोर गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है.

पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार

दरअसल मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा का है. यहां सेक्टर 49 स्थिति बरोला से नोएडा पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने जांच की तो पता चला कि 1 मई 2024 को सोशल मीडिया साइट एक्स पर सीएम योगी आदित्यनाथ के डीपफेक एआई जनरेटेड वीडियो को शेयर किया गया था. इस वीडियो को सोशल मीडिया साइट एक्स (X) पर @shyamguptarpswa नाम के प्रोफाइल से शेयर किया गया था. साथ ही इस वीडियो को शेयर करते हुए आरोपी ने भ्रामक तथ्य साझा किए और राष्ट्रविरोधी चीजों को भी शेयर किया.

AI जेनरेटेड था डीप फेक वीडियो

इस डीप फेक वीडियो में पुलवामा के वीर जवानों की पत्नियों का मंगलसूत्र आदि की बात की जा रही है. नहीं चाहिए भाजपा, भाजपा हटाओ, देश बचाओ, आदि बातें कहीं जा रही हैं. ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करने वाले ने लिखा कि क्या यह वीडियो सही है. अगर सही है तो जनता अंधभक्त है. वीडियो को यूपी भाजपा, पीएमओ, सीएम यूपी आदि को टैग किया गया है. नोएडा एसटीएफ के एसीपी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि जांच में यह पता चला है कि यह डीप फेक वीडियो है और AI जेनरेटेड है.

अमित शाह का भी बना था डीप फेक वीडियो

आपको बता दें कि कुछ ही समय पहले केंद्रीय मंत्री अमित शाह का भी एक डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया है और मामले की गहनता से जांच की जा रही है. अमित शाह के वीडियो को कई राजनेताओं ने भी शेयर किया था. दिल्ली पुलिस इस मामले में देश भर में व्यापक तौर पर कार्रवाई कर रही है. पुलिस ने तेलंगाना के सीएम को नोटिस भी भेजा था. जबकि दिल्ली पुलिस द्वारा देश के कई अन्य नेताओं से पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है.