24 मार्च की सुबह राहुल गांधी लोकसभा पहुंच चुके थे जिसके कई घंटों बाद उनकी सदस्यता रद्द होने की सूचना की खबर सामने आई.
साल 2019 में ‘मोदी सरनेम’ पर की गयी टिप्पणी के लिए दर्ज किये गए मानहानि के मामले में सूरत कोर्ट द्वारा 2 साल की सजा सुनाये जाने के बाद 24 मार्च को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गयी. 24 मार्च की सुबह राहुल गांधी लोकसभा पहुंच चुके थे जिसके कई घंटों बाद उनकी सदस्यता रद्द होने की सूचना सामने आई.
इन नेताओं ने जताई आपत्ति
कांग्रेस नेता शशि थरूर, मलिक्कार्जुन खड़गे, जयराम रमेश समेत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, शिव सेना (उद्धव भाई ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल समेत विरोधी पार्टियों के बहुत से नेताओं ने सदस्यता रद्द होने की सूचना की आलोचना की है. राहुल गांधी ने लोकसभा की सदस्यता रद्द होने के साथ ही बहुत सी अन्य सुविधाओं को भी खो दिया है. इनमें से कुछ प्रमुख सुविधाएं और फायदे इस प्रकार हैं:
सैलरी और ड्यूटी के दौरान रहने की सुविधा
एक लोकसभा सदस्य को 1 लाख रुपये प्रतिमाह की सैलरी के साथ-साथ ड्यूटी के दौरान कहीं भी रहने के लिए 2000 रुपये प्रतिदिन का खर्चा भी दिया जाता है. आपको बता दें, यहां ड्यूटी का मतलब संसद सत्र में भाग लेना, किसी कमेटी की बैठक का हिस्सा होना, या फिर अपने क्षेत्र के किसी काम के लिए बाहर किसी स्थान पर रुकना है और जब तक कोई सांसद इनमें से किसी भी काम के लिए बाहर कहीं रुकता है उसे 2000 रुपये प्रतिदिन का भत्ता दिया जाता है. एक सांसद की सैलरी और रोजाना के खर्चों को हर पांच सालों में कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के आधार पर बढ़ाया जाता है.
यात्रा का खर्चा और मुफ्त रेल यात्रा की सुविधा
सांसद अपनी ड्यूटी के लिए अगर किसी प्रकार की कोई यात्रा करता है तो उसे उसके लिए भी खर्च दिया जाता है. साथ ही, अगर अपनी ड्यूटी को पूरा करने के लिए वह किसी प्रकार की हवाई यात्रा करता है तो उसे उस यात्रा के लिए भी खर्च दिया जाता है. अगर सांसद सड़क के माध्यम से अपनी यात्रा को पूरा करता है तो उसे 16 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से माइलेज फी भी दी जाती है. पहले अगर सांसद रेल यात्रा करते थे तो उन्हें उसके लिए भी खर्च दिया जाता था लेकिन अब उन्हें एक पास दिया जाता है जिसके माध्यम से वह मुफ्त में रेल यात्रा कर सकते हैं. आपको बता दें यह पास ट्रांस्फारेबल नहीं होता मतलब, सांसद के अलावा इसे कोई और इस्तेमाल नहीं कर सकता. यह पास केवल तब तक ही मान्य होता है जबतक सांसद लोकसभा का सदस्य होता है.
चुनाव क्षेत्र के लिए भी मिलता है पैसा
एक लोकसभा सदस्य को अपने चुनाव क्षेत्र के लिए 75000 रुपये प्रतिमाह का खर्चा भी दिया जाता है.
ऑफिस के खर्च के लिए भी मिलते हैं पैसे
अपने ऑफिस के खर्चों का ध्यान रखने के लिए हर महीने एक सांसद को 60,000 रुपयों का भत्ता भी दिया जाता है. इस 60,000 रुपये में से 20,000 रुपये स्टेशनरी और पोस्टेज सम्बंधित आइटम्स के लिए, और ऑफिस में किसी भी प्रकार की सहायता के लिए 40,000 रुपये दिए जाते हैं.
घर और घर से सम्बंधित अन्य खर्चे
हर लोकसभा सदस्य को घर की सुविधा देने के लिए उसके कार्यकाल के दौरान या तो उसे फ़्लैट दिया जाता है और अगर सांसद को बंगला दिया जाता है तो उसे केवल लाइसेंस फीस ही देनी होती है. इतना ही नहीं एक सांसद को 50,000 यूनिट्स तक की फ्री बिजली मिलती है और हर महीने 4,000 लीटर का मुफ्त पानी भी मिलता है.
टेलीफोन के लिए भी मिलता है खर्चा
सांसदों को दिल्ली स्थित उनके घरों और ऑफिसों में मुफ्त टेलीफोन की सुविधा भी दी जाती है. इतना ही नहीं वह जिस राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं उस राज्य में स्थित उनके घर और ऑफिस में भी यह सुविधा मुफ्त में दी जाती है. एक साल में टेलीफोन द्वारा की गयी पहली 50,000 लोकल कॉल्स के लिए उन्हें किसी प्रकार का कोई पैसा नहीं देना होता. साथ ही, सांसदों को MTNL का एक मुफ्त फोन कनेक्शन मिलता है जिस पर नेशनल रोमिंग की सुविधा भी मिलती है.
मेडिकल सुविधाओं के लिए मिलने वाला खर्चा
500 रुपये प्रतिमाह की पेमेंट करने के बाद सांसद और उसके परिवार को मुफ्त मेडिकल सुविधा दी जाती है. आपको बता दें यह 500 रुपये सांसद कि सैलरी में से काटे जाते हैं.
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दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट लोकसभा सीट सबसे हॉट सीट बन चुकी है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार मशहूर हैं और अक्सर चर्चा में रहते हैं.
कांग्रेस पार्टी ने जब से दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट सीट से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के नाम का ऐलान किया है तब से ये सीट हॉट सीट में बदल गई है. हर कोई इसी का जिक्र कर रहा है. हालांकि इस सीट पर जनता किसे चुनेगी ये तो 4 जून को ही पता चलेगा लेकिन एक मामले में कन्हैया कुमार चुनाव की ये जंग पहले ही हार चुके हैं. कन्हैया और मनोज तिवारी की दौलत का जो अंतर है उसमें कन्हैया अपनी जमानत बचाते भी नहीं दिख रहे हैं.
आखिर मनोज तिवारी के पास है कितनी दौलत
मनोज तिवारी इस सीट से मौजूदा समय में सांसद हैं. वो इससे पहले 2019 में जब इस सीट से चुनाव लड़े थे उस वक्त उन्होंने अपनी संपत्ति का जो ब्यौरा दिया था उसके अनुसार, उनके पास 24 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है वहीं दूसरी ओर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी भी है. उनके पास 3 लाख 50 हजार रुपये का कैश है जबकि 20 से ज्यादा बैंकों में उनके पास 7,35,74,960 करोड़ रुपये हैं. इसी तरह से उनकी निवेश की हुई राशि पर नजर डालें तो एलआईसी की 12 लाख 50 हजार की पॉलिसी, रिती प्रोडक्शन के नाम पर 9,32,635 लाख का पर्सनल लोन, 4 लाख की ज्वैलरी, 45 लाख की दूसरी संपत्ति सहित ऑडी, इनोवा, मर्सिडीज और होंडा सिटी सहित फॉर्चुनर कार की कीमत 54 लाख 3 हजार 436 रुपये है. कुल मिलाकर उनके पास 8 करोड़ 64 लाख 11 हजार 31 रुपये की संपत्ति है. इसी तरह से 15 करोड़ 76 लाख 56 हजार रुपये की अचल संपत्ति है. इसी तरह से उनके उपर 1 करोड़ 36 लाख 18 हजार 755 रुपये की देनदारी है.
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कन्हैया कुमार की कितनी है संपत्ति?
वहीं कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार कन्हैया कुमार की संपत्ति पर नजर डालें तो उनके पास 5 लाख रुपये की संपत्ति है. जबकि किसी भी तरह की देनदारी नहीं है. कन्हैया कुमार की ओर से जो आईटीआर फाइल की गई है उसके अनुसार, 2017-18 में 6,30,360 रुपये की आईटीआर फाइल की गई है जबकि 2018-19 में 2,28,290 रुपये की आईटीआर फाइल की गई है. उनके पास 24000 रुपये कैश हैं जबकि बैंक में 1,63,698 रुपये हैं. 1,70,150 रुपये उन्होंने एलआईसी में निवेश किया है जबकि कुल मिलाकर उनके पास 357848 रुपये की चल संपत्ति है. जबकि 2 लाख रुपये गैर कृषि योग्य भूमि है.
नॉर्थ दिल्ली बनी हाई प्रोफाइल सीट
दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें चार सीटों पर आम आदमी चुनाव लड़ रही है जबकि तीन सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है. मनोज तिवारी नॉर्थ दिल्ली से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं जबकि कन्हैया कुमार इससे पहले बेगुसराय से चुनाव लड़ चुके हैं. कन्हैया कुमार राहुल गांधी की न्याय यात्रा में भी काफी सक्रिय रहे थे. मनोज तिवारी एक ओर जहां अभिनेता से लेकर गायक के तौर पर मशहूर हैं वहीं दूसरी ओर कन्हैया कुमार जेएनयू मामले को लेकर चर्चा में आए थे.
भाजपा का घोषणा पत्र विकसित भारत के लिए मोदी की गारंटी पर केंद्रित है. जिसमें महिला, युवा, गरीब और किसानों के उत्थान पर जोर दिया गया है.
भाजपा ने संकल्प पत्र के नाम से जो घोषणा पत्र जारी किया, उस पर अन्य दलों के घोषणा पत्रों के मुकाबले अधिक ध्यान दिया जाना और चर्चा होना इसलिए स्वाभाविक है, क्योंकि एक तो वह सत्ता में है और दूसरे, तीसरी बार सरकार बनाने के लिए आश्वस्त दिख रही है. भाजपा ने अपने संकल्प पत्र के माध्यम से न केवल विकसित भारत का खाका पेश किया है, बल्कि देश को आत्मनिर्भर और विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का भरोसा भी दिलाया है. अपने इन वादों को महत्व देने के लिए उसने उन्हें मोदी की गारंटी के रूप में इसे पेश किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में जारी किया गया यह चुनावी घोषणा पत्र गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं पर केंद्रित है. लोकसभा चुनाव-2024 के संकल्प पत्र को जारी करने के दौरान पीएम मोदी ने इन चार वर्गों से एक-एक व्यक्ति को ये संकल्प पत्र सौंपा. बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने इस लोकसभा चुनाव में '400 पार' का नारा दिया है, यानि कि पार्टी 400 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाना चाहती है. क्या इन वादों से बीजेपी फिर से तीसरी बार सस्ता में वापसी कर पाएगी. आइए जानते हैं, बीजेपी के 'संकल्प पत्र' की प्रमुख बातें
- 5 साल के लिए फ्री राशन
केंद्र सरकार साल 2020 से 80 करोड़ से ज्यादा परिवारों को फ्री राशन दे रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह योजना आने वाले पांच साल तक जारी रहेगी. उन्होंने कहा, 'हम सुनिश्चित करेंगे कि गरीब के खाने की थाली पोषणयुक्त हो. साथ ही मन को संतोष देने वाली और सस्ती हो.
- जीरो बिजली बिल
पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के माध्यम से हर महीने मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाएगी. जिससे बिजली बिल जीरो हो जाएगा.
- लखपति दीदी
एक करोड़ ग्रामीण औरतों को लखपति दीदी बनाकर सशख्त किया. अब 3 करोड़ महिलाओं क लखपति बनाएंगे.
- कामकाजी महिलाओं के लिए सुविधाएं
औद्योगिक और व्यवसायिक क्षेत्र में कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल का निर्माण किया जाएगा. जिलमें शिशुगृह की सुविधा होगी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आने वाले पांच साल नारीशक्ति नई भागीदारी के होंगे.
- 70 साल के ऊपर के लोगों को आयुष्मान योजना
बीजेपी ने संकल्प लिया है कि 70 साल से ऊपर के हर वृद्ध को आयुष्मान योजना के दायरे में लाया जाएगा. उन्हें पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी.
- बुलेट ट्रेन
हम बुलेट ट्रेन कॉरिडोर विकसित कर रहे हैं. बुलेट ट्रेन नेटवर्क के विस्तार के लिए उत्तर, दक्षिण और पूर्व में कॉरिडोर के लिए फिजिबिलिटी अध्ययन करेंगे.
- तीन करोड़ घर बनाने का संकल्प
बीजेपी सरकार ने गरीबों को पक्के मकान बनाकर दिए हैं. अब जो जानकारियां राज्य सरकार को मिल रही हैं. उन परिवारों के लिए तीन करोड़ घर बनाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ेंगे. अभी हमने घर-घर सिलेंडर पहुंचाए हैं. अब पाइपलाइन से सस्ती रसोई गैस पहुंचाने के लिए काम करेंगे.
- वन नेशन, वन इलेक्शन
एक देश, एक चुनाव संबंधित मुद्दों की परीक्षण के लिए उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है. उनकी सिफारिशों के सफल कार्यान्वयन की दिशा में काम किया जाएगा.
- मेडिकल एजुकेशन में सीट बढ़ेगी
नए एम्स और विभिन्न नए जिला-स्तरीय में मेडिकल कॉलेजों के माध्यम से यूजी और पीजी मेडिकल में सीट बढ़ाई जाएंगी.
- समान नागरिक संहिता कानून
समान नागरिक संहिता देश के संविधान के अनुच्छेद में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के रूप में दर्ज है. बीजेपी का मानना है कि जब तक समान नागरिक संहिता को अपनाया नहीं जाएगा, तब तक महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिल सकता.
दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद ने अपने पद से इस्तीफा देने के साथ आम आदमी पार्टी का साथ भी छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि पार्टी में दलित विधायक और मंत्री का कोई सम्मान नहीं है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ चल रही खींचतान के बीच अब आम आदमी के एक मंत्री ने बड़ा झटका दे दिया है. दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद ने अपने पद से इस्तीफा से दिया है. इसके साथ ही उन्होंने पार्टी का दामन भी छोड़ दिया है. आपको बता दें, हाल में ईडी ने राजकुमार आनंद के घर पर भी छापेमारी की थी. राजकुमार आनंद पटेल नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और पेशे से एक व्यापारी हैं. क्या आप जानते हैं इस मंत्री के पास कितनी संपत्ति है, तो चलिए हम आपको उनके पार्टी छोड़ने के कारण से लेकर उनकी संपत्ति तक पूरी जानकारी यहां देते हैं.
क्यों दिया इस्तीफा?
राजकुमार आनंद ने आम आदमी पार्टी पर बहुत ही संगीन आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि पार्टी में इनके अग्रिम नेताओं में कोई भी दलित नहीं है, किसी राज्य का प्रभारी दलित नहीं है, ऐसे हालात में सभी दलित नेता और कार्यकर्ता अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी में दलित विधायकों या पार्षदों का कोई सम्मान नहीं होता है. दलितों को प्रमुख पदों पर जगह नहीं दी जाती है. वह बाबा साहब अंबेडकर के सिद्धांत पर चलने वाला व्यक्ति हैं, अगर दलितों के लिए ही काम नहीं कर पाए, तो फिर पार्टी में रहने का कोई मतलब नहीं है.
पार्टी पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
इस्तीफा देते समय राजकुमार आनंद ने आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया है. उन्होंने कहा कि पार्टी भ्रष्टाचार में डूब गई है अब वह इस पार्टी में नहीं रह सकते. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी का जन्म भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से हुआ था, लेकिन आज यह पार्टी खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गई है. उनके लिए मंत्री पद पर रहकर इस सरकार में काम करना असहज हो गया है, इसलिए अब वह पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं और भ्रष्टाचार से खुद को दूर ऱखना चाहते हैं.
ईडी ने घर पर की थी छापेमारी
आपको बता दें, राजकुमार आनंद दिल्ली में समाज कल्याण मंत्रालय संभालते थे. हाल ही में राजकुमार आनंद के घर भी ईडी की रेड पड़ी थी. पिछले साल नवंबर महीने में राजकुमार आनंद के घर पर ईडी की टीम छापेमारी करने पहुंची थी और उनसे जुड़े कुल एक दर्जन से ज्यादा परिसरों पर ईडी ने छापेमारी की थी. वहीं, ईडी के शिकंजे में फंसकर मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, सत्येंद्र जैन और खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी जेल जदाना पड़ा है, ऐसे में शायद खुद को बचाने के लिए उन्होंने खुद को इस पार्टी से ही दूर कर लिया है.
करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं राजकुमार आनंद
53 वर्षीय राज कुमार आनंद पटेल नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. पेशे से वह एक व्यापारी हैं. उन्होंने 1989 में बुन्देलखंड विश्वविद्यालय, झांसी से पोस्ट ग्रेजुएट मास्टर ऑफ आर्ट्स (राजनीति विज्ञान) की पढ़ाई की हई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2020 में उनके पास कुल संपत्ति करीब 78 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जिसमें से चल संपत्ति करीब 18 करोड़ रुपये और अंचल संपत्ति 60 करोड़ रुपये है. उन्होंने 2 करोड़ रुपये का निवेश कंपनी के ब्रैंड, शेयर और डिबेंचर में किया हुआ है. उनके पास 7,50,000 की टोयोटा फॉर्च्यूनर कार भी है. साथ ही करीब 19,20,000 लाख रुपये के गोल्ड और डायमंड के आभूषण भी हैं.
इस्तीफे से पहले केजरीवाल के समर्थन में किया था पोस्ट
राजकुमार आनंद ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से सीएम अरविंद केजरीवाल के समर्थन में पोस्ट भी किया था. उन्होंने संजय सिंह की प्रेस कांफ्रेंस का एक वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन लिखा था, कितनी हास्यास्पद बात है कि एक चुने हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान और एक सांसद को मुलाकात के लिए टोकन नंबर दिया जाता है. फिर मुलाकात को कैंसिल कर दिया जाता है. तिहाड़ जेल के अधिकारी मोदी सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं. लेकिन अब उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया है.
हैदराबाद से भाजपा उम्मीदवार माधवी लता असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी. माधवी लता लगातार हिंदुत्व के लिए अपनी आवाज उठाती रहती हैं.
हैदराबाद से भाजपा उम्मीदवार माधवी लता को Y+ सिक्योरिटी गई है. दरअसल, माधवी असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ चुनाव लड़ने जा रहीं हैं. वो हिंदुत्व के लिए मुखरता से अपनी आवाज उठाती हैं. साथ ही हैदराबाद में सामाजिक कामकाज के लिए जानी जातीं हैं. हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इनकी खूब तारीफ की है, जिससे ये सुर्खियों में आ गई हैं. क्या आप जानते हैं इस प्रखर सनातनी महिला के पास कितनी संपत्ति है, नहीं तो आपको इनकी नेटवर्थ और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी कुछ जानकारी देते हैं.
कौन हैं माधवी लता, कितनी है इनके पास संपत्ति?
डॉ. माधवी विरिंची हॉस्पिटल्स (Virinchi Hospitals) की चेयरपर्सन हैं. हैदराबाद में इनके तीन अस्पताल हैं. माधवी हिंदुत्व के लिए मुखरता से अपनी आवाज उठाती हैं.
माधवी लता ने निज़ाम कॉलेज से लोक प्रशासन में ग्रेजुएशन और उस्मानिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त की है. माधवी लता भरतनाट्यम डांसर भी हैं, वो हैदराबाद में सामाजिक कामकाज के लिए जानी जातीं हैं. वह लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट और लतामा फाउंडेशन की प्रमुख हैं, जोकि हेल्थकेयर और शिक्षा पर काम करती हैं. 1 मार्च, 2023 को दायर कॉर्पोरेट शेयरहोल्डिंग के अनुसार माधवी लता के पास सार्वजनिक रूप से करीब 10 करोड़ रुपये से अधिक की कुल संपत्ति के साथ 2 स्टॉक हैं.
इसलिए मिली Y+ सुरक्षा
हैदराबाद लोकसभा सीट से असदुद्दीन ओवैसी को चुनौती दे रहीं भाजपा उम्मीदवार माधवी लता की सुरक्षा बढ़ाई गई है, उन्हें Y+ कैटगरी की सुरक्षा दी गई है. गृह मंत्रालय ने आईबी की थ्रेट रिपोर्ट का आधार पर माधवी लता को यह सुरक्षा दी जा रही है. जानकारी के मुताबिक, Y+ कैटगरी की सुरक्षा में 11 कमांडो तैनात किए जाते हैं. वहीं, पांच पुलिस के स्टैटिक जवान वीआईपी की सुरक्षा के लिए उनके घर के आसपास मौजूद रहते हैं. छह पीएसओ तीन शिफ्ट में संबंधित वीआईपी को सुरक्षा प्रदान करते हैं.
पीएम ने की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माधवी लता की खूब प्रशंसा करते हैं. वह लगातार हिंदुत्पीव के लिए अपनी आवाज उठाती रहती हैं. वह समाजसेवा के भी कार्य करती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सोशल मीडिया पर टीवी शो का जिक्र करते हुए कहा कि माधवी लता जी, आपका 'आप की अदालत' एपिसोड असाधारण है. आपने बहुत ठोस मुद्दे उठाए हैं और तर्क और जुनून के साथ ऐसा किया है. आपको मेरी शुभकामनाएं.
Madhavi Latha Ji, your ‘Aap Ki Adalat’ episode is exceptional. You’ve made very solid points and also done so with logic and passion. My best wishes to you.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 7, 2024
I also urge everyone to watch the repeat telecast of this programme at 10 AM or 10 PM today. You all will find it very…
हैदराबाद से पहली बार भाजपा ने महिला को दिया टिकट
हैदराबाद ओवैसी परिवार का गढ़ है. पहले असद्दुदीन के पिता सुल्तान 1984 से 2004 तक यहां से सांसद रहे. उसके बाद 2004 से अब तक असद्दुदीन यहां से सांसद हैं. भाजपा ने हैदराबाद से पहली बार एक महिला उम्मीदवार पर दांव खेला है. इससे पहले पार्टी ने भगवत राव को उम्मीदवार बनाया था. हालांकि, भगवत को ओवैसी से लगभग 3 लाख वोटों से हार झेलनी पड़ी थी. इस बार भाजपा ने महिला उम्मीदवार को उतारकर मुकाबला कड़ा करने की कोशिश की है.
मुस्लिम बेटियों की पढ़ाई के लिए करती हैं काम
माधवी लता पुराने हैदराबाद में गरीब मुस्लिम परिवारों की बेटियों की शिक्षा पर काम करती हैं. उहोंने तीन तलाक के खिलाफ भी खूब लड़ाई लड़ी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार माधवी '20 साल से समाज सेवा कर रही हैं. उनेहोंने 8-10 महीने पहले हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र में फ्री में 1008 नॉर्मल डिलिवरी करवाने का ऐलान किया था, उनके इस काम को देखते हुए मोदी जी ने सांसद का टिकट दिया है.
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने शुक्रवार को अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. घोषणा पत्र में 5 न्याय और 25 गारंटियों पर फोकस किया गया है.
लंबे समय से जिस GST में बदलाव करने की बात कर कांग्रेस कर रही है, आज लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए गए घोषणा पत्र में इसको लेकर बड़ा वादा किया है. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि सरकार में आने के बाद जीएसटी के कानूनों में बदलाव किया जाएगा. इसके अलावा एंजल टैक्स व्यवस्था को भी खत्म करने की बात कही गई है. साथ ही घोषणापत्र में रोजगार और टैक्स सिस्टम से जुड़े कई वादे किए हैं.
इनकम टैक्स की दरें होंगी स्थिर, खत्म होगा एंजेल टैक्स
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में लिखा, कांग्रेस एक डायरेक्ट टैक्स कोड बनाएगी जो डायरेक्ट टैक्स की ट्रांसपेरेसी, समानता, स्पष्टता और निष्पक्ष कर प्रशासन के युग की शुरूआत करेगी. कांग्रेस अपने पूरे कार्यकाल के दौरान व्यक्तिगत आयकर दरों को स्थिर बनाए रखेगी। इससे वेतन प्राप्त करने वाले वर्ग को बढ़ती कर की दरों का सामना नहीं करना पड़ेगा और उन्हें मध्यम से लंबी अवधि में अपने वित्त की योजना बनाने में स्पप्टता मिलेगी. कांग्रेस एंजेल टैक्स और निवेश को बाधित करने वाली अन्य सभी शोषणकारी कर योजनाओं को खत्म करेगी.
MSME पर कम होगा टैक्स का बोझ, सरचार्ज को किया जाएगा खत्म
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में आगे लिखा कांग्रेस व्यक्तिगत (प्रोप्राइटरशिप) और साझेदारी फर्मों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई.) पर कर का बोझ कम करेगी. कांग्रेस केंद्रीय उपकर और अधिभार को सकल कर राजस्व के 5 प्रतिशत तक सीमित करने के लिए एक कानून लाएगी. इस कानून के माध्यम से राज्यों को उनके कर राजस्व के उचित हिस्से से वंचित करने के लिए मोदी सरकार के दोहरे "उपकर"राज को समाप्त किया जाएगा.
जीएसटी में किया जाएगा बदलाव
हम राज्यों को टैक्स रिवेन्यू में उनके उचित हिस्से से वंचित करने के मोदी सरकार के सेस को समाप्त करेंगे, इसके लिए हम एक कानून लाएंगे, जिसके तहत केंद्रीय सेस और सरचार्ज को ग्रोस रिवेन्यू टैक्स को 5 प्रतिशत तक सीमित किया जाएगा. कांग्रेस भाजपा/एनडीए सरकार द्वारा बनाए गए जीएसटी कानूनों को जीएसटी 2.0 से बदल देगी. कृषि इनपुट पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा. जीएसटी रिवेन्यू का एक हिस्सा पंचायतों और नगर पालिकाओं को आवंटित किया जाएगा.
घोषणा पत्र में 5 न्याय का जिक्र
घोषणा पत्र में पांच तरह के न्याय का जिक्र किया है. न्यूनतम मजदूरी 400 रुपए, 40 लाख सरकारी नौकरियां, गरीब महिलाओं को एक लाख की मदद, ट्रेनिंग के लिए एक लाख की मदद, शहरी रोजगार गारंटी स्कीम लाने का वादा किया है. राजस्थान में कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई चिरंजीवी योजना के तर्क पर देशभर में 25 लाख रुपए तक निशुल्क इलाज के लिए कैशलेस बीमा योजना लागू की जाएगी. परिवार की सबसे बुजुर्ग महिलाओं को महालक्ष्मी योजना के तहत 1 लाख सालाना दिया जाएगा.
30 लाख सरकारी नौकरी का वादा
पार्टी ने 'युवा न्याय' के तहत जिन पांच गारंटी की बात की है उनमें 30 लाख सरकारी नौकरियां देने और युवाओं को एक साल के लिए प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत एक लाख रुपये देने का वादा शामिल है. पार्टी ने 'हिस्सेदारी न्याय' के तहत जाति जनगणना कराने और आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा खत्म करने की 'गारंटी' दी है. उसने 'किसान न्याय' के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा, कर्ज माफी आयोग के गठन तथा जीएसटी मुक्त खेती का वादा किया है.
पारे की चाल ने अभी से कर डाला पस्त, लेकिन इन कंपनियों का दिल मांगे मोर
श्रमिकों और महिलाओं के लिए वादे
कांग्रेस ने 'श्रमिक न्याय' के तहत मजदूरों को स्वास्थ्य का अधिकार देने, न्यूनतम मजूदरी 400 रुपये प्रतिदिन सुनिश्चित करने और शहरी रोजगार गारंटी का वादा किया है. उसने 'नारी न्याय' के अंतर्गत 'महालक्ष्मी' गारंटी के तहत गरीब परिवारों की महिलाओं को एक-एक लाख रुपये प्रति वर्ष देने समेत कई वादे किए हैं. वहीं कांग्रेस 2025 से महिलाओं के लिए केंद्र सरकार की आधी (50 प्रतिशत) नौकरियां आरक्षित करेगी. इसके साथ ही वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगों की पेंशन राशि को बढ़ाकर न्यूनतम 1,000 रुपए प्रति माह किया जाएगा.
युवाओं के लिए गए वादे
कांग्रेस 25 वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक डिप्लोमा धारक या कॉलेज स्नातक को निजी या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में एक साल की ट्रेनिंग ने के लिए नए राइट टू अप्रेंटिसशिप एक्ट की गारंटी देती है. प्रशिक्षुओं को प्रति वर्ष 1 लाख मिलेंगे. ट्रेनिंग से स्किल मिलेगी, रोजगार क्षमता बढ़ेगी और लाखों युवाओं को पूर्णकालिक नौकरी के अवसर प्रदान करेगी. कांग्रेस स्टार्ट-अप के लिए फंड ऑफ फंड्स योजना का पुनर्गठन करेगी और 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने और रोजगार के लिए जहां तक संभव हो- सभी जिलों में समान रूप से उपलब्ध फंड का 50 प्रतिशत आवंटित किया जाएगा.
गौरव वल्लभ के पास 18 लाख रुपये की कीमत वाली TATA HEXA कार है और वो अर्थशास्त्र के बड़े जानकार हैं. उन्होंने आज ही कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है.
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इसमें जहां पार्टियां चुनाव प्रचार में लगी हैं तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी और कांग्रेस में इस्तीफों का दौर चल रहा है. इसी कड़ी में आज कांग्रेस के जाने माने नेता प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वॉइन कर ली है. गौरव बल्लभ वही नेता हैं जिन्होंने एक दिन टीवी डिबेट में संबित पात्रा से सवाल पूछा था कि आखिर 5 ट्रिलियन में कितने जीरो होते हैं. गौरव वल्लभ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं और उनके पास मौजूदा समय में 7 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. जबकि एक लग्जरी कार भी मौजूद है.
गौरव वल्लभ के पास है इतनी संपत्ति
कांग्रेस छोड़ने वाले गौरव वल्लभ को पिछले साल हुए राजस्थान चुनाव में पार्टी ने उदयपुर से अपना उम्मीदवार बनाया था. माय नेता पर मौजूद उनके एफिडेविट में उन्होंने बताया है कि उनके पास 11 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति मौजूद है. इसमें उनके पास 6 लाख 30 हजार रुपये कैश हैं और पत्नी के पास 1 लाख 60 हजार रुपये हैं. कुल उनके पास 7 लाख 90 हजार रुपये है.
गौरव वल्लभ ने किया है इतना निवेश
इसी तरह से अगर उनके और पत्नी के बैंक अकाउंट पर नजर डालें तो उसमें 1,57,89,600 रुपये हैं. बॉन्डस पर नजर डालें तो उनके पास उसमें 57 लाख रुपये से ज्यादा हैं तो 22 लाख रुपये से ज्यादा पत्नी के नाम पर हैं. इसी तरह से डिपेंडेंट के खातों में मिलाकर कुल 97 लाख रुपये से ज्यादा मौजूद हैं.इसी तरह से अन्य निवेश के जरिए उन्होंने 72 लाख रुपये से ज्यादा जुटाए हैं.
इतने लाख का है गौरव पर कर्ज
गौरव वल्लभ पर 96 लाख रुपये का कर्ज भी है. गौरव लग्जरी कारों के भी शौकीन हैं. उनके पास 18 लाख रुपये की कीमत वाली टाटा हैक्सा कार भी है जबकि उनकी पत्नी के पास Honda Brio कार मौजूद है जिसकी कीमत 6 लाख रुपये है. इसके अतिरिक्त 1 करोड़ उनके पीएफ में और 41 लाख रुपये से ज्यादा उनकी पत्नी के पीएफ में मौजूद हैं. गौरव वल्लभ और उनकी पत्नी दोनों प्रोफेसर है. गौरव अर्थशास्त्र के बड़े जानकार हैं और वो मौजूदा समय में भी अध्यापन से जुड़े हुए हैं.
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बॉक्सर विजेन्दर पिछली बार साउथ दिल्ली से कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
21 घंटे पहले कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के साथ उनकी न्याय यात्रा में शामिल होने वाले बॉक्सर विजेन्दर सिंह आज बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने बीजेपी में शामिल होने के बाद इसे घर वापसी बताया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बॉक्सिंग की दुनिया के इस स्टार खिलाड़ी के पास कितनी दौलत है. जी हां विजेन्दर सिंह के पास 12 करोड़ की संपत्ति है जबकि उनकी पत्नी के पास भी लाखों की दौलत है. विजेन्दर पर 3 करोड़ से ज्यादा का कर्ज भी है.
बॉक्सर विजेन्दर सिंह के पास है इतनी दौलत
2008 ओलंपिक में भारत के लिए कांस्य पदक जीतने वाले बॉक्सर विजेन्द्र सिंह 2019 में कांग्रेस के टिकट पर साउथ दिल्ली से चुनाव भी लड़ चुके हैं. 2019 में पर्चा दाखिल करने से पहले चुनाव आयोग को दी गई उनकी जानकारी के अनुसार अनुसार उनके पास 12152500 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. जबकि उनके उपर 33196700 करोड़ रुपये की लॉयबिलिटी भी है. चुनावी शपथ पत्र के अनुसार उनके अकाउंट में जहां 1,50000 लाख का कैश है तो वहीं पत्नी के अकाउंट में 120000 लाख का कैश मौजूद है. वहीं पति और पत्नी के पास अलग-अलग बैंकों में 383700 रुपये जमा हैं.
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इतने लाख का किया है निवेश
अगर विजेन्दर सिंह के निवेश पर नजर डालें तो उनकी एचडीएफसी की 20 लाख की पॉलिसी है, जबकि उनकी पत्नी के पास एचडीएफसी में 4 लाख रुपये की पॉलिसी है. दोनों के पास कुल 24 लाख रुपये का निवेश की जानकारी उन्होंने अपने शपथ पत्र में दी है. इसी तरह अगर कारों की बात करें तो उनके पास हरियाणा सरकार की ओर से कांस्य पदक जीतने पर उपहार में मिली एसएक्स 4 कार मौजूद है जिसकी कीमत 7 लाख रुपये है तो वहीं 24 लाख रुपये की लग्जरी कार एंडिवर भी मौजूद है.
इतने करोड़ का है लोन
विजेन्दर कुमार ने अपने लोन की जानकारी भी इस शपथ पत्र में दी है, जिसमें उन पर दो लोन चल रहे हैं एक 10 लाख का लोन है जबकि दूसरा 2,71,0000 करोड़ का लोन है. उनके परिवार के पास कुल 12 लाख 50 हजार रुपये की ज्वैलरी है जिसमें उनके पास पांच लाख की और पत्नी के पास 7 लाख रुपये की जबकि 50 हजार की ज्वैलरी उनके एक डिपेंडेंट के पास है. उनके बीजेपी में आने से पहले खबर ये थी कि कांग्रेस पार्टी उन्हें मथुरा से चुनाव लड़ा सकती है. जबकि बीजेपी मौजूदा समय में वहां से हेमा मालिनी को तीसरी बार अपना उम्मीदवार बना चुकी है.
पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद अनंतनाग-राजौरी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे.
कांग्रेस का 'हाथ' छोड़कर आत्मनिर्भर बने गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) लड़ने का फैसला लिया है. गुलाम अपने राजनीतिक संगठन की टिकट पर अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट से किस्मत आजमायेंगे. 2022 में कांग्रेस (Congress) छोड़ने के बाद उन्होंने डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) नाम से अपनी पार्टी शुरू की थी और इस तरह वह आत्मनिर्भर बन गए. बता दें कि कांग्रेस छोड़ने का फैसला लेने के बाद गुलाम नबी आजाद ने पार्टी लीडर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर जमकर निशाना साधा था.
J&K में 5 चरणों में होंगे चुनाव
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 5 चरणों में चुनाव होंगे. इसकी शुरुआत 19 अप्रैल को उधमपुर सीट पर वोटिंग के साथ होगी. गुलाम नबी आजाद की अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट 7 मई को चुनाव होगा. गुलाम ने भले ही कांग्रेस से अलग होते समय पार्टी पर अनगिनत तीर दागे, लेकिन उसी कांग्रेस की बदौलत वह एक शानदार राजनीतिक करियर बना पाए. उन्होंने केंद्र से लेकर राज्य की सियासत में बड़ी भूमिका निभाई.
तब बताई थी इतनी संपत्ति
अब जब गुलाम नबी आजाद की बात निकली है, तो यह भी जान लेते हैं कि अपने लंबे सियासी सफर में उन्होंने कितनी दौलत कमाई. गुलाम पोस्ट ग्रेजुएट हैं और उन्होंने 1973 में कश्मीर यूनिवर्सिटी से जीव विज्ञान में MSc की पढ़ाई की थी. 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए दायर हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया था. नेताओं की जन्मकुंडली रखने वाली वेबसाइट मायनेता के मुताबिक, 2014 में गुलाम नबी आजाद ने अपनी संपत्ति 4 करोड़ से ज्यादा बताई थी. जाहिर है तब से अब तक उसमें काफी इजाफा हो गया होगा.
इतनी है चल-अचल संपत्ति
आजाद ने बताया था कि उन्होंने वित्त वर्ष 2013 - 2014 में 8 लाख रुपए से ज्यादा का रिटर्न दाखिल किया था. इसी तरह, उनकी वाइफ शमीमा आजाद ने 7 लाख से ज्यादा और उनकी बेटी सोफिया ने एक लाख से ज्यादा का रिटर्न फाइल किया था. कांग्रेस लीडर के पास उस समय 50 हजार रुपए कैश था जबकि उनकी पत्नी के पास एक लाख. इस तरह गुलाम दंपत्ति के पास 1,50,000 रुपए नकद थे. कुल मिलकर उनके पास 2,64,78,960 रुपए की चल संपत्ति (Movable Assets) थी और उन्होंने परिवार के पास 1,97,00,000 की अचल संपत्ति (Immovable Assets) का जिक्र किया था.
आजाद पर नहीं कोई देनदारी
गुलाम फैमिली के पास महाराष्ट्र के वाशिम में 2.5 एकड़ जमीन है. जिनसे उन्होंने 1994 में खरीदा था. हलफनामे में उन्होंने दिल्ली की फ्रेंड्स कॉलोनी में 2600 sqft का एक फ्लैट और हैदरपोरा श्रीनगर में 25200 sqft का एक घर होने की बात कही थी. आजाद पर उस वक्त कोई देनदारी या कोई क्रिमिनल केस नहीं था. गुलाम ने साल 1980 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र के वाशिम निर्वाचन क्षेत्र से पहला संसदीय चुनाव लड़ा और जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. 1982 में उन्हें केंद्रीय मंत्री के तौर पर कैबिनेट में शामिल किया गया था. वह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे हैं.
इनकम टैक्स रिकवरी के खिलाफ कांग्रेस को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की उस याचिका पर सुनवाई हुई, जो उसने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस के खिलाफ दायर की थी.
आयकर विभाग के नोटिस मामले में कांग्रेस को कुछ दिनों के लिए राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भरोसा दिया कि अभी लोकसभा चुनाव का समय चल रहा है, लिहाजा हम इन पैसों की रिकवरी को लेकर कोई करवाई नहीं करेंगे. कांग्रेस ने मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. जस्टिस बी. वी. नागरत्ना की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. आयकर विभाग की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील रखीं. कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 24 जुलाई को होगी.
चुनाव तक कोई एक्शन नहीं
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आयकर विभाग लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस पर कोई सख्त एक्शन नहीं करेगा. विभाग ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि इस मामले को जून तक स्थगित कर दी जाए. विभाग ने कहा कि चुनाव को दौरान हम किसी पार्टी की परेशानी नहीं बढ़ाना चाहते हैं. आयकर विभाग की बात पर कांग्रेस की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आयकर विभाग ने काफी उदारता दिखाई है, मैं निःशब्द हो गया हूं और ऐसा बहुत कम बार हुआ है. अभिषेक मनु सिंघवी के रवैये पर न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि आपको (कांग्रेस) हर समय किसी के बारे में नकारात्मक धारणा नहीं रखनी चाहिए.
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कांग्रेस ने लगाया परेशान करने का आरोप
इनकम टैक्स के नोटिस के जवाब में कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि उन्हें नोटिस इसलिए भेजा गया है, ताकि चुनाव में पार्टी को परेशानी का सामना करना पड़े. राहुल गांधी ने रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई रैली के दौरान भी कहा कि चुनाव से ठीक पहले हमारे अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया गया है. यहां पर इनकम टैक्स के जरिए भेजे गए नोटिस का मुद्दा भी उठा. राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के जरिए चुनाव फिक्स करने की कोशिश कर रही है.
क्या है पूरा मामला?
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को आयकर विभाग से फिर नया नोटिस मिला, जिसके जरिये आकलन वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक के लिए 1,745 करोड़ रुपये के कर की मांग की गई है. आयकर विभाग द्वारा कांग्रेस से अब तक कुल 3,567 करोड़ रुपये के कर की मांग की जा चुकी है. ताजा नोटिस 2014-15 (663 करोड़ रुपये), 2015-16 (करीब 664 करोड़ रुपये) और 2016-17 (करीब 417 करोड़ रुपये) से संबंधित हैं. अधिकारियों ने राजनीतिक दलों को मिलने वाली कर छूट समाप्त कर दी है और पार्टी पर कर लगा दिया है. कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा था कि उसे आयकर विभाग से नोटिस मिला है, जिसमें करीब 1,823 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया है.
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने हुगली लोकसभा सीट से मशहूर अभिनेत्री रचना बनर्जी को टिकट दिया है. रचना बनर्जी रियलिटी टीवी शो, दीदी नंबर 1 की एंकर हैं. वह अमिताभ बच्चन के साथ भी फिल्म में काम कर चुकी हैं.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 42 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. टीएमसी ने हुगली लोकसभा सीट से बंगाली मनोरंजन इंडस्ट्री की मशहूर अभिनेत्री रचना बनर्जी को टिकट दिया है. रचना बनर्जी रियलिटी टीवी शो, दीदी नंबर 1 की एंकर हैं, जिसमें कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाग लिया था.
हुगली सीट से लड़ेंगी चुनाव
रचना बनर्जी एक एक्ट्रेस, टीवी होस्ट और बिजनेसविमन हैं. अब वह चुनाव भी लड़ने जा रही हैं. उन्होंने मुख्य रूप से तेलुगु, तमिल और कन्नड़ फिल्मों के अलावा बंगाली और उड़िया फिल्मों में काम किया है. वहीं, अब रचना बनर्जी हुगली सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद और अभिनेत्री लॉकेट चटर्जी (Locket Chatterjee) के सामने मैदान में उतार रही हैं, जो इस सीट से मौजूदा बीजेपी सांसद हैं.
जानते हैं सूर्यवंशम में भी किया है रचना बनर्जी ने काम?
रचना बनर्जी सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म सूर्यवंशम में भी काम कर चुकी हैं. 1999 में आई फिल्म सूर्यवंशम में अमिताभ बच्चन अपने बचपन की दोस्त गौरी से बेइंतहा प्यार करते हैं, उसकी पढ़ाई-लिखाई में मदद भी करते हैं. इस फिल्म में गौरी का किरदार रचना बनर्जी ने ही निभाया था.
बंगाली फिल्मों का बड़ा नाम
रचना बनर्जी का जन्म 2 अक्टूबर 1974 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था. उनका पहले नाम झुमझुम बनर्जी था. उनकी पहली फिल्म 'दान प्रतिदान' के निर्देशक सुखेन दास ने इसे बदलकर रचना कर दिया था. रचना बनर्जी को फिल्मी करियर में सबसे बड़ी सफलता तब मिली जब उन्होंने लगभग 40 फिल्मों में सिद्धांत महापात्रा के साथ मुख्य भूमिका निभाई. रचना बनर्जी अपने पसंदीदा अभिनेता प्रोसेनजीत चटर्जी के साथ 35 बंगाली फिल्मों में नजर आ चुकी हैं. हालांकि अब रचना काफी समय से पहले ही खुद को फिल्मों से दूर कर लिया है. फिलहाल वो छोटे पर्दे पर दिखती हैं. पिछले 10 सालों से वह दीदी नंबर 1 शो को होस्ट करती हैं.
मिस कोलकाता भी रह चुकी हैं रचना
रचना बनर्जी 1994 में मिस कोलकाता बनी थीं. उसके बाद उन्होंने मिस इंडिया प्रतियोगिता में मिस ब्यूटीफुल स्माइल सहित भारत में 5 ब्यूटी पेजेंट भी जीती हैं.
पूर्व पति ने थामा भाजपा का हाथ
रचना बैनर्जी के पूर्व पति बंगाली अभिनेता सिद्धांत महापात्र ने भाजपाका हाथ थाम लिया है. वह ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजेडी से दो बार सांसद रह चुके हैं. एक समय था जब रचना और सिद्धांत उड़िया और बंगाली फिल्मों की हिट जोड़ी थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साथ में एक्टिंग करने के दौरान दोनों के बीच प्यार हुआ. वहीं दोनों ने गुपचुप तरीके से शादी भी कर ली थी. हालांकि दोनों ने कभी भी सार्वजनिक रूप से अपने रिश्ते की बात को नहीं स्वीकारा था. बाद में खबर आई कि दोनों अलग हो गए हैं.