72 साल की उम्र में मार्क्सवादी नेता Sitaram Yechury का निधन, जानिए कैसा था इनका राजनीतिक सफर?

Communist Party of India के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यसभा सांसद Sitaram Yechury का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है.

Last Modified:
Thursday, 12 September, 2024
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India) के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. जानकारी के अनुसार सीताराम येचुरी दिल्ली एम्स में भर्ती थे. लंबे समय से वह वेंटीलेटर पर ही थे और पार्टी ने मंगलवार यानी 12 सितंबर को उनकी मृत्यु की सूचना दी है. सीताराम येचुरी ने हाल ही में मोतियाबिंद की सर्जरी भी करवाई थी. जेएनयू के छात्र से लेकर मार्क्सवादी नेता बनने तक सीताराम येचुरी का राजनीति सफर पूरे 50 वर्ष का रहा है. 

निमोनिया का चल रहा था इलाज

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीताराम येचुरी का निधन दोपहर 3.05 बजे हुआ. येचुरी को निमोनिया जैसे सीने में संक्रमण के इलाज के लिए 19 अगस्त को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था. सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को मद्रास (चेन्नई) में हुआ था. साल 1975 में बतौर छात्र नेता उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया था, जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.

सीताराम येचुरी की जिंदगी पर एक नजर

सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को मद्रास (चेन्नई) में हुआ था. उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे. वहीं, उनकी मां कल्पकम येचुरी एक सरकारी अधिकारी थीं. उन्होंने दसवीं कक्षा तक हैदराबाद में पढ़ाई की. इसके बाद उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए दिल्ली आए, यहां उन्होंने प्रेसिडेंट्स एस्टेट स्कूल नई दिल्ली में दाखिला लिया. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के सेंट स्टीफन कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए (ऑनर्स) की पढ़ाई की और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से एमए अर्थशास्त्र किया.

इमरजेंसी के विरोध में जेल भी गए

येचुरी भारतीय वामपंथी राजनीति के एक प्रमुख चेहरे थे, जिन्होंने आपातकाल का जमकर विरोध किया और उसके लिए वो जेल भी गए. सीताराम येचुरी साल 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) में शामिल हुए. वह साल 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़े थे. आपातकाल के बाद वह एक साल में 1977-78 में तीन बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे. सीताराम येचुरी एसएफआई के ऐसे पहले अध्यक्ष थे, जो केरल या बंगाल से नहीं थे. वह 1984 में सीपीआई-एम की केंद्रीय समिति के लिए चयनित हुए. साल 1986 में उन्होंने एसएफआई छोड़ दी.

लगातार तीन सीपीआई-एम के महासचिव रहे
इसके बाद सीताराम येचुरी 1992 में 14वीं कांग्रेस में पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए. जुलाई, 2005 में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए चुनकर संसद पहुंचे. येचुरी को 19 अप्रैल 2015 को सीपीआई-एम CPI(M) का पांचवां महासचिव बनाया गया. अप्रैल 2018 में उन्हें फिर से पार्टी का महासचिव चुना गया. अप्रैल 2022 में येचुरी लगातार तीसरी बार सीपीआई एम के महासचिव बने थे.

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राहुल गांधी ने जताया दुख

सीताराम येचुरी के निधन पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दुख प्रकट किया है. राहुल गांधी ने X पर पोस्ट किया कि सीताराम येचुरी जी मेरे मित्र थे. भारत के विचार के रक्षक और हमारे देश की गहरी समझ रखने वाले थे. मुझे हमारी लंबी चर्चाएं याद आएंगी. दुख की इस घड़ी में उनके परिवार, मित्रों और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना.

सीएम ममता बैनर्जी ने भी जताया दुख

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने येचुरी के निधन पर दुख प्रकट करते हुए कहा, जानकर दुख हुआ कि सीताराम येचुरी का निधन हो गया है. वे एक अनुभवी सांसद थे और उनका निधन राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक क्षति है. मैं उनके परिवार, मित्रों और सहकर्मियों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं.

 


सीरिया में हुआ तख्तापलट, आखिर कैसे इतने बिगड़ गए हालात, भारत पर इसका क्या होगा असर?

सीरिया (Syria) में सरकार और विद्रोहियों के बीच लंबे संघर्ष के बाद विद्रोहियों ने देश पर कब्जा कर लिया है. राष्ट्रपति बशर अल असद का मजबूत किला दमिश्क भी ढह गया है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 10 December, 2024
Last Modified:
Tuesday, 10 December, 2024
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सीरिया में 50 साल पुरानी असद परिवार की सत्ता एक झटके में ढह गई, राष्ट्रपति बशर अल असद को देश छोड़कर भागना पड़ा और रूस में राजनीतिक शरण लेनी पड़ी. वैसे तो सीरिया में विद्रोह का दौर और गृह युद्ध पिछले 13 साल से चल रहा है, लेकिन पिछले 13 दिन में हालात इतनी तेजी से बदले की असद सरकार उसे संभाल नहीं पाई. विद्रोहियों ने अचानक हमला तेज कर दिया और देखते ही देखते सीरिया के बड़े शहरों के साथ-साथ राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया. ऐसे में सवाल ये है कि 13 साल से चल रहे विद्रोह के बीच अचानक ऐसा क्या हुआ कि 13 दिन में ही तख्तापलट हो गया, आइए जानते हैं असद शासन के पतन की पूरी कहानी.

सत्ता पर पकड़ ढीली

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 13 साल के गृहयुद्ध के बाद, सीरिया के विपक्षी मिलिशिया को राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता पर पकड़ ढीली करने का मौका मिला. लगभग छह महीने पहले उन्होंने तुर्की को एक बड़े हमले की योजना के बारे में बताया और महसूस किया कि उन्हें तुर्की की मौन स्वीकृति मिल गई है. योजना के बारे में जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने एजेंसी को बताया. तकरीबन दो हफ़्ते पहले शुरू किए गए इस अभियान का शुरुआती लक्ष्य था, सीरिया के दूसरे शहर अलेप्पो पर कब्जा करना, जिसमें विद्रोहियों तेज़ी से सफलता मिल गई और इसने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया. वहां से, लगभग एक हफ्ते से भी कम समय में विद्रोही गठबंधन दमिश्क तक पहुंच गया और असद परिवार के पांच दशकों के शासन को समाप्त कर दिया. 

सीरिया में कैसे हुआ तख्तापलट?

•    27 नवंबर को सीरियाई सेना और विद्रोहियों के बीच संघर्ष की शुरुआत हुई.
•    1 दिसंबर को विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम यानी HTS ने यहां के सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया.
•    5 दिसंबर को HTS ने सीरिया के हमा शहर को अपने कब्जे में लिया.
•    6 दिसंबर को दारा और 7 दिसंबर को होम्स शहर पर कब्जा हो गया.
•    8 दिसंबर को विद्रोही गुट राजधानी दमिश्क की ओर बढ़ने लगे. इसी दौरान राष्ट्रपति असद ने अपने परिवार के साथ देश छोड़ दिया.
•    इसी दिन विद्रोही राष्ट्रपति भवन और संसद भवन में घुस आए. जमकर लूटपाट की. वहां का सामान लूटकर अपने घर ले गए.
•    सीरिया में विद्रोहियों ने सड़कों पर बंदूकें लेकर जश्न मनाया. विद्रोही महिलाओं ने भी सड़कों पर जश्न मनाया.
•    तख्तापलट के बाद हजारों लोग देश छोड़कर भागते दिखे. गाड़ियों की लंबी कतारें देखी गईं.
•    इस दौरान दमिश्क में ईरानी दूतावास पर भी विद्रोहियों ने हमले किए.

अल-असद कहां है?

अभी तक कोई नहीं जानता कि अल-असद कहां है. सीरियाई प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी अल-जलाली के अनुसार, वे और उनके रक्षा मंत्री अली अब्बास दोनों अज्ञात स्थानों पर हैं, जिन्होंने अल अरबिया समाचार वेबसाइट को बताया कि शनिवार रात को उनका संचार टूट गया था. एसओएचआर प्रमुख रामी अब्देल रहमान के अनुसार, अल-असद सेना द्वारा सुरक्षित किए जाने के दौरान दमिश्क अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के माध्यम से सीरिया से चले गए. इसके बाद सैनिकों ने भी हवाई अड्डे को छोड़ दिया और विद्रोहियों ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया. वहीं, प्रधानमंत्री अल-जलाली रुके हुए हैं, उन्होंने रविवार को सुबह प्रेस से बात करते हुए कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए रुके हुए हैं कि चीजें चलती रहें.

भारत पर क्या पड़ सकता है असर? 

असद के पतन और उसके बाद की अनिश्चितता ने भारत के राजनीतिक और आर्थिक हितों के लिए चिंता पैदा कर दी है. सबसे बड़ा खतरा हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) का है. एचटीएस एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है, जिसे कई देशों ने आतंकी संगठन भी घोषित कर रखा है. एचटीएस का जुड़ाव अल-कायदा से भी रहा है. एचटीएस के उभार से अब सीरिया में इस्लामिक स्टेट के फिर से पनपने का खतरा भी बढ़ गया है. सीरिया के ऑयल सेक्टर में भारत के दो बड़े निवेश हैं. पहला 2004 में हुआ ONGC और IPR इंटरनेशनल के बीच हुआ समझौता. दूसरा- सीरिया में कनाडियन फर्म में ONGC और चीन की CNPC की 37% हिस्सेदारी. सीरिया में तिशरीन थर्मल पावर प्लांट के रिस्ट्रक्चर के लिए भारत ने 24 करोड़ डॉलर का क्रेडिट भी दिया था. 

इतना ही नहीं, इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर में भी भारत भारी निवेश करने की तैयारी कर रहा था. इस प्रोजेक्ट में सीरिया भी शामिल है. अब सीरिया में काफी कुछ बदल जाएगा. सीरिया में विद्रोही गुटों के साथ तुर्की का था. जाहिर है कि वहां की सियासत में अब तुर्की का अच्छा-खासा दखल होगा. तुर्की और भारत के संबंध हाल ही में थोड़े नरम होने शुरू हुए थे. लेकिन अब सीरिया में राजनीतिक परिवर्तन से मध्य पूर्व में भारत के संबंध प्रभावित हो सकते हैं. सीरिया के मौजूदा हालात पर भारत ने बयान जारी किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर सीरिया में सत्ता हस्तांतरण की 'शांतिपूर्ण' और 'समावेशी' प्रक्रिया का आह्वान किया है.
 


89 की उम्र में पूर्व CM व विदेश मंत्री SM Krishna का निधन, कर्नाटक में 3 दिन का शोक

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा का आज सुबह बेंगलुरु में निधन हो गया. उनके निधन पर कर्नाटक सरकार ने 3 दिन के शोक की घोषणा की है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 10 December, 2024
Last Modified:
Tuesday, 10 December, 2024
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विदेश मंत्री और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा का मंगलवार तड़के 2.45 बजे बेंगलुरु स्थित उनके आवास पर निधन हो गया.  कृष्णा ने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. वे लोकसभा सदस्य, राज्यसभा सदस्य, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष, कर्नाटक केमुख्यमंत्री और MLC भी रहे. वे महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे. उनकी मृत्यु की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है. 

कर्नाटक सरकार ने की 3 दिन के शोक की घोषणा
कर्नाटक सरकार ने आदेश जारी किया और बताया कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के निधन पर 3 दिन का शोक मनाई जाएगी. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. सरकार ने फैसला किया है कि इन तीन दिनों में कोई समारोह या जश्न नहीं मनाया जाएगा.

इतना लंबा रहा राजनीति सफर

एसएम कृष्णा, जिनका पूरा नाम सोमनाहल्ली मल्लैया कृष्णा था, का जन्म 1 मई, 1932 को मांड्या जिले के सोमनाहल्ली गाँव में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा मैसूरु में प्राप्त की। उन्होंने बेंगलुरु के सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की. वे फुलब्राइट स्कॉलर भी रहे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मांड्या से विधायक के रूप में की थी. 1962 में वे एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीते थे. कृष्णा 1962 से 1967 तक तीसरी कर्नाटक विधानसभा के सदस्य रहे. 1965 में उन्होंने न्यूजीलैंड में हुए राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में भाग लिया. 1968 से 1970 तक वे चौथी लोकसभा के सदस्य और 1971 से 1972 तक पांचवीं लोकसभा के सदस्य रहे. 1972 से 1977 तक वे कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य रहे. इस दौरान उन्होंने कर्नाटक सरकार में वाणिज्य, उद्योग और संसदीय कार्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया. 1982 में वे संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रहे. 1983-84 में केंद्रीय उद्योग राज्य मंत्री और 1984-85 में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री रहे.

पहले सीएम फिर विदेश मंत्री
1989 से 1994 तक वे नौवीं कर्नाटक विधानसभा के सदस्य और 1989 से 1992 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे. मार्च 1990 में उन्होंने वेस्टमिंस्टर, यूके में राष्ट्रमंडल संसदीय संगोष्ठी में भाग लिया. 1992 से 1994 तक वे कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री रहे. अप्रैल 1996 से अक्टूबर 1999 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे. 11 अक्टूबर, 1999 से 20 मई, 2004 तक उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. इसके बाद वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री बने. 2004 से 2008 तक वे महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे.

सपा ने एक्स पर जाहिर की संवेदनाएं

समाजवादी पार्टी ने पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के निधन पर दुख जाहिर किया और परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की. सपा ने एक्स पर लिखा- 'कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व विदेश मंत्री श्री एस.एम. कृष्णा जी का निधन, अत्यंत दुखद! ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोक संतप्त परिवार को इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान करे. भावभीनी श्रद्धांजलि!'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जताया दुख

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एसएम कृष्णा के निधन पर दुख जताया और ट्वीट किया, “कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री एस एम कृष्णा के निधन से बेहद दुखी हूं. विकास के सच्चे प्रणेता, उन्होंने राज्य और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. यह मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है, क्योंकि हमने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सहकर्मियों के रूप में काम किया था. उनकी दूरदर्शिता, समर्पण और असाधारण सार्वजनिक सेवा ने कर्नाटक की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि विकास के साथ कल्याण को संतुलित करने के उनके दृष्टिकोण ने बेंगलुरु के परिवर्तनकारी प्रतिमान पर वैश्विक मुहर लगाई. उनके परिवार, दोस्तों और अनुयायियों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है.

पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने दी श्रद्धांजलि

कर्नाटक के पूर्व सीएम और वरिष्ठ भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के पूर्व सीएम एसएम कृष्णा को अंतिम श्रद्धांजलि देने उनके आवास पर पहुंचे.


सोशल मीडिया पर राहुल गांधी का उड़ रहा मजाक, अडानी के CFO ने भी मारा plagiarism का ताना!

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हालिया "A New Deal For Indian Business" शीर्षक लेख को लेकर अब अडानी के CFO ने उनपर पलटवार कर दिया है. राहुल गांधी पर लेख कॉपी करने के आरोप लग रहे हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Friday, 08 November, 2024
Last Modified:
Friday, 08 November, 2024
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पलक शाह

कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अरबपति बिजनेसमैन गौतम अडानी को निशाना बनाने की कोशिश करते रहते हैं. लेकिन इस बार वह बुरे फंस गए हैं. इतना ही नहीं, उन्हें अडानी ग्रुप के CFO जगेशिंदर रोबी सिंह ने भी अप्रत्याशित रूप से घेर लिया है. रोबी ने राहुल गांधी के हाल में प्रकाशित एक लेख को लेकर उन पर पलटवार किया है और उन पर लेख चोरी करने का आरोप लगाया है. दरअसल, राहुल गांधी ने हाल ही में 'द इंडियन एक्सप्रेस' के लिए एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने मोदी शासन के तहत भारत के बड़े व्यवसायों के एकाधिकार प्रवृत्तियों पर आलोचना की थी. उसमें स्पष्ट रूप से अडानी ग्रुप का संदर्भ दिया गया है. 

अडानी के CFO ने एक्स पर किया पोस्ट

रोबी सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट किया है कि गांधी का लेख दरअसल ब्रिटिश दार्शनिक एडमंड बर्क (Edmund Burke) के एक लेख से चोरी किया गया था. "ऐसा लगता है कि @IndianExpress ने एडमंड बर्क के भारत पर 05 दिसंबर 2012 को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित लेख को ही, एक नए उपनाम के तहत फिर से प्रकाशित किया! #प्लेगरिजम हालांकि कोई कह सकता है कि हमें @CCI_India को सशक्त और मजबूत करना चाहिए, लेकिन 12 साल पुराना चैप्टर क्यों कॉपी किया गया?

इन लोगों ने भी अपने X हैंडल पर किया पोस्ट
गांधी के प्लेगरिज़म को पकड़ने वाले अडानी ग्रुप के CFO अकेले ही नहीं हैं, बल्कि 'X' हैंडल @prettypadmaja (करीब 40K फॉलोअर्स) ने भी इसे लेकर एक पोस्ट लिखी है. उन्होंने बताया है कि गांधी के लिए लेख लिखने वाले व्यक्ति ने बस AI टूल का उपयोग किया है. "यह प्लेगरिजम है, दो लाइनें पढ़ने के बाद ही पता चल गया कि यह लेख Chapter 13 - Edmond Burke on India - कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा 05 दिसंबर 2012 को प्रकाशित हुआ और बाद में किसी AI प्लेटफॉर्म द्वारा सुधारा गया एक स्मार्ट तरीके से कॉपी किया गया विचार है. आगे पढ़ने की जरूरत नहीं. इसे किसान से लेकर मेसन, पॉटरी से ड्राइवर और अब लेखक ????????,"  वहीं, @arunpudur (114K फॉलोअर्स) ने पोस्ट किया है कि "तो @RahulGandhi ने लेख की नकल की और फिर AI का इस्तेमाल करके कुछ बदलाव किए.

यहां से कॉपी किया गया है लेख 
राहुल गांधी का "A New Deal For Indian Business: Match-fixing monopoly vs fairplay business — time to choose freedom over fear” शीर्षक लेख, जोकि भारत में एकाधिकार नियंत्रण की आलोचना करता है और व्यापार समुदाय से अपील करता है कि वे कुछ हाथों में शक्ति का संकेंद्रण रोकें.  ऐसा कहा जा रहा है कि यह एडमंड बर्क के भारत पर आधारित अध्याय 13 से कॉपी किया गया लेख है, जिसे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस ने 2012 में ऑनलाइन प्रकाशित किया था. इतना ही नहीं, केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने 2009 में एक समान लेख लिखा था, जिसे उन्होंने एक ब्लॉग पर पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस-नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की आलोचना की थी. तब चन्द्रशेखर ने केवल कुछ दिग्गजों को नहीं, बल्कि विविध व्यवसायों को समर्थन देने की आवश्यकता पर जोर दिया था. चन्द्रशेखर के उस लेख का शीर्षक “New Deal For India." था. 

राहुल गांधी पर बर्क के काम का उपयोग करने का आरोप
राहुल गांधी का लेख यह बताता है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी उपनिवेश भारत पर कैसे प्रभाव डाला और बिना किसी का नाम लिए भारत के बदनाम व्यापारियों पर प्रकाश डाला. यह 'New Deal' का वादा करता है ताकि भारत के व्यापारिक माहौल को आकार दिया जा सके. आलोचक कहते हैं कि यह बर्क के काम के थीम और वाक्यांशों से काफी मिलता-जुलता है. बर्क ने विशेष रूप से भारत पर विदेशी एकाधिकार नियंत्रण और समाज के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने पर एकाधिकारों के नकारात्मक प्रभावों पर लिखा था. दोनों पाठों के बीच समानता, विशेष रूप से एकाधिकार संस्थाओं को शोषक के रूप में पेश करने और एक कमजोर “मातृभूमि” के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करने में स्पष्ट है, जिससे यह संकेत मिलता है कि सामग्री पूरी तरह से मौलिक नहीं थी. राहुल गांधी पर आरोप है कि उन्होंने बर्क के काम का उपयोग किया और केवल संदर्भ में बदलाव किया, ताकि इसे आधुनिक भारतीय एकाधिकारों से जोड़ा जा सके.

एआई के जरिए लिखा गया है लेख
अब यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि हो सकता है यह लेख राहुल गांधी ने किसी दूसरे व्यक्ति से लिखवाया हो, जिसने संभवतः AI टूल्स का उपयोग कर भाषा, फ्रेमिंग और संरचना को सुधारने और बेहतर बनाने का काम किया है. AI लेखन टूल्स और ऐप्स इंटरनेट पर व्यापक रूप से उपलब्ध हैं. राहुल गांधी, जो भारत के विपक्ष के नेता हैं और भारत के आधुनिक व्यापारिक हितों के पक्षधर के रूप में प्रस्तुत होते हैं, अपने लेख में यह उल्लेख करना भूल गए कि उनके लेखन पर बर्क के उपनिवेशी शोषण संबंधी विचारों का प्रभाव पड़ सकता था. 


 


दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने Trump, इतने हजारों करोड़ की संपत्ति के हैं मालिक

अमेरिका के चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को मात देकर रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अब दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 06 November, 2024
Last Modified:
Wednesday, 06 November, 2024
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डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) अब दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. बुधवार यानी 06 अक्टूबर 2024 को अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव 2024 में जीत हासिल करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप अब बतौर अमेरिका के 47 वें राष्ट्पति के रूप में व्हाइट हाउस में एंट्री करेंगे. आपको बता दें, डोनाल्ड ट्रंप सिर्फ नेता ही नहीं बल्कि एक बड़े कारोबारी भी हैं. उनके पास हजारों करोड़ों की संपत्ति है. तो आइए आज हम जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के पास कितनी संपत्ति है और अब अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी सालना सैलरी कितनी होगी और उन्हें कौन-कौन सी सुविधाएं मिलेंगी? 

ट्रंप अमेरिका के सबसे अमीर राष्ट्रपति

डोनाल्ड ट्रंप को न सिर्फ अमेरिका के सबसे अमीर नेताओं में से एक माना जाता है बल्कि वे अमेरिका के सबसे अमीर राष्ट्रपति भी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 7.7 अरब डॉलर यानी करीब 64,855 करोड़ रुपये है. बता दें, इससे पहले अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति रहे जॉन एफ केनेडी दूसरे सबसे अमीर राष्ट्रपति रह चुके हैं. उनकी संपत्ति करीब 1 बिलियन डॉलर थी. ट्रंप की नेटवर्थ में सबसे बड़ा हिस्सा ट्रंप मीडिया एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप का है. इसके अलावा वे गोल्फ क्लब, रिसॉर्ट्स और कई बंगलों के भी मालिक हैं.   

कई लग्जरी प्रॉपर्टी के मालिक हैं ट्रंप 
डोनाल्ड के पास अमेरिका के कई शहरों में लग्जरी प्रॉपर्टी है. उनके पास फ्लोरिडा में पाम बीच के किनारे बना खूबसूरत मेंशन है. इसका नाम मार-ए-लागो है. ये करीब 20 एकड़ में फैला है और ट्रंप ने इसे साल 1985 में खरीदा था. इसकी कीमत 1 करोड़ डॉलर से अधिक है. इस मेंशन के अलावा भी ट्रंप के पास कई शहरों में महंगे और आलीशान घर हैं. न्यू जर्सी, कनेक्टिकट, हवाई, इलिनॉइस और नेवादा के अलावा यूरोप, एशिया और साउथ अमेरिका में भी उनकी महंगी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी हैं. इसके अलावा फ्लोरिडा के अलावा सेंट मार्टिन में 1 करोड़ डॉलर से ज्यादा की एक प्राइवेट प्रॉपर्टी है. 1971 में डोनाल्ड ट्रंप ने पिता का रियल एस्टेट का कारोबार संभाला और इसे तेजी से आगे बढ़ाया. दुनिया के तमाम बड़े शहरों की तरह ही भारत के मुंबई में भी Trump Tower मौजूद है.  
 
बतौर राष्ट्रपति मिलेगी इतनी सैलरी
नियमों के अनुसार अमेरिका के राष्ट्रपति को सालाना 4 लाख डॉलर यानी 3.36 करोड़ रुपये वेतन मिलता है. इसके अलावा उनको खर्च के तौर पर अतिरिक्त 50 हजार डॉलर यानी 42 लाख रुपये मिलते हैं. वॉशिंगटन डीसी स्थित व्हाइट हाउस अमेरिका के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास और कार्यालय है. यहां रहने के लिए उन्हें अपने जेब से कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता है. 

ऐसी लग्जीरियस लाइफ जीतें हैं अमेरिका के राष्ट्रपति 
राष्ट्रपति जब पहली बार व्हाइट हाउस में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें एक लाख डॉलर यानी करीब 84 लाख रुपये दिए जाते हैं. इस पैसे को वे अपने हिसाब से घर को सजाने पर खर्च कर सकते हैं. राष्ट्रपति को मनोरंजन, स्टाफ और कुक के लिए सालाना 19,000 डॉलर यानी करीब 60 लाख रुपये भी मिलते हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति की सभी स्वास्थ्य सेवाएं बिल्कुल मुफ्त हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति को यात्रा करने के लिए एक लिमोजिन कार, एक मरीन हेलीकॉप्टर और एयर फोर्स वन नामक एक हवाई जहाज मिलता है.


धीरेन्द्र शास्त्री ने जिस कांग्रेस लीडर पर साधा निशाना, उनके पास है कितनी दौलत?

मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता उदित राज को लेकर एक विवादित बयान दिया है. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Monday, 04 November, 2024
Last Modified:
Monday, 04 November, 2024
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मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में छाए रहते हैं. वहीं, अब उन्होंने कांग्रेस नेता उदित राज को लेकर एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने एक बयान में कहा कि वह अपने पवित्र मुंह से उनका नाम तक नहीं ले सकते हैं. दरअसल, कुछ दिन पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता उदित राज ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह भाजपा एवं आरएसएस के कहने पर ही भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने को लेकर लगातार बयान दे रहे हैं, जो कि संविधान के खिलाफ है. तो चलिए आज हम जानते हैं कि कांग्रेस नेता उदित राज के राजनीतिक सफर और संपत्ति के बारे में जानते हैं.

उदित राज ने भी धीरेन्द्र शास्त्री पर लगाए थे ये आरोप

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उदित राज ने धीरेन्द्र शास्त्री ने आरोप लगाते हुए कहा था कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री लोगों को भविष्य बताने के नाम पर मूर्ख बना रहे हैं उन्हें आरएसएस एवं भाजपा ने प्रोजेक्ट किया है. उन्होंने कहा था कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री लोगों को भविष्य बताने के नाम पर गुमराह करते हैं. उनके इसी बयान के जवाब में पलटवार करते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि वह अपने पवित्र मुंह से अमुक व्यक्ति (उदित राज) का नाम तक नहीं ले सकते हैं. उनका काम ही यही है कि वह शायद मेरा बैकग्राउंड नहीं जानते हैं. बागेश्वर धाम के महंत ने कहा कि हम किसी पार्टी के नहीं है, हमारी पार्टी तो बजरंग बली की पार्टी है. हमारा काम भारत को भव्य बनाना है, ना की किसी पार्टी को, हमारे पास सभी पार्टियों के नेता आते हैं और हम भी सभी के यहां कथा करने जाते हैं

उदित राज का राजनीतिक सफर

उत्तर पश्चिम दिल्ली से कांग्रेस के उम्मीदवार उदित राज (66) ने 1988 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से एमए और 1995 में एमएमएच कॉलेज, सीसीएस विश्वविद्यालय, मेरठ से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने डॉक्टरेट की मानद उपाधि कोटा के बाइबिल कॉलेज से 2003 में प्राप्त की.  उदित राज 2014 में भाजपा की तरफ से उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से लोकसभा सांसद रह चुके हैं, लेकिन कुछ समय बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उदित राज पूर्व आईआरएस अफसर रहे हैं वह एक अनॉर्गनाइज्ड एंड वर्कर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उन्होंने 2024 में भी कांग्रेस के टिकट पर उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. 

उदित राज के पास 10 करोड़  से अधिक संपत्ति 

2024 के चुनावी हलफनामे के अनुसार पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता उदित राज के पास 5.54 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है. वहीं, उनकी पत्नी के पास करीब 71.21 लाख की चल संपत्ति है. उदित राज ने साल 2022-23 के आयकर रिटर्न में 1 करोड़ से ज्यादा की आय दिखाई है. वहीं, उनकी पत्नी की आय इस दौरान 40.61 लाख रुपये थी. उनके पास 7 लाख रुपये से अधिक कैश और अलग अलग बैंक खातों में करीब 17 लाख रुपये हैं. उन्होंने शेयर मार्केट में  15 लाख रुपये से अधिक निवेश किए हुए हैं. उनके पास अलग अलग एलआईसी स्कीम में 19 लाख रुपये से अधिक निवेश किया हुआ है. उनके पास 23 लाख रुपये से अधिक कीमत की किया (KIA) कार है. वहीं, करीब 32 लाख से ज्यादा के सोने के जेवर हैं.  उनके पास पैतृक घर के मूल्य को छोड़कर, 16 लाख रुपये की पैतृक जमीन है. पैतृक भूमि सहित उदित राज की कुल अचल संपत्ति का मूल्य 60 लाख रुपये है. 


महाराष्ट्र चुनाव के लिए BJP ने जारी की स्टार प्रचारकों की लिस्ट, पीएम मोदी सहित ये दिग्गज नेता करेंगे प्रचार

BJP ने शनिवार यानी 26 अक्टूबर को 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और अमित शाह का नाम भी शामिल है. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Saturday, 26 October, 2024
Last Modified:
Saturday, 26 October, 2024
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जैसे-जैसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे ही पार्टियों का सियासी पारा भी चढ़ने लगा है. शनिवार को जहां कांग्रेस ने अपने 23 प्रत्याशियों की घोषणा की. वहीं, इसके कुछ देर बाद ही भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट भी जारी कर दी. इस लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित 40 बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं. यह सभी नेता विधानसभा चुनाव और नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करेंगे.

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान
महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होंगे. वहीं, 23 नवंबर को मतगणना होगी. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन का हिस्सा है. इसमें शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शामिल है. 

भाजपा ने 99 सीटों पर घोषित किए अपने प्रत्याशी 
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और वर्तमान डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महायुति ने 278 सीटों पर बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है. जल्द ही भाजपा प्रत्याशियों की अगली सूची आएगी. भाजपा ने अभी तक कुल 99 और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) ने 45 और राकांपा ने 38 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है.

आठ राज्यों के सीएम और केंद्रीय मंत्री करेंगे प्रचार
भाजरा द्वारा जारी स्टार प्रचारकों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आठ राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज शामिल है. प्रधानमंत्री के अलावा इस लिस्ट में केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, योगी आदित्यनाथ, डॉ. प्रमोद सावंत, भूपेंद्र भाई पटेल, विष्णु देव साय, डॉ. मोहन यादव, भजनलाल शर्मा, नायब सिंह सैनी, हिमंत बिस्वा सरमा, शिवराज सिंह चौहान, देवेंद्र फडणवीस, चन्द्रशेखर बावनकुले, शिव प्रकाश, भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव, नारायण राणे, पीयूष गोयल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, रावसाहेब दानवे पाटिल, अशोक चव्हाण, उदयन राजे भोंसले, विनोद तावड़े, आशीष शेलार, पंकजा मुंडे, चंद्रकांत (दादा) पाटिल, सुधीर मुनगंटीवार, राधाकृष्ण विखे पाटिल, गिरीश महाजन, रवींद्र चव्हाण, स्मृति ईरानी, प्रवीण दारेकर, अमर साबले, मुरलीधर मोहोल, अशोक नेते, डॉ. संजय कुटे, नवनीत राणा शामिल हैं. 

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पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन
पिछले दो विधानसभा चुनाव में भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. 2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महाराष्ट्र की 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं, कांग्रेस को 44, शिवसेना को 56 और राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) को 54 सीटों पर जीत मिली थी. 2014 में भाजपा ने 122 सीटों पर चुनाव जीता था. वहीं, कांग्रेस के खाते में 42, शिवसेना को 63 सीटों और एनसीपी सबसे कम 41 सीटों पर सफलता मिली थी.


महाराष्ट्र के सियासी मैदान में कौन कितना मजबूत, जानिए पूरा चुनावी समीकरण?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होंगे. महाराष्ट्र में महायुति और महाविकास अघाड़ी, ये दो गठबंधन दल चुनावी मैदान में उतरेंगे. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Thursday, 24 October, 2024
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Thursday, 24 October, 2024
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही समय बचा है. ऐसे में उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी होने लगी हैं. चुनाव के लिए महायुति और महाविकास आघाडी दोनों ही दल पूरी तैयारी में जुट गए हैं. इस बीच विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी में सीट शेयरिंग पर सहमति बन गई है. इसके मद्देनजर कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (यूबीटी) ने 85-85 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. हालांकि कुछ सीटों पर बंटवारे पर विचार-विमर्श अभी भी जारी है. तो चलिए आपको महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के सियासी समीकरण से रूबरू कराते हैं.

मैदान में मुख्य रूप से दो गठबंधन आमने-सामने

महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी ने मिलकर महा विकास अघाड़ी का गठन किया था. वहीं, महायुति में भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसी एनसीपी शामिल हैं. इस बार के महाराष्ट्र चुनाव में मुकाबला पार्टियों के बजाय दो गठबंधनों के बीच देखने को मिलेगा. सत्तारूढ़ महायुति और महा विकास अघाडी आमने-सामने होंगे. इस बार के विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन (MVA) महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी, जिसमें उसे महायुति पर बढ़त हासिल हुई थी. 

सीटों का बंटवारा
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. ऐसे में शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने  राउत ने कहा कि 20 नवंबर को होने वाले चुनावों के लिए कुल 288 सीटों में से 270 पर सहमति बन गई है. इनमें से 255 सीट कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी और एनसीपी (शरद पवार) के बीच ब बीच बंटी हैं. महायुति सरकार को हराने के लिए महा विकास अघाड़ी गठबंधन एकजुट हो गया है, जिसके तहत कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (यूबीटी) 85-85 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और बाकी 18 सीटों पर गठबंधन के अन्य दलों से बात की जाएगी. वहीं, महायुति में ज्यादा सीटें बीजेपी के हिस्से में ही हैं. बीजेपी 156 के करीब तो एकनाथ शिंदे की शिवसेना-78-80, अजित पवार की एनसीपी 53-55 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.

वर्तमान में किसके, कितने विधायक? 

महाराष्ट्र विधानसभा की वर्तमान तस्वीर की बात करें तो महायुति में बीजेपी के 103, शिवसेना (शिंदे) के 40 और एनसीपी (अजित पवार) के 40 और बहुजन विकास अघाड़ी के तीन विधायक हैं. वहीं, महा विकास अघाड़ी की बात करें तो कांग्रेस के 43, शिवसेना (यूबीटी) के 15 और एनसीपी (शरद पवार) के 13 विधायक हैं. महाराष्ट्र विधानसभा में समाजवादी पार्टी के दो, एआईएमआईएम के दो, पीजेपी के दो, एमएनएस, सीपीएम, शेकाप, स्वाभिमानी पार्टी, राष्ट्रीय समाज पार्टी, महाराष्ट्र जनसुराज्य शक्ति पार्टी, क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी के एक-एक विधायक हैं. 

क्या था पिछले चुनाव का परिणाम?
पिछले चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं हालांकि, चुनाव के बाद शिवसेना एनडीए से अलग हो गई और उसने एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली. शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने. जून 2022 में शिवसेना में आंतरिक कलह हो गई. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 40 विधायकों को तोड़ दिया. एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए. अब शिवसेना दो गुटों में बंट चुकी है. शरद पवार की एनसीपी भी दो गुट- शरद पवार और अजित पवार में बंट गई है. 

इस बार क्या सोच रही जनता?
लोकसभा की तरह इस बार भी मराठा बीजेपी से नाराज दिख रहे हैं, लेकिन दलित वोटरों का झुकाव इस बार किधर होगा ये अभी साफ नहीं है. लोकसभा चुनाव के दौरान संविधान और आरक्षण खतरे में होने का नारा अब पहले से कमजोर हो चला है. वैसे 1995 के चुनाव के पहले तक दलित और आदिवसी मतदाता कांग्रेस के साथ ही रहते थे, लेकिन बीजेपी-शिवसेना युति की पहली सरकार के बाद समीकरण बदलना शरू हो गया था. रामदास आठवले, प्रकश अम्बेडकर, रासु गवई जैसे नेता उभरे और दलित वोट बिखरना शुरू हो गया. जिसका फायदा बीजेपी को मिलना शुरू हो गया. हालांकि, उसके बाद से कांग्रेस ने बहुत कोशिश की है. एक बड़ा दलित चेहरा उभारने की, लेकिन वो सफल नहीं हो पाई है.


60 साल के हुए गृह मंंत्री अमित शाह, जानिए कैसा रहा है उनका राजनीतिक सफर?

गृह मंत्री अमित शाह 22 अक्टूबर 2024 को 60 वर्ष के हो गए है. शाह ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) जैसी प्रमुख पहलों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 22 October, 2024
Last Modified:
Tuesday, 22 October, 2024
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गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज यानी 22 अक्टूबर 2024 को 60 वर्ष के हो गए हैं. उन्होंने पिछले तीन दशकों में भारतीय राजनीति की दिशा को एक आकार दिया है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उदय के पीछे एक प्रमुख रणनीतिकार, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष के रूप में शाह का प्रभाव और कैबिनेट में उनकी वर्तमान भूमिका कई ऐतिहासिक नीतियों को चलाने में महत्वपूर्ण रही है. उन्हें राजनीति का गेमचेंजर भी कहा जाता है. तो आइए आज उनके जन्मदिन के इस खास मौके पर हम आपको उनकी राजनीतिक यात्रा से रूबरू कराते हैं. 

राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर इन पहलों को लागू कराने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

अपनी रणनीतियों और तेज राजनीतिक कौशल के लिए जाने जाने वाले अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में हुआ. शाह ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय सुरक्षा उपायों को मजबूत करने जैसी प्रमुख पहलों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. गृह मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर बड़े जोर के साथ कानून और व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया गया है.जैसे-जैसे शाह 60 के दशक में कदम रख रहे हैं, वह भारतीय राजनीति में एक कद्दावर नेता बनते जा रहे हैं, उनकी नजरें आगामी चुनावों में भाजपा की मजबूत उपस्थिति सुनिश्चित करने पर टिकी हैं. अपनी यात्रा पर विचार करते हुए शाह ने देश के विकास और सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए अपने समर्थकों और पार्टी सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया है. 

पार्टी को मजबूत और देश की शासन प्रणाली को सशक्त बनाने पर कायम

अमित शाह के जन्मदिन के अवसर पर भाजपा के विभिन्न गढ़ों में सार्वजनिक उत्सव आयोजित किए गए, पार्टी कार्यकर्ताओं ने कल्याणकारी गतिविधियों का आयोजन किया. अपने हाई-प्रोफाइल करियर के बावजूद अमित शाह अपने शुरुआती दृष्टिकोण जैसे जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करना और देश की शासन प्रणाली को सशक्त बनाना पर कायम हैं.

प्रधानमंत्री ने अपने X हैंडल पर दी शुभकामनाएं 

राजनीति में लंबे समय से अमित शाह के सहयोगी रहे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं देते हुए अपने एक्स हैंडल पर  लिखा है कि अमित शाह जी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं, वह एक मेहनती नेता हैं, जिन्होंने अपना जीवन भाजपा को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया है. उन्होंने एक असाधारण प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनाई है और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं. उनके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं. 

अमित शाह के जनीतिक जीवन पर एक नजर
1. साल 1989 में अमित शाह भाजपा की अहमदाबाद इकाई के भाजपा सचिव बने. इसके बाद 1997 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया गया. उसी साल  सरखेज विधानसभा उपचुनाव में पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और वे 25,000 मतों के अंतर से जीतकर पहली बार विधायक बने.
2. साल 1998 में वे गुजरात भाजपा के प्रदेश सचिव बने और एक साल के भीतर ही उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई. 3
3. साल 2002 में गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद उन्हें मंत्री बनाया गया. साल 2010 तक वो गुजरात सरकार में मंत्री रहे.
4. बता दें कि साल 2009 में उन्हें श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुजरात क्रिकेट संघ का उपाध्यक्ष बनने का भी अवसर मिला। वे अहमदाबाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे.
5. इसके बाद 2012 में वो नारनुपरा   से फिर से विधायक चुने गए. इसके बाद भाजपा ने उन्हें 2013 में पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया.
6. वहीं, 9 जुलाई 2014 को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया.
7. साल  2016 में भाजपा ने उन्हें एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. इसके बाद  साल 2017 में अमित शाह गुजरात से राज्यसभा सदस्य चुने गए.

8. 2019 के लोकसभा चुनावों में वह गांधी नगर से लोकसभा के सांसद चुने गए हैं और वर्तमान में गृह मंत्री भी हैं. 


बेटे के लिए कितनी दौलत छोड़ गए हैं बाबा सिद्दकी, क्या करता है जीशान?

एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी अपने पीछे करोड़ों की संपत्ति छोड़ गए हैं. वह अक्सर अपनी हाई क्लास इप्तार पार्टियों के लिए चर्चा में रहते थे.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 15 October, 2024
Last Modified:
Tuesday, 15 October, 2024
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एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की मुंबई में शनिवार रात गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसके बाद राजनीति से लेकर बॉलीवुड तक हलचल मच गई. दरअसल, बिहार में जन्मे बाबा सिद्दीकी ने केवल मुंबई की राजनीति ही नहीं, बल्कि बॉलीवुड में भी अपना रुतबा बनाया था. बाबा सिद्दीकी बेहद लग्जरी लाइफ जीते थे. वह अक्सर अपनी हाई क्लास इफ्तार पार्टियों के लिए चर्चा में रहते थे. उनकी पार्टी में बॉलीवुड के तमाम बड़े सितारे शामिल होते थे. उनके परिवार में पत्नी शहनाज सिद्दीकी, बेटा जीशान सिद्दीकी और बेटी अर्थियासिद्दीकी हैं. उनके बेटे जीशान ब्रांद्रा पूर्वी सीट से विधायक हैं. पुलिस को संदेह है कि जीशन भी बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं. बाबा सिद्दीकी अब अपने पीछे एक लौते बेटे जीशान के लिए करोड़ों की संपत्ति  छोड़ गए हैं. 

बेटे के लिए छोड़ गए इतनी संपत्ति
बाबा सिद्दीकी का जन्म पटना में हुआ था और मुंबई में राजनीति से लेकर बॉलीवुड तक उनका जलवा देखने को मिलता था. 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान इलेक्शन कमीशन को सौंपे गए हलफनामे के अनुसार उनकी नेटवर्थ 76 करोड़ रुपये के आस-पास थी. हालांकि, माना जाता है कि  कि उनके पास इससे कहीं ज्यादा संपत्ति हैं. बता दें, साल 2018 में ईडी ने उनसे जुड़े सिद्दीकी ड़े सिद्दीकी और पिरामिड डेवलपर्स के 33 लग्जरी फ्लैट जब्त किए थे, जिनकी अनुमानित कीमत करीब 462 करोड़ रुपये बताई जाती है.
 

बैंक डिपॉजिट, शेयरों और गहनों में भी निवेश

साल 2024 के चुनावी हलफनामे के अनुसार बाबा सिद्दीकी के पास कैश, बैंक डिपोजिट, कंपनियों के शेयर समेत अन्य संपत्ति भी है. उनके और पत्नी व बच्चों के तमाम बैंक अकाउंट्स में करीब 3 करोड़ रुपये जमा हैं, जबकि बाबा सिद्दीकी और उनकी पत्नी शेहजीन सिद्दीकी द्वारा उस समय शेयरों में 45 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश किया गया था. इसके अलावा उनके नाम पर 72 लाख रुपये की एलआईसी पॉलिसी भी थीं.  

आलीशान घर, करोड़ों की ज्वैलरी और लग्जरी कारें
दिवंगत बाबा सिद्दीकी द्वारा दायर किए चुनावी हलफनामे से उनकी लग्जरी लाइफ का अंदाजा लगाया जा सकता है. उन्होंने बताया था कि उनके नाम पर मुंबई के बांद्रा वेस्ट में एक कॉमर्शियल बिल्डिंग है, जिसकी कीमत करीब 4 ब 4 करोड़ रुपये है. दो मकान भी उनके नाम पर थे, जिनकी कुल कीमत 18 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई गई थी. वहीं, पत्नी के नाम पर 1.91 करोड़ रुपये की कॉमर्शियल बिल्डिंग और 13.73 करोड़ रुपये की रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज दर्ज हैं. उनके पास, पत्नी और बेटी समेत करीब 6 करोड़ रुपये के सोने चांदी के जेवर थे. वहीं, दो मर्सिडीज बेंज कारें शामिल थी, जिनकी कुल कीमत 1.15 करोड़ रुपये बताई गई थी.

विधायक बेटे के पास खुद इतनी संपत्ति
बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी बांद्रा पूर्वी सीट से विधायक हैं. जीशान सिद्दीकी द्वारा 2019 में दायर चुनावी हलफनामे के अनुसार उनके पास कुल 8 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जबकि 76 लाख रुपये की उन पर देनदारियां भी है. बता दें, बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है, जो लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े होने का दावा करते हैं. तीसरा संदिग्ध अभी भी फरार है. 
 


हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने जा रही BJP, कांग्रेस को लगा बड़ा झटका!

हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के रूझान से यह साफ हो गया है कि भाजपा यहां हैट्रिक लगाने जा रही है. वहीं, केजरीवाल की तमाम कोशिशों के बाद आप अपना खाता तक नहीं खोल पाई.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 08 October, 2024
Last Modified:
Tuesday, 08 October, 2024
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपनी जीत का परचम लहरा दिया है. इस बार के चुनावी परिणाम को देखकर कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. वहीं, आप और जेजेपी की झोली में अब तक एक भी सीट नहीं आई. इसका मतलब साफ है कि भाजप हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाकर इतिहास रचने जा रही है. अब तक के ताजा रुझानों की बात करें तो भाजपा को 48 और कांग्रेस को 36 सीटें मिलती दिख रही है.

भाजपा की झोली में आई जीत
90 सीटों के आए रुझानों के अनुसार भाजपा तीसरी बार सरकार बनाती दिखाई दे रही है, तो वहीं कांग्रेस अब पिछड़ गई है. एक समय 50 के आंकड़ा पार कर चुकी कांग्रेस जीत की दहलीज पर खड़ी दिखाई दे रही थी,लेकिन कुछ देर बाद ही बाजी पलटकर भाजपा के हाथ में आ गई. एग्जिट पोल के नतीजों से उत्साहित कांग्रेस को प्रदेश में 10 साल बाद सरकार बनाने का भरोसा था. हालांकि, असल नतीजे बिल्कुल उलट हैं.

लाडवा से सीएम नायब सिंह सैनी जीते

हरियाणा विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने लाडवा से चुनाव जीत लिया है. सैनी ने यहां कांग्रेस उम्मीदवार और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मेवा सिंह को 16120 मतों के अंतर से हरा दिया. मतगणना के दौरान मुख्यमंत्री एक समय पीछे चल रहे थे, हालांकि, वोटिंग से पहले सैनी ने चुनाव में बीजेपी की जीत का दावा किया था. परिणाम के रुझान देखते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने फोन कर सीएम नायब सैनी को चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने पर बधाई दी है. वहीं, हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से फोन पर बात कर चुनाव नतीजों को लेकर जानकारी दी. 

विनेश फोगाट ने जीता चुनाव
हरियाणा में कांग्रेस भले ही चुनाव हार गई, लेकिन जुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार और ओलंपिक पहलवान विनेश फोगाट ने जीत हासिल कर ली है. यहां से विनेश ने बीजेपी के योगेश कुमार को 6015 मतों के अंतर से हराया है. विनेश की जीत पर भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा है कि वो जीत गई मगर कांग्रेस का सत्यानाश हो गया. उन्होंने कहा ये जीतने वाले पहलवान नायक नहीं खलनायक हैं.

आज के चुनाव से मिली सबसे बड़ी सीख : केजरीवाल

आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि  चुनाव आने वाले हैं. किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज के चुनाव से सबसे बड़ी सीख यही है कि कभी भी अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए. हर चुनाव, हर सीट मुश्किल होती है. हमें कड़ी मेहनत करनी होगी. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की अंदरूनी लड़ाई नहीं होनी चाहिए... इस चुनाव में आपकी भूमिका सबसे अहम होगी, क्योंकि अब हम MCD (दिल्ली नगर निगम) में हैं. उन्होंने कहा कि जनता को साफ-सफाई जैसी बुनियादी चीजों की अपेक्षा होती है. केजरीवाल ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे-अपने क्षेत्रों में साफ-सफाई बनी रहे. अगर ऐसा किया गया तो हम निश्चित रूप से चुनाव जीतेंगे...हमारा मुख्य लक्ष्य चुनाव जीतना होना चाहिए.

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