मोदी के आगे छोटा है राहुल का व्यक्तित्व, लेकिन ये सवाल बन सकते हैं परेशानी

मोदी व्यतित्व के आगे राहुल का व्यक्तित्व बहुत छोटा है, जो विरासत से निकलकर आया है सियासी संघर्ष से नहीं.

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Thursday, 06 October, 2022
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  • अमर आनंद, वरिष्ठ पत्रकार

कांग्रेस पार्टी के लिए दक्षिण से 'उत्तर' की तलाश करते बारिश में भीगते राहुल गांधी अपने सवालों को और तीखा करते हुए नजर आ रहे हैं और सत्ता शिखर पर बैठे मोदी को घेरने की भरपूर कोशिश करते दिख रहे हैं. राहुल की 'भारत जोड़ो' यात्रा को जनता का रिस्पॉन्स ये बता रहा है कि सत्ताधारी बीजेपी की ओर से प्रचारित 'पप्पू' 2024 में पास होने के लिए कड़ा इम्तिहान दे रहे हैं. युवा काल तक सत्ता सुख से निकलकर आए राहुल जीवन के मध्य काल में विपक्ष के एक नेता की पूरी भूमिका निभा रहे हैं ये उनके तेवर से लग रहा है.

कौन सही है, कौन गलत?
दरअसल ईडी की करवाई के विरोध में पदयात्रा कर चुके राहुल की देशभर में पदयात्रा को इससे जोड़कर भी देखा जाना चाहिए. जिन जांच एजेंसियों का राहुल और उनकी पार्टी ने मोदी और शाह के खिलाफ 2013 तक उपयोग किया, वही जांच एजेंसियां अब राहुल के खिलाफ अपना काम कर रही हैं. कौन कितना सही है और कितना गलत इसका फैसला भारत में अदालत और जनता की अदालत ही करती है और उन्हें ही करने देना चाहिए. नरेंद्र मोदी सिर्फ राहुल गांधी के निशाने पर नहीं हैं, बल्कि वो अपने से पराए हो चुके नीतीश कुनार के निशाने पर भी हैं. राहुल की इस सियासी अंगड़ाई से पहले नीतीश कुमार दिल्ली कूच का ऐलान कर चुके हैं और राहुल से भी मिल चुके हैं. 

...तो हो सकती है मुसीबत
आरजेडी के पोस्टर में नीतीश बाकायदा अर्जुन बनकर मोदी से महाभारत करने को तैयार दिख रहे हैं और उनके सारथी के रूप में कृष्ण बनाकर तेजस्वी को दिखाया गया है. जबकि लालू विष्णु के विराट रूप में हैं और उनके इस रूप में खुद राहुल गांधी का भी चेहरा है. यानी नीतीश की पीएम बनने की हसरत के लिए लालू की कसरत तेज हो गई है. दिल्ली एनसीआर पहुंचने का सपना लेकर नीतीश के साथ पटना मे मंच साझा करना भी इसी हसरत और कसरत का हिस्सा नजर आता है. भारत को अंतरराष्ट्रीय पटल पर मान और अभिमान दिलाने वाले नरेंद्र मोदी, राम और गंगा के जरिए हिंदू जनमानस को और खेल आयोजनों और 5जी के जरिए युवाओं को अपने पक्ष में मोड़ रहे हैं. उनके व्यतित्व के आगे राहुल का व्यक्तित्व बहुत छोटा है, जो विरासत से निकलकर आया है सियासी संघर्ष से नहीं. लेकिन आर्थिक नीतियों, मंहगाई, बेरोजगारी और कुछ पूंजीपति मित्रों को फायदा देने के राहुल के सवाल अगर जनता के सवाल बन गए और 2024 में उन सवालों को जगह मिल गई, तो सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.

बदल रहा सियासी परिदृश्य
पचास पार के राहुल की पार्टी सत्तर पार के मोदी से मुकाबले के लिए 80 वर्ष तक पहुंच चुके नेता को कमान देने की प्रक्रिया में है. सियासी परिदृश्य तेजी से रंग बदल रहा है. इस परिदृश्य में में अरविंद केजरीवाल भी दिखाई दे रहे हैं. लेकिन असली लड़ाई 2024 की है, जहां नरेंद्र मोदी को खतरा विपक्ष के किसी भी नेता से नहीं दिखाई दे रहा है. न तो पटना के नीतीश कुमार से और न ही दिल्ली के केजरीवाल से. मोदी को अगर किसी से खतरा है तो पार्टी संसदीय बोर्ड से दरकिनार किए गए विकास के सबसे तेज धावक नितिन गडकरी से. गडकरी अगर उनके प्रतिद्वंद्वी बने तब भी खतरा है और रेस से बाहर हुए तब भी खतरा है. गडकरी की ताकत न सिर्फ उनका विकासोन्मुखी होना है, बल्कि मंदिर की हिमायत करते-करते बीजेपी को फिर से केंद्र में लाने की चाहत के बीच दिल्ली की मस्जिद के दरवाजे तक पहुंच चुके संघ से उनकी नजदीकी भी है.

विश्लेषण में जुटा संघ
संघ भी अपने विश्लेषण में जुटा है. प्रधानसेवक भी काम पर हैं, उनके कामकाज का आकलन कर रहे स्वयंसेवक भी. यह आकलन भी तेज़ी से किया जाने लगा है कि मोदी पार्टी के आगे के सत्ता मार्ग में लिए कितने उपयोगी हैं. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि 2024 तक अगर मोदी की लोकप्रियता कम होती दिखाई पड़ी तो उनकी जगह योगी आदित्यनाथ को पीएम उम्मीदवार बना दिया जाए, हालांकि अभी दूर-दूर तक इसकी कोई संभावना नहीं नजर आ रही. जब से बीजेपी की सियासत में गुजरात का अंदाज प्रभावी हुआ है, तब से गैर गुजराती खासतौर से नजर अंदाज समझे जा रहे हैं. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से दबी-छुपी सियासी हसरतों को अवसर नहीं मिल पा रहा है. 2024 से ठीक पहले ये सारी हसरतें अरमान बनने के लिए बेताब नजर आएंगी और अलग - अलग जरिए और नजरिए से अपनी बातों को परवान चढ़ाएंगी. 

मोदी पार्टी के लिए अपरिहार्य 
हालांकि इन सबको मैनेज करने के लिए फाइनल राउंड की तैयारी में जुटे मोदी और शाह का सियासी हुनर ही काफी है. पार्टी और विपक्ष में कई प्रत्यक्ष और परोक्ष शत्रु होने के बावजूद नरेंद्र मोदी पार्टी के लिए अपरिहार्य और विपक्ष के लिए अपराजेय हैं और पार्टी का मार्गदर्शक मंडल उनसे कोसों दूर नजर आ रहा है. हालांकि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात करने वाले नरेंद्र मोदी का मकसद कितना मुमकिन है, इसका पता 2024 में ही चलेगा.


Lok Sabha Election: 400 सीटें जीतने पर क्या करेगी Modi सरकार, सामने आया पूरा प्लान 

भाजपा ने इस बार के लोकसभा चुनाव में 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. पार्टी लीडर इसे लेकर आश्वस्त भी हैं.

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Wednesday, 15 May, 2024
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लोकसभा चुनाव 2024 के 7 चरणों में से 4 पूरे हो चुके हैं. भाजपा (BJP) को पूरा विश्वास है कि देश की जनता उसके 400 पार के नारे को सही साबित करके दिखाएगी. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को 300 सीटें मिली थीं. इस बार उसने 400 का टार्गेट रखा है. यदि भाजपा इस लक्ष्य को भेद लेती है, तो कौनसा एजेंडा मोदी सरकार की प्राथमिकता में होगा, इसकी जानकारी सामने आ गई है. अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने मोदी 3.0 का पूरा प्लान बताया है.

PoK बनेगा भारत का हिस्सा
हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि जब 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 300 सीटें मिलीं, तो उसने अयोध्या में राम मंदिर बनाया. अब इस बार के चुनाव में 400 सीटें मिलेंगी, तो मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि स्थल और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मंदिर बनाए जाएंगे. असम के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को भारत में शामिल किया जाएगा. बता दें कि PM मोदी और अमित शाह सहित भाजपा के तमाम नेता यह दावा कर चुके हैं कि इस बार उन्हें 400 से ज्यादा सीटों पर जीत मिलेगी. 

कांग्रेस के सवाल का जवाब
हाल ही में पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी को 400 सीटें मिलेंगी, तो PoK भी भारत का हिस्सा बन जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस भाजपा से पूछती है कि आपको 400 सीट क्यों चाहिए? तो इसका जवाब यह है कि जब हमें 300 सीटें मिलीं, तो हमने अयोध्या में राम मंदिर बनाया. अब जब हमें 400 सीटें मिलेंगी, तो कृष्ण जन्मभूमि और ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर बाबा विश्वनाथ मंदिर भी बनाया जाएगा. गौरतलब है कि हिंदू पक्ष का दावा है कि मथुरा के कटरा केशव देव इलाके में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और उस जगह पर मंदिर था. औरंगजेब के शासन में मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर उस पर मस्जिद बनाई गई, जिसे ईदगाह मस्जिद के नाम से जाना जाता है.

विरासत के साथ विकास
वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी (BJP) 400 से ज्यादा सीटें हासिल करने में कामयाब रहती है, तो वह विरासत के साथ विकास को भी आगे ले जाएगी. उन्होंने कहा कि काशी, मथुरा और अयोध्या जैसे धार्मिक स्थान नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे. बीते शनिवार को भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के पक्ष में बिहार के बेगूसराय में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए भी हिमंत बिस्वा सरमा ने 400 पार होने पर मोदी सरकार का प्लान बताया था. उन्होंने कहा था कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 400 सीटें क्यों चाहिए. देश में विकास कार्यों को आगे बढ़ाने, पीओके को भारत में शामिल करने, ज्ञानवापी मस्जिद एवं मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि परिसर से ईदगाह को हटाने के लिए हमें इतनी सीटें तो हर हाल में चाहिए.

लव जिहाद होगा समाप्त
उन्होंने यह भी कहा है कि यदि इस बार 400 से अधिक सीटों के साथ भाजपा की सरकार बनती है, तो देश से लव जिहाद को समाप्त कर दिया जाएगा. असम के CM ने आगे कहा कि मोदी सरकार का आरक्षण अनुसूचित जाति (SC)- अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए है. कांग्रेस झूठ बोल रही है और तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. भारत को विश्व गुरू बनाना BJP का लक्ष्य है. हमें भारत को हिंदु सभ्यता पर आधारित देश बनाना है. हमारा देश सबके लिए है, देश में हिंदू हैं इसलिए यह सेक्युलर है. 


Shyam Rangeela नहीं भर पाए नामांकन, वाराणसी प्रशासन पर साजिश का लगाया आरोप

श्याम रंगीला का आरोप है कि उन्हें साजिश के तहत वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल नहीं करने दिया गया.

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Tuesday, 14 May, 2024
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मिमिक्री आर्टिस्ट श्याम रंगीला (Comedian Shyam Rangeela) उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट (Varanasi Lok Sabha Seat) से आज भी नामांकन दाखिल नहीं कर पाए हैं. उन्होंने प्रशासन पर नॉमिनेशन दाखिल करने से रोकने का आरोप लगाया है. श्याम रंगीला ने कुछ दिन पहले ही स्पष्ट किया था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. रंगीला का कहना है कि वह 10 मई से नामांकन दाखिल करने का प्रयास कर रहे हैं, जिस दिन PM मोदी ने अपना नामांकन दाखिल किया उस दिन तो उन्हें डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के कार्यालय में भी नहीं जाने दिया गया. 

4 दिनों से वाराणसी में डेरा
राजस्थान के मिमिक्री आर्टिस्ट श्याम रंगीला पिछले चार दिनों से वाराणसी में जमे हुए हैं और चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अब तक उनका नामांकन दाखिल नहीं हो पाया है. अब उन्होंने प्रशासन पर नामांकन से रोकने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की है। श्याम का कहना है कि प्रशासन की ओर से हमें नामांकन भरने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि केवल मुझे ही नहीं, बल्कि किसी को भी नामांकन नहीं करने दिया जा रहा है.  

अधिकारी बोले- बात समझिए
श्याम ने का कहना है कि मैंने नामांकन हासिल करने की कोशिश में लोगों को रोते हुए देखा है, उन्हें फॉर्म ही नहीं दिया जा रहा है. अधिकारी हमसे कह रहे हैं कि आप बात को समझिए. हम समझ रहे हैं कि हम क्यों फॉर्म नहीं लेने दिया जा रहा है. हम लोकतंत्र की हत्या होते हुए देख रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, श्याम रंगीला नामांकन दाखिल करने के लिए आखिरी दिन यानी आज सुबह 9:15 बजे ही वाराणसी जिला निर्वाचन कार्यालय पहुंच गए थे. उन्होंने कई बार निर्वाचन कार्यालय जाकर नामांकन दाखिल करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए.

निर्विरोध जिताने की साजिश
मिमिक्री आर्टिस्ट ने आरोप लगाया कि वाराणसी सीट पर केवल उन्हीं का नामांकन लिया जा रहा है, जिनका वे लेना चाहते हैं. चुनाव आयोग से इतनी शिकायतों के बाद भी हमारा नामांकन नहीं होना चिंता की बात है. श्याम ने यह भी कहा कि पीएम मोदी को निर्विरोध निर्वाचित कराने की साजिश चल रही है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें वह कहते नजर आ रहे हैं कि मेरे पास सभी दस्तावेज़ हैं, इसके बावजूद मेरा नामांकन नहीं लिया जा रहा है. मेरा प्रशासन से यही कहना है कि आपको मेरा नामांकन रद्द करना है, कर दीजिये लेकिन उसे स्वीकार तो कीजिए. 


लोकसभा चुनाव: अपने मन की बात बता रही जनता, EVM में लॉक होगी इन VIP उम्मीदवारों की किस्मत

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए आज वोट डाले जा रहे हैं. इस चरण में कई वीआईपी उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होने वाला है.

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Monday, 13 May, 2024
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लोकसभा चुनाव के चौथे चरण (Lok Sabha Election Phase 4) का मतदान शुरू हो गया है. 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 96 पर वोटिंग हो रही है. यहां से कुल 1717 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. इस चरण में कई VIP उम्मीदवार भी मैदान में हैं, जिनका भाग्य आज जनता EVM में लॉक कर देगी. मध्य प्रदेश की इंदौर सीट पर रोचक मुकाबला होने की उम्मीद थी, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम ने आखिरी वक्त पर अपना नाम वापस लेकर भाजपा का दामन थाम लिया. लिहाजा, अब यहां से बीजेपी उम्मीदवार शंकर लालवानी के सामने कोई बड़ी चुनौती नहीं है.    

इनकी प्रतिष्ठा लगी दांव पर  
चौथे चरण में समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव की किस्मत का भी फैसला होना है. अखिलेश कन्नौज से चुनाव लड़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश की इस सीट से फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सुब्रत पाठक सांसद हैं. 2019 के चुनाव में पाठक ने अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को शिकस्त दी थी. अखिलेश की तरह ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, अर्जुन मुंडा, नित्यानंद राय, जी किशन रेड्डी, अजय मिश्रा टेनी, महुआ मोइत्रा, यूसुफ पठान, अधीर रंजन चौधरी, कीर्ति आजाद, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, शत्रुघ्न सिन्हा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन रेड्डी की बहन और कांग्रेस उम्मीदवार वाईएस शर्मिला जैसे VIP उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला भी इसी चरण में होना है.   

कांग्रेस-TMC आमने-सामने
पश्चिम बंगाल का बहरामपुर सीट पर विपक्ष के INDIA Bloc में सहयोगी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) आमने-सामने हैं. TMC ने जहां पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, कांग्रेस की टिकट पर अधीर रंजन चौधरी मैदान में हैं. कृष्णानगर से तृणमूल कांग्रेस लीडर महुआ मोइत्रा मैदान में हैं. उनका मुकाबला BJP प्रत्याशी अमृता रॉय से होगा. बिहार की बेगूसराय सीट से दिग्गज बीजेपी लीडर और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. आंध्र प्रदेश की हाई-प्रोफाइल लोकसभा सीट कडप्पा से आंध्र के पूर्व सीएम YSR की बेटी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला का सामना उनके चचेरे भाई वाईएस अविनाश रेड्डी कर रहे हैं. 

TMC के शत्रुघ्न और आजाद
अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा TMC की टिकट पर पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से मैदान में हैं. वहीं, इस चरण में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की किस्मत भी EVM में कैद होगी. वह हैदराबाद से मैदान में हैं और उनके सामने बीजेपी ने माधवी लता को उम्मीदवार बनाया है. पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद भी टीएमसी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. चौथे चरण में 1717 प्रत्याशियों की किस्‍मत दांव पर है, जिनके लिए 17.48 लाख मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं. पिछली बार इन 96 लोकसभा सीटों में से भाजपा नीत NDA के खाते में 40 से अधिक सीटें आई थीं. बता दें कि लोकसभा चुनाव के पहले तीन चरणों में क्रमशः 66.14%, 66.71% और 65.68% मतदान हुआ था.


 


अखिलेश-डिंपल से क्या है रिश्ता, जो प्रचार के लिए लंदन से चली आईं अदिति? 

समाजवादी पार्टी के लिए अदिति स्टार प्रचारक बन गई हैं. वह जहां भी जाती हैं हर नजर उन्हीं पर आकर टिक जाती है.

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Saturday, 11 May, 2024
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समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कन्नौज और उनकी पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) मैनपुरी से चुनाव लड़ रही हैं. मैनपुरी लोकसभा सीट पर वोटिंग हो चुकी है. यानी डिंपल की किस्मत EVM में कैद हो चुकी है. जबकि कन्नौज में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को मतदान होना है. पहले डिंपल और फिर अखिलेश के चुनाव प्रचार में समर्थकों की फौज के बीच एक चेहरा सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है. कैमरों ने भी अखिलेश और डिंपल से ज्यादा इसी चेहरे को कैद किया है. 

महिलाओं ने लगा लिया गले
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के लिए प्रचार कर रहे इस चर्चित चेहरे का नाम है अदिति. वह खासतौर पर लंदन से उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार में शामिल होने के लिए आई हैं. मैनपुरी के बाद जब अदिति अखिलेश के लिए वोट मांगने कन्नौज पहुंची, तो उन्होंने अपने सादगी भरे अंदाज से लोगों को पलभर में अपना बना लिया. कन्नौज की महिलाओं ने अदिति को गले से लगाकर अपना आशीर्वाद भी दिया. बता दें कि अखिलेश ने काफी सोच-विचार के बाद कन्नौज से चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है. 13 मई को उनकी भी किस्मत EVM में कैद हो जाएगी. 

यादव कुनबे से क्या है रिश्ता?
चलिए अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर अदिति का यादव कुनबे से ऐसा क्या रिश्ता है कि वो प्रचार के लिए लंदन से भारत चली आईं? दरअसल, अदिति का पूरा नाम है अदिति यादव (Aditi Yadav) और वो अखिलेश-डिंपल यादव की बेटी और सपा के पूर्व मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव की पोती हैं. 21 वर्षीय अदिति अखिलेश-डिंपल की बड़ी बेटी हैं. उनके छोटे भाई-बहन भी हैं. अदिति ने लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज से पढ़ाई की. 2020 में उन्होंने 12वीं की परीक्षा में 98% मार्क्स हासिल किए थे. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह लंदन चली गईं.

आता है मतदाताओं को लुभाने का हुनर
अदिति यादव यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) में पॉलिटिक्स और इंटरनेशनल रिलेशन की पढ़ाई कर रही हैं. उन्हें डमिंटन और घुड़सवारी यानी हॉर्स राइडिंग का शौक है. अदिति रजनीतिक खानदान से ताल्लुख रखती हैं, इसलिए उन्हें मतदाताओं से रू-बरू होने का हुनर अच्छे से आता है. एक चुनावी रैली में उन्होंने लोगों से कहा कि आपने नेताजी (मुलायम सिंह यादव) को सांसद चुना. मेरे पिता को सांसद चुना. मेरी मम्मी को सांसद चुना. मुझे उम्मीद है कि आप उन्हें आगे भी सांसद चुनते रहेंगे. इतना ही नहीं उन्होंने सपा सरकार में हुए विकास कार्य भी लोगों को याद दिलाए.


30 सीटों पर बड़ा असर दिखा पाएगी केजरीवाल की रिहाई? इन राज्‍यों में बदल सकता है समीकरण

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री के चुनाव प्रचार पर किसी भी प्रकार की रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि लिहाजा वो प्रचार में भाग ले सकते हैं. 

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
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गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक अंतरित जमानत पर भेज दिया. 2 जून को उन्‍हें सरेंडर करना है. अरविंद केजरीवाल के आने के बाद अब माना जा रहा है कि शुक्रवार से ही केजरीवाल का चुनाव अभियान शुरू हो सकता है. केजरीवाल के बाहर आने के बाद जिन राज्‍यों में उसका सबसे बड़ा असर पड़ सकता है उनमें दिल्‍ली, पंजाब और हरियाणा शामिल हैं. इनमें जहां दिल्‍ली और पंजाब में आप की सरकार है वहीं हरियाणा में पार्टी का अच्‍छा जनाधार है. यानी केजरीवाल 30 सीटों पर निर्णायक साबित हो सकते हैं. 

छठे और सातवें चरण में होनी है केजरीवाल की परीक्षा 
अरविंद केजरीवाल की जमानत का असर छठे और सातवें चरण में दिखाई देगा. छठे चरण में जहां दिल्‍ली की 7 और हरियाणा की 10 सीटों पर मतदान होना है वहीं सातवें यानी आखिरी चरण का चुनाव 1 जून को होना है. उसमें पंजाब की 13 सीटों पर चुनाव होना है. यानी अरविंद केजरीवाल की जमानत का असर  छठे और सातवें चरण की 30 सीटों पर पड़ सकता है. सबसे खास बात ये भी है कि सूत्रों के मुताबिक आज शाम को जमानत मिलते ही अरविंद केजरीवाल प्रचार अभियान से जुड़ सकते हैं.

ये भी पढ़ें:सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को बड़ी राहत, एक जून तक मिली अंतरिम जमानत

पहले दिल्‍ली और हरियाणा में करेंगे प्रचार 
दिल्‍ली में और हरियाणा में 25 मई को छठे चरण में चुनाव होना है. ऐसे में केजरीवाल का सबसे बड़ा फोकस जमानत के बाद दिल्‍ली पर रहेगा. दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. दिल्‍ली में जहां आम आदमी पार्टी पूर्वी दिल्‍ली, नई दिल्‍ली, दक्षिणी दिल्‍ली और पश्चिमी दिल्‍ली सीट पर चुनाव लड़ रही है जबकि उत्‍तर पश्चिम दिल्‍ली, बाहरी दिल्‍ली और चांदनी चौक पर कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्‍मीदवार उतारे हैं. केजरीवाल दिल्‍ली की चारों सीटों पर बड़े रोड शो कर सकते हैं. जो 25 तारीख को होने वाले चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा कर पाएंगे या नहीं ये नतीजे ही बताएंगे. 

सुप्रीम कोर्ट ने ये कहकर दी है जमानत 
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत दी है, जिसका मतलब है कि उन्हें 2 जून को सरेंडर करना होगा. कोर्ट ने सीएम केजरीवाल के चुनाव प्रचार पर कोई रोक नहीं लगाई है. लिहाजा वह लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर सकेंगे. बता दें कि शराब घोटाले के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विरोध किया था. गुरुवार को ED ने कहा था कि सामान्य नागरिक की तुलना में एक राजनेता किसी विशेषाधिकार का दावा नहीं कर सकता. अपराध करने पर उसे किसी अन्य नागरिक की तरह ही गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है.

चौथा चरण में इन राज्‍यों में होना है चुनाव 
अभी तक देश में तीन चरणों का चुनाव हो चुका है जबक‍ि चौथे चरण का चुनाव 13 मई को होना है. 13 मई को जिन राज्‍यों में चुनाव होना है उनमें इनमें आंध्र प्रदेश की 25, बिहार की 5, झारखंड की 4, मध्‍य प्रदेश की 8, महाराष्‍ट्र की 11, ओडिशा की 4, तेलंगाना की 17, यूपी की 13, पश्चिम बंगाल की 8 और जम्‍मू कश्‍मीर की एक सीट शामिल है. लेकिन इनमें किसी भी राज्‍य के चुनाव पर केजरीवाल की सियासत ज्‍यादा कारगर नहीं है. 


दुश्मन न करे दोस्त ने वो...अब इन नेताओं ने बढ़ाई कांग्रेस की परेशानी, बयानों पर मच गया बवाल

कांग्रेस लीडर राहुल गांधी 'अपनों' की बयानबाजी से खासे परेशान होंगे, क्योंकि ये बयानबाजी पार्टी को भारी पड़ सकती है.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के बीच कांग्रेस नेता अपने अजीबोगरीब बयानों से पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. यह जानते हुए भी कि इस बार के चुनाव में पार्टी के लिए अच्छा प्रदर्शन कितना जरूरी है, कांग्रेस नेताओं की विवादित बयानबाजी जारी है. सैम पित्रोदा के बाद कांग्रेस की मुश्किल बढ़ाने का जिम्मा अब मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyar) ने उठा लिया है और इसमें कांतिलाल भूरिया (Kantilal Bhuria) उनका बराबर से साथ दे रहे हैं. मणिशंकर अय्यर ने एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत को चाहिए कि वो पाकिस्तान को इज्जत दे. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उसके पास भी परमाणु बम है. वहां कोई सिरफिरा आया तो हम पर इसका इस्तेमाल कर सकता है.

बात तो करनी चाहिए 
पाकिस्तान के प्रति मणिशंकर अय्यर के इस प्रेम को भाजपा ने लपक लिया है. पार्टी यह साबित करने में जुट गो है कि कांग्रेस नेता भले ही भारत में रहते हैं, लेकिन उनके दिल में पाकिस्तान बसता है. चुनावी पंडितों का मानना है कि अय्यर का बयान कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है. अय्यर ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में आगे कहा- मुझे समझ नहीं आता कि नरेंद्र मोदी सरकार ये क्यों कहती है कि हम पाकिस्तान से बात नहीं करेंगे. हमें यह समझना जरूरी है कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए चर्चा आवश्यक है. अन्यथा, पाकिस्तान सोचेगा कि भारत अहंकार के साथ हमें दुनिया में छोटा दिखा रहा है. ऐसे में पाकिस्तान में कोई भी पागल परमाणु बम का इस्तेमाल भारत पर कर सकता है. पाकिस्तान भी एक संप्रभु राष्ट्र है. उसकी भी इज्जत है. उसकी इज्जत कायम रखते हुए जितनी कड़ी बात करनी है करो, लेकिन बात तो करो.

2 पत्नियों पर 2 लाख
उधर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने भी विवादित बयान दे डाला है. दरअसल, मध्य प्रदेश की रतलाम लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार भूरिया ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जारी कांग्रेस के न्याय पत्र में शामिल महालक्ष्मी योजना का जिक्र किया, जिसके तहत हर गरीब महिला के खाते में एक लाख रुपए देने का वादा किया गया है. भूरिया ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जिनकी दो पत्नियां होंगी उन्हें दो लाख रुपए मिलेंगे. उन्होंने आगे कहा कि 13 मई को कांग्रेस के नेता, कार्यकर्ता और एक-एक माता-बहनों को आगे लाओ. हमारे घोषणापत्र के अनुसार, हर महिला के खाते में एक-एक लाख रुपए जमा होगा. सभी घर की महिलाओं को एक-एक लाख मिलेंगे, मालूम है कि नहीं है? जिनकी दो पत्नियां हैं उन्हें दो लाख मिलेंगे. इसके बाद भूरिया मुस्कुराने लगे. इस दौरान मंच पर दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी भी मौजूद थे.

पित्रोदा बढ़ा चुके हैं परेशानी
इससे पहले, ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सैम पित्रोदा के बयानों ने भी कांग्रेस की मुश्किलों में इजाफा कर दिया था. पहले उन्होंने विरासत टैक्स की वकालत की थी और फिर दक्षिण भारतीयों को अफ्रीकी जैसा दिखने वाला बताया था. बीजेपी ने पित्रोदा के दोनों ही बयानों को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कांग्रेस नेता चमड़े का रंग देखकर देश के लोगों को बांट रहे हैं. हालांकि, इसके कुछ घंटे बाद ही पित्रोदा ने कांग्रेस ओवरसीज प्रेसीडेंट पद से इस्तीफा दे दिया.


सैम पित्रोदा बन गए हैं कांग्रेस का संकट, नए बयान से कितनी बढ़ेगी पार्टी की मुश्किल?

पहले विरासत टैक्स पर बयान देकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने वाले सैम पित्रोदा ने एक बार फिर विवादास्पद बयान दे डाला है.

Last Modified:
Wednesday, 08 May, 2024
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ऐसा लगता है जैसे गांधी परिवार के नजदीकी सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) कांग्रेस की मुश्किल राह को और भी मुश्किल बनाना चाहते हैं. लोकसभा चुनाव के बीच पित्रोदा के एक और बयान पर बवाल हो गया है. भारत की विविधता पर बात करते हुए कहा कि सैम पित्रोदा पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के लोगों पर कुछ ऐसा कह गए हैं, जो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकता है. हालांकि, कांग्रेस के लिए राहत की बात इतनी है कि पूर्वोत्तर और दक्षिण के कुछ हिस्सों में वोटिंग हो चुकी है. लेकिन कई लोकसभा सीटों पर अभी मतदान बाकी है, वहां पित्रोदा का बयान कांग्रेस के खिलाफ जा सकता है. 

क्या कहा सैम पित्रोदा ने?
चलिए पहले जानते हैं कि आखिर सैम पित्रोदा ने क्या कहा है. एक मीडिया हाउस से बात करते हुए सैम ने कहा कि भारत में पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं. जबकि दक्षिण के लोग अफ्रीकी लगते हैं. इसी तरह, पश्चिम में लोग अरबी लगते हैं और उत्तर भारतीय गोरे होते हैं. उन्होंने कहा कि हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग गोरों जैसे दिखाई देते हैं और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी लगते हैं. हालांकि, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम सभी बहन-भाई हैं.

ऐसी तुलना शायद ही पसंद आए
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने आगे कहा कि हम अलग-अलग भाषाओं, धर्मों और रीति-रिवाजों का सम्मान करते हैं. ये वही भारत है, जिस पर मेरा भरोसा है, जहां हर किसी का सम्मान है. हर कोई थोड़ा-बहुत समझौता करता है. भले ही सैम पित्रोदा भारत की विविधता की बात कर रहे हों, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने पूर्वोत्तर के लोगों की तुलना चीनी और दक्षिण भारतीयों की अफ्रीकियों से की है, वो शायद ही उन्हें पसंद आए. इतना ही नहीं, उन्होंने उत्तरवासियों की तुलना गोरों यानी अंग्रेजों से कर डाली है. चुनावी माहौल में यह तुलना कांग्रेस को भारी भी पड़ सकती है. यह सबकुछ इस पर भी निर्भर करता है कि BJP इसे किस रूप में पेश करती है. भाजपा पित्रोदा के विरासत टैक्स वाले बयान को बहुत अच्छी तरह से के बड़े मुद्दे में तब्दील कर चुकी है. 

यहां अभी होना है मतदान
दक्षिण भारत में लोकसभा की 130 सीटें हैं. इनमें से बीजेपी ने पिछली बार 29 सीटें जीती थी. जबकि कांग्रेस के खाते में 30 सीटें आई थीं. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के बेहद खराब दौर में दक्षिण राज्यों ने ही उसे राजनीतिक सहारा दिया है. पार्टी इस बार यहां कम से कम 50 सीटें जीतना चाहती है. उधर, भाजपा दक्षिण में बड़ी जीत की कोशिश में जुटी है. पार्टी के लिए दक्षिण राज्य इतने अहम हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नए साल के 80 दिनों में 23 दिन PM ने दक्षिण भारत में गुजारे हैं. आंध्र प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों के लिए चौथे चरण में वोटिंग होनी है. तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों पर भी चौथे चरण में वोटिंग होगी. ऐसे में सैम पित्रोदा का बयान कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है. 

पहले भी बढ़ा चुके हैं मुश्किलें
इससे पहले, सैम पित्रोदा ने विरासत टैक्स पर बयान देकर कांग्रेस के मुश्किलें बढ़ा दी थीं. उनके बयान के बाद BJP यह साबित करने में जुट गई है कि कांग्रेस सत्ता में आने के बाद लोगों की गाढ़ी कमाई का 50% छीन लेगी. दरअसल, कांग्रेस ने हाल ही में वेल्थ सर्वे की बात कही थी. पार्टी लीडर राहुल गांधी ने कहा था कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो एक सर्वे कराया जाएगा और पता लगाया जाएगा कि किसके पास कितनी संपत्ति है. जब सैम पित्रोदा से राहुल के इस बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे सही ठहराते हुए अमेरिका में लगने वाले विरासत टैक्स का जिक्र किया. बस इसी बात को लेकर सियासी द्वन्द शुरू हो गया.

भारत में इस टैक्स की वकालत
सैम पित्रोदा ने संपत्ति के फिर से बंटवारे पर कांग्रेस के रुख का समर्थन करते हुए एक तरह से भारत में भी विरासत टैक्स कानून की वकालत की है. उन्होंने कहा कि यूएस में विरासत टैक्स का प्रावधान है. यदि किसी व्यक्ति के पास 10 करोड़ डॉलर की दौलत है, तो उसके मरने के बाद 45% संपत्ति उसके बच्चों को ट्रांसफर हो जाती है जबकि 55% संपत्ति पर सरकार का अधिकार हो जाता है. उन्होंने आगे कहा कि यह बेहद रोचक कानून है और इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि अमीर जनता के लिए भी कुछ छोड़कर जाएं. मुझे लगता है कि भारत में भी इस तरह के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए.  


कांग्रेस नेत्री राधिका खेड़ा और अभिनेता शेखर सुमन BJP में शामिल, करोडों के मालिक हैं सुमन

अभिनेता शेखर सुमन और कांग्रेस की नेता राधिका खेड़ा भाजपा में शामिल हो गए. राधिका खेड़ा ने दो दिन पहले ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.

Last Modified:
Tuesday, 07 May, 2024
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बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता व मशहूर टेलीवीजन एंकर शेखर सुमन और कांग्रेस की नेशनल मीडिया कॉर्डिनेटर राधिका खेड़ा आज भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में दोनों ने बीजेपी की सदस्यता ली. बता दें, राधिका खेड़ा ने दो दिन पहले ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से उनके बीजेपी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे. वहीं, शेखर सुमन 2009 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. कांग्रेस ने शेखर सुमन को 2009 में पटना साहिब निर्वाचन क्षेत्र से अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा कि खिलाफ मैदान में उतारा था. हालांकि, वह भारी अंतर से चुनाव हार गए थे.

पॉलिटिक्स में दोबारा सक्रिय हुए शेखर सुमन

बॉलीवुड एक्टर शेखर सुमन अब पॉलिटिक्स में दोबारा सक्रिय हो गए हैं. एक्टर कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं. उन्होंने आज मंगलवार को नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी में ज्वॉइन कर ली है. लोकसभा चुनाव के लिए मतदान पहले से शेखर सुमन ने बीजेपी पार्टी में एंट्री ले ली है. दूसरी ओर दिग्गज एक्टर संजय लीला भंसाली की ड्रामा-सीरीज 'हीरामंडी' को लेकर भी पॉपुलैरिटी बटोर रहे हैं. लंबे समय से फिल्मों से गायब शेखर सुमन इंडस्ट्री के अमीर कलाकारों में शामिल हैं. एक्टर करोड़ों की संपत्ति और लग्जरी गाड़ियों के मालिक हैं.

30 फिल्में और TV शोज में किया काम

शेखर सुमन टीवी और बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर हैं. उन्होंने अपने करियर में माधुरी दीक्षित से लेकर रेखा के साथ स्क्रीन साझा की है. एक्टर ने फिल्मों से लेकर टीवी शोज में शानादर काम किया है. उन्हें दर्शकों ने देख भाई देख शो में काफी पसंद किया था. इसके अलावा एक्टर का चैट शो मूवर्स एंड शेकर्स भी काफी हिट रहा था. दूसरी फिल्मों में उनकी कॉमिक टाइमिंग को भी दर्शकों ने काफी पसंद किया था. बॉलीवुड करियर में शेखर सुमन करीब 30 फिल्मों में काम कर चुके हैं. 

20 करोड़ संपत्ति के मालिक हैं शेखर सुमन

मीाडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शेखर सुमन के पास करीब 20 करोड़ से ज्यादा संपत्ति है. वहीं एक्टर मोटर बाइक और लग्जरी गाड़ियों के भी शौकीन है. उनके कार कलेक्शन में स्पोर्ट्स बाइक से लेकर मर्सिडीज बेंज तक है. उनके पास मुंबई में एक आलीशान बंगला भी है. सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के बाद शेखर सुमन ने अपने आलीशान घर की तस्वीरें साझा की थीं.

राधिका खेड़ा भी भाजपा में हुईं शामिल

कांग्रेस की मीडिया विभाग की पूर्व राष्ट्रीय समन्वयक राधिका खेड़ा भी बीजेपी में शामिल हो गईं. राधिका खेड़ा दो दिन पहले ही अपने साथ छत्तीसगढ़ में कथित तौर पर दुर्व्यवहार किए जाने और साजिश का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था. उनका दावा है कि उन्होंने यह मुद्दा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष उठाया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
 


राम मंदिर को 'बेकार का' कहने वाले Ram Gopal Yadav को कितना जानते हैं आप?

समाजवादी पार्टी लीडर रामगोपाल यादव राज्यसभा सांसद हैं. उनका बेटा अक्षय यादव लोकसभा के चुनावी मैदान में है.

Last Modified:
Tuesday, 07 May, 2024
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लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण के मतदान के बीच समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इन मुश्किलों की वजह अखिलेश खुद नहीं बल्कि उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव (Ram Gopal Yadav) हैं. रामगोपाल ने अयोध्या के राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) को लेकर कुछ ऐसा कह दिया है, जो मतदाताओं को शायद ही पसंद आए. उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर जारी वोटिंग के बीच सपा नेता का विवादित बयान पार्टी का गणित बिगाड़ सकता है. उधर, बीजेपी ने रामगोपाल के बयान को लेकर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. 

क्या कहा रामगोपाल ने?
रामगोपाल यादव ने एक निजी TV चैनल से बातचीत में अयोध्या राम मंदिर के दर्शन के लिए नहीं जाने से जुड़े सवाल पर विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा कि हम तो रोज राम के दर्शन करते हैं. वो बेकार का है. मंदिर ऐसे बनाए जाते हैं? पुराने मंदिर देख लीजिए कैसे बने हैं. इसका नक्शा ठीक से नहीं बना है. वास्तु के लिहाज से ठीक नहीं बनाया गया है वो मंदिर. अब रामगोपाल के बयान का जमकर विरोध शुरू हो गया है. बीजेपी लीडर आचार्य प्रमोद कृष्‍णन ने समाजवादी पार्टी राम और राष्‍ट्रविरोधी करार दिया है. वहीं, राजनीतिक पंडितों का भी मानना है कि यादव के बयान ने भाजपा को सपा पर निशाना साधने का मौका दे दिया है.  

कितने अमीर हैं सपा नेता?
फिरोजाबाद के रामगोपाल यादव राजनीति में आने से पहले प्रोफेसर थे. अपने सियासी सफर में उन्होंने शौहरत के साथ-साथ खूब दौलत भी कमाई है. 2020 में समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते समय अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया था. उसके अनुसार, रामगोपाल यादव 14 करोड़ 19 लाख रुपए की संपत्ति के मालिक हैं. जबकि 2014 में उनकी कुल संपत्ति 10 करोड़ 49 लाख 3 हजार 998 रुपए  थी. यानी 2014 से 2020 के बीच उनकी संपत्ति में करीब पौने चार करोड़ का इजाफा हुआ था. राम गोपाल यादव के पास दो कार और तीन विदेशी हथियार हैं. उनके पास उस समय 30 लाख रुपए के सोने के आभूषण थे. रामगोपाल ने बताया था कि उन पर 89 लाख 16 हजार रुपए का कर्ज है.

बेटे के पास भी है खूब दौलत 
अब यह भी जान लेते हैं कि लोकसभा चुनाव लड़ रहे उनके बेटे अक्षय यादव के पास कितनी दौलत है. अक्षय फिरोजाबाद सीट से मैदान में हैं और उनकी किस्मत का फैसला आज जनता कर देगी. अक्षय यादव के पास 15.42 लाख रुपए कैश और विभिन्न बैंक खातों में 19.52 लाख रुपए हैं. जबकि उनकी पत्नी रिचा यादव के पास 91,822 रुपए नकद हैं. अक्षय यादव ने कई अलग-अलग कंपनियों में 6.09 करोड़ रुपए का निवेश किया हुआ है. अक्षय के पास 24.31 करोड़ की अचल संपत्ति है. इसके अलावा, सपा प्रत्याशी के पास 52.36 करोड़ रुपए की कृषि योग्य भूमि और 27.88 करोड़ की कमर्शियल बिल्डिंग है. वह सांई गोपाल एग्रोटेक के नाम से नोएडा में एक कंपनी भी चलाते हैं. 


दिल्ली के रण में सबसे अमीर हैं मनोज तिवारी, जानिए अन्य उम्मीदवारों की कितनी है संपत्ति

लोकसभा चुनाव 2024 के तहत विभिन्न दलों के प्रत्याशियों ने अपने-अपने नामांकन दाखिल किए हैं. इसी क्रम में दिल्ली में उम्मीदवारों ने भी अपने नामांकन दाखिल किए हैं और संपत्ति की घोषणा की है.

Last Modified:
Tuesday, 07 May, 2024
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भारत में लोकसभा चुनाव 2024 के तहत तीसरे चरण का मतदान आज हो रहा है. वहीं राजधानी दिल्ली की सभी सीटों पर पांचवें चरण में 25 मई को मतदान होगा. इसके लिए नामांकम प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. प्रत्याशियों की ओर से भरे गए हलफनामे के अनुसार मनोज तिवारी दिल्ली के सबसे अमीर प्रत्याशी हैं. जानिए उनके पास कितनी है कुल संपत्ति और सालाना कमाई. साथ ही जानिए अन्य प्रत्याशियों की संपत्ति.

मनोज तिवारी की कुल संपत्ति

उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे मनोज तिवारी भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के प्रमुख उम्मीदवारों के मुकाबले सबसे अमीर प्रत्याशी हैं. भोजपुरी गायक/अभिनेता से नेता बने 53 वर्षीय मनोज तिवारी ने अपनी संपत्ति घोषित की है. उन्होंने बताया है कि उनकी कुल संपत्ति 28.05 करोड़ रुपये है. मनोज तिवारी ने 2022-23 के लिए दाखिल आयकर विवरण में बताया कि उनकी आय 46.25 लाख रुपये है. मनोज तिवारी ने बताया है कि वह गायन, अभिनय और एक सांसद के तौर पर ये कमाई करते हैं.

दूसरे नंबर पर कौन सबसे ज्यादा अमीर?

दिल्ली के सबसे अमीर प्रत्याशियों की लिस्ट में दूसरा नाम दक्षिण दिल्ली से भाजपा उम्मीदवार रामवीर सिंह बिधूड़ी का है. 71 साल के बिधूड़ी के पास में 21.08 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति है. 2022-23 के आयकर विवरण के अनुसार, बिधूड़ी की आय 14.93 लाख रुपये थी.

अन्य उम्मीदवार कितने अमीर?

•    पश्चिमी दिल्ली से आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार महाबल मिश्रा तीसरे सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. उनके पास 19.93 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति है.
•    नई दिल्ली संसदीय सीट से बीजेपी उम्मीदवार बांसुरी स्वराज (40) चौथी सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. बांसुरी के पास कुल 19 करोड़ रुपये की संपत्ति है. 2022-23 के लिए दाखिल ITR में स्वराज ने अपना इनकम 68.28 लाख रुपये बताया है.
•    AAP को छोड़कर BSP ज्वाइन करने वाले राजकुमार आनंद के पास कुल 17.87 करोड़ रुपये की संपत्ति है. राजकुमार ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
•    उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार JNU छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के पास कुल 10.65 लाख रुपये की संपत्ति है. इसमें 8 लाख रुपये की चल और 2.65 लाख रुपये की अचल संपत्ति है.
•    चांदनी चौक से बीजेपी उम्मीदवार प्रवीण खंडेवाल की कुल संपत्ति 6.62 करोड़ रुपये है. 2022-23 के लिए दाखिल आईटीआर में उन्होंने अपनी आय 4.56 लाख रुपये बताया है.
•    पश्चिम दिल्ली सीट से बीजेपी उम्मीदवार कमलजीत सेहरावत के पास कुल 1.30 करोड़ की चल और 27.60 लाख रुपये की अचल संपत्ति है.
•    नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज ने अपने 2022-23 के आयकर रिटर्न में लगभग 1 करोड़ रुपये की आय दिखाई है. उनके पास 5.54 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है.
•    पूर्वी दिल्ली से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार के पास 21.41 लाख रुपये की चल संपत्ति है. उनके पास कोई अचल संपत्ति नहीं है.
•    वहीं, चांदनी चौक से कांग्रेस उम्मीदवार जेपी अग्रवाल के पास कुल चल संपत्ति 76.98 रुपये की है. इसके अलावा उनके पास 1.78 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है.
•    पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष मल्होत्रा के पास कुल 3.75 करोड़ रुपये की संपत्ति है.

दिल्ली में 25 मई को मतदान

दिल्ली की सभी सातों सीटों पर छठे चरण में 25 मई को मतदान है. कांग्रेस इस बार दिल्ली की तीन सीटों पर जबकि आम आदमी पार्टी राजधानी की चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इन सभी सीटों के लिए चुनाव परिणाम आयोग द्वारा एक साथ 4 जून को जारी किए जाएंगे. 2019 में बीजेपी ने दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत हासिल की थी.