बाजार में कुल 14 इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकारी कंपनी जैसे-NHAI, IRFC और Power Finance Corporation (PFC) आदि) ने टैक्स-फ्री बॉन्ड्स जारी किए हैं.
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं और कोई सुरक्षित विकल्प तलाश रहे हैं ,तो यह खबर आपके काम की हो सकती है. दरअसल, आज के समय में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन कुछ समय से शेयर बाजार में बॉन्ड ने काफी अच्छा रिटर्न दिया है. निवेशक टैक्स-फ्री सरकारी बॉन्ड (Tax Free Bond) में निवेश कर सकते हैं. इसमें मिलने वाले रिटर्न पर आपको टैक्स का भुगतान भी नहीं करना होगा और साथ यह सिक्योर ऑप्शन भी है. वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा इन्टरेस्ट रेट (Interest Rate) घटाने की उम्मीद के बाद टैक्स-फ्री बॉन्ड्स (Tax Free Bonds) काफी चमक उठा है. तो चलिए इसकी विस्तार से जानकारी देते हैं.
क्या होता है सरकारी बॉन्ड?
सरकारी बॉन्ड को Government Securities (जी-सेक) के नाम से भी जाना जाता है. सरकार की ओर से कभी-कभी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पैसों को जरूरत होती है, उस समय सरकार की ओर से बॉन्ड जारी किया जाता है. इस बॉन्ड में विभिन्न लोग, कंपनियां अपने पैसे निवेश करते हैं जिनके द्वारा सरकार अपने खर्चों को पूरा करने का काम करती है. निवेशकों को सरकारी बॉन्ड में निवेश करने पर उनका पैसा सुरक्षित माना जाता है इसलिए ज्यादातर कंपनियां सरकारी बॉन्ड में अपना पैसा निवेश करती हैं.
इन कंपनियों के बॉन्ड्स में कर सकते हैं निवेश
बाजार में कुल 14 इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकारी कंपनी (जैसे-NHAI, IRFC और Power Finance Corporation (PFC) आदि) ने टैक्स-फ्री बॉन्ड्स जारी किए हैं. इन बॉन्ड्स की ट्रेडिंग मुख्य स्टॉक एक्सचेंज पर होती है. बता दें, यह बॉन्ड्स साल 2012 और 2016 के बीच जारी हुए. इसे 10 साल, 15 साल और 20 साल के लिए जारी किया गया. ऐसे में निवेशक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) से इन टैक्स-फ्री बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं. वर्तमान में ये टैक्स-फ्री बॉन्ड्स अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इन बॉन्ड्स का यील्ड भी काफ अट्रैक्टिव है. इसके अलावा यह सिक्योर और रेगुलर इनकम वाले बॉन्ड हैं.
इन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प
इनमें से लगभग सभी बॉन्ड को 'AAA' की रेटिंग भी मिली है. टैक्स-फ्री बॉन्ड निवेश के लिए काफी अच्छा विकल्प है. इससे होने वाली कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है, ऐसे में यह बॉन्ड उन निवेशकों के लिए भी काफी अच्छा है जो ज्यादा टैक्स स्लैब (Tax Slab) में शामिल हैं. इसके अलावा यह बॉन्ड सरकारी कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है, इस वजह से यह पूरी तरह से सुरक्षित हैं. यह बॉन्ड उन निवेशकों के लिए काफी अच्छा ऑप्शन है जो सुरक्षित सेविंग के साथ उससे रेगुल इनकम भी कमाना चाहते हैं.
निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप टैक्स-फ्री बॉन्ड्स में निवेश करने का सोच रहे हैं तो आपको कंपनी के लिक्विडिटी और यील्ड टू मैच्योरिटी (YTM) का ध्यान रखना चाहिए. YTM का मतलब बॉन्ड का सालाना रिटर्न है. वहीं, आपको इन बॉन्ड में मैच्योरिटी तक निवेश करना चाहिए.
ATM से PF विड्रॉल करने से पहले आपको अपने PF अकाउंट को बैंक अकाउंट से लिंक करना होगा. इसके बाद एटीएम से PF अकाउंट का पैसा निकाला जा सकेगा.
अगर आपको भी अपने पीएफ (Provident Fund) का पैसा निकलवाने में दिक्कत होती है, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल, अब जल्द ही आप ATM मशीन से अपने EPFO अकाउंट से प्रोविडेंट फंड (PF) को निकाल सकेंगे. इसके लिए आपको किसी भी तरह की परेशानी भी नहीं उठानी पड़ेगी. बता दें फिलहाल अगर किसी कर्मचारी को अपने EPFO अकाउंट से PF निकालना हो तो उसे इसको पूरा करने में 15 से 30 दिन तक लग जाते हैं. इतना समय इसलिए लगता है क्योंकि अभी पीएफ निकालने की रिक्वेस्ट जनरेट करनी होती है, फिर फील्ड ऑफिसर इसे अप्रूव करता है, जिसके बाद आपका पीएफ का पैसा अकाउंट में आता है. तो आइए जानते हैं ये सिस्टम कैसे काम करेगा और आपको इसका लाभ कब से मिलना शुरू होगा?
अगले साल शुरू हो जाएगी ये सुविधा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ATM मशीन से PF विड्रॉल करने के लिए श्रम मंत्रालय EPFO सिस्टम को अपडेट कर रहा है, जिसके बाद पीएफ क्लेम तुरंत सेटल होगा और कोई भी EPFO धारक बैंक ATM से अपना प्रोविडेंट फंड आसानी से निकाल सकेगा. बता दें देशभर में इस समय 78 लाख EPFO खाताधारक हैं और इन सभी के लिए ATM मशीन से पीएफ विड्रॉल करने की सुविधा अगले साल में शुरू हो जाएगी.
पैसा निकालने के लिए करना होगा ये काम
ATM से पीएफ विड्रॉल करने से पहले आपको अपने पीएम अकाउंट को बैंक अकाउंट से लिंक करना होगा. इसके बाद एटीएम से PF अकाउंट का पैसा निकाला जा सकेगा. EPFO अकाउंट को बैंक अकाउंट से लिंक करने के लिए आपको EPFO की ऑफिशियल साइट पर जाना होगा. जहां आपको बैंक अकाउंट से EPFO अकाउंट लिंक करने का ऑप्शन मिलेगा.
अभी है PF निकालने का ये सिस्टम
अभी आपको अपने पीएफ अकाउंट से पैसे निकालने के लिए EPFO पोर्टल पर विजिट करना होता है. इसके बाद UAN और पासवर्ड से लॉग-इन करते हैं, फिर ऑनलाइन सर्विस में जाकर क्लेम का विकल्प चुनते हैं और ऑटो मोड सेटलमेंट पर क्लिक करते हैं. बैंक अकाउंट को वेरिफाई और अकाउंट का पासबुक या चेक अपलोड करना होता है
Edelweiss Mutual Fund का NFO देश के फाइनेंशियल मार्केट और इंश्योरेंस सेक्टर में निवेश के लिए डिजाइन किया गया है. ये NFO 10 से 24 दिसंबर 2024 तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला है.
अगर आप किसी नए म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो ये खबर आपके काम की है. दरअसल, एसेट मैनेजमेंट कंपनी एडलवाइज म्यूचुअल फंड (Edelweiss Mutual Fund) ने भारतीय निवेशकों के लिए इक्विटी कैटेगरी में एक नया फंड ऑफर (NFO) लॉन्च किया है. एडलवाइज म्यूचुअल फंड ने थिमैटिक फंड Edelweiss BSE Capital Markets & Insurance ETF लॉन्च किया है. यह इनोवेटिव ओपन-एंडेड एक्सचेंज-ट्रेडेड स्कीम बीएसई (BSE) कैपिटल मार्केट्स और इंश्योरेंस टोटल रिटर्न इंडेक्स को ट्रैक और अनुकरण करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह भारत में पहला ईटीएफ है, जो निवेश और संपत्ति निर्माण के मेगा ट्रेंड का लाभ उठाने के साथ-साथ इंश्योरेंस क्षेत्र को भी शामिल करता है. कंपनी का एनएफओ 10 से 24 दिसंबर 2024 तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा. तो आइए जानते हैं, इसमें निवेश के क्या फायदे हैं?
इतना कर सकते हैं निवेश
एडलवाइज म्युचुअल फंड की इस नई स्कीम का सब्सक्रिप्शन 10 दिसंबर से खुल गया है और 24 दिसंबर 2024 को बंद होगा. इस स्कीम में मिनिमम 5,000 रुपये और उसके बाद 1 रुपये के मल्टीपल में निवेश कर सकते हैं. इस स्कीम में कोई एग्जिट लोड नहीं है. इस एनएफओ का बेंचमार्क इंडेक्स BSE Capital Markets & Insurance TRI है. भावेश जैन स्कीम के फंड मैनेजर हैं. फंड हाउस के अनुसार लॉन्ग टर्म कैपिटल एप्रिसिएशन में यह फंड मददगार हो सकता है. यह फंड ‘वेरी हाई’ रिस्क कैटेगरी में है.
ऐसे काम करेगा ईटीएफ
फंड हाउस का कहना है कि यह पहला और इकलौता फंड है, जिसका एक्सपोजर कैपिटल मार्केट और इंश्योरेंस स्टॉक्स पर पूरी तरह फोकस्ड होगा. फंड का विविध पोर्टफोलियो कैपिटल मार्केट्स (47.21प्रतिशत) और इंश्योरेंस (52.79 प्रतिशत) के बीच विभाजित है. इनमें एएमसी, स्टॉक ब्रोकिंग, एक्सचेंज, जनरल एंड लाइफ इंश्योरेंस जैसी सब-इंडस्ट्रीज भी हैं. प्रमुख घटकों में HDFC AMC, एंजल वन, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MCX), आनंद राठी वेल्थ, SBI लाइफ इंश्योरेंस, ICICI लोम्बार्ड, और ICICI सिक्योरिटीज शामिल हैं. ईटीएफ के सभी स्टॉक्स बीएसई 500 इंडेक्स का हिस्सा होंगे. फिलहाल, BSE 500 के कुल M-cap में इन सेक्टरों की हिस्सेदारी केवल 4 प्रतिशत है, जबकि लिस्टेड फाइनेंशियल मार्केट में काफी विस्तार होने वाला है. इस स्कीम में बेहतर डायवर्सिफिकेशन 30 शेयरों तक की कैपिंग रखी गई है. योग्य स्टॉक्स को उनके औसत 6-महीने के डेली फ्लोट-एडजस्टेड मार्केट कैपिटलाइजेशन आंकड़ों के आधार पर रैंक किया जाएगा. ईटीएफ का पुनर्गठन जून और दिसंबर में अर्धवार्षिक रूप से किया जाएगा और तिमाही रूप से फिर से संतुलित किया जाएगा ताकि प्रदर्शन को अधिकतम किया जा सके. स्कीम का निवेश लार्ज, मिड और स्माल कैप स्टॉक्स में होगा.
एडलवाइज म्यूचुअल फंड की एमडी और सीईओ की प्रतिक्रिया
एडलवाइज म्यूचुअल फंड की एमडी और सीईओ, राधिका गुप्ता ने इस लॉन्च के मौके पर कहा कि एडलवाइज़ का उद्देश्य उभरते हुए ट्रेंड्स की पहचान करना और उन्हें निवेशकों के लिए इनवेस्टमेंट के मौकों में बदलना है. यह ETF भारत के फाइनेंशियल सेक्टर में हो रहे व्यापक बदलावों को कैप्चर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह ETF केवल एक शुरुआत है और भविष्य में एडलवाइज की योजना कई और थीमैटिक ETF लॉन्च करने की है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक ईटीएफ भारत की विकास कहानी को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख मेगा रुझानों को पकड़ने के लिए डिजाइन किया गया है, क्योंकि यह 2047 तक विकसित भारत बनने की ओर अग्रसर है.
यूनियन म्यूच्यूअल फंड का अपने प्रकार का एक NFO यूनियन एक्टिव मोमेंटम फंड निवेश के लिए 12 दिसंबर, 2024 तक खुला है.
अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो ये खबर आपके काम की है. दरअसल, यूनियन म्यूचुअल फंड (Union Mutual Fund) ने न्यू फंड ऑफर (NFO) लॉन्च किया है. यूनियन म्यूचुअल फंड ने एनएफओ के जरिए यूनियन एक्टिव मोमेंटम फंड द्वारा फैक्टर आधारित निवेश में प्रवेश किया है. यह एक ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम है, जो मोमेंटम दिखाने वाले स्टॉक्स में निवेश करेगी. तो आइए आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.
फंड में इतना कर सकते हैं निवेश
यूनियन एक्टिव मोमेंटम फंड निवेश के लिए 12 दिसंबर, 2024 तक खुला है और 19 दिसंबर 2024 को फंड का आवंटन होगा. इसमें एक मुश्त 1000 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं. वहीं, एसआईपी प्रतिदिन 100 रुपये, साप्ताहिक 500 रुपये, मासिक 500 और पखवाड़ा 500 रुपये की होगी. वहीं, न्यूनतम एसआईपी अवधि 6 दिन (प्रतिदिन), 6 सप्ताह (साप्ताहिक), 6 महीने (मासिक) और 6 पखवाड़े (पखवाड़ा) तक की होगी.
प्राइटरी क्वांटिटेटिव मॉडल पर काम करता है फंड
यूनियन एक्टिव मोमेंटम फंड एक प्रोप्राइटरी क्वांटिटेटिव मॉडल को अपनाता है जोकि पिछले 15 सालों से टेस्ट किया हुआ है. यह मॉडल पूर्व मूल्य परफॉरमेंस, रिटर्न्स में उतार चढ़ाव, सम्बंधित मजबूती और लिक्विडिटी के मूल्यों पर आधारित है. यह स्टॉक मार्किट की रिटर्न्स के प्रमुख मानकों जैसे की वैल्यू, ग्रोथ, कम उतार चढ़ाव और मोमेंटम को टारगेट करता है. यह फंड निवेशकों को नियम आधारित नीति के तहत उन स्टॉक्स में निवेश करने का अवसर देता है जो मोमेंटम की विशेषता दिखाते हैं. इस स्कीम में निवेश नियम आधारित प्रणाली के तहत होगा जो की भावनात्मक पक्षपात को दूर रख कार्यान्वन में लचीलापन, अनुशासित प्रवेश और निकास बिंदुओं को ध्यान में रख कर आगे बढ़ता है .
उतार चढ़ाव में बेहतर प्रदर्शन करना है लक्ष्य
यूनियन म्यूच्यूअल फंड के CO Fund Manager गौरव चोपड़ा के अनुसार निवेशक के भाव स्टॉक के मूल्य निर्धारण में बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. मोमेंटम इन्वेस्टिंग एक नियम आधारित प्रणाली है, जिसका लक्ष्य उतार चढ़ाव में बेहतर प्रदर्शन करना है, जैसे की बढ़ते हुए को खरीदना और नुकसान दिखने पर बेच देना है. Head Equity संजय बेम्बलकर ने कहा है कि मोमेंटम निवेशकों की जानकारी के हिसाब से बढ़ता घटता है, जिससे शेयर बाजार में उतार चढ़ाव होता रहता है और मोमेंटम बना रहता है. यूनियन म्यूच्यूअल फंड CEO मधु नायर ने कहा हमारे प्रमोटर डायची होल्डिंग्स की 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली कंपनी वरटेक्स इन्वेस्टमेंट सोलूशन्स है जो की नियम आधारित इन्वेस्टमेंट में दिलचस्पी दिखाती है. यूनियन एक्टिव मोमेंटम फंड हमारी इस फैक्टर आधारित दुनिया में पहली शुरुवात है और हम यह मानते हैं की भारतीय शेयर बाजार में मोमेंटम आधारित इन्वेस्टमेंट की हिस्सेदारी बढ़ेगी.
(डिस्क्लेमर : म्यूच्यूअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के आधीन है, BW Hindi आपको निवेश की सलाह नहीं देता है, ये खबर केवल आपकी जानकारी के लिए लिखी गई है. अगर आप निवेश करना चाहते हैं, तो किसी एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें).
HDFC बैंक के ग्राहकों के लिए एक बुरी खबर है. बैंक ने MCLR रिवाइज करने से आपके होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन समेत सभी तरह के फ्लोटिंग लोन की ईएमआई पर असर पड़ता है.
देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक एचडीएफसी (HDFC) ने साल खत्म होने से पहले अपने ग्राहकों को बड़ा झटका दे दिया है. बैंक ने कुछ पीरियड के लोन पर सीमांत निधि लागत आधारित उधार दर (MCLR) को 0.05 प्रतिशत बढ़ा दिया है. ये नए रेट्स 7 दिसंबर 2024 से लागू हो गए हैं. तो आइए जानते हैं किस तरह के लोन पर ये रेट बढ़ाए गए हैं.
इन लोन पर बढ़ाया गया रेट
HDFC बैंक ने MCLR रेट सिर्फ ओवरनाइट पीरियड पर बढ़ाया है. पहले जहां ओवरनाइट पीरियड पर MCLR 9.15 फीसदी था वो अब बढ़ाकर 9.20 फीसदी कर दिया गया है.
आपकी EMI पर कैसे होगा असर?
बैंक के MCLR रिवाइज करने से आपके होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन समेत सभी तरह के फ्लोटिंग लोन की ईएमआई पर असर पड़ता है. दरअसल, MCLR बढ़ने से आपके लोन पर इंटरेस्ट बढ़ जाता है और आपकी EMI बढ़ जाती है. मान लीजिए आप कोई लोन लेना चाहते हैं तो आपको लोन अब 0.05 फिसदी पहले के मुकाबले महंगा मिलेगा वहीं, जिनका लोन पहले से चल रहा होगा उनकी EMI बढ़ जाएगी. हालांकि, बैंक ने ये रेट ओवरनाइट पीरियड पर बढ़ाए हैं.
इतनी है एमसीएलआर दर
एचडीएफसी बैंक के ओवरनाइट एमसीएलआर 9.15 प्रतिशत से बढ़कर 9.20 प्रतिशत कर दिया है. इसके अलावा एक महीने का एमसीएलआर 9.20 प्रतिशत है. इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.
वहीं, तीन महीने का एमसीएलआर 9.30 प्रतिशत, छह महीने का एमसीएलआर 9.45 प्रतिशत, एक साल का एमसीएलआर 9.45 प्रतिशत, 2 साल से अधिक पीरियड के लिए एमसीएलआर 9.45 प्रतिशत और 3 साल से अधिक पीरियड के लिए एमसीएलआर 9.50 प्रतिशत है.
PayZapp पर देना होगा इतना GST
इससे पहले बैंक ने अपने PayZapp वॉलेट यूजर्स को भी झटका दिया है. 6 दिसंबर को बैंक ने नोटिफिकेशन जारी कर इसकी जानकारी दी थी जिसमे कहा गया था कि पेजैप वॉलेट में क्रेडिट कार्ड से पैसा लोड करने पर 2.5 प्रतिशत प्लस GST का चार्ज देना होगा. हालांकि पेजैप वॉलेट में यूपीआई या डेबिट कार्ड के जरिए से पैसे ऐड करने पर कोई चार्ज नहीं देना होगा. पहले ये चार्ज 1.5 प्रतिशत था, जिसे 6 दिसंबर से बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है.
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत किसी तरह से मौत होने पर परिजनों को 2 लाख रुपये मिलते हैं. वहीं, दुर्घटना में दिव्यांग होने की स्थिति में भी बीमाधारक को 2 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा.
अगर आप अपने परिवार के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो उसके लिए जीवन बीमा (Life Insurance) लेना बहुत जरूरी है. कई लोग महंगे प्रीमियम के चलते जीवन बीमा कराने से कतराते हैं, ऐसे लोगों के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) काफी अच्छा विकल्प है. इसमें केवल 20 रुपये से भी कम खर्च पर आपको 2 लाख रुपये तक का जीवन बीमा मिलता है. इसका मतलब है कि आपको महीने का 2 रुपये भी नहीं देना पड़ेगा. क्या आप भी सरकार की इस जीवन बीमा योजना का लाभ लेना चाहते हैं? अगर हां, तो आइए इसके बारे में आपको पूरी जानकारी देते हैं.
इन स्थितियों में मिलेगा पीएम सुरक्षा योजना का लाभ
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत किसी भी तरह की मौत होने पर बीमाधारक के परिजनों को 2 लाख रुपये मिलते हैं. दुर्घटना में पूर्ण दिव्यांग होने की स्थिति जैसे कि दोनों आंख, हाथ या फिर पैर खोने की सूरत में भी 2 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा. वहीं, आंशिक दिव्यांगता जैसे कि एक आंख, या एक हाथ या एक पैर का इस्तेमाल न कर पाने की स्थिति में 1 लाख रुपये मिलेंगे. इसके अलावा बाढ़ या बिजली गिरने जैसी किसी भी प्राकृतिक आपदा से होने वाली मृत्यु या दिव्यांगता भी इस बीमा योजना के तहत कवर होगी.
ऐसे उठाएं योजना का लाभ
केंद्र सरकार की इस बीमा योजना का फायदा उठाने के लिए आवेदक की उम्र कम से कम 18 साल होना चाहिए. वहीं, अधिकतम 70 साल तक के लोग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. बीमा कवर की अवधि एक साल है, जो 1 जून से 31 मई के लिए होगी. इसके बाद आपको बीमा पॉलिसी रिन्यू करानी होगी.
बीमा कराने के लिए क्या करना होगा?
आप सरकारी कंपनियों के सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के जरिए बीमा करा सकते हैं. जिस बैंक में आपका अकाउंट हो, उसकी किसी भी शाखा से आप इस योजना का लाभ ले सकते हैं, इसमें 'ऑटो डेबिट' सुविधा मिलती है. इसका मतलब है कि हर साल 31 मई को आपके बैंक अकाउंट से 20 रुपये का प्रीमियम अपनेआप कट जाएगा.
इन बातों का रखें ध्यान
अगर आपके अकाउंट में पॉलिसी रिन्यू के लिए पर्याप्त बैलेंस नहीं है, तो पॉलिसी रद्द हो जाएगी. प्रीमियम मिलने पर पॉलिसी को बहाल किया जा सकता है. इस योजना के तहत एनरोलमेंट पीरियड 1 जून से 31 मई तक होता है. वहीं दुर्घटना होने पर 30 दिनों के अंदर पैसा क्लेम किया जाना चाहिए. ध्यान रहे, खुदखुशी के मामले में किसी भी तरह का मुआवजा नहीं दिया जाएगा.
Axis बैंक ने Credit Card से जुड़े नियमों में कई बदलावों की घोषणा की है, जोकि 20 दिसंबर, 2024 से लागू होंगे.
एक्सिस बैंक (Axis Bank) ने अपने क्रेडिट कार्ड यूजर्स को बड़ा झटका दे दिया है. दरअसल, एक्सिस बैंक ने अपने क्रेडिट कार्ड से जुड़े नियमों में कई बदलावों की घोषणा की है, यह बदलाव 20 दिसंबर, 2024 से लागू होंगे. बैंक ने फैसला लिया है कि वह अपने क्रेडिट कार्डधारकों से किसी भी ट्रांसफर पार्टनर को क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड पॉइंट ट्रांसफर करने पर अतिरिक्त रिडेम्पशन शुल्क लेगा. बैंक द्वारा किए जा रहे इन बदलावों का असर सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा. तो आइए आपको इन बदलावों की विस्तार से जानकारी देते हैं.
ब्याज शुल्क भी बढ़ाया
विभिन्न एयरलाइन और होटल लॉयल्टी प्रोग्राम में रिवॉर्ड पॉइंट ट्रांसफर करने के लिए सबसे बेहतरीन विकल्प देने वाला एक्सिस बैंक 20 दिसंबर से अपने क्रेडिट कार्डधारकों से किसी भी ट्रांसफर पार्टनर को क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड पॉइंट ट्रांसफर करने के लिए 199 रुपये का रिडेम्पशन शुल्क लेगा. इसके अलावा बैंक ने ब्याज शुल्क में भी इजाफा कर दिया है. एक्सिस बैंक के क्रेडिट कार्ड पर फाइनेंस या इंटरेस्ट चार्ज मौजूदा 3.60 प्रतिशत प्रति माह से बढ़कर 3.75 प्रतिशत प्रति माह हो जाएगा. वार्षिक ब्याज शुल्क मौजूदा 43.20 प्रतिशत से बढ़कर 45.00 प्रतिशत हो जाएगा. ब्याज दर में यह इजाफा सभी क्रेडिट कार्ड पर लागू होगा, कुछ निर्दिष्ट कार्डों को छोड़कर जहां मौजूदा ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं होगा. बता दें, क्रेडिट कार्ड यूजर्स हर महीने पूरी बकाया बिल राशि का पेमेंट या तो देय तिथि से पहले या देय तिथि तक करें. यह आपको उच्च ब्याज शुल्क से बचने में मदद करेगा.
पेमेंट विफल होने या देरी से करने पर देना होगा इतना शुल्क
एक्सिस बैंक एसआई, एनएसीएच पमेंट फेल्योर, ऑटो डेबिट रिवर्सल या चेक रिटर्न पर शुल्क लेता है. यह शुल्क पेमेंट राशि का 2 प्रतिशत या न्यूनतम राशि 450 रुपये है, जिसकी अधिकतम सीमा 1,500 रुपये है. 20 दिसंबर से न्यूनतम राशि को संशोधित कर 500 रुपये कर दिया जाएगा. साथ ही 1,500 रुपये की अधिकतम सीमा को भी हटा दिया जाएगा. यह बदलाव बरगंडी प्राइवेट क्रेडिट कार्ड, ओलंपस क्रेडिट कार्ड और प्राइमस क्रेडिट कार्ड को छोड़कर सभी एक्सिस बैंक क्रेडिट कार्ड पर लागू होगा. वहीं, देरी से पेमेंट के लिए 100 रुपये का अतिरिक्त शुल्क देना होगा. अगर ग्राहक पेमेंट नहीं करता है या किया गया पेमेंट पेमेंट देय तिथि तक न्यूनतम देय राशि (MAD) से कम है, तो बैंक विलंब पेमेंट शुल्क (LPC) लगाता है. मौजूदा LPC संरचना इस प्रकार है.
बैंक शाखा में पेमेंट करने पर देने होंगे 175 रुपये
क्रेडिट कार्ड के बकाया बिल का पेमेंट करने के लिए ऑनलाइन पेमेंट मोड का उपयोग करने के अलावा, आपके पास शाखा में पेमेंट करने का विकल्प भी है. 20 दिसंबर से, एक्सिस बैंक शाखाओं में कैश पेमेंट के लिए 175 रुपये का शुल्क लेगा. वर्तमान में यह शुल्क 100 रुपये है. बता दें, आप एक दिन में अधिकतम 50,000 रुपये का नकद पेमेंट कर सकते हैं. बरगंडी प्राइवेट क्रेडिट कार्ड, प्राइमस क्रेडिट कार्ड और इंस्टा ईजी क्रेडिट कार्ड को छोड़कर सभी एक्सिस बैंक क्रेडिट कार्ड पर कैश पेमेंट चार्ज लागू होगा.
फोनपे (phonepe) ने मंगलवार को डेंगू और मलेरिया के लिए एक नया और किफायती बीमा प्लान लॉन्च किया है, जिसकी शुरुआत सिर्फ 59 रुपये प्रति वर्ष से होती है.
PhonePe एक डिजिटल पेमेंट ऐप है, जिसका इस्तेमाल करोड़ों लोग करते हैं. ऑनलाइन पेमेंट, मोबाइल रिचार्ज, पैसे ट्रांसफर करने समेत कई कामों के लिए फोनपे का यूज किया जाता है. फोनपे अब अपनी सर्विसिस को बढ़ा रहा है. PhonePe ने एक नया इंश्योरेंस प्लान लॉन्च किया है जो कम कीमत में कई बीमारियों से सुरक्षा देता है. यह प्लान यूजर्स को मेडिकल कवर उपलब्ध कराता है. इस प्लान की कीमत सिर्फ 59 रुपये सालाना है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
इन बीमारियों से मिलेगा कवर
यह प्लान 10 से अधिक बीमारियों को कवर करता है, जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, फाइलेरिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, टाइफाइड, पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस और मेनिन्जाइटिस. इसमें अस्पताल में भर्ती, टेस्ट और आईसीयू में इलाज का खर्च भी शामिल है. अन्य बीमा योजनाओं की तरह यह प्लान केवल मानसून तक सीमित नहीं है. यह साल भर सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे फोनपे उपयोगकर्ता किसी भी समय बीमा का लाभ ले सकते हैं.
इंश्योरेंस प्लान की खास बात
इस इंश्योरेंस प्लान की खास बात यह है कि यह साल भर के लिए है. आपको हर सीजन में अलग से बीमा खरीदने की जरूरत नहीं है. आप इस इंश्योरेंस को PhonePe ऐप पर ही खरीद सकते हैं और क्लेम भी ऐप से ही कर सकते हैं. यह पूरी तरह से डिजिटल प्रोसेस है. इससे यूजर्स को आसानी होगी. PhonePe के सीईओ विशाल गुप्ता ने कहा कि कंपनी का लक्ष्य है कि हर व्यक्ति को बीमा की सुविधा मिले. इस योजना से लोगों को महंगे इलाज के खर्च से बचने में मदद मिलेगी.
कैसे खरीदें ये इंश्योरेंस प्लान
इस इंश्योरेंस प्लान में हॉस्पिटलाइजेशन यानी हॉस्पिटल में भर्ती होना, जांच के खर्च और आईसीयू में रहने के खर्च का कवर मिलता है. यह योजना उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जिनके पास पहले से ही कंपनी का हेल्थ इंश्योरेंस है. इस बीमा को खरीदना बहुत आसान है. आपको बस PhonePe ऐप में Insurance सेक्शन में जाना है, Dengue & Malaria प्लान चुनना है, डिटेल्स चेक करनी है, और पेमेंट कर देना है.
Personal Loan स्वीकृत करने के लिए बैंक 35 प्रतिशत या उससे कम के Debt To Income अनुपात को प्राथमिकता देते हैं. अनुपात अधिक होने पर लोन स्वीकृत होने की संभावना कम हो जाती है.
क्या आपने कभी पर्सनल लोन लिया है या लेने का विचार कर रहे हैं? अगर हां, तो ये खबर आपके काम की है. दरअसल, अगर आप व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan) के लिए आवेदन करते हैं, तो बैंक या एनबीएफसी (NBFC) लोन मंजूरी के लिए विभिन्न कारकों पर विचार करते हैं. इनमें आपकी उम्र, मासिक आय, क्रेडिट स्कोर, पेशा, ऋण-से-आय (DTI) अनुपात आदि शामिल हैं, लेकिन आपको बता दें, डीटीआई अनुपात लोन पात्रता और राशि आदि पर निर्णय लेने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है. तो आइए जानते हैं डीटीआई अनुपात क्या है, बैंक इसे पर्सनल लोन के लिए क्यों मानते हैं और इसे कैसे सुधारा जा सकता है?
क्या है DTI अनुपात?
ऋण-से-आय (DTI) अनुपात मासिक इनकम का वह प्रतिशत है, जो एक व्यक्ति लोन दायित्वों को चुकाने के लिए उपयोग करता है. इनमें लोन ईएमआई, क्रेडिट कार्ड बकाया आदि शामिल हैं. उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति की मासिक इनकम एक लाख रुपये है और लोन दायित्वों को चुकाने पर 20,000 रुपये खर्च किये जाते हैं, तो उस व्यक्ति का DTI अनुपात 20 प्रतिशत है.
पर्सनल लोन लेने के लिए इतना होना चाहिए DTI अनुपात
प्रत्येक बैंक या एनबीएफसी डीटीआई अनुपात को लेकर स्वयं निर्णय ले सकते हैं. आमतौर पर, अधिकांश बैंक और एनबीएफसी व्यक्तिगत लोन और अन्य लोन देने के लिए 35 प्रतिशत या उससे कम के डीटीआई अनुपात को सही मानते हैं. हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डीटीआई अनुपात के अलावा मासिक आय, क्रेडिट स्कोर, आयु, पेशा इत्यादि जैसे अन्य कारक भी यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि पर्सनल लोन स्वीकृत किया जाना चाहिए या नहीं. डीटीआई अनुपात 35 प्रतिशत से जितना कम होगा, आपको पर्सनल लोन मिलने की संभावना उतनी ही बेहतर होगी. अगर डीटीआई 35 प्रतिशत से अधिक है, तो बैंक आपके पर्सनल लोन आवेदन और दस्तावेजों की अधिक बारीकी से जांच करेगा. कुछ बैंक 40-45 प्रतिशत तक के डीटीआई अनुपात पर विचार कर सकते हैं और फिर भी पर्सनल लोन आवेदन को मंजूरी दे सकते हैं. 45 प्रतिशत से अधिक डीटीआई अनुपात वाले पर्सनल लोन आवेदनों के लिए, लोन मिलने की संभावना काफी कम हो जाती है.
ऐसे प्रभावित होती है पर्सनल लोन मिलने की संभावनाएं
35 प्रतिशत का डीटीआई अनुपात बताता है कि आपकी कुल आय का केवल 35 प्रतिशत ऋण चुकाने में जा रहा है. इसका मतलब है कि आप लोन का प्रबंधन अच्छी तरह से कर रहे हैं. यह आय और कर्ज के बीच अच्छे संतुलन का संकेत देता है. 35 प्रतिशत के डीटीआई अनुपात और नियमित जीवन व्यय को अपनी मासिक आय का 30 से 35 प्रतिशत लेने पर विचार करने के बाद भी, आपके पास 30 से 35 प्रतिशत का मुफ्त नकदी प्रवाह बचा रहेगा. चूंकि इस राशि का उपयोग किसी भी अतिरिक्त लोन को चुकाने के लिए किया जा सकता है, इसलिए बैंक आपके पर्सनल लोन आवेदन को मंजूरी दे सकता है. कम डीटीआई बैंक को संकेत देता है कि आपके (उधारकर्ता) पास अधिक लोन को समायोजित करने और इसे आराम से चुकाने के लिए वित्तीय लचीलापन है. उच्च डीटीआई इंगित करता है कि किसी व्यक्ति ने अपनी मासिक आय के लिए बहुत अधिक कर्ज लिया है. उच्च डीटीआई अनुपात बैंक के लिए एक खतरे का संकेत है क्योंकि यह उधारकर्ता के अधिक ऋण को समायोजित करने और उसे आराम से चुकाने की गुंजाइश को कम कर देता है. डीटीआई जितना अधिक होगा, जोखिमपूर्ण बैंक उधारकर्ता प्रोफाइल और उनके पर्सनल लोन आवेदन पर विचार करेंगे.
ऐसे सुधारें अपना डीटीआई अनुपात?
आई-लोन के सीईओ राजीव दास ने बताया है कि अगर आप अपने डीटीआई अनुपात में सुधार करना चाहते हैं, तो आप पर्सनल लोन के लिए आवेदन करने से पहले कुछ मौजूदा लोन चुकाने का विकल्प चुन सकते हैं. कम क्रेडिट कार्ड शेष, छोटे लोन और कम दरों पर मौजूदा ऋणों के रिफाइनेंसिंग (Refinancing) से डीटीआई अनुपात में कमी आएगी और लोन स्वीकृति की संभावना बढ़ जाएगी. अगर आपके पास कई लोन बकाया हैं, तो अतिरिक्त भुगतान करने के बजाय, आप उन लोन की पूरी बकाया राशि का भुगतान करके अगले कुछ महीनों में एक या एकाधिक लोन को बंद कर सकते हैं. एक अन्य विकल्प अवधि बढ़ाने और ईएमआई कम करने के लिए अपने मौजूदा लोन का पुनर्गठन करना है. ये उपाय आपके डीटीआई को कम करने में आपकी मदद करेंगे. अगर आपने कोई बड़ी खरीदारी की योजना बनाई है, तो जांच लें कि क्या इसे कुछ महीनों के लिए टाला जा सकता है. उपलब्ध राशि का उपयोग मौजूदा लोन को चुकाने और डीटीआई अनुपात को कम करने के लिए किया जा सकता है. एक बार जब डीटीआई अनुपात एक आरामदायक स्तर पर पहुंच जाता है, तो आप बैंक या एनबीएफसी के साथ पर्सनल लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं.
पर्सनल लोन के लिए आवेदन से पहले करें ये जांच
अगली बार जब आप पर्सनल लोन के लिए आवेदन करना चाहें, तो अपने डीटीआई अनुपात, क्रेडिट स्कोर और अन्य कारणों की जांच करें जो व्यक्तिगत ऋण अनुमोदन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कई वेबसाइटों/ऐप्स में ऑनलाइन डीटीआई अनुपात कैलकुलेटर होते हैं. आपको अपनी मासिक आय, लोन चुकाने की राशि और अन्य डेटा (यदि कोई हो) दर्ज करना होगा. अगर आपका डीटीआई अनुपात उच्च स्तर पर है, तो पर्सनल लोन के लिए आवेदन करने से पहले इसे कम करने की दिशा में काम करें.
बाजार में इन दिनों कई म्यूचुअल फंड कंपनियां अपना न्यू फंड ऑफर (NFO) लेकर आ रही हैं. NFO का उद्देश्य स्पेसिफिक एसेट क्लास या सेक्टर में निवेश करने के लिए निवेशकों से फंड जुटाना है.
बाजार में इन दिनों कई म्यूचुअल फंड कंपनियां अपना न्यू फंड ऑफर (NFO) लेकर आ रही हैं. इसके पीछे वजह है कि निवेशकों में आईपीओ की ही तरह NFO का भी क्रेज बढ़ रहा है. NFO के जरिए कोई म्यूचुअल फंड कंपनी यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनी निवेशकों को किसी नई स्कीम में पहली बार यूनिट बेचती है. एनएफओ की अवधि के दौरान, निवेशक उस म्यूचुअल फंड स्कीम की यूनिट को फेस वैल्यू पर खरीद सकते हैं, जो आमतौर पर 10 रुपये प्रति यूनिट निर्धारित होती है. अगर आप भी निवेश के लिए ऐसी स्कीम तलाश रहे हैं तो इस हफ्ते कई विकल्प हैं. इस हफ्ते कुछ म्यूचुअल फंड हाउस अपनी नई स्कीम लेकर आ रहे हैं.
इन 10 NFOs में निवेश का मौका
1. कोटक निफ्टी 50 इक्वल वेट इंडेक्स फंड (Kotak Nifty 50 Equal Weight Index Fund)- कोटक निफ्टी 50 इक्वल वेट इंडेक्स फंड 02 दिसंबर को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा और 16 दिसंबर को बंद होगा, इसके लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 100 रुपये हैं.
2. कोटक निफ्टी 100 इक्वल वेट इंडेक्स फंड (Kotak Nifty 100 Equal Weight Index Fund)- कोटक निफ्टी 100 इक्वल वेट इंडेक्स फंड निवेश करने के लिए इस महीने की 2 तारीख को खुलेगा और यह 16 दिसंबर को सब्सक्राइब करने के लिए बंद हो जाएगा, इसमें मिनिमम 100 रुपये का निवेश कर सकते हैं.
3. बजाज फिनसर्व हेल्थकेयर फंड (Bajaj Finserv Healthcare Fund)- बजाज फिनसर्व हेल्थकेयर फंड सब्सक्राइब करने के लिए 06 दिसंबर को खुलेगा. यह फंड 20 दिसंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा, निवेश की मिनिमन सीमा 500 रुपए रखी गई है.
4. आईसीआईसीआई प्रू निफ्टी 500 इंडेक्स फंड (ICICI Pru Nifty 500 Index Fund)- आईसीआईसीआई प्रू निफ्टी 500 इंडेक्स फंड को निवेशक 10 दिसंबर से सब्सक्राइब कर सकते हैं, यह फंड 17 दिसंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा.
5. एसबीआई क्वांट फंड (SBI Quant Fund)- निवेशकों के लिए एसबीआई क्वांट फंड 04 दिसंबर, 2024 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुल जाएगा, यह 14 दिसंबर तक खुला रहेगा. हालांकि, इसके लिए निवेशक की न्यूनतम सीमा 5000 रुपये हैं जबकि एग्जिट लोड 0.50% हैं.
6. क्वांटम एथिकल फंड (Quantum Ethical Fund)- क्वांटम एथिकल फंड सब्सक्रिप्शन के लिए 02 दिसंबर, 2024 को खुलेगा और 16 दिसंबर को बंद हो जाएगा, इसके लिए निवेश की मिनिमम सीमा 500 रुपये है.
7. सैमको मल्टी एसेट एलोकेशन फंड (Samco Multi Asset Allocation Fund)- सैमको मल्टी एसेट एलोकेशन फंड इस महीने की चार तारीख यानी 4 दिसंबर को सब्सक्राइब करने के लिए खुलेगा और 18 दिसंबर को बंद हो जाएगा.
8. आदित्य बिड़ला एसएल कांग्लोमरेट फंड (Aditya Birla SL Conglomerate Fund)- आदित्य बिड़ला एसएल कांग्लोमरेट फंड सब्सक्राइब करने के लिए 05 दिसंबर को खुलेगा और यह 19 दिसंबर तक खुला रहेगा, इसके लिए निवेशक की न्यूनतम सीमा 100 रुपये हैं जबकि एग्जिट लोड 0.50% हैं.
9. बड़ौदा बीएनपी परिबास चिल्ड्रन फंड (Baroda BNP Paribas Children`s Fund)- बड़ौदा बीएनपी परिबास चिल्ड्रन फंड 06 दिसंबर को सब्सक्राइब करने के लिए खुल जाएगा, इस फंड को सब्सक्राइब करने की लास्ट डेट 20 दिसंबर है.
10. टाटा एफएमपी सीरीज 61 स्कीम डी (91 दिन) (Tata FMP Series 61 Scheme D (91 Days))- टाटा एफएमपी सीरीज 61 स्कीम डी का एनएफओ 02 दिसंबर को खुलेगा और यह केवल दो दिन बाद 04 दिसंबर को बंद हो जाएगा.
क्या है NFO?
जिस प्रकार कोई कंपनी आईपीओ के जरिए पहली बार शेयर बेचती है, यह भी लगभग इसी प्रकार है. एनएफओ के जरिए कोई म्यूचुअल फंड कंपनी यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनी निवेशकों को किसी नई स्कीम में पहली बार यूनिट बेचती है, इसकी एक समय सीमा होती है. ठीक उसी प्रकार जैसे किसी आईपीओ में बोली लगाने की समय सीमा होती है. एनएफओ की अवधि के दौरान जो निवेशक इसमें निवेश करना चाहते हैं, उस म्यूचुअल फंड स्कीम की यूनिट को फेस वैल्यू पर खरीद सकते हैं.
EPF सब्सक्राइबर्स को डेबिट कार्ड के समान एक एटीएम कार्ड जारी किया जा सकता है जिससे वे प्रॉविडेंट फंड में जमा पैसे को एटीएम से निकाल सकेंगे.
केंद्र सरकार जल्द ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है. इन बदलावों में ज्यादा पेंशन चाहने वाले सब्सक्राइबर्स अपने वास्तविक वेतन के आधार पर पेंशन फंड में ज्यादा कंट्रीब्यूट कर पाएंगे. इस तरह के बदलावों की काफी समय से मांग की जा रही है. सरकार की तरफ होने वाले इन बदलावों को EPFO 3.0 कहा जा रहा है. इसमें EPFO 3.0 में सभी सुविधाओं को तकनीक आधारित और आसान बनाने पर जोर दिया जाएगा.
मुख्य मकसद ज्यादा पेंशन देना
श्रम मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से सामने आई अलग-अलग मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि केंद्र सरकार जल्द ही कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में कई अहम सुधार करने जा रही है. इन सुधारों को लेकर लंबे समय से विचार चल रहा है. सुधारों का मुख्य मकसद रिटायरमेंट के समय ज्यादा पेंशन देना है.
अभी मिलती है सिर्फ इतनी सी पेंशन
ईपीएस के तहत पेंशन फंड में अंशदान करने वाले ज्यादातर प्राइवेट कर्मचारियों को फिलहाल 3,000 से 4,000 रुपये मासिक पेंशन मिलती है. EPFO 3.0 के तहत कर्मचारी अपने वेतन से जितना चाहे फंड पेंशन के लिए जमा करा पाएंगे. इससे उन्हें रिटायरमेंट पर ज्यादा पेंशन मिलेगी.
एक पंथ दो काज
मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इससे जहां कर्मचारियों को ज्यादा पेंशन मिलेगी, वहीं सरकार को यूनिवर्ससल पेंशन देने और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को ज्यादा सामाजिक सुरक्षा देने के लक्ष्यों को हासिल करने में भी मदद मिलेगी. ऐसे कामगार अक्सर रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त फंड नहीं बना पाते हैं.
ATM से निकाल पाएंगे PF
EPFO 3.0 को लेकर सीएनबीसी की एक रिपोट में दावा किया गया है कि ज्यादा पेंशन के लिए 12 फीसदी की सीमा को समाप्त किए जाएगा. इसके अलावा पीएफ फंड की निकासी को बेहद आसान बनाया जाएगए. इसके लिए श्रम मंत्रालय एक पीएफ विड्रॉल कार्ड जारी करने की योजना बना रहा है. यह एटीएम जैसा कार्ड होगा, जिससे चुटकियों में पीएफ फंड से रकम निकल आएगी.
कब तक होंगे बदलाव
EPFO 3.0 के तहत बदलाव किए जाने हैं, उनके लिए मंत्रालय ने जून 2025 की डेडलाइन तय की है. खासतौर पर आईटी और विड्रॉल से जुड़े सिस्टम को सुधारा जाएगा. रिटायरमेंट फंड मैनेजर के आईटी सिस्टम को वर्ल्ड क्लास बनाया जाएगा. इसके अलावा विड्रॉल लिमिट में भी बदलाव किए जाएंगे. अंशधारक अपने फंड की 50% रकम विड्रॉल कार्ड से कभी भी निकाल पाएंगे. यह उतना ही आसान होगा, जैसे किसी बैंक खाते से एटीएम के जरिये पैसा निकालना होता है.