जमा की तारीख से छह महीने से पहले कोई जमा वापस नहीं लिया जाना चाहिए.
नई दिल्लीः पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट को इंडिया पोस्ट द्वारा प्रस्तावित नेशनल सेविंग्स टाइम डिपॉजिट अकाउंट के रूप में भी जाना जाता है. वे बैंक सावधि जमा और विभिन्न कार्यकालों के समान हैं. पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट सहित छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों की समीक्षा हर तीन महीने में की जाती है.
पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट ( POTD ) पोस्ट ऑफिस भी टाइम डिपॉजिट स्वीकार करता है, जो बैंक एफडी के समान है. आप सावधि जमा (टीडी) को एक, दो, तीन या पांच साल के लिए रख सकते हैं. दस वर्ष से अधिक उम्र का नाबालिग इस योजना में निवेश कर सकता है.
ब्याज का भुगतान सालाना किया जाता है. कोई अधिकतम निवेश राशि नहीं है; न्यूनतम 1000 रुपये है. वार्षिक ब्याज खाताधारक के बचत खाते में जमा किया जाएगा. 5-वर्षीय टीडी के तहत निवेश 1961 के आयकर अधिनियम की धारा 80सी के लाभ के लिए योग्य है. इंडिया पोस्ट एक वर्ष की अवधि के लिए 5.5% की ब्याज दर प्रदान करती है. दो और तीन साल की सावधि जमा के लिए, ब्याज दर क्रमशः 5.7% और 5.8% है. इंडिया पोस्ट 5 साल की अवधि पर 6.7% ब्याज देता है.
टीडी खाते को गिरवी रखना
डाकघर में गिरवीदार के स्वीकृति पत्र के साथ आवश्यक आवेदन पत्र भरकर, एक टीडी खाते को गिरवी रखा जा सकता है या सुरक्षा के रूप में स्थानांतरित किया जा सकता है. इंडिया पोस्ट वेबसाइट के अनुसार, निम्नलिखित प्राधिकरणों को स्थानांतरण और प्रतिज्ञा की जा सकती है;
भारत के राष्ट्रपति/राज्य के राज्यपाल आरबीआई/अनुसूचित बैंक/सहकारी समिति/सहकारी बैंक
निगम (सार्वजनिक / निजी) / सरकार
कंपनी / स्थानीय प्राधिकरण
हाउसिंग फाइनेंस कंपनी
POTD खाते का समय से पहले बंद होना
संबंधित डाकघर में पासबुक के साथ निर्दिष्ट आवेदन पत्र जमा करके डाकघर सावधि जमा खातों को समय से पहले रद्द किया जा सकता है. जमा की तारीख से छह महीने से पहले कोई जमा वापस नहीं लिया जाना चाहिए. यदि कोई टीडी खाता छह महीने के बाद लेकिन एक वर्ष से पहले समय से पहले बंद कर दिया जाता है, तो पीओ बचत खाता ब्याज दर लागू होगी.
VIDEO: कौन से टायर होते हैं ज्यादा फ्यूल एफिशियेंट
दिल्ली से मेरठ आना-जाना महंगा होने जा रहा है. जानकारी के मुताबिक Delhi Meerut Expressway पर एक अप्रैल से लगने वाले टोल टैक्स में बढ़ोतरी हो रही है.
अप्रैल 2024 से देशभर में कई तरह के नियमों में बदलाव होने जा रहा है. वहीं, अब आपको अपने वाहन से सड़क यात्रा करना भी महंगा पड़ेगा. एनएचएआई ने एक अप्रैल से टोल प्लाजा पर नई दरों पर टोल फीस की वसूली करने का निर्देश जारी किया है. पूरे भारत में टोल शुल्क में सात प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की जा रही है. ऐसे में 1 अप्रैल से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल पर भी सफर करना महंगा हो जाएगा, इससे लोगों की जेब पर बोझ बढ़ेगा. आइए बताते हैं कि अब दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे पर सफर करने के लिए आपको कितना टोल टैक्स देना होगा.
टोल टैक्स में कितनी हुई बढ़ोत्तरी?
नेशनल हाइवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की ओर से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे पर टोल टैक्स में करीब 5 से 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की जा सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्राइवेट कारों के लिए 5 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है और अन्य वाहनों के लिए करीब 10 प्रतिशत तक टोल टैक्स बढ़ाया जा सकता है.
कितने हैं एंट्री एग्जिट पाइंट्स?
दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे पर सराय काले खां के बाद इंदिरापुरम, विजय नगर, डासना, रासूलपुर सिकरोड और भोजपुर पांइट्स हैं, जहां से ट्रैफिक आता-जाता है. मेरठ से सराय काले खां के बीच सफर करने पर मौजूदा टोल 160 रुपये है, जबकि एक अप्रैल के बाद इसमें 5 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है.
पहले भी हुई थी बढ़ोतरी
आपको बता दें, साल 2022 में भी टोल टैक्स में बढ़ोतरी की गई थी. उस समय करीब 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई थी, जिसके बाद करीब 10 से 60 रुपये तक टोल टैक्स महंगा हो गया था.
इन एक्सप्रेस-वे पर भी होगा सफर महंगा
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर सफर के दौरान आपको कई जगहों पर टोल टैक्स (दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे टोल चार्ज) देना होगा. निजी वाहन से दिल्ली से जयपुर जाने पर एक तरफ का टोल 585 रुपये होगा. गुरुग्राम सोहना रोड पर स्थित घामडौज टोल प्लाजा, कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे (KMP) पर भी टोल टैक्स बढ़ने जा रहा है. इनमें यूपी और बिहार के भी कई टोल रोड़ शामिल हैं.
मंत्रालय से मंजूरी के बाद बढ़ेगा टोल टैक्स
रिपोर्ट्स के मुताबिक टोल टैक्स को बढ़ाने का प्रस्ताव एनएचएआई की परियोजना कार्यान्वयन इकाई की ओर से 25 मार्च को दिया गया था, लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से मंजूरी मिलने के बाद एक अप्रैल से टोल टैक्स में बढ़ोतरी को लागू किया जा सकता है.
कंपनी की ओर से लाया गया ये एक ओपन एंडेड रिटायरमेंट सॉल्यूशन फंड है, जिसमें 5 साल या रिटायरमेंट की आयु तक (जो भी पहले हो) लॉक-इन है.
लगातार महंगे होते इलाज से लेकर दूसरी चुनौतियों का ध्यान रखते हुए अब ज्यादातर लोग अपने रिटायरमेंट को लेकर निवेश करना शुरू कर देते हैं. इसी कड़ी में पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड ने आज अपने ओपन-एंडेड फंड, पीजीआईएम इंडिया रिटायरमेंट फंड के लॉन्च की घोषणा की है. इस फंड में 5 साल या 60 साल की रिटायरमेंट की उम्र (जो भी पहले हो) तक लॉक-इन की सुविधा मौजूद है.
फंड में कितने से कर सकते हैं शुरू
इस फंड का एग्जिट लोड शून्य है. जबकि लॉक इन पीरियड की बात करें तो वो 5 साल या रिटायरमेंट की आयु (60 साल) तक, जो भी पहले हो वही माना जाएगा. (लॉक इन अवधि तब भी लागू होती है जब निवेशक 5 साल की अनिवार्य लॉक इन अवधि या रिटायरमेंट की आयु, जो भी पहले हो, से पहले पीजीआईएम इंडिया रिटायरमेंट फंड से फंड हाउस के भीतर किसी अन्य योजना में चला जाता है.
योजना से ट्रांसफर-आउट का अनुमति यूनिट के आवंटन की तारीख से 5 साल की लॉक-इन अवधि या 60 साल की रिटायरमेंट की उम्र प्राप्त करने, जो भी पहले हो दी जाएगी और यह अगर कोई एग्जिट लोड है तो उसके अधीन होगी. फंड 26 मार्च से खुल चुका है जबकि 9 अप्रैल को बंद होगा. इस फंड के लिए प्रारंभिक खरीद/स्विच-इन: न्यूनतम 5,000 रुपये/- और उसके बाद 1 रुपये/- के मल्टीपल में किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त न्यूनतम 1,000 रुपये/- और उसके बाद 1 रुपये/- के मल्टीपल में की जा सकती है. एसआईपी के लिए कम से कम 5 इंस्टॉलमेंट और प्रति किस्त कम से कम 1,000 रुपये/- का निवेश जरूरी होगा और उसके बाद 1 रुपये/- के मल्टीपल में कितना भी निवेश किया जा सकता है.
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इन क्षेत्रों में निवेश से मिलेगा बेहतर रिटर्न
फंड का लक्ष्य इक्विटी, इक्विटी संबंधित विकल्पों, आरईआईटी (REITs) और इनविट (InvITs) और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज के मिक्स में निवेश करके निवेशकों को बेहतर रिटर्न देते हुए उनके रिटायरमेंट लक्ष्य को पूरा करना है और उसी के अनुसार आय प्रदान करना है. इस फंड के बारे में बताते हुए पीजीआईएम इंडिया एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ, अजीत मेनन ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद लंबे समय तक जीवित रहना एक ऐसा जोखिम है, जिस पर ज्यादा ध्यान नहीं रहता, लेकिन हर किसी को इसका समाधान खोजने के लिए जूझना पड़ता है.
हमारे जीवन के अधिकांश लक्ष्य जैसे घर बनाना, बच्चों की शिक्षा, पसंद की कार खरीदना ये सब लोन लेकर पूरे किए जा सकते हैं, लेकिन जब रिटायरमेंट की बात आती है तो हम इसे लोन से पूरा नहीं कर सकते. इस प्रकार लोगों के लिए अपने रिटायरमेंट फंड को प्राथमिकता देना जरूरी है.
क्या बोले कंपनी के सीईओ?
पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के सीआईओ विनय पहाड़िया का कहना है कि अलग अलग ग्लोबल एजेंसियों के अनुमान के अनुसार, भारत अगले कुछ साल में सबसे तेजी से बढ़ती जी-20 अर्थव्यवस्था में से एक बनने की ओर आगे बढ़ रहा है. लंबी अवधि में, कॉर्पोरेट आय किसी देश की नॉमिनल जीडीपी में ग्रोथ को ट्रैक करती है और स्टॉक की कीमतें अर्निंग में ग्रोथ को ट्रैक करती हैं. हाई ग्रोथ और बेहत क्वालिटी वाली लार्ज और मिड कैप कंपनियों में निवेश करने का निरंतर अवसर है जो भारत की ग्रोथ स्टोरी का लाभ उठा सकते हैं. ऐसी कंपनियां लंबे समय तक कैपिटल-एफिशिएंट तरीके से तेज ग्रोथ से पूंजी का संयोजन (कंपाउंड कैपिटल) जारी रख सकती हैं. इस तरह से हाई ग्रोथ और अच्छे क्वालिटी वाले शेयरों का एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो एक मजबूत रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद कर सकता है.
नोट: शेयर बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए किसी भी फंड में निवेश करने से पहले अपने सलाहकार से उसे लेकर सलाह जरूर ले लें. इस खबर को पब्लिश करना सिर्फ खबर के माध्यम से जानकारी देना है.
कई लोग इस दुविधा में रहते हैं कि वह घर खरीदना चाहिए या फिर किराए पर ही रहना चाहिए. लोग होम लोन की मदद से घर खरीद रहे हैं. हम आपको बताएंगे कि आपको कितनी सैलरी पर होम लोन लेना चाहिए.
हर किसी का सपना होता है कि एक अपना घर हो, फिर बाकी की चीजें. भारत में घर के साथ इमोशनल एंगल जुड़ा होता है. इसलिए कुछ लोग नौकरी पकड़ते ही सबसे पहले घर या फ्लैट खरीद लेते हैं. खासकर मेट्रो शहरों में ये चलन जोरों पर है. हाल के कुछ वर्षों में ये तेजी से इसलिए संभव हो पाया है कि लोगों को आसानी से होम लोन मिल जाते हैं. डाउन पेमेंट में बचत को झोंक देते हैं, या फिर घरवालों की मदद ले लेते हैं. दरअसल, घर खरीदना या किराये पर रहना, दोनों फैसले आपकी आमदनी पर निर्भर करते हैं. आमदनी और जरूरत के हिसाब से फैसले लेंगे तो वित्तीय तौर पर सोचना नहीं पड़ेगा.
कितनी हो सैलरी
सैलरी इस बात पर निर्भर करेगी कि आप घर कितने का ले रहे हैं. आपकी EMI आपकी सैलरी के 20-25 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. मान लीजिए कि आपको 25 लाख का लोन फाइनेंस कराना है और आपको 8.5 फीसदी के ब्याज पर ऋण मिल रहा है. आपका टेन्योर 20 साल का है. इसका मतलब है कि आपको हर महीने 21,600 रुपये की EMI देनी होगी. इस लिहाज से आपकी सैलरी करीब 1,00,000 रुपये प्रति माह होनी चाहिए.
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50,000 पर न खरीदें घर?
अगर आपकी मासिक सैलरी 50,000 रुपये है तो भी आप प्रति माह 10,000 रुपये की EMI वाला लोन लेकर घर खरीद सकते हैं. हालांकि, इसमें लोन की रकम बेहद कम होगी. संभव है कि आप छोटा घर ही खरीदना चाह रहे हो जिसके लिए आपको केवल 10-12 लाख रुपये के लोन की आवश्यता हो. लेकिन अगर आप इस सैलरी पर 25,00,000 का लोन लेने की सोच रहे हैं तो यह फैसला गलत हो सकता है.
सैलरी के हिसाब से लें फैसला
गौरतलब है कि कुछ लोग पहली नौकरी के साथ ही घर और कार खरीद कर अपने ऊपर EMI की बोझ डाल लेते हैं, जो आगे चलकर बिल्कुल गलत फैसला साबित होता है. इसलिए जरूरत के हिसाब से फैसले लें. कमाई को आधार बनाकर फैसले लेंगे तो वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. एक और काम की बात ये है कि पहली नौकरी के साथ ही अगर सेविंग (Saving) की शुरुआत कर देंगे तो 40 साल की उम्र में आप अपने रिटायरमेंट को लेकर आश्वस्त हो जाएंगे.
इंश्योरेंस कंपनियों के लिए जल्द यूपीआई की तर्ज पर बीमा सुगम प्लेटफॉर्म शुरू होगा. इसमें एक ऐसी जगह पर ग्राहक को ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदने से लेकर क्लेम तक सभी सुविधाएं मिलेंगी.
इंश्योरेंस खदीरने वालों और इंश्योरेंस कंपनियों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. आपको बता दें, इस सेक्टर के लिए जल्द ही एक यूपीआई सिस्टम आने वाला है. भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने इसके लिए अप्रूवल दे दिया है. आईडआरडीएआई ने एक 'बीमा सुगम' प्लेटफॉर्म शुरू करने का फैसला किया है. ये एक ऐसा प्लेटफॉर्म होगा, जहां ग्राहक ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदने से लेकर क्लेम करने तक सारी सुविधाएं आसानी से प्राप्त कर पाएंगे. इंश्योरेंस खरीदने के लिए अभी लोगों को हर कंपनी की वेबसाइट या फिर एजेंट्स से संपर्क करना पड़ता है, लेकिन अब वह सीधे एक ही प्लेटफॉर्म पर जाकर आसानी से अपनी पसंद का इंश्योरेंस खरीद पाएंगे.
क्या है बीमा सुगम?
इंश्योरेंस रेगुलेटरी आईआरडीएआई ने ओएनडीसी की तरफ एक इलेक्ट्रानिक मार्केट प्लेस बीमा सुगम को शुरू करने के लिए अप्रूवल दे दिया है. बीमा सुगम एक इंश्योरेंस इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, जहां सभी इंश्योरेंस कंपनियों की जानकारी मिल जाएगी. यह बीमा के लिए अमेजन जैसा सरकार समर्थित बाजार है, जो पॉलिसीधारकों को प्रीमियम की तुलना करने और जीवन, स्वास्थ्य, मोटर और यात्रा बीमा सहित बीमा उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला खरीदने की अनुमति देता है. यह प्लेटफॉर्म सभी जीवन, स्वास्थ्य और सामान्य बीमा श्रेणियों के बीमा उत्पादों को सूचीबद्ध करने के लिए तैयार है, जो बीमा आवश्यकताओं के लिए एक व्यापक वन-स्टॉप शॉप प्रदान करता है.
आईआरडीएआई के चेयरमैन वे कहा, ये यूपीआई जैसा कदम
इस मार्केट प्लेस पर मालिकाना हक इंश्योरेंस कंपनियों का हो सकता है. बीमा सुगम कंपनियों, प्रोडक्ट्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स को एक प्लेटफॉर्म प्रदान करने के साथ साथ कस्टमर को एक इंश्योरेंस अकाउंट नंबर भी यहां अलॉट किया जाएगा. कस्टमर उस अकांउट नंबर के जरिए एक कंपनी से दूसरी कंपनी में जा सकेंगे. आईआरडीएआई के चेयरमैन देबिश पांडा बीमा सुगम के विषय में कह चुके हैं कि यह इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए यूपीआई जैसा कदम साबित होगा.
क्या सुविधाएं मिलेंगी?
बीमा सुगम के प्लेटफॉर्म पर बीमा खरीदने और बेचने के साथ साथ क्लेम की सुविधा भी मिल सकती है. वहीं, ऑनलाइन डिस्ट्रीब्यूटर भी इस प्लेटफॉर्म का हिस्सा हो सकते हैं. आईआरडीएआई की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह मार्केटप्लेस इंश्योरेंस सेक्टर के सभी हिस्सेदारों के लिए रहेगा. एक ही जगह ग्राहक, बीमादाता, एंजेंट्सआदिउपलब्ध होंगे. इससे पूरे सिस्टम में पारदर्शिता आएगी.
अगर कोई व्यक्ति लोन की ईएमआई चुकाने में मुश्किलों का सामना कर रहा है तो यहां हम उन तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे उसे राहत मिल सकती है.
अगर आपने होम लोन लिया है तो तय तारीख पर EMI जमा करना जरूरी है. लेकिन कई बार ऐसा हो सकता है कि तय तारीख को आपके खाते में पर्याप्त पैसा न बचा हो. यह भी हो सकता है कि आप EMI की किस्त अपने बैंक में डालना भूल गए हों. किसी भी वजह से EMI जमा करने में चूक होने पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है, आइए एक उदाहरण से इसे समझते हैं.
एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले अमित मिश्रा के होम लोन की मासिक किस्त बाउंस हो गयी. उन्हें सैलरी समय से नहीं मिली, जिससे वे घर की मासिक किस्त नहीं भर पाए. आम तौर पर लोन की मासिक किस्त समय पर जमा नहीं होने पर कई तरह के चार्ज लग जाते है. जिस बैंक में आपका अकाउंट है, वह चार्ज लगाता है, वहीं लोन देने वाला वित्तीय संस्थान भी जुर्माना लगाता है. तो यहां जानिए वो तरीके, जिससे आप अपनी समस्या को पूरी तरह से दूर कर सकते हैं.
एरियर EMI को चुनें
आप लोन की मासिक किस्त में हर महीने दिक्कत महसूस कर रहे हैं तो आप मैनेजर से एडवांस EMI की जगह एरियर EMI चुकाने की बात करें. एरियर EMI के तहत पैसा महीने के आखिर में काटा जाता है. इस कारण एरियर EMI में आपको पैसा एकत्रित करने के लिए अधिक समय मिलता है, इससे आपको राहत मिलेगी.
बैंक के नोटिस से न हों परेशान
अगर आपको लोन नहीं चुकाने या मासिक किस्त बाउंस होने को लेकर बैंक से कोई नोटिस मिला है तो परेशान न हों. क्योंकि बैंक अधिकारी आपकी नीयत समझना चाहते हैं. अगर आप किसी वास्तविक दिक्कत की वजह से लोन की मासिक किस्त नहीं चुका पाए तो बैंक से नोटिस मिलने के बाद आपके पास लोन चुकाने के लिए 60 दिन का समय होता है.' अगर इस अवधि के अंदर भी आप लोन नहीं चुकाते तो बैंक आपको एक नया नोटिस भेजेगा. इस फाइनल नोटिस की समय सीमा 30 दिन की होगी.
बैंक अधिकारी को बताएं अपनी दिक्कत
बैंक लोन देने से पहले ग्राहक की कर्ज चुकाने की क्षमता का आंकलन करते हैं. इसके बाद भी अगर आप किसी वित्तीय दिक्कत की वजह से लोन की किस्त नहीं चुका पा रहे हैं, तो आप किस्त बाउंस होते ही लोन देने वाले बैंक में जाएं. उसके मैनेजर से अपनी दिक्कत शेयर करें. आम तौर पर मैनेजर अगली किस्त ध्यान से चुकाने की सलाह देता है. अगर आपकी दिक्कत बड़ी है तो आप कुछ महीने के लिए मासिक किस्त होल्ड करने की बात करें. अगर पैसे की व्यवस्था हो गयी है तो बाउंस हुई किस्त की रकम चुका दें और बैंक के मैनेजर को भरोसा दें कि आगे से ऐसा नहीं होगा.
राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के खाते में लॉग-इन करने की प्रक्रिया में अप्रैल से बड़ा बदलाव होने जा रहा है, PFRDA का कहना है कि इससे एनपीएस खाते की सुरक्षा बढ़ेगी.
यदि आप भी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के लाभार्थी हैं तो आपके लिए बड़ी अपडेट है, NPS की लॉग-इन प्रोसेस में अप्रैल से बड़ा बदलाव होने जा रहा है. इसके लिए दोहरी सुरक्षा व्यवस्था (टू-फैक्टर ऑथिंटिकेशन) लागू होगी. इसमें एनपीएस सदस्यों को आधार सत्यापन और मोबाइल पर आए ओटीपी के जरिए लॉगइन करना होगा. यह नई व्यवस्था एक अप्रैल से लागू हो जाएगी.
टू-फैक्टर ऑथिंटिकेशन हुआ अनिवार्य
पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने हाल ही में टू-फैक्टर ऑथिंटिकेशन को अनिवार्य किया है. नियामक का कहना है कि इससे एनपीएस खाते की सुरक्षा बढ़ेगी. खाते को सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी (CRA) सिस्टम के जरिए संचालित किया जाता है. सीआरए सिस्टम एक वेब आधारित प्लेटफॉर्म है, जिसे एनपीएस से संबंधित कामों के लिए तैयार किया गया है.
लाभार्थी ऐसे कर सकेंगे इस्तेमाल
PFRDA के मुताबिक, आधार आधारित लॉग-इन सत्यापन को NPS सदस्य के यूजर आईडी से जोड़ा जाएगा. इसके बाद आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर आए ओटीपी को भी दर्ज करने के बाद एनपीएस खाते में लॉगइन किया जा सकेगा.
ऐसे बढ़ेगी खाते की सुरक्षा
1. लॉगइन पासवर्ड, आधार सत्यापन और मोबाइल ओटीपी के जरिए आधार से ही खाते को संचालित कर पाएंगे, कोई और इसे संचालित नहीं कर पाएगा.
2. लॉगइन प्रक्रिया के दौरान पांच बार गलत पासवर्ड दर्ज करने पर खाता लॉक हो जाएगा. दोबारा शुरू करने के लिए फिर से नया पासवर्ड बनाना होगा.
3. इसके लिए आईपिन के लिए अनुरोध करना होगा या पहले से दर्ज गुप्त सवालों के उत्तर देने की जरूरत पड़ेगी.
अभी यह है व्यवस्था
वर्तमान में NPS सदस्यों को खाते में लॉग-इन करने के लिए आईडी और पासवर्ड की जरूरत होती है. इनके माध्यम से ही खाते में लॉगइन करने के बाद किसी तरह का बदलाव और निकासी संभव होती है. अभी केंद्र और राज्य सरकारों के नोडल अधिकारी सीआरए (CRA) सिस्टम में लॉग-इन करने के लिए पासवर्ड आधारित व्यवस्था पर निर्भर हैं. इसे और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए इसे आधार और ओटीपी सत्यापन से जोड़ा जाएगा.
अगर आप पासपोर्ट नॉर्मल तरीके से बनवाते हैं तो ये आपको 15 दिन में मिल जाता है. जबकि अगर आप तत्काल में बनवाते हैं तो ये 3 दिन में मिल जाता है.
विदेश यात्रा करने वालों के लिए पासपोर्ट एक सबसे अहम दस्तावेज है. इस दस्तावेज की अहमियत को ऐसे समझा जा सकता है कि विदेशों में किसी भी नागरिक की पहचान का सबसे अहम दस्तावेज पासपोर्ट ही होता है. क्या आपका पासपोर्ट भी एक्सपायर होने जा रहा है तो ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप ऑनलाइन तरीके से कैसे आवेदन कर सकते हैं.
ऐसे करें ऑनलाइन तरीके से आवेदन
- सबसे पहले पासपोर्ट विभाग की वेबसाइट पर जाएं.
-अगर आप पुराने यूजर्स हैं और अपने यूजर आईडी पासवर्ड को जानते हैं तो लॉगिन करें और नए यूजर नए तरीके से लॉगिन करें.
-नए पासपोर्ट के लिए आवेदन/ पासपोर्ट रिन्यू पर क्लिक करें.
-इसके बाद एप्लिकेशन भरें और सभी जानकारी डाल दें.
-इसके बाद वेबसाइट आपसे एक सेल्फ डिक्लेरेशन मांगेगी उसे देने के बाद पेमेंट जमा करें अपने अप्वॉइंटमेंट तय करें.
अगर नया पासपोर्ट अप्लाई करना हो तो
-सबसे पहले अपने मोबाइल में mPassportSeva ऐप को डाउनलोड करें.
-सबसे पहले New User Ragistration पर क्लिक करें.
-रजिस्ट्रेशन करते वक्त आपसे नाम, जन्म तिथि और ईमेल आईडी की जानकारी दें.
-अब कैपाचे डालें और सबमिट कर दें.इसके बाद आपको मेल पर पासपोर्ट विभाग की ओर से मेल मिलेगा जिसमें आपके लिए वेरिफिकेशन कोड होगा. मेल पर जाकर क्लिक करें और फिर लॉगिन करें.
-उसके बाद Apply For Fresh Passport के ऑप्शन पर क्लिक करें.
-इसके बाद अपने नदजीकी पासपोर्ट ऑफिस चुनें और अप्वाइंटमेंट की डेट भी चेक कर लें.
-उसके बाद आपको तय करना होगा कि आपको पासपोर्ट कब चाहिए नार्मल चाहिए या जल्दी चाहिए. अगर अर्जेंट चाहिए तो 3 दिन में मिलेगा और नार्मल चाहिए तो 15 दिन में मिलेगा. नार्मल में पुलिस वेरिफिकेशन पहले होती है और तत्काल में पासपोर्ट आने के बाद होती है.
-इसके बाद अप्वॉइंटमेंट की तारीख भरें, और फिर आपको विभाग की ओर से डेट दी जाएगी. इसके बाद फीस जमा करनी होगी, और कंफर्मेशन के लिए मेल आएगा. आप चाहें तो अपने आईडी प्रूफ और एड्रेस प्रूफ जमा कर सकते हैं.
-इसके बाद तय तारीख पर पासपोर्ट सेंटर जाएं वहां आपके दस्तावेजों की जांच होगी.
-उसके बाद पुलिस आपके घर आकर वेरिफिकेशन करेगी.
-सभी वेरिफिकेशन पूरी होने के बाद आपको 3 दिन में या 15 दिन में पासपोर्ट मिल जाएगा.
-अगर आप 10 साल की वैलिडिटी वाला 36 पेज का पासपोर्ट चाहते हैं तो आपको 1500 रुपये देने होंगे.
- 60 पेज के नए पासपोर्ट के लिए आपको 2000 रुपये देने होंगे.
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EPF के लिए यूनिफाइड पोर्टल पर कर्मचारी अपनी गलती को सुधार सकते हैं. इसके लिए आपको कहीं भाग दौड़ करने की जरूरत नहीं है.
कर्मचारियों को एम्पलॉई प्रोविडेंट फंड (Employees Provident Fund - EPF) में योगदान करना जरूरी है. कुछ लोगों के PF स्टेटमेंट में नाम या बर्थडेट और आधार (Aadhaar Card) में दी गई जानकारी से मेल नहीं खाती है. ऐसा होने पर EPF खाते से फंड निकालते वक्त आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन आप उसे बदल सकते हैं. ईपीएफओ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सदस्य यूनिफाइड पोर्टल पर जाकर सदस्य अपनी गलती को सुधार सकते हैं.
कर्मचारी 11 तरह के कर सकते हैं बदलाव
EPF मेंबर इस फॉर्म के जरिए अपने प्रोफाइल में 11 तरह के बदलाव कर सकते हैं. उदाहरण के लिए EPF मेंबर नाम, लिंग, जन्मतिथि, माता-पिता का नाम, संबंध, वैवाहिक स्थिति, शामिल होने की तारीख, छोड़ने की तारीख, छोड़ने का कारण, आधार संख्या आदि शामिल हैं.
कितनी बार किया जा सकता है सुधार
EPFO के नए सर्कुलर के अनुसार, एक ईपीएफ सदस्य को आम तौर पर 11 मापदंडों में से पांच को सही या अपडेट करने की अनुमति दी जा सकती है, भले ही कई आवेदन जमा किए गए हों. हालांकि, यदि पाँच से अधिक परिवर्तन किए गए हैं, तो भविष्य में फ्रॉड से बचने के लिए आवेदन प्रोसेस करने से पहले विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. जानकारी के अनुसार 11 पैरामीटर्स में से सिर्फ मैरिटल स्टेटस को दो बार चेंज किया जा सकता है. बाकी पैरामीटर्स में सिर्फ एक ही बार बदलाव किया जा सकता है.
कैसे कर सकते हैं बदलाव?
1. सबसे पहले EPFO की आधिकारिक वेबसाइट epfoindia.gov.in. पर विजिट करें.
2. इसके बाद सर्विस सेक्शन में जाकर 'For Employees' कैटेगरी को क्लिक करना होगा.
3. इसके बाद एक नया वेबपेज https://www.epfindia.gov.in/site_en/For_Employees.php खुलेगा.
4. इस वेबपेज के सर्विस सेक्शन में जाएं और मेंबर UAN/ ऑनलाइल सर्विसेज को क्लिक करें.
5. जैसे ही आप यह विकल्प चुनते हैं, एक नया वेबपेज खुलता है जो मेंबर इंटरफेस है.
6. इसके बाद आपको UAN, पासवर्ड और कैप्चा एंटर करना होगा. इसके बाद 'मैनेज' ऑप्शन पर क्लिक करें.
7. जैसे ही आप क्लिक करते हैं वहां 'ज्वाइंट डिक्लेरेशन' का विकल्प होता है.
8. अब आपको मेंबर आईडी एंटर करना होगा और फिर आप डिटेल एक्सेस कर सकेंगे.
9. अब आप बदलाव करने के लिए दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं। इसका विकल्प आपको दिख जाएगा.
10. एक बार रिक्वेस्ट सबमिट हो जाने के बाद, यह नियोक्ता लॉगिन में दिखाई देगा. इसका एक ईमेल ऑटोमैटिक रूप से नियोक्ता के रजिस्टर्ड ईमेल एड्रेस पर भी भेजा जाएगा. बता दें कि मेंबर केवल उन्हीं मेंबर अकाउंट के डेटा को सही करवा सकता है जो उसके वर्तमान नियोक्ता द्वारा तैयार किए गए हैं.
11. बता दें कि कर्मचारियों के पीएफ खातों में दर्ज की गई गलत जानकारी को अपडेट करने के लिए नियोक्ता हस्ताक्षर करके क्षेत्रीय पीएफ आयुक्त को सौंपता है.
EPF खाते से जुड़ेगा आधार
जो जानकारी आपके आधार पर होगी. वहीं आपके ईपीएफ खाते में जोड़ी जाएगी. ताकी आगे भी किसी भी तरह की आपको समस्या ना हो. इसलिए अगर आपके आधार कार्ड में किसी तरह की गलतियां हैं, तो पहले उसे सही करा लें फिर ईपीएफ खाता में अपने नाम और जन्मतिथी को बदलें.
मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होने में अब कुछ ही समय बाकी रह गया है, अगर आप इनकम टैक्स से सेविंग करना चाहते हैं तो ये टिप्स आपको सेविंग में काफी मदद कर सकती हैं.
मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होने में अब कुछ ही समय बाकी रह गया है और ज्यादातर टैक्सपेयर्स अपनी फाइनेंसियल प्लानिंग में जुट गए हैं. अगर आपने अभी तक टैक्स सेविंग (Tax Saving) को लेकर प्लानिंग नहीं की है और इस बारे में सोच रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं ऐसे टिप्स जिनकी सहायता से आप इन्कम टैक्स में से सेंविग कर सकते हैं.
Income Tax Act की धारा 80सी के तहत करें Savings
इन्कम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत तनख्वाह में से कटने वाला आपका प्रॉविडेंट फंड, 80CCC के तहत पेंशन फंड में जमा कराई गई राशि, जीवन बीमा पॉलिसी का जमा करवाया प्रीमियम, NSC, यानी राष्ट्रीय बचत पत्र में किया गया निवेश, पुराने NSC का Accrued ब्याज, PPF, यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड या लोक भविष्य निधि में किया गया निवेश आदि योजनाओं में किए गए निवेश पर कुल 1,50,000 रुपये की छूट दी जाती है.
अपने लिए सही टैक्स व्यवस्था चुनें
अब पिछले तीन-चार साल से इन्कम टैक्स कैलकुलेट करने और चुकाने के लिए दो-दो व्यवस्थाएं मौजूद हैं, जिन्हें पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) और नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) कहा जाता है. पुरानी कर व्यवस्था में ये सभी छूट दी जाती हैं, लेकिन टैक्स स्लैब, यानी इनकम टैक्स की दरें कुछ ज़्यादा होती हैं. नई कर व्यवस्था में अधिकतर छूट नहीं दी जाती हैं, लेकिन टैक्स की दरें काफी कम होती हैं. इसलिए, बहुत तसल्ली से हिसाब लगाकर ही तय करें कि आपकी बचत कितनी है, कुल कितनी छूट आपको मिल सकती है
EPF में करें बढ़ोत्तरी
एम्पलॉई प्रोविडेंट फंड या EPF में भी टैक्स बचाने का एक बेहतर विकल्प होता है. पीएफ अकाउंट के तहत वेतनभोगी कर्मचारियों को रिटर्न, इन्वेस्टमेंट और टैक्स छूट का लाभ मिलता है. इस फंड को रिटायरमेंट के बाद निकाल सकते हैं.
होम लोन पर प्राप्त करें लाभ
बहुत-से नौकरीपेशा लोग घर खरीदने के लिए होम लोन लेते हैं, जिसकी EMI लगातार चुकानी पड़ती है. उस EMI में बैंक को दी गई ब्याज की रकम में से 2,00,000 रुपये सालाना तक की रकम पर टैक्स छूट हासिल की जा सकती है. यानी आप अपनी कुल EMI में जितना ब्याज दे रहे हैं, उसमें से 2,00,000 रुपये की रकम टैक्स फ्री है. इसके इतर जो लोग फिलहाल घर नहीं खरीद पाए हैं, और किराये के मकान में रहते हैं, वे भी मकान किराये की रसीद देकर इन्कम टैक्स में छूट पा सकते हैं.
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलेगी छूट
अगर आप 60 वर्ष से कम आयु के हैं, और अपने लिए, जीवनसाथी के लिए या आश्रित बच्चों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम चुका रहे हैं, तो आपको 25,000 रुपये तक की रकम पर इन्कम टैक्स में छूट मिल सकती है.
जीवन बीमा पर टैक्स छूट
अगर आपने किसी तरह की जीवन बीमा पॉलिसी, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) या अन्य किसी भी कंपनी से लिया है और उसके प्रीमियम का रेगुलर भुगतान करते हैं तो आप टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं. जीवन बीमा योजनाओं के तहत आप 1.5 लाख रुपये सालाना तक की सेविंग कर सकते हैं.
वित्त वर्ष 2023-24 खत्म होने में कुछ ही दिन बचे हैं. अगर आपको इनकम टैक्स में छूट का लाभ लेना है, तो पहले से ही प्लानिंग कर लेनी चाहिए. सही प्लानिंग से आप अपने टैक्स की बचत कर सकते हैं.
इनकम टैक्स (Income Tax) डिपार्टमेंट देश में हर टैक्सपेयर को टैक्स के नियमों का पालन करने को प्रोत्साहित करता है. अगर आप इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आपको बड़ा नुकसान हो सकता है. टैक्स डिपार्टमेंट कई पहलुओं पर असेसमेंट करता है, जिससे फाइनेंशियल प्लानिंग करना आसान हो जाती है. टैक्स प्लानिंग में आपको कई सावधानियां भी बरतनी चाहिए, नहीं तो आप टैक्स छूट के लाभ से दूर हो सकते हैं. आइए जानते हैं क्या है यह सावधानियां
80C का लाभ लेकर इतनी करें बचत
टैक्सपेयर्स के पास 80C के तहत टैक्स बचाने का आप्शन है, इसके तहत पीपीएफ(PPF), ईलएसएस (ELSS), एनएससी(NSC) और ईपीएफ(EPF) जैसे आप्शन में निवेश पर पैसा बचा सकते हैं. अगर इसी बारीकियों के बारे में न पता हो, तो ज्यादा टैक्स बचाने से भी चूक सकते हैं. टैक्स फाइल करते समय इस तरीके की गलतियों से बचना चाहिए. इनकम टैक्स अधिनियम की 80C के तहत सार्वजनिक भविष्य निधि ( PPF), इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (NSC) और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) का फायदा उठाकर आप 1.5 लाख तक बचा सकते हैं.
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलेगी छूट
अगर आप 60 वर्ष से कम आयु के हैं और अपने लिए, जीवनसाथी या आश्रित बच्चों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम चुका रहे हैं, तो आपको 25,000 रुपये तक की रकम पर इन्कम टैक्स में छूट मिल सकती है, लेकिन इसी के साथ यदि आपके माता-पिता की आयु 60 वर्ष से अधिक है और आप उनके लिए भी प्रीमियम चुका रहे हैं, तो 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त छूट आप पा सकते हैं. इनकम टैक्स एक्ट की इसी धारा के तहत अगर आपकी उम्र भी 60 वर्ष से अधिक है, तो आप अपने लिए भी 25,000 रुपये के स्थान पर 50,000 रुपये तक के प्रीमियम पर छूट हासिल कर सकते हैं.
मकान किराया भत्ते (HRA) या होम लोन पर चुकाए ब्याज पर हासिल छूट
बहुत-से नौकरीपेशा लोग घर खरीदते हैं, तो होम लोन लिया करते हैं, जिसकी EMI लगातार चुकानी पड़ती है. उस EMI में बैंक को दी गई ब्याज की रकम में से 2,00,000 रुपये सालाना तक की रकम पर टैक्स छूट हासिल की जा सकती है. यानी आप अपनी कुल EMI में जितना ब्याज दे रहे हैं, उसमें से 2,00,000 रुपये की रकम टैक्स फ्री है. इसके इतर जो लोग फिलहाल घर नहीं खरीद पाए हैं, और किराये के मकान में रहते हैं, वे भी मकान किराये की रसीद देकर इन्कम टैक्स में छूट पा सकते हैं
नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश
धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट के अलावा राष्ट्रीय पेंशन योजना, यानी NPS में किए गए निवेश पर आपको 50,000 रुपये की छूट (इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80CCD1B) मिल सकती है, अगर आपके पास बचत के लिए पर्याप्त रकम है, तो इस योजना में निवेश जरूर करें. इससे न केवल आप हर साल किए गए निवेश पर इन्कम टैक्स बचा सकेंगे, बल्कि रिटायरमेंट के बाद आपको पेंशन का सुख भी मिलेगा.
समय से जमा करें टैक्स और वक्त पर दाखिल करें ITR
हर वित्तवर्ष में हुई कमाई पर टैक्स अदा करने के बाद आयकर विभाग से अपने हिसाब-किताब को साझा करना पड़ता है, जिसे इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करना कहते हैं. किसी भी वित्तवर्ष के लिए उसी साल ITR दाखिल करनी होती है, लेकिन इस तारीख को कभी-कभी बढ़ा भी दिया जाता है. लेकिन याद रहे, अगर आपकी कोई टैक्स देनदारी उस वक्त सामने आती है और टैक्स की उस रकम को आपने 31 मार्च से पहले जमा नहीं करवाया, तो उस रकम पर आपको ब्याज भी देना पड़ता है और कुछ जुर्माना भी देना पड़ेगा.