कौन हैं साइरस मिस्त्री के अंतिम संस्कार में पहुंचीं ये महिला, क्यों हो रही है चर्चा?

साइरस मिस्त्री को अंतिम विदाई देने के लिए उद्योग जगत की कई हस्तियां मौजूद रहीं. उद्योगपति अनिल अंबानी ने भी साइरस मिस्‍त्री को भावभीनी श्रद्धांजल‍ि दी.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 07 September, 2022
Last Modified:
Wednesday, 07 September, 2022
साइरस मिस्त्री के अंतिम संस्कार में पहुंचीं रतन टाटा की सौतेली मां.

टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के अंतिम संस्कार में व्हील चेयर पर पहुंचीं एक बुजुर्ग महिला को देखकर सबकी निगाहें उन्हीं पर टिक गईं. इसकी वजह है उनका रतन टाटा से खास रिश्ता. दरअसल, यह महिला कोई और नहीं बल्कि रतन टाटा की सौतेली मां सिमोन टाटा हैं. 

इसलिए हो रही चर्चा
साइरस मिस्त्री के अंतिम संस्‍कार में सिमोन टाटा की उपस्थिति इसलिए भी चर्चा का विषय रही, क्योंकि टाटा परिवार और साइरस मिस्‍त्री में लंबी लड़ाई चली थी. मिस्‍त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से बर्खास्‍त कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने अदालत का रुख किया और एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. हालांकि, इसका परिणाम उनके पक्ष में नहीं रहा.

कई हस्तियां रहीं मौजूद
साइरस मिस्त्री को अंतिम विदाई देने के लिए उद्योग जगत की कई हस्तियां मौजूद रहीं. उद्योगपति अनिल अंबानी ने भी साइरस मिस्‍त्री को भावभीनी श्रद्धांजल‍ि दी. इसके अलावा, बिजनेसमैन रोनी स्‍क्रूवाला और उनकी पत्‍नी जरीना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले भी वहां मौजूद रहीं. मिस्त्री का पार्थिव शरीर सफेद फूलों से सजे वाहन में जे जे अस्पताल से लाया गया और मंगलवार सुबह से वर्ली शवदाह गृह में रखा गया था, ताकि मित्र और रिश्तेदार उनके अंतिम दर्शन कर सकें.

ये है रिश्ता
साइरस मिस्त्री अपने पिता के छोटे बेटे थे. साइरस की दो बहनें हैं, जिनका नाम लैला और अल्लू है. अल्लू की शादी रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा से हुई थी. सिमोन टाटा नोएल टाटा की मां हैं. साइरस मिस्त्री की गुजरात से मुंबई आते समय सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. इस हादसे में उनके दोस्त की भी जान चली गई, जबकि दो लोग घायल हुए हैं. बता दें कि टाटा ग्रुप के सर्वेसर्वा रतन टाटा मिस्त्री के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचे.  

कौन हैं सिमोन टाटा?
सिमोन टाटा रिश्ते में रतन टाटा की सौतेली मां हैं, लेकिन उनकी अपनी एक अलग पहचान है. लैक्मे लिमिटेड को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने को श्रेय उन्हें ही जाता है. माना जाता है कि टाटा परिवार महिलाओं के कारोबार में उतरने को लेकर ज्यादा सहज नहीं रहा, ऐसे में सिमोन के लिए बतौर बिज़नेस वुमन खुद को स्थापित करना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने यह मुश्किल काम आसानी से कर दिखाया. स्विट्जरलैंड में जन्मीं सिमोन टूरिस्ट के तौर पर 1953 में भारत आई थीं. यहां उनकी मुलाकात नवल टाटा से हुई और फिर दोनों ने शादी रचा ली. इसके बाद सिमोन परिवार के साथ मुंबई में ही रहने लगीं. 1962 में वह लैक्मे लिमिटेड के बोर्ड में शामिल हुईं और 1964 में कंपनी की प्रबंध निदेशक बनीं. 1982 में उन्होंने अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला. 1989 में उन्हें टाटा इंडस्ट्री के बोर्ड में शामिल किया गया. रिटेल सेक्टर में विकास को देखते हुए 1996 में टाटा ने लैक्मे को हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड को बेच दिया और इससे जो पैसा आया उससे 'ट्रेंट' की स्थापना की गई. सिमोन टाटा 30 अक्टूबर 2006 तक इसकी गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में काम करती रहीं. बता दें कि ट्रेंट टाटा ग्रुप की एक रिटेल कंपनी है.