सड़क हादसे रोकने के लिए 500 करोड़ खर्च करेगी UP सरकार, ये है प्लान

यूपी कैबिनेट की बैठक में फैसला हुआ है कि वाहनों की फिटनेस जांच अब मैन्युअल नहीं बल्कि मशीनों से की जाएगी और इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा.

Last Modified:
Friday, 02 September, 2022
फाइल फोटो

सड़क हादसों में हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत होती है. इस हादसों की एक प्रमुख वजह है सड़कों पर दौड़ते अनफिट वाहन. इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने वाहनों की फिटनेस जांच प्रक्रिया बदलने का निर्णय लिया गया है. अब हर जिले में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (ATS) स्थापित किए जाएंगे. ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन बनाने पर सरकार 500 करोड़ रुपए खर्च करेगी. इस पहल से जहां वाहनों की फिटनेस की सही जांच हो सकेगी, वहीं युवाओं को रोज़गार भी मिलेगा.

मैन्युअल नहीं होगी जांच
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूपी कैबिनेट की बैठक में फैसला हुआ है कि वाहनों की फिटनेस जांच अब मैन्युअल नहीं बल्कि मशीनों से की जाएगी और इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा. इसके लिए हर जिले में PPP मोड के जरिए ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों (ATS) तैयार किए जाएंगे. इन स्टेशनों को एक साल के अंदर बनाया जाएगा. यूपी सरकार ने इसके लिए 500 करोड़ रुपए खर्च करेगी. बता दें कि राज्य सरकार के ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन लखनऊ, कानपुर और आगरा में प्रस्तावित हैं.  .

गड़बड़ी की आशंका होगी खत्म
सरकार का कहना है कि हर जिले में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों के स्थापित होने से प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे. इस पहल से जहां सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी, वहीं वाहनों की टेस्टिंग की प्रक्रिया में भी तेजी आएगी. साथ ही टेस्टिंग में पारदर्शिता आने के साथ अनियमितता की संभावना भी कम हो जाएगी. गौरतलब है कि हर साल बड़ी संख्या में लोगों की सड़क हादसों में मौत होती है. इसके कई कारण हैं, जिनमें ख़राब सड़कें और अनफिट वाहन भी शामिल हैं.

यहां हुईं सबसे ज्यादा मौतें 
सड़क हादसों में होने वाली मौतों के हिसाब से उत्तर प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है. वहीं, यूपी में पहले नंबर पर कानपुर आता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वर्ष 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे प्रदेश में सड़क हादसों के कारण सबसे ज्यादा मौतें कानपुर में हुई हैं. यहां 1373 लोगों ने जान गंवाई है. दूसरे नंबर पर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है. इसी तरह से तीसरे नंबर पर वाराणसी और चौथे पायदान पर गाजियाबाद है.  रिपोर्ट में देश के 53 प्रमुख शहरों का जिक्र है. पूरे देश की बात करें, तो कानपुर सड़क हादसे में हुई मौतों के मामले में 10 नंबर पर है.