नहीं रहे मुलायम सिंह यादव, एक रक्षा मंत्री के तौर पर नेताजी का योगदान कोई नहीं भूल सकता

उनके रक्षा मंत्री बनने का सफर भी काफी दिलचस्प रहा है. 90 के दशक के दौरान उत्तर प्रदेश की सत्ता से हटने के बाद मुलायम सिंह के राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह की बातें कही जाने लगीं

Last Modified:
Monday, 10 October, 2022
MULAYAM SINGH YADAV

एक पहलवान, एक अध्यापक, एक समाजवाादी नेता, एक मुख्यमंत्री, एक रक्षा मंत्री....मुलायम सिंह यादव के कई रूप है. साइकिल की सवारी करते करते उन्होंने संसद तक का सफर तय किया. वो तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और देश के रक्षा मंत्री भी रहे. राजनीतिक अखाड़े के पहलवान के नाम से मशहूर मुलायम 55 साल तक राजनीति में सक्रिय रहे. कई ऐसे फैसले लिये जिसके लिये उन्हें सराहा गया, और कई ऐसे फैसले भी लिये गये जिनकी उन्हें तीखी प्रतिक्रिया भी झेलनी पड़ी. 

नहीं रहे नेताजी

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का आज गुरुग्राम के अस्पताल में निधन हो गया. उन्होंने सोमवार सुबह 8.16 बजे आखिरी सांस ली. उन्हें 22 अगस्त को मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था. तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एक अक्टूबर को आईसीयू में भर्ती कराया गया था. उनका ऑक्सीजन स्तर काफी कम हो गया था, उन्हें यूरिन संक्रमण, चेस्ट इंफेक्शन और सांस लेने में भी दिक्कत थी. 

पहलवानी से राजनीति का सफर

मुलायम सिंह यादव की जिंदगी किसी फिल्म के हीरो की तरह रही है, मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के एक छोटे से गांव सैफई में 22 नवंबर 1939 को एक किसान परिवार में पैदा हुए थे. पहलवानी का शौक बचपन से ही था, बाजुओं में इतनी ताकत थी कि अपने से ऊंचे कद के पहलवानों को भी धूल चटा देते थे. उनके पिता भी मुलायम सिंह को पहलवानी ही करते हुए देखना चाहते थे. लेकिन वो पढ़ाई करने के लिए आगरा यूनिवर्सिटी चले गये, जहां उन्होंने पॉलिटिकिल साइंस से मास्टर डिग्री हासिल की. उनके ऊपर राम मनोहर लोहिया का इतना प्रभाव था कि वो 15 साल की छोटी से उम्र में ही राजनीति के संपर्क में आ गये. 1962 के दौर में प्रदेश में पहली बार छात्र संघ के चुनाव की घोषणा हुई और राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले मुलायम सिंह ने ये मौका हाथ से जाने नहीं दिया चुनाव लड़कर छात्र संघ के पहले अध्यक्ष बन गए. 

सिर्फ 28 साल की उम्र में बने विधायक

वो यहीं नहीं रुके, उनकी विधायक नत्थू सिंह से करीबियां बढ़ीं, जिसका फायदा उन्हें मिला. नत्थू सिंह ने 1967 के विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर की अपनी सीट छोड़कर मुलायम को सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ाया, मुलायम सिंह यादव ने यहां भी झंडे गाड़ दिये, महज 28 साल की उम्र में विधायक बन गए. इसके बाद उनका राजनीतिक सफर कामयाबी की बुलंदिया चढ़ता गया. वो तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, इसके बाद केंद्र में रक्षा मंत्री भी बने. 

रक्षा मंत्री बनने की कहानी 

उनके रक्षा मंत्री बनने का सफर भी काफी दिलचस्प रहा है. 90 के दशक के दौरान उत्तर प्रदेश की सत्ता से हटने के बाद मुलायम सिंह के राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह की बातें कही जाने लगीं, लेकिन मुलायम सिंह राजनीति के कच्चे खिलाड़ी नहीं थे, मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश की राजनीति से आगे केंद्र की ओर कदम बढ़ा दिया. समाजवादी पार्टी को 1996 लोकसभा चुनाव में 17 सीटें मिली. 13 दिन में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई. एचडी देवगौड़ा देश के नए प्रधानमंत्री बने. मुलायम सिंह इस सरकार में रक्षा मंत्री बनाए गए.
 
मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री से रक्षा मंत्री तो बने ही, एक समय ऐसा भी आया जब वो प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर भी बड़ा चेहरा बन गये थे, लेकिन परिस्थितियों ने साथ नहीं दिया. रक्षा मंत्री के तौर पर मुलायम सिंह की कई उपलब्धियां रहीं हैं. एच डी देवेगौड़ा और इन्द्र कुमार गुजराल की सरकार में 1996 से 1998 के दौरान मुलायम सिंह यादव दो साल तक भारत के रक्षा मंत्री रहे. इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिये जिससे खुद सेना की ओर से ही उन्हें सर्वश्रेष्ठ रक्षा मंत्री का सम्मान दिया गया. चलिये आपको बताते हैं रक्षा मंत्री के तौर पर मुलायम सिंह यादव के वो फैसले जिससे उन्हें याद रखा जाएगा

रक्षा मंत्री केे तौर पर लिये बड़े फैसले 

आज जब हम देखते हैं कि किसी गांव का बेटा जो देश के नाम पर मर मिटा और उसका पार्थिव शरीर गांव लाया जाता है तो उसके लिए पूरा गांव उमड़ पड़ता है, ये नेताजी की ही देन है. ये मुलायम सिंह यादव ही थे जिन्होंने सेना में शहीद हुए जवानों को उनके घर भेजने का चलन शुरू किया, पहले सैनिक के घर उसकी टोपी, मेडल ही जाती थी और बैरक में उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता था. यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही थी. मुलायम ने विधवाओं को पति के अंतिम दर्शन की व्यवस्था की.

नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव वो पहले रक्षा मंत्री थे, जो देश के वीर जवानों का हौसल बढ़ाने के लिए सियाचिन ग्लेशियर पर गए थे. कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया जाता है कि जब तक मुलायम सिंह रक्षा मंत्री रहे पाकिस्तान और चीन ने कभी सीजफायर तोड़ने की हिमाकत नहीं की. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि रक्षा मंत्री रहते उन्होंने चीन के मोर्चे पर काफी काम किया था. यही नहीं सितंबर 2013 में उन्होंने दावा किया था कि वे चीन की सीमा में चार किमी तक पैदल चल गए थे और किसी ने उन्हें नहीं रोका था, यानी उनके महज दो साल के कार्यकाल के दौरान भारतीय सेना ने चीन को 4 किलोमीटर पीछे ढकेल दिया था.