IT Hub कहा जाने वाला ये शहर आज ही के दिन बना था भारत का हिस्सा 

भारत लगातार हैदराबाद के विलय के प्रयास में लगा था, लेकिन निजाम उस्मान अली खान आसिफ कुछ और ही चाहते थे.

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Saturday, 17 September, 2022
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भारतीय अर्थव्यवस्था में हैदराबाद का अहम योगदान है. हैदराबाद दक्षिण भारत में उभरता हुआ औद्योगिक केंद्र और आईटी हब है. आज ही के दिन यानी 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद का भारत में विलय हुआ था. हालांकि यह विलय आसान नहीं था. इसके लिए काफी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा था. दरअसल, देश की आजादी के बाद अधिकतर रजवाड़े भारत में शामिल हो गए थे, लेकिन हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर इसके लिए तैयार नहीं थे. ये अलग देश के रूप में मान्यता पाना चाहते थे.

ये चाहते थे निजाम
राष्ट्रीय उत्पादन की दृष्टि से हैदराबाद की गिनती सबसे राजघरानों में होती थी, इसलिए भारत में इसका विलय बेहद महत्वपूर्ण था. लेकिन हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान आसिफ न पाकिस्तान और न ही भारत में शामिल होना चाहते थे. भारत छोड़ने के समय अंग्रेजों ने हैदराबाद को स्वतंत्र राज्य बने रहने का भी प्रस्ताव दिया था. हैदराबाद में निजाम और सेना में वरिष्ठ पदों पर मुस्लिम थे, लेकिन वहां की ज्यादातर आबादी हिंदू. वहां के निजाम ने ब्रिटिश सरकार से हैदराबाद को राष्ट्रमंडल देशों के तहत स्वतंत्र राजतंत्र का दर्जा देने का आग्रह किया था, लेकिन ब्रिटिश निजाम के इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुए.

पटेल चाहते थे कड़ी कार्रवाई
भारत लगातार हैदराबाद के विलय के प्रयास में लगा था, लेकिन उस्मान अली खान आसिफ ना-नुकुर किए जा रहे थे. इसके बाद भारत के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने उनसे सीधे भारत में विलय का आग्रह किया. मगर निजाम ने इसके उलट 15 अगस्त 1947 को हैदराबाद को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया. इस फैसले ने भारत और हैदराबाद के बीच की खाई को चौड़ा कर दिया. पटेल कड़ी कार्रवाई चाहते थे, लेकिन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू शांतिपूर्ण समाधान के रुख पर कायम थे.

आख़िरकार बोल दिया हमला  
इस बीच, यह खबरें आने लगीं कि हैदराबाद के निजाम हथियार खरीदने और पाकिस्तान के साथ सहयोग की कोशिशों में लगे हैं. इस पर नाराज़ सरदार पटेल ने कहा कि हैदराबाद भारत के पेट में कैंसर के समान है और इसका समाधान सर्जरी से ही होगा. इसके बाद हैदराबाद पर सैन्य कार्रवाई का फैसला लिया गया. 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना ने हैदराबाद पर हमला बोला. इस कार्रवाई को 'ऑपरेशन पोलो' का नाम दिया गया, क्योंकि उस समय हैदराबाद में दुनिया में सबसे ज्यादा 17 पोलो के मैदान थे. 17 सितंबर की शाम को हैदराबाद की सेना ने हथियार डाल दिए और हैदराबाद भारत का हिस्सा बन गया.