Failed Startup Stories: कामयाबी की ऊंचाई पर पहुंचकर क्यों फेल हुई Shuttl

कंपनी की जबरदस्त फंडिंग मिली तो उसने कई शहरों में विस्तार किया, दिल्ली-एनसीआर, कोलकाता, पुणे, मुंबई, हैदराबाद और चेन्नई में अपनी सर्विसेज शुरू की.

Last Modified:
Saturday, 08 October, 2022
SHUTTL

भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप ईको-सिस्टम है, बावजूद इसके 10 में से 8 स्टार्टअप अपने शुरुआती 5 साल में ही फेल हो जाते हैं. हम आज से एक नई सीरीज की शुरुआत कर रहे हैं, जिसमें हम उन स्टार्टअप के फेल होने की कहानी बताएंगे, वो क्यों फेल हुए इसका विश्लेषण करेंगे, फेल होने के कारणों को समझेंगे. 

Shuttl की शुरुआत
इस कड़ी में आज हम सबसे पहले बात करेंगे ऑफिस शटल सर्विस देने वाले स्टार्टअप Shuttl की. साल 2015 में दो IITians अमित सिंह और दीपांशु मालवीय ने इसकी शुरुआत की थी. गुरुग्राम में इसका ऑफिस था, ये एक बस एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म है. आइडिया था कि शहरों में ऑफिस जाने वालों के लिए ऐप बेस्ड AC बस की सर्विस देना. लोग ऐप का इस्तेमाल करके अपनी टाइमिंग के हिसाब से अपनी सीट बुक कर सकते हैं. बस उनके घर आती है और ऑफिस तक ड्रॉप करती है. मेट्रो शहरों के लिए ये सर्विस काफी पॉपुलर हुई. दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरू में कंपनी का बढ़िया रिस्पॉन्स मिल रहा है. ये लोकल ट्रेनों और लोकल बसों से काफी सुविधाजनक थी. लोगों को ऑटो, टैक्सी के चक्कर से भी निजात दिलाता था. 

Shuttl के फाउंडर्स अमित सिंह और दीपांशु मालवीय

Shuttl को मिली जबरदस्त फंडिंग
आइडिया अच्छा था इसलिए चल निकला, कंपनी ने 122 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई. इस स्टार्टअप में दुनिया के कई निवेशकों ने अपनी भरोसा जताया, जिसमें Sequoia Capital, Amazon Alexa Fund, Toyota Tsusho, SIG Global India Fund, और NAV.VC जैसे निवेशक शामिल थे. साल 2020 में कंपनी ने SIG Global India Fund से 57 करोड़ रुपये की फंडिंग हासिल की. कंपनी की जबरदस्त फंडिंग मिली तो उसने कई शहरों में विस्तार किया, दिल्ली-एनसीआर, कोलकाता, पुणे, मुंबई, हैदराबाद और चेन्नई में अपनी सर्विसेज शुरू की. हर दिन वो 150 से भी ज्यादा रूट्स पर कंपनी ऑपरेट करती थी, रोजाना 2000 से ज्यादा बसें चलती थीं और एक लाख से ज्यादा राइड्स एक दिन में होती हैं. कंपनी की योजना विदेशों में भी यही सर्विस शुरू करने की थी. बैंकॉक से इसकी शुरुआत भी हुई. 

इसलिए फेल हुई Shuttl 
ये आंकड़े काफी शानदार थे, ये बताने के लिए कि  Shuttl कामयाबी के रास्ते पर दौड़ पड़ी है, लेकिन तभी आई कोरोना महामारी, जिसने Shuttl के पहियों पर ऐसा ब्रेक लगाया कि वो फिर कभी चल नहीं सकी. कोरोना की पहली लहर जब आई तो कंपनी ने अपने ऑपरेशन में कटौती की, लेकिन जैसे तैसे वो अपना काम करते रहे, क्योंकि लोगों का ऑफिस जाना बंद हो गया था, और कंपनी का पूरा बिजनेस ही इसी एक आइडिया पर टिका था. जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो कंपनी ने की हालत बद से बदतर हो गई. कंपनी ने भी अपने हाथ खड़े कर दिये. साल 2020 के जून महीने में कंपनी के को-फाउंडर ने कंपनी को बेचने का ऐलान कर दिया. ऑनलाइन बस टिकटिंग स्टार्टअप Chalo ने अक्टूबर 2021 में Shuttl को काफी कम कीमत पर खरीद लिया. Shuttl ने निवेशकों से 122 मिलियन डॉलर जुटाये थे, सभी निवेशकों को भारी भरकम घाटे के साथ कंपनी से बाहर निकलना पड़ा. 

कई बार बिजनेस में कुछ ऐसी गलतियां होती हैं जिसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, Shuttl का केस भी कुछ ऐसा ही है. अगर कोरोना महामारी नहीं आई होती तो आज की तारीख में Shuttl एक बेहद कामयाब कंपनी होती.