आजादी के उत्सव में भी भ्रष्टाचार? ट्रेनों पर लगाए लाखों के ग्राफ़िक्स चंद घंटों में ही उखड़े

यह न केवल आजादी के महापर्व, आजादी दिलवाने वाले महापुरुषों बल्कि उस तिरंगे का भी अपमान है, जिसे घर-घर फहराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर अभियान चलाया गया था.

नीरज नैयर by
Published - Tuesday, 23 August, 2022
Last Modified:
Tuesday, 23 August, 2022
ट्रेनों पर लगे ग्राफ़िक्स अपने आप निकल गए.

आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ के अवसर पर पुणे रेल मंडल ने देश को अंग्रेजों से चंगुल से आजाद कराने वाले महापुरुषों के सम्मान में ट्रेनों को खूबसूरत ढंग से सजाया. पुणे से चलने वालीं तीन प्रमुख ट्रेनों के AC कोच पर विनाइल ग्राफ़िक्स लगाईं गईं, जिन पर महापुरुषों की तस्वीरों के साथ-साथ तिरंगा भी मौजूद था. लेकिन शायद भ्रष्टाचार यहां भी हावी रहा. भारी-भरकम खर्चा कर तैयार कराई गईं विनाइल ग्राफ़िक्स महज चंद घंटों में ही बाहर आ गईं. यह न केवल आजादी के महापर्व, आजादी दिलवाने वाले महापुरुषों बल्कि उस तिरंगे का भी अपमान है, जिसे घर-घर फहराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर अभियान चलाया गया था.

क्यों चेक नहीं की क्वालिटी?
रेलवे के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, विनाइल ग्राफ़िक्स दो दिन में ही अपने आप उखड़ गईं, जो उसकी घटिया क्वालिटी को दर्शाता है. पुणे रेल मंडल ने आजादी के अमृत महोत्सव को सेलिब्रेट करने के लिए सिंहगढ़ एक्सप्रेस, प्रगति एक्सप्रेस और इंटरसिटी एक्सप्रेस के इंजनों पर तिरंगा पेंट किया. इसके अलावा, इन ट्रेनों के वातानुकूलित डिब्बों पर विनाइल ग्राफ़िक्स लगाईं गईं. जिन्हें वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में कोचिंग कॉम्प्लेक्स में तैयार करवाया गया. लेकिन शायद ये अधिकारी आजादी के पर्व के महत्व को भूल गए और इसलिए ग्राफ़िक्स की गुणवत्ता को जांचना भी ज़रूरी नहीं समझा.

लागत बताने से बच रहा रेलवे
सजधज कर हाथों में हरी झंडी लेकर शान से इन ट्रेनों को रवाना करने वाले अधिकारी तिरंगे और महापुरुषों के अपमान पर खामोश हैं. इतना ही नहीं, रेलवे इन ग्राफ़िक्स की लागत बताने में भी कतरा रहा है. इस संबंध में जब पुणे रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज झंवर से संपर्क किया गया, तो पहले वह सीधा जवाब देने से बचते रहे. फिर शनिवार का हवाला देकर बात टाल गए और सोमवार को जब दोबारा संपर्क किया गया, तब भी उन्होंने लागत से जुड़े सवाल का कोई जवाब नहीं दिया. हालांकि, सूत्र बताते हैं कि इसके लिए रेलवे ने कम से कम तीन से चार लाख रुपए खर्च किए हैं. 

दोषियों पर कार्रवाई की मांग
लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी यदि विनाइल ग्राफ़िक्स चंद घंटों में उखड़ गए, तो फिर भ्रष्टाचार की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. नाम उजागर न करने की शर्त पर मंडल से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जिन महापुरुषों को पूरा देश नमन करता है, उनकी तस्वीरें इतने घटिया क्वालिटी के ग्राफ़िक्स पर छापना, जो दो दिन में ही अपने आप उखड़ गए, क्या उनका अपमान नहीं है? रेलवे को मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए’.