नारायण मूर्ति के बयान पर CEO राधिका गुप्‍ता ने बताई महिलाओं की बात, मिली वाहवाही 

कुछ दिन पहले नारायण मूर्ति ने एक टॉक शो के दौरान कहा था कि हमें दुनिया की नंबर वन इकोनॉमी बनना है तो हमारे युवाओं को 12 घंटे से ज्‍यादा काम करने की जरूरत है. 

Last Modified:
Monday, 30 October, 2023
Narayan Murthy

कुछ दिन पहले इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति के युवाओं को 70 घंटे काम करने की नसीहत देने के बाद अब इस पर प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है. इस पर सबसे पहली प्रतिक्रिया एडेलवाइज की सीईओ राधिका गुप्‍ता ने दी है. उन्‍होंने देशभर की महिलाओं के बारे में अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारे देश की सैकड़ों महिलाएं ऑफिस और घर में देश और अपने बच्‍चों की परवरिश के लिए एक हफ्ते में 70 घंटे से भी ज्‍यादा काम करती हैं. वो भी बिना किसी ओवरटाइम के. एक्‍स पर दी गई उनकी इस प्रतिक्रिया को कई महिलाओं के साथ पुरुषों का भी साथ मिला है. 

क्‍या बोलीं राधिका गुप्‍ता? 
एडेलवाइज की सीईओ राधिका गुप्‍ता ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स (ये पहले ट्विटर था) पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ’ कार्यालयों और घरों के बीच, कई भारतीय महिलाएं भारत (अपने काम के माध्यम से) और भारतीयों की अगली पीढ़ी (हमारे बच्चों) के निर्माण के लिए सत्तर घंटे से अधिक काम कर रही हैं. वर्षों और दशकों तक मुस्कुराहट के साथ, और ओवरटाइम की मांग के बिना.
मजे की बात यह है कि ट्विटर पर किसी ने भी हमारे बारे में बहस नहीं की ’.

लोगों ने क्‍या दी प्रतिक्रिया? 
उनकी इस बात पर उन्‍हें सोशल मीडिया पर जमकर वाहवाही मिल रही है. ज्‍यादातर जहां महिलाओं के इस समर्पण को स्‍वीकार कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाएं इसे गर्व की बात न कहकर शर्म की बात कह रही हैं. 
राधिका गुप्‍ता की इस बात पर हरिप्रकाश अग्रवाल, आर्या अरोड़ा और वनामल्‍ली नाम की महिलाएं उनकी बात पर सहमति जता रही हैं. जबकि अरानी दास नाम की एक महिला कहती हैं कि 
'एक समाज के तौर पर यह गर्व करने की नहीं, बल्कि शर्मिंदा होने की बात है. गृहकार्य की एकतरफा जिम्मेदारी हमारी महिलाओं को सामूहिक रूप से कार्यबल में शामिल होने से रोकती है (हमारे यहां महिलाओं की भागीदारी पाकिस्तान या बांग्लादेश से भी बदतर है!!) '

क्‍या बोले थे नारायण मूर्ति? 
कुछ दिन पहले इंफोसिस के सीएफओ मोहनदास पाई के साथ फाउंडर नारायण मूर्ति ने अपनी बात रखते हुए कहा था कि हमारे देश में युवाओं की प्रोडक्टिविटी काफी कम है. उन्‍होंने कहा था कि अगर हमें दुनिया की नंबर वन इकोनॉमी बनना है तो हमारे देश के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की जरूरत है. उन्‍होंने कहा था कि हमें भी ठीक उसी तरह काम करने कही जरूरत है जैसे जापान और जर्मनी के युवाओं ने हर दिन 12 घंटे से भी ज्‍यादा काम किया था. राधिका गुप्‍ता ने उन्‍हीं के बयान पर अपनी बात कही.