Marathon Trends PMS के CEO अतुल सूरी बताते है कि राकेश झुनझुनवाला प्रतिभा को पहचानने में बहुत तेज थे, इसलिए कंपनी के वित्तीय आंकड़ों से आगे की सोच लेते थे.
राहुल ओबरॉय: बाजार पर नजर रखने वाले अतुल सूरी, जिन्होंने राकेश झुनझुनवाला के साथ काम करते हुए अपने शुरुआती दस साल बिताए, उन्होंने कहा कि बिग बुल ने उनके जीवन को कई तरह से छुआ. Marathon Trends PMS के CEO ने कहा कि झुनझुनवाला प्रतिभा को पहचानने में काफी तेज थे, जिससे उन्हें कंपनी के वित्तीय आंकड़ों से आगे जाने में मदद मिली.
झुनझुनवाला का सबसे बड़ा दांव Titan कंपनी का उदाहरण देते हुए सूरी ने कहा कि उन्होंने उस वक्त कंपनी के मैनेजमेंट पर दांव लगाया था. “उन्होंने (राकेश झुनझुनवाला) मुझे बताया कि संस्थान उत्साही युवाओं से भरा पड़ा है. इससे उन्हें भरोसा हुआ है कि इस मेल से कुछ अद्भुत होगा."
घड़ी से लेकर ज्वेलरी तक बनाने वाली कंपनी ने 31 मार्च, 2022 को खत्म वित्त वर्ष के लिए 25,831 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री पर 2,180 करोड़ रुपये का स्टैंडअलोन प्रॉफिट दर्ज किया. वित्त वर्ष 2005 में कंपनी की टॉप लाइन और बॉटम लाइन 24.95 करोड़ रुपये और 1,079.95 करोड़ रुपये थी.
30 जून 2022 तक Titan में झुनझुनवाला की अपनी पत्नी के साथ हिस्सेदारी 5 परसेंट थी जो कि जून 2022 में 1.57 परसेंट थी. कंपनी के शेयर 5 सितंबर 2002 को 3.26 रुपये से 80,404.60% चढ़कर 5 सितंबर 2022 को 2,624.45 रुपये पहुंच गए.
सूरी ने कहा कि “राकेश झुनझुनवाला का मैनेजमेंट में भरोसा और उनकी योग्यता ने उन्हें उतार-चढ़ाव से आगे बढ़ाया. और वाकई इसी चीज ने ऐसे रिटर्न तैयार किए. मैंने उनको अनुभवों से सीखा. मैंने भी लोगों पर दांव खेला न कि सिर्फ बिजनेस या बैलेंसशीट पर. आखिरकार अच्छे लोग ही संपत्ति बनाने वाले होते हैं.
हमेसा विनम्र रहना और घाटे को कम करने की क्षमता, ये अन्य दो चीजें हैं जो सूरी ने झुनझुनवाला से सीखी हैं. “A2Z के मामले में, वह अपनी पोजीशन को काटने और बाहर निकलने के समय विनम्र थे. अपनी इस यात्रा के दौरान मैंने अपने गुरू से बेचने की कला भी सीखी. सूरी ने बताया कि झुनझुनवाला ने कभी किसी के पोर्टफोलियो की नकल नहीं की.
सूरी ने कहा कि लोग झुनझुनवाला को भारत के वॉरेन बफे के रूप में देखते हैं, लेकिन ये सच्चाई नहीं है. उनकी निवेश करने की शैली, उनकी जीवनशैली और जिस तरीके से वो अपने पैसों को मैनेज करते हैं, वो बफे से काफी अलग है. उन्होंने कभी किसी की नकल नहीं की उन्होंने अपनी खुद की शैली बनाई. इसलिए वो भारत के वॉरेन बफे नहीं थे. वो भारत के राकेश झुनझुनवाला थे.
सूरी आगे बताते हैं कि अपनी खुद की ताकत खोजने, उस पर निर्माण करने और एक शैली बनाने की क्षमता एक ऐसी चीज है जिसने प्रभाव छोड़ा. इसलिए मैंने फंडामेंटल्स और टेक्निकल्स को जोड़ दिया. ऐसा शायद ही कोई करता हो. सच ये है कि किसी को भी अपनी क्षमताओं का अंदाजा होना चाहिए और अपनी खुद की शैली बनानी चाहिए, लंबी अवधि में ये आपके लिए बहुत संपत्ति बनाकर देगा. किसी की नकल कर लेना कभी भी पैसा बनाकर नहीं देगा. मेरी क्षमता में विश्वास ने मेरी प्रक्रिया को भी तराशा है. सूरी कहते हैं कि इसी ने मेरी एक अलग निवेश और ट्रेडिंग शैली को बनाने में मदद की.
राकेश झुनझुनवाला ने साल 1985 में 5000 रुपये से अपना शेयर बाजार का सफर शुरू किया था. 14 अगस्त, 2022 को 62 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. वो अपने पीछे 40,000 करोड़ का पोर्टफोलियो छोड़कर गए हैं.
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