COP27: मिस्र में एक नई सुबह, 30 सालों से था इस पल का इंतजार

एक भारतीय के रूप में यह गर्व का क्षण है कि पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत स्वेच्छा से कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.

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Tuesday, 22 November, 2022
COP27

- सुधीर मिश्रा और सिमरन गुप्ता
(सुधीर मिश्रा Trust Legal Advocates & Consultants के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर हैं. वहीं सिमरन गुप्ता Trust Legal Advocates & Consultants में अधिवक्ता और सहयोगी हैं.)

शर्म अल-शेख, जिसे 'शांति का शहर' कहा जाता है, वह दुनिया के लिए जलवायु न्याय और जलवायु इक्विटी के लिए आशा की किरण वाला शहर बन गया. दुनिया ने जलवायु मुआवजा कोष पर आम सहमति के लिए बहुत लंबा इंतजार किया है और कई गहन वार्ताओं और चर्चाओं के बाद, रविवार को मिस्र में लाल सागर रिसॉर्ट शहर में COP27 (पार्टियों का 27वां सम्मेलन) के परिणामस्वरूप एक हानि और क्षति निधि (L&D) के निर्माण के साथ एक ऐतिहासिक समझौते को सील कर दिया गया.

इस मिशन के लिए पिछले 30 सालों से लगातार प्रयास किया जा रहा था, लेकिन कुछ अमीर और विकसित देशों द्वारा लंबे समय तक इसमें बाधा उत्पन्न की गई, पर आखिरकार तमाम बाधाओं को पार करते हुए मिस्र में इस मिशन को COP27 में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया.

मिस्र की वार्ताओं में 'पर्यावरण मुआवजा' की जो अवधारणा चर्चा का विषय बनी थी, वह दुनिया भर के कई देशों में पहले से ही एक बहुत ही स्थापित तंत्र है. भारत की ही बात कर लें तो पर्यावरण की रक्षा के लिए 1996 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने पहली बार 'Polluter Pays Principle' को लागू किया, जिसमें कहा गया कि प्रदूषण के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए प्रदूषक ही पूरी तरह उत्तरदायी होगा.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा लागू सिद्धांत में कहा गया कि प्रदूषक को न केवल प्रदूषण के शिकार लोगों को हुए नुकसान की भरपाई करनी होगी, बल्कि इससे होने वाले पर्यावरणीय नुकसान की बहाली के लिए भी क्षतिपूर्ति करनी होगी. इसके बाद, जलवायु मुआवजे की अवधारणा को वेल्लोर नागरिक कल्याण फोरम बनाम भारत संघ [(1996) 5 एससीसी 647] के फैसले में आगे परिभाषित और पुष्टि की गई कि भारत के पर्यावरण कानून के अंतर्गत प्रदूषक सिद्धांत के अनुसार भुगतान करने के लिए बाध्य है.

जलवायु मुआवजे की इसी अवधारणा के विस्तार के रूप में, पहली बार, वैश्विक स्तर पर एक समर्पित कोष के रूप में हानि और क्षति कोष बनाया जा रहा है, जिससे भविष्य में जलवायु संबंधी नुकसान और नुकसान से निपटने के लिए विकासशील देशों की मदद हो सके.

सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों (CBDR) की अवधारणा के आधार पर, 2015 के पेरिस समझौते में भी एक मौलिक सिद्धांत पर सहमति हुई थी कि अमीर देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने का बड़ा बोझ उठाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने दशकों से अधिक ग्रीन-हाउस गैसों का उत्सर्जन किया है. इसका परिणाम विकासशील या अल्प विकसित देशों को भुगतना पड़ता है.

वास्तव में, रविवार को जलवायु न्याय के लिए मिस्र की घोषणा एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका और कई अन्य अमीर देश मूल रूप से विकसित देशों द्वारा उच्च उत्सर्जन के कारण कमजोर देशों को मुआवजा देने के खिलाफ थे.

विकसित देश पर्यावरण के नुकसान के लिए अपनी जिम्मेदारी से दूर भागना चाहते थे, इसलिए COP27 में शामिल विकसित देश उच्च आय वाले देशों और चीन-भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को शामिल करने पर जोर दे रहे थे. साथ ही वे लाभार्थियों में केवल सबसे कमजोर देशों तक ही सीमित करना चाहते थे.

इसी क्रम में विकासशील और विकसित देशों के बीच भेदभाव भी देखने को मिला. संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ चीन को इस तरह के किसी भी कोष में बड़े योगदानकर्ता बनने पर जोर दे रहे थे. उनका मानना है कि चीन दुनिया में सबसे बड़े मौजूदा उत्सर्जक और ग्रीन-हाउस गैस का दूसरे सबसे बड़ा उत्सर्जक है.

23 सदस्यों वाली एक समिति (विकसित देशों से 10 और विकासशील देशों से 13) अब इसके तौर-तरीकों पर फैसला करेगी और फंड और उसका भुगतान कैसे किया जाएगा, उसके सोर्स क्या रहेंगे, इस बारे में सवालों का जवाब देगी, जिसे नवंबर, 2023 में UAE में होने वाले COP28 में आगे माना जाएगा.

इसके अलावा, भारत के व्यावहारिक सुझावों द्वारा निर्देशित, COP27 ने सभी जीवाश्म ईंधनों को परिवर्तित करने पर भी सहमति व्यक्त की, न कि सिर्फ कोयले की. COP26 में इस सुझाव की कमी थी. इसे अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित लगभग 80 देशों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन कुछ विकसित देशों के तेल और गैस को शामिल करने के विरोध का भी सामना करना पड़ा. हालांकि यह समझौता विफल हो गया और इसमें सभी जीवाश्म ईंधन पर एक एक राय नहीं बन पाई, जैसा कि भारत और कई अन्य देशों द्वारा इसे प्रस्तावित किया गया था.

COP27 का टैगलाइन - कार्यान्वयन के लिए एक साथ (Together for implementation) शुरू में इस बात पर ध्यान केंद्रित करना था कि प्रतिबद्धताएं वास्तविकता में कैसे परिवर्तित होंगी. कई लोग COP27 पर विचार कर रहे हैं और इसे भारत के दृष्टिकोण से 'एक चूका हुआ अवसर' कह रहे हैं. आपको बता दें कि इस जीत में COP27 का स्थायी जीवन शैली मिशन का समर्थन और ऊर्जा संक्रमण के संबंध में एक खंड शामिल है, जो विशेष जीवाश्म ईंधन को अलग नहीं करता है.

एक भारतीय के रूप में यह गर्व का क्षण है कि पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत स्वेच्छा से कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, सभी जीवाश्म ईंधन का त्याग कर रहा है, गैर-पारंपरिक ऊर्जा को नहीं अपना रहा है और मिस्र में इस बात पर जोर दे रहा है कि हमारे ग्रह के पास अब और धैर्य नहीं है.

Disclaimer: ऊपर दिए गए लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे इस पब्लिशिंग हाउस के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हों. लेखक ने यह लेख अपनी व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार लिखा है. उनका बिल्कुल ऐसा इरादा नहीं है कि वे किसी एजेंसी या संस्था के आधिकारिक विचारों, दृष्टिकोणों या नीतियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हों.
 


GMR D2C Fest: कंज्यूमर रिटेंशन से लेकर प्रॉफिटेबिलटी तक एक्सपर्ट्स ने खुलकर रखी अपनी बात 

Sereko की फाउंडर एवं CEO मालविका जैन ने कहा कि बावजूद इसके कि हम केवल एक ही वेयरहाउस ऑपरेट कर रहे हैं, हमने सुनिश्चित किया कि इससे कंज्यूमर एक्सपीरियंस प्रभावित न हो.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Sunday, 26 November, 2023
Last Modified:
Sunday, 26 November, 2023
BW Event

BW बिजनेसवर्ल्ड के एसोसिएशन में आयोजित GMR Aerocity D2C फेस्ट में बिजनेस से जुड़ी हास्तियों ने शिरकत की. इस दौरान विभिन्न विषयों पर चर्चा भी हुई, जिनमें एक्सपर्ट्स ने अपने विचार साझा किए. इसी कड़ी में 'Scaling it Right: The Pursuit of Profitability' विषय पर आयोजित लीडरशिप सेशन में Perfora के को-फाउंडर तुषार खुराना, Sereko की फाउंडर एवं CEO मालविका जैन, Phool.Co के मार्केटिंग हेड Apurv Misal, Vosmos के CEO पियूष गुप्ता और Noise के COO उत्सव मल्होत्रा ने भाग लिया. BW Businessworld की एडिटोरियल लीड Reema Bhaduri ने पैनलिस्ट से अलग-अलग सवाल पूछे और सभी ने प्रभावशाली ढंग से हर एक सवाल का जवाब दिया.       

एक्सपीरियंशल बनाने पर जोर
सेशन की शुरुआत Reema Bhaduri ने बिजनेस, प्रॉफिटेबिलिटी और लीन ऑपरेशन से जुड़े सवाल के साथ की. जिसका सभी ने बारी-बारी से जवाब दिया. VOSMOS के CEO Piyush Gupta ने कहा - हम D2C ब्रैंड नहीं हैं, लेकिन उन्हें सपोर्ट करते हैं. हमारा ध्यान प्रोडक्ट को एक्सपीरियंशल बनाने पर ज्यादा रहता है, ताकि ग्राहक बार-बार प्रोडक्ट को इस्तेमाल करे. D2C में हम जो सबसे बड़ी एडवांटेज देख रहे हैं वो ये है कि कई सप्लाई चेन कॉस्ट कम हुई हैं. क्योंकि जब ग्राहक सीधे आपसे खरीदता है, तो आपके पास व्यवसाय मालिक के रूप में काफी नियंत्रण होता है. 

Frugality एक माइंडसेट है
Noise के CEO उत्सव मल्होत्रा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज 11 से 1200 लोकप्रिय D2C ब्रैंड हैं, इनमें से स्केल हिट करने वाले ब्रैंड केवल 10 या उससे कम ही होंगे. स्केल से मतलब रोड इन्वेंट्री, बेंचमार्क इन्वेंटरी मिलाकर 100 मिलियन डॉलर रिवेन्यु वाला ब्रैंड. और जब बात प्रॉफिटेबिलिटी की आती है, तो उनमें से केवल 4 ही प्रॉफिट कमाने की स्थिति में होंगे. और उनमें से केवल एक ही है, जो लगातार बूटस्ट्रैप कर रहा है और वो नॉइज़ यानी हमारी कंपनी है. हम यह बारीकी समझ गए हैं कि आपको अगर बड़ा होना है, तो प्रॉफिट कमाना पड़ेगा. जब बात लीन ऑपरेशन की आती है, तो इस तरह के सवाल आपको बुनियादी स्तर पर पूछने होते हैं क्योंकि Frugality एक माइंडसेट है, आप ये नहीं कह सकते कि मैं इन इन चीजों पर कॉस्ट बचाने वाला हूं. Frugality का मतलब ये है कि आपको प्राथमिकता सेट करनी होगी कि बिजनेस को स्केल अप करने के लिए क्या आवश्यक है और किसे बाद में किया जा सकता है, जब आपके पास पर्याप्त पैसा होगा. आज सच्चाई ये है कि हर स्टार्टअप खुद सबकुछ करना चाहता है. सबसे जरूरी है बेहतरीन प्रोडक्ट मार्केट फिट और यह समझना कि ग्राहक वास्तव में क्या चाहता है. यदि आप ये दो चीजें सही से कर सकते हैं, तो आप अपना ऑपरेशन जारी रख पाएंगे और स्केल अप कर पाएंगे. और तब आप उस स्थिति में होंगे कि आप खुद क्या कर सकते हैं और क्या आउटसोर्स कर सकते हैं. 

बेहतर रिश्ते रखना जरूरी
Sereko की फाउंडर एवं CEO मालविका जैन ने कहा - मेरा मानना है कि लीन ऑपरेशन को फंडामेंटली ब्रैंड में बिल्ड किया जाना चाहिए. हमें केवल 5 महीने हुए हैं, लेकिन लगभग सभी मार्केटप्लेस पर मौजूद हैं जैसे कि नायका, मिन्त्रा, फ्लिपकार्ट आदि. बावजूद इसके कि हम केवल एक ही वेयरहाउस ऑपरेट कर रहे हैं, हमने सुनिश्चित किया कि इससे कंज्यूमर एक्सपीरियंस प्रभावित न हो. हमने रिश्तों पर काफी निवेश किया है. लॉजिस्टिक टीम और शिफ्टिंग पार्टनर के साथ हमारे संबंध बहुत मजबूत हैं, हम देश के सभी पिन कोड कवर कर रहे हैं. हम बूटस्ट्रैप स्टार्टअप हैं, इसलिए हमें लीन ऑपरेशन शुरू करना था. हम सिस्टम में शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं. जैसे-जैसे हम विकसित होंगे कॉस्ट भी ऑप्टिमाइज होगी. एक अन्य सवाल के जवाब में मालविका ने कहा कि यह जरूरी है कि ग्राहक ब्रैंड को समझें. ग्राहक को साथ जोड़े रखना केवल प्रोडक्ट के फिजिकल एक्सपीरियंस से ही संभव नहीं है. फिजिकल एक्सपीरियंस बेशक महत्वपूर्ण है, क्योंकि उत्पाद को छूकर देखना ग्राहक के लिए काफी मायने रखता है, इसलिए हम छोटे ऑफलाइन इवेंट करते हैं. लेकिन Product Efficacy, प्रोडक्ट डिफरेंशियस, प्रोडक्ट ऑफरिंग भी महत्वपूर्ण है. अपनी बात बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि आज Psychodermatology  ऐसी समस्या से जिससे कोई इंकार नहीं कर सकता. आज भारत को स्ट्रेस कैपिटल कहा जाता है, भारत की कामकाजी आबादी सबसे जायदा तनावग्रस्त है, तनाव का असर हमारी त्वचा पर भी पड़ता है, जब हम यही बात विज्ञापनों, सोशल मीडिया के जरिये समझाते हैं, तो ग्राहक जुड़ाव महसूस करते हैं.  इसलिए अलग तरह के प्रोडक्ट जरूरी हैं.

खुद के लिए निर्धारित करें टारगेट 
Apurv Misal ने एक्सेस डिमांड से जुड़े सवाल पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा - यह आपकी अभिलाषा है कि आप किस गति से आगे बढ़ना है, क्या हासिल करना है. आपकी समझ स्पष्ट होनी चाहिए कि आपको वहां जितनी जल्दी पहुंचना है. खुद के लिए एक टारगेट सेट करें. क्योंकि डिमांड कभी ज्यादा होगी, कभी कम इसलिए मुझे लगता है कि इसके बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. आपको तय करना चाहिए कि हम इतनी यूनिट बनाएंगे, अगर अतिरिक्त डिमांड होती भी है, तो यहां आपके अपने वेंडर्स के साथ अच्छे संबंध काम आ सकते हैं. मेरा मानना है कि एक्सेस डिमांड एक दिन में नहीं आती, आपकी कुछ दिन पहले ही पता चल जाता है कि ऐसा हो सकता है. इसलिए मुझे लगता है कि रिलेशनशिप बहुत अच्छे होने चाहिए. 

फिजिकल स्टोर का अनुभव ऑनलाइन
कंज्यूमर को साथ रखने और पैसा कमाने के बीच के बैलेंस से जुड़े सवाल पर उत्सव ने कहा - इसके तीन-चार पार्ट हैं. पहला वो इंडस्ट्री कौनसी है जिसमें आप काम कर रहे हैं. क्योंकि कुछ ऐसी इंडस्ट्री होती हैं, जिनमें हायर इन-टेक मार्जिन होता है. दूसरा आपको प्रोडक्ट की समझ होनी चाहिए. जैसे कि आपका प्रोडक्ट non differentiate है या कमोडिटी. इसी आधार पर बहुत कुछ तय होगा. इसके अलावा, जिस मार्केट में आप काम कर रहे हैं उसकी समझ. आपको पता होना चाहिए कि क्या आप आज मुनाफा कमा रहे हैं या स्केल हिट करके प्रॉफिट कमाएंगे. प्रोडक्ट की कीमत निर्धारित करते समय बातें दिमाग में रखनी चाहिए. क्योंकि प्राइसिंग अकेले आप ही निर्धारित नहीं करते, कई अन्य कारक भी इसमें भूमिका निभाते हैं. वहीं, पियूष ने कहा कि हर स्टार्टअप फिजिकल स्टोर चाहता है, लेकिन कॉस्ट के चलते ये आसान नहीं है, हम वही अनुभव ऑनलाइन प्रदान करते हैं. हमारे साथ जुड़कर ब्रैंड वर्चुअल स्टोर बना सकते हैं, जहांग्राहक आपसे कनेक्ट होते हैं. कॉस्ट बेनिफिट भी मिलता है. 2 से 3 हजार में वर्चुअल स्टोर बन जाता है. हम ब्रैंड को शक्ति दे रहे हैं.  

ग्राहक को वैल्यू दिखनी चाहिए
Perfora के को-फाउंडर तुषार खुराना ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत प्राइस सेंसिटिव मार्किट है, लेकिन वैल्यू कांसियस मार्किट भी है. ग्राहक वैल्यू के लिए भुगतान करने को तैयार है, लेकिन चुनौती ये है कि आप उसे वैल्यू कैसे दिखाते हैं. वो कनवेंस होना चाहिए कि प्रोडक्ट में वैल्यू है. ये एक यात्रा है. आगे बढ़ने के लिए प्रॉब्लम स्टेटमेंट बेहद सिम्पल होना चहिये. ब्रैंड प्रोफिस महत्वपूर्ण है.


जानिए कैसे त्‍योहारों पर अपनी रणनीति तैयार करते हैं ब्रैंड्स, क्‍या होती है तैयारी? 

भारत का अलग-अलग कल्‍चर हो या फेस्टिवल इन्‍हें देखकर सभी ब्रैंड्स अपनी तैयारी करते हैं. फेस्टिवल की मार्केटिंग पर वो 70 प्रतिशत खर्च करते हैं जबकि बाकी साल 30 प्रतिशत खर्च करते हैं. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Saturday, 25 November, 2023
Last Modified:
Saturday, 25 November, 2023
GMR

बिजनेस वर्ल्‍ड के साथ एसोसिएशन में हो रहे GMR Aerocity D2C फेस्‍ट के दूसरे दिन कई ब्रैंड्स के हेड ने इसमें शिरकत की और अपनी सफलता के राज बताए. इस मौके पर आयोजित हुए सेशन में Nirmalaya के Co Founder, BHARAT BANSAL, Chique के फाउंडर SIDDHANT GUPTA, Pride Plaza Hotel के Executive Assistant Manager, MOHIT KHANNA, Fitspire के Founder & CEO VIPEN JAIN, ने भाग लिया. उनके साथ इस सेशन को BW Businessworld की Editorial Lead, REEMA BHADURI को मॉडरेट किया. 

त्‍योहार के अनुसार बनाते हैं रणनीति 
Nirmalaya के Co Founder, BHARAT BANSAL ने इस मौके पर कहा कि हमारे लिए दिवाली और होली सबसे बड़े त्‍योहार होते हैं. हम लोग त्‍योहार से पांच 6 महीने पहले अपनी तैयारी शुरू कर देते हैं. जब हम दिवाली के लिए तैयारी कर रहे होते हैं तो साथ ही साथ हमारी होली के लिए भी तैयारी शुरू हो जाती है. किसी भी ब्रैंड के लिए देश के अलग-अलग कल्‍चर से जुड़ने के लिए वो क्‍या करते हैं इस सवाल के जवाब में भरत ने कहा कि किसी भी राज्‍य में त्‍योहार आता है तो हम अपने ऑनलाइन कैंपेन को उसी अनुसार तय करते हैं, मान लीजिए अगर महाराष्‍ट्र में गणेश चतुर्थी आ रही है तो हम अपने एड को मराठी में करते हैं इसी तरह कई राज्‍यों के अनुसार वहां की भाषा में अपने कैंपेन को तैयार करते हैं. 

त्‍योहारों से तय होती है बाजार की रणनीति 
Chique के फाउंडर SIDDHANT GUPTA, ने कहा कि हम इंडो वेस्‍टर्न वेयर के अलग-अलग परिधानों के रिटेलर हैं. किसी भी ब्रैंड के लिए दिवाली एक बड़ा फेस्टिवल होता है. वेडिंग सीजन भी हमारे लिए काफी बड़ा होता है. हमारे किसी भी प्रोडक्‍ट के लिए तीसरी तिमाही का ये समय हमेशा ही बड़ा होता है. सिर्फ हमारे लिए ही नहीं कई और ब्रैंड्स के लिए भी ये काफी बड़ा होता है.

किसी भी ब्रैंड के लिए देश के अलग-अलग कल्‍चर से जुड़ने के लिए वो क्‍या करते हैं इस सवाल के जवाब में सिद्ार्थ ने कहा कि हर क्षेत्र के अपने त्‍योहार होते हैं. हम इस बात पर काफी फोकस करते हैं कि कहां किस त्‍योहार को कैसे मनाया जाता है. हम जो अपने प्रोडक्‍ट को डिजाइन करते हैं वो उसी अनुसार करते हैं. अपनी मार्केटिंग रणनीति को भी वैसे ही तैयारी करते हैं. 70 प्रतिशत मार्केटिंग बजट हमारा त्‍योहार में जाता है बाकी 30 प्रतिशत वैसे जाता है. 

सक्‍सेस पांच प्‍वॉइंट पर निर्भर करती है
Pride Plaza Hotel के Executive Assistant Manager, MOHIT KHANNA ने कहा कि मेरा मानना है कि किसी भी काम की सफलता पांच पिलर पर निर्भर करती है. आप कन्‍टिन्‍यूटि और सस्‍टेनेबिलिटी, दूसरा हमारे लिए है गेस्‍ट सेटिसफेक्‍शन, हम लोग रेफरल संबंध पर काम करते हैं ऐसे में जब तक हमारे गेस्‍ट संतुष्‍ट नहीं होंगे तब तक हम आगे बिजनेस नहीं मिलेगा, इसी तरह फीडबैक हमें कारोबार को और बेहतर बनाने में मदद करता है.

तीसरा है लोग. आपको लोगों में निवेश करना पड़ेगा तभी आप आगे बढ़ सकते हैं. चौथा है तकनीक. होटल इंडस्‍ट्री में हम लोग भी एआई को लेकर काम कर रहे हैं. पांचवा है आपको ये पता होना चाहिए कि आपके प्रतिद्ंदी क्‍या कर रहे हैं. किसी भी ब्रैंड के लिए देश के अलग-अलग कल्‍चर से जुड़ने के लिए वो क्‍या करते हैं इस सवाल के जवाब में मोहित ने कहा कि हम इसे दो हिस्‍सों में बांटते हैं. इनमें पहला फेस्टिवल है और दूसरा फूड फेस्टिवल है. हम दुर्गा पूजा के दौरान नवरात्रि थाली शुरू करते हैं. वेडिंग सीजन में हमारे लिए बड़ा मौका है. उसमें भी वैसी ही तैयारी करते हैं. 

जो ज्‍यादा दिखता है वो ज्‍यादा बिकता है

Fitspire के Founder & CEO VIPEN JAIN ने कहा कि हम लोग देश की पहली ऐसी कंपनी हैं जो वीगन फूड को लेकर काम कर रहे हैं. भारत में 80 प्रतिशत लोग प्रोटीन की कमी से जूझ रहे हैं, 33 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो लाइफस्‍टाइल परेशानियों से जूझ रहे हैं, आपके ब्‍लड प्रेशर, सुगर जैसी समस्‍याओं से जूझ रहा है. उन्‍होंने कहा कि बाजार में एक कहावत कही जाती है कि जो ज्‍यादा दिखता है वो ज्‍यादा बिकता है.

देश की 140 बिलियन लोग अलग-अलग संस्‍कृति से जुड़े हुए हैं. अलग-अलग त्‍योहार से जुड़े हुए होते हैं. किसी भी ब्रैंड के लिए देश के अलग-अलग कल्‍चर से जुड़ने के लिए वो क्‍या करते हैं इस सवाल के जवाब में विपिन ने कहा कि हर कल्‍चर से जुड़े लोगों के लिए उसमें कुछ खास होता है. विपिन ने कहा कि मैं मानता हूं कि कल्‍चर और सीजन एक साथ चलते हैं. 


'मैटेरियल साइंस और स्पिरिचुअल साइंस दोनों जरूरी, इनके बिना जीवन अधूरा' 

स्वामी मुकुंदानंद ने कहा कि स्पिरिचुअलिटी को फॉलो करने वाले ऐसे लोग जो मैटेरियल साइंस की जरूरत को नकारते हैं, वे गलती करते हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Friday, 24 November, 2023
Last Modified:
Friday, 24 November, 2023
BW event

BW Businessworld की ओर से मायानगरी मुंबई में Spirituality Conclave 2023 का आयोजन किया गया. इस इवेंट में आध्यात्मिक दुनिया से जुड़ी तमाम प्रसिद्ध हस्तियों ने शिरकत की और विभिन्न विषयों पर अपने विचार साझा किए. JK Yog (Jagadguru Kripaluji Yog) संस्था के फाउंडर Swami Mukundananda ने इस दौरान बताया कि कैसे जीवन में मैटेरियल साइंस और स्पिरिचुअल साइंस के बीच बैलेंस बनाकर चलना जरूरी है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर मैटेरियल साइंस और स्पिरिचुअल साइंस को विरोधाभासी माना जाता है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. वैदिक परिदृश्य से मैटेरियल साइंस और स्पिरिचुअल साइंस में कोई विरोधाभास नहीं है. 

क्या है मैटेरियल सक्सेस?
स्वामी मुकुंदानंद ने Living with Purpose: Exploring the Ethics and Morality of Spiritual Living विषय पर बोलते हुए कहा कि मैटेरियल सक्सेस और स्पिरिचुअलिटी को आमतौर पर विरोधाभासी माना जाता है. मैटेरियल सक्सेस का मतलब है एक्सटर्नल लग्जरी, कम्फर्ट जबकि स्पिरिचुअलिटी एक आंतरिक यात्रा है, जो आपको मैटेरियल सुख से दूर ले जाती है. क्या इन दोनों के बीच संतुलन बनाना संभव है? अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा - पश्चिम में स्पिरिचुअलिटी को विज्ञान से परे रखा जाता है. क्योंकि साइंटिफिक लोग फैक्ट, प्रूफ और लॉजिक पर बात करते हैं. जबकि स्पिरिचुअलिटी के लिए Nebulous Concept में विश्वास की आवश्यकता होती है, जो तुरंत टेंजिबल नहीं होते. हालांकि वैदिक परिदृश्य से मैटेरियल साइंस और स्पिरिचुअल साइंस में कोई विरोधाभास नहीं है. 

दोनों जीवन के लिए जरूरी
स्वामी मुकुंदानंद ने कहा कि ज्ञान की 2 बोनाफाइड ब्रांच होती हैं. पहली मैटेरियल साइंस और दूसरी स्पिरिचुअल साइंस. और ये दोनों ही आपके जीवन के लिए जरूरी हैं. स्पिरिचुअलिटी को फॉलो करने वाले ऐसे लोग जो मैटेरियल साइंस की जरूरत को नकारते हैं, वे गलती करते हैं. क्योंकि बिना मैटेरियल ज्ञान के आप अपने शरीर की देखभाल नहीं कर सकते. गौतम बुद्ध से जुड़ी एक कहानी बताते हुए स्वामी ने कहा - 'ज्ञान प्राप्ति से पूर्व गौतम बुद्ध एक बार खाना-पीना छोड़कर ध्यान लगाने बैठ गए. कई दिनों तक वह बिना कुछ खाए-पीये ध्यान लगाते रहे, नतीजतन वह कमजोर होते गए और फिर अचेत हो गए. तभी वहां से गांवों की औरतें गाना गाते हुए गुजरीं. उनके गाने के बोल थे - तानपुरा की तारों को कसना चाहिए, लेकिन इतना भी नहीं कि वो टूट जाएं. ये शब्द जैसे ही बुद्ध के कानों में पड़े उनकी आंखें खुल गईं. उन्होंने खुद से कहा कि सामान्य महिलाएं भी इतने महत्व की बातें जानती हैं'. तो कहने का अर्थ है कि अपने शरीर को मजबूत बनाएं, लेकिन इतना भी नहीं कि वो बर्बादी की कगार पर पहुंच जाए. ये शरीर स्पिरिचुअलिटी का अभ्यास करने के लिए आपका माध्यम है. और शरीर का ध्यान रखने के लिए आपको उसे प्रोटीन, विटामिन और पोषण प्रदान करना होगा. इसके लिए मैटेरियल साइंस का ज्ञान जरूरी है. यदि स्पिरिचुअलिटी फॉलो करने वाला कोई व्यक्ति कहता है कि मैटेरियल साइंस कुछ नहीं है, पूरा दिन राधेश्याम जपते रहो, तो यह अधूरी बात है.

आंतरिक समस्या का एकमात्र समाधान 
इसी तरह, यदि कोई मैटेरियल साइंटिस्ट कहता है कि स्पिरिचुअलिटी कुछ नहीं है, तो ये भी पूरी तरह गलत है. क्योंकि स्पिरिचुअलिटी हमारी आंतरिक समस्याओं का एकमात्र समाधान है. हमारे मस्तिष्क में गुस्सा, नफरत, बदले की भावना जैसा बहुत कुछ भरा रहता है, उसे बाहर कैसे निकालेंगे? आप दुनिया की बेस्ट यूनिवर्सिटी में जाएं और पूछें कि मुझे अपने माइंड को शुद्ध करना है, आपके किस कोर्स में यह पढ़ाया जा सकता है. वो हाथ खड़े कर देंगे और कहेंगे कि हम यह नहीं पढ़ा सकते. इसीलिए महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टाइन ने भी यह स्वीकार किया था कि विज्ञान किसी मनुष्य के दिल से नफरत को नहीं निकाल सकता. स्वामी मुकुंदानंद ने आगे कहा कि विज्ञान का कोई नैतिक मूल्य नहीं है, वो आपके हाथ में परमाणु शक्ति दे सकता है, लेकिन यह नहीं बता सकता कि उसका सही-गलत इस्तेमाल कैसे करना है. विज्ञान की मदद से आज नई टेक्नोलॉजी आ रही हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इन टेक्नोलॉजी का सही और गलत इस्तेमाल क्या है? यहीं से स्पिरिचुअलिटी का काम शुरू होता है, स्पिरिचुअलिटी हमें जीवन के बड़े सवालों का सामना करने की शक्ति देती है. उन्होंने कहा कि जीवन में अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आपको ज्ञान की इन दो शाखाओं के बीच विरोधाभास नहीं करना चाहिए. कई ऐसे लोग हैं, जो मैटेरियल तौर पर सफल हैं, लेकिन आध्यात्मिक रूप से कंगाल. जस्टिन बीबर, प्रिंस हैरी से लेकर कई बॉलीवुड स्टार्स इसका उदाहरण हैं. 

माइंड मैनेजमेंट तकनीक
BW Wellbeing World और BW HealthCare World के CEO Harbinder Narula ने इस दौरान स्वामी मुकुंदानंद से कुछ सवाल भी पूछे. उन्होंने सबसे पहले स्वामी मुकुंदानंद से जानना चाहा कि क्या उन्हें कभी गुस्सा आता है? यदि आता है, तो वे क्या करते हैं? इसके जवाब में स्वामी ने कहा - परफेक्शन एक यात्रा है, मैं ये नहीं कहूंगा कि मैं परफेक्ट हूं. मुझे भी गुस्सा आता है. लेकिन जब आता है तो मैं माइंड मैनेजमेंट तकनीक इस्तेमाल करता हूं और ये है सही जानकारी या ज्ञान हासिल करना. उदाहरण के तौर पर यदि किसी का व्यवहार आपको परेशान कर रहा है. तो रियेक्ट करने के बजाए रिस्पोंड करें. मैं यही करता हूं. मैं कुछ क्षण के लिए रुकता हूं और सोचता हूं कि सामने वाला व्यक्ति भी इंसान है, वो भी परफेक्ट नहीं है. 

आंतरिक शुद्धि के लिए है अध्यात्म 
अध्यात्म धर्म से अलग कैसे है? इस सवाल के जवाब में स्वामी मुकुंदानंद ने कहा कि धर्म में संस्कृति, परंपरा, रीतिरिवाज आदि शामिल हैं, जिसे बड़े पैमाने पर अमल में लाते हैं. जबकि अध्यात्म आंतरिक लक्ष्य को प्राप्त करना है, आंतरिक शुद्धि के लिए है. अध्यात्म आपको कुछ विजडम देता है, जैसे कि सेल्फ अवेयरनेस, यूनिवर्सल अवेयरनेस और सेल्फ मास्टरिंग स्किल्स. एक अन्य सवाल के जवाब में स्वामी मुकुंदानंद ने कहा कि हमें दूसरों की सेवा करनी चाहिए और यह मानकर कि ये शरीर दूसरों की सेवा के लिए है, अपना ख्याल भी रखना. उन्होंने कहा कि जब दूसरों की मदद की आपकी इच्छा मजबूत हो जाती है तो यूनिवर्स रिस्पोंड करता है. वो आपके लिए ऐसे अवसर लेकर आता है, जहां आप और भी ज्यादा प्रभावी ढंग से दूसरों की मदद कर सकें.     
 


आचरण शून्‍य उपासना का कोई अर्थ नहीं है: डॉ.लोकेश मुनि 

उन्‍होंने संतुलन को लेकर अपनी बात कहते हुए कहा कि जीवन में इसे बनाये रखना बेहद जरूरी है. अगर शरीर में एक जगह खून ज्‍यादा हो जाए तो परेशानी पैदा कर देता है. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Friday, 24 November, 2023
Last Modified:
Friday, 24 November, 2023
Dr Lokesh Muni

बिजनेस वर्ल्‍ड की BW wellbeing कम्‍यूनिटी के कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए आचार्य डॉ. लोकेश मुनि ने कहा कि मैं इसे आयोजित करने के लिए बधाई देता हूं. उन्‍होंने कहा कि आज हम उद्देश्‍य पूर्ण जीवन की चर्चा कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि उद्देश्‍यपूर्ण जीवन के लिए संतुलन जरूरी है और संतुलन को लेकर जैन धर्म के 24वें गुरु तीर्थंकर भगवान महावीर ने स्‍वस्‍थ संतुलन के लिए उन्‍होंने जहां एक ओर संयासी के लिए पांच महाव्रत का विधान किया. इनमें सत्‍य, अहिंसा, अस्‍तेय, ब्रहमचर्य और अपरिग्रह वो जानते थे कि सभी सन्‍यासी नहीं हो सकते हैं. उन्‍होंने 12 अनुव्रत का भी विधान किया.

 धर्म और मोक्ष को छोड़कर अर्थ और काम के पीछे भाग रहे हैं
 आचार्य डॉ. लोकेश मुनि ने कहा कि समाज में जितनी भी विकृतियां दिखाई दे रही हैं उसके पीछे धर्म और मोझ को छोड़कर अर्थ और काम के पीछे भागते हैं, वहीं समाज में विकृतियां आती हैं.  जैन धर्म में अधिकृत तौर रूप से धर्म का विकास से कोई विरोध नहीं है. संतुलन को हमेशा ध्‍यान में रखते हुए ये सोचें कि हमारा समाज स्‍वस्‍थ कैसे रह सकता है. अगर कहीं एक जगह खून जम जाए तो शरीर अस्‍वस्‍वथ बन जाता है. उसी तरह अगर धन भी एक जगह जमा होता है तो उसका असर देखने को मिलता है. एक ओर बड़ी इमारतें होती हैं और दूसरी ओर दो जून की रोटी नसीब नहीं होती है. महावीर ने धर्म को संतुलन से जोड़ा, उन्‍होंने कहा कि अगर तुम्‍हारा भाई भूखा सोता है और तुम भरपेट खाते हो तो तुम मोझ के अधिकारी नहीं हो. क्‍योंकि उन्‍होंने अपनी आत्‍मा की तरह दूसरे की आत्‍मा को स्‍वीकार करें. मनुष्‍य कोई मशीन नहीं है. 

मतभेद विकास का माध्‍यम हैं
आचार्य डॉ. लोकेश मुनि ने कहा कि मतभेद विकास का माध्‍यम हैं लेकिन जब मतभेद मनभेद में बदलता है तो परेशानी हो जाती है. उन्‍होंने कहा था कि इच्‍छाएं तो आकाश के समान अनंत हैं. इच्‍छाएं असीमित हैं. इसलिए भोग और उपभोग का सीमाकरण किया गया है. हम आनंद को सुविधाओं में खोज रहे हैं. लेकिन उसका संबंध हमारे मन की स्थिति में है. शांति को वहां खोज रहे हैं जहां वो है नहीं. आज धर्म को अध्‍यात्‍म से जोड़ने की जरूरत है. मैं उपासना का विरोधी नहीं हूं लेकिन आचरण शून्‍य उपासना का महत्‍व सुगंधित शव से अधिक नहीं है. ये परमात्‍मा को धोखा देने के समान है. 

जीवन में आध्‍यात्मिकता को कैसे शामिल करें? 
आचार्य डॉ. लोकेश मुनि ने कहा कि इसके लिए आप डीप ब्रीथ करें गुस्‍सा आता हो उससे यही करना चाहिए . एकाग्रता के लिए आप इसे कर सकते हैं. छोटी सी सांस लेने में कई तरह की परेशानियां सामने आ जाती हैं. 24-48 मिनट का समय अपनी बॉडी के लिए कर सकते हैं. आप 1 या 2 मिनट के दो सेशन कर सकते हैं. छोटी सांस लेने वालों को ज्‍यादा गुस्‍सा आता है, अगर आप लंबी सांस लेते हैं तो गुस्‍सा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर पाएगा. अच्‍छा साहित्‍य पढ़ना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि जब से व्‍हाटस अप आया है तब से ना पढ़ने की आदत बढ़ गई है. मेडीटेशन और स्‍वाध्‍याय को अपने जीवन में उतारना चाहता हूं.  

कठिन समय में निर्णय कैसे लें
हम अच्‍छा निर्णय तभी ले पाते हैं जब हमारा मन शांत होता है. एक बिजनेस मैन भी अच्‍छा निर्णय तभी ले पाएगा जब उसका मन शांत होगा. इसीलिए साधना के जो तरीके हैं ये जीवन जीने के अच्‍छे तरीके हैं. इसको धर्म और अध्‍यात्‍म से मत जोडि़ए. अपनी भावना और धैर्य पर नियंत्रण करने के लिए, करना बेहद जरूरी है. मेडिटेशन की सीमा क्‍या होनी चाहिए, इस पर मैं कहना चाहूंगा कि इसमें हर व्‍यक्ति का एक नियम नहीं हो सकता है. कुछ ऐसे होते हैं जो बहुत जल्‍दी गहराई में उतर जाते हैं. कुछ देरी से उतरते हैं, लेकिन जब आपको आनंद आने लगता है तो फिर आप उसे रोज करते हैं. वो आपकी आदत का हिस्‍सा बन जाता है. परिवार के बीच में रहते हुए संतुलन बनाना जरूरी है. 
 


जब हम दुनिया को ज्ञान कीआंख से देखते हैं तो वो और भी व्‍यापक नजर आती है : सिस्‍टर जयन्‍ती 

उन्‍होंने प्रदूषण पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आखिर प्रदूषण हमें कैसे नुकसान पहुंचाता है. जो पक्षी हवा में उड़ रहे हैं उन्‍हें भी उसका सामना करना पड़ रहा है. उन्‍होंने कहा कि इसकी कोई सीमा नहीं है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Friday, 24 November, 2023
Last Modified:
Friday, 24 November, 2023
Brahmkumari

BW Wellbeing के मुंबई में हो रहे इवेंट में The Brahmkumari's की एडिशनल एडमिनिस्‍ट्रेटिव हेड सिस्‍टर जयंती ने कई अहम बातें कहीं. उन्‍होंने कहा कि जब कभी हम जीवन में किसी समस्‍या को या अलग-अलग चीजों को दो आंखों से देखते हैं तो हमें सीमित चीजें नजर आती हैं. लेकिन जब हम उन्‍हीं चीजों को अपने ज्ञान की आंखों से या तीसरी आंख से देखते हैं तो ज्‍यादा व्‍यापक नजर आती हैं. इसलिए हमें हमेशा इसका इस्‍तेमाल करना चाहिए. उन्‍होंने अपनी स्‍पीच के दौरान वसुधैव कुटुंबकम से लेकर कई और चीजों के बारे में विस्‍तार से चर्चा की. 

 हमारे Disconnect होने से हो रही है समस्‍या 
The Brahmkumari's की एडिशनल एडमिनिस्‍ट्रेटिव हेड सिस्‍टर जयंती ने कहा, जैसा कि आप लोग जानते हैं अब से कुछ दिन बाद दुबई में क्‍लाइमेट चेंज को लेकर कांफ्रेंस होने जा रही है. 2009 से ये कांफ्रेंस हर साल हो रही है. मुझे लगता कि दुनिया की सारी समस्‍यायें एक तरह से Disconnect (अलग होने के कारण) हो रही हैं. हम खुद से डिसकनेक्‍ट हो चुके हैं, नेचर से डिसकनेक्‍ट हो चुके हैं. यहां तक कि हम अपने परिवार के या सगे संबंधियों से लेकर दोस्‍तों तक से खुद को डिसकनेक्‍ट समझ रहे हैं.

वहीं अगर हम अर्थव्‍यवस्‍था की बात करें तो भारत उसमें बहुत अच्‍छा कर रहा है लेकिन लंदन जहां मैं रहती हूं वहां मीडिल क्‍लॉस परिवारों के लिए फूड बैंक बने हुए हैं. आज वहां सड़कों पर भिखारी दिखाई दे रहे हैं, जिन्‍हें मैने आज से 5 या 7 साल पहले कभी नहीं देखा. लेकिन वहीं भारत की बात करें तो यहां लोग जो कनेक्‍ट हैं वहां इकोनॉमिक समृद्धी दिखाई देती है. मुझे इसकी जो सबसे बड़ी वजह दिखाई देती है वो ये है कि इंडिया की जड़ों में आज भी आध्‍यात्मिकता बसी हुई है. एक ऐसे पीएम हैं जो देश से बुहत गहराई से जुड़े हुए हैं.

डायवर्सिटी शब्‍द तो अच्‍छा है लेकिन इसकी अपनी चुनौतियां हैं
The Brahmkumari's की एडिशनल एडमिनिस्‍ट्रेटिव हेड सिस्‍टर जयंती ने कहा कि डायवर्सिटी एक शब्‍द जो सुनने में तो बहुत अच्‍छा लगता है लेकिन जब ये एक टीम के सामने आता है तो जिसमें अलग रंग, अलग भाषा, अलग बोली, जैसी चीजें सामने आती हैं तो ऐसे में काम करना आसान नहीं होता है. हमने 100 से ज्‍यादा देशों के लोगों से ये पूछा कि उनके अनुसार आखिर एक अच्‍छी दुनिया कौन सी है. मुझे लगता है कि ये किसी भी एनजीओ के द्वारा किया गया सबसे बड़ा सर्वे होगा.

इस सर्वे में हमने हर देश से एक मिलियन लोगों से सवाल पूछा और कहा कि आखिर आप एक बेहतर दुनिया को कैसे देखते हैं. ये प्रोजेक्‍ट तीन साल तक चला और इसे कंपाइल करने में ही 6 महीने से ज्‍यादा लग गए. मैं उसका सार पांच शब्‍दों में बताना चाहूंगी, जिसमें लोगों ने कहा कि वो सच की दुनिया चाहते हैं, प्‍यार की दुनिया चाहते हैं, आनंद की दुनिया, शांति की दुनिया, प्‍योरिटी की दुनिया, इसका मतलब है कि मन की शुद्धता, तन की शुद्धता. हम लोग खुशी की तलाश में बहुत सा पैसा खर्च करते हैं लेकिन कुछ समय बाद फिर महसूस करते हैं कि इससे तो खुशी आई ही नहीं.

कलयुग की अपनी पहचान और अपनी सोच है
 द ब्रहमकुमारी की एडिशनल एडमिनिस्‍ट्रेटिव हेड सिस्‍टम जयंती ने कलयुग के बारे में बात करते हुए कहा कि इसे सभी लोग जानते हैं इसे नकारात्‍मकता के सेंस में भी जाना जाता है. हो क्‍या रहा है कलयुग की चीजें हमारे अंदर आ रही हैं. एक बार मुझे यूरोपीय संसद में जाने का मौका मिला, जहां इस बात पर चर्चा हो रही है थी कि आखिर प्रदूषण हमें कैसे नुकसान पहुंचाता है. जो पक्षी हवा में उड़ रहे हैं उन्‍हें भी उसका सामना करना पड़ रहा है. उन्‍होंने कहा कि इसकी कोई सीमा नहीं है. ये पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है. जैसे सूर्य पूरी दुनिया को रौशनी को देता है उसी तरह से हमारे अंदर भी एक ऊर्जा है जो सभी को रौशनी देती है.

कोविड में ये देखने को मिला बेहतर 
The Brahmkumari's की एडिशनल एडमिनिस्‍ट्रेटिव हेड सिस्‍टर जयंती ने कहा कि कोविड के समय हमने कुछ चीजों को देखा, टाटा संस, इंफोसिस और दूसरी कई कंपनियों ने मेडिकल इक्‍विपमेंट के लिए काफी हद तक डोनेट किया सिर्फ अपने कर्मचरियों के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए भी किया. जमशेद जी टाटा ने इस कंपनी की स्‍थापना के वक्‍त जो प्रिंसिपल बनाए थे वो आज तक चले आ रहे हैं. हम लोग वसुधैव कुटुंबकम के बारे में बात करते हैं, सभी हमारे परिवार का हिस्‍सा हैं. 1937 में एक शख्‍स ने कुछ महिलाओं को अपनी सारी संपत्ति इसलिए दे दी क्‍योंकि वो मानता था कि महिलाएं ही समाज की लीडर हैं. तब से शुरू हुआ ब्रह्रमकुमारी का सफर आज भी जारी है. उन्‍होंने कहा कि कंपेसन हमें एक तरह की ताकत देता है कि हम खुद से कनेक्‍ट हों और और अपने अंदर छिपे ज्ञान को और बढ़ा सके. 
BW Healthcare और BW Wellbeing के CEO हरबिंदर नरुला के सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा कि जब कभी भी हम किसी चीज को अपनी दो आंखों से देखते हैं तो हमें सीमित चीजें ही नजर आती हैं. लेकिन जब हम उन्‍हीं चीजों को तीसरी आंख से देखते हैं तो उसमें हमें व्‍यापक चीजें नजर आती हैं. जब हम अपनी तीसरी आंख से दुनिया को देखते हैं तो हम उसे और बेहतर तरीके से देख पाते हैं. 


लीडर्स ने बताया, CSR से लेकर Sustainability तक कैसे निभा रहे अपनी जिम्मेदारी

BW बिजनेसवर्ल्ड के इवेंट में Zomato की चीफ सस्टेनेबलिटी ऑफिसर अंजलि रवि कुमार ने बताया कि कैसे कंपनी कार्बन उत्सर्जन में कमी ला रही है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 21 November, 2023
Last Modified:
Tuesday, 21 November, 2023
BW Event

BW बिजनेसवर्ल्ड (BW Businessworld) ने मुंबई में सस्टेनेबल वर्ल्ड कॉन्क्लेव के पांचवें एडिशन का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में अलग-अलग सेक्टर्स की दिग्गज हस्तियों ने शिरकत की और अपने विचार साझा किए. इस दौरान, 'Sustainability with Profitability: Doing Good is Good Business' नामक विषय पर पैनल डिस्कशन भी आयोजित किया गया. इस डिस्कशन में सेशन चेयर की भूमिका BW Businessworld के मैनेजिंग एडिटर Palak Shah ने निभाई. शाह ने कंपनियों की कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) से जुड़े कई सवाल पूछे.  

इन्होंने लिया डिस्कशन में भाग 
पैनल डिस्कशन में Zomato की चीफ सस्टेनेबलिटी ऑफिसर Anjalli Ravi Kumar, पवन वर्मा - Head - Purchases and Executive Sponsor- Environmental Sustainability P&G India, Brillio Foundation के Senior Director & Global Head ESG & Sustainability अभिषेक रंजन, Bisleri International के मार्केटिंग हेड तुषार मल्होत्रा और Lodha Developers के ESG हेड Aun Abdullah ने हिस्सा लिया. डिस्कशन की शुरुआत करते हुए पलक शाह ने कहा कि Sustainability का मतलब केवल प्रॉफिट बनाए रखना ही नहीं है, यह कॉर्पोरेट प्रॉफिटेबिलिटी को इस तरह से बढ़ाना है कि पर्यवारण को नुकसान न पहुंचे, लेकिन हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहां बहुत कुछ पब्लिसिटी स्टंट होता है.   

Sustainability फैक्ट्री नहीं, अप्रोच है
Palak Shah ने Lodha के Aun Abdullah से पूछा कि मुंबई को दूसरा सबसे प्रदूषित शहर माना जाता है. Lodha की अपने कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स के लिए तारीफ की जाती है. क्या ऐसा एनवायरनमेंट सस्टेनेबलिटी के मामले में भी किया जा सकता है? इस पर Abdullah ने कहा, Lodha Group एनवायरनमेंट के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझता है और उसका अच्छे से निर्वाहन भी कर रहा है. हमारी सस्टेनेबलिटी रणनीति दो स्तंभों पर टिकी है - डीकार्बनाइजेशन और दूसरी रीजिलियंस. हम पर्यावरण का ख्याल रखते हुए देश के विकास में योगदान दे रहे हैं. इस सवाल के जवाब में कि बड़े डेवलपर्स शहरों का दम घोंट रहे हैं? अब्दुल्ला ने कहा कि Lodha में हम इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट पर काम कर रहे हैं, ये कहना कि बड़े डेवलपर शहरों का दम घोंट रहे हैं या उन्हें चोक कर रहे हैं, पूरी तरह गलत है. हमने मुंबई रीजन सहित कई जगहों पर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट किया है, जहां घर, ऑफिस सभी एक जगह पर हैं. जहां अनावश्यक यात्रा से बचा जा सकता है. उदाहरण के तौर पर भारत में 9 हजार EV चार्जिंग पॉइंट हैं. जबकि MMR रीजन, Lodha प्रोजेक्ट के नजदीक ही 100 से ज्यादा ऐसे पॉइंट्स हैं. हमारा मानना है कि Sustainability कोई फैक्ट्री नहीं है, ये एक अप्रोच है. और यदि सही तरह से सबकुछ किया जाए, तो बिना अतिरिक्त लागत के अच्छा काम किया जा सकता है. 

...तो फिर ये कॉर्पोरेट ग्रीन वॉशिंग है
पलक शाह के इस सवाल के जवाब में कि कॉर्पोरेट के साथ आपका अनुभव कैसा रहा है? क्या वे आपसे अक्सर Sustainability की बढ़ती लागत की शिकायत करते हैं? Brillio Foundation के सीनियर डायरेक्टर एवं ग्लोबल हेड ESG Abhishek Ranjan ने बताया कि हाल ही में उन्होंने एक आर्टिकल पढ़ा था, जिसके अनुसार 14 बिलियन डॉलर का ESG फंड देने से इनकार किया गया है. उन्होंने कहा - ये अच्छे संकेत नहीं हैं. समझने वाली बात ये भी है कि आखिर ESG का पैसा आता कहां से है? इसका जवाब है एंड कस्टमर से. इस इवेंट में आने से पहले मैं अपने सहकर्मी से चर्चा कर रहा था कि अपने कर्मचारियों के ट्रांसपोर्टेशन को 100% EV में कैसे बदला जाए, हमारे भारत में 5000 से अधिक कर्मचारी हैं. क्या आप जानते हैं कि हम जिन पेट्रोल-डीजल कारों को हायर करते हैं, उनकी तुलना में EV कार कम से कम 20 से 30% महंगी पड़ेगी, तो क्या हम इस लागत को वहन करने के लिए तैयार हैं? मैं यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आजकल अधिकांश कंपनियां इंटरनल कार्बन प्राइसिंग के लिए कुछ न कुछ कर रही हैं. और शायद जल्द ही हमें कार्बन टैक्स के लिए भी तैयार रहना पड़ सकता है. उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह कहना बेहद आसान है कि मैं अपने अपने एंड-कंज्यूमर से कुछ चार्ज नहीं करूंगा. लेकिन यदि मेरी कंपनी कहती है कि 1% एनवायरनमेंट टैक्स लगाना है, तो उसका भुगतान कौन करेगा? जाहिर है इससे हमारी बॉटम-लाइन ही प्रभावित होगी. रंजन ने Lodha के Aun Abdullah के उस बयान का जिक्र करते हुए, जिसमें उन्होंने कहा था कि LODHA एनवायरनमेंट सस्टेनेबलिटी की लागत अपने ग्राहकों से नहीं वसूलता, कहा - Abdullah ने जो कहा वो एक आदर्श परिदृश्य है, जहां इस तरह की लागत ग्राहकों पर नहीं डाली जातीं. और यदि आप इनोवेशन नहीं कर रहे हैं, कुशल संचालन नहीं कर रहे हैं, तो फिर यह ESG नहीं बल्कि पलक शाह ने जो टर्म इस्तेमाल की - 'कॉर्पोरेट ग्रीन वॉशिंग' वही है.   

Sustainability को लेकर गंभीर है P&G
Procter & Gamble यानी P&G Sustainability पर क्या कर रही है, इस पर अपनी बात रखते हुए पवन वर्मा ने कहा कि P&G (Sustainability) को लेकर बेहद गंभीर है. हमारा मानना है कि यदि हम वैल्यू को ड्राइव करने की इच्छा शक्ति रखते हैं, तो हम पूरी वैल्यू चेन में बहुत ज्यादा वैल्यू जोड़ सकते हैं. 2018 में हमने घोषणा की थी कि 2030 तक हमारे सभी प्लांट 35% कम पानी का इस्तेमाल करेंगे. आज भारत में हमारे 8 में से 5 प्लांट में बाकायदा ऐसा हो रहा है. हम ज्यादा से ज्यादा रिन्यूवल रिसोर्स पर काम कर रहे हैं. हमारे पास 2 इन हाउस सोलर प्लांट ऑपरेटिंग हैं. P&G में हम मानते हैं कि Sustainability एक यात्रा है और इस पर लगातार काम किया जाना चाहिए. हम अच्छा करके भी प्रॉफिट कमा सकते हैं. प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर उन्होंने कहा कि कंपनी प्लास्टिक को मार्केट से कलेक्ट करके रीसाइकिल करती है और इसमें लगातार तेजी आ रही है. 

क्या है Climate Conscious Delivery?
Zomato की चीफ सस्टेनेबलिटी ऑफिसर Anjalli Ravi Kumar से पलक शाह ने जानना चाहा कि Zomato की Climate Conscious Delivery क्या है और CSR पर कंपनी क्या कर रही है? इस पर अंजलि ने कहा - हमारे प्रॉफिटेबल बनने में Sustainability का बहुत बड़ा हाथ है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर हमारे प्रयासों ने निवेशकों को आकर्षित किया है. आईपीओ से पहले हमने EV बेस्ड डिलीवरी को लेकर एक ईको-सिस्टम बनाया था. ये निश्चित तौर पर मुश्किल काम था, क्योंकि EV वाहन पेट्रोल से महंगे होते हैं और हमारे हर डिलीवरी एजेंट्स के लिए उन्हें खरीदना संभव नहीं था. इसके लिए हमने करीब 70 EV ईको-सिस्टम प्लेयर्स के साथ पार्टनरशिप की. ऐसा ईको सिस्टम तैयार किया, जहां हमारे डिलीवरी एजेंट भी आसानी EV को एक्सेस कर सकें. आज दिल्ली और बेंगलुरु में हमारी हर 5 में एक डिलीवरी EV बेस्ड है. ये कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में हमारा योगदान है. हम 2033 में नेट जीरो घोषित होने की ओर अग्रसर हैं. फेवरेवल ओपिनियन से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि फेवरेवल ओपिनियन तलाशना गलत नहीं है, बिजनेस ट्रस्ट पर ही होता है. एक्शन से ट्रस्ट तलाशना गलत नहीं है, लेकिन ये एक्शन पारदर्शी होने चाहिए. 


आप जानते हैं क्‍या होता है Scope-3 Emission? कार्बन उत्‍सर्जन में है इसकी बड़ी हिस्‍सेदारी

सभी कंपनियों में Scope-3 Emission काफी बड़ा है, लेकिन इसे दूर करना इतना आसान नहीं है क्‍योंकि ना तो प्रोडक्‍ट की क्‍वॉलिटी से समझौता किया जा सकता है और न ही रेग्‍यूलेशन को दरकिनार किया जा सकता है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 21 November, 2023
Last Modified:
Tuesday, 21 November, 2023
Scope 3

Business world की BW Sustainability कम्‍यूनिटी के मुंबई में हुए इवेंट में कार्बन उत्‍सर्जन को लेकर हुए सेशन में कई नामचीन शख्सियतों ने भाग लिया. इस प्‍लेटफॉर्म पर सभी ने बताया कि आखिर किस तरह उनकी कंपनियां कार्बन उत्‍सर्जन को कम करने को लेकर काम कर रही हैं. कोई अपने पैकेजिंग पर काम कर रहा है तो किसी ने सोलर एनर्जी को लेकर काम किया है. कुछ समस्‍याएं जो सभी के वहां नजर आई वो ये हैं कि कार्बन उत्‍सर्जन में सबसे बड़ा योगदान कच्‍चे माल का है. 

क्‍या होता है Scope-3 Emission?

Scope-3 Emission कार्बन उत्‍सर्जन में प्रमुख तौर पर एक वो पदार्थ होते हैं जो सीधे कार्बन उत्‍सर्जन करते हैं उन्‍हें स्‍कोप वन कार्बन उत्‍सर्जन कहा जाता है. इसमें डीजल पेट्रोल जैसे तत्‍व आते हैं. जबकि कुछ ऐसे हैं जो अप्रत्‍यक्ष रूप से कार्बन उत्‍सर्जन का कारण बनते हैं. इनमें बिजली आती है. इन्‍हें स्‍कोप 2 कार्बन उत्‍सर्जन कहा जाता है. इसी तरह कार्बन उत्‍सर्जन के जो बाकी कारण होते हैं उन्‍हें स्‍कोप 3 उत्‍सर्जन कहा जाता है. सेशन को  Mynzo Carbon & Solararise की संस्‍थापक तान्‍या सिंघल ने की, जबकि इस सेशन में,Head – Sustainability, Marico बिपिन ओढ़ेकर, Vice President-Sustainability, Past Member of the Executive Board-Skoda Auto Volkswagen India संजय खरे, Chief Sustainability Officer, Grasim Industries सूर्य वल्‍लूरी मौजूद रहे.

 

Scope-3 Emission पर काम करना इतना आसान नहीं
Marico के Head – Sustainability, बिपिन ओढ़ेकर ने कहा अगर हम ये मानते हैं कि पूरी दुनिया एक है तो स्‍कोप 3 हम सभी को कनेक्‍ट करता है. अगर हम सभी लोग इसे इस नजरिए से देखेंगे तो मुझे लगता है कि हम इसका बेहतर सॉल्‍यूशन निकाल पाएंगे. हम समझ पाएंगे कि हमें इस समस्‍या को कैसे सुलझाना है. हमने अपनी सस्‍टेनेबिलिटी की यात्रा को 15-16 में शुरू किया था. वहां से हमने इसे देखना शुरू किया कि आखिर हमारे वहां स्‍कोप थ्री एमिशन सबसे ज्‍यादा कहां हैं. हमारे वहां स्‍कोप 1 और 2 का प्रतिशत केवल 7 प्रतिशत है और बाकी सभी स्‍कोप 3 है.

जो हमने पाया है वो ये है कि 80 प्रतिशत एमिशन कच्‍चे माल से आता है. ये सबकुछ प्रोडक्‍ट फॉर्मूलेशन में इस आधार पर किया जाता है कि आखिर बाजार में कस्‍टमर क्‍या मांग रहा है. रेग्‍यूलेशन क्‍या कहते हैं? अब ऐसे में अगर आप कोई बदलाव करना चाहते हैं तो वो इतना आसान नहीं होता है. किसी भी एक पैरामीटर को बदलने के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इसलिए हमने अपने पैकेजिंग मटीरियल को लेकर काम करना शुरू किया है. हमने पैकेजिंग को सुधारने के लिए 37 प्रोजेक्‍ट किए हैं. 

हमने सोलर एनर्जी से हासिल किया बड़ा लक्ष्‍य 

Skoda Auto Volkswagen India के Vice President-Sustainability, Past Member of the Executive Board संजय खरे ने कहा कि हमारे प्रोडक्‍शन साइट पर 2 प्रतिशत एमिशन होता है. बाकी जो भी 98 प्रतिशत एमिशन होता है वो स्‍कोप 3 एमीशन होता है. 80 प्रतिशत एमिशन टेल पाइप से होता है. 12 प्रतिशत अपस्‍ट्रीम सप्‍लाई चेन से होता है जबकि 5 प्रतिशत रिसाइकिलिंग से होता है. हम इसे लेकर भारत की सड़कों पर बेहद एहतियात बरत रहे हैं. हमने स्‍कोप 3 को कम करने के लिए सबसे पहले स्‍कोप 1 और 2 पर ध्‍यान दिया. आज हमने अपनी सभी छतों पर सोलर पॉवर लगा दी है. इसके कारण होता ये है कि हमने 18 वॉट तक एनर्जी सेव की है. इससे हमारी 60 प्रतिशत तक एनर्जी कॉस्‍ट की बचत हुई है. आज हम जीरो लिक्विड डिस्‍चार्ज कंपनी बन चुके हैं,जीरो वेस्‍ट वाली कंपनी बन चुके हैं. भारत में 70 प्रतिशत इंडस्‍ट्री एसएमई और एमएसएमई सेक्‍टर की है. हम हर स्‍तर पर उसे कम करने को लेकर प्रयास कर रहे हैं. 

हम अपने गुड्स एंड ट्रांसपोर्ट के लिए सल्‍यूशन ढ़ूढ़ रहे हैं.

Grasim Industries के Chief Sustainability Officer, सूर्य वल्‍लूरी ने इस मौके पर कहा कि हमारे स्‍कोप 3 की बात करें तो वो कोई 40 प्रतिशत के आसपास है. हमारी लास्‍ट कार्बन काउंटिंग में जिसे हमने दिखाया भी है उसमें 5.5 मिलियन टन स्‍कोप 3 एमिशन है. आप ये भी जानना चाह रहे होंगे कि आखिर ये कहां से आ रहा है और इसकी क्‍या वजह है. हम टेक्‍सटाइल डोमेन में काम कर रहे हैं, हम फैशन और फाइबर में काम कर रहे हैं, हम कैमिकल में काम कर रहे हैं. ये वो सभी तरह के क्षेत्र हैं जहां हमारी कंपनी काम कर रही है. हमने जब इसकी जांच की तो पाया कि लगभग 50 प्रतिशत स्‍कोप 3 एमिशन कच्‍चे माल से आ रहा है. जबकि 29 प्रतिशत एमीशन हमारे गुडस एंड सर्विसेज से आता है. 17 प्रतिशत ऐसा है जो फिलर से आता है. अब हम अपने गुड्स एंड ट्रांसपोर्ट के लिए सल्‍यूशन ढ़ूढ़ रहे हैं.


BW Sustainability: Sri City के प्रेसिडेंट ने बताया डाइवर्सिफाइड इंडस्ट्रियल बेस का महत्व

श्री सिटी के बारे में बात करते हुए सतीश कामत ने कहा कि हमने 2008 में शुरुआत की थी और महज 15 सालों में काफी कुछ हासिल कर लिया है.

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Published - Tuesday, 21 November, 2023
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Tuesday, 21 November, 2023
BW Event

BW BusinessWorld द्वारा आयोजित सस्टेनेबल वर्ल्ड कॉन्क्लेव एवं अवॉर्ड्स के 5वें संस्करण में अलग-अलग सेक्टर्स की हस्तियां अपने विचार पेश कर रही हैं. इसी कड़ी में आंध्र प्रदेश स्थित श्री सिटी (Sri City) के प्रेसिडेंट सतीश कामत (Satish Kamat) ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट के मॉडल के रूप में श्री सिटी की खासियत पर प्रकाश डाला. साथ ही उन्होंने बताया कि बिजनेस की सफलता तभी संभव है जब समाज और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए एक बैलेंस बनाकर आगे बढ़ा जाए. सतीश कामत ने कहा कि श्री सिटी आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में निर्मित एक इंटीग्रेटेड बिजनेस सिटी है. 2008 में स्पेशल इकॉनोमिक जोन (SEZ) के रूप में इसकी स्थापना की गई थी और महज 15 सालों में इसने बहुत कुछ हासिल किया है. आज यहां कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों की शाखाएं व कारखाने हैं.

हमारे DNA में है सस्टेनेबलिटी 
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सतीश कामत ने कहा कि बिजनेस को सोसाइटी और एनवायरनमेंट के प्रति दयालु होना चाहिए. इन सबके बीच अच्छे तालमेल की जरूरत है, बगैर इसके व्यवसाय को सफलता नहीं मिल सकती. सस्टेनेबलिटी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि सस्टेनेबलिटी हमारे DNA में है. हमारे फाउंडर Ravindra Sannareddy ने अमेरिका में एनवायरनमेंट साइंस पर काम किया है. वह पर्यावरण संरक्षण की भूमिका को अच्छे से समझते हैं और Sri City इसका एक नायब नमूना है. हमने पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित किए बिना इस शहर का निर्माण किया है. 10 हजार एकड़ में फैली श्री सिटी, आंध्र के पिछड़े इलाके में बनाई थी, ताकि यहां के लोगों के जीवनस्तर में सुधार किया जा सके. आज यहां स्थानीय गांवों के विकास के साथ-साथ रिवर्स माइग्रेशन देख जा रहा है. पहले यहां से लोग चेन्नई, तमिलनाडु जैसी जगहों पर काम के लिए जाते थे, लेकिन अब यहां वापस आ रहे हैं. 

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सिटी ग्रोथ के अलग-अलग मॉडल
Sri City के प्रेसिडेंट ने कहा कि आजकल 7 ट्रिलियन, 10 ट्रिलियन इकॉनोमी की बात होती है. यदि हमें इसे हकीकत में बदलना है, तो हमारे शहरों को इन्फ्रास्ट्रक्चर की फाउंडेशन लेयर बनना होगा. उन्हें इस तरह विकसित होना होगा कि राष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था में कोई बड़ा योगदान दे सकें. एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले समय में लगभग आधा भारत शहरों में रहेगा, इसलिए सिटी ग्रोथ के अलग-अलग मॉडल जरूरी हैं. हमारे फाउंडर चेन्नई की भागदौड़ से दूर हांगकांग और Shenzhen मॉडल पर आधारित कुछ करना चाहते थे. और उनकी इसी चाहत से श्री सिटी का निर्माण हुआ. हांगकांग एक जमाने में विनिर्माण हब था. चीन ने तेज आर्थिक विकास के लिए Shenzhen में कई स्पेशल इकॉनोमिक जोन (SEZ) शुरू किए थे. अब आप देखेंगे कि हांगकांग और Shenzhen की अर्थव्यवस्था एक ही आकार की हो गई है. कहने का मतलब है कि यदि आइडिया और इम्प्लीमेंटेशन सही तरीके से हो, तो मुख्य शहर को छेड़े बिना भी दूसरा शहर बसाया जा सकता है. मुख्य शहर की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किए बिना, एक अलग अर्थव्यवस्था बनाई जा सकती है. 

4 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश
श्री सिटी के बारे में बात करते हुए सतीश कामत ने कहा कि हमने 2008 में शुरुआत की थी और महज 15 सालों में काफी कुछ हासिल कर लिया है. मौजूदा वक्त में हमारे इस शहर में 28 देशों की 210 कंपनियां हैं. हर 15 दिनों में एक कंपनी हमसे जुड़ती है. इन सभी कंपनियों ने 4 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है, इससे 60 हजार नई इंडस्ट्रियल नौकरियां उत्पन्न हुई हैं. भारत में हमारी गिनती बेस्ट नॉन-IT SEZ में होती है. हमारा एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है. श्री सिटी में फिलहाल 8 से 10 हजार लोग रहते हैं और आने वाले समय में यह आंकड़ा एक लाख के पार जा सकता है. डाइवर्सिफाइड इंडस्ट्रियल बेस के महत्व को समझाते हुए कामत ने कहा - हमने लगभग सभी सेक्टर्स को कवर किया है. ऑटोमोबाइल, FMCG से लेकर इलेक्ट्रोनिक तक करीब-करीब हर सेक्टर से जुड़ी कंपनी हमसे कनेक्ट है. ऐसे में हम किसी एक सेक्टर या इंडस्ट्री पर निर्भर नहीं हैं. इसका फायदा ये होता है कि अगर कोई एक सेक्टर बेहतर नहीं कर रहा, तो उसका असर पूरे शहर पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि दूसरे सेक्टर उस कमी को पूरा कर देंगे. 
 


दुनिया के कई देशों में ग्‍लोबल वार्मिंग का असर दिखना शुरू हो चुका है: डॉ. अनुराग बत्रा 

डॉ. अनुराग बत्रा ने बताया कि ग्‍लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव के बीच समुद्र की अहमियत और बढ़ गई है, उन्‍होंने ये भी कहा कि अब जरूरत है कि शहरों को पर्यावरण के अनुसार डिजाइन किया जाए.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 21 November, 2023
Last Modified:
Tuesday, 21 November, 2023
Dr. Anurag Batra

बिजनेस वर्ल्‍ड समूह की BW  Sustainability कम्‍यूनिटी के कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए बिजनेस वर्ल्‍ड समूह के चेयरमैन, एडिटर-इन-चीफ और एक्‍सचेंज4मीडिया के संस्थापक डॉ. अनुराग बत्रा ने बताया कि ग्‍लोबल वार्मिंग का असर दुनिया के कई देशों में दिखाई देने लगा है. उन्‍होंने कहा कि आज दुनिया के कई देशों मे गर्मियों का मौसम सीजन से चार महीने पहले आने लगा है. उन्‍होंने कहा कि आज हमारे वातावरण के लिए समुद्र की कीमत और बढ़ गई है क्‍योंकि वहां रहने वाले मैमल हमारी कार्बन डाई ऑक्‍साइड को आब्‍जर्व कर लेते हैं. 

BW Sustainability हमारी सबसे यंग कम्‍यूनिटी 
डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि BW sustainability बिजनेस वर्ल्‍ड की सबसे यंग कम्‍यूनिटी है. हमने इसे 26 अक्‍टूबर को लॉन्‍च किया था. इस दिन विश्‍व सस्‍टेनेबिलिटी दिवस होता है. पिछले चार सालों में हम सस्‍टेनेबिलिटी में देश की बेस्‍ट 500 कंपनियों में शामिल रहे हैं. मैं सभी स्‍पीकर का स्‍वागत करता हूं और आज शाम को हम अवॉर्ड भी देने जा रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि आज हमारे साथ यहां कई साथी हैं जो सस्‍टेनेबिलिटी के क्षेत्र में गहराई से काम कर रहे हैं. उनकी कोशिश है कि अपनी इस अर्थ को रहने लायक बनाया जा सके. आज यहां से जो कुछ भी निकलने वाला है हम उसे बिजनेस वर्ल्‍ड में भी कवर करने वाले हैं. 

हमारे इस इवेंट में कई अहम लोग मौजूद 
डॉ. अनुराग बत्रा ने बताया कि हमारे साथ यहां मेरे मित्र सुधीर मिश्रा भी मौजूद हैं जो दिल्‍ली के एयर पल्‍यूशन में ऑड ईवन से लेकर टाइगर कंजर्वेशन तक कई काम कर चुके हैं. हम हर साल सस्‍टेन लैब्‍स पेरिस के साथ मिलकर इंडिया की मोस्‍ट सस्‍टेनेबल कंपनी की रैंकिंग को लेकर काम करते हैं. हम मार्च या अप्रैल में उसे फिर करेंगे.

शहरों की संख्‍या के बारे में सोचने की जरूरत 
डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा क्‍योंकि आप लोग इस क्षेत्र के एक्‍सपर्ट हैं इसलिए मैं आप लोगों के सामने ये बात रखना चाहता हूं कि आखिर एक बैटरी कितना एमीशन पैदा करती है. मैं और सुधीर इस पर बात कर रहे थे, मैं जानता हूं आप सभी दिल्‍ली के स्‍मॉग से परिचित होंगे. उसकी इकोनॉमिक कॉस्‍ट क्‍या होगी? वो हर किसी के लंग्‍स को खराब कर रहा है. विशेष तौर पर बच्‍चे और दूसरों के स्‍वास्‍थ्‍य को खराब कर रहा है. हमारे शहरों में जिंदगी हर बीतते दिन के साथ कठिन होती जा रही है. उन्‍होंने कहा कि मैं टाइम मैगजीन में एक लेख पढ़ रहा था जिसमें ये बताया गया था शहरों का डिजाइन बेहतर पर्यावरण के अनुसार होना चाहिए.

उसमें एक कपल की स्‍टोरी थी, जिसमें बताया गया था कि वो एक ऐसे टाउन से आए थे जिसकी आबादी 1 लाख थी, लेकिन अब वहां की आबादी 2 मिलियन हो चुकी है. सोचिए भारत में क्‍या हाल होता होगा जहां एक मिलियन की आबादी में 2 मिलियन लोग रहते हैं. मुझे लगता है कि दिल्‍ली में जो प्रदूषण होता है वो वाहनों के कारण उतना ज्‍यादा नहीं होता है. दिल्‍ली में स्‍मॉग वाहनों के प्रदूषण के कारण नहीं होता है. दिल्‍ली में स्‍मॉग 3 किलोमीटर ऊपर रहता है. अगर बारिश होती है तो वो पूरी तरह से सेटल हो जाता है. आखिर वो कहां चला जाता है. हम जो कोल बर्न कर रहे हैं और किस क्‍वॉलिटी का कोल बर्न कर रहे हैं ये उस पर भी निर्भर करता है.

जीवन में ये तीन चीजें सबसे अहम हैं 
डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि आज मैं आप लोगों से तीन चीजों के बारे में बात करना चाहता हूं, हालांकि मैं इसका एक्‍सपर्ट नहीं हूं, लेकिन हां इसके बारे में जानना जरूर चाहता हूं. उन्‍होंने इजराइल के उस युवक की कहानी सभी को सुनाई जिसने अपने दोस्‍त की जिंदगी बचाने के लिए एवरेस्‍ट पर चढ़ने से ज्‍यादा वापस आना तय किया. उन्‍होंने अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति डोनॉल्‍ड ट्रंप के बारे में बात की और कहा कि क्‍लाइमेट चेंज को लेकर उन्‍होंने जो कहा था वो गलत था. आज आप अमेरिका के शहरों का तापमान देख सकते हैं. आज आग से ऑस्‍ट्रेलिया, यूरोप, और कई देश परेशान हैं. गर्मियों का मौसम कई देशों में चार महीने पहले आ रहा है.

सस्‍टेनेबिलिटी का मतलब ये है कि आप अर्थ को लेकर संवेदनशील हों. दूसरी चीज ये है कि माइंडफुल, हम लोग स्‍वास्‍थ्‍य पोषण से लेकर कई दूसरी चीजों पर बात करते हैं. इनके लिए सबसे अहम है ये है कि आप पर्याप्‍त नींद लें. मैं खुद 9 घंटे सोता हूं. मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि आप लोगों को कम से कम 9 घंटे सोना चाहिए. तीसरी चीज है काइंडनेस. लोगों को एक दूसरे के प्रति दयालु होना चाहिए. 
 


अब नारायण मूर्ति बोले शिक्षकों को करना है प्रशिक्षित तो खर्च करनी होगी इतनी रकम खर्च

उन्‍होंने कहा कि इसके लिए हमें 4 शिक्षकों का एक प्रशिक्षक समूह बनाना होगा जो 100 शिक्षकों को प्रशिक्षित करेगा. उन्‍होंने ये भी कहा कि ये प्रशिक्षक एक साल में 10 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षित कर देंगे.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 15 November, 2023
Last Modified:
Wednesday, 15 November, 2023
Narayan Murthy

कुछ दिन पहले हफ्ते में 70 घंटे काम करने की बात कहने वाले नारायण मूर्ति ने अब एक और अहम बयान दिया है. उन्‍होंने कहा कि हमें अपने शिक्षकों के प्रशिक्षण को लेकर गंभीरता से काम करने की जरूरत है. उन्‍होंने कहा कि हमें इस पर सालाना 1 अरब डॉलर का निवेश करने की जरूरत है. उन्‍होंने नई शिक्षा नीति में तेजी लाने वाले उपायों को लेकर भी विस्‍तार से बात की. 

क्‍या बोले नारायण मूर्ति? 
इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने कहा कि अगर हमें नई शिक्षा नीति के प्रयासों में तेजी लानी है तो हमें उसके लिए लगभग 2500 शिक्षकों को के एक प्रशिक्षण दल को तैयार करना होगा. उन्‍होंने कहा कि अगर हमें कॉलेज बनाने हों तो उसके लिए विज्ञान, तकनीक, इजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र से अनुभवी 10 हजार शिक्षकों को आमंत्रित करना होगा. ये प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे एक साल का होना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम को ऐसे चलाया जा सकता है जिसमें 4 शिक्षकों का एक दल 100 प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों और 100 माध्‍यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को प्रशिक्षित कर सकता है. उन्‍होंने कहा कि इस तरीके से हर साल ढ़ाई लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित कर पाएंगे. इसके बाद पांच साल में ये ही खुद प्रशिक्षक बन जाएंगे. 

इतना पैसा होगा खर्च? 
नारायण मूर्ति ने इसे लेकर ये भी बताया कि इसमें कितना पैसा खर्च होगा. उन्‍होंने कहा कि इसमें सालाना 1 अरब रुपये का निवेश करते हुए 20 साल में 20 अरब रुपये का निवेश करना होगा. उन्‍होंने कहा कि जल्‍द ही 5 ट्रिलियन की ओर बढ़ रही हमारी इकोनॉमी के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है. उन्‍होंने कहा कि जरूरत इस बात की है भारत अपनी हर समस्‍या को सुलझाते हुए चौथे चरण में पहुंचे जहां वो आविष्‍कारक बने. उन्‍होंने कहा कि हम आज भी यातायात प्रबंधन, शहरों के डिजाइन, प्रदूषण नियंत्रण जैसी समस्‍याओं के चरण एक में हैं. हमें जल्‍द से जल्‍द इनके चौथे चरण में पहुंचने की जरूरत है.  नारायण मूर्ति इंफोसिस के पुरस्‍कार 2023 में बोल रहे थे. 

इससे पहले 70 घंटे काम करने को लेकर कह चुके हैं बात 
नारायण मूर्ति इससे पहले हफ्ते में 70 घंटे काम करने की बात कह चुके हैं. उन्‍होंने कहा था कि जिस तरह से जापान के लोगों ने दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद बिना समय देखे काम किया हम भारतीयों को भी उसी तरह से काम करना होगा. तभी हम विकसित अर्थव्‍यवस्‍था बन पाएंगे. मूर्ति के इस बयान पर इंडस्‍ट्री के कई जानकारों ने अपनी बात कही थी. किसी ने इससे सहमति जताई तो किसी ने अपना पक्ष रखा था.