एक कर्मचारी की गलती और Walmart को $44 लाख की चपत, जानिए पूरा मामला

माइकल मैनगम नाम के इस अश्वेत व्यक्ति को 4 लाख डॉलर नॉन इकोनॉमिक डैमेज और 40 लाख डॉलर दंड के रूप में दिए गए.

Last Modified:
Wednesday, 24 August, 2022
माइकल मैनगम (बाएं) अपने वकील के साथ

नई दिल्ली: Walmart को उसके एक कर्मचारी की हरकत की कीमत 44 लाख डॉलर का हर्जाना देकर चुकानी पड़ी. दरअसल पोर्टलैंड, ओरेगन (Oregon) में एक जूरी ने वॉलमार्ट को आदेश दिया कि एक अश्वेत व्यक्ति को 44 लाख डॉलर का हर्जाना दे. उस अश्वेत व्यक्ति ने एक मुकदमे में दावा किया था कि एक श्वेत (White) वॉलमार्ट कर्मचारी ने खरीदारी करते समय उसे नस्लीय रूप से प्रोफाइल किया और झूठे आरोपों लगाकर कानूनी दांव पेंच में फंसाने की कोशिश की.

आखिर हुआ क्या था

माइकल मैनगम नाम के इस अश्वेत व्यक्ति को 4 लाख डॉलर नॉन इकोनॉमिक डैमेज और 40 लाख डॉलर दंड के रूप में दिए गए. ये जानकारी उनके वकील ने दी है. खबरों के मुताबिक दरअसल, मामला 26 मार्च 2020 का है, जब 59 साल के मैनगम ओरेगॉन में अपने फ्रिज का लाइट बल्ब लेने के लिए Walmart स्टोर गए. उन्होंने ध्यान दिया कि वॉलमार्ट का एक कर्मचारी जो विलियम्स (Joe Williams) लगातार उन पर नजर बनाए हुए है. मैनगम ने इस बात पर आपत्ति जताई उन्हें लगा कि ऐसा उनके अश्वेत होने की वजह से हो रहा है. कर्मचारी ने मैनगम से कहा कि वो स्टोर से बाहर निकल जाए, लेकिन मैनगम ने इनकार कर दिया. मैनगम ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है. 

इस पर कर्मचारी विलियम ने कहा कि अगर वो स्टोर से बाहर नहीं जाते हैं तो वो पुलिस को बुला लेगा और वो उनसे कहेगा कि मैनगम ने उन्हें चेहरे पर मारने की धमकी दी है. खबर के मुताबिक Multnomah County के पुलिस अधिकारी वॉलमार्ट स्टोर पहुंचते हैं, लेकिन मैनगम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते. क्योंकि जिस कर्मचारी ने पुलिस को बुलाया था, उसका पहले भी कई झूठी रिपोर्ट्स पुलिस को दर्ज कराने का इतिहास है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब वो वहां पहुंचे तो उन्हें फोन करने वाले कर्मचारी की बातों में कुछ ठोस नहीं मिला, इसके पहले भी वो ऐसी कॉल्स कर चुका था. 

वॉलमार्ट कर्मचारी पर आरोप
मैनगम ने अपने केस में आरोप लगाया था कि कर्मचारी का मकसद उनपर झूठे आरोप लगाकर कानूनी पचड़े में फंसाने की थी. मैनगम ने ये भी आरोप लगाया कि कर्मचारी के कॉल का मकसद उन्हें परेशान, अपमानित या शर्मिंदा महसूस कराने के साथ-साथ उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना था. कर्मचारी चाहता था कि मैनगम को किसी भी तरह वॉलमार्ट स्टोर से बाहर कर दिया जाए. केस में कहा गया है कि इस घटना की वजह से मैनगम को तकलीफ, शर्मिंदगी भय, अपमान, क्रोध और आक्रोश से गुजरना पड़ सकता है. 

मैनगम के वकील के मुताबिक - अगले दिन पुलिस अधिकारी ब्रायन व्हाइट अपने कुछ दूसरे अधिकारियों के साथ वॉलमार्ट के डायेरक्टर, असिस्टेंट मैनेजर से मिलते हैं और उन्हें बताते हैं कि उनका कर्मचारी झूठी शिकायतों के लिए पुलिस को फोन करता है. जैसे- कस्टमर से मारपीट या बहस, जबकि ऐसा कुछ होता नहीं है. इसके बावजूद वॉलमार्ट का स्टोर उसे कई महीनों तक नौकरी पर रखता है, लेकिन जुलाई 2020 को 35 डॉलर के सामान का गलत तरीके से रखरखाव का आरोप लगाकर नौकरी से निकाल देता है. इधर विलियम का कहना है कि उसने गलती से पुलिस को फोन लगा दिया था क्योंकि मैनगम ने उसे मारने की धमकी दी थी. मैनगम ने वॉलमार्ट के खिलाफ इस घटना लेकर केस ठोक दिया. जांच के बाद कोर्ट ने मैनगम के पक्ष में फैसला सुनाया

Walmart का बयान 
वॉलमार्ट का इस फैसले पर कहना है कि वह भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करता है, लेकिन ये फैसला "हद से ज्यादा है" है और सबूतों के आधार पर नहीं है. कंपनी के एक प्रवक्ता का कहना है कि माइकल मैनगम को वॉलमार्ट के एसेट प्रोटेक्शन द्वारा कभी नहीं रोका गया, उन्होंने हमारे सहयोगियों के साथ दखलअंदाजी की क्योंकि वे सर्वेक्षण कर रहे थे और फिर जब चोरी (shoplift) की पुष्टि हुई तो उन्हें रोका गया, बार-बार कहने के बाद उन्होंने जाने से इनकार कर दिया. प्रवक्ता ने बताया कि हम ट्रायल के बाद के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. 

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एक वीडियो...और पुलिस ने CM को अपने मोबाइल सहित पेश होने का भेज डाला समन!

एक वायरल वीडियो के मामले में दिल्ली पुलिस ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री को समन भेजा है.

Last Modified:
Monday, 29 April, 2024
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तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी (Telangana CM Revanth Reddy) मुश्किल में पड़ते दिखाई दे रहे हैं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने उन्हें समन भेजकर अपने मोबाइल के साथ पेश होने को कहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के फेक वीडियो (Amit Shah Fake Video) से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट ने तेलंगाना CM एक मई को हाजिर होने का बुलावा भेजा है. पुलिस ने सीएम से कहा है कि वो मोबाइल फोन को भी साथ लेकर आएं. पुलिस यह जांचना चाहती है कि क्या CM के मोबाइल से ही फर्जी वीडियो अपलोड किया गया था.

हैदराबाद पहुंच चुकी है टीम
बताया जा रहा है कि रेवंत रेड्डी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अमित शाह का फर्जी वीडियो शयर किया था. तेलंगाना कांग्रेस के आधिकारिक X अकाउंट सहित पार्टी के कुछ अन्य नेताओं ने भी इस वीडियो को शेयर किया था. मामले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की एक टीम पहले ही हैदराबाद पहुंच चुकी है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री से भी पूछताछ करना चाहती है, जिसके लिए उन्हें समन भेजा गया है. वहीं, इस केस में असम से रितोम सिंह नामक शख्स को गिरफ्तार किया गया है.

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क्या है शाह के वीडियो में?
गृहमंत्री अमित शाह का एक फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया गया था, जिसमें उन्हें आरक्षण को लेकर बात करते हुए दिखाया गया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में संडे को शिकायत मिलने के बाद केस दर्ज किया था. पुलिस की स्पेशल सेल ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के अलावा IT एक्ट के तहत केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि इस मामले में देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तारियां भी कर सकती है. मामले की शिकायत में कहा गया है कि अमित शाह का फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है कि जिसकी वजह से विभिन्न समुदायों के बीच तनाव बढ़ सकता है. 


100 रुपये की आइसक्रीम, SWIGGY ने क्यों चुकाए 5 हजार?

फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म स्विगी (SWIGGY) को एक आइसक्रीम की डिलीवरी ना करना बहुत भारी पड़ गया है. कंज्यूमर कोर्ट ने इसके लिए कंपनी को 5 हजार रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं. 

Last Modified:
Monday, 29 April, 2024
BWHindia

फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म स्विगी (SWIGGY) को आइसक्रीम की डिलीवरी ना करने पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगा है. दरअसल, कस्टमर की शिकायत पर बेंगरलुरु की एक कंज्यूमर कोर्ट ने स्विगी को आइसक्रीम की डिलीवरी न करने पर 3,000 रुपये जुर्माना और 2,000 रुपये कानूनी फीस के रूप में कस्टमर को वापस देने का आदेश दिया है. तो चलिए जानते हैं क्या था ये पूरा मामला?

यह मामला जनवरी 2023 का है. जानकारी के अनुसार, कस्टमर ने जनवरी 2023 में स्विगी ऐप (SWIGGY APP) का इस्तेमाल करते हुए, एक आईसक्रीम  ऑर्डर की थी. इस आइसक्रीम का नाम Nutty Death by Chocolate था, जिसकी कीमत 187 रुपये बताई गई है. कस्टमर ने बताया कि उसे आइसक्रीम डिलिवर नहीं हुई और ऐप पर डिलिवर्ड का स्टेटस आने लगा।
शिकायत के मुताबिक, डिलीवरी एजेंट ने आईसक्रीम शॉप से आईसक्रीम को पिकअप तो किया, लेकिन उसे डिलीवर नहीं किया. हालांकि ऐप पर बिना डिलीवरी किए डिलीवर्ड का स्टेटस आने लगा. इस मामले को शिकायतकर्ता ने स्विगी के शेयर किया और ऐप ने इस पर कोई रिफंड नहीं दिया. इसके बाद शिकायतकर्ता ने कंज्यूमर कोर्ट में गुहार लगाई. 

स्विगी ने क्या कहा?
स्विगी ने कोर्ट ने बताया कि यह सिर्फ कस्टमर और रेस्टोरेंट के बीच का मामला है. साथ ही उसके डिलिवरी एजेंट की तथाकथित गलती पर स्विगी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. स्विगी ने कहा कि कंपनी आईटी एक्ट के प्रावधानों के तहत लायबिलिटी से सुरक्षित है और जब ऐप पर स्टेटस में आइसक्रीम को डिलीवर के रूप में मार्क किया तो, कंपनी इसकी जांच करने में असमर्थ थी, कि ऑर्डर डिलिवर हुआ है या नहीं. हालांकि कोर्ट ने इन दावों को खारिज कर दिया. 

कोर्ट ने क्या आदेश दिए?
बैंग्लोर अर्बल एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर रिड्रेसल कमीशन ने कहा कि शिकायतकर्ता ने यह साबित कर दिया है कि स्विगी की ओर से सर्विस में कोताही बरती गई. ऑर्डर किया गया प्रोडक्ट डिलीवर न होने पर स्विगी की ओर से भुगतान की गई राशि वापिस नहीं की गई है. 

शिकायतकर्ता ने मांगे थे 17,500 रुपये
कोर्ट में शिकायतकर्ता ने 17,500 रुपये की मांग की थी, जिसमें 10,000 रुपये मुआवजे के रूप में और मुकदमेबाजी पर खर्च के रूप में 7,500 रुपये का दावा किया था. लेकिन अदालत ने इसे ज्यादा पाया और स्विगी को आइसक्रीम की डिलीवरी न करने पर 3,000 रुपये जुर्माना और 2,000 रुपये कानूनी फीस के रूप में वापस देने का आदेश दिया.


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पश्चिम बंगाल में एक झटके में गई 24 हजार लोगों की सरकारी नौकरी, क्या है पूरा मामला

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार को कलकत्ता हाई कोर्ट से बड़ा झटका मिला है.

Last Modified:
Monday, 22 April, 2024
Mamta Banrjee

लोकसभा चुनाव के बीच पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को शिक्षक भर्ती घोटाला मामले बड़ा झटका लगा है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने पूरे पैनल को अमान्य करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग पैनल द्वारा की गई स्कूल शिक्षक भर्ती को रद्द कर दिया है जिसके बाद करीब 24,000 शिक्षकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा. इस भर्ती में 5 से 15 लाख रुपये की घूस लेने तक का आरोप हैं. 

हाईकोर्ट ने रद्द किया जॉब पैनल

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2016 का पूरा जॉब पैनल रद्द कर दिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कक्षा 9वीं से 12वीं और समूह सी और डी तक की उन सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया जिनमें अनियमितताएं पाई गईं. इसके साथ ही करीब 24 हजार नौकरियों को रद्द कर दिया है. इस भर्ती में पैनल पर करीब 5 से 15 लाख रुपये की घूस लेने आरोप हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस देवांशु बसाक की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. इसके अलावा कोर्ट ने शिक्षकों को जो वेतन दिया गया था उसे भी लौटाने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग को दोबारा से नई नियुक्ति शुरू करने का निर्देश भी दिया है.

हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर क्या कहा? 

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2016 एसएससी भर्ती के पूरे पैनल को अमान्य घोषित कर दिया. 9वीं से 12वीं और ग्रुप C और D तक की सभी नियुक्तियां जहां अनियमितताएं पाई गईं, उन्हें भी शून्य घोषित कर दिया गया है. कोर्ट ने प्रशासन को अगले 15 दिनों में नई नियुक्तियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इस मामले में कैंसर से पीड़ित सोमा दास की नौकरी बस सुरक्षित रहेगी. हाई कोर्ट ने सोमा दास की नौकरी सुरक्षित रखने का आदेश दिया है.

क्या है बंगाल का SSC घोटाला?

पश्चिम बंगाल में साल 2016 में राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत 13 हजार शिक्षण और ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती के लिए स्कूल सेवा आयोग (SSC) की ओर से परीक्षा आयोजित हुई थी. 27 नवंबर 2017 को नतीजे आने के बाद मेरिट लिस्ट बनाई गई. इसमें सिलीगुड़ी की बबीता सरकार 77 अंक के साथ टॉप 20 में शामिल थी. बाद में आयोग ने इस मेरिट लिस्ट को रद्द कर दूसरी सूची बनाई. इसमें बबीता का नाम वेटिंग में डाल दिया गया. कम अंक पाने वाली एक टीएमसी के मंत्री की बेटी अंकिता का नाम लिस्ट में पहले नंबर पर आ गया और उसे नौकरी भी मिल गई. इसके बाद घोटाले का धीरे-धीरे खुलासा होने लगा. बबीता ने इस मेरिट लिस्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

करोड़ों की प्रॉपर्टी अटैच कर चुकी है ED

पश्चिमी बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में ED ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 230.6 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी अटैच की है. प्रवर्तन निदेशालय ने 230.6 करोड़ रुपये कीमत की जमीन और फ्लैट को जब्त किया है. जब्त की गई प्रॉपर्टी आरोपी प्रसन्ना कुमार रॉय, शांति प्रसाद सिन्हा और कुछ अन्य कंपनियों के नाम पर थी. प्रसन्ना रॉय के नाम पर 96 कट्ठा पथरघाटा, 117 कट्ठा सुल्तानपुर, 282 कट्ठा महेशतला और 136 कट्ठा न्यू टाउन में मौजूद है, जिन्हें ED ने जब्त किया है. वहीं शांति प्रसाद सिन्हा की कपशती इलाके में स्थित जमीन और पूरब जादाबपुर में स्थित फ्लैट जब्त किया गया है. ईडी इस घोटाले में पहले ही प्रसन्ना रॉय और शांति प्रसाद को गिरफ्तार कर चुकी है.
 


बड़े चालबाज हैं कुंद्रा, 80 करोड़ का फ्लैट Shilpa को इसलिए 38 करोड़ में बेचा!

ED का कहना है कि राज कुंद्रा के पास अभी भी 285 बिटकॉइन हैं, जिनकी कीमत वर्तमान में 150 करोड़ रुपए से अधिक है.

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Saturday, 20 April, 2024
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बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाले (Bitcoin Ponzi Scam) से जुड़े एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में राज कुंद्रा और उनकी एक्ट्रेस वाइफ शिल्पा शेट्टी की 97.79 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच की थी. इसमें शिल्पा का जुहू वाला फ्लैट, राज के नाम पर पुणे में रजिस्टर्ड बंगला और इक्विटी शेयर शामिल हैं. अब इस पूरे मामले में राज कुंद्रा की एक नई चालबाजी भी सामने आई है. हालांकि, इसके पुख्ता सबूत नहीं है, लेकिन ED को पूरा शक है कि राज ने ऐसा किया होगा. 

शिल्पा को बुलाएगी ED
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले (Money Laundering Case) में ED की जांच शुरू होते ही बिजनेसमैन राज कुंद्रा ने 2022 में अपना जुहू वाला फ्लैट पत्नी शिल्पा शेट्टी को बेच दिया था. फ्लैट की वैल्यू करीब 80 करोड़ रुपए थी, लेकिन राज ने शिल्पा इसे केवल 38 करोड़ रुपए में बेच दिया. ED को शक है कि पति-पत्नी ने सोची-समझी रणनीति के तहत ऐसा किया होगा, ताकि फ्लैट को कुर्की की कार्रवाई से बचाया जा सके. प्रवर्तन निदेशालय को यह भी लगता है कि राज अभी भी इस फ्लैट के असली मालिक हैं. ईडी शिल्पा शेट्टी को उनका बयान दर्ज करने के लिए जल्द बुला सकती है. 

इनके खिलाफ हुई FIR
बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाला तब सामने आया जब महाराष्ट्र और दिल्ली पुलिस द्वारा 2017 में 'गेन बिटकॉइन' नामक योजना में पैसा लगाने वाले निवेशकों की शिकायत पर FIR दर्ज की गईं. बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम के प्रमोटर अजय और महेंद्र भारद्वाज ने निवेशकों को बिटकॉइन के रूप में प्रति माह 10 प्रतिशत रिटर्न का वादा किया था, लेकिन ये वादा कभी पूरा नहीं हुआ. इस मामले में वेरिएबल टेक पीटीई लिमिटेड नामक कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज की गई थीं. इस कंपनी के प्रमोटर्स अमित भारद्वाज, अजय भारद्वाज, विवेक भारद्वाज, सिम्पी भारद्वाज और महेंद्र भारद्वाज का भी नाम एफआईआर में शामिल था.

ऑनलाइन वॉलेट में छिपाई बिटकॉइन
FIR के मुताबिक, आरोपियों ने 2017 में अपने निवेशकों से 6,600 करोड़ रुपए जुटाए थे. कथित तौर पर निवेशकों को शुरुआत में नए निवेश से भुगतान किया गया था. लेकिन, पेमेंट तब रुक गया जब भारद्वाज समूह नए निवेशकों को स्कीम में पैसा लगाने के लिए आकर्षित नहीं कर पाया. इसके बाद आरोपियों ने बचे हुए पैसे से बिटकॉइन खरीदे और उन्हें ऑनलाइन वॉलेट में छिपा दिया. दरअसल, इन बिटकॉइन का इस्तेमाल बिटकॉइन माइनिंग में होना था, लेकिन प्रमोटरों ने निवेशकों को धोखा दिया, उन्होंने गलत तरीके से अर्जित बिटकॉइन को ऑनलाइन वॉलेट में छिपा दिया.

अभी और होगी कार्रवाई 
ED का कहना है कि राज कुंद्रा को यूक्रेन में बिटकॉइन माइनिंग फर्म स्थापित करने के लिए बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाले के मास्टरमाइंड और प्रमोटर अमित भारद्वाज से 285 बिटकॉइन मिले थे. ईडी के अनुसार, कुंद्रा के पास अभी भी 285 बिटकॉइन हैं, जिनकी कीमत वर्तमान में 150 करोड़ रुपए से अधिक है. हालांकि, राज कुंद्रा इस मामले में मुख्य आरोपी नहीं हैं. प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि कुंद्रा बिटकॉइन के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं. इसलिए उसे बिजनेसमैन की प्रॉपर्टी को अटैच करना पड़ा है. ED कुंद्रा की अन्य संपत्तियों के बारे में भी जानकारी हासिल कर रही है, ताकि बिटकॉइन के मूल्य की प्रॉपर्टी अटैच की जा सके. 

प्रापर्टी अटैचमेंट क्या होता है?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) किसी संपत्ति को प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अटैच करता है. प्रापर्टी अटैच करने के बाद ED को पर्याप्त सबूतों के साथ मामले को अदालत में पेश करना पड़ता है. कोर्ट का फैसला होने तक प्रापर्टी ईडी के पास अटैच ही रहती है. हालांकि, ED की इस कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती भी दी जा सकती है. यदि अदालत को लगता है कि ई़डी अपनी कार्रवाई के पक्ष में उचित दस्तावेज नहीं दे पा रही है, तो अटैच की गई प्रापर्टी उसके मालिक को वापस लौटा दी जाती है.  


Patanjali Case: नाराज कोर्ट से बोले रामदेव - मैं सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को तैयार

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण फिर से सुप्रीम कोर्ट में हाजिर हुए.

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Tuesday, 16 April, 2024
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भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का सामना कर रहे बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने सार्वजनिक माफी मांगने की बात कही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मामले की सुनवाई के लिए आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि वे पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन को लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को भी तैयार हैं.

मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में आज यानी मंगलवार को फिर से सुनवाई की. इस दौरान, बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हम कोर्ट से एक बार फिर माफी मांगते हैं. हमें पछतावा है, हम जनता में भी माफी मांगने को तैयार हैं. सुनवाई के दौरान अदालत ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से बातचीत की. रामदेव ने कोर्ट से कहा कि मैं आगे से जागरुक रहूंगा. मेरा कोर्ट के आदेश का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था.  

उत्साह में ऐसा कर दिया
अदालत ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि हमारे आदेश के बावजूद आपने विज्ञापन प्रकाशित किया. इस पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ये भूल अज्ञानता में हुई है, हमारे पास सबूत हैं. वहीं, स्वामी रामदेव ने कहा कि हमने उत्साह में आकर ऐसा कर दिया. हम आगे से सजग रहेंगे. हम एलोपैथी के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आगे कहा - क्या आपको पता है कि आप लाइलाज बीमारियों का विज्ञापन नहीं कर सकते हैं. कानून सबके लिए समान है. इस पर स्वामी रामदेव ने अपना बचाव करते हुए कहा कि हमने बहुत टेस्ट किए हैं, जिस पर जस्टिस कोहली ने उन्हें टोकते हुए कहा कि आपकी तरफ से ये गैर जिम्मेदार रवैया है.

दिल से माफी नहीं मांग रहे
बेंच ने रामदेव से कहा कि ऐसा नहीं लग रहा है कि आपका कोई हृदय परिवर्तन हुआ हो. अभी भी आप अपनी बात पर अड़े हैं. हम इस मामले को 23 अप्रैल को देखेंगे. जस्टिस कोहली ने कहा कि आपका पिछला इतिहास खराब है, लिहाजा हम इस पर विचार करेंगे कि आपकी माफी स्वीकार की जाए या नहीं. वहीं जस्टिस अमानुल्ला ने कहा कि आप दिल से माफी नहीं मांग रहे, ये ठीक बात नहीं है. बता दें कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पहले भी दो बार अदालत से माफी मांग चुके हैं, लेकिन कोर्ट ने उनका माफीनामा खारिज कर दिया था. 

आखिर क्या है पूरा मामला?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर की है. IMA का आरोप है कि पतंजलि ने COVID वैक्सीनेशन को लेकर एक कैंपेन चलाया था और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों पर सवाल उठाया था. कंपनी द्वारा आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्राकशित किए गए. इसके बाद अदालत ने पतंजलि को हिदायत देते हुए कहा था कि वो विज्ञापन प्रकाशित न करवाए, लेकिन इसके बावजूद कंपनी की तरफ से विज्ञापन प्रकाशित करवाए गए. IMA का कहना था कि बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रेस कांफ्रेंस करके डॉक्टरों पर दुष्प्रचार का आरोप लगाया था. इसके अलावा, रोक के बावजूद विज्ञापन प्रकाशित करवाए गए, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. 

पतंजलि ने कौनसा कानून तोड़ा?
आईएमए का कहना है कि पतंजलि के दावे ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है. बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उसके उत्पाद कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज संभव है. इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन को तुरंत रोकने को कहा था. इस पूरे मामले में रामदेव एक तस्वीर के चलते फंस गए. दरअसल, पतंजलि के विज्ञापनों में बाबा रामदेव की तस्वीर भी लगी थी. लिहाजा अदालत ने उन्हें भी पार्टी बनाया और पूछा कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न की जाए?


केजरीवाल को राहत के लिए करना होगा और इंतजार, SC का जल्द सुनवाई से इंकार 

दिल्ली हाई कोर्ट से मिले झटके के बाद अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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Monday, 15 April, 2024
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शराब नीति घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को सुप्रीम कोर्ट से त्वरित राहत नहीं मिली है. हालांकि, अदालत ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी कर 24 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई अब 29 अप्रैल को होगी. अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार से रोकने के लिए गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने मामले को सुनवाई के लिए 19 अप्रैल को ही सूचीबद्ध करने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने जल्द सुनवाई से इंकार करते हुए 29 अप्रैल का दिन तय कर दिया.

'अपनी दलील बचाकर रखें'
अरविंद केजरीवाल ने शराब नीति घोटाले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए पहले दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली. इसके बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही है. केजरीवाल के वकील और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार करना है. साथ ही पार्टी के लिए प्रत्याशी चयन में भी उनकी सलाह चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह अपनी दलील 29 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के लिए बचाकर रखें. 

High Court ने दिया था झटका
अभिषेक मनु सिंघवी लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने की अपील भी की, लेकिन अदालत ने इससे इंकार करते हुए स्पष्ट कर दिया कि 29 अप्रैल से पहले का समय नहीं दिया जा सकता. इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने ED की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया था. याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा था कि इस कोर्ट के समक्ष ED ने जो दस्तावेज पेश किए हैं, उसमें कानून का पालन किया गया है. ईडी ने गिरफ्तारी में PMLA एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया है. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि ED के तथ्यों से लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता है.

के. कविता को भी लगा झटका
इधर, इसी मामले में बीआरएस लीडर के कविता को भी झटका लगा है. सोमवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 23 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. अब सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है. इससे पहले ED ने उन्हें गिरफ्तार किया था. ईडी का दावा है कि के. कविता शराब कारोबारियों की 'साउथ ग्रुप' लॉबी से कनेक्टेड हैं. इस ग्रुप ने दिल्ली सरकार की 2021-22 की शराब नीति (एक्साइज पॉलिसी) में बड़ी भूमिका निभाई थी. बताया जा रहा है कि शराब घोटाले के आरोपी विजय नायर को कथित रूप से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत साउथ ग्रुप से ही मिली थी, जिसे संबंधित लोगों उपलब्ध कराया गया था. ईडी हैदराबाद के कारोबारी अरुण रामचंद्रन पिल्लई और कविता का आमना-सामना भी करवा चुकी है. पिल्लई को कविता का करीबी माना जाता है. उसने पूछताछ में बताया था कि कविता और आम आदमी पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत 100 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ और कविता की कंपनी 'इंडोस्पिरिट्स' को दिल्ली के शराब कारोबार में एंट्री मिली. पिछले साल फरवरी में CBI ने बुचीबाबू गोरंतला नामक व्यक्ति को इस मामले में गिरफ्तार किया था. ED ने भी बुचीबाबू से का बयान दर्ज किया था. माना जाता है कि बुचीबाबू कविता का अकाउंट संभाला करता था.

आखिर क्या है South Group?
ED के मुताबिक, 'साउथ ग्रुप' दक्षिण के राजनेताओं, कारोबारियों और नौकरशाहों का समूह है. इसमें सरथ रेड्डी, एम. श्रीनिवासुलु रेड्डी, उनके बेटे राघव मगुंटा और कविता शामिल हैं. जबकि इस ग्रुप का प्रतिनिधित्व अरुण पिल्लई, अभिषेक बोइनपल्ली और बुचीबाबू ने किया था, तीनों को ही शराब घोटाले में गिरफ्तार किया जा चुका है. प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को भी इस मामले में गिरफ्तार किया था. संजय सिंह को अदालत से जमानत मिल चुकी है.

क्या है शराब घोटाला?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू की थी. नई नीति के तहत, सरकार शराब कारोबार से बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में सौंप दी गईं. सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज पूरी तरह खत्म हो जाएगा और उसके रिवेन्यु में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को केजरीवाल सरकार ने इसे रद्द करने का फैसला लिया. इस कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था. तब से अब तक ED इस मामले में कार्रवाई कर रही है.


इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लगे कई संगीन आरोप, SEBI से कार्रवाई की मांग

भारत सरकार के पूर्व सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमिश्नर और सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन के फाउंडर उदय माहुरकर ने सेबी और बीएसई से उल्लू (ULLU) डिजिटल प्लेटफॉर्म की जांच करने की अपील की है.

Last Modified:
Friday, 12 April, 2024
SEBI

उल्लू डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक के बाद एक मुसीबत का पहाड़ टूट रहा है. हाल में भारत सरकार के पूर्व सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमिश्नर और सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन के फाउंडर उदय माहुरकर ने सेबी और बीएसई से विभिन्न कानूनों के उल्लंघन पर उल्लू डिजिटल प्लेटफॉर्म की जांच करने की अपील की है. उदय माहुकर के अनुसार उल्लू ऐप ने सिक्योरिटी लॉ एंड रेगुलेशन जैसे सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (इशयू ऑफ कैपिटल एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट) रेगुल्शन 2018 और सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (लिस्टिंग ऑब्लाइजेशन एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट) रेगुलेशन 2015 सहित विभिन्न नियमों का उल्लंघन किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस ओटीटी प्लेटफॉर्म (OTT Platform) ने अपने ड्राफ्ट पेपर में विभिन्न कानूनों का उल्लंघन किया है. 

प्रमोटर के खिलाफ आपराधिक मामलों की गलत सूचना
सेबी को लिखे पत्र में माहुकर ने लिखा है कि उल्लू डिजिटल लिमिटेड ने अपने प्रमोटरों के खिलाफ आपराधिक मामलों के इतिहास के बारे में गलत और भ्रामक जानकारी दी है. उल्लू के प्रमोटर विभु अग्रवाल (Vibhu Agarwal) पर उल्लू की एक महिला कर्मचारी की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप है और मुंबई के एक पुलिस स्टेशन में यह मामला भी दर्ज है. उन्होंने कहा कि उल्लू पर यौन रूप से विकृत सामग्री (Sexually Prevented Content) के निर्माण और प्रसार के लिए विभु अग्रवाल चर्चा में रहे हैं और इसके लिए उल्लू ऐप के खिलाफ भी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में कई कानूनी मामले दायर हैं. वहीं, विभु अग्रवाल और मेघा अग्रवाल के खिलाफ महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम 1986 (Indecent representation of women (Prohibation Act 1986) के तहत भी मामला दर्ज है.

बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी की है कार्रवाई 
माहुकर ने सेबी को लिखे पत्र में बताया है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने उल्लू ऐप पर कार्रवाई की है. एनसीपीसीआर ने आईटी मंत्रालय से उल्लू ऐप के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है, जिसने स्पष्ट यौन दृश्यों और कथानक के साथ स्कूली बच्चों को निशाना बनाया है. उल्लू ऐप पर अश्लील कंटेंट वाले शो होने की शिकायतें मिलीं है. ये ऐप प्ले स्टोर और आईओएस मोबाइल प्लेटफॉर्म दोनों पर उपलब्ध है और इसमें बेहद अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री है. माहुकर ने पत्र में एक शो के स्क्रीनशॉट संलग्न किए है, जो स्कूली बच्चों के बीच यौन संबंधों को चित्रित करते हैं. उल्लू ऐप प्ले स्टोर और ऐप से किसी भी सामग्री को डाउनलोड करने या देखने के लिए केवाईसी की कोई आवश्यकता नहीं है. ये यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 की धारा 11 का सीधा उल्लंघन है. 

अश्लील शो हो रहे प्रसारित
उल्लू प्लेटफॉर्म पर कुछ शीर्ष शो के नाम 'कविता भाभी', 'पलंग तोड़', 'वाइफ इन ए मेट्रो', 'चरमसुख' और 'चाहत' हैं. रिपोर्ट के अनुसार, उल्लू और वयस्क सामग्री से संबंधित कई अन्य भारतीय ऐप मेरठ से संचालित होते हैं, जहां फिल्मों का निर्देशन होटल के कमरे या किराए के अपार्टमेंट में काम करने वाले युवाओं द्वारा लगभग 1.25 लाख रुपये से 2.5 लाख रुपये प्रति एपिसोड के बजट पर किया जाता है. वहीं सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने 20 जनवरी 2024 को उल्लू के खिलाफ डिजिटल पब्लिशर कंटेट ग्रीवांस काउंसिल को भी शिकायत दी है. 

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फैमिली वैल्यूज को खतरा 
उदय माहूकर ने पत्र में कहा है कि उल्लू ऐप स तरह के सैक्शुअली प्रीवेंटिड तकंटेट दिखाकर फैमिली वैल्यूज को खत्म और भारत को विश्व गुरू के पथ पर ले जाने के सपने को बर्बाद करने का प्रयास कर रहा है. इससे कई रिश्ते खराब होने का खतरा है. ऐसे में उल्लू ऐप के खिलाफ कार्रवाई जरूर होनी चाहिए. 

सेबी कर रहा जांच
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उल्लू प्लेटफॉर्म में इसके फाउंडर विभु अग्रवाल के पास 61.75 प्रतिशत हिस्सेदारी है. जबकि उनकी पत्नी मेघा अग्रवाल के पास 33.25 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सेबी के एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि बाजार नियामक उल्लू के खिलाफ शिकायतों की जांच कर रहा है. 


Delhi Liquor Scam: क्या केजरीवाल की मुश्किलों की ये तो बस शुरुआत है?

अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था, तब से वह बाहर नहीं आ सके हैं.

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Friday, 12 April, 2024
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की मुश्किलों की क्या ये महज शुरुआत है? यह सवाल खड़ा हुआ है दिल्ली शराब घोटाले (Delhi Liquor Scam) में सीबीआई के एक्शन से. दरअसल, सीबीआई ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के. कविता की रिमांड मांगी है. तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता (K Kavitha) पहले से ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई का सामना कर रही हैं. ऐसे में सीबीआई की एंट्री से उनकी मुसीबत में इजाफा हो गया है.  

जल्द बाहर आना मुश्किल 
अरविंद केजरीवाल भी कथित शराब घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद हैं. ED ने उन्हें पिछले महीने गिरफ्तार किया था. माना जा रहा है कि कविता के बाद अब सीबीआई केजरीवाल की हिरासत मांग सकती है और मामले से जुड़े पहलुओं पर उनसे पूछताछ कर सकती है. यदि ऐसा होता है, तो केजरीवाल बड़ी मुश्किल में उलझ जाएंगे. अभी उन्हें एक जांच एजेंसी की कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है. फिर उन्हें सीबीआई के सवालों के जवाब भी देने होंगे. ऐसे में उनके जल्द जेल से बाहर आने की संभावनाएं भी कमजोर होती जाएंगी.

केवल संजय को मिली राहत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सीबीआई ने राउज एवेन्यू कोर्ट से भारत राष्ट्र समिति (BRS) की विधान परिषद सदस्य (MLC) की सदस्य कविता की  रिमांड मांगी है. ED पहले ही इस मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, विजय नायर सहित 15 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. हालांकि, संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है, जबकि शेष आरोपियों को अदालत से कोई राहत नहीं मिली है. केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से भी झटका लग चुका है. हाल ही में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.  

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अलग-अलग हो रही जांच
अब सवाल उठता है कि जब ED दिल्ली शराब घोटाले में जांच कर रही है, तो फिर सीबीआई की क्या जरूरत है? दरअसल, दोनों एजेंसियां अलग-अलग जांच कर रही हैं. ईडी जहां शराब नीति को बनाने और लागू करने में धन शोधन यानी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है. वहीं, केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) की जांच नीति बनाते समय हुई कथित गड़बड़ी पर केंद्रित है. दोनों एजेंसियां अब तक कई गिरफ्तारी कर चुकी हैं. इस बीच, ED ने राउज एवेन्यू की एक विशेष अदालत से आम आदमी पार्टी (AAP) विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करने की मांग की है. एजेंसी दिल्ली वक्फ बोर्ड में नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है. अदालत ED की याचिका 18 अप्रैल को विचार करेगी.

आखिर क्या है शराब घोटाला?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू की थी. नई नीति के तहत, सरकार शराब कारोबार से बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में सौंप दी गईं. सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज पूरी तरह खत्म हो जाएगा और उसके रिवेन्यु में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को केजरीवाल सरकार ने इसे रद्द करने का फैसला लिया. इस कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था. तब से अब तक ED इस मामले में कार्रवाई कर रही है.
 


Patanjali विवाद: 'आंखें बंद' रखने वाली सरकार ने खोली जुबां, सुप्रीम कोर्ट से कही ये बात

पतंजलि और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की लड़ाई में SC के निशाने पर आई सरकार ने सफाई दी है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 10 April, 2024
Last Modified:
Wednesday, 10 April, 2024
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पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) बेहद सख्त है. अदालत ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को जहां कड़ी फटकार लगाई है. वहीं, केंद्र सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि हम हैरान हैं कि आखिर इस मामले में केंद्र ने अपनी आंखें क्यों बंद रखीं? अब सरकार ने इस पर अपना जवाब दाखिल किया है.  

आरोप लगाना ठीक नहीं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से आयुष या फिर एलोपैथी चिकित्सा ले सकता है. दोनों सिस्टम से जुड़े लोगों की ओर से एक-दूसरे पर आरोप लगाने और उन्हें नीचा दिखाने से बचना चाहिए. इससे पहले बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट से दोबारा माफी मांग चुके हैं. दोनों ने कहा है कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगा. हालांकि, अदालत ने एक बार फिर से उनकी माफी स्वीकार करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आपने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है, लिहाजा कार्रवाई के लिए तैयार रहें.

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हमने मना किया था
केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि यदि किसी विज्ञापन में जादुई उपचार की बात की जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्यों के पास पर्याप्त अधिकार हैं. हालांकि, हमने कानून के मुताबिक फैसला लिया था. सरकार ने कहा कि पतंजलि ने कोरोना से निपटने के लिए 'कोरोनिल दवा तैयार की थी और उसके विज्ञापन को लेकर हमने पतंजलि से कहा था कि वह तब तक ऐसे विज्ञापन न निकाले, जब तक मामले का परीक्षण आयुष मिनिस्ट्री कर रही है. 

जारी की थी चेतावनी 
केंद्र ने आगे कहा कि लाइसेंसिंग अथॉरिटी को बताया गया था कि कोरोनिल दवा संक्रमण से निपटने में एक सहायक औषधि के तौर पर है. सरकार ने कोरोना खत्म करने के गलत दावों को लेकर भी चेतावनी दी थी. साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया था कि वे ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाएं. हमारी नीति है कि देश में चिकित्सा की आयुष और एलोपैथी की पद्धति एक साथ चलें. गौरतलब है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर की है. IMA ने बाबा की कंपनी पर आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्राकशित करने का आरोप लगाया है. 


केजरीवाल की मुश्किलों का अंत नहीं, लगातार दूसरे दिन अदालत से लगा झटका; अब SC से गुहार

दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 10 April, 2024
Last Modified:
Wednesday, 10 April, 2024
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कथित शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) राहत की आस में अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए एजेंसी की कार्रवाई को सही ठहराया था. केजरीवाल ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इस बीच, राउज एवेन्यू कोर्ट से केजरीवाल को झटका लगा है. अदालत ने वकीलों से मुलाकात का समय बढ़ाने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी है.   

हाई कोर्ट ने कही थी ये बात
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने ED की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया था. याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा था कि इस कोर्ट के समक्ष ED ने जो दस्तावेज पेश किए हैं, उसमें कानून का पालन किया गया है. ईडी ने गिरफ्तारी में PMLA एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया है. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि ED के तथ्यों से लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता है.

वकीलों से ज्यादा मुलाकात नहीं 
आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि हम हाई कोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देंगे. अब केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. उधर, राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को झटका दिया है. अदालत ने केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें सीएम ने वकीलों से हफ्ते में 5 बार मुलाकात की मांग की थी. फिलहाल अरविंद केजरीवाल अपने वकीलों से सप्ताह में केवल दो बार ही मुलाकात कर सकते हैं. केजरीवाल के वकील विवेक जैन ने तर्क दिया था कि केजरीवाल किसी राहत की मांग नहीं कर रहे हैं, वह केवल अपने वकीलों से मिलने के लिए अतिरिक्त समय चाहते हैं.  

अदालत ने मानी ED की दलील 
दिल्ली के सीएम केजरीवाल के वकील विवेक जैन ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ 35 से 40 मामले चल रहे हैं. किसी व्यक्ति को समझने और निर्देश देने के लिए सप्ताह में केवल एक घंटे का समय पर्याप्त नहीं है. लिहाजा, उन्हें सप्ताह में पांच दिन वकीलों के साथ बैठक करने की इजाजत दी जाए.  एडवोकेट जैन ने कहा कि संजय सिंह को 3 मीटिंग की अनुमति दी गई थी, जबकि उनके खिलाफ केवल 5 या 8 मामले दर्ज थे. वहीं, केजरीवाल की याचिका के खिलाफ ED के वकील ने कहा कि केजरीवाल की मांग जेल मैन्युअल के खिलाफ है. न्यायिक हिरासत में बाहरी दुनिया से संपर्क सीमित और कानून के अनुसार होता है. यदि कोई व्यक्ति जेल से सरकार चलाने का विकल्प चुनता है, तो उसे विशेषाधिकार नहीं दिया जा सकता. अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद केजरीवाल की याचिका खरिज कर दी.