BW Legal Global leader -2023 अवार्ड्स में कई नामी लोगों ने जीते पुरस्‍कार 

इन अवॉर्ड के लिए डॉ. ललित भसीन के नेतृत्‍व में एक ज्‍यूरी का निर्माण किया गया था जिसने इन पुरस्‍कारों के लिए अलग-अलग श्रेणियों में उम्‍मीदवारों का चयन किया है. 

Last Modified:
Sunday, 25 June, 2023
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बीडब्ल्यू लीगल वर्ल्ड ग्लोबल लीगल लीडर्स कॉन्फ्रेंस एंड अवार्ड्स 2023 का पांचवां संस्करण की घोषणा हो चुकी है. अवॉर्डस का ये कार्यक्रम 24 जून, 2023 को देश की राजधानी दिल्‍ली के द इंपीरियल, होटल दिल्ली में हुआ. इस कार्यक्रम में कानून के विभिन्न जानकारों के बीच अलग-अलग बेहतरीन पैनल चर्चाएं हुईं, जिससे दर्शकों का ज्ञानवर्धन हुआ और विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए गए.

किन्‍हें दिए गए हैं ये अवॉर्डस 
ग्लोबल लीगल समिट एंड लीडर्स अवार्ड्स 2023 उन योग्‍य कानून फर्मों और वकीलों को पहचानने और उनके काम को पुरस्कृत करने की एक पहल है जिन्होंने अपने क्षेत्रों में अपने उत्‍कृष्‍ट योगदान दिया है. हर साल आयोजित किए जाने वाले ये अवॉर्डस कानूनी के क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए कानून फर्मों और व्यक्तिगत वकीलों की पहचान करने और सक्षम करने के लिए संकल्पित किया गया है, जिनमें नेतृत्व करने की क्षमता है. 

किस ज्‍यूरी ने किया चयन 
जिन लोगों ने अवॉर्ड जीते हैं उन विजेताओं को जूरी के नेतृत्व वाली सख्त प्रक्रिया के माध्यम से शॉर्टलिस्ट किया गया था. प्रतिष्ठित जूरी पैनल के सदस्यों में कानूनी उद्योग के निम्नलिखित प्रसिद्ध नाम शामिल थे. इनमें जूरी के अध्‍यक्ष डॉ. ललित भसीन, प्रबंध भागीदार, भसीन एंड कंपनी, न्यायमूर्ति सीकरी, पूर्व न्यायाधीश, भारत का सर्वोच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति दीपक वर्मा, पूर्व न्यायाधीश, भारत का सर्वोच्च न्यायालय , डॉ. अनुराग बत्रा, फाउंडर एक्‍सचेंस फॉर मीडिया और प्रधान संपादक, बीडब्ल्यू बिजनेसवर्ल्ड शामिल रहे. इसके अतिरिक्‍त, अर्शदीप सिंह, प्रमुख: कानूनी एवं अनुपालन, एमप्लस एनर्जी सॉल्यूशंस, जतिन जालुंधवाला, कंपनी सचिव और संयुक्त अध्यक्ष (कानूनी), अदानी समूह, कौशिक मुखर्जी, अध्यक्ष (कानूनी),

इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, मोहित शुक्ला, इंडिया लीगल, लीड भारत सरकार एवं नियामक मामले, बार्कलेज बैंक, निखिल गुलियानी, प्रमुख - कानूनी और सचिवीय, एनडीटीवी समूह नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड, पूजा सहगल मेहतानी, जनरल काउंसिल, एशिया सर्विस सेंटर और कंपनी सचिव सन लाइफ, राजीव चोपड़ा, प्रबंध निदेशक - कानूनी, एक्सेंचर, राजेंद्र मिश्रा, कार्यकारी उपाध्यक्ष और जनरल काउंसिल, द इंडियन होटल्स कंपनी, रूप लूम्बा, जनरल काउंसिल, अक्ज़ोनोबेल, वाणी मेहता, जनरल काउंसिल, दक्षिण एशिया, जीई, शामिल रहे. इस साल जिन लोगों ने अवॉर्ड जीते हैं उनमें बीडब्ल्यू लीगल वर्ल्ड ग्लोबल लीगल लीडर्स अवार्ड्स के विजेताओं की सूची यहां दी गई है.

किसने किस कैटेगिरी में जीता अवॉर्ड 
जिन लोगों ने अवॉर्ड जीते हैं उनमें Litigation Law Firm of the Year कैटेगिरी में करनजावाला एंड कंपनी,  Competition Law Firm of the Year में चंडियोक एंड महाजन, M&A and Private Equity Law Firm of the Year में सर्राफ एंडपार्टनर्स, ADR Law Firm of the Year में सर्राफ एंडपार्टनर्स, Intellectual Property Law Firm of the Year में  इंटेल एडवोकेयर,     Banking and Financial Services Law Firm of the Year में एसएनजी एंड पार्टनर, Tax law Firm of the Year में सर्राफ एंडपार्टनर्स, General Corporate Law Firm of the Year नित्‍या फर्म्‍स, Real Estate Law Firm of the Year में लूथरा एंड लूथरा ऑफिस, Financial Regulatory Law Firm of the Year में लॉ एसिस्‍ट, Restructuring and Insolvency Law Firm of the Year में  रेगस्‍ट्रीट लॉ एडवाइजर, Technology,

Media and Telecommunications Law Firm of the year में चंडियोक एंड महाजन, Startups and Investments Law Firm of the Year में टीएमटी लॉप्रैक्टिसेस, Most Innovative Lawyer of the Yea में  लेक्‍सस्‍टार्ट पार्टनर, Best IP Lawyer of the Year में राधिका एम दूधत, Best Tech Lawyer of the Year में शिवाती बजाज, Best Real Estate Lawyer of the Year में वैभव कक्‍कड़, Emerging Law Firm of the Year में शिवाती बजाज, Woman Lawyer of the Year में  सूम्‍स दीवान,अनीषा पटनायक, पूर्णिमा रंगनाथ, Managing Partner of the Year में मनीषा सिंह ने पुरस्‍कार जीते. 
 


क्‍या मंगलवार को केजरीवाल को मिल जाएगी बेल? सुप्रीम कोर्ट ने कही ये अहम बात

21 मार्च से बंद दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है जिसमें उन्‍होंने उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताया है.

Last Modified:
Friday, 03 May, 2024
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क्‍या दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंगलवार को बेल मिलने वाली है. शराब घोटाले को लेकर पिछले महीने से जेल में बंद अरविंद केजरीवाल  के मामले को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा उसने इस सवालों को पैदा कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो आने वाले चुनावों को देखते हुए अरविंद केजरीवाल को अंतरिम बेल दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के वकील को मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई के लिए तैयार रहने को कहा है. 

सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्‍या कहा? 
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वो मंगलवार को एक बार फिर इस मामले की सुनवाई करेगी. कोर्ट ने कहा कि हम अरविंद केजरीवाल को बेल दे भी सकते हैं और नहीं भी दे सकते हैं. कोर्ट ने ईडी से कहा कि अगर वो अरविंद केजरीवाल को जमानत देती है तो उसके आधार को लेकर सुझाव दे. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि क्‍या बतौर मुख्‍यमंत्री होते हुए उन्‍हें कागजी कामकाज संभालना चाहिए. कोर्ट ने ये भी कहा कि जमानत दी जाएगी या नहीं दी जाएगी इस बारे में हम कुछ नहीं कह रहे हैं. लेकिन हम चुनाव के कारण अंतरिम जमानत देने को लेकर विचार करना चाहेंगे. इस पर ईडी के वकील एसवी राजू ने कहा कि हम इसका विरोध करेंगे. 

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कही ये बात 
एसवी राजू के जवाब पर कोर्ट ने कहा कि हम ये कह रहे हैं कि  हम जमानत पर सुनवाई करेंगे. हम ये नहीं कह रहे हैं कि हम जमानत दे देंगे. हम अंतरिम जमानत दे भी सकते हैं और नहीं भी दे सकते हैं. इसलिए कोर्ट ने कहा कि 7 तारीख को वो अंतरिम जमानत की दलीलों को लेकर तैयार होकर आएं. सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें उन्‍होंने ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है. कोर्ट ने कहा इस मामले में किसी भी पक्ष को आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए. इसलिए हम कह रहे हैं कि आप जमानत की दलीलों को लेकर तैयार होकर आएं. 

ED के वकील ने कही ये बात 
ईडी के वकील एसवी राजू ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर हमारे पास पर्याप्‍त सामाग्री मौजूद है लेकिन उसका खुलासा हम ट्रायल के दौरान करेंगे. एसवी राजू ने कहा कि ये जांच अधिकारी का विशेषाधिकार होता है कि उपलब्‍ध सामाग्री पर गिरफ्तार किया जाए या नहीं. एएसजी राजू ने कहा कि सभी सामाग्री का खुलासा करने की अभी जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस बात पर सहमति जताते हुए कहा कि बिल्‍कुल ये जांच अधिकारी का अधिकार होता है. इसका मतलब है कि पूरी सामाग्री कब्‍जे में है न कि आंशिक सामाग्री. एएसजी राजू ने ये भी कहा कि गिरफ्तारी केवल जांच अधिकारी की राय पर नहीं है बल्कि इसकी पुष्टि मजिस्‍ट्रेट ने भी की है.  

दो मुख्‍य आरोपी नहीं हो सकते हैं
जस्टिस खन्‍ना ने कहा कि केजरीवाल को ये उम्‍मीद नहीं थी कि ईडी उन्‍हें गिरफ्तार कर लेगी. उन्‍होंने कहा कि ईडी के हिसाब से अगर आम आदमी पार्टी इस मामले में आरोपी है तो एक ही मामले में दो प्राइम आरोपी नहीं हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पूछा कि अगर पार्टी इस मामले में मुख्‍य आरोपी है तो क्‍या जब तक पार्टी के खिलाफ न्‍यायिक कार्रवाई शुरू नहीं होती तब तक केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं. अब इस मामले की सुनवाई 7 मई को होनी है. उस दिन कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि जमानत दी जाए या नहीं. 
 


खुलासे का साइड इफेक्ट: जान बचाने वाली वैक्सीन से हुई मौत, अब सीरम को Court में घसीटेंगे 2 परिवार

ब्रिटिश फार्मा कंपनी ने अदालत में दाखिल दस्तावेजों में खुलासा किया है कि उसकी कोरोना वैक्सीन से साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं.

Last Modified:
Thursday, 02 May, 2024
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कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के साइड इफेक्ट्स का मुद्दा अब बड़ा बनता जा रहा है. ब्रिटिश कंपनी AstraZeneca के साथ ही भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं. SII के खिलाफ 2 परिवारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है. उनका दावा है कि सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड का पहला डोज लेने के कुछ दिनों बाद ही उनकी बेटियों की मौत हो गई थी. बता दें कि AstraZeneca ने स्वीकार किया है कि उसकी कोरोना वैक्सीन के कुछ गंभीर दुष्परिणाम का खतरा रहता है. SII की वैक्सीन भी AstraZeneca के फ़ॉर्मूले पर आधारित है.   

2 सप्ताह के अंदर मौत 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 18 वर्षीय रितिका ओमैत्री को मई 2021 में कोविशील्ड का पहला डोज लगाया गया था. इसके सात दिनों के अंदर उन्हें तेज बुखार आया और चलने में दिक्कत होने लगी. MRI स्कैन में पाया गया कि उनके दिमाग में खून के कई थक्के हैं. दो सप्ताह के अंदर ही उनकी मौत हो गई. रितिका के पैरेंट्स ने बेटी की मौत का सही कारण जानने के लिए RTI दाखिल की. इसके जवाब से उन्हें पता चला कि रितिका थ्रोम्बोसिस से जूझ रही थीं और उनकी मौत वैक्सीन प्रोडक्ट से जुड़े रिएक्शन की वजह से हुई. अब उनका परिवार वैक्सीन बनाने वाली कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई चाहता है.

पिता ने की जांच की मांग
ऐसी ही एक घटना जुलाई 2021 में हुई थी. पीड़ित वेणुगोपाल गोविंदन का कहना है कि उनकी बेटी करुण्या की कोविशील्ड वैक्सीन लेने के महीने भर बाद मौत हो गई थी. करुण्या की मौत मामले में परिवार की शिकायत पर सरकार ने राष्ट्रीय समिति का गठन भी किया था, लेकिन समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि करुण्या की मौत का कारण वैक्सीन है, इसके पर्याप्त सबूत नहीं मिले. अब गोविंदन ने अपनी बेटी की मौत की जांच के लिए स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड की नियुक्ति की मांग करते हुए अदालत में एक याचिका दायर की है. 

इसलिए भारत में है चिंता
भारत में सबसे ज्यादा कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में कोविशील्ड के 175 करोड़ डोज लगे हैं. जबकि कोवैक्सीन के केवल 36 करोड़ डोज लगाए गए थे. इस वजह से लोगों में चिंता और घबराहट काफी ज्यादा है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब चिंता करने वाली कोई बात नहीं है. वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स खुराक लेने के कुछ दिन बाद ही सामने आते हैं. अब वैक्सीन को लगे काफी समय गुजर चुका है, इसलिए घबराने वाली कोई बात नहीं है. बता दें कि अदार पूनावाला भारत में कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्‍टीट्यूट के सीईओ हैं. 1966 में अदार पूनावाला के पिता साइरस पूनावाला ने सीरम इंस्टीट्यूट की नींव रखी थी. 

क्या कहा है कंपनी ने?
ब्रिटिश फार्मा कंपनी ने अदालत में दाखिल दस्तावेजों में खुलासा किया है कि उसकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) हो सकता है. इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिरने लगती है. एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उसकी कोवीशील्ड से कई लोगों की मौत हुई थी. जबकि कई लोगों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा. कंपनी के खिलाफ ब्रिटिश हाई कोर्ट में करीब 51 केस चल रहे हैं. पीड़ितों ने कंपनी से करीब 1 हजार करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा है. 


सब्जी-तेल दूध में मिलावट तो अब FSSAI ऐसे चलाएगा “चाबुक”

फूड सेफटी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) को सब्जियों से लेकर खाने के तेल और दूध तक में मिलावट मिली है. ऐसे में जल्द खाने-पीने की चीजों को लेकर नई गाइडलाइन आएंगी.

Last Modified:
Tuesday, 30 April, 2024
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आजकल खाने-पीने की चीजों में काफी मिलावट होने लगी है. इतना ही नहीं बड़े ब्रैंड्स, जो अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी के लिए ग्राहकों से ज्यादा पैसे वसूलते हैं, वो भी इस मिलावट के खेल में किसी से पीछे नहीं हैं. दरअसल, फूड सेफटी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI)  को जांच के दौरान सब्जियों से लेकर खाने के तेल और दूध तक में मिलावट मिली है, ऐसे में अब फूड रेगुलेटर भी एक्शन में आ चुका है. इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HC) के आदेश पर शुरू हुई जांच भी लगभग पूरी हो गई है. अब अगले महीने FSSAI कोर्ट को रिपोर्ट सौंप देगा, जिसके बाद खाने-पीने के प्रोडक्ट्स को लेकर नई गाइडलाइन जारी की जाएंगी.   
 

चीनी, नमक की घटेगी मात्रा 
कोर्ट के आदेश पर ई कॉमर्स साइट्स से हेल्थ ड्रिंक्स की कैटेगरी भी खत्म कर दी है. वहीं, अब कंपनियां चीनी और नमक की मात्रा घटाने के लिए तेजी से फॉर्मूले में बदलाव कर रही है. चॉकलेट जैसे जिन उत्पादों में कॉन्फीगरेशन नहीं बदला जा सकता, उनमें कितना खाना है जैसी एडवाइजरी पैकेट्स पर दिखाने की शुरुआत हो गई है.

खाने पीने के प्रोडक्ट्स को लेकर नए सिरे से गाइडलाइंस 
पैकेज्ड कमोडिटीज के लिए एडेड शुगर/सॉल्ट समेत MRL की मात्रा को लेकर दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं. FSSAI लगातार जांच कर रहा है और अब तक खाद्य पदार्थ के लिए 700 स्टैंडर्ड तय कर चुका है. कई मानकों की मौजूदा फूड हैबिट के आधार पर समीक्षा की गई है. FSSAI ने 21 साइंटिफिक पैनल बनाए हैं, जिसमें यूनिवर्सटीज, रिसर्च इंस्टीट्यूट और  CSIR, ICAR, ICMR, IITR, NIFTEM, IIT, CFTRI जैसे संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं. उपभोक्ता मामले मंत्रालय की कमेटी ने भी फूड सेफ्टी को लेकर रिपोर्ट सौंप दी है. इसके अलावा Bournavita समेत अन्य हेल्थ ड्रिंक्स को लेकर एक्शन का असर दिखना शुरू हो गया है. कंपनियां लगातार एडेड सुगर और सॉल्ट कम कर रही हैं.

इन 5 उत्पादों को लेकर आ सकती हैं गाइडलाइंस
FSSAI ने चायपत्ती और खाने का तेल पर जांच लगभग पूरी कर ली है. वहीं, आने वाले वक्त में 5 अन्य उत्पादों को लेकर गाइडलाइंस आ सकती हैं. जिसमें फल और सब्जियां, फिश प्रोडक्ट्स में Salmonella, मसाले और जड़ी-बूटियां, फोर्टिफाइड राइस और दूध व दूध के प्रोडक्ट शामिल हैं. 
 

इन चीजों में केमिकल्स से लेकर चर्बी तक की हो रही मिलावट
FSSAI ने अब तक की जांच में खाने के तेल में पाम ऑयल, रंग, खुशबू और मिर्च का अर्क, सिंथेटिक एलाइल आइसोथायोसाइनेट, प्याज का रस और फैटी एसिड की मिलावट पाई है. सब्जियों में पेस्टीसाइड जरूरत से ज्यादा मिले हैं. खाद और अन्य प्रिजर्वेटिव्स भी MRL से ज्यादा मिले हैं. सब्जियों को ताजा दिखाने के लिए रंग का इस्तेमाल पाया गया है, इससे नींबू और मिर्ची भी सुरक्षित नहीं है. कुछ लोग डिटर्जेंट, यूरिया, एनिमल फैट, सॉल्वेंट से भी दूध बना रहे हैं. जानवरों को इंजेक्शन देकर दूध निकालने की प्रक्रिया में केमिकल्स का इस्तेमाल पाया गया है. इतना ही नहीं, चायपत्ती में केमिकल्स, चर्बी, रंग, हेवी मेटल्स पाए गए हैं.

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अदालत की नसीहत का क्या Kejriwal पर होगा कोई असर, क्या छोड़ेंगे दिल्ली के CM की कुर्सी?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था.

Last Modified:
Tuesday, 30 April, 2024
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कथित शराब घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पिछले काफी समय से तिहाड़ जेल में बंद हैं. हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सभी जगह से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जिस मजबूती से अपना पक्ष रखा है, उससे इसकी संभावना बेहद कम हो गई है कि केजरीवाल जल्द जेल से बाहर आ पाएंगे. इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने कुछ ऐसा कहा है, जिसके बाद यह सवाल पूछा जाने लगा है कि केजरीवाल CM की कुर्सी छोड़ेंगे?

यह कोई औपचारिक पद नहीं 
हाई कोर्ट ने एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल का गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर बने रहना उनका निजी फैसला है, लेकिन राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित की मांग है कि CM की कुर्सी पर बैठने वाला व्यक्ति लंबे समय तक या अनिश्चित समय के लिए अनुपस्थित न रहे. हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनमोहन और जस्टिस पी.एस.अरोड़ा की बेंच ने केजरीवाल को नसीहत देते हुए कहा कि दिल्ली जैसी व्यस्त राजधानी ही नहीं किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक पद नहीं है. इस पद की जिम्मेदारी संभालने वाले को प्राकृतिक आपदा या संकट से निपटने के लिए 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन उपलब्ध रहना पड़ता है.

MCD स्कूलों से जुड़ा है मामला
दरअसल, अदालत एमसीडी स्कूलों से जुड़े एक मामले में सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल का गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर बने रहना उनका निजी फैसला है, लेकिन इसका आशय यह नहीं कि छात्रों के मौलिक अधिकारों को रौंद दिया जाए. कोर्ट ने आगे कहा कि चूंकि एमसीडी स्कूलों के छात्र संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों के अनुसार मुफ्त किताब, लेखन सामग्री और ड्रेस के हकदार हैं, इसलिए नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिया जाता है कि वे इस मामले में कार्रवाई करें. इसके साथ ही अदालत ने नगर निगम आयुक्त को एमसीडी के स्कूलों के छात्रों के लिए पाठ्य पुस्तक, ड्रेस, नोटबुक, आदि पर खर्च करने का अधिकार भी दे दिया.

AAP ने कर दिया साफ 
दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यह कहना कि आदर्श आचार संहिता के दौरान कोई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया जा सकता अनुपयुक्त है. अब, अदालत की नसीहत का केजरीवाल पर असर होता है या नहीं, ये समय ही बताएगा. लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) ने साफ कर दिया है कि केजरीवाल CM बने रहेंगे. पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए, यह फैसला दिल्ली की जनता का है. केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री थे, मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री बने रहेंगे. उन्होंने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट केजरीवाल को CM पद से हटाने की मांग करने वाली तीन जनहित याचिकाओं को खारिज किया था. बता दें कि केजरीवाल को शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था.


एक वीडियो...और पुलिस ने CM को अपने मोबाइल सहित पेश होने का भेज डाला समन!

एक वायरल वीडियो के मामले में दिल्ली पुलिस ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री को समन भेजा है.

Last Modified:
Monday, 29 April, 2024
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तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी (Telangana CM Revanth Reddy) मुश्किल में पड़ते दिखाई दे रहे हैं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने उन्हें समन भेजकर अपने मोबाइल के साथ पेश होने को कहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के फेक वीडियो (Amit Shah Fake Video) से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट ने तेलंगाना CM एक मई को हाजिर होने का बुलावा भेजा है. पुलिस ने सीएम से कहा है कि वो मोबाइल फोन को भी साथ लेकर आएं. पुलिस यह जांचना चाहती है कि क्या CM के मोबाइल से ही फर्जी वीडियो अपलोड किया गया था.

हैदराबाद पहुंच चुकी है टीम
बताया जा रहा है कि रेवंत रेड्डी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अमित शाह का फर्जी वीडियो शयर किया था. तेलंगाना कांग्रेस के आधिकारिक X अकाउंट सहित पार्टी के कुछ अन्य नेताओं ने भी इस वीडियो को शेयर किया था. मामले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की एक टीम पहले ही हैदराबाद पहुंच चुकी है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री से भी पूछताछ करना चाहती है, जिसके लिए उन्हें समन भेजा गया है. वहीं, इस केस में असम से रितोम सिंह नामक शख्स को गिरफ्तार किया गया है.

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क्या है शाह के वीडियो में?
गृहमंत्री अमित शाह का एक फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया गया था, जिसमें उन्हें आरक्षण को लेकर बात करते हुए दिखाया गया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में संडे को शिकायत मिलने के बाद केस दर्ज किया था. पुलिस की स्पेशल सेल ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के अलावा IT एक्ट के तहत केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि इस मामले में देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तारियां भी कर सकती है. मामले की शिकायत में कहा गया है कि अमित शाह का फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है कि जिसकी वजह से विभिन्न समुदायों के बीच तनाव बढ़ सकता है. 


100 रुपये की आइसक्रीम, SWIGGY ने क्यों चुकाए 5 हजार?

फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म स्विगी (SWIGGY) को एक आइसक्रीम की डिलीवरी ना करना बहुत भारी पड़ गया है. कंज्यूमर कोर्ट ने इसके लिए कंपनी को 5 हजार रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं. 

Last Modified:
Monday, 29 April, 2024
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फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म स्विगी (SWIGGY) को आइसक्रीम की डिलीवरी ना करने पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगा है. दरअसल, कस्टमर की शिकायत पर बेंगरलुरु की एक कंज्यूमर कोर्ट ने स्विगी को आइसक्रीम की डिलीवरी न करने पर 3,000 रुपये जुर्माना और 2,000 रुपये कानूनी फीस के रूप में कस्टमर को वापस देने का आदेश दिया है. तो चलिए जानते हैं क्या था ये पूरा मामला?

यह मामला जनवरी 2023 का है. जानकारी के अनुसार, कस्टमर ने जनवरी 2023 में स्विगी ऐप (SWIGGY APP) का इस्तेमाल करते हुए, एक आईसक्रीम  ऑर्डर की थी. इस आइसक्रीम का नाम Nutty Death by Chocolate था, जिसकी कीमत 187 रुपये बताई गई है. कस्टमर ने बताया कि उसे आइसक्रीम डिलिवर नहीं हुई और ऐप पर डिलिवर्ड का स्टेटस आने लगा।
शिकायत के मुताबिक, डिलीवरी एजेंट ने आईसक्रीम शॉप से आईसक्रीम को पिकअप तो किया, लेकिन उसे डिलीवर नहीं किया. हालांकि ऐप पर बिना डिलीवरी किए डिलीवर्ड का स्टेटस आने लगा. इस मामले को शिकायतकर्ता ने स्विगी के शेयर किया और ऐप ने इस पर कोई रिफंड नहीं दिया. इसके बाद शिकायतकर्ता ने कंज्यूमर कोर्ट में गुहार लगाई. 

स्विगी ने क्या कहा?
स्विगी ने कोर्ट ने बताया कि यह सिर्फ कस्टमर और रेस्टोरेंट के बीच का मामला है. साथ ही उसके डिलिवरी एजेंट की तथाकथित गलती पर स्विगी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. स्विगी ने कहा कि कंपनी आईटी एक्ट के प्रावधानों के तहत लायबिलिटी से सुरक्षित है और जब ऐप पर स्टेटस में आइसक्रीम को डिलीवर के रूप में मार्क किया तो, कंपनी इसकी जांच करने में असमर्थ थी, कि ऑर्डर डिलिवर हुआ है या नहीं. हालांकि कोर्ट ने इन दावों को खारिज कर दिया. 

कोर्ट ने क्या आदेश दिए?
बैंग्लोर अर्बल एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर रिड्रेसल कमीशन ने कहा कि शिकायतकर्ता ने यह साबित कर दिया है कि स्विगी की ओर से सर्विस में कोताही बरती गई. ऑर्डर किया गया प्रोडक्ट डिलीवर न होने पर स्विगी की ओर से भुगतान की गई राशि वापिस नहीं की गई है. 

शिकायतकर्ता ने मांगे थे 17,500 रुपये
कोर्ट में शिकायतकर्ता ने 17,500 रुपये की मांग की थी, जिसमें 10,000 रुपये मुआवजे के रूप में और मुकदमेबाजी पर खर्च के रूप में 7,500 रुपये का दावा किया था. लेकिन अदालत ने इसे ज्यादा पाया और स्विगी को आइसक्रीम की डिलीवरी न करने पर 3,000 रुपये जुर्माना और 2,000 रुपये कानूनी फीस के रूप में वापस देने का आदेश दिया.


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पश्चिम बंगाल में एक झटके में गई 24 हजार लोगों की सरकारी नौकरी, क्या है पूरा मामला

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार को कलकत्ता हाई कोर्ट से बड़ा झटका मिला है.

Last Modified:
Monday, 22 April, 2024
Mamta Banrjee

लोकसभा चुनाव के बीच पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को शिक्षक भर्ती घोटाला मामले बड़ा झटका लगा है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने पूरे पैनल को अमान्य करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग पैनल द्वारा की गई स्कूल शिक्षक भर्ती को रद्द कर दिया है जिसके बाद करीब 24,000 शिक्षकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा. इस भर्ती में 5 से 15 लाख रुपये की घूस लेने तक का आरोप हैं. 

हाईकोर्ट ने रद्द किया जॉब पैनल

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2016 का पूरा जॉब पैनल रद्द कर दिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कक्षा 9वीं से 12वीं और समूह सी और डी तक की उन सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया जिनमें अनियमितताएं पाई गईं. इसके साथ ही करीब 24 हजार नौकरियों को रद्द कर दिया है. इस भर्ती में पैनल पर करीब 5 से 15 लाख रुपये की घूस लेने आरोप हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस देवांशु बसाक की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. इसके अलावा कोर्ट ने शिक्षकों को जो वेतन दिया गया था उसे भी लौटाने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग को दोबारा से नई नियुक्ति शुरू करने का निर्देश भी दिया है.

हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर क्या कहा? 

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2016 एसएससी भर्ती के पूरे पैनल को अमान्य घोषित कर दिया. 9वीं से 12वीं और ग्रुप C और D तक की सभी नियुक्तियां जहां अनियमितताएं पाई गईं, उन्हें भी शून्य घोषित कर दिया गया है. कोर्ट ने प्रशासन को अगले 15 दिनों में नई नियुक्तियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इस मामले में कैंसर से पीड़ित सोमा दास की नौकरी बस सुरक्षित रहेगी. हाई कोर्ट ने सोमा दास की नौकरी सुरक्षित रखने का आदेश दिया है.

क्या है बंगाल का SSC घोटाला?

पश्चिम बंगाल में साल 2016 में राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत 13 हजार शिक्षण और ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती के लिए स्कूल सेवा आयोग (SSC) की ओर से परीक्षा आयोजित हुई थी. 27 नवंबर 2017 को नतीजे आने के बाद मेरिट लिस्ट बनाई गई. इसमें सिलीगुड़ी की बबीता सरकार 77 अंक के साथ टॉप 20 में शामिल थी. बाद में आयोग ने इस मेरिट लिस्ट को रद्द कर दूसरी सूची बनाई. इसमें बबीता का नाम वेटिंग में डाल दिया गया. कम अंक पाने वाली एक टीएमसी के मंत्री की बेटी अंकिता का नाम लिस्ट में पहले नंबर पर आ गया और उसे नौकरी भी मिल गई. इसके बाद घोटाले का धीरे-धीरे खुलासा होने लगा. बबीता ने इस मेरिट लिस्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

करोड़ों की प्रॉपर्टी अटैच कर चुकी है ED

पश्चिमी बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में ED ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 230.6 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी अटैच की है. प्रवर्तन निदेशालय ने 230.6 करोड़ रुपये कीमत की जमीन और फ्लैट को जब्त किया है. जब्त की गई प्रॉपर्टी आरोपी प्रसन्ना कुमार रॉय, शांति प्रसाद सिन्हा और कुछ अन्य कंपनियों के नाम पर थी. प्रसन्ना रॉय के नाम पर 96 कट्ठा पथरघाटा, 117 कट्ठा सुल्तानपुर, 282 कट्ठा महेशतला और 136 कट्ठा न्यू टाउन में मौजूद है, जिन्हें ED ने जब्त किया है. वहीं शांति प्रसाद सिन्हा की कपशती इलाके में स्थित जमीन और पूरब जादाबपुर में स्थित फ्लैट जब्त किया गया है. ईडी इस घोटाले में पहले ही प्रसन्ना रॉय और शांति प्रसाद को गिरफ्तार कर चुकी है.
 


बड़े चालबाज हैं कुंद्रा, 80 करोड़ का फ्लैट Shilpa को इसलिए 38 करोड़ में बेचा!

ED का कहना है कि राज कुंद्रा के पास अभी भी 285 बिटकॉइन हैं, जिनकी कीमत वर्तमान में 150 करोड़ रुपए से अधिक है.

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Saturday, 20 April, 2024
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बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाले (Bitcoin Ponzi Scam) से जुड़े एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में राज कुंद्रा और उनकी एक्ट्रेस वाइफ शिल्पा शेट्टी की 97.79 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच की थी. इसमें शिल्पा का जुहू वाला फ्लैट, राज के नाम पर पुणे में रजिस्टर्ड बंगला और इक्विटी शेयर शामिल हैं. अब इस पूरे मामले में राज कुंद्रा की एक नई चालबाजी भी सामने आई है. हालांकि, इसके पुख्ता सबूत नहीं है, लेकिन ED को पूरा शक है कि राज ने ऐसा किया होगा. 

शिल्पा को बुलाएगी ED
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले (Money Laundering Case) में ED की जांच शुरू होते ही बिजनेसमैन राज कुंद्रा ने 2022 में अपना जुहू वाला फ्लैट पत्नी शिल्पा शेट्टी को बेच दिया था. फ्लैट की वैल्यू करीब 80 करोड़ रुपए थी, लेकिन राज ने शिल्पा इसे केवल 38 करोड़ रुपए में बेच दिया. ED को शक है कि पति-पत्नी ने सोची-समझी रणनीति के तहत ऐसा किया होगा, ताकि फ्लैट को कुर्की की कार्रवाई से बचाया जा सके. प्रवर्तन निदेशालय को यह भी लगता है कि राज अभी भी इस फ्लैट के असली मालिक हैं. ईडी शिल्पा शेट्टी को उनका बयान दर्ज करने के लिए जल्द बुला सकती है. 

इनके खिलाफ हुई FIR
बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाला तब सामने आया जब महाराष्ट्र और दिल्ली पुलिस द्वारा 2017 में 'गेन बिटकॉइन' नामक योजना में पैसा लगाने वाले निवेशकों की शिकायत पर FIR दर्ज की गईं. बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम के प्रमोटर अजय और महेंद्र भारद्वाज ने निवेशकों को बिटकॉइन के रूप में प्रति माह 10 प्रतिशत रिटर्न का वादा किया था, लेकिन ये वादा कभी पूरा नहीं हुआ. इस मामले में वेरिएबल टेक पीटीई लिमिटेड नामक कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज की गई थीं. इस कंपनी के प्रमोटर्स अमित भारद्वाज, अजय भारद्वाज, विवेक भारद्वाज, सिम्पी भारद्वाज और महेंद्र भारद्वाज का भी नाम एफआईआर में शामिल था.

ऑनलाइन वॉलेट में छिपाई बिटकॉइन
FIR के मुताबिक, आरोपियों ने 2017 में अपने निवेशकों से 6,600 करोड़ रुपए जुटाए थे. कथित तौर पर निवेशकों को शुरुआत में नए निवेश से भुगतान किया गया था. लेकिन, पेमेंट तब रुक गया जब भारद्वाज समूह नए निवेशकों को स्कीम में पैसा लगाने के लिए आकर्षित नहीं कर पाया. इसके बाद आरोपियों ने बचे हुए पैसे से बिटकॉइन खरीदे और उन्हें ऑनलाइन वॉलेट में छिपा दिया. दरअसल, इन बिटकॉइन का इस्तेमाल बिटकॉइन माइनिंग में होना था, लेकिन प्रमोटरों ने निवेशकों को धोखा दिया, उन्होंने गलत तरीके से अर्जित बिटकॉइन को ऑनलाइन वॉलेट में छिपा दिया.

अभी और होगी कार्रवाई 
ED का कहना है कि राज कुंद्रा को यूक्रेन में बिटकॉइन माइनिंग फर्म स्थापित करने के लिए बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाले के मास्टरमाइंड और प्रमोटर अमित भारद्वाज से 285 बिटकॉइन मिले थे. ईडी के अनुसार, कुंद्रा के पास अभी भी 285 बिटकॉइन हैं, जिनकी कीमत वर्तमान में 150 करोड़ रुपए से अधिक है. हालांकि, राज कुंद्रा इस मामले में मुख्य आरोपी नहीं हैं. प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि कुंद्रा बिटकॉइन के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं. इसलिए उसे बिजनेसमैन की प्रॉपर्टी को अटैच करना पड़ा है. ED कुंद्रा की अन्य संपत्तियों के बारे में भी जानकारी हासिल कर रही है, ताकि बिटकॉइन के मूल्य की प्रॉपर्टी अटैच की जा सके. 

प्रापर्टी अटैचमेंट क्या होता है?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) किसी संपत्ति को प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अटैच करता है. प्रापर्टी अटैच करने के बाद ED को पर्याप्त सबूतों के साथ मामले को अदालत में पेश करना पड़ता है. कोर्ट का फैसला होने तक प्रापर्टी ईडी के पास अटैच ही रहती है. हालांकि, ED की इस कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती भी दी जा सकती है. यदि अदालत को लगता है कि ई़डी अपनी कार्रवाई के पक्ष में उचित दस्तावेज नहीं दे पा रही है, तो अटैच की गई प्रापर्टी उसके मालिक को वापस लौटा दी जाती है.  


Patanjali Case: नाराज कोर्ट से बोले रामदेव - मैं सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को तैयार

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण फिर से सुप्रीम कोर्ट में हाजिर हुए.

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Tuesday, 16 April, 2024
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भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का सामना कर रहे बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने सार्वजनिक माफी मांगने की बात कही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मामले की सुनवाई के लिए आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि वे पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन को लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को भी तैयार हैं.

मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में आज यानी मंगलवार को फिर से सुनवाई की. इस दौरान, बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हम कोर्ट से एक बार फिर माफी मांगते हैं. हमें पछतावा है, हम जनता में भी माफी मांगने को तैयार हैं. सुनवाई के दौरान अदालत ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से बातचीत की. रामदेव ने कोर्ट से कहा कि मैं आगे से जागरुक रहूंगा. मेरा कोर्ट के आदेश का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था.  

उत्साह में ऐसा कर दिया
अदालत ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि हमारे आदेश के बावजूद आपने विज्ञापन प्रकाशित किया. इस पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ये भूल अज्ञानता में हुई है, हमारे पास सबूत हैं. वहीं, स्वामी रामदेव ने कहा कि हमने उत्साह में आकर ऐसा कर दिया. हम आगे से सजग रहेंगे. हम एलोपैथी के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आगे कहा - क्या आपको पता है कि आप लाइलाज बीमारियों का विज्ञापन नहीं कर सकते हैं. कानून सबके लिए समान है. इस पर स्वामी रामदेव ने अपना बचाव करते हुए कहा कि हमने बहुत टेस्ट किए हैं, जिस पर जस्टिस कोहली ने उन्हें टोकते हुए कहा कि आपकी तरफ से ये गैर जिम्मेदार रवैया है.

दिल से माफी नहीं मांग रहे
बेंच ने रामदेव से कहा कि ऐसा नहीं लग रहा है कि आपका कोई हृदय परिवर्तन हुआ हो. अभी भी आप अपनी बात पर अड़े हैं. हम इस मामले को 23 अप्रैल को देखेंगे. जस्टिस कोहली ने कहा कि आपका पिछला इतिहास खराब है, लिहाजा हम इस पर विचार करेंगे कि आपकी माफी स्वीकार की जाए या नहीं. वहीं जस्टिस अमानुल्ला ने कहा कि आप दिल से माफी नहीं मांग रहे, ये ठीक बात नहीं है. बता दें कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पहले भी दो बार अदालत से माफी मांग चुके हैं, लेकिन कोर्ट ने उनका माफीनामा खारिज कर दिया था. 

आखिर क्या है पूरा मामला?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर की है. IMA का आरोप है कि पतंजलि ने COVID वैक्सीनेशन को लेकर एक कैंपेन चलाया था और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों पर सवाल उठाया था. कंपनी द्वारा आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्राकशित किए गए. इसके बाद अदालत ने पतंजलि को हिदायत देते हुए कहा था कि वो विज्ञापन प्रकाशित न करवाए, लेकिन इसके बावजूद कंपनी की तरफ से विज्ञापन प्रकाशित करवाए गए. IMA का कहना था कि बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रेस कांफ्रेंस करके डॉक्टरों पर दुष्प्रचार का आरोप लगाया था. इसके अलावा, रोक के बावजूद विज्ञापन प्रकाशित करवाए गए, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. 

पतंजलि ने कौनसा कानून तोड़ा?
आईएमए का कहना है कि पतंजलि के दावे ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है. बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उसके उत्पाद कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज संभव है. इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन को तुरंत रोकने को कहा था. इस पूरे मामले में रामदेव एक तस्वीर के चलते फंस गए. दरअसल, पतंजलि के विज्ञापनों में बाबा रामदेव की तस्वीर भी लगी थी. लिहाजा अदालत ने उन्हें भी पार्टी बनाया और पूछा कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न की जाए?


केजरीवाल को राहत के लिए करना होगा और इंतजार, SC का जल्द सुनवाई से इंकार 

दिल्ली हाई कोर्ट से मिले झटके के बाद अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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Monday, 15 April, 2024
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शराब नीति घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को सुप्रीम कोर्ट से त्वरित राहत नहीं मिली है. हालांकि, अदालत ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी कर 24 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई अब 29 अप्रैल को होगी. अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार से रोकने के लिए गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने मामले को सुनवाई के लिए 19 अप्रैल को ही सूचीबद्ध करने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने जल्द सुनवाई से इंकार करते हुए 29 अप्रैल का दिन तय कर दिया.

'अपनी दलील बचाकर रखें'
अरविंद केजरीवाल ने शराब नीति घोटाले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए पहले दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली. इसके बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही है. केजरीवाल के वकील और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार करना है. साथ ही पार्टी के लिए प्रत्याशी चयन में भी उनकी सलाह चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह अपनी दलील 29 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के लिए बचाकर रखें. 

High Court ने दिया था झटका
अभिषेक मनु सिंघवी लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने की अपील भी की, लेकिन अदालत ने इससे इंकार करते हुए स्पष्ट कर दिया कि 29 अप्रैल से पहले का समय नहीं दिया जा सकता. इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने ED की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया था. याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा था कि इस कोर्ट के समक्ष ED ने जो दस्तावेज पेश किए हैं, उसमें कानून का पालन किया गया है. ईडी ने गिरफ्तारी में PMLA एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया है. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि ED के तथ्यों से लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता है.

के. कविता को भी लगा झटका
इधर, इसी मामले में बीआरएस लीडर के कविता को भी झटका लगा है. सोमवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 23 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. अब सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है. इससे पहले ED ने उन्हें गिरफ्तार किया था. ईडी का दावा है कि के. कविता शराब कारोबारियों की 'साउथ ग्रुप' लॉबी से कनेक्टेड हैं. इस ग्रुप ने दिल्ली सरकार की 2021-22 की शराब नीति (एक्साइज पॉलिसी) में बड़ी भूमिका निभाई थी. बताया जा रहा है कि शराब घोटाले के आरोपी विजय नायर को कथित रूप से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत साउथ ग्रुप से ही मिली थी, जिसे संबंधित लोगों उपलब्ध कराया गया था. ईडी हैदराबाद के कारोबारी अरुण रामचंद्रन पिल्लई और कविता का आमना-सामना भी करवा चुकी है. पिल्लई को कविता का करीबी माना जाता है. उसने पूछताछ में बताया था कि कविता और आम आदमी पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत 100 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ और कविता की कंपनी 'इंडोस्पिरिट्स' को दिल्ली के शराब कारोबार में एंट्री मिली. पिछले साल फरवरी में CBI ने बुचीबाबू गोरंतला नामक व्यक्ति को इस मामले में गिरफ्तार किया था. ED ने भी बुचीबाबू से का बयान दर्ज किया था. माना जाता है कि बुचीबाबू कविता का अकाउंट संभाला करता था.

आखिर क्या है South Group?
ED के मुताबिक, 'साउथ ग्रुप' दक्षिण के राजनेताओं, कारोबारियों और नौकरशाहों का समूह है. इसमें सरथ रेड्डी, एम. श्रीनिवासुलु रेड्डी, उनके बेटे राघव मगुंटा और कविता शामिल हैं. जबकि इस ग्रुप का प्रतिनिधित्व अरुण पिल्लई, अभिषेक बोइनपल्ली और बुचीबाबू ने किया था, तीनों को ही शराब घोटाले में गिरफ्तार किया जा चुका है. प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को भी इस मामले में गिरफ्तार किया था. संजय सिंह को अदालत से जमानत मिल चुकी है.

क्या है शराब घोटाला?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू की थी. नई नीति के तहत, सरकार शराब कारोबार से बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में सौंप दी गईं. सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज पूरी तरह खत्म हो जाएगा और उसके रिवेन्यु में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को केजरीवाल सरकार ने इसे रद्द करने का फैसला लिया. इस कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था. तब से अब तक ED इस मामले में कार्रवाई कर रही है.