बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स (Forbes) ने दुनिया के बेस्ट एम्प्लॉयर की लिस्ट जारी की है. इसमें भारत की कुछ कंपनियां भी शामिल हैं.
अगर आप ये जानना चाहते हैं कि काम के लिहाज से कौनसी कंपनी देश में सबसे बेस्ट है, तो इसका जवाब है रिलायंस. दरअसल, बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स (Forbes) ने दुनिया के बेस्ट एम्प्लॉयर की लिस्ट जारी की है. 'फोर्ब्स वर्ल्ड बेस्ट एम्प्लॉयर- 2022' में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारत में पहला स्थान मिला है. जबकि दुनिया में मुकेश अंबानी की यह कंपनी 20वें नंबर पर है.
दुनिया में ये है नंबर वन
फोर्ब्स ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को काम करने के लिहाज से भारत की सबसे अच्छी कंपनी बताया है. वहीं, वैश्विक रैंकिंग में दक्षिण कोरिया की दिग्गज कंपनी 'सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स' सबसे ऊपर है. इसके बाद अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट, IBM, अल्फाबेट और एप्पल का नंबर आता है. दिलचस्प बात यह है कि इस लिस्ट में दूसरे से 12वें स्थान तक अमेरिकी कंपनियों का कब्जा है. जर्मनी की वाहन निर्माता कंपनी BMW 13वें नंबर पर है.
रिलायंस ने इन्हें छोड़ा पीछे
दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन विक्रेता कंपनी अमेजन इस रैंकिंग में 14वें स्थान पर जबकि फ्रांस की दिग्गज कंपनी डिकेथलॉन 15वें स्थान पर है. पेट्रोलियम से लेकर खुदरा कारोबार तक में हाथ आजमा रहे मुकेश अंबानी की रिलायंस इस वैश्विक सूची में 20वें और भारत में पहले स्थान पर है. यह जर्मनी की मर्सिडीज-बेंज, अमेरिकी की कोका-कोला, जापान की वाहन कंपनी Honda, यामाहा और सऊदी अरामको से भी इस सूची में ऊपर है.
इस नंबर पर अडानी एंटरप्राइजेज
फोर्ब्स के अनुसार, टॉप 100 कंपनियों में रिलायंस के अलावा कोई भी भारतीय कंपनी नहीं है. HDFC बैंक 137वें स्थान पर है. बजाज इस रैंकिंग में 173वें, आदित्य बिड़ला ग्रुप 240वें, लार्सन एंड टुब्रो 354वें, ICICI बैंक 365वें, अडानी एंटरप्राइजेज 547वें और IT दिग्गज कंपनी इंफोसिस 668वें स्थान पर है. बता दें कि मुकेश अंबानी तेजी से अपना कारोबार फैला रहे हैं. वह नए-नए सेक्टर में एंट्री कर रहे हैं और छोटी कंपनियों को अपना बना रहे हैं. हालांकि, दौलत के मामले में वह गौतम अडानी से पीछे चल रहे हैं.
आईपीओ आज सब्सक्राइब होने के बाद अब 9 मई को इसका अलॉटमेंट होगा. जबकि 13 मई को कंपनी का आईपीओ लिस्ट होगा. सबसे दिलचस्प बात ये है कि आईपीओ का ग्रे मार्केट प्राइस अभी भी स्ट्रांग बना हुआ है.
हेल्थकेयर सेक्टर में डिजिटल सर्विसेज मुहैया कराने वाली कंपनी Indegene के आईपीओ को जबरदस्त समर्थन मिला है. Indegene का आईपीओ 33 गुना तक सब्सक्राइब हुआ है. जबकि आईपीओ को पहले दिन 1.67 गुना और दूसरे दिन 7.35 गुना तक सब्सक्राइब किया गया था. सबसे खास बात ये है कि आईपीओ हर कैटेगिरी में कई गुना तक सब्सक्राइब हुआ है. आईपीओ 13 मई को लिस्ट होने जा रहा है.
किस कैटेगिरी में हुआ कितना सब्सक्राइब
06 मई से सब्सक्रिप्शन के लिए खुले Indegene के आईपीओ में 2,88,66,677 इक्विटी शेयरों की तुलना में निवेशकों ने 95,20,22,478 इक्विटी शेयरों के लिए बोली लगाई. बोली लगाने वालों की संख्या इक्विटी के मुकाबले 33.98 गुना है. इनमें क्वॉलीफाइड इंस्टीट्यूशनल निवेशकों ने 43.92 गुना,रिटले निवेशकों ने 5.30 गुना, जबकि कंपनी के कर्मचारियों ने भी 5.3 गुना तक सब्सक्राइब किया.
क्या कह रहा है ग्रे मार्केट?
इस आईपीओ के लिए 6 मई से बोलियां शुरू हुई थी. उस दिन से लेकर 8 मई खत्म होने तक Indegene आईपीओ का ग्रे मार्केट प्रीमियम मजबूत बना हुआ है. पिछली बार सुना गया था, कंपनी अनौपचारिक बाजार में 270-275 रुपये के प्रीमियम पर थी, जो निवेशकों के लिए लगभग 60 प्रतिशत की लिस्टिंग पॉप का सुझाव देती है. हालाँकि, इश्यू के लिए बोली खुलने से पहले ग्रे मार्केट में प्रीमियम लगभग 240 रुपये था.
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इतना है प्राइज बैंड
1,841.76 करोड़ रुपए के इस आईपीओ के तहत 750 करोड़ रुपए के फ्रेश शेयर जारी किए जाएंगे. कंपनी के इन्वेस्टर्स और प्रमोटर्स ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए 2.93 करोड़ शेयरों की बिक्री करेंगे. इंडीजीन ने 430-452 रुपए का प्राइज बैंड तय किया है. लाइफ साइंसेज इंडस्ट्री को डिजिटल सर्विसेज उपलब्ध कराने वाली इस कंपनी ने 3 मई को एंकर निवेशकों से 548.77 करोड़ रुपए जुटाए थे.
जानिए कब हो रहा है बाजार में लिस्ट
इस आईपीओ के लिए जो लिस्ट होने की तारीख है वो हम आपको बताएंगे. 06 मई से लेकर 08 मई सब्सक्रिप्शन पूरा होने के बाद अब 9 मई को आईपीओ अलॉटमेंट किया जाएगा. जिन लोगों को आईपीओ अलॉट होगा उनका पैसा ब्लॉक हो जाएगा जबकि जिन्हें आईपीओ अलॉट नहीं होगा उन्हें 10 मई तक रिफंड कर दिया जाएगा. इसी तरह से बाजार में इसके लिस्ट होने की तारीख 13 मई तय की गई है. उस दिन पता चलेगा आईपीओ को बेहतर रिस्पांस मिलने के बाद ये लिस्ट कितने पर होता है.
केनरा बैंक (Canara Bank) ने वित्त वर्ष 2024 के जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजों की घोषणा की है. इसमें बैंक को काफी मुनाफा हुआ है.
केनरा बैंक (Canara Bank) ने वित्त वर्ष 2024 के जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजों की घोषणा की है. बैंक ने बुधवार यानी आज चौथी तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं, जिसमें बैंक का मुनाफा 18 प्रतिशत तक बढ़ गया है. ऐसे में अब कंपनी ने अपने निवेशकों को डिविडेंड (Dividend) का तोहफा देने की घोषणा भी की है.
इतना करोड़ हुआ मुनाफा
बैंक ने बताया कि मार्च तिमाही में नेट प्रॉफिट 18 प्रतिशत तक बढ़कर 3757.2 करोड़ रुपये हो गया है. तिमाही के आधार पर बैंक का मुनाफा 1,899 करोड़ से बढ़कर 2,482 करोड़ रुपये हुआ है. एक साल पहले की अवधि में 3,175 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था. एसेट क्वालिटी की बात करें तो ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट (GNPA) रेश्यो दिसंबर तिमाही के 4.39 प्रतिशत से घटकर मार्च तिमाही में 4.23 प्रतिशत हो गया. शुद्ध NPA रेश्यो भी दिसंबर 2023 के 1.32 प्रतिशत से घटकर मार्च 2024 तक 1.27 प्रतिशत हो गया.
इतना मिलेगा डिविडेंड
रिजल्ट जारी करने के बाद कंपनी के बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रत्येक शेयर पर फेस वैल्यू का 161 प्रतिशत डिविडेंड देने का ऐलान किया है. बैंक की ओर से इस बार सबसे ज्यादा डिविडेंड दिया जा रहा है. बुधवार को केनरा बैंक के शेयर 3 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए.
बैंक की इनकम इतनी बढ़ी
केनरा बैंक ने कहा कि मार्च तिमाही के दौरान बैंक की कुल इनकम बढ़कर 34,025 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले 28,685 करोड़ रुपये थी. केनरा बैंक की इंटरेस्ट इनकम मार्च तिमाही में 28,807 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 23,910 करोड़ रुपये थी.
बैड लोन घटा
केनरा बैंक का बैड लोन इस तिमाही में घटकर 2,280 करोड़ रुपये रह गया, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही के दौरान यह प्रावधान 2,399 करोड़ रुपये था. केनरा बैंक का सीआरएआर 31 मार्च, 2023 को 16.68 प्रतिशत से मामूली रूप से घटकर 16.28 प्रतिशत हो गया।
ग्लोबल बिजनेस भी बढ़ा
बैंक का ग्लोबल कारोबार इस दौरान 11.31 प्रतिशत बढ़कर 2.27 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि वैश्विक जमा 11 प्रतिशत बढ़कर 13.12 लाख करोड़ रुपये हो गया. बैंक की घरेलू जमाराशियों में साल-दर-साल आधार पर 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई, जो 12.14 लाख करोड़ रुपये रही. बैंक ने जानकारी दी कि मार्च 2024 तक उनकी कुल 9604 शाखाएं थी, जिनमें से 3103 ग्रामीण क्षेत्रों में, 2751 अर्ध-शहरी और 1907 शहरी क्षेत्रों में हैं
मिलिंद सोमन प्यूमा के एक विज्ञापन में नजर आए हैं, जिस पर एक रेल अधिकारी ने आपत्ति जताई है.
अपनी फिटनेस के लिए दुनियाभर में पहचान बना चुके मिलिंद सोमन (Milind Soman) एक विज्ञापन को लेकर चर्चा में हैं. हालांकि, इस बार चर्चा कुछ दूसरी है. दरअसल, मिलिंद सोमन स्पोर्ट्सवियर बनाने वाली कंपनी ‘प्यूमा’ के एक विज्ञापन में रेलवे ट्रैक पर दौड़ते नजर आए हैं, जिसकी भारतीय रेलवे लेखा सेवा (IRAS) अधिकारी अनंत रूपानागुडी ने तीखी आलोचना की है. इसके बाद कई दूसरे यूजर्स ने भी विज्ञापन के लिए प्यूमा को निशाना बनाया है.
ऐसा करना गैरकानूनी
IRAS अधिकारी अनंत रूपानागुडी (Ananth Rupanagudi) ने प्यूमा के विज्ञापन नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि रेल की पटरी पर दौड़ना खतरनाक है और बिना इजाजत ऐसा करना गैरकानूनी भी है. अधिकारी ने इसके लिए विज्ञापन बनाने वाली कंपनी प्यूमा और मिलिंद सोमन की आलोचना की है. उनका कहना है कि इस विज्ञापन से लोगों में गलत संदेश जा सकता है. लिहाजा, विज्ञापन में एक डिस्क्लेमर यानी चेतावनी भी होनी चाहिए, जो बताए कि रेलवे ट्रैक पर दौड़ना खतरनाक है.
हादसे का दिया हवाला
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स अनंत रूपानागुडी की बात से सहमत दिखाई दिए. उनका भी मानना है कि रेल की पटरी पर दौड़ना पूरी तरह से गलत है और ऐसा करने से हादसा हो सकता है. रेल अधिकारी ने Puma से विज्ञापन पर डिस्क्लेमर लगाने का आग्रह किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है किउन्हें इस विज्ञापन से समस्या है. रेलवे ट्रैक जॉगिंग के लिए नहीं है. आपको इस विज्ञापन को शूट करने से पहले इसकी पुष्टि कर लेनी चाहिए थी. कृपया इस विज्ञापन पर डिस्क्लेमर लगाने का कष्ट करें.
डिलीट कर दिया Tweet?
अधिकारी के अनुसार, विज्ञापन में दिखाया गया रेलवे ट्रैक बोरीवली नेशनल पार्क में स्थित है. साथ ही उन्होंने कहा कि गलत ट्रैक पर चलना हमेशा गलत होता है और यह विज्ञापन जो संदेश देता है वह सही नहीं है. हालांकि, ये बात अलग है कि अनंत रूपानागुडी का ट्वीट अब कहीं नजर नहीं आ रहा है. ट्वीट के लिंक पर क्लिक करने पर मैसेज आता है कि ये पेज उपलब्ध नहीं है. ऐसा लग रहा है कि उन्होंने खुद अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया है. अब उन्होंने ऐसा किसी दबाव में किया है या नहीं, कहना मुश्किल है.
टेस्ला चीफ एलन मस्क को 21-22 अप्रैल को भारत आना था, लेकिन उन्होंने आखिरी समय में अपनी यात्रा टाल दी थी.
दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला (Tesla) के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) की प्रस्तावित भारत यात्रा टलने की असली वजह क्या है, ये तो केवल वही बता सकते हैं. लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी (Telangana CM Revanth Reddy) ने टेस्ला को लेकर जो कुछ कहा है उससे यह सवाल जरूर खड़ा हो गया है कि क्या मस्क ने इसलिए भारत दौरा टाल दिया क्योंकि उन्हें गुजरात पर फोकस करने के लिए मजबूर किया जा रहा था?
तेलंगाना के साथ हो रहा अन्याय
तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी ने एक मीडिया हाउस के साथ बातचीत में टेस्ला (Tesla) को लेकर बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा है कि एलन मस्क की टेस्ला हमारे राज्य यानी तेलंगाना में निवेश करना चाहती थी, लेकिन केंद्र की BJP सरकार ने जबरन इस प्रोजेक्ट को गुजरात भेज दिया. उन्होंने कहा कि तेलंगाना के साथ अन्याय हो रहा है. बता दें कि एलन मस्क 21-22 अप्रैल को भारत आने वाले थे. उनकी इस यात्रा में टेस्ला के भारत प्लान को लेकर कुछ घोषणाएं होने वाली थीं, लेकिन आखिरी वक्त पर उन्होंने अपना दौरा टाल दिया.
फॉक्सकॉन पर भी है दबाव
रेड्डी ने आगे कहा कि तेलंगाना के साथ अन्याय हो रहा है. हमारे राज्य में जो भी निवेश प्रोजेक्ट आ रहे हैं, उन्हें केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर गुजरात भेज रही है. हमारे कुछ प्रोजेक्ट गुजरात जा चुके हैं. उन्होंने ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन (Foxconn) को लेकर भी बड़ा दावा किया. CM ने कहा कि फॉक्सकॉन पर तेलंगाना के बजाए गुजरात जाने का दबाव बनाया जा रहा है. ठीक इसी तरह एलन मस्क की टेस्ला भी तेलंगाना में निवेश करना चाहती थी, मगर उसे गुजरात शिफ्ट कर दिया गया.
गुजरात ही हिंदुस्तान नहीं
जब रेड्डी से यह पूछा गया कि क्या इसी वजह से एलन मस्क ने अपना भारत दौरा टाल दिया? उन्होंने कहा कि वो तो मस्क ही बता सकते हैं, लेकिन मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि टेस्ला तेलंगाना में निवेश करना चाहती थी. मैं CM की कुर्सी पर बैठा हूं, तो बड़ी जिम्मेदारी से यह बोल रहा हूं. रेवंत रेड्डी ने यह भी कहा कि मोदी और अमित शाह सोचते हैं कि गुजरात ही हिंदुस्तान है, मगर ऐसा नहीं है. बाकी प्रदेश भी हैं और उन्हें भी जीने के लिए मौका मिलना चाहिए. मैं स्पष्ट बोलता हूं कि PM नरेंद्र मोदी और अमित भाई की नजरों में दक्षिण भारत के लोग दूसरे दर्जे के नागरिक हैं.
रिपोर्ट्स में नहीं था ऐसा कोई जिक्र
रेवंत रेड्डी के दावे से इतर मस्क की प्रस्तावित यात्रा से पहले सामने आईं कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि टेस्ला महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु या राजस्थान में से किसी एक जगह अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगा सकती है. इन रिपोर्ट्स में तेलंगाना का कहीं कोई जिक्र नहीं था. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि हरियाणा में भी कुछ कंपनियों के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं, लेकिन टेस्ला का फोकस महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु पर ही रहने की उम्मीद है. इसकी प्रमुख वजह है इन राज्यों में मौजूद बंदरगाह, जहां से कारों का एक्सपोर्ट आसानी से हो सकेगा. तेलंगाना के CM ने अब जो दावा किया है, उससे एक नया विवाद खड़ा हो गया है.
देश में वीरान पड़े शॉपिंग मॉलों की संख्या बढ़ी है. इसका मतलब ऐसे मॉलों से होता है जो 40 फीसदी से ज्यादा खाली हों. इस लिस्ट में टॉप पर दिल्ली-एनसीआर हैं.
जहां पहले शॉपिंग मॉल गुलजार रहते थे आज वहीं घोस्ट शॉपिंग मॉल बनते जा रहे हैं क्योंकि अब शायद मॉल कल्चर से लोगों का मोहभंग होता जा रहा है. देश के 8 प्रमुख शहरों में खाली पड़े शॉपिंग मॉल की संख्या वर्ष 2023 में 57 से बढ़कर 64 हो गई. नाइटफ्रैंक की ‘थिंक इंडिया थिंक रिटेल 2024’ रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल शॉपिंग मॉल्स में खाली स्पेस 59 प्रतिशत बढ़कर 1.33 करोड़ वर्ग फीट हो गई, जिससे 6,700 करोड़ रुपए यानी 79.8 करोड़ डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है.
शॉपिंग सेंटर की घटी संख्या
रिपोर्ट के मुताबिक, आठ प्रमुख महानगरों में खाली पड़ी रिटेल प्रॉपर्टी की संख्या तेजी से बढ़ी है. करीब 1.33 करोड़ वर्ग फुट सकल पट्टे योग्य क्षेत्र वाले 64 शॉपिंग मॉल को 2023 में 'घोस्ट शॉपिंग सेंटर' के रूप में क्लासीफाई किया गया. 'घोस्ट शॉपिंग सेंटर' से मलतब उन मॉल से है जो 40 फीसदी से ज्यादा खाली हैं. एरिया की बात करें तो यह पिछले साल (2022) के 84 लाख वर्ग फुट से 58 फीसदी ज्यादा हैं. रिपोर्ट के मुताबिक आठ नए रिटेल केंद्र जुड़ने के बावजूद 2023 में शॉपिंग केंद्र की कुल संख्या घटकर 263 रह गई क्योंकि पिछले वर्ष 16 शॉपिंग केंद्र बंद हो गए.
दुनिया की 3 दिग्गज कंपनियों की Haldiram's पर नजर, टेस्ट ने बनाया दीवाना या कुछ और है मामला?
दिल्ली-एनसीआर टॉप पर
नाइट फ्रैंक के आंकड़ों के अनुसार, शीर्ष आठ शहरों में कुल 64 खाली पड़े मॉल में से 21 मॉल दिल्ली- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में, 12 बेंगलुरु में, 10 मुंबई में, छह कोलकाता में, पांच हैदराबाद में, चार अहमदाबाद में और तीन-तीन चेन्नई और पुणे में हैं. हैदराबाद में केवल ऐसे मॉल की संख्या 19 फीसदी घटी है. कोलकाता में इनमें सबसे अधिक सालाना आधार पर 237 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
करोड़ों रुपए का हो रहा नुकसान
रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में घोस्ट शॉपिंग सेंटरों में वृद्धि के कारण लगभग 6,700 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. यह खुदरा क्षेत्र पर एक महत्वपूर्ण वित्तीय प्रभाव का संकेत देता है, जो संपत्ति मालिकों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करता है. नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल का कहना है कि बढ़ती खर्च योग्य आय, युवा जनसांख्यिकी और शहरीकरण के चलते रिटेल शॉप की डिमांड ज्यादा बढ़ती है.
क्या है इस सन्नाटे का कारण?
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा, बढ़ती खर्च योग्य आय, यंग डेमोग्राफिक और शहरीकरण से प्रेरित कंजम्पशन की गति संगठित रिटेल सेक्टर के पक्ष में है. उन्होंने कहा कि खरीदारों के लिए बेहतर रिटेल अनुभव महत्वपूर्ण है, जो भौतिक रिटेल स्थानों के महत्व को उजागर करता है. नाइट फ्रैंक ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक साल में महानगरों में में शॉपिंग केंद्र की कुल संख्या भी घटी है.
सैम पित्रोदा इससे पहले विरासत टैक्स की बात करके कांग्रेस पार्टी के लिए दूसरे चरण के चुनाव से पहले परेशानी बढ़ा चुके हैं. पीएम मोदी ने मंगलसूत्र की बात इसी टैक्स को लेकर कही थी.
पहले विरासत टैक्स वाला बयान देकर देश के चुनाव में विपक्षी पार्टी को मुद्दा पकड़ाने वाले सैम पित्रोदा ने अब जो बयान दिया है उसे लेकर बड़ा घमासान शुरू हो गया है. पीएम मोदी से लेकर बीजेपी की पूरी लीडरशिप ने पित्रोदा के कंधे पर बंदूक रखकर कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. जहां पीएम मोदी ने तेलंगाना से ही इसे भारतीयों का अपमान बताने में देरी नहीं लगाई तो अब निर्मला सीतारमण ने साफ कर दिया है कि वो दक्षिण भारत से हैं और भारतीय दिखती हैं.
पीएम मोदी ने सैम पित्रोदा के बयान पर क्या कहा?
कांग्रेस पार्टी में ओवरसीज मामलों के प्रमुख सैम पित्रोदा के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देने में पीएम मोदी ने देरी नहीं लगाई. पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं बहुत गुस्से मैं हूं, उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सैम पित्रोदा के बयान पर कहा कि चमड़ी के आधार पर देशवासियों को गाली दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश ये अपमान सहन नहीं करेगा. पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि शहजादे को इसका जवाब देना होगा. पीएम यही नहीं रूके उन्होंने कहा कि तीन चरण के मतदान के बाद कांग्रेस के लोग मैग्नीफाइंग ग्लॉस लेकर अपनी सीट ढूंढ़ रहे थे लेकिन अब उन्हें माइक्रोस्कोप लेकर सीटों को ढ़ूढ़ना पड़ेगा.
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निर्मला सीतारमण ने कही ये बात
सैम पित्रोदा पर हमला करने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी देरी नहीं लगाई. निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर सैम पित्रोदा के बयान पर कहा, मैं दक्षिण भारत से हूं. मैं भारतीय दिखती हूँ! मेरी टीम में उत्तर पूर्व भारत के उत्साही सदस्य हैं. वे भारतीय दिखते हैं! पश्चिम भारत के मेरे सहकर्मी भारतीय दिखते हैं! लेकिन, उस नस्लवादी के लिए जो राहुल गांधी के मेंटर हैं हम सभी अफ़्रीकी, चीनी, अरब और श्वेत दिखते हैं! अपनी मानसिकता और अपना दृष्टिकोण प्रकट करने के लिए धन्यवाद। I.N.D.I गठबंधन के लिए शर्म की बात!
I am from South India. I look Indian! My team has enthusiastic members from north east India. They look Indian! My colleagues from west India look Indian!
— Nirmala Sitharaman (Modi Ka Parivar) (@nsitharaman) May 8, 2024
But, for the racist who is the mentor of @RahulGandhi we all look African, Chinese, Arab and the White! Thanks for… pic.twitter.com/UzXi4ndwhk
सैम पित्रोदा ने कही ये बात
अब आपको बताते हैं कि आखिर सैम पित्रोदा ने क्या कहा है. एक मीडिया हाउस से बात करते हुए सैम ने कहा कि भारत में पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं. जबकि दक्षिण के लोग अफ्रीकी लगते हैं. इसी तरह, पश्चिम में लोग अरबी लगते हैं और उत्तर भारतीय गोरे होते हैं. उन्होंने कहा कि हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग गोरों जैसे दिखाई देते हैं और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी लगते हैं. हालांकि, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम सभी बहन-भाई हैं.
ऐसी तुलना शायद ही पसंद आए
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने आगे कहा कि हम अलग-अलग भाषाओं, धर्मों और रीति-रिवाजों का सम्मान करते हैं. ये वही भारत है, जिस पर मेरा भरोसा है, जहां हर किसी का सम्मान है. हर कोई थोड़ा-बहुत समझौता करता है. भले ही सैम पित्रोदा भारत की विविधता की बात कर रहे हों, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने पूर्वोत्तर के लोगों की तुलना चीनी और दक्षिण भारतीयों की अफ्रीकियों से की है, वो शायद ही उन्हें पसंद आए. इतना ही नहीं, उन्होंने उत्तरवासियों की तुलना गोरों यानी अंग्रेजों से कर डाली है. चुनावी माहौल में यह तुलना कांग्रेस को भारी भी पड़ सकती है. यह सबकुछ इस पर भी निर्भर करता है कि BJP इसे किस रूप में पेश करती है. भाजपा पित्रोदा के विरासत टैक्स वाले बयान को बहुत अच्छी तरह से के बड़े मुद्दे में तब्दील कर चुकी है.
हल्दीराम के स्नैक्स भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पसंद किए जाते हैं. कंपनी अपने उत्पाद सिंगापुर, अमेरिका और यूरोप के कई देशों भी भेजती है.
पिछले साल खबर आई थी कि टाटा ग्रुप (Tata Group) स्नैक्स कंपनी हल्दीराम (Haldiram's) खरीदने की योजना बना रहा है. हालांकि, बाद में टाटा ने साफ किया था कि ऐसा कुछ नहीं है. अब खबर आ रही है कि दुनिया की 3 दिग्गज कंपनियां हल्दीराम में स्टेक खरीदने की कोशिश कर रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो नमकीन और मिठाई इंडस्ट्री की लीडिंग कंपनी हल्दीराम में दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट इक्विटी कंपनी ब्लैकस्टोन इंक (Blackstone Inc) के साथ-साथ टेमासेक होल्डिंग्स लिमिटेड (Temasek Holdings Ltd) और बेन कैपिटल (Bain Capital) हिस्सेदारी खरीदना चाहती हैं.
1937 में हुई थी स्थापना
रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ये कंपनियां हल्दीराम स्नैक्स फूड प्राइवेट लिमिटेड (HSFPL) में कम से कम 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदना चाहती हैं. यह सौदा 8 से 10 अरब डॉलर के वैल्यूएशन पर हो सकता है. बता दें कि हल्दीराम के नागपुर और दिल्ली गुटों का मर्जर हो चुका है. HSFPL में हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड की 56% और हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (HFIPL) की 44% हिस्सेदारी है. हल्दीराम ब्रैंड की शुरुआत गंगा बिसन अग्रवाल ने 1937 में की थी और आज इसका कारोबार 100 से अधिक देशों में फैला हुआ है.
कितना बड़ा है मार्केट?
देश का नमकीन स्नैक मार्केट करीब 620 करोड़ डॉलर का है और इसमें हल्दीराम की हिस्सेदारी लगभग 20%. वहीं, लेज (Lays) चिप्स के लिए मशहूर पेप्सी की भी लगभग 13% हिस्सेदारी है. हल्दीराम के स्नैक्स केवल भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पसंद किए जाते हैं. कंपनी अपने उत्पाद सिंगापुर, अमेरिका और यूरोप के कई देशों भी भेजती है. Haldiram’s के पास लगभग 150 रेस्टोरेंट है जो क्षेत्रीय खाना, मिठाइयां और पश्चिमी खाना भी बेचते हैं. कंपनी के पोर्टफोलियो में 400 से अधिक तरह के फूड आइटम्स हैं. देश के स्नैक्स और नमकीन मार्केट में हल्दीराम का मुकाबला बालाजी वैफर्स, पेप्सिको, बीकानेरवाला फूड्स, ITC और पार्ले प्रॉडक्ट्स से है.
किसे, क्या होगा फायदा?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यदि यह डील होती है, तो सभी को कुछ न कुछ फायदा मिलेगा. हल्दीराम के पास अपने कारोबार को फैलाने के लिए अतिरिक्त फंड आएगा. जबकि ब्लैकस्टोन इंक, टेमासेक होल्डिंग्स और बेन कैपिटल भारत के बढ़ते स्नैक्स बाजार से मुनाफा कमा सकेंगी. हल्दीराम अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है. इसी साल की शुरुआत में खबर आई थी कि कंपनी 'यलो डायमंड चिप्स' बनाने वाली प्रताप स्नैक्स (Prataap Snacks Ltd) में बहुमत हिस्सेदारी खरीदने वाली है. यलो डायमंड चिप्स की बाजार पर अच्छी पकड़ है और इसने अपने टेस्ट से लोगों को प्रभावित किया है. एक रिपोर्ट में कहा गया गता कि प्रताप स्नैक्स में बहुमत हिस्सेदारी खरीदने के लिए हल्दीराम को करीब 2912 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे. इस डील से हल्दीराम को पोटेटो चिप्स मार्केट में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में मदद मिलेगी.
Google ने इस ऐप को 2011 में लॉन्च किया था लेकिन बाद में Google pay से रिप्लेस कर दिया. Google ने इसके लिए 20 कंपनियों के साथ साझेदारी की है.
Google ने भारत में अपना गूगल वॉलेट लॉन्च कर दिया है. अगर आप भी इस गूगल वॉलेट को पेटीएम वॉलेट की तरह समझ रहे हैं तो ये हम इसमें कुछ सुधार करना चाहते हैं. गूगल वॉलेट एक अलग तरह का ऐप है इसमें आप अपने जरूरी पासेस, लॉयल्टी और गिफ्ट कार्ड को सुरक्षित रख सकते हैं. गूगल के इस नए ऐप का गूगल पे से कोई संबंध नहीं है. मौजूदा समय में भारत में डिजिलॉकर की सुविधा मौजूद हैं जिसमें आप अपने दस्तावेजों को सुरक्षित रख सकते हैं.
क्या सुविधाएं देता है Google wallet?
Google wallet को प्लेस्टोर से लॉन्च किया जा सकता है. Google wallet में पासेस, लॉयल्टी और गिफ्ट कार्ड को स्टोर कर सकते हैं. एक बार इसमें एड करने के बाद आपको इन्हें फिजिकली कैरी करने की जरूरत नहीं है. Google ने इस ऐप को 2011 में लॉन्च किया था लेकिन बाद में Google pay से रिप्लेस कर दिया. Google ने इसके लिए 20 कंपनियों के साथ साझेदारी की है. इस पर आप अपने बोर्डिंग पास से लेकर इवेंट टिकट को भी स्टोर कर सकते हैं.
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Google pay से पूरी तरह अलग है Google wallet
Google wallet, Google pay से पूरी तरह से अलग है. Google wallet में जहां आप गिफ्ट कार्ड और लॉयल्टी पास से लेकर बोर्डिंग पास तक स्टोर कर सकते हैं वहीं दूसरी ओर Google Pay से आप यूपीआई पेमेंट भी कर सकते हैं. कंपनी ने पूरी तरह से साफ कर दिया है कि दोनों ऐप भारत के यूजर के लिए उपलब्ध रहेंगी. हालांकि कई देशों में ये ऐप पेमेंट की सुविधा के साथ आता है. लेकिन कंपनी ने भारत में इसे नॉन पेमेंट ऐप के तौर पर लॉन्च किया है.
गूगल के इस सीनियर अधिकारी ने कही ये बात
गूगल में एंड्रॉइड के जीएम और इंडिया इंजीनियरिंग लीड राम पापटला ने इस मौके पर कहा कि भारत में Google Wallet का आगमन एंड्रॉइड की भारत यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो लोगों के दैनिक जीवन को सरल बनाने के लिए नए और सुविधाजनक अनुभव लाता है. हमें एक व्यापक समाधान पेश करने के लिए भारत के कई शीर्ष ब्रैंड के साथ साझेदारी करके खुशी हो रही है जो आपको बोर्डिंग पास से लेकर लॉयल्टी कार्ड और इवेंट टिकट से लेकर सार्वजनिक परिवहन पास तक आपकी रोजमर्रा की आवश्यक चीजों तक सुरक्षित रूप से पहुंचने और प्रबंधित करने में मदद करता है.
बाजार में पेपर स्ट्रॉ की बढ़ती मांग की वजह से इसकी मैन्युफैक्चरिंग एक बड़ा बिजनेस का रूप लेता जा रहा है.
सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगने के बाद पेपर स्ट्रॉ के बिजनेस में तेजी आई है. मार्केट में पेपर से बनी चीजों की डिमांड भी बढ़ती जा रही है. ऐसे में अब पेपर स्ट्रॉ मैन्युफैक्चरिंग भी एक बड़ा बिजनेस बन रहा है. अगर आप कम खर्च में कोई अच्छा मुनाफे वाला काम शुरू करना चाहते हैंस तो ये आपके लिए एक अच्छा विकल्प है. पेपर स्ट्रॉ के लिए कच्चे माल की भी जरूरत होती है. इसकी यूनिट लगाकर आप हर महीने अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसमें सरकार भी आपकी मदद करेगी. तो चलिए जानते हैं आप कैसे ये बिजनेस शुरू कर सकते हैं?
ऐसे शुरू करें बिजनेस
खादी और ग्रामोद्योग आयोग () ने पेपर स्ट्रां यूनिट पर एक प्रोजेक्ट तैयार किया है. इसरे लिए आपको पहले सरकार से अप्रूवल और रजिस्ट्रेशन की जरूरत होगी. इस प्रोजेक्ट के लिए जीएसटी (GST) रजिस्ट्रेशन, आधार रजिस्ट्रेशन, प्रोडक्ट के ब्रांड नाम की जरूरत पड़ेगी. इतना ही नहीं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी (NOC) जैसे बेसिक चीजों की जरूरत पड़ेगी. स्थानीय नगर पालिका प्राधिकरण से व्यापार लाइसेंस भी लेना पड़ेगा.
इतनी आएगी लागत
पेपर स्ट्रॉ मेकिंग बिजनेस का प्रोजेक्ट की कुल लागत 19.44 लाख रुपये है. इसमें से आपको अपनी जेब से सिर्फ 1.94 लाख रुपये ही खर्च करने हैं, बाकी 13.5 लाख का टर्म लोन ले सकते हैं. वर्किंग कैपिटल के लिए 4 लाख का फाइनेंस करवा सकते हैं. यह बिजनेस 5 से 6 महीने में शुरू हो जाएगा बिजनेस शुरू करने के लिए आप पीएम मुद्र लोन स्कीम से लोन भी ले सकते हैं.
पेपर स्ट्रा की बड़ी डिमांड
भारत सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर 1 जुलाई 2022 से बैन लगा दिया है, जिससे बाजार से प्लास्टिक की वस्तुएं गायब होती जा रही है. इनमें से एक प्लास्टिक स्ट्रॉ भी है, जिसकी मांग रेहड़ी से लेकर बड़े बड़े रेस्तरां और डेरी कंपनियों तक होती है. पर्यावरण के प्रति लोगों में आई जागरूकता के कारण अब पेपर स्ट्रा की मांग बढ़ रही है.
इन चीजों की पड़ेगी जरूरत
पेपर स्ट्रा बनाने के लिए आपको फूड ग्रेड पेपर (Food Grade Paper), फूड ग्रेथ गम पाउडर (Food Grade Gum Powder) . इसके अलावा एक पेपर स्ट्रा मेकिंग मशीन की जरूरत होगी, जिसकी कीमत करीब 9 लाख रुपये है. इसके अलावा अन्य इक्विपमेंट्स पर करीब 50000 रुपए खर्च होंगे.
इतनी होगी कमाई
अगर आप 75 प्रतिशत क्षमता के साथ पेपर स्ट्रॉ बनाने का काम शुरू करते हैं, तो आपको ग्रास 85.67 लाख रुपये मिलेंगे. इसमें सभी खर्च और टैक्स निकालने के बाद सालाना 9.64 लाख रुपये की कमाई होगी, यानी हर महीने 80000 से ज्यादा की इनकम होगी.
लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने तेलंगाना से कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि पांच साल तक जिसका नाम ले रहे थे आखिर रातों रात उसे लेना बंद क्यों कर दिया.
ऐसा शायद ही कोई चुनाव बीतता हो जब कुछ खास विषयों का जिक्र ना आता हो. इस विषयों में हिंदु मुस्लिम, परिवारवाद, और अडानी अंबानी जैसे नाम शामिल हैं. पहले दो मामलों का जिक्र तो अब तक इन लोकसभा चुनाव 2024 में आ चुका था लेकिन अडानी अंबानी की एंट्री नहीं हुई थी. वैसे तो इनका नाम लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार पर निशाना साधती हैं लेकिन इस बार कुछ उल्टा हुआ है. इस बार पीएम मोदी ने कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी पर इन दो नामों को लेकर हमला किया है. अब पीएम मोदी के इन आरोपों का जवाब राहुल गांधी या कांग्रेस को देना है.
पीएम मोदी ने आखिर क्या कहकर कसा तंज
पीएम मोदी ने तेलंगाना के करीमनगर में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आखिर कांग्रेस पार्टी के शहजादे ने अंबानी अडानी का नाम लेना क्यों बंद कर दिया है. पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस के शहजादे पिछले पांच साल से सुबह उठते हुए अडानी अंबानी के नाम की माला जपने लगते थे. पीएम ने कहा कि जब इनका राफेल का मामला ग्राउंडेड हो गया तो इन्होंने एक नई माला जपनी शुरू कर दी. पांच साल से ये एक ही माला जप रहे थे. पांच उद्योगपति-पांच उद्योगपति. फिर इन्होंने कहना शुरू किया अडानी अंबानी. लेकिन जब से चुनाव घोषित हुआ है तब से इन्होंने अडानी अंबानी का नाम लेना बंद कर दिया है.
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पीएम मोदी ने पूछा कितने टैंपों भरकर माल लिया?
पीएम मोदी ने सवाल पूछते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के शहजादे को घोषित करना चाहिए कि आखिर उन्होंने अंबानी अडानी से कितना माल उठाया है. काले धन के कितने बोरे माल उठाया है. क्या टैंपो भर के माल कांग्रेस के लिए पहुंचा है. आपने रातों रात अंबानी अडानी को गाली देना बंद कर दिया है. पांच साल गाली दी और रातों रात गाली देना बंद कर दिया. पीएम मोदी ने कहा कि दाल में जरूर कुछ काला है. पांच साल तक अंबानी अडानी को गाली दी और रातों रात बंद कर दिया है. टैंपों भरकर माल पाया है. देश को जवाब देना पड़ेगा.
राहुल गांधी अडानी का नाम लेकर करते रहे हैं हमला
कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी अडानी और अंबानी का नाम लेकर लंबे समय से पीएम मोदी और उनकी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. राहुल गांधी ने 1 मई 2024 को भी इससे पहले चुनावों में अडानी का नाम लेते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा. राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लेकर कहा कि नरेंद्र मोदी ने जितना पैसा अडानी को दिया है, उतना ही पैसा हम आपको देने जा रहे हैं. राहुल गांधी ने ये भी कहा कि नरेंद्र मोदी ने अडानी को लाखों-करोड़ों रुपए दिए तो मीडिया कहता है- विकास हो रहा है. लेकिन जब हम मनरेगा लेकर आए तो वही मीडिया कहता है- देखो, गरीबों की आदत बिगाड़ रहे हैं. लेकिन हमने मन बना लिया है कि नरेंद्र मोदी ने जितना पैसा अडानी को दिया है, उतना ही पैसा हम आपको देने जा रहे हैं. वो अडानी को लेकर लंबे समय से निशाना साध रहे हैं लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी के चुनाव प्रचार में ये शब्द उतनी मुखरता से नहीं सुनाई दे रहा है.