राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार ने कहा कि रेलवे में यात्रियों की संख्या में तो तेजी से इजाफा हो रहा है लेकिन उसके मुकाबले रेलवे में कोच नहीं बढ़ पाए हैं.
रेलवे की कंफर्म टिकट के लिए जनता कितना परेशान होती है ये तो देश की जनता ही जानती है. अगर वेटिंग टिकट कंफर्म कराना हो तो यात्रा करने वाला या उसका संबंधी ना जाने कहां कहां की पहचान नहीं लगाता. लेकिन बावजूद उसके कई बार तो टिकट हो जाता है लेकिन कई बार नहीं होता. लेकिन गुरुवार को आम आदमी की ये पीड़ा संसद में सुनाई दी, जिसे क्या आप जानते हैं कि कंफर्म टिकट न मिलने की समस्या का सामना देश की आम जनता ही नहीं बल्कि हमारे माननीयों को भी करनी पड़ रही है. गुरुवार को ये बात तब सामने आई जब सरकार में बैठी बीजेपी के राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार ने शून्यकाल के दौरान टिकट कंफर्म न होने को लेकर अपनी पीड़ा बताई.
क्या बोले बीजेपी राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार?
बीजेपी राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार ने राज्यसभा में शून्यकाल में अपना सवाल उठाते हुए कहा कि उनके क्षेत्र में ट्रेनों में टिकट ना मिलने की समस्या अक्सर सामने आती रहती है. सांसद आदित्य कुमार ने कहा कि उनके द्वारा पत्र लिखने के बाद भी यात्रियों का ट्रेन में टिकट कंफर्म नहीं हो रहा है. इसके कारण गांव, देहात और पिछड़े इलाकों से आने वाले लोग ट्रेन में यात्रा तक नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रेनों में लोग इसलिए सफर करते हैं क्योंकि ये सस्ती यात्रा है. हर कोई इसे अफोर्ड कर सकता है. लेकिन कंफर्म टिकट की समस्या के कारण लोग यात्रा नहीं कर पा रहे हैं.
ट्रेनें कई सारी हैं लेकिन टिकट वेटिंग है
बीजेपी के राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार ने कहा कि रेलवे की ओर से ट्रेनें तो खूब चलाई जा रही हैं लेकिन टिकट नहीं मिल पा रहा है. अगर वेटिंग टिकट लिया जाता है तो वो कंफर्म नहीं हो पा रहा है. इसके कारण लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: Google, Apple के बाद अब इस कंपनी का सर्च इंजन हुआ AI पॉवर्ड, झटपट मिलेगी जानकारी
बोगियों की समस्या पर भी बोले माननीय सांसद
राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार ने कहा कि रेलवे में यात्रियों की संख्या में तो तेजी से इजाफा हो रहा है लेकिन उसके मुकाबले रेलवे में कोच नहीं बढ़ पाए हैं. इसी के कारण लोगों को कंफर्म टिकट नहीं मिल रही है और नतीजा ये हो रहा है कि लोग यात्रा नहीं कर पा रहे हैं. आदित्य कुमार ने रेल मंत्री से अनुरोध किया वो स्लीपर क्लॉस में कोचों की संख्या बढ़ाने का काम करें, जिससे लोगों को सीट मिल सके.
रेलवे ऑर्डर कर चुका है 10 हजार कोच
वहीं रेलवे खुद ही यात्रियों की इस समस्या को सुलझाने के लिए पहले ही काम कर रहा है. रेलवे की ओर से यात्रियों की समस्या को सुलझाने के लिए 10 हजार रेल कोचों का आदेश दिया जा चुका है. रेलवे को ये 5000 कोच 2025 तक और अगले 5000 कोच 2026 तक मिल जाएंगे. उम्मीद की जा रही है कि उसके बाद काफी हद तक समस्या खत्म हो जाएगी. सिर्फ यही नहीं रेलवे कई नई ट्रेनों का भी निर्माण कर रहा है. इनमें वंदे भारत से लेकर 50 अमृत भारत ट्रेनें शामिल हैं.
पड़ोसी देश चीन में सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु बढ़ने वाली है. माना जा रहा है कि ऐसा पेंशन फंड पर बढ़ते दबाव के मद्देनजर किया गया है.
चीन (China) की आर्थिक सेहत पहले जैसी नहीं रही है. उसे कई मोर्चों पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ जहां चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अपने स्वामित्व वाले वित्तीय संस्थानों के वरिष्ठ कर्मचारियों की सैलरी पर भी कैंची चलाई है. वहीं, दूसरी तरफ सरकार अपने कर्मचारियों के रिटायर होने की उम्र बढ़ा रही है.
इतना होगा इजाफा
चीनी मीडिया के अनुसार, सरकार ने शुक्रवार को रिटायरमेंट आयु बढ़ाने को लेकर नई नीति का ऐलान किया है. इस नीति को 15 साल में धीरे-धीरे लागू किया जाएगा. पुरुषों के लिए रिटायरमेंट उम्र बढ़ाकर 63 वर्ष की जाएगी. जबकि महिला कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु उनकी भूमिका के आधार पर 55 और 58 साल की जाएगी.
अभी ये है व्यवस्था
मौजूदा वक्त में चीन में पुरुषों के लिए रिटायरमेंट उम्र 60 वर्ष और महिलाओं के लिए श्रमिक वर्ग में (ब्लू कॉलर जॉब ) 50 वर्ष, जबकि ऑफिस में काम करने वाले वर्ग में (व्हाइट कॉलर जॉब) 55 वर्ष है. चीनी सरकार सेवानिवृत्ति की उम्र क्यों बढ़ा रही है, इसकी वजह पर शोधकर्ता शिउजियान पेंग ने प्रकाश डालने का प्रयास किया है.
अगले साल से अमल
ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर पेंग ने कहा कि चीन में बड़े पैमाने पर लोग रिटायर होने की उम्र पर पहुंच रहे हैं. इसलिए पेंशन फंड पर काफी दबाव है. संभवतः इसलिए सरकार रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर इस दबाव को टालना चाहती है. चीन में पिछली बार रिटारयमेंट उम्र साल 1950 में तय की गई थी. सरकार की यह नई पॉलिसी अगले साल से अमल में आ जाएगी.
बढ़ रही बुजुर्ग आबादी
एक रिपोर्ट बताती है कि 2023 के अंत तक चीन में 60 साल से अधिक लोगों की संख्या करीब 300 मिलियन होगी और 2035 तक यह बढ़कर 400 मिलियन होने का अनुमान है. तब तक पब्लिक पेंशन फंड खत्म हो चुके होंगे. गौरतलब है कि चीन में जन्म दर तेजी से नीचे आई है. दरअसल, चीनी युवा बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं. इस वजह से वहां युवा आबादी कम हो रही है.
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर बताया है कि उन्होंने सेबी प्रमुख के खिलाफ लोकपाल में शिकायत दर्ज कराई है.
सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच की मुश्किलों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) लीडर महुआ मोइत्रा ने इजाफा कर दिया है. मोइत्रा ने माधबी पुरी बुच और उनके पति के खिलाफ लोकपाल में शिकायत दर्ज कराई है. अपनी शिकायत में TMC लीडर ने सेबी चीफ पर भ्रष्टाचार और हेरफेर का आरोप लगाया है.
हर लिंक की ही जांच
महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी साझा करते हुए बताया है कि देश में भ्रष्टाचार के मामलों की निगरानी करने वाली संस्था ने उनकी इलेक्ट्रॉनिक शिकायत दर्ज कर ली है और जवाब दिया है कि मामले की जांच की जा रही है. TMC लीडर ने अपने X अकाउंट पर लिखा है - माधवी पुरी-बुच के खिलाफ मेरी लोकपाल में शिकायत दर्ज हो गई है. लोकपाल को 30 दिनों के अंदर इसे शुरुआती जांच और फिर फुल FIR जांच के लिए सीबीआई या ED को भेजना चाहिए. इसमें शामिल हर व्यक्ति को तलब किया जाना चाहिए और हर लिंक की जांच होनी चाहिए.
My LokPal complaint against Ms. Puri-Buch been filed electronically & in physical form. LokPal must within 30 days refer it to CBI/ED for a preliminary investigation and then a full FIR enquiry. Every single entity involved needs to be summoned & every link investigated.… pic.twitter.com/5aZ4f2se9n
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) September 13, 2024
हर रोज हो रहे खुलासे
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, महुआ मोइत्रा अपनी शिकायत में कहा है कि माधबी पुरी बुच को लेकर लगभग रोज खुलासे हो रहे हैं. इन खुलासों को देखकर ऐसा लगता है कि वह एक सीरियल अपराधी हैं, जिन्होंने ऐसे काम किए हैं जो भारत के राष्ट्रीय हितों को खतरा पहुंचाते हैं. बता दें कि सेबी प्रमुख पर पहले हिंडनबर्ग ने आरोप लगाए थे, उसके बाद से कांग्रेस उन पर कई हमले कर चुकी है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया था कि सेबी प्रमुख और उनके पति ने ऑफशोर फंड में निवेश किया, जो अडानी समूह की कंपनियों से जुड़े हैं. जबकि सेबी इस दौरान अडानी समूह के खिलाफ शेयरों में हेरफेर की शिकायतों की जांच कर रहा था.
बोर्ड सदस्य भी जवाबदेह
महुआ मोइत्रा का कहना है कि सेबी के बोर्ड सदस्यों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. भारतीय शेयर बाजार में अब करीब 10 करोड़ नागरिक हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष निवेशक हैं. इसके अलावा, विदेशी निवेशकों ने भी भारत के शेयर बाजारों और इसकी विश्वसनीयता पर गंभीर चिंता जताई है. इसलिए यह राष्ट्रीय हित का एक गंभीर मामला है और इसलिए जांच की जानी चाहिए.
केंद्र सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए एक नई स्कीम 'पीएम ई-ड्राइव योजना' शुरू करने का फैसला लिया है. इसका फायदा ई-रिक्शा खरीदने वालों को भी मिलेगा.
अगर आप कोई इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो ये खबर आपके काम की हो सकती है. दरअसल, केंद्र सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए एक नई स्कीम 'पीएम ई-ड्राइव योजना' शुरू करने का फैसला लिया है. इसका फायदा ई-रिक्शा खरीदने वालों को भी मिलेगा. तो आइए जानते हैं ई-रिक्शा की खरीद पर कितनी सब्सिडी मिल रही है?
ई-रिक्शा की खरीद पर ऐसे मिलेगा सब्सिडी का फायदा
ई-रिक्शा खरीदारों को पहले साल में 25,000 रुपये और दूसरे साल में 12,500 रुपये की सब्सिडी का फायदा मिलेगा. सब्सिडी योजना दो साल तक जारी रहेगी. वहीं, एल5 कैटेगरी (माल ढुलाई में उपयोग होने वाले तिपहिया वाहन) के लिए पहले साल में 50,000 रुपये की सब्सिडी और दूसरे साल में 25,000 रुपये की सब्सिडी मिलेगी.
बैटरी की पावर से तय होगी सब्सिडी
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एचडी. कुमारस्वामी ने कहा कि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत बैटरी की पावर के आधार पर सब्सिडी तय होगी. ये 5,000 रुपये प्रति किलोवाट घंटा की पावर के हिसाब से दी जाएगी. हालांकि पहले साल में हर दोपहिया वाहन के लिए सब्सिडी की मैक्सिमम लिमिट 10,000 रुपये होगी. दूसरे साल में यह सब्सिडी आधी 2,500 रुपये प्रति किलोवाट घंटा हो जाएगी और तब मैक्सिमम फायदा 5,000 रुपये से अधिक नहीं होगा.
ऐसे मिलेगी पीएम ई-ड्राइव योजना का फायदा
1. योजना के तहत पीएम ई-ड्राइव पोर्टल के जरिये एक आधार प्रमाणित ई-वाउचर जारी किया जाएगा. इस पर खरीदार और डीलर विधिवत हस्ताक्षर करेंगे और उसे पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा.
2. खरीदार को योजना के तहत सब्सिडी का फायदा लेने के लिए पोर्टल पर सेल्फी अपलोड करनी होगी.
3. योजना में सरकारी सब्सिडी के दुरुपयोग से बचने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. मंत्रालय के अनुसार हर छह महीने में प्रोडक्शन की जांच होगी. इससे यह पता चलेगा कि चीजें दुरुस्त हैं या नहीं और कोई गलत तरीके से सब्सिडी तो हासिल नहीं कर रहा है.
इसे भी पढ़ें-LIC ने दिखाया IRCTC पर भरोसा, शेयर में इतनी बढ़ाई हिस्सेदारी...
यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है, इस क्षेत्र की बढ़ती मांग और बुनियादी ढांचे के सुधार के कारण यह सौदा महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
आदित्य बिड़ला ग्रुप की रियल एस्टेट कंपनी बिड़ला एस्टेट्स ने मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) में 537.42 करोड़ रुपये का जमीन का बड़ा पार्सल खरीदा है. यह जमीन ठाणे-बेलापुर रोड पर कलवा में है, जो तेजी से विकसित हो रहा है. दिग्गज उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला आदित्य बिड़ला ग्रुप के मुखिया हैं. यह डील सितंबर में हुई है, इसमें बिड़ला एस्टेट्स की सहायक कंपनी एकमया प्रॉपर्टी ने हिंडाल्को इंडस्ट्रीज से 99,021.47 वर्ग मीटर (24.5 एकड़) जमीन खरीदी. इस सौदे में 37.61 करोड़ रुपये का स्टांप शुल्क और 30,000 रुपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क भी शामिल था.
बड़े डेवलपर खरीदने में लगे हैं जमीन
स्क्वायर यार्ड्स के को-फाउंडर और सीबीओ, कैपिटल मार्केट एंड सर्विसेज, आनंद मूर्ति ने कहा, 'हम देख रहे हैं कि बड़े डेवलपर्स महत्वपूर्ण बाजारों में अपनी जगह बनाने के लिए बड़े जमीन पार्सल खरीद रहे हैं. यह ऑफिस स्पेस और गेटेड कम्यूनिटी में रेजिडेंशियल अपार्टमेंट की बढ़ती मांग के साथ मेल खाता है. घर खरीदार अब ऐसी प्रॉपर्टी पसंद करते हैं जहां कई सुविधाएं और खुली जगह हो. बाजार में हो रहे ये महंगे सौदे साफ तौर पर दिखाते हैं कि रेजिडेंशियल और कमर्शियल दोनों ही सेक्टर में डेवलपर्स के लिए मौके हैं. इसके अलावा, ग्लोबल कंपनियां और टेक-जायंट्स भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहे हैं. जमीन के रिकॉर्ड के डिजिटलाइजेशन और पारदर्शिता बढ़ने से भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में लोगों का भरोसा बढ़ा है.
बिड़ला एस्टेट्स की मार्केट में मजबूत स्थिति
बिड़ला एस्टेट्स मुंबई MMR, पुणे, बेंगलुरु और दिल्ली NCR में रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रोजेक्ट्स के साथ एक मजबूत उपस्थिति रखता है. स्क्वायर यार्ड्स के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून 2024 तिमाही में सबसे ज्यादा रजिस्टर्ड होम सेल्स वैल्यू के मामले में बिड़ला एस्टेट्स मुंबई MMR में तीसरे स्थान पर रहा. इसने 1,126 करोड़ रुपये के लेनदेन दर्ज किए. बिड़ला एस्टेट के वित्त वर्ष 2023-24 के चौथी तिमाही के आंकड़ों के अनुसार, कंपनी के पास 1.8 करोड़ वर्ग फीट क्षेत्र में प्रोजेक्ट्स की प्रभावशाली पाइपलाइन है.
कंपनी के पास तकरीबन 1.8 करोड़ वर्ग फुट की परियोजनाएं
यह जमीन ठाणे-बेलापुर रोड पर मौजूद है, जो ठाणे और मुंबई के उत्तर-पूर्वी हिस्सों मसलन कोपर खैराणे, महापे, राबाले आदि क्षेत्रों को नवी मुंबई से जोड़ता है. बिड़ला एस्टेट्स का मुख्य फोकस मुंबई, नेशनल कैपिटल रीजन (NCR), बेंगलुरु और पुणे के प्रीमियम और लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर रहा है. कंपनी के पास तकरीबन 1.8 करोड़ वर्ग फुट की परियोजनाएं हैं, जिनकी ग्रॉस डिवेलपमेंट वैल्यू 32,000 करोड़ रुपये है. कलवा ठाणे और नवी मुंबई के पास होने की वजह से घर खरीदने वालों के लिए एक अच्छी जगह बन गया है. ठाणे भारत के सबसे बड़े रियल एस्टेट बाजारों में से एक है. वहीं, नवी मुंबई रोजगार का बड़ा केंद्र है, इस कारण से यह इलाका नौकरी करने वालों के लिए रहने के लिहाज से काफी अच्छा है.
गौतम अडानी आईपीएल फ्रेंचाइजी गुजरात टाइटन्स को खरीदने से फिर चूक गए हैं. बताया जा रहा है कि टोरेंट ग्रुप ने बाजी अपने नाम कर ली है.
अरबपति कारोबारी गौतम अडानी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) फ्रेंचाइजी गुजरात टाइटन्स को खरीदने से फिर चूक गए हैं. एक रिपोर्ट की मानें, तो अहमदाबाद के टोरेंट ग्रुप ने अडानी से आईपीएल में रंग जमाने का मौका छीन लिया है. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि टोरेंट ग्रुप ने गुजरात टाइटन्स में बहुमत हिस्सेदारी खरीदने के लिए यूरोप के प्राइवेट इक्विटी फर्म CVC कैपिटल पार्टनर्स के साथ समझौता कर लिया है.
यह है व्यवस्था
'गुजरात टाइटन्स' का मालिकाना हक CVC Capitals के पास है. हाल ही में खबर आई थी कि ये कंपनी अपनी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की फ्रेंचाइजी में कंट्रोलिंग स्टेक बेचने की तैयारी में है. इसके लिए अडानी ग्रुप और टोरेंट ग्रुप के साथ बातचीत चल रही है. CVC की योजना अपनी आईपीएल फ्रेंचाइजी में ज्यादातर हिस्सेदारी बेचकर अपने पास माइनोरिटी स्टेक रखने की है. दरअसल, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की लॉक-इन अवधि फरवरी 2025 में समाप्त होने वाली है. इसके बाद टीमों में हिस्सेदारी बेची जा सकती है.
नहीं बनी थी बात
अडानी समूह गुजरात टाइटन्स के जरिए आईपीएल में एंट्री लेना चाहता था, लेकिन CVC और टोरेंट ग्रुप के बीच डील फाइनल हो गई है. फरवरी 2025 के बाद इसका कंट्रोलिंग स्टेक टोरेंट ग्रुप के पास आ जाएगा. गुजरात टाइटन्स की वैल्यू 1 अरब डॉलर से अधिक आंकी गई है. CVC Capitals ने 2021 में ₹5,625 करोड़ में यह फ्रेंचाइजी खरीदी थी. अडानी ग्रुप ने 2021 में भी आईपीएल की इस फ्रेंचाइजी को खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो पाया. एक बार फिर उसके पास गुजरात टाइटन्स को अपना बनाने का मौका था,मगर बात नहीं बन पाई.
पहले से हैं ये टीमें
अडानी समूह काफी पहले ही स्पोर्ट्स में एंट्री ले चुका है. उसके पास महिला प्रीमियर लीग (WPL) और UAE की इंटरनेशनल लीग T20 में टीमें हैं. अडानी ने 1,289 करोड़ रुपए की सबसे बड़ी बोली लगाकर WPL की अहमदाबाद फ्रैंचाइजी को खरीदा था. इसी तरह, मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप के पास आईपीएल की मुंबई इंडियंस के अलावा, साउथ अफ्रीका T20 लीग और UAE T20 लीग में एक-एक टीम हैं.
IPL विजेता रही है टीम
गुजरात टाइटन्स IPL विजेता रही है. इस टीम ने अपने पहले ही सीजन में IPL का खिताब जीत लिया था. टाटा आईपीएल 2022 का फाइनल मैच गुजरात टाइटन्स बनाम राजस्थान रॉयल्स के बीच खेला गया था. गुजरात टाइटन्स ने फाइनल मैच 7 विकेट से जीत लिया था. मुकेश अंबानी की मुंबई इंडियंस भी आईपीएल विजेता रह चुकी है. अडानी समूह, टोरेंट ग्रुप और CVC कैपिटल पार्टनर्स ने गुजरात टाइटन्स को लेकर सामने आई खबर पर कोई बयान जारी नहीं किया है.
रेलवे के शेयर्स पर भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने जमकर निवेश किया है. एलआईसी ने रेलवे के डिजिटल टिकटिंग प्लेटफॉर्म IRCTC में हिस्सेदारी बढ़ा दी है.
क्या आपके पास रेलवे के शेयर हैं? अगर हां, तो ये खबर आपके काम की हो सकती है. दरअसल, रेलवे के शेयरों बीते कुछ सालों से शेयर मार्केट में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके शेयर ने निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है. इसे देखते हुए अब भारतीय जीवन बीमा (LIC) जैसे बड़े इंवेस्टर्स ने भी रेलवे के ऑनलाइन टिकटिंग और कैटरिंग प्लेटफॉर्म आईआरसीटीसी (IRCTC) के शेयरों पर भरोसा दिखाते हुए इसमें अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. इस खबर के बाद अब रेलवे के शेयर में और अधिक तेजी देखने को मिल सकती है, जिसका सीधा फायदा निवेशकों को होगा. तो चलिए जानते हैं आईआरसीटीसी में एलआईसी की हिस्सेदारी अब कितनी हो गई है?
एलआईसी की आईआरसीटीसी में अब इतनी हो गई हिस्सेदारी
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने आईआरसीटीसी में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर करीब 9.3 प्रतिशत कर दिया है. एलआईसी ने शेयर बाजार को इसकी सूचना देते हुए कहा है कि उसने बीते 2 साल के अंदर खुले बाजार में आईआरसीटीसी के शेयरों की जमकर खरीद-फरोख्त की है. इससे उसकी हिस्सेदारी 16 दिसंबर 2022 से लेकर 11 सितंबर 2024 के बीच 2.02 प्रतिशत बढ़ी है. एलआई ने बताया है कि उसने आईआरसीटीसी के इक्विटी शेयरों में अपनी हिस्सेदारी को 5,82,22,948 शेयर यानी 7.28 प्रतिशत से बढ़ाकर 7,43,79,924 शेयर यानी 9.29 प्रतिशत कर दिया है.
आईआरसीटीसी ने दिया जबरदस्त रिटर्न
बीएसई पर एलआईसी का शेयर पिछले बंद भाव के मुकाबले गुरुवार को 1.81 प्रतिशत बढ़कर 1031.45 रुपये पर बंद हुए. वहीं आईआरसीटीसी का शेयर 929.30 रुपए पर बंद हुआ. अगर आईआरसीटीसी के शेयर में रिटर्न को देखें तो बीते एक साल में इसके शेयर प्राइस 35 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. जबकि बीते 5 साल में इसका शेयर करीब 500 प्रतिशत बढ़ा है. साल 2019 में इसके शेयर का भाव महज 155 रुपए था. वहीं, शुक्रवार को खबर लिखने तक आईआरसीटीसी के शेयर एनएसई पर 0.85 प्रतिशत की तेजी के साथ 939.25 रुपये और बीएसई 0.87 प्रतिशत की तेजी के साथ 939.50 रुपये पर कारोबार करता दिखा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि आईआरसीटीसी में एलआईसी की हिस्सेदारी बढ़ने के बाद सोमवार को इसके शेयरों में और अधिक तेजी देखने को मिल सकती है.
रेलवे में आईआरसीटीसी की भूमिका
बता दें, आईआरसीटीसी रेलवे की टिकटिंग में मोनोपॉली रखने के साथ कैटिरंग सर्विस को संभालने का काम भी करती है. इतना ही नहीं ट्रेनों में खान-पान की व्यवस्था देखने से लेकर टूर पैकेजेस बनाने तक का काम रेलवे की यही कंपनी करती है. देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस भी आईआसीटीसी ने ही शुरू की थी.
मार्केट रेगुलेटर का कहना था कि कार्वी स्टॉक ब्रोकर की अपनी भूमिका में पूरी तरह से नाकाम रही है.
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग और उसके सीएमडी सी पार्थसारथी पर बाजार नियामक सेबी (SEBI) सख्त हो गया है. सेबी ने करीब 25 करोड़ रुपये का बकाया वसूलने के लिए गुरुवार को कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग और उसके सीएमडी सी पार्थसारथी के बैंक खातों के साथ-साथ शेयरों और म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स को कुर्क करने का आदेश दिया. सेबी ने 7 अगस्त को कार्वी और पार्थसारथी को नोटिस भेजकर उन्हें पावर ऑफ अटॉर्नी (POA) का दुरुपयोग करके ग्राहकों के धन की हेराफेरी से संबंधित एक मामले में 15 दिनों के भीतर बकाया राशि का भुगतान करने को कहा.
7 साल के लिए प्रतिबंधित हैं KSBL और पार्थसारथी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब सस्थाओं ने सेबी द्वारा उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं किया तो सेबी ने यह नोटिस जारी कर दिया. सेबी ने अप्रैल 2023 में केएसबीएल और पार्थसारथी को प्रतिभूति बाजार से सात साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया और ब्रोकिंग फर्म को दिए गए पीओए का दुरुपयोग करके ग्राहकों के धन की हेराफेरी करने के लिए उन पर 21 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया.
चार अलग-अलग कुर्की नोटिस
चार अलग-अलग कुर्की नोटिसों में बाजार नियामक ने लंबित बकाया राशि वसूलने के लिए दोनों संस्थाओं के बैंक, डीमैट खातों और म्यूचुअल फंड फोलियो को कुर्क करने का आदेश दिया है. सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने इस ब्रोकरेज हाउस द्वारा किए गए फ्रॉड का हवाला देते हुए कहा था कि मार्केट रेगुलेटर शेयर बाजार में कार्वी ब्रोकिंग जैसी कोई अन्य घटना नहीं होने देगा. बुच ने मार्च 2023 में सेबी बोर्ड की बैठक के बाद कहा था, 'अब कार्वी जैसी कोई अन्य घटना हमारी लाशों पर होगी. सेबी के हालिया आदेशों के मुताबिक, ब्रोकरेज फर्म और उसके पूर्व चीफ को 7 अगस्त 2024 को डिमांड नोटिस भेजा गया था.
मार्केट रेगुलेटर का कहना है कि चूंकि ब्रोकरेज फर्म और उसके पूर्व चीफ की तरफ से जुर्माने का भुगतान नहीं किया गया, लिहाजा यह माना जा सकता है कि वे बैंक खातों, डीमैट खातों या म्यूचुअल फंड फोलियो से अपनी सिक्योरिटीज इंस्ट्रुमेंट्स को हटा सकते हैं. अगर ऐसा होता है, तो रिकवरी की राशि में बाधा या देरी हो सकती है. लिहाजा, रेगुलेटर ने उनके खातों को जब्त करने का फैसला किया है.
जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में बहुत सारे लोग शेयर बाजार का रुख करते हैं और फ्रॉड करने वालों के हाथों शिकार बन जाते हैं.
क्या आप शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं? तो ये खबर आपके लिए है. शेयर बाजार की रिकॉर्ड रैली में निवेशक बड़ी संख्या में बाजार का रुख कर रहे हैं. उसके साथ ही शेयर बाजार से जुड़े फ्रॉड के मामले भी बढ़ रहे हैं. शेयर बाजार से जुड़े कई तरह के फ्रॉड के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. एनएसई इंडिया ने एक ऐसे ही फ्रॉड के बारे मं निवेशकों को अलर्ट किया है. तो ऐसे जालसाजों को कैसे पहचानें? इनसे बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? आइए अब जानते हैं वो बातें...
एनएसई ने बताया- ऐसे की जा रही ठगी
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज समय-समय पर कैपिटल मार्केट ट्रेडर्स को ऐसे ठगों के बारे में सचेत करते रहता है. देश के प्रमुख शेयर बाजार एनएसई (NSE) ने फ्रॉड के मामलों को लेकर इन्वेस्टर्स को फिर से आगाह किया है. एनएसई ने इससे पहले भी कई बार ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स से कहा है कि वे किसी अंजान व्यक्ति या निकाय के द्वारा दिए जाने वाले झांसों में न पड़ें. ऐसे निकाय कई बार गारंटीड रिटर्न के नाम पर लोगों को ठगते हैं, तो कई बार अन्य झांसा देते हैं. ताजे मामले में निवेशकों को बाजार बंद होने के बाद डिस्काउंट पर शेयर देने का झांसा दिया जा रहा है.
इन लोगों से सावधान रहें निवेशक
एनएसई ने बताया कि उसे JO HAMBRO नामक व्हाट्सएप ग्रुप के खिलाफ शिकायतें मिली हैं. ग्रुप में लोगों को झांसा दिया जा रहा है कि उन्हें बाजार बंद होने के बाद कम भाव पर शेयर दिलाया जाएगा. इसे सीट ट्रेडिंग अकाउंट के नाम से अंजाम दिया जा रहा है. शिकायत मिलने के बाद एनएसई ने सावधान करले वाला बयान जारी किया है. बताया जा रहा है कि इस व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए कई रिटेल निवेशकों से पैसे कलेक्ट किए गए हैं.
SEBI के पास रजिस्टर्ड नहीं है एंटिटी
एनएसई ने लोगों को सावधान करते हुए कहा है कि ग्रुप में Lazzard Asset Management India नामक निकाय खुद को सेबी के पास रजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के रूप में दिखा रहा है. वह फॉर्ज्ड रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर रहा है. एनएसई ने कहा कि लजार्ड एसेट मैनेजमेंट इंडिया नाम से सेबी के पास कोई ब्रोकर रजिस्टर्ड नहीं है. लोगों को उससे सावधान रहने की जरूरत है.
पैसे देने से पहले जरूर करें ये काम
एनएसई ने बयान में कहा है कि निवेशकों को किसी भी ऐसे एंटिटी के ऊपर भरोसा नहीं करना चाहिए. शेयर बाजार ने उन्हें सलाह दी है कि वे ऐसे किसी भी निकाय या व्यक्ति के साथ किसी तरह की कोई डील न करें. किसी भी एंटिटी के साथ लेन-देन करने और उसे पैसे ट्रांसफर करने से पहले उसकी वैधता की जांच जरूर करें.
• अगर आप किसी कंपनी का कस्टमर केयर या हेल्पलाइन नंबर ढूंढ रहे हैं तो उसे गूगल पर ना खोजें, बल्कि उस संस्थान के वेबसाइट पर जाएं और फिर कस्टमर केयर का नंबर सर्च करें.
• कभी भी सर्विस प्रोवाइडर, बैंक और यूपीआई किसी कस्टमर को कॉल नहीं करते. इनके नाम से आने वाले कॉल पर विश्वास नहीं करें.
• अगर आपको शंका हो तो बैंक जाकर बात करें.
• क्यूआर कोड पेमेंट देने के लिए होता है, रिसीव करने के लिए नहीं होता.
• साइबर ठग आपको क्यूआर कोड भेज कर ठगी का शिकार बनाते हैं.
• अनजान व्यक्ति के द्वारा भेजे गये क्यूआर कोड को स्कैन ना करें.
• किसी के कहने पर ओटीपी ना बताएं.
• यदि आपके पास बैंकिंग या फाइनेंस से जुड़ा कोई मैसेज आए तो उसे बहुत ध्यान से पढ़े.
हिंडनबर्ग रिसर्च अडानी समूह का पीछे छोड़ने को तैयार नहीं है. इस अमेरिकी फर्म ने एक बार फिर से अडानी को निशाना बनाया है.
कांग्रेस द्वारा सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर हो रहे हमलों के बीच हिंडनबर्ग ने आरोपों की बंदूक फिर अडानी समूह (Adani Group) की तरफ मोड़ दी है. अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च का दावा है कि स्विस अधिकारियों ने अडानी की मनी लॉन्ड्रिंग और जालसाजी जांच के तहत कई बैंक खातों में जमा राशि फ्रीज कर दी है. इन खातों में अडानी की 31 करोड़ डॉलर से ज्यादा (करीब 2600 करोड़ रुपए) की रकम है.
आरोपों का आधार
हिंडनबर्ग ग्रुप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि स्विस अधिकारियों ने अडानी ग्रुप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और प्रतिभूतियों की जालसाजी के मामले की जांच के तहत छह स्विस बैंक खातों में जमा 31 करोड़ डॉलर से अधिक की रकम फ्रीज कर दी है. हिंडनबर्ग ग्रुप ने यह दावा स्विस क्रिमिनल कोर्ट के रिकॉर्ड के आधार पर किया है. अमेरिकी फर्म का कहना है कि 2021 से चल रही इस जांच ने अडानी समूह से जुड़ी संदिग्ध ऑफशोर संस्थाओं से संबंधित वित्तीय लेनदेन पर प्रकाश डाला है.
समूह की आई सफाई
हिंडनबर्ग ने स्विस मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा है कि अडानी का प्रतिनिधित्व करने वाले एक फ्रंटमैन यानी सहयोगी ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स/मॉरीशस और बरमूडा के संदिग्ध फंडों में निवेश किया. इन फंड्स का अधिकांश पैसा अडानी के शेयरों में लगा हुआ था. वहीं, अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों पर सफाई पेश की है. समूह का कहना है कि आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं और समूह की छवि प्रभावित करने की साजिश का हिस्सा हैं.
अडानी पर तीसरा हमला
बता दें कि हिंडनबर्ग ने सबसे पहले पिछले साल अडानी समूह को लेकर रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. अडानी की कंपनियों के शेयर आसमान से सीधे जमीं पर आ गए थे. इसके बाद इसी साल अगस्त में हिंडनबर्ग ने फिर अडानी समूह पर आरोपों का बम फोड़ा. हालांकि, इसका प्रभाव पहले जैसा नहीं रहा. अब यह तीसरा मौका है जब इस अमेरिकी फर्म ने अडानी समूह को निशाना बनाया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या इससे अडानी समूह की आर्थिक सेहत पर कुछ असर पड़ता है?
शेयर बाजार के अच्छे दिन कल लौट आए. एक ही झटके में बाजार ने लंबी छलांग लगाते हुए बीते दिनों की गिरावट की भरपाई कर ली.
तीन दिन की कमजोरी के बाद गुरुवार को बाजार बड़ी छलांग लगाने में सफल रहा. दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय मार्केट से मिले मजबूत संकेत, चुनिंदा शेयरों में लिवाली और विदेशी पूंजी के प्रवाह में तेजी से स्थानीय मार्केट में मजबूती देखने को मिली. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,439.55 अंक चढ़कर 82,962.71 पर बंद हुआ. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी भी 470.45 अंकों की उछाल के साथ 25,388.90 के लेवल पर पहुंच गया. सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से अधिकांश कल मुनाफे में रहीं. चलिए जानते हैं कि सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं.
इनमें तेजी संभव
मोमेंटम इंडिकेटर, मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज 7 शेयरों में तेजी के संकेत दिए हैं. Apollo Hospitals Enterprise, Shriram Finance, Page Industries, Blue Dart Express, Ipca Laboratories, Polycab और Hitachi Energy India में आज उछाल आ सकता है. दूसरे शब्दों में कहें तो इन स्टॉक्स में भाव चढ़ सकते हैं. ऐसे में इन पर दांव लगाने वालों के लिए मुनाफा कमाने की गुंजाइश भी बन सकती है. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि शेयर बाज़ार में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श करना न भूलें अन्यथा आपको आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
इनमें गिरावट संभव
MACD ने तेजी के साथ ही मंदी के भी संकेत दिए हैं. Bombay Burmah Trading Corporation, Caplin Point Laboratories, Tata Investment Corporation, Sundaram Finance, Gujarat State Petronet और Vedant Fashions में गिरावट देखने को मिल सकती है. लिहाजा, इनमें निवेश को लेकर को लेकर सावधान रहें. Tata Investment Corporation के शेयर कल के तेजी वाले बाजार में भी गिरावट के साथ 6,954.80 रुपए पर बंद हुए थे.
इन पर रखें नज़र
चलिए उन शेयरों के बारे में भी जान लेते हैं जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. आज इस लिस्ट में फूड डिलीवरी कंपनी Zomato के साथ-साथ Bharti Airtel, Gujarat Fluorochemicals, Century Textiles, FDC, BLS International Services और Kalyan Jewellers का नाम शामिल है. दरअसल, इन शेयरों ने अपना 52 वीक का हाई लेवल पार कर लिया है, जो इनमें तेजी अंक संकेत देता है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).