गेहूं की कीमतों में आया उछाल, प्लेट में आई रोटी के लिए करना हो सकता है ज्यादा भुगतान

कम उत्पादन, मजबूत निर्यात मांग और कम सरकारी खरीद के कारण अप्रैल से अब तक गेहूं की कीमतों में 21 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है.

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Sunday, 23 October, 2022
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नई दिल्लीः कम उत्पादन, मजबूत निर्यात मांग और कम सरकारी खरीद के कारण अप्रैल से अब तक गेहूं  की कीमतों में 21 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. गेहूं की कीमत 21 अक्टूबर को 2,650 रुपये के नए उच्च स्तर को छू गई. कीमतें 2,600-2,700 रुपये के मूल्य बैंड में अल्पकालिक लक्ष्य मूल्य 2,557 रुपये में तेजी से कारोबार करेंगी. इससे लगता है कि आटा आने वाले दिनों में और महंगा होगा और प्लेट में आने वाली रोटी भी महंगी होगी. 

फेस्टिव सीजन से पहले मजबूत मांग से कीमतों में वृद्धि

हाल ही में त्योहारी सीजन से पहले गेहूं और गेहूं उत्पादों की मजबूत मांग के साथ, गेहूं की कीमतों में महीने-दर-महीने 5 प्रतिशत और पिछले सप्ताह से 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस साल कम उत्पादन और मजबूत होने के कारण घरेलू आपूर्ति तंग बनी हुई है. मिलों को अपनी मिलों को चलाने के लिए पर्याप्त गेहूं की आपूर्ति प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. चूंकि इस साल खुले बाजार की बिक्री योजना रोक दी गई थी, इसलिए मिल मालिक केंद्रीय पूल से भी खरीद नहीं पा रहे हैं जैसा कि उन्होंने पहले के वर्षों में किया था. 

गेहूं के सालाना स्टॉक में कमी

1 अक्टूबर तक गेहूं का केंद्रीय पूल स्टॉक 22.74 एमएमटी था, जो सालाना आधार पर 51.5% और 8.4% एमओएम कम था. हालांकि, गेहूं का स्टॉक अभी भी एक आरामदायक स्तर पर है क्योंकि स्टॉक 1 अक्टूबर तक 20.52 एमएमटी की बफर सीमा से 2.22 एमएमटी अधिक है. मार्च 2023 के अंत तक कैरीओवर स्टॉक लगभग 10.5 एमएमटी होगा जो साल-दर-साल 45% कम होगा. दूसरी ओर कम उत्पादन के बावजूद, निजी व्यापारियों के पास इस साल अच्छी मात्रा में स्टॉक है. उनके पास स्टॉक लगभग पिछले साल के स्तर के समान है और मार्च 2023 के अंत तक, उम्मीद की जा रही है कि लगभग 1.5 एमएमटी स्टॉक निजी व्यापार के साथ छोड़ दिया जाएगा.

गेहूं के निर्यात पर लगाया था प्रतिबंध

केंद्र सरकार ने घरेलू खपत के लिए आपूर्ति सुरक्षित करने के लिए 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जब भारतीय गेहूं का उत्पादन फसल की अवधि के दौरान सामान्य से अधिक तापमान से प्रभावित हुआ था, जिससे उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 12 एमएमटी कम हो गया था.

भारतीय खाद्य निगम अपने खरीद लक्ष्य का 50% भी खरीदने में असमर्थ था क्योंकि 2022-23 सीज़न के लिए घरेलू कीमतें 2,015 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से 12% अधिक थीं. इसके बाद, सरकार ने घरेलू गेहूं की कीमतों को सीमित करने के लिए 25 अगस्त को गेहूं के आटे और उत्पादों के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया.

युद्ध में मिला गेहूं के निर्यात को बढ़ावा

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत से गेहूं के निर्यात को बढ़ावा मिला, जिसने आपूर्ति-श्रृंखला की अड़चनें पैदा कीं जिससे आपूर्ति बाधित हुई.  इससे भारत को एशिया और मध्य-पूर्व के देशों को गेहूं निर्यात करने का अवसर मिला. अप्रैल से सितंबर 2022 तक भारत से गेहूं और गेहूं उत्पादों का निर्यात 5.30 एमएमटी था, जो पिछले वर्ष से 2.62 एमएमटी अधिक था.

गेहूं के प्रमुख निर्यात स्रोत हैं - 1.29 एमएमटी के साथ बांग्लादेश, इंडोनेशिया 0.81 एमएमटी, दक्षिण कोरिया 0.50 एमएमटी, यूएई 0.46 एमएमटी, यमन 0.25 एमएमटी, थाईलैंड 0.21 एमएमटी, फिलीपींस 0.18 एमएमटी, ओमान 0.14 एमएमटी और श्रीलंका 0.12 एमएमटी.

सरकार ने बढ़ा दिया है एमएसपी

नई गेहूं की फसल की बुवाई दिवाली के बाद शुरू होगी और हमें उम्मीद है कि क्षेत्र में लगभग 8-10% की वृद्धि होगी क्योंकि कीमतें पूरे वर्ष आकर्षक बनी रहीं और अन्य रबी फसलों जैसे चना या सरसों की तुलना में अच्छी प्राप्ति हुई है. उसके ऊपर सरकार ने गेहूं का एमएसपी 110 प्रतिशत क्विंटल बढ़ाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. 

VIDEO: दिल्ली में आखिर अचानक क्यों बड़ा प्रदूषण क्या पराली है इसकी बड़ी वजह या कुछ और

 


अमेरिकी सरकार ने भारतीयों मसालों को लेकर कही ये अच्‍छी बात, कंपनियों की सांस में आई सांस

सिंगापुर और हांगकांग की सरकार के द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अमेरिका और खुद भारत में भी मसालों की जांच हुई थी. इसमें अब अमेरिका से रिपोर्ट आ गई है. 

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Monday, 13 May, 2024
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भारतीय मसालों में तय मानक से ज्‍यादा एथिलीन ऑक्‍साइड की मात्रा के आरोपों के बाद अब अमेरिका से इस मामले में अच्‍छी खबर निकलकर सामने आई है. अमेरिकी स्‍पाइस ट्रेड एसोसिएशन ने इस मामले में भारत के मसालों को क्‍लीन चिट दे दी है. अमेरिकी एजेंसी की इस क्‍लीन चिट ने इन आरोपों के घेरे में आने वाली कंपनियों को बड़ी राहत दी है. जबकि इन्‍हीं आरोपों के कारण एमडीएच और एवरेस्‍ट जैसी कंपनियों पर सिंगापुर और हांगकांग में बैन लगा दिया गया है. 

अमेरिकी एजेंसी ने कही क्‍या बात 
दरअसल एथिलीन ऑक्‍साइड एक तरह का पेस्‍टीसाइड होता है जिसके इस्‍तेमाल की इजाजत सिंगापुर और हांगकांग जैसे देश नहीं देते हैं. इसी कैमिूकल की ज्‍यादा मात्रा के कारण उन्‍होंने बैन लगा दिया था. लेकिन अमेरिकन स्‍पाइस ट्रेड एसोसिएशन (ASTA) ने कहा है कि अमेरिका US में मसालों में एथिलीन ऑक्‍साइड इस्‍तेमाल करने की अनुमति देता है. ASTA की ओर से इससे आगे कहा गया है कि फूड सेफ्टी स्‍टैंडर्ड के अनुपालन में इसकी अहम भूमिका होती है. 

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ASTA ने भारतीय मसाला बोर्ड को पत्र लिखकर क्‍या कहा
अमेरिकी मसाला इंडस्‍ट्री बॉडी की ओर से भारत के मसाला बोर्ड को जो पत्र लिखा गया है उसमें कई अहम बातें कही गई हैं. उनकी ओर से कहा गया है कि अमेरिका में एथिलीन ऑक्‍साइड एक अप्रूव्‍ड रोगाणुरोधी फ्यूमीगेंट है. इसमें जड़ी बूटियों और मसालों (तुलसी को छोड़कर) के लिए एथिलीन ऑक्‍साइड और इसके सभी बॉयप्रोडक्‍ट के लिए पर्याप्‍त टॉलरेंस हैं. उन्‍होंने ये भी कहा कि इस कैमिकल को अमेरिका में मसालों में इस्‍तेमाल किया जा सकता है. इस पर प्रतिबंध लगाने से मसाला उद्योग पर विपरीत असर पड़ने की संभावना है. 

सिंगापुर और हांगकांग से शुरू हुआ था विवाद 
सिंगापुर और हांगकांग की सरकार ने भारतीय ब्रैंड के एमडीएच और एवरेस्‍ट कंपनी के मसालों पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस प्रतिबंध के बाद भारत में भी बड़े स्‍तर पर इसकी जांच शुरू हो गई थी. एफएसएसएआई(FSSAI) की ओर से कहा गया था कि वो भी देश में कई तरह फूड प्रोडक्‍ट की जांच करेगी. इसमें मसालों से लेकर कई तरह के दूसरे प्रोडक्‍ट शामिल हैं. 


पांचवें चरण के सबसे अमीर कैंडिडेट BJP के Anurag Sharma के बारे में कितना जानते हैं आप?

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण की समाप्ति के साथ ही पांचवें चरण की तैयारियां तेज हो गई हैं.

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Monday, 13 May, 2024
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लोकसभा चुनाव 2024 के पांचवें चरण में 20 मई को वोट डाले जाएंगे. इस चरण में झांसी से BJP कैंडिडेट अनुराग शर्मा (Anurag Sharma) सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. शर्मा के पास 212 करोड़ रुपए की कुल संपत्ति है. जबकि हमीरपुर सीट से मैदान में उतरे अल हिन्द पार्टी के धर्मराज के पास मात्र 20 हजार रुपए की कुल संपत्ति है. इसमें 20 हजार रुपए कैश और 500 रुपए बैंक में जमा हैं. कांग्रेस लीडर राहुल गांधी की रायबरेली सीट पर वोटिंग 5वें चरण में ही होनी है. रायबरेली के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की लखनऊ, जालौन, गोंडा, मोहनलालगंज, और अमेठी के प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला भी जनता इसी चरण में करेगी.

विदेश में की है पढ़ाई 
इस चरण के सबसे अमीर प्रत्याशी अनुराग शर्मा की बात करें, तो वह इस सीट से पार्टी के मौजूदा सांसद हैं. नेताओं की जन्मकुंडली रखने वाली वेबसाइट मायनेता डॉट कॉम के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2013 - 2014 में उनकी इनकम 4,71,45,859 रुपए थी. इसी तरह, 2014 - 2015 में 3,24,46,707, 2015 - 2016 में 4,32,72,698, 2016 - 2017 में 2,75,51,726 और 2017 - 2018 में 4,43,39,588 रुपए कमाई की जानकारी ITR में दी थी. वहीं, संसद की वेबसाइट के अनुसार, शर्मा BA, MA किया हैं. उन्होंने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के साथ-साथ हॉर्वर्ड बिजनेस स्कूल से भी पढ़ाई की है. वह राजनेता होने के साथ-साथ बिजनेसमैन भी हैं.

इन फंड्स में किया है निवेश
अनुराग शर्मा की पत्नी का नाम पूनम शर्मा है और उनकी दो बेटियां हैं. BJP कैंडिडेट के पास जहां 3 लाख से ज्यादा कैश है, वहीं उनकी वाइफ के पास 4,50,000 रुपए की नकदी है. दोनों ने Bonds, Debentures और Shares में करीब 14 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है. उनके पास Birla B. Fund Unit NO- 5181.347, Fekelin India Iktivi Fund Unit, Kotek Amjing Liqude Fund, ABSL Short Term Oportuniti Fund, Shakti Press Limited Fund, Relince Short Term Fund और kotek Amjing Ikviti Sceem Fund सहित कई कंपनियों के फंड हैं. अनुराग शर्मा के पास 5 लाख रुपए की LIC की एक पॉलिसी की है. जबकि वाइफ के पास LIC और HDFC लाइफ की 5-5 लाख की इंश्योरेंस पॉलिसी है. 

दोनों के नाम कई प्रॉपर्टी
भाजपा प्रत्याशी के पास एक Honda Accord कार और एक ट्रक है. पति-पत्नी दोनों के पास कुल 2,92,65,914 की ज्वेलरी है. अनुराग शर्मा और उनकी पत्नी के नाम 3-3 कृषि भूमि हैं, जिसकी कीमत 10 करोड़ रुपए से अधिक है. इसके अलावा शर्मा के पास पांच करोड़ रुपए से अधिक मूल्य वालीं 4 गैर-कृषि भूमि हैं. इतना ही नहीं, उनके पास करीब साढ़े आठ करोड़ की कमर्शियल बिल्डिंग भी है. शर्मा दंपत्ति के पास 62 करोड़ रुपए मूल्य से अधिक की 10 रेजिडेंशियल बिल्डिंग भी हैं. वहीं, उन पर करीब एक करोड़ की देनदारी भी है. अनुराग शर्मा ने हलफनामे में बताया है कि उनके खिला कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है.

इस कंपनी से जुड़ा है नाता
अनुराग शर्मा Shree Baidyanath Ayurved Bhawan Pvt.Ltd के फाउंडर Vaidyaraj Pt. Ramnarayan Sharma के परिवार से ताल्लुख रखते हैं. वह आयुर्वेद के क्षेत्र में जाना-पहचाना नाम हैं. Baidyanath Jhansi ब्रांच के चीफ एग्जीक्यूटिव के तौर पर अनुराग शर्मा ने कई उल्लेखनीय कार्य किए. उन्होंने कई लेटेस्ट टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करके कंपनी को आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. शर्मा आयुर्वेद और कंपनी के प्रचार के सिलसिले में कई देशों की यात्राएं कर चुके हैं, इसमें France, Spain, Holland, U.S.A. और Britain शामिल है. आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है. 


घाटे से बाहर आई Zomato, बेहतर EBITDA के बावजूद हरे निशान पर नहीं आ सका शेयर

Blinkit ने इस तिमाही में 75 नए स्‍टोर खोले हैं जिसके बाद इनकी संख्‍या 526 हो गई है. अब कंपनी इस तिमाही में इसे 1000 स्‍टोर तक ले जाने की तैयारी कर रही है.

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Monday, 13 May, 2024
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फूड डिलीवरी कंपनी Zomato ने अपनी चौथी तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं. कंपनी ने पिछले साल चौथी तिमाही में नेगेटिव EBITDA के बावूजद पहली बार सकारात्‍मक ग्रोथ दर्ज करते हुए 195 करोड़ रुपये रहा है. कंपनी ने साल दर साल मुनाफे में भी इजाफा देखने को मिला और ये पिछले साल 2056 करोड़ के मुकाबले इस साल 3562 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है. 

क्‍या कह रहे हैं चौथी‍ तिमाही के आंकड़े? 
कंपनी की ओर से जारी किए आंकड़ों के अनुसार, क्विक कॉमर्स और फूड डिलीवरी दोनों का कुल कारोबार 13536 करोड़ रुपये रहा है. इसमें 51 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है. इसी तरह अगर सालाना ग्रोथ की बात करें तो उसमें 61 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है और ये 3873 करोड़ रुपये रहा है. इसी तरह पिछले साल के मुकाबले दोनों कंपनियों का EBITDA नेगेटिव मार्क से पहली बार पॉजिटिव आया है और ये 194 करोड़ रुपये रहा है. कंपनी की टॉपलाइन ग्रोथ में भी इजाफा देखने को मिला है और ये पिछले साल 40 प्रतिशत के मुकाबले इस साल 61 प्रतिशत तक जा पहुंची है. कंपनी ने अपने क्विक कॉमर्स कारोबार में 1000 नए स्‍टोर का एक्‍सपेंसन भी किया है. 

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क्‍या बोले Zomato और Blinkit के CEO? 
Zomato के फाउंडर और सीईओ दीपिंदर गोयल ने नतीजों के सामने आने के बाद हमारी टीम ने इस बार बेहद शानदार काम किया है. हमारे चारों कारोबारों ने बेहतर प्रदर्शन किया है. उन्‍होंने कहा कि हमें आने वाले सालों में भी अपनी आंख और कान को जमीन पर टिकाए रखना है. हमारे काम ने स्‍टेकहोल्‍डर का कंपनी पर विश्‍वास और भी बढ़ाया है और हम आने वाले समय में भी उनकी उम्‍मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे. 

वहीं Blinkit के संस्थापक और सीईओ अलबिंदर ढींडसा ने नतीजों पर अपनी बात कहते हुए कहा कि अभी हमारा फोकस अपने स्‍टोर के विस्‍तार पर है. उन्‍होंने कहा कि इस तिमाही में हमने 75 नए स्‍टोर जोड़े हैं, जिसके बाद हमारे कुल स्‍टोर की संख्‍या 526 हो गई है. उन्‍होंने कहा कि इस तिमाही में हम 100 स्‍टोर जोड़ने की उम्‍मीद कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि वो अपने स्‍टोर की संख्‍या को 1000 तक पहुंचाने का लक्ष्‍य बना रहे हैं. वहीं Zomato के शेयर की बात करें तो आज 205 पर खुला था लेकिन बाजार बंद होते समय शेयर 196.65 रुपये पर बंद हुआ. शेयर में सोमवार को नतीजों के बावूजद 2.31 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली. 

किस कारोबार में कितनी हुई है ग्रोथ और शेयर का हाल 
जोमैटो मौजूदा समय में चार कंपनी के रूप में काम कर रही है. जोमैटो की ग्रोथ की बात करें तो उसमें 28 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. पिछले साल 2023 में इसकी ग्रोथ पर नजर डालें तो ये 23 प्रतिशत थी. इस बार इसमें 5 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है. इसी तरह क्विक कॉमर्स के कारोबार में 97 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वहीं Hyperpure के कारोबार में 99 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. जबकि Going out के कारोबार में 207 प्रतिशत साल दर साल का इजाफा हुआ है.  


सूरत में गुजरात का सबसे बड़ा 5 स्टार होटल होगा लॉन्च, गेस्ट को मिलेंगी कई लक्जरी सुविधाएं

होटल ने ‘FAM’ का अनावरण किया, जो होटल का पूरे दिन चलने वाला आधुनिक भोजनालय है, जो विशेष रूप से शाकाहारी खाना परोसता है.

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Monday, 13 May, 2024
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मार्च 2024 में Hindva Hospitality, LLP के साथ प्रबंधन समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, Royal Orchid Hotels Ltd ने गुजरात में सबसे बड़े ऑल-सूट 5-सितारा होटल ‘The World’ और सूरत में ROHL द्वारा पहला होटल लॉन्च करने की घोषणा की है. सूरत डायमंड बोर्स, आगामी बुलेट ट्रेन स्टेशन और टेक्सटाइल बेल्ट के पास स्थित है यह होटल. सावधानीपूर्वक तैयार की गई कलाकृतियों और शानदार सजावट और शानदार सुइट्स से तैयार है जिसमें 6 लोग आराम से रह सकते हैं वहीं 288 ऑल-सूट होटल की शैली आराम और सुविधाजनक है. द वर्ल्ड एक बड़े बैंक्वेटिंग रूम, विशाल लॉन, मीटिंग सुविधाएँ और व्यापक वेलनेस और योग अनुभवों के साथ एक सिग्नेचर स्पा सहित कई सेवाओं और सुविधाओं के साथ एक शानदार होटल है.

नए आयाम स्थापित करेगा होटल

रॉयल ऑर्किड होटल्स लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक चंदर के बालजी ने कहा कि हम Hindva के साथ साझेदारी में सूरत में अपने पहले होटल की घोषणा करते हुए उत्साहित हैं. 'द वर्ल्ड', सूरत को बदलने और इसे दुनिया के हीरा व्यापार व्यवसाय में सबसे आगे लाने के पीएम मोदी के दृष्टिकोण में हमारा योगदान है. यह होटल निश्चित रूप से शहर के क्षितिज को बदल देगा और शहर में आतिथ्य के लिए नए मानक स्थापित करेगा. 

अब ग्राहकों को झांसा नहीं दे पाएंगी कंपनियां, फेक रिव्यू को लेकर सरकार हुई सख्त

ग्लोबल पैसेंजर्स के लिए नए दरवाजे खुलेंगे

हिंदवा द वर्ल्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध भागीदार केयूर खेनी ने कहा कि हम उत्साहित हैं क्योंकि हमने समझदार ग्लोबल पैसेंजर्स के लिए अद्वितीय आतिथ्य (unparalleled hospitality) के दरवाजे खोले हैं. मुझे विश्वास है कि पांच दशकों की विरासत वाले ब्रांड ROHL के साथ हमारी साझेदारी मेहमानों के अनुभव को और बेहतर बनाएगी और शहर में समृद्धि और लक्जरी के प्रतीक के रूप में ‘द वर्ल्ड’ को मजबूती से स्थापित करेगी.

होटल में होंगी लक्जरी सुविधाएं

होटल ने ‘FAM’ का अनावरण किया, जो होटल का पूरे दिन चलने वाला आधुनिक भोजनालय है, जो विशेष रूप से शाकाहारी खाना परोसता है, जहां शेफ के साथ कुशलतापूर्वक कारीगर सामग्री तैयार करेंगे. मेहमानों को कई F&B विकल्प प्रदान करने के अलावा, द वर्ल्ड एक अद्वितीय 'सुरती' की अवधारणा भोजनालय भी पेश करेगा, जिससे मेहमानों को प्रामाणिक गुजराती भोजन का बढ़िया स्वाद मिलेगा. इसके साथ ही ROHL के विशिष्ट आतिथ्य का आनंद लेने के अलावा, मेहमान हवाई अड्डे और सूरत डायमंड बोर्स, डुमास बीच और कई अन्य प्रमुख गंतव्यों के लिए सुविधाजनक पिक-अप और ड्रॉप सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं.
 


अब ग्राहकों को झांसा नहीं दे पाएंगी कंपनियां, फेक रिव्यू को लेकर सरकार हुई सख्त

जब भी आप किसी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से कोई प्रोडक्ट खरीदते हैं. अगर रेटिंग और रिव्यू अच्छे होते हैं और प्रोडक्ट आपको पसंद आ जाता है तो आप तुरंत उसे खरीद लेते हैं.

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Monday, 13 May, 2024
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देश में ऑनलाइन शॉपिंग करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इस बीच ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के मामले भी सामने आ रहे हैं. अकसर लोग वेबसाइट पर उपलब्ध फर्जी रिव्यूज पर भरोसा करके लोग सामान खरीद लेते हैं, फिर वह सामान खराब निकल जाता है. इससे ग्राहकों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अब इस तरह के स्कैम से ग्राहकों को बचाने के लिए भारत सरकार जल्द ही बड़ा फैसला लेने जा रही है. सरकार ने इन फर्जी रिव्यू पर लगाम लगाने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश पर परामर्श को लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों और ऑनलाइन समीक्षाओं से जुड़े संगठनों की बैठक बुलाई है.

फर्जी रिव्यू को लेकर सरकार हुई सख्त

फर्जी रिव्यू का गोरखधंधा तमाम ई-कॉमर्स साइट्स पर चल रहा है. इसे लेकर काफी वक्त से नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर शिकायतें आ रही हैं. अब सरकार इस पर सख्त हो गई है. नवंबर 2022 में ही सरकार ने फर्जी रिव्यू रोकने के लिए कुछ स्टैंडर्ड बनाए थे, जो इंडस्ट्री के लिए स्वैच्छिक थे. हालांकि, बढ़ती शिकायतों को देखते हुए अब सरकार इन्हें अनिवार्य करने पर विचार कर रही है. यह भी माना जा रहा है कि इस पर इसी साल कोई फैसला हो सकता है.

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15 मई को होगी खास बैठक

फर्जी रिव्यू पर लगाम लगाने के मकसद से ही 15 मई को उपभोक्ता मामले के सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक होनी है. इस बैठक में सभी स्टेकहोल्डर्स शामिल होंगे. फर्जी रिव्यू को लेकर नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर मिली शिकायतों और उन्हें रोकने के लिए हुए Hackathon पर चर्चा भी होगी. सरकार की सख्ती के बाद ग्राहक को रिव्यू से गुमराह करना मुश्किल होगा. हर रिव्यू, चाहे पेड हो या जेन्युइन, उसकी आसान और अलग पहचान होगी. छोटी या बड़ी कोई भी ऑनलाइन कंपनी या सेवा के लिए ऑथेंटिक रिव्यूज होंगे.

कई तरीके से कराए जाते हैं पेड रिव्यू

पेड रिव्यू और रेटिंग का एक तरीका ये है कि कंपनियां अपने ग्राहकों को प्रोडक्ट डिलीवरी के साथ-साथ एक कैशबैक वाउचर भेजती हैं. उस कैशबैक को पाने की शर्त होती है कि जिस भी प्लेटफॉर्म से आपने प्रोडक्ट खरीदा होता है, उसे 5 स्टार रेटिंग देकर अच्छा सा रिव्यू लिखकर उसकी फोटो खींचकर वाउचर में दिए गए ईमेल या वाट्सऐप पर भेजना होता है. इसके बाद ग्राहक की तरफ से बताए गए तरीके से उसे कैशबैक की रकम UPI कर दी जाती है. पेड रिव्यू का दूसरा तरीका ये भी है जिसमें पहले ही पैसे दे दिए जाते हैं. पैसे लेने के बाद लोग अच्छा सा रिव्यू लिखते हैं और 4-5 स्टार रेटिंग देते हैं. इस तरह की रेटिंग से ग्राहक गुमराह होते हैं और फर्जी रिव्यू के वजह से कई बार गलत प्रोडक्ट खरीद लेते हैं, जिससे उन्हें नुकसान होता है.
 


इन कारोबार में 80 हजार करोड़ रुपये निवेश करने जा रहे हैं गौतम अडानी, ये है मकसद

अडानी समूह ने प्रमुख तौर पर तीन से चार सेक्‍टरों में ये राशि खर्च करने की योजना बनाई है. इनमें एयरपोर्ट और रिन्‍यूएबल एनर्जी प्रमुख तौर पर शामिल हैं. 

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Monday, 13 May, 2024
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लगातार अपने कारोबार का विस्‍तार कर रहे गौतम अडानी की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेस 80 हजार करोड़ का बड़ा निवेश करने की तैयारी कर रही है. कंपनी जिन तीन कारोबार में प्रमुख तौर पर निवेश करने की तैयारी कर रही है उनमें एयरपोर्ट, डेटा सेंटर और रिन्‍यूएबल एनर्जी शामिल है. कंपनी रिन्‍यूएबल और एयरपोर्ट सेक्‍टर में 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है. कंपनी सड़क क्षेत्र में भी 12 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने की तैयारी कर रही है. 

आखिर क्‍या है कंपनी का पूरा प्‍लान? 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी आने वाले साल में उन क्षेत्रों में निवेश करने की तैयारी कर रही है जिनमें उसे ज्‍यादा संभावनाएं नजर आ रही हैं. कंपनी के एक सीनियर अधिकारी के हवाले से सामने आई जानकारी के अनुसार, कंपनी 2024-25 में 80 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने की तैयारी कर रही है. कंपनी जिन दो क्षेत्रों में इस राशि का सबसे ज्‍यादा हिस्‍सा इस निवेश करने जा रही है उसमें एयरपोर्ट और रिन्‍यूएबल एनर्जी जैसे सेक्‍टर शामिल हैं. एयरपोर्ट और रिन्‍यूएबल एनर्जी इन दो क्षेत्रों में कंपनी 50 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा खर्च करने की तैयारी कर रही है.

ये भी पढ़ें: क्‍या डिंपल को हराने वाले BJP सांसद से बदला ले पाएंगे अखिलेश यादव जानिए कितनी है नेटवर्थ?

दरअसल अडानी समूह की कंपनी अडानी न्‍यू इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड सौर मॉड्यूल बनाती है. इस तकनीक से सूर्य के प्रकाश को रिन्‍यूएबल ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन में बदलती है. कंपनी तीसरे हिस्‍से के तौर पर सड़क क्षेत्र में निवेश करने की तैयारी कर रही है.कंपनी इस क्षेत्र में 12 हजार करोड़ रुपये निवेश करने की तैयारी कर रही है. बाकी बची राशि को ग्रुप अपने दूसरे कारोबारों में निवेश करने जा रही है. कंपनी पीवीसी कारोबार में भी बड़ी राशि लगाने की तैयारी कर रही है. कंपनी इस कारोबार में 10 हजार करोड़ रुपये लगाने की तैयारी कर रही है. 

कैसे रहे हैं अडानी एंटरप्राइजेस के नतीजे? 
अडानी समूह ने जनवरी से लेकर मार्च तक की तिमाही के लिए अपने जो नतीजे जारी किए उसके अनुसार कंपनी मार्च तिमाही में नतीजों में गिरावट देखने को मिली है. कंपनी का मुनाफा 781 करोड़ रुपये से गिरकर 352 करोड़ रुपये तक हो गया है. इसे ऐसे भी देखा जा सकता है कि कंपनी को अकेली मार्च तिमाही में 627 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. वहीं कंपनी ने अपने निवेशकों को 1.39 रुपये का लाभांश देने का भी फैसला किया है. अडानी समूह की सबसे बड़ी कंपनी अडानी पोर्ट के नेट प्रॉफिट में सालाना आधार पर 76.2 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है. इस कंपनी के आकार को ऐसे समझा जा सकता है कि अडानी समूह में अडानी पोर्ट की हिस्‍सेदारी 70 प्रतिशत है. 

आखिर कैसी है शेयरों की स्थिति 
वहीं अगर सोमवार को अडानी एंटरप्राइजेस के शेयर पर नजर डालें तो ये शेयर खुला तो था 2803 रुपये पर लेकिन खबर लिखे जाने पर 3 बजे शेयर 2882.45 रुपये पर ट्रेड कर रहा था. शेयर में 3.05 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिल रही थी. इस शेयर का 52 हफ्तों का हाई 3350 रुपये रहा है जबकि 52 हफ्तों का लो प्राइस 1857.75 रुपये रहा है. कंपनी का मार्केट कैप 3.28 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया. 


क्‍या डिंपल को हराने वाले BJP सांसद से बदला ले पाएंगे अखिलेश यादव जानिए कितनी है नेटवर्थ?

2014 में डिंपल से हार 2019 में उन्‍हें हराने वाले सुब्रत पाठक को 563087 वोट मिले जबकि जबकि डिंपल को 550734 वोट मिले थे.

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Monday, 13 May, 2024
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आज चौथे चरण का मतदान हो रहा है. इस चरण में कई नामी चेहरों की किस्‍मत दांव पर लगी है. इनमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव से लेकर गिरीराज सिंह और डिंपल यादव के भाग्‍य का फैसला होना है. लेकिन जिस कन्‍नौज सीट से अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं वहां से उन्‍हें टक्‍कर दे रहे हैं पिछले चुनाव में उनकी पत्‍नी को हराकर सांसद बनने वाले सुब्रत पाठक. इस बार सभी लोग ये सवाल पूछ रहे हैं कि क्‍या अखिलेश यादव पत्‍नी को हराने वाले सुब्रत पाठक को पटकनी दे पाएंगे. आइए आज आपको बताते हैं कि आखिर कौन हैं सुब्रत पाठक और कितनी है उनकी नेटवर्थ? 

आखिर कौन हैं डिंपल को हराने वाले सुब्रत पाठक 
यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव की पत्‍नी को हराने वाले सुब्रत पाठक भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रेसीडेंट रह चुके हैं. इसके बाद बीजेपी के यूपी संगठन में उन्‍हें प्रदेश महासचिव बनाया गया था. सुब्रत ने 2009 में अखिलेश यादव के सामने चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गए, उस वक्‍त के वोट शेयर को देखें तो कोई बहुत बड़ा अंतर नजर नहीं आता है. अखिलेश को उस वक्‍त 337751 लाख वोट मिले थे जबकि सुब्रत को 150872 वोट मिले थे. इसके बाद 2014 में उन्‍होंने डिंपल यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गए. लेकिन इसके बाद 2019 में जनता ने उन पर विश्‍वास जता दिया. उन्‍होंने डिंपल को 12353 वोट से हरा दिया. सुब्रत को इस चुनाव में 563087 वोट मिले जबकि जबकि डिंपल को 550734 वोट मिले थे. 

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सुब्रत पाठक की कितनी है कमाई? 
सुब्रत पाठक ने इस साल के चुनावी शपथपत्र में अपनी आय को लेकर रिटर्न फाइल की उसके अनुसार वर्ष 2022-23 में उनकी आय 57,58,890 रुपये रही, इसी तरह पिछले साल 2021-22 में उनकी आय 58,28,840 लाख रुपये रही. इसी तरह 2020-21 में उनकी आय 4129740 लाख रुपये रही. वहीं पत्‍नी नेहा पाठक की आय पर नजर डालें तो 2022-23 में उनकी आय 2192540 लाख रुपये रही. वहीं उनके पास 921711 लाख रुपये कैश हैं जबकि उनकी पत्‍नी 240000 लाख रुपये कैश हैं. इसी तरह उनके पास बैंक में कुल 1 करोड़ 67 हजार 437 रुपये हैं. इसी तरह उनकी पत्‍नी के पास 4 लाख 43 हजार 532 रुपये हैं. 

इन शेयरों में किया है निवेश
वहीं सुब्रत पाठक के निवेश पर नजर डालें तो उन्‍होंने म्‍यूचुवल फंड में 291819 रुपये लगाए थे जिसकी आज की कीमत1360935 रुपये हो चुकी है. इसी तरह से अन्‍न्‍पूर्णा प्रिजरवेशन प्राइवेट लिमिटेड में 4721000रुपये और लता शीतालय प्रा लि में 6137000 लाख रुपये, जमुनाप्रसाद शीतगृह प्राइवेट लिमिटेड में 89000 रुपये, एम एल कैप्‍टल प्रा लि में 2216800  रुपये  हैं. वहीं उनकी पत्‍नी ने म्‍यूचुवल फंड में 440106 लाख रुपये लगाए थे जबकि उनकी आज की मार्केट वैल्‍यू 779845 लाख रुपये हो चुकी है. एलआईसी में 4,01,925 रुपये, उनकी पत्‍नी के एलआईसी में 404026 रुपये हैं. 

ज्‍वैलरी और कार का ये है हिसाब 
बीजेपी उम्‍मीदवार सुब्रत पाठक का शपथ पत्र कहता है कि उनके पास कारों में लग्‍जरी कार मर्सिडीज बेंज 1 करोड़ 34 लाख 50 हजार रुपये है. वहीं ज्‍वैलरी पर नजर डालें तो उनके पास 180 ग्राम कीमत का सोना मौजूद है जिसकी कीमत 1080000 रुपये है. यही नहीं उनके पास रायफल और पिस्‍टल भी मौजूद है जिसकी कीमत 90 हजार रुपये है. जबकि उनकी पत्‍नी के पास 516 ग्राम सोना है जिसकी कीमत 3095000 है.उनके पास कुल 5,28,32,306 रुपये की चल संपत्ति है जबकि उनकी पत्‍नी के पास 8014585 रुपये की संपत्ति है. इसी तरह उनके पास 40030000 रुपये की अचल संपत्ति है. जबकि उनकी पत्‍नी के नाम 23 लाख रुपये की संपत्ति है. सुब्रत पाठक की बड़ी देनदारियां भी हैं जिसकी कीमत 35561303 रुपये है.  जबकि उनकी पत्‍नी पर 2720250 रुपये की देनदारी है. 
 


शेयर बाजार में पैसा लगाने का यही है सही समय? अमित शाह बोले - 4 जून के बाद आएगी तेजी

अमित शाह का कहना है कि स्टॉक मार्केट में चल रही मौजूदा गिरावट को लोकसभा चुनाव से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.

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Monday, 13 May, 2024
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शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश का एक सिंपल फंडा माना जाता है - जब बाजार गिर रहा हो तो खरीदारी करो और जब बाजार में तेजी हो तो बिकवाल बनकर मुनाफा कमाओ. फिलहाल, शेयर में गिरावट का माहौल है. इस महीने की शुरुआत से बाजार में अस्थिरता बनी हुई है, तो क्या इसे खरीदारी के मौके के तौर पर लिया जाना चाहिए? गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) तो यही इशारा कर रहे हैं. एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा है कि 4 जून के बाद बाजार में तेजी आने वाली है.   

पहले भी लगे हैं कई गोते 
बाजार में आई मौजूदा गिरावट को लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखे जा रहा है. इस अमित शाह ने कहा कि शेयर बाजार में गिरावट को चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, 4 जून, 2024 को जब लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा होगी, तो बाजार चढ़ेगा. उन्होंने आगे कहा कि स्टॉक मार्केट की हालिया गिरावट से चिंतित होने की जरूरत नहीं है. बाजार ने इससे पहले भी कई बार गोते लगाए हैं, इसे चुनाव से नहीं जोड़ना चाहिए. यदि ऐसा अफवाहों के कारण हुआ भी होगा, तो 4 जून के पहले आप खरीदारी कर लेना, बाजार में तेजी आने वाली है.

स्थिर सरकार से आएगी तेजी 
होम मिनिस्टर अमित शाह ने कहा कि मैं शेयर बाजार के लिए आंकलन नहीं कर सकता, लेकिन सामान्य तौर पर जब स्थिर सरकार आती है तो बाजार में तेजी भी आती है. मैं कह रहा हूं कि हमारी 400 से ज्यादा सीटें आने वालीं हैं और देश में फिर से स्थिर सरकार आने वाली है. ऐसे में निश्चित रूप से बाजार ऊपर जाने वाला है. शाह ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के बीते तीन चरणों में भाजपा को 190 सीटें हासिल हो चुकी हैं और चौथा चरण भी उनके लिए अच्छा रहने वाला है.  

इन सेक्टर्स पर रहेगा फोकस?
चलिए अब यह भी जान लेते हैं कि कौनसे सेक्टर्स पर दांव लगाना फायदेमंद हो सकता है. खासतौर पर कुछ सेक्टर्स ऐसे हैं, जो Modi 3.0 में उल्लेखनीय  वृद्धि हासिल कर सकते हैं. सरकार ने विकसित भारत @2047 के अपने डॉक्यूमेंट में इन सेक्टर्स का उल्लेख किया है. अगर मोदी सत्ता में लौटते हैं, तो उन सेक्टर्स पर ज्यादा तेजी से काम किया जाएगा. ऐसे में संबंधित सेक्टर्स से जुड़ी कंपनियों की आर्थिक सेहत बेहतर होगी और उसका असर शेयर बाजार पर भी पड़ेगा. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मैन्युफैक्चरिंग, लेबर रिफॉर्म एवं एग्रीकल्चर रिफॉर्म, फूड प्रोसेसिंग, पावर और ग्रीन एनर्जी सेक्टर्स पर खासा जोर रहेगा. सरकार भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर विकसित करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है. कृषि और लेबर रिफॉर्म भी उसकी प्राथमिकता में शुमार है. 

इन्फ्रा के टॉप स्टॉक्स 
Infrastructure Sector के कुछ प्रमुख स्टॉक्स की बात करें, तो इसमें Larsen & Toubro, Reliance Infrastructure, GMR Airports Infrastructure, IRB Infrastructure Developers, Hindustan Construction Company, Hindalco, ITC, का नाम शामिल है. IRB इन्फ्रास्ट्रक्चर का शेयर काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. 100 रुपए से कम कीमत वाले स्टॉक में इस साल अब तक 50.06% का उछाल आ चुका है. इसी तरह, एग्रीकल्चर सेक्टर में Coromandel International, Chambal Fertilizers, Bayer CropScience,  Gujarat Narmada Valley Fertilizers Chemicals और Bombay Burmah Trading Corporation के शेयर अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं.

फूड-पावर के टॉप स्टॉक्स
वहीं, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के प्रमुख स्टॉक्स की बात करें, तो इसमें Britannia Industries, Jubilant Foodworks, Godrej Agrovet, ADF Foods Ltd और Hindustan Foods शामिल हैं. जुबिलेंट फूडवर्क्स एक भारतीय कंपनी है, जो भारत में Domino's Pizza चलाती है. पावर और ग्रीन एनर्जी सेक्टर की कई कंपनियां स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं और उन्होंने अच्छा-खासा रिटर्न दिया है. उदाहरण के तौर पर Suzlon Energy ने पिछले एक साल में 367.88% का रिटर्न दिया है. दिवंगत कारोबारी तुलसी तांती की इस कंपनी का पोर्टफोलियो काफी मजबूत है. इन सेक्टर्स की प्रमुख कंपनियों में JSW Energy, Adani Green Energy, NTPC, Adani Power, Power Grid Corporation of India, Tata Power, NHPC और BF Utilities का नाम भी शामिल है.


भारत के लिए हर तरफ से गुड न्यूज, फिर शेयर बाजार से पैसा क्यों निकाल रहे विदेशी निवेशक? 

विदेशी निवेशक हमारे शेयर बाजार से लगातार पैसा निकाल रहे हैं और बाजार धड़ाम हो रहा है.

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Monday, 13 May, 2024
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शेयर बाजार (Stock Market) में आज हाहाकार मचा हुआ है. सप्ताह के पहले कारोबारी दिन ही बाजार बड़ी गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. मार्केट में आई इस गिरावट की एक बड़ी वजह विदेशी निवेशकों का बिकवाल बनना भी है. फॉरेन इन्वेस्टर्स पिछले कुछ समय से लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, नतीजतन बाजार में नरमी बनी हुई है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि भारतीय अर्थव्यस्था में मजबूती बरकरार है. तमाम ग्लोबल एजेंसियां हमारी GDP के तेजी से बढ़ने की संभावना जता रही हैं. ऐसे में यह सवाल लाजमी हो जाता है कि फिर विदेशी निवेशकों को ऐसा क्या डर सता रहा है कि वो इंडियन स्टॉक मार्केट से पैसा निकाल रहे हैं?   

अब तक निकाले इतने
एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मई के पहले 10 दिन में ही भारतीय शेयर बाजार से 17,000 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी की है. इससे पहले अप्रैल में FPIs ने 8,700 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी की थी. इस लिहाज से देखें, तो पिछले महीने से ज्यादा निकासी विदेशी निवेशक इस महीने के 10 दिनों में ही कर चुके हैं. यदि निकासी की यही रफ्तार कायम रहती है, तो मई में बाजार को बड़ा झटका लग सकता है. बता दें कि हमारे शेयर बाजार की चाल काफी हद तक विदेशी निवेशकों के रुख पर निर्भर करती है.  

मार्च में भी बने थे बिकवाल
एफपीआई ने मार्च में शेयर बाजार में 35,098 करोड़ और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपए की बिकवाली की थी. यानी उन्होंने इतना पैसा बाजार से निकाला था. इस महीने की 10 तारीख तक एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से भी 1,602 करोड़ रुपए निकाले हैं. जबकि उन्होंने मार्च में बॉन्ड बाजार में 13,602 करोड़, फरवरी में 22,419 करोड़ और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपए का निवेश किया था. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, विदेशी निवेशाकों को भारत की अर्थव्यस्था की मजबूती पर कोई शक नहीं है, उनके बिकवाल बनने का दूसरा कारण  है. 

ये है बिकवाली की वजह
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में इस समय लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. भले ही इसके परिणामों को लेकर ज़्यादातर रुझान एक तरफ ही नजर आ रहे हों, लेकिन असली तस्वीर परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट होगी. इसलिए विदेशी निवेशक इस समय मुनाफावसूली के मोड में हैं. वह अगले महीने चुनाव परिणाम आने के बाद ही भारतीय बाजार में बड़ी खरीदारी करेंगे. यह लगभग मानकर चला जा रहा है कि यदि सत्ता परिवर्तन होता है, तो बाजार में कुछ समय के लिए गिरावट आ सकती है, ऐसे में FPIs सतर्क रुख अपना रहे हैं. हालांकि, नतीजे अनुकूल रहने और राजनीतिक स्थिरता की स्थिति में वे बड़ा निवेश कर सकते हैं.  
 


चाबहार पोर्ट को लेकर होने वाले समझौते से भारत को होने जा रहे हैं कई फायदे…ये है मकसद

चाबहार पोर्ट को लेकर इससे पहले 2016 में सरकार की ओर से एक समझौता किया गया था. लेकिन उस समझौते की अपनी सीमाएं थी. इस बार अगले 10 सालों के लिए सरकार समझौता कर रही है. 

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Monday, 13 May, 2024
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ईरान में बने चाबहार पोर्ट को लेकर भारत सरकार आज एक अहम कदम उठाने जा रही है. भारत सरकार इस पोर्ट का मैनेजमेंट अपने हाथों में लेने को लेकर समझौते पर हस्‍ताक्षर करने जा रही है.इससे पहले पीएम मोदी के 2016 में ईरान दौरे के समय ये समझौता किया था. इस समझौते के जरिए सरकार सेंट्रल एशिया तक अपने कारोबार को और आसान बनाने की तैयारी कर रही है. जानकारों का मानना है कि ये भारत सरकार का एक अहम रणनीतिक कदम साबित हो सकता है. 

आज होने जा रहा है ये अहम समझौता 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आज इसे लेकर अहम समझौता हो जाएगा. ईरान में बना चाबहार पोर्ट रणनीतिक मकसद से एक अहम पोर्ट है. ये पोर्ट जहां अपनी लोकेशन के कारण कई मायनों में अहम है तो वहीं दुनिया से कारोबार को और बढ़ाने और उसे जल्‍द से जल्‍द भारत में पहुंचाने को लेकर ये काफी अहम साबित हो सकता है. इसी का नतीजा है कि इस समझौते को करने के लिए लोकसभा चुनाव के व्‍यस्‍त कार्यक्रम के बीच शिपिंग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ईरान के लिए रवाना हो चुके हैं. जहां वो इस समझौते को आगे बढ़ाएंगे. आज समझौता होने के बाद इसका मैनेजमेंट पूरी तरह से भारत के पास आ जाएगा और भारत इसका प्रबंधन संभालेगा. 

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आखिर भारत की क्‍या है तैयारी 
सबसे अहम बात है कि इस पोर्ट को लेकर होने वाला समझौता क्‍यों अहम है. दरअसल भारत इस पोर्ट के जरिए सेंट्रल एशिया तक अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए करना चाहता है. इस पोर्ट के जरिए भारत सीआईएस (कॉमनवेल्‍थ इंडीपेंडेंट देशों) तक पहुंचने के लिए नॉर्थ-साउथ परिवहन गलियारे को विकसित करना चाहता है. भारत इससे पहले 2016 में भी इस पोर्ट को लेकर ईरान के साथ समझौता कर चुका है. लेकिन उसमें भारत के पास ज्‍यादा अधिकार नहीं थे. उस समझौते में भारत के पास केवल शहीद बेहेस्‍ती टर्मिनल का विकास करना था. 2016 में ये समझौता भारत, ईरान, और अफगानिस्‍तान के बीच हुआ था. ये समझौता एक साल में रिन्‍यू होता था लेकिन इस बार होने वाला समझौता अगले 10 सालों के लिए होने वाला है.  

चाबहार से कैसी है कनेक्टिविटी? 
चाबहार पोर्ट एक ऐसी लोकेशन पर मौजूद है जहां से सेंट्रल एशिया और साउथ एशिया क्षेत्र के बीच में कारोबार को बेहतर तरीके से कनेक्‍ट किया जा सकता है. ये पोर्ट महज कारोबार को ही और बेहतर बनाने में मददगार साबित नहीं हो सकता है बल्कि लोगों को आपस में जोड़ने में भी मदद करता है. इससे लॉजिस्टिक नेटवर्क को भी आसानी से जोड़ा जा सकता है. भारत का मानना है कि ये पोर्ट रीजनल और इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है. इस समझौते का मकसद यहां कानूनी राज स्‍थापित करने से लेकर समन्‍यव स्‍थापित करना भी है 

बेहद अहम है ये समझौता 

विदेश मामलों के जानकार संजीव श्रीवास्‍तव कहते हैं कि ये समझौता भारत और ईरान के संबंधों के लिहाज से बेहद अहम है. भारत पहले से चाबहार पोर्ट को विकसित कर रहा था लेकिन अब वो इसका प्रबंधन भी कर पाएगा. ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारत विदेश के किसी भी पोर्ट का प्रबंधन करने जा रहा है. संजीव श्रीवास्‍तव कहते हैं कि ये समझौता भारत और ईरान के गहरे होते संबंधों को भी दर्शाता है. ऐसी रिपोर्ट भी हैं कि इस चाबहार पोर्ट को इंटरनेशन नॉर्थ साउथ फ्रेट कॉरिडोर से भी जोड़ा जाएगा, अगर ऐसा होता है तो भारत की कनेक्टिविटी मध्‍य एशिया और रूस तक हो जाएगी.

मुझे लगता है कि इसका सबसे बड़ा लाभ अफगानिस्‍तान को मिलने जा रहा है. अभी तक भारत को पाकिस्‍तान के साथ तनावपूर्ण रिश्‍तों के कारण अफगानिस्‍तान में एक्‍सेस नहीं मिल पाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा और भारत की अफगानिस्‍तान तक पहुंच आसान हो जाएगी. चाबहार का जिस तरह से निर्माण किया है और अब उसका प्रबंधन किया है उससे ये पता चलता है कि भारत के रिश्‍ते मीडिल ईस्‍ट में बेहतर और मजबूत हो रहे हैं. आज भारत के सउदी अरब, ईरान जैसे देशों के साथ मजबूत हो रहे हैं. 

भारत की इस उपलब्धि से लगेगा चीन को झटका 

The Imagindia Institute के अध्‍यक्ष और विदेश मामलों के जानकार रोबिन्‍द्र सचदेव कहते हैं कि ईरान के चाबहार पोर्ट को लेकर 10 साल के लिए होने वाला ये समझौता बेहद अहम है. ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि जब भारत पहली बार विदेश में किसी पोर्ट को मैनेज करने जा रहा है. इस पोर्ट का प्रबंधन मिलने से भारत की एंट्री सेंट्रल एशिया और रशिया तक कारोबार करने को लेकर हो जाएगी. यही नहीं इस उपलब्धि से भारत यूरोप तक आसानी से कारोबार कर पाएगा और स्विस कैनाल के बावजूद यूरोप पहुंचने में हमारे जहाजों को 15 दिन कम लगेंगे.

इस चाबहार पोर्ट की ये भी उपलब्धि है कि हम चाइना के बीआरएस प्रोजेक्‍ट को भी बायपास कर लेंगे. जैसा कि हम जानते हैं कि चाइना ईरान के साथ संबंध बढ़ाकर अपने प्रभाव को और मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. बावजूद चीन की इस कोशिश के चाबहार पोर्ट का टेंडर भारत को टेंडर मिलना बड़ी बात है.  मौजूदा समय में दुनिया की जियोपालिटिक्‍स जिस तरीके से चल रही है उसमें तेहरान को लेकर तनाव है और अमेरिका-ईरान के बीच तनाव है, उसे देखते हुए ये समझौता और अहम हो जाता है. भारत ईरान के संबंध मजबूत हो रहे हैं. हर देश अपना पार्टनर ढूढ रहा है. उसे जो ठीक लगता है वो उसके साथ काम कर रहा है.