पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी नीति आयोग को बर्खास्त कर वापस योजना आयोग बनाने की मांग कर चुकी हैं. वो कह चुकी हैं कि इस मीटिंग का कोई मतलब नहीं है यहां से कुछ भी हासिल नहीं होता है.
दिल्ली में हो रही है नीति आयोग की बैठक में सभी राज्यों के सीएम पहुंचे हुए हैं. लेकिन साल में एक बार होने वाली नीति आयोग की बैठक में शनिवार को कुछ ऐसा हुआ जिससे नाराज होकर ममता बनर्जी मीटिंग छोड़कर चली गई. ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि विपक्ष की एकमात्र सीएम होने के बावजूद पहले तो उन्हें बोलने के लिए काफी कम समय दिया गया और उसके बाद जब उन्होंने बोलना शुरू किया तो उनका माइक बंद कर दिया गया. वहीं नीति आयोग ने उनके आरोपों को लेकर जवाब दिया है और इस दावे को भ्रामक और गलत बताया है कि उनका माइक बंद कर दिया.
ममता बनर्जी ने लगाए क्या आरोप?
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सरकार पर राज्य सरकारों से भेदभाव का आरोप लगाते हुए कई गंभीर आरोप लगाए. ममता बनर्जी ने कहा कि मैं बोल रही थी और मेरा माइक बंद कर दिया गया. ममता बनर्जी ने कहा कि आपने मुझे क्यों रोका आप इस तरह से भेदभाव क्यों कर रहे हैं. ममता बनर्जी ने कहा कि विपक्षी दलों के बॉयकाट के बीच वो अकेली विपक्षी सीएम हैं जो मीटिंग में भाग ले रही हैं. उन्होंने कहा कि इस पर सरकार को खुश होना चाहिए. लेकिन जिस तरह से मेरा माइक बंद किया गया है वो बंगाल का ही नहीं बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का अपमान है.
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पीआईबी फैक्ट चेक ने दिया जवाब
वहीं पीआईबी फैक्ट चेक ने इन दावों को पूरी तरह से गलत बताया है जिसमें ये कहा गया है कि माइक बंद कर दिया गया. पीआईबी फैक्ट चेक ने कहा है कि ममता बनर्जी के बोलने का समय पूरा हो गया था. पीआईबी फैक्ट चेक की ओर से ये कहा गया कि घड़ी में केवल ये दिखाया गया कि उनके बोलने का समय पूरा हो चुका है. जबकि घंटी भी नहीं बजाई गई.
It is being claimed that the microphone of CM, West Bengal was switched off during the 9th Governing Council Meeting of NITI Aayog#PIBFactCheck
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) July 27, 2024
▶️ This claim is #Misleading
▶️ The clock only showed that her speaking time was over. Even the bell was not rung to mark it pic.twitter.com/P4N3oSOhBk
योजना आयोग बनाने की कर चुकी हैं मांग
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी नीति आयोग को बर्खास्त कर वापस योजना आयोग बनाने की मांग कर चुकी हैं. वो कह चुकी हैं कि इस मीटिंग का कोई मतलब नहीं है यहां से कुछ भी हासिल नहीं होता है. दिल्ली में आज नीति आयोग की बैठक हो रही है जिसकी अध्यक्षता पीएम मोदी कर रहे हैं. इस बैठक का मकसद केन्द्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय के साथ पीने के पानी, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा की उपलब्धता और गुणवत्ता, जमीन और संपत्ति के डिजीटलीकरण और रजिस्ट्रेशन, साइबर सुरक्षा, सरकारी कामकाज में आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस जैसे विषय शामिल हैं.
जानिए कैसे काम करता है नीति आयोग
नीति आयोग से पहले देश में इस काम को योजना आयोग किया करता था. लेकिन 2014 में मोदी सरकार के बनने के बाद 2015 में नीति आयोग का गठन कर दिया गया. नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं. जबकि मौजूदा समय में इसके उपाध्यक्ष सुमन बेरी हैं. इस संगठन में कुछ पूर्णकालिक सदस्य भी हैं जिनमें डॉ. वी के सारस्वत, प्रोफेसर रमेश चंद्र, डॉ, वी के पॉल, और अरविंद विरमानी शामिल हैं. इसके पदेन सदस्यों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हैं.
इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में EV अपनाने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है.
अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता (Vedanta) बढ़ते EV बाजार से खुश है. कंपनी इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की डिमांड में आ रही तेजी का लाभ उठाने की योजना पर काम कर रही है. भले ही वेदांता सीधे तौर पर EV मार्केट से जुड़ाव नहीं रखती, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर वह इससे जुड़ी हुई है. इसलिए इसमें तेजी का मतलब है उसकी आर्थिक सेहत में सुधार.
इनका बढ़ेगा उत्पादन
एक रिपोर्ट के अनुसार, माइनिंग और मेटल्स सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता दुनियाभर में इलेक्ट्रिक व्हीकल की बढ़ती मांग का लाभ उठाने की दिशा में काम कर रही है. कंपनी ने निकेल और निकेल सल्फेट का उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई है. दरअसल, निकेल और निकेल सल्फेट इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली लीथियम आयन बैटरी का अहम हिस्सा हैं. ऐसे में EV की मांग बढ़ने से इन दोनों की मांग में भी तेजी आएगी. निकेल की एनर्जी डेंसिटी को बनाए रखने की क्षमता बेहतर होती है. इससे बैटरी के साइज़ को छोटा रखने में मदद मिलती है.
फिलहाल यहां फोकस
वेदांता की यूनिट Vedanta Nico निकेल और निकेल सल्फेट का उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रही है. हालांकि, कंपनी ने यह साफ नहीं किया है कि उत्पादन कितना बढ़ाया जाएगा. वेदांता का फोकस फिलहाल उत्तर पूर्व एशिया में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग को पूरा करने पर है. गौरतलब है कि भारत भी इलेक्ट्रिक व्हीकल को अपनाने की दिशा में बड़े कदम उठा रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार दूसरे देशों के मुकाबले कुछ धीमी है.
शेयरों में आज आई तेजी
वहीं, वेदांता के शेयर मार्केट में प्रदर्शन की बात करें, तो आज कंपनी के शेयर करीब 4 प्रतिशत की तेजी के साथ 441.40 रुपए पर बंद हुए. जबकि बीते 5 कारोबारी सत्रों में इसमें 5.63% की नरमी देखने को मिली थी. इस शेयर का 52 वीक का हाई लेवल 506.75 रुपए है. इस लिहाज से देखें तो अभी इसमें काफी गुंजाइश मौजूद है.
कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी माहौल के बीच एक बार फिर से पेट्रोल-डीजल के सस्ता होने की बातें होने लगी हैं.
पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) में कमी की उम्मीद दिखाई दे रही है. माना जा रहा है कि कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल के दम घट सकते हैं. बता दें कि तेल के दाम पहले से ही आसमान पर पहुंच चुके हैं. क्रूड ऑयल की कीमत का हवाला देकर कंपनियों ने दिल खोलकर दाम बढ़ाए, लेकिन उसमें नरमी का फायदा आम जनता को नहीं दिया. मोदी सरकार भी इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ कहने और करने से बचती रही है.
..तभी होगा संभव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव पंकज जैन का कहना है कि यदि कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक कम रहती है, तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमत में कमी पर विचार कर सकती हैं. मालूम हो कि कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल की कीमत तीन साल के निचले स्तर पर आ गई है. ऐसे में उम्मीद है कि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले तेल के दामों में कटौती हो सकती है.
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इसलिए आई नरमी
ब्रेंट क्रूड की कीमत मंगलवार को 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई थी, दिसंबर 2021 के बाद पहली बार कच्चा तेल इस स्तर पर आया है. दरअसल, वैश्विक अर्थव्यवस्था की ग्रोथ धीमी पड़ने से तेल की मांग में कमी आने की आशंका है. इस वजह से कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई है. क्रूड ऑयल सस्ता होने से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन में सुधार हुआ है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड का देश के 90% ऑयल मार्केट पर कब्जा है.
बिगड़ गया गणित
कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर से अधिक हो गई है और डीजल का दाम भी 90 रुपए प्रति लीटर के पार है. डीजल का सीधा संबंध महंगाई से है. ऐसे में महंगे पेट्रोल-डीजल ने लोगों का पूरा गणित बिगाड़ दिया है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लंबे अर्से के बाद बदलाव लोकसभा चुनाव से पहले हुआ था, जब सरकार ने इनकी कीमतों में 2 रुपए की कटौती की थी.
बजाज हाउसिंग फाइनेंस का आईपीओ इसी सप्ताह खुला और कल बुधवार को उसे सब्सक्राइब करने की आखिरी तारीख थी. इस आईपीओ का निवेशक पहले से इंतजार कर रहे थे.
बजाज समूह (Bajaj Group) के नए IPO को लेकर बाजार में जिस तरह का माहौल बना हुआ था, इश्यू ने उसे सही साबित कर दिया है. तीन दिनों में इस IPO को निवेशकों से इस तरह बोलियां मिली हैं कि उसने IPO के बाजार के सभी पुराने कीर्तिमानों को ध्वस्त कर दिया है. बजाज हाउसिंग फाइनेंस के IPO को तीन दिनों में करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपये की बोलियां प्राप्त हुईं. इस तरह हाल ही में टाटा समूह की टाटा टेक्नोलॉजीज के द्वारा बनाया गया IPO सब्सक्रिप्शन का महारिकॉर्ड टूट गया. टाटा टेक्नोलॉजीज के 3 हजार करोड़ रुपये के IPO को 1.5 लाख करोड़ रुपये से ऊपर की बोलियां मिली थीं.
करीब साढ़े चार लाख करोड़ की आईं बोलियां
बजाज हाउसिंग फाइनेंस आईपीओ को देखें तो कंपनी ने इसके जरिए बाजार से 6,560 करोड़ रुपये जुटाने का प्रयास किया है. आईपीओ में 3,560 करोड़ रुपये के शेयरों का फ्रेश इश्यू और 3 हजार करोड़ रुपये का ऑफर फोर सेल शामिल था. चित्तौड़गढ़ डॉट कॉम के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को क्लोज होने तक आईपीओ को 67.43 गुना सब्सक्राइब किया गया. यानी 6,560 करोड़ रुपये के इश्यू के बदले कंपनी को निवेशकों से 4.42 लाख करोड़ रुपये की बोलियां मिलीं.
QIB निवेशकों ने भी बनाया रिकॉर्ड
बजाज का यह आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 9 सितंबर को खुला और उसमें 11 सितंबर तक बोली लगाई गई. बाजार पर कंपनी के शेयरों की लिस्टिंग 16 सितंबर को होगी. आईपीओ में कंपनी के शेयरों का प्राइस बैंड 66-70 रुपये का रहा, जबकि एक लॉट में 214 शेयर शामिल थे. आईपीओ को सबसे ज्यादा क्यूआईबी कैटेगरी में रिकॉर्ड 222.05 गुना सब्सक्रिप्शन मिला. इसी तरह एनआईआई ने 43.98 गुना, रिटेलर्स ने 7.41 गुना, कर्मचारियों ने 2.13 गुना और अन्य श्रेणियों के निवेशकों ने 18.54 गुना सब्सक्राइब किया.
ग्रे मार्केट में डबल भाव पर कर रहा ट्रेड
बजाज हाउसिंग फाइनेंस एक एचएफसी यानी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है. वह एक एचएफसी के रूप में 2015 से ही नेशनल हाउसिंग बैंक के पास रजिस्टर्ड है. इस आईपीओ में कोटक महिंद्रा कैपिटल, बोफा सिक्योरिटीज, एक्सिस कैपिटल, गोल्डमैन सैश (इंडिया) सिक्योरिटीज, एसबीआई कैपिटल मार्केट्स, जेएम फाइनेंशियल और आईआईएफएल सिक्योरिटीज को आईपीओ का बुक-रनिंग लीड मैनेजर बनाया गया था. यह आईपीओ ग्रे मार्केट में 96 फीसदी प्रीमियम (जीएमपी) पर ट्रेड कर रहा है. लिस्टिंग से पहले बजाज आईपीओ एक्स पर भी ट्रेंड कर रहा है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी SBI ने 2020 में यस बैंक को वित्तीय संकट से बचाने के लिए इसमें 49% हिस्सेदारी खरीदी थी.
प्राइवेट सेक्टर के Yes Bank को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एसबीआई के इस बैंक में हिस्सेदारी बेचने पर रोक लगा दी है. बताया जा रहा है कि RBI फिलहाल यस बैंक में बहुमत हिस्सेदारी बेचे जाने के पक्ष में नहीं है. इसका मतलब है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को Yes Bank की हिस्सेदारी बेचने के लिए इंतजार करना होगा.
इतनी है हिस्सेदारी
यस बैंक में SBI की भी हिस्सेदारी है, जिसका 3 साल का लॉक-इन पीरियड खत्म हो गया है. ऐसे में SBI अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहता है. SBI ने 2020 में यस बैंक को वित्तीय संकट से बचाने के लिए इसमें 49% हिस्सेदारी खरीदी थी. बीच में ऐसी खबर आई थी कि जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) ने यस बैंक में बहुमत हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जताई है और डील लगभग फाइनल हो चुकी है.
नहीं मिली मंजूरी
अब सामने आ रहीं खबरों के मुताबिक, RBI ने अभी तक Yes Bank के संभावित नए निवेशक के फिट एंड प्रॉपर वैल्यूएशन को मंजूरी नहीं दी है. बता दें कि Yes Bank को दूसरे हाथों में सौंपने की तैयारी पिछले काफी समय से चल रही है. इस दौड़ में कई कंपनियां शामिल बताई गई थीं, लेकिन सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) को सबसे आगे माना जा रहा है. वहीं, बैंक के शेयर आज एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं.
कांग्रेस सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर कई गंभीर आरोप लगा चुकी है, लेकिन बुच ने एक भी आरोप पर सफाई नहीं दी है. उनकी खामोशी कई सवाल खड़े कर रही है.
सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) कांग्रेस के निशाने पर हैं. पार्टी ने बीते कुछ दिनों में बुच पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. लेकिन हिंडनबर्ग के आरोपों पर तुरंत सफाई देने वालीं सेबी चीफ कांग्रेस के आरोपों पर पूरी तरह खामोश हैं. माधबी पुरी बुच की यह खामोशी कई सवाल खड़े कर रही है. कांग्रेस ने बुच पर कई कंपनियों से आर्थिक रिश्ते के आरोप लगाए हैं. जिन कंपनियों का नाम कांग्रेस ने लिया है, उनका स्पष्टीकरण भी आ गया है, मगर सेबी प्रमुख ने अपने होंठ पूरी तरह सिल रखे हैं.
हिंडनबर्ग ने पूछा सवाल
अमेरिकी शॉर्ट सेलर 'हिंडनबर्ग रिसर्च' ने भी सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच की खामोशी पर सवालों के तीर दागे हैं. उसने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि माधबी पर हाल ही में कई आरोप लगे हैं, लेकिन इन आरोपों पर वह चुप्पी साधे हुए हैं और कोई सफाई नहीं दी है. ऐसा क्यों है? हिंडनबर्ग रिसर्च ने आगे लिखा ही - नए आरोपों के मुताबिक निजी परामर्श इकाई, जिसका 99% स्वामित्व सेबी अध्यक्ष माधबी बुच के पास है, ने सेबी द्वारा विनियमित कई सूचीबद्ध कंपनियों से भुगतान स्वीकार किया. ऐसा बुच के सेबी की पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए किया गया. लेकिन बुच ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों पर चुप्पी साधी हुई है और हफ्तों बाद भी सफाई नहीं दी है.
भारी पड़ेगी खामोशी?
जानकारों का मानना है कि माधबी पुरी बुच की खामोशी उन पर भारी पड़ सकती है. आरोपों पर सफाई न देकर कहीं न कहीं वह खुद आरोपों को बल दे रही हैं. हिंडनबर्ग के आरोपों पर उन्होंने तुरंत बयान जारी किया था. उनके पति धवल बुच की तरफ से भी आरोपों को बेबुनियाद करार दिया गया था, लेकिन कांग्रेस के आरोपों पर दोनों खामोश हैं. जबकि जिन कंपनियों से बुच के रिश्ते की बात कांग्रेस ने कही है, वो सफाई पेश कर चुकी हैं.
यहां अटकी है बात
कुछ वक्त पहले खबर आई थी कि संसदीय लोक लेखा समिति (PAC) सेबी प्रमुख के खिलाफ आरोपों की जांच करने वाली है और इस महीने के अंत में उन्हें तलब किया जा सकता है. PAC की अध्यक्षता कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल कर रहे हैं और इसमें सत्तारूढ़ दल और कांग्रेस दोनों के सदस्य हैं. हालांकि, इस मामले में बात कितनी आगे बढ़ी इसे लेकर कोई जानकारी नहीं है. बताया जा रहा है कि सेबी चीफ को तलब करने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों में मतभेद है. विपक्ष जहां चाहता है कि बुच को तलब किया जाए, वहीं भाजपा सांसद नियमों का हवाला देकर इसका विरोध कर रहे हैं. इस वजह से मामला अभी तक अटका हुआ है.
ऐसे हुई शुरुआत
माधबी पुरी बुच पर आरोपों की शुरुआत सबसे पहले हिंडनबर्ग ने की थी. उसने आरोप लगाया था कि अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति की हिस्सेदारी है. रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और सेबी के बीच मिलीभगत का भी आरोप था. हालांकि, सेबी चीफ और उनके पति धवल बुच ने आरोपों को खारिज किया था. इसके बाद कांग्रेस ने मामले को आगे बढ़ाया. पार्टी ने एक के बाद एक कई आरोप लगाए. कांग्रेस का यह भी कहना है कि सेबी चीफ के द्वारा प्रमोटेड कंसल्टेंसी कंपनी को करीब 3 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया. जिस समय बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं और सेबी महिंद्रा समूह के खिलाफ मामलों की जांच कर रहा था, उस समय अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड को भुगतान किया गया. बुच के पास अगोरा के 99 फीसदी शेयर है. इस तरह यह सेबी कोड के सेक्शन 5 के तहत हितों के टकराव का मामला है.
मल्टीबैगर NBCC (India) Limited को MTNL से एक बड़ा प्रोजेक्ट मिला है. इसका असर गुरुवार को ट्रेडिंग के दौरान कंपनी के शेयर में देखने को मिला है.
मल्टीबैगर एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड (NBCC) ने महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के साथ एक प्रजेक्ट के लिए साझेदारी की घोषणाकी है. इस खबर के बाद गुरुवार सुबह शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के दौरान कंपनी के शेयर में तेजी देखने को मिली. सुबह ट्रेड की शुरुआत होते ही कंपनी के शेयर में 4.5 प्रतिशत की तेजी आ गई. वहीं, खबर लिखने तक शेयर 2.36 प्रतिशत की तेजी के साथ ट्रेड करते दिखे. तो चलिए जानते हैं कंपनी को एमटीएनए से मिला ये प्रोजेक्ट क्या है और इसकी कीमत कितनी है?
कैसी है एनबीसीसी के शेयर की स्थिति?
एनएसई पर गुरुवार को एनबीसीसी (इंडिया) के शेयर की कीमत 177.01 रुपये पर खुली, जो पिछले बंद भाव से करीब 1 प्रतिशत अधिक था. इसके बाद एनबीसीसी के शेयर की कीमत 4.5 प्रतिशत की बढ़त के साथ 183.65 रुपये के इंट्राडे हाई पर पहुंच गई. वहीं, खबर लिखने के दौरान दोपहर करीब 12.30 बजे इसके शेयर 2.36 प्रतिशत की तेजी के साथ 179.85 रुपये पर ट्रेड करता दिखा. पिछले एक साल में NBCC के शेयर 229 पर्सेंट का मल्टीबैगर रिटर्न दे चुके हैं. वहीं, इस साल अब तक इसने 120 पर्सेंट से अधिक का रिटर्न दिया है.
एमटीएनल से मिले प्रोजेक्ट में क्या है?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के बीच करीब 13.88 एकड़ के एक प्रमुख भूमि पार्सल को विकसित करने के लिए एक एमओयू पर साइन किए गए हैं. इस प्रोजेक्ट का मूल्य लगभग 1,600 करोड़ रुपये है. नियमित ऑर्डर इनफ्लो एनबीसीसी की ऑर्डर बुक में जुड़ रहे हैं, जिसे पहले नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के नाम से जाना जाता था. मजबूत ऑर्डर फ्लो और अपेक्षित मुद्रीकरण एनबीसीसी (इंडिया) शेयर कीमतों की संभावनाओं पर विश्लेषकों को सकारात्मक रखता है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है, इसलिए कोई भी निवेश करने से पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें)
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चीन की कम्युनिस्ट सरकार इन्वेस्टमेंट बैंकरों पर कार्रवाई कर रही है. कई बैंकरों के पासपोर्ट भी जब्त कर लिए गए हैं.
चीन के इन्वेस्टमेंट बैंकर इन दिनों मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट सरकार उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित कर रही है. सरकार ने इन बैंकरों के लिए देश में जीना मुश्किल कर दिया है और उन्हें देश छोड़ने की भी इजाजत नहीं है. एक रिपोर्ट बताती है कि भ्रष्टाचार के मामले में कम से कम 8700 इन्वेस्टमेंट बैंकरों को हिरासत में लिया गया है. सरकार ने उनका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया है.
विदेश में गिरफ्तारी
इस साल अगस्त से लेकर अब तक अलग-अलग सिक्योरिटी फर्मों के कम से कम तीन शीर्ष निवेश बैंकरों को चीनी अधिकारियों ने हिरासत में लिया है, जिससे उद्योग जगत में हड़कंप मच गया है. इनमें से हैटोंग सिक्योरिटीज से जुड़े पीड़ित ने चीनी सरकार के जुल्म से बचने के लिए गुपचुप देश छोड़ दिया था, लेकिन चीन के इशारे पर उसे विदेश में गिरफ्तार कर लिया गया. पीड़ित को वापस चीन लाया गया है और अब उसे इसकी सजा भी दी जाएगी.
पूर्व अनुमति आवश्यक
इस मामले से परिचित लोगों के अनुसार, हैटोंग सिक्योरिटीज और अन्य सरकारी समर्थित ब्रोकरेज फर्म ने हाल ही में अपने कई इन्वेस्टमेंट बैंकरों को पासपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था. साथ ही उनके लिए सभी व्यावसायिक और व्यक्तिगत यात्रा की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक किया गया है. बताया जा रहा है कि कंपनियों ने ऐसा चीनी अधिकारियों के कहने पर किया है.
इस्तीफा भी आसान नहीं
सूत्रों के अनुसार, कुछ कर्मचारियों को बताया गया है कि रेगुलेटर आरंभिक सार्वजनिक पेशकशों (IPO) और अन्य पूंजी जुटाने की गतिविधियों की जांच कर रहे हैं. बैंकरों को किसी भी समय पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है. ब्रोकरेज फर्म ने विदेश यात्राओं के लिए मंजूरी को कड़ा कर दिया है और कर्मचारियों से कहा है कि इस्तीफा देने के लिए भी उन्हें मंजूरी लेनी होगी. इतना ही नहीं, जिनकी व्यावसायिक यात्रा को पहले मंजूरी मिल गई है, उन्हें अपने साथ एक सहयोगी को लेकर जाना होगा. इसके साथ ही तय कार्यक्रम के बाहर उन्हें किसी भी गतिविधि की इजाजत नहीं होगी.
सैलरी में कटौती
चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अपने स्वामित्व वाले वित्तीय संस्थानों के वरिष्ठ कर्मचारियों की सैलरी पर भी कैंची चलाई है. उनकी वार्षिक सैलरी को 2.9 मिलियन युआन ($400,000) तक सीमित कर दिया है, जबकि चाइना इंटरनेशनल कैपिटल कॉरपोरेशन में ऑनशोर बैंकरों के वेतन में हाल ही में उनके मूल वेतन के 25% तक की कटौती की गई है. जानकारों का मानना है कि सरकार की दमनकारी नीतियां वित्तीय कर्मचारियों के मनोबल को प्रभावित करेंगी. उनमें डर का माहौल है, वह ठीक से काम भी नहीं कर पा रहे हैं.
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ट्रेड कनेक्ट ई-पोर्टल लॉन्च किया है. इससे Import और Export का बिजनेस शुरू करने वाले उद्यमियों को काफी फायदा होगा.
अगर आप आयात (Import) या निर्यात (Export) का बिजनेस करना चाहते हैं, तो आपको लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल, इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का बिजनेस करने वालों की मदद करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एक नई सर्विस शुरू की है. सरकार ने इंपोर्ट और एक्सपोर्ट से जुड़ी हर तरह की जानकारी देने के लिए एक व्यापार पोर्टल ‘ट्रेड कनेक्ट’ लॉन्च किया है. इस ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (MSME) मंत्रालय, भारत निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम बैंक), टीसीएस, वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले वित्त सेवा विभाग और विदेश मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया गया है. तो आइए जानते हैं आप इस ई-पोर्टल का फायदा कैसे और कितना ले सकते हैं?
मिलेगी ये फायदा
ट्रेड कनेक्ट पोर्टल को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा लॉन्च किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये प्लेटफॉर्म सीमा शुल्क, एक्सपोर्ट-इंपोर्ट से जुड़े नियमों समेत सभी प्रकार की सूचनाएं एक ही जगह पर उपलब्ध कराएगा. पोर्टल एक्सपोर्टर्स को सशक्त बनाने के साथ-साथ सूचना की कमी की समस्या को दूर करने का काम करेगा.
एक्सपोर्टर्स को विदेशी दूतावास और विशेषज्ञों से ककनेक्ट करेगा पोर्टल
यह एक्सपोर्टर्स को तत्काल समय पर महत्वपूर्ण व्यापार-संबंधी जानकारी उपलब्ध कराएगा. साथ ही उन्हें विदेश में भारतीय दूतावास, वाणिज्य विभाग, निर्यात संवर्धन परिषद जैसी प्रमुख सरकारी संस्थाओं और विशेषज्ञों से जोड़ेगा. उन्होंने कहा कि यह पोर्टल एक्सपोर्टर्स को निर्यात के हर चरण में सहायता करने के लिए तैयार किया गया है. यह प्लेटफॉर्म छह लाख से अधिक आईईसी (आयात-निर्यात कोड) धारकों, 180 से अधिक भारतीय दूतावास के अधिकारियों, 600 से अधिक निर्यात संवर्धन परिषद के अधिकारियों के अलावा डीजीएफटी, वाणिज्य विभाग और बैंकों के अधिकारियों को भी जोड़ेगा.
दूसरे संस्करण में मिलेंगी ये सर्विस
मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पोर्टल को नियमित रूप से अपडेट किया जाएगा. संबंधित पक्षों की प्रतिक्रिया के आधार पर 2025 में इसका दूसरा संस्करण पेश करने में मदद मिलेगी. पोर्टल के दूसरे संस्करण में बैंक, बीमा और लॉजिस्टिक जैसी अन्य सर्विस को शामिल किया जाएगा. यह एक्सपोर्टर्स के लिए एक चैटजीपीटी होगा और इसे क्षेत्रीय भाषाओं में भी जारी किया जाएगा. उन्होंने कहा है कि वैश्विक व्यापार संकट की स्थिति में है लेकिन यह दुनिया में भारत की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का हमारा प्रयास है.
माइक्रोसॉफ्ट ने अगस्त के महीने में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की खरीदारी की है. भारत में इस खरीदारी को कंपनी की अहम रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.
दुनिया की दूसरी बड़ी वैल्यूएबल कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में बड़ी लैंड डील की है. Square Yards के मुताबिक कंपनी ने पुणे के हिंजेवाड़ी में 519.72 करोड़ रुपये में एक जमीन खरीदी है, पुणे देश के प्रमुख आईटी हब में शामिल है. हाल के वर्षों में माइक्रोसॉफ्ट ने भारत के कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर में अपना निवेश बढ़ाया है. कंपनी के भारत में कई डेटा सेंटर, डेवलपमेंट सेंटर और ऑफिस हैं. माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की जानी मानी टेक कंपनी है, यह ऐपल के बाद दुनिया के दूसरी सबसे वैल्यूएबल कंपनी है. कंपनी का मार्केट कैप 3.078 ट्रिलियन डॉलर है.
पुणे में की है लैंड डील
रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट की भारतीय यूनिट माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ने पुणे के हिंजेवाड़ी में 66,414.5 वर्ग मीटर यानी 16.4 एकड़ जमीन खरीदी है, यह डील अगस्त में हुई. कंपनी ने इंडो ग्लोबल इन्फोटेक सिटी एलएलपी से यह जमीन खरीदी. इस डील पर 31.18 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी और 30,000 रुपये की रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान किया गया. कंपनी ने साल 2022 में पिंपरी-चिंचवाड़ में 25 एकड़ का प्लॉट 328 करोड़ रुपये में खरीदा था. इसी साल उसने हैदराबाद में 48 एकड़ जमीन के लिए 267 करोड़ रुपये चुकाए थे.
क्या है कंपनी का प्लान?
माइक्रोसॉफ्ट भारत में अपने बिजनस खासकर डेटा सेंटर ऑपरेशंस को बढ़ा रही हैं और जमीन खरीदना उसके इसी प्लान का हिस्सा है. कंपनी पहले ही पुणे, मुंबई और चेन्नई में डेटा सेंटर बना चुकी है. अभी कंपनी के भारत में 23,000 से अधिक कर्मचारी हैं, कंपनी के ऑफिस बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई और पुणे में है. इस साल की शुरुआत में कंपनी ने भारत में एक बड़ा स्किलिंग इनिशिएटिव शुरू किया है. इसके तहत 20 लाख लोगों को 2025 तक एआई और डिजिटल स्किल्स की ट्रेनिंग देने की योजना है.
कंपनी पहले भी खरीद चुकी है जमीन
साल 2022 में कंपनी ने महाराष्ट्र के पिंपरी-चिंचवड़ में 328 करोड़ रुपए में 25 एकड़ का प्लॉट भी हासिल किया. इस साल की शुरुआत में, माइक्रोसॉफ्ट ने हैदराबाद में 267 करोड़ रुपये में 48 एकड़ जमीन हासिल की थी. दोनों डील माइक्रोसॉफ्ट की भारत में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं. फरवरी में माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन और सीईओ सत्य नडेला ने इस बात पर जोर दिया था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में इनोवेशन में भारतीय डेवलपर्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व वाली सहयोगी प्लेटफॉर्म GitHub पर भारत की व्यापक उपस्थिति है.
गौतम अडानी की कंपनी बांग्लादेश को बिजली सप्लाई करती आ रही है. लेकिन पड़ोसी अब उसका भुगतान करने के मूड में नज़र नहीं आ रहा.
अरबपति कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) को पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश से 800 करोड़ डॉलर से अधिक की राशि लेनी है. लेकिन जिस तरह का रुख बांग्लादेश की अंतरिम सरकार दर्शा रही है उससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अडानी का पैसा फंस गया है? अडानी की कंपनी अडानी पावर बांग्लादेश को बिजली सप्लाई करती है, जिसका भुगतान उसे अब तक नहीं हुआ है. अब बांग्लादेश की नई सरकार भारत से जुड़े व्यवसायों की जांच करने की तैयारी कर रही है और इसमें अडानी समूह से हुई डील भी शामिल है.
खत्म होंगे समझौते!
मीडिया रिपोर्ट्स क अनुसार, मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार अडानी पावर के साथ बिजली समझौते की जांच करेगी. सरकार समझौते की शर्त जानना चाहती है और यह भी पता लगाना चाहती है कि इसके लिए चुकाई जा रही कीमत वाजिब है या नहीं. पड़ोसी मुल्क की सरकार के इस रुख से यही लगता है कि उसका इरादा फिलहाल अडानी समूह का बकाया चुकाने का नहीं है. कहा यह भी जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस सरकार भारत के साथ पूर्व में हुए समझौतों को भी जांच के बाद खत्म कर सकती है.
यह चाहती है सरकार
बांग्लादेश में अगस्त की शुरुआत में जमकर हिंसा हुई थी. इसके बाद तत्कालनी प्रधानमंत्री शेख हसीना को मुल्क छोड़कर भागना पड़ा था. अब बांग्लादेश में अंतरिम सरकार गठित हो चुकी है और उसका झुकाव भारत की तरफ नहीं है. यही वजह है कि भारत के साथ हुए समझौतों की जांच की बात कही जा रही है. अंतरिम सरकार के एक सदस्य का कहना है कि अडानी समूह जैसे भारतीय व्यवसायों की जांच की जाएगी. सरकार यह जानना चाहती है कि किस तरह के कॉन्ट्रैक्ट साइन किए गए हैं, क्या शर्तें हैं आदि.
ऐसी कोई जानकारी नहीं
नवंबर 2017 में अडानी पावर लिमिटेड ने बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के साथ 25 साल के लिए 1496 MW बिजली खरीद समझौता किया था. अडानी पावर के अलावा देश की कुछ दूसरी कंपनियां भी बांग्लादेश को बिजली की सप्लाई करती हैं. इनमें NTPC लिमिटेड और PTC इंडिया लिमिटेड आदि शामिल हैं. NTPC और PTC भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियां हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन कंपनियों का बांग्लादेश पर कुछ बकाया है या नहीं है. वहीं, अडानी समूह का कहना है कि उसे समझौते की जांच की कोई जानकारी नहीं है.