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विश्व हिंदी दिवस: हिंदी किताबों से कमाने वालों के सुरों से निकली ऐसी ध्वनि
आज यानी 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जा रहा है. पिछले कुछ सालों में हिंदी से जुड़े कामकाज और कारोबारी में तेजी देखने को मिली है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य विश्व में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जागरुकता फैलाना है. हिंदी दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और इसका प्रभाव और प्रसार धीरे-धीरे बढ़ रहा है. खासकर पिछले कुछ सालों में इसमें काफी तेजी आई है. इस मौके पर BW हिंदी ने विभिन्न पब्लिकेशन हाउस से बातचीत की और जाना कि हिंदी का बाजार कितना बदला है और भविष्य में इसकी क्या संभावना है. पेश हैं उसके कुछ अंश:
4 गुना बढ़ा कारोबार
'प्रभात प्रकाशन' के मालिक डॉक्टर पियूष कुमार का कहना है कि हिंदी पब्लिशिंग के कारोबार में बीते कुछ सालों से गजब की तेजी आई है और यह 4 गुना तक बढ़ गया है. उनके मुताबिक, सरकारी स्तर पर हिंदी को मजबूत करने के प्रयास हुए हैं. लगभग हर सरकार इस दिशा में काम करती है. लेकिन इस कारोबार में आई उल्लेखनीय तेजी की प्रमुख वजह इंटरनेट का बढ़ता इस्तेमाल और कोरोना के बाद से लोगों में पढ़ने के प्रति बढ़ी दिलचस्पी है. पियूष कुमार का कहना है कि कोरोना महामारी के दौर में लोगों ने पढ़ने की आदत वापस शुरू की, जो अब भी बरकरार है. वो हिंदी की किताबों को तवज्जो दे रहे हैं. ई-कॉमर्स साइट्स ने हिंदी कंटेंट को ज्यादा तेजी से लोगों तक पहुंचाने में काफी मदद की है.
हिंदी का फ्यूचर ब्राइट
'प्रभात प्रकाशन' के मालिक ने आगे बताया कि वह हर दिन 2 हिंदी किताबें प्रकाशित करते हैं. हिंदी कारोबार के भविष्य पर उन्होंने कहा कि इसका फ्यूचर ब्राइट है. आने वाले समय में हिंदी दुनिया पर राज करेगी और जाहिर है, इससे जुड़े कारोबार को भी फायदा होगा. पियूष कुमार मानते हैं कि हिंदी पब्लिशिंग का यह गोल्डन टाइम है. हिंदी किताबें 4 गुना अधिक बिक रही हैं और आगे इसमें काफी तेजी आने की पूरी उम्मीद है.
एक दशक काफी अच्छा
इसी तरह, 'वाणी प्रकाशन' की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी का कहना है कि बीते कुछ समय, खासकर एक दशक हिंदी के लिए काफी अच्छा रहा है. हिंदी में लिखने वालों की संख्या बढ़ी है, हिंदी के पाठक बढ़े हैं और हिंदी में रोजगार के अवसरों में भी इजाफा हुआ है. उन्होंने आगे कहा, 'किसी भी इंडस्ट्री को यदि नापना हो, तो पहले उसके प्रोडक्ट को नापना चाहिए. आज हिंदी पुस्तकें पहले के मुकाबले अधिक संख्या में प्रकाशित हो रही हैं. इससे हिंदी के बढ़ते कारोबार का अहसास हो जाता है'.
डिजिटल ने दी मजबूती
अदिति के मुताबिक, हिंदी के कारोबार में तेजी की एक प्रमुख वजह डिजिटल पक्ष का मजबूत होना भी है. आज अमेजन सहित कई ई-कॉमर्स हैं, जहां हिंदी कंटेंट आसानी से मिल जाता है. कुछ डोमेस्टिक पोर्टल भी हिंदी की दिशा में अच्छा कर रहे हैं. हिंदी को लेकर लोगों की सोच बदली है और आने वाले समय में हिंदी प्रकाशन और उससे जुड़े दूसरे कारोबार में निश्चित तौर पर तेजी देखने को मिलेगी. क्या मौजूदा सरकार के कार्यकाल में हिंदी को मजबूत बनाने की दिशा में ज्यादा काम क्या गया है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'जिस देश का प्रमुख अपनी स्थानीय भाषा में बोले, वहां भाषा का गौरव बढ़ना लाजमी है'.
नहीं आया खास बदलाव
'संवाद प्रकाशन' के आलोक श्रीवास्तव का कहना है कि हिंदी पब्लिशिंग के कारोबार की स्थिति आज भी वैसे ही है, जैसी कुछ साल पहले थी. इसमें कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिला है. उन्होंने कहा, 'नई जनरेशन हिंदी से कट जाती है. क्योंकि करियर के ऑप्शन की बात करें या हमारे एजुकेशन सिस्टम की, सभी में हिंदी प्राथमिकता की श्रेणी से दूर है. ये एक बड़ा कारण है कि हिंदी को लेकर देश में जो माहौल होना चाहिए था, वो अब तक नहीं बन पाया है. मुख्यतौर पर हमें एजुकेशन सिस्टम को हिंदी केंद्रित करना होगा, तभी सुधार देखने को मिल सकता है'.
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